29.10.2015 ka faisla
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बड़ी सर्जरी में चली अखिलेश की
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-सरकार की छवि सुधारने के साथ मिशन-2017 की कमान युवा हाथों में सौंपने की कवायद
-विवादित मंत्रियों के खिलाफ कार्रवाई न होने से सवाल भी
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परवेज अहमद, लखनऊ :
मंत्रिमंडल की 'मेजर सर्जरीÓ सरकार की छवि सुधारने का प्रयास है या मिशन-2017 की पूरी कमान युवा हाथों में सौंपने की रणनीति? इस निर्णय को इन्ही सवालों के इर्द-गिर्द परिभाषित किया जा रहा है। इस आपरेशन में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की छाप महसूस की जा रही है। सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या सर्जरी से रोग का निदान हो पाया है।
आठ मंत्रियों की बर्खास्तगी ने यह तो साफ कर दिया कि खुद को सत्ता के करीबी समझने वाले ये मंत्री हकीकत में मुख्यमंत्री की कसौटी पर खरे नहीं थे। विकास की माडर्न नीति-रीति में भी युवा मुख्यमंत्री के साथ कदम ताल में वे पिछड़ रहे थे। ऊपर से तोहमतें भी कम नहीं थी। इनमें से कुछ की दलीय निष्ठाएं भी सवालों के सलीब पर थीं। ये लोग 2012 के विधानसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी में शामिल हुए थे। हालांकि ये लोग सपा मुखिया मुलायम सिंह के करीबियों में शुमार थे, मगर मुख्यमंत्री की मंशा को भांपकर पार्टी नेतृत्व ने 'वीटोÓ के जरिए इनकी विदाई रोकने का प्रयास नहीं किया। इससे पार्टी में भी अब 'युवा युगÓ का आगाज हो जाने का संदेश निकल रहा है। माना जा रहा है कि मंत्रिमंडल में भारी उलटफेर में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की मंशा पूरी तरह से प्रभावी रही वरना कम से कम तीन मंत्रियों का विभाग वापस नहीं लिए जाते।
उधर पार्टी के अंदर यह चर्चा भी आम है कि जब छवि सुधारने के अलावा विकास की रफ्तार तेज करने की मंशा से फेरबदल हुआ तो भ्रष्टाचार, दबंगई के जरिये सरकार की सबसे ज्यादा किरकिरी कराने वाले मंत्री किसके 'वीटोÓ पर कार्रवाई की जद से बच गए? अवध क्षेत्र के एक मंत्री पर अक्सर दबंगई का इल्जाम लगता है तो तराई क्षेत्र के एक मंत्री पत्रकार को जलाने के मामले में फंसे जिससे सरकार की खासी किरकिरी हुई थी। एक अन्य मंत्री पर भ्रष्टाचार का आरोपों का शोर है, बावजूद इनकी ओर आंच नहीं जाने को लेकर सवाल उठ रहा है।
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-मंत्रियों से हटाए गए विभाग अब मुख्यमंत्री के पास
-रिक्त पदों पर नए मंत्रियों को राज्यपाल 31 को दिलाएंगे शपथ
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लखनऊ : आखिरकार सरकार सख्त हुई। इमेज सुधार की कोशिशों, गैर वफादारी और 2017 के चुनाव के दबाव में गुरुवार को किये गए एक बड़े फैसले में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आठ मंत्रियों को बर्खास्त करने के साथ ही नौ मंत्रियों के विभाग छीन लिए। बर्खास्त होने वालों में पांच कैबिनेट, स्वतंत्र प्रभार के एक और दो राज्यमंत्री हैं। रिक्त पदों पर नए मंत्रियों को 31 अक्टूबर की सुबह 10.30 बजे राज्यपाल शपथ दिलाएंगे। मुख्यमंत्री के पास अब रिकार्ड 89 विभाग हो गए हैं।
साढ़े तीन साल पुरानी सरकार में यूं तो मंत्री पहले भी बर्खास्त हुए पर पहली बार इतना कड़ा कदम उठाया गया। मुख्यमंत्री ने बुधवार को एक साथ आठ मंत्रियों को बर्खास्त करने और नौ के विभाग हटाने की सिफारिश राज्यपाल से की थी। गुरुवार सुबह उस पर मुहर लगाते हुए राज्यपाल ने आदेश जारी कर दिए। 31 अक्टूबर को नए मंत्रियों को शपथ दिलाने के लिए तैयारियां शुरू हो गई हैं। सूत्रों का कहना है रिक्त पदों पर युवा चेहरों को मौका मिलने की संभावना अधिक है। जिन मंत्रियों से विभाग छीने गए हैं, उन्हें नए मंत्रियों के शपथ ग्र्रहण के बाद दूसरे विभागों में समायोजित किया जाएगा। इनमें कुछ का कद बढ़ेगा लेकिन कुछ का घटेगा भी। 14 जून को हुए फेरबदल में जिन मंत्रियों के साथ नाइंसाफी की चर्चा ने जोर पकड़ा था, उन्हें पहले की तुलना में बेहतर विभाग दिए जा सकते हैं।
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पहले भी बर्खास्त हुए मंत्री
अखिलेश यादव पहले भी अपने कई मंत्रियों को बर्खास्त कर चुके हैं। शुरुआत अप्रैल 2013 में तत्कालीन खादी एवं ग्र्रामोद्योग मंत्री (अब स्वर्गीय) राजाराम पाण्डेय की बर्खास्तगी से हुई थी, जिन पर एक महिला आइएएस अधिकारी पर अशोभनीय टिप्पणी करने का इल्जाम लगा था। मार्च 2014 में मंत्री मनोज पारस और कृषि मंत्री आनंद सिंह बर्खास्त हुए। सिंह पर पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का इल्जाम था। लोकसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री ने मनोरंजन कर राज्यमंत्री पवन पाण्डेय को बर्खास्त किया। पाण्डेय पर फैजाबाद में अवैध खनन रोकने गए एक आइपीएस अधिकारी के साथ अभद्रता का इल्जाम लगा था।
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बर्खास्त मंत्री
-राजा महेन्द्र अरिदमन सिंह-मंत्री, स्टाम्प तथा न्याय शुल्क पंजीयन व नागरिक सुरक्षा
- अंबिका चौधरी-मंत्री, पिछड़ा वर्ग कल्याण एवं विकलांग कल्याण
-शिव कुमार बेरिया-मंत्री, वस्त्र उद्योग एवं रेशम उद्योग
- नारद राय-मंत्री, खादी एवं ग्रामोद्योग
- शिवाकान्त ओझा- मंत्री, प्राविधिक शिक्षा
- आलोक कुमार शाक्य-राज्यमंत्री, प्राविधिक शिक्षा
- योगेश प्रताप- राज्यमंत्री, बेसिक शिक्षा
-भगवत शरण गंगवार-राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार), सूक्ष्म, लघु मध्यम उद्यम एवं निर्यात प्रोत्साहन
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मंत्री जिनके छिने विभाग
-अहमद हसन, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य परिवार कल्याण मातृ एवं शिशु कल्याण
-अवधेश प्रसाद, समाज कल्याण अनुसूचित जाति एवं जनजाति कल्याण सैनिक कल्याण
-पारस नाथ यादव, उद्यान व खाद्य प्रसंस्करण,
- राम गोविंद चौधरी, बेसिक शिक्षा
- दुर्गा प्रसाद यादव, परिवहन
- ब्रह्मïा शंकर त्रिपाठी, होमगाड्र्स प्रांतीय रक्षक दल
- रघुराज प्रताप सिंह, खाद्य एवं रसद
- इकलाब महमूद, मत्स्य, सार्वजनिक उद्यम
-महबूब अली, माध्यमिक शिक्षा
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निपटाते समय न देखी निकटता
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-बर्खास्तगी की जद में अगड़े, पिछड़े व दलित
-केवल मुस्लिमों पर मुख्यमंत्री रहे मेहरबान
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लखनऊ
बात जब निपटाने की आई तो कोई निकटता काम न आई। निकटता पुरानी थी, इलाकाई थी या फिर सजातीय, नतीजा एक ही रहा। बर्खास्तगी में संतुलन रखा गया और इसमें अगड़े, पिछड़े व दलित सभी शामिल थे। अलबत्ता मुस्लिमों पर मेहरबानी कायम रही और किसी को भी बर्खास्त नहीं होना पड़ा।
सबसे पहले बात बलिया के अंबिका चौधरी की जिन्हें 2012 के विधान सभा चुनाव में पराजित होने के बावजूद विधान परिषद भेजा गया और पहले राजस्व मंत्री और फिर विभाग बदलकर पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री बनाया गया। लोकदल का बंटवारा हुआ तो कुछ दिन चौधरी अजित सिंह के साथ रहने के बाद अंबिका चौधरी अपने सजातीय मुलायम सिंह यादव के साथ आ गए और धीरे-धीरे पायदान चढ़ते गए। सपा विपक्ष में थी तो विधान मंडल दल के मुख्य सचेतक रहे लेकिन बर्खास्तगी को लेकर उन्हें कोई सचेत नहीं कर सका।
अनुसूचित जाति से ताल्लुक रखने वाले कानपुर देहात की रसूलाबाद सीट के विधायक शिव कुमार बेरिया भी सपा के पुराने सिपहसालार थे और पांच बार विधायक बनने के बाद पहली बार मंत्री बने थे। वह अखिलेश मंत्रिमंडल के अनुसूचित जाति के दो कैबिनेट मंत्रियों में थे लेकिन सरकार के पूरे कार्यकाल तक मंत्री नहीं बने रह सके।
बलिया के ही नारद राय छोटे लोहिया जनेश्वर मिश्रा की अंगुली पकड़ कर राजनीति में आए थे और मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री रहे। इस बार कद बढ़ा तो कैबिनेट मंत्री बने लेकिन बर्खास्तगी का अनुमान नहीं लगा सके। भाजपा से तीन बार विधायक व मंत्री रहने के बद शिवाकांत ओझा ने समाजवादी चोला पहन कर प्रतापगढ़ की रानीगंज सीट से चुनाव जीता व लगभग एक साल पहले 'टेक्निकल एजुकेशनÓ मंत्री बने लेकिन मंत्री की कुर्सी बचाने की 'टेक्निकÓ नहीं सीख सके।
सपा प्रमुख के प्रभाव क्षेत्र मैनपुरी की भोगांव सीट के विधायक आलोक शाक्य के पिता राम औतार शाक्य भी मुलायम सिंह यादव के सहयोगी थे और विधायक भी रहे। जातीय संतुलन साधने के लिहाज से सपा प्रमुख शाक्य बिरादरी का समायोजन करते रहे थे लेकिन ये फैक्टर भी उन्हें बचा नहीं सके। बसपा से विधायक बन सपा में आए व राज्य मंत्री बने गोंडा की करनैलगंज सीट के विधायक योगेश प्रताप सिंह सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव व वरिष्ठ मंत्री शिवपाल सिंह यादव से सटने का कोई मौका नहीं चूकते थे लेकिन पता नहीं कौन सी चूक हुई कि कुर्सी चली गई।
बरेली की नवाबगंज सीट से पांचवी बार विधायक बने स्वतंत्र प्रभार के राज्य मंत्री भगवत शरण गंगवार मुलायम सिंह सरकार में भी राज्य मंत्री रहे चुके थे। यह देखना होगा कि सुर्खियों से दूर रहने वाले गंगवार को मंत्री पद गंवाने के बाद किसकी शरण में जाना पड़ता है।
...और आखिर में बात राजा भदावर के नाम से जाने वाले राजा महेन्द्र अरिदमन सिंह की जो छठी बार आगरा की बाह सीट से विधायक हैं। मुलायम सिंह के साथ जनता दल में भी रहे। उनके पिता रिपुदमन सिंह भी कई बार विधायक व मंत्री रहे। कल्याण सिंह, राम प्रकाश गुप्ता, राजनाथ सिंह व मायावती सरकार में मंत्री रहे अरिदमन सिंह पहली बार समाजवादी सरकार में मंत्री बने थे लेकिन उनके साथ वह हुआ जो पहले कभी नहीं हुआ। उन्हें बर्खास्त होना पड़ा।
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-अब मंत्री बनने को लामबंदी तेज
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-खुद को दावेदार मान रहे विधायक, विधान परिषद सदस्य लाबिंग में जुटे
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लखनऊ : अखिलेश यादव के छवि सुधार अभियान के अगले चरण में अब सबकी निगाह मंत्रिमंडल में रिक्त 13 स्थानों पर लगी है। इनमें से कितने पर नए चेहरे शामिल होंगे, किसे तरक्की मिलेगी? यह कयास दिनभर लगते रहे और खुद को दावेदार मान रहे विधायक, विधान परिषद सदस्य अपने पक्ष में लाबिंग करने में भी जुटे रहे।
मिशन 2017 के मद्देनजर अपनी नई टीम तैयार कर रहे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के लिए क्षेत्रीय व जातिगत संतुलन साधने की असल चुनौती होगी। जाहिर है युवाओं व महिलाओं को पर्याप्त प्रतिनिधित्व दे कर अखिलेश वर्ष 2012 के इतिहास को दोहराना चाहेंगे। महिला कोटे में रश्मि आर्य, शादाब फातिमा, गजाला लारी के साथ डॉ.मधु गुप्ता के नाम मंत्रिमंडल में शामिल किये जाने वालों बताया जा रहा है। सुलतानपुर सदर के अरुण वर्मा को मंत्री बनाकर नेतृत्व जिले में मिले अभूतपूर्व समर्थन की संतुष्टि के साथ कुर्मी कोटा भी पूरा कर सकता है। पिछड़ों को साधे रखने के लिए सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव के करीब रहे शारदानंद अंचल के पुत्र जयप्रकाश को मौका मिलने की आस भी जतायी जा रही है, वहीं वरिष्ठ नेता अशोक वाजपेयी को भी मंत्रिमंडल में जगह देकर सदन के भीतर व बाहर का समीकरण बनाने का दांव भी चला जा सकता है। एमएलसी राम जतन राजभर, गढ़मुक्तेश्वर से मदन चौहान, जौनपुर ललई यादव, उन्नाव जिले के उदय राज को भी मंत्री पद मिलने की समर्थक उम्मीद लगाए हैं।
पश्चिम में गुर्जर कोटे से रामसकल गुर्जर की प्रोन्नत करने की चर्चा है तो वीरेंद्र सिंह जैसे बड़े नाम की अनदेखी करना भी आसान न होगा। एमएलसी आशु मलिक की पार्टी के लिए बढ़ती उपयोगिता को देखते हुए उनका दावा मजबूत बनता है तो बागपत में रालोद की काट के लिए सिवालखास क्षेत्र से गुलाम मोहम्मद को लाभ मिल सकता है। पार्टी महासचिव व ग्राम्य विकास राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अरविंद सिंह गोप को प्रोन्नत कर कैबिनेट मंत्री जाने की पूरी संभावना है। सपा सूत्रों का कहना है कि मंत्री पद हासिल करने के लिए लाबिंग कर रहे विधायक गुरुवार की देर रात बड़े-बड़े बंगलों के चक्कर काटते रहे। इसके अलावा मनोज पारस और पवन पाण्डेय को फिर से मंत्री बनाया जा सकता है।
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...और मुलायम कार्यकर्ताओं से मिलते रहे
आठ मंत्रियों की बर्खास्तगी, कई मंत्रियों से विभाग छीने जाने की हलचल के बीच सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने गुरुवार को कार्यकर्ताओं, विधायकों और बिना विभाग के एक मंत्री से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने कार्यकर्ताओं को अभी विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुट जाने का आह्वïान किया और कहा कि युवाओं की मेहनत से फिर सरकार बनेगी। मंत्रिमंडल में फेरबदल की सूची राज्यपाल को भेजने के बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव उड़ीसा के लिए रवाना हो गए और दूसरे प्रभावशाली मंत्री शिवपाल यादव ने दिल्ली की उड़ान भर ली। सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव पार्टी के प्रदेश कार्यालय पहुंचे जहां वह दिनभर कार्यकर्ताओं विधायकों से मिलते रहे। दोपहर बाद माध्यमिक शिक्षा विभाग वापस लिये जाने से बिना विभाग के मंत्री बने महबूब अली सपा मुखिया से मिलने पहुंचे, थोड़ी देर बाद वापस आ गए। पार्टी सूत्रों का कहना है मुलायम ने मुलाकात करने वाले कार्यकर्ताओं को अभी चुनाव की तैयारी में जुटने को कहा है। उन्होंने कहा कि पार्टी युवा वर्ग को पूरा महत्व दे रही है। उनकी मेहनत से ही फिर सरकार बनेगी। कुछ लोगों से उन्होंने लोकसभा चुनाव में हार दर्द भी बयान किया।
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बड़ी सर्जरी में चली अखिलेश की
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-सरकार की छवि सुधारने के साथ मिशन-2017 की कमान युवा हाथों में सौंपने की कवायद
-विवादित मंत्रियों के खिलाफ कार्रवाई न होने से सवाल भी
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परवेज अहमद, लखनऊ :
मंत्रिमंडल की 'मेजर सर्जरीÓ सरकार की छवि सुधारने का प्रयास है या मिशन-2017 की पूरी कमान युवा हाथों में सौंपने की रणनीति? इस निर्णय को इन्ही सवालों के इर्द-गिर्द परिभाषित किया जा रहा है। इस आपरेशन में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की छाप महसूस की जा रही है। सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या सर्जरी से रोग का निदान हो पाया है।
आठ मंत्रियों की बर्खास्तगी ने यह तो साफ कर दिया कि खुद को सत्ता के करीबी समझने वाले ये मंत्री हकीकत में मुख्यमंत्री की कसौटी पर खरे नहीं थे। विकास की माडर्न नीति-रीति में भी युवा मुख्यमंत्री के साथ कदम ताल में वे पिछड़ रहे थे। ऊपर से तोहमतें भी कम नहीं थी। इनमें से कुछ की दलीय निष्ठाएं भी सवालों के सलीब पर थीं। ये लोग 2012 के विधानसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी में शामिल हुए थे। हालांकि ये लोग सपा मुखिया मुलायम सिंह के करीबियों में शुमार थे, मगर मुख्यमंत्री की मंशा को भांपकर पार्टी नेतृत्व ने 'वीटोÓ के जरिए इनकी विदाई रोकने का प्रयास नहीं किया। इससे पार्टी में भी अब 'युवा युगÓ का आगाज हो जाने का संदेश निकल रहा है। माना जा रहा है कि मंत्रिमंडल में भारी उलटफेर में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की मंशा पूरी तरह से प्रभावी रही वरना कम से कम तीन मंत्रियों का विभाग वापस नहीं लिए जाते।
उधर पार्टी के अंदर यह चर्चा भी आम है कि जब छवि सुधारने के अलावा विकास की रफ्तार तेज करने की मंशा से फेरबदल हुआ तो भ्रष्टाचार, दबंगई के जरिये सरकार की सबसे ज्यादा किरकिरी कराने वाले मंत्री किसके 'वीटोÓ पर कार्रवाई की जद से बच गए? अवध क्षेत्र के एक मंत्री पर अक्सर दबंगई का इल्जाम लगता है तो तराई क्षेत्र के एक मंत्री पत्रकार को जलाने के मामले में फंसे जिससे सरकार की खासी किरकिरी हुई थी। एक अन्य मंत्री पर भ्रष्टाचार का आरोपों का शोर है, बावजूद इनकी ओर आंच नहीं जाने को लेकर सवाल उठ रहा है।
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-मंत्रियों से हटाए गए विभाग अब मुख्यमंत्री के पास
-रिक्त पदों पर नए मंत्रियों को राज्यपाल 31 को दिलाएंगे शपथ
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लखनऊ : आखिरकार सरकार सख्त हुई। इमेज सुधार की कोशिशों, गैर वफादारी और 2017 के चुनाव के दबाव में गुरुवार को किये गए एक बड़े फैसले में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आठ मंत्रियों को बर्खास्त करने के साथ ही नौ मंत्रियों के विभाग छीन लिए। बर्खास्त होने वालों में पांच कैबिनेट, स्वतंत्र प्रभार के एक और दो राज्यमंत्री हैं। रिक्त पदों पर नए मंत्रियों को 31 अक्टूबर की सुबह 10.30 बजे राज्यपाल शपथ दिलाएंगे। मुख्यमंत्री के पास अब रिकार्ड 89 विभाग हो गए हैं।
साढ़े तीन साल पुरानी सरकार में यूं तो मंत्री पहले भी बर्खास्त हुए पर पहली बार इतना कड़ा कदम उठाया गया। मुख्यमंत्री ने बुधवार को एक साथ आठ मंत्रियों को बर्खास्त करने और नौ के विभाग हटाने की सिफारिश राज्यपाल से की थी। गुरुवार सुबह उस पर मुहर लगाते हुए राज्यपाल ने आदेश जारी कर दिए। 31 अक्टूबर को नए मंत्रियों को शपथ दिलाने के लिए तैयारियां शुरू हो गई हैं। सूत्रों का कहना है रिक्त पदों पर युवा चेहरों को मौका मिलने की संभावना अधिक है। जिन मंत्रियों से विभाग छीने गए हैं, उन्हें नए मंत्रियों के शपथ ग्र्रहण के बाद दूसरे विभागों में समायोजित किया जाएगा। इनमें कुछ का कद बढ़ेगा लेकिन कुछ का घटेगा भी। 14 जून को हुए फेरबदल में जिन मंत्रियों के साथ नाइंसाफी की चर्चा ने जोर पकड़ा था, उन्हें पहले की तुलना में बेहतर विभाग दिए जा सकते हैं।
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पहले भी बर्खास्त हुए मंत्री
अखिलेश यादव पहले भी अपने कई मंत्रियों को बर्खास्त कर चुके हैं। शुरुआत अप्रैल 2013 में तत्कालीन खादी एवं ग्र्रामोद्योग मंत्री (अब स्वर्गीय) राजाराम पाण्डेय की बर्खास्तगी से हुई थी, जिन पर एक महिला आइएएस अधिकारी पर अशोभनीय टिप्पणी करने का इल्जाम लगा था। मार्च 2014 में मंत्री मनोज पारस और कृषि मंत्री आनंद सिंह बर्खास्त हुए। सिंह पर पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का इल्जाम था। लोकसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री ने मनोरंजन कर राज्यमंत्री पवन पाण्डेय को बर्खास्त किया। पाण्डेय पर फैजाबाद में अवैध खनन रोकने गए एक आइपीएस अधिकारी के साथ अभद्रता का इल्जाम लगा था।
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बर्खास्त मंत्री
-राजा महेन्द्र अरिदमन सिंह-मंत्री, स्टाम्प तथा न्याय शुल्क पंजीयन व नागरिक सुरक्षा
- अंबिका चौधरी-मंत्री, पिछड़ा वर्ग कल्याण एवं विकलांग कल्याण
-शिव कुमार बेरिया-मंत्री, वस्त्र उद्योग एवं रेशम उद्योग
- नारद राय-मंत्री, खादी एवं ग्रामोद्योग
- शिवाकान्त ओझा- मंत्री, प्राविधिक शिक्षा
- आलोक कुमार शाक्य-राज्यमंत्री, प्राविधिक शिक्षा
- योगेश प्रताप- राज्यमंत्री, बेसिक शिक्षा
-भगवत शरण गंगवार-राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार), सूक्ष्म, लघु मध्यम उद्यम एवं निर्यात प्रोत्साहन
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मंत्री जिनके छिने विभाग
-अहमद हसन, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य परिवार कल्याण मातृ एवं शिशु कल्याण
-अवधेश प्रसाद, समाज कल्याण अनुसूचित जाति एवं जनजाति कल्याण सैनिक कल्याण
-पारस नाथ यादव, उद्यान व खाद्य प्रसंस्करण,
- राम गोविंद चौधरी, बेसिक शिक्षा
- दुर्गा प्रसाद यादव, परिवहन
- ब्रह्मïा शंकर त्रिपाठी, होमगाड्र्स प्रांतीय रक्षक दल
- रघुराज प्रताप सिंह, खाद्य एवं रसद
- इकलाब महमूद, मत्स्य, सार्वजनिक उद्यम
-महबूब अली, माध्यमिक शिक्षा
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निपटाते समय न देखी निकटता
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-बर्खास्तगी की जद में अगड़े, पिछड़े व दलित
-केवल मुस्लिमों पर मुख्यमंत्री रहे मेहरबान
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लखनऊ
बात जब निपटाने की आई तो कोई निकटता काम न आई। निकटता पुरानी थी, इलाकाई थी या फिर सजातीय, नतीजा एक ही रहा। बर्खास्तगी में संतुलन रखा गया और इसमें अगड़े, पिछड़े व दलित सभी शामिल थे। अलबत्ता मुस्लिमों पर मेहरबानी कायम रही और किसी को भी बर्खास्त नहीं होना पड़ा।
सबसे पहले बात बलिया के अंबिका चौधरी की जिन्हें 2012 के विधान सभा चुनाव में पराजित होने के बावजूद विधान परिषद भेजा गया और पहले राजस्व मंत्री और फिर विभाग बदलकर पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री बनाया गया। लोकदल का बंटवारा हुआ तो कुछ दिन चौधरी अजित सिंह के साथ रहने के बाद अंबिका चौधरी अपने सजातीय मुलायम सिंह यादव के साथ आ गए और धीरे-धीरे पायदान चढ़ते गए। सपा विपक्ष में थी तो विधान मंडल दल के मुख्य सचेतक रहे लेकिन बर्खास्तगी को लेकर उन्हें कोई सचेत नहीं कर सका।
अनुसूचित जाति से ताल्लुक रखने वाले कानपुर देहात की रसूलाबाद सीट के विधायक शिव कुमार बेरिया भी सपा के पुराने सिपहसालार थे और पांच बार विधायक बनने के बाद पहली बार मंत्री बने थे। वह अखिलेश मंत्रिमंडल के अनुसूचित जाति के दो कैबिनेट मंत्रियों में थे लेकिन सरकार के पूरे कार्यकाल तक मंत्री नहीं बने रह सके।
बलिया के ही नारद राय छोटे लोहिया जनेश्वर मिश्रा की अंगुली पकड़ कर राजनीति में आए थे और मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री रहे। इस बार कद बढ़ा तो कैबिनेट मंत्री बने लेकिन बर्खास्तगी का अनुमान नहीं लगा सके। भाजपा से तीन बार विधायक व मंत्री रहने के बद शिवाकांत ओझा ने समाजवादी चोला पहन कर प्रतापगढ़ की रानीगंज सीट से चुनाव जीता व लगभग एक साल पहले 'टेक्निकल एजुकेशनÓ मंत्री बने लेकिन मंत्री की कुर्सी बचाने की 'टेक्निकÓ नहीं सीख सके।
सपा प्रमुख के प्रभाव क्षेत्र मैनपुरी की भोगांव सीट के विधायक आलोक शाक्य के पिता राम औतार शाक्य भी मुलायम सिंह यादव के सहयोगी थे और विधायक भी रहे। जातीय संतुलन साधने के लिहाज से सपा प्रमुख शाक्य बिरादरी का समायोजन करते रहे थे लेकिन ये फैक्टर भी उन्हें बचा नहीं सके। बसपा से विधायक बन सपा में आए व राज्य मंत्री बने गोंडा की करनैलगंज सीट के विधायक योगेश प्रताप सिंह सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव व वरिष्ठ मंत्री शिवपाल सिंह यादव से सटने का कोई मौका नहीं चूकते थे लेकिन पता नहीं कौन सी चूक हुई कि कुर्सी चली गई।
बरेली की नवाबगंज सीट से पांचवी बार विधायक बने स्वतंत्र प्रभार के राज्य मंत्री भगवत शरण गंगवार मुलायम सिंह सरकार में भी राज्य मंत्री रहे चुके थे। यह देखना होगा कि सुर्खियों से दूर रहने वाले गंगवार को मंत्री पद गंवाने के बाद किसकी शरण में जाना पड़ता है।
...और आखिर में बात राजा भदावर के नाम से जाने वाले राजा महेन्द्र अरिदमन सिंह की जो छठी बार आगरा की बाह सीट से विधायक हैं। मुलायम सिंह के साथ जनता दल में भी रहे। उनके पिता रिपुदमन सिंह भी कई बार विधायक व मंत्री रहे। कल्याण सिंह, राम प्रकाश गुप्ता, राजनाथ सिंह व मायावती सरकार में मंत्री रहे अरिदमन सिंह पहली बार समाजवादी सरकार में मंत्री बने थे लेकिन उनके साथ वह हुआ जो पहले कभी नहीं हुआ। उन्हें बर्खास्त होना पड़ा।
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-अब मंत्री बनने को लामबंदी तेज
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-खुद को दावेदार मान रहे विधायक, विधान परिषद सदस्य लाबिंग में जुटे
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लखनऊ : अखिलेश यादव के छवि सुधार अभियान के अगले चरण में अब सबकी निगाह मंत्रिमंडल में रिक्त 13 स्थानों पर लगी है। इनमें से कितने पर नए चेहरे शामिल होंगे, किसे तरक्की मिलेगी? यह कयास दिनभर लगते रहे और खुद को दावेदार मान रहे विधायक, विधान परिषद सदस्य अपने पक्ष में लाबिंग करने में भी जुटे रहे।
मिशन 2017 के मद्देनजर अपनी नई टीम तैयार कर रहे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के लिए क्षेत्रीय व जातिगत संतुलन साधने की असल चुनौती होगी। जाहिर है युवाओं व महिलाओं को पर्याप्त प्रतिनिधित्व दे कर अखिलेश वर्ष 2012 के इतिहास को दोहराना चाहेंगे। महिला कोटे में रश्मि आर्य, शादाब फातिमा, गजाला लारी के साथ डॉ.मधु गुप्ता के नाम मंत्रिमंडल में शामिल किये जाने वालों बताया जा रहा है। सुलतानपुर सदर के अरुण वर्मा को मंत्री बनाकर नेतृत्व जिले में मिले अभूतपूर्व समर्थन की संतुष्टि के साथ कुर्मी कोटा भी पूरा कर सकता है। पिछड़ों को साधे रखने के लिए सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव के करीब रहे शारदानंद अंचल के पुत्र जयप्रकाश को मौका मिलने की आस भी जतायी जा रही है, वहीं वरिष्ठ नेता अशोक वाजपेयी को भी मंत्रिमंडल में जगह देकर सदन के भीतर व बाहर का समीकरण बनाने का दांव भी चला जा सकता है। एमएलसी राम जतन राजभर, गढ़मुक्तेश्वर से मदन चौहान, जौनपुर ललई यादव, उन्नाव जिले के उदय राज को भी मंत्री पद मिलने की समर्थक उम्मीद लगाए हैं।
पश्चिम में गुर्जर कोटे से रामसकल गुर्जर की प्रोन्नत करने की चर्चा है तो वीरेंद्र सिंह जैसे बड़े नाम की अनदेखी करना भी आसान न होगा। एमएलसी आशु मलिक की पार्टी के लिए बढ़ती उपयोगिता को देखते हुए उनका दावा मजबूत बनता है तो बागपत में रालोद की काट के लिए सिवालखास क्षेत्र से गुलाम मोहम्मद को लाभ मिल सकता है। पार्टी महासचिव व ग्राम्य विकास राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अरविंद सिंह गोप को प्रोन्नत कर कैबिनेट मंत्री जाने की पूरी संभावना है। सपा सूत्रों का कहना है कि मंत्री पद हासिल करने के लिए लाबिंग कर रहे विधायक गुरुवार की देर रात बड़े-बड़े बंगलों के चक्कर काटते रहे। इसके अलावा मनोज पारस और पवन पाण्डेय को फिर से मंत्री बनाया जा सकता है।
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...और मुलायम कार्यकर्ताओं से मिलते रहे
आठ मंत्रियों की बर्खास्तगी, कई मंत्रियों से विभाग छीने जाने की हलचल के बीच सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने गुरुवार को कार्यकर्ताओं, विधायकों और बिना विभाग के एक मंत्री से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने कार्यकर्ताओं को अभी विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुट जाने का आह्वïान किया और कहा कि युवाओं की मेहनत से फिर सरकार बनेगी। मंत्रिमंडल में फेरबदल की सूची राज्यपाल को भेजने के बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव उड़ीसा के लिए रवाना हो गए और दूसरे प्रभावशाली मंत्री शिवपाल यादव ने दिल्ली की उड़ान भर ली। सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव पार्टी के प्रदेश कार्यालय पहुंचे जहां वह दिनभर कार्यकर्ताओं विधायकों से मिलते रहे। दोपहर बाद माध्यमिक शिक्षा विभाग वापस लिये जाने से बिना विभाग के मंत्री बने महबूब अली सपा मुखिया से मिलने पहुंचे, थोड़ी देर बाद वापस आ गए। पार्टी सूत्रों का कहना है मुलायम ने मुलाकात करने वाले कार्यकर्ताओं को अभी चुनाव की तैयारी में जुटने को कहा है। उन्होंने कहा कि पार्टी युवा वर्ग को पूरा महत्व दे रही है। उनकी मेहनत से ही फिर सरकार बनेगी। कुछ लोगों से उन्होंने लोकसभा चुनाव में हार दर्द भी बयान किया।
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