Sunday 28 February 2016

पेरिस की बेटियों को मिलेगा वीरता पुरस्कार



२७.०२.२०१६
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- फ्रांस (पेरिस), चेन्नई व दिल्ली की पांच बेटियों समेत 40 महिला प्रधान व 20 अन्य क्षेत्रों की महिलाएं होंगी पुरस्कृत
- 11 आशा ज्योति केंद्रों में रिपोर्टिंग पुलिस चौकी की स्थापना के लिए नोटिफिकेशन जारी
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लखनऊ : आधी आबादी को सुरक्षा देने और स्वावलंबी बनाने की मुहिम में जुटी समाजवादी सरकार अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस आठ मार्च को फ्रांस (पेरिस), चेन्नई और दिल्ली की पांच बेटियों को रानी लक्ष्मीबाई पुरस्कार देगी। आशा ज्योति केंद्रों की शुरुआत होगी, इन केंद्रों पर रिपोर्टिंग पुलिस चौकी की स्थापना के लिए राज्यपाल ने नोटिफिकेशन जारी कर दिया है।
पेरिस इंस्टीट्यूट ऑफ पॉलिटिकल साइंसेज की छात्रा जूलियट चॉपिन, जूलियट फिनेटे, चालटो हिनफ्रे भारतीय राजनीति का विज्ञान पर अध्ययन करने वर्ष 2015 में जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) आयी थी,  यूपी की सियासत समझने के लिए ये छात्राएं किराये के आटो रिक्शा ले भ्रमण पर निकली और फिर यूपी के लोगों के 'सहयोगी स्वभावÓ को खूब सराहा। मुख्यमंत्री से मिली और अपना अनुभव साझा किया था। महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के समाजवादी सरकार का प्रयासों को स्टडी का हिस्सा बनाया, जिस पर राज्य सरकार ने इन विदेशी छात्राओं को रानी लक्ष्मी बाई पुरस्कार देने का निर्णय लिया है। इसी तरह जीप से दिल्ली से लंदन तक की 23,800 किलोमीटर लंबे सफर के दौरान उत्तर प्रदेश से गुजरते समय हुए सकारात्मक अनुभव साझा करने वाली निधि तिवारी और काश्मीर से कन्याकुमारी तक अकेले साइकिल यात्रा करने वाली 21 साल की चेन्नई निवासी अनहिता को भी रानी लक्ष्मी बाई पुरस्कार देने का फैसला लिया है। सरकार 40 महिला प्रधानों व 20 अन्य क्षेत्रों की महिलाओं को भी रानी लक्ष्मी बाई पुरस्कार देगी। साथ ही 37 एसिड अटैक पीडि़त महिलाओं को तीन से दस लाख रुपये तक सहायता राशि भी दी जाएगी। महिला कल्याण विभाग की प्रमुख सचिव रेणुका कुमार ने बताया कि आठ मार्च से आशा ज्योति केंद्रों की शुरुआत हो जाएगी। महिला सशक्तिकरण के लिए साइकिल रैली होगी। उस दिन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव व सांसद डिंपल यादव महिलाओं को सहयोग के लिए महत्वपूर्ण योजनाओं की घोषणा करेंगी।
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 महिलाओं को मिलेगी ये सौगातें
-गाजियाबाद, मेरठ, बरेली, आगरा, लखनऊ, कानपुर, इलाहाबाद, वाराणसी, गोरखपुर, गाजीपुर, कन्नौज में आशा ज्योति केंद्रों की शुरुआत।
-प्रत्येक केंद्र में राहत एवं बचाव वाहन की सुविधा, वाहन जीपीएस से लैस होंगे।
-हर केंद्र पर रिपोर्टिंग पुलिस चौकी की सुविधा, जहां  महिला पुलिस कर्मी तैनात होंगी।
-केंद्रों में कौशल विकास कार्यक्रम चलेगा और प्रशिक्षण लेने वालों को रोजगार भी उपलब्ध कराया जाएगा।
-आगरा में एसिड पीडि़तों द्वारा चलाए जा रहे शीरोज हैंग आउट कैफे की ब्रांच खुलेगी। लखनऊ में अंबेडकर स्मारक का स्थान आवंटित किये जाने की घोषणा होगी।
-शार्ट स्टे होम की सुविधा शुरू होगी, इसमें पीडि़त महिलाएं नि:शुल्क रह सकेंगी। कामकाजी या अन्य महिलाएं पेइंग गेस्ट के रूप में रह सकेंगी।
-महिलाओं की मदद के लिए डायल-188 सेवा शुरू होगी जो पुलिस के डायल-100 व डायल-1090 से जुड़ी रहेगी।
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एक दिन, छह करोड़ पौधे, दस हजार बाग

27.02.2016





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'क्लीन यूपी-ग्रीन यूपीÓ
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-मुख्यमंत्री के निर्देश पर शुरू हुईं तैयारियां
-पूरे प्रदेश में चिन्हित हो रहीं पौधशालाएं
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 लखनऊ : सूबे में घटते जल-जंगल से बढ़ती दुश्वारियां कम करने की कोशिशों के तहत एक साथ दस लाख पौधे लगाने की पहल को गिनीज बुक में स्थान मिलने से मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के हौसले बुलंद हैं। अब एक दिन में छह करोड़ पौधे लगा कर दस हजार बाग तैयार किये जाएंगे। छह करोड़ पौधे जुटाने के लिए पौधशालाएं चिन्हित की जा रही हैं।
पर्यावरण असंतुलन के खतरों को चुनौती मान 'क्लीन यूपी-ग्रीन यूपीÓ योजना के तहत बीती सात नवंबर को प्रदेश में एक साथ दस लाख पौधे रोपे गए थे। गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकार्ड में इस अभियान को स्थान मिल गया मगर वन नीति के हिसाब से राज्य में अब भी हरियाली कम है। लिहाजा, सरकार ने दस हजार स्थानों पर एक साथ छह करोड़ पौधे रोपने की योजना तैयार की है। भविष्य में एक साथ दस हजार बाग तैयार करने की मंशा भी है। मुख्यमंत्री कार्यालय ने पौधरोपण के लिए स्थान चयन भी कर लिया है। अभियान में किसानों, विद्यार्थियों और स्वयंसेवी संस्थाओं की मदद ली जाएगी। रोपे गए पौधों को गोद देने की योजना भी है।
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चाहिए 26 फीसद वन भूमि
भारत की वन नीति में पर्यावरण संतुलन के लिए उपलब्ध भूमि का एक तिहाई हिस्सा पेड़-पौधों से भरा होना चाहिये मगर प्रदेश में सिर्फ 8.93 भू-भाग पेड़-पौधों से ढका है जबकि 33 क्षेत्र वन से आच्छादित होना चाहिये। इस तरह अब भी 26 फीसद से अधिक वनाच्छादित क्षेत्र की कमी है।
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दूसरे राज्यों से मंगाएंगे पौधे
एक साथ छह करोड़ पौधों का प्रबंध करना सरकारी मशीनरी के लिए भी चुनौती है। इसलिए आसपास के राज्यों से भी पौधे मंगाने की तैयारी हो रही है। शीशम, कंजी, पाकड़, नीम, अर्जुन, आंवला, चिलबिल, इमली, बरगद, पीपल के अलावा कुछ स्थानों पर आम, सागौन, कैथा, जामुन के पौधे भी रोपे जाएंगे।
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चिकित्सकीय पौधों पर फोकस
राज्य आयुष मिशन सहित विभिन्न विभागों को भी इस अभियान से जोडऩे की तैयारी है। ऐसे पौधे लगाए जाएंगे, जिनका प्रयोग इलाज में किया जा सके। इनमें अश्वगंधा और लिवर के मरीजों के लिए मददगार कालमेघ के साथ आर्टीमीशिया, सर्पगंधा, ब्राह्मïी व हरीतिकी जैसे पौधे लगेंगे जिनसे मलेरिया, रक्तचाप, अवसाद व पेट रोगों से मुक्ति मिलती है।
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Friday 26 February 2016

dalit politics in up at 2014

नई दिल्ली के गुरुद्वारा रकाबगंज रोड पर स्थित बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के केंद्रीय कार्यालय में 30 अक्तूबर को मौजूद पार्टी नेताओं का कोर ग्रुप अपनी राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती के अचानक बदले तेवरों का साक्षी था. यूपी से राज्यसभा जाने वाले पार्टी के दो नेताओं के नाम पर माथापच्ची हो रही थी. पार्टी के भीतर शक्तिशाली ब्राह्मïण लॉबी दो सीटों में से एक पर मायावती सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे नकुल दुबे या विधानपरिषद सदस्य गोपाल नारायण मिश्र को उम्मीदवार बनाने की पुरजोर पैरवी कर रही थी.
लेकिन मायावती ने सबको किनारे कर बीएसपी के पुराने खांटी दलित नेता वीर सिंह एडवोकेट और राजाराम को राज्यसभा चुनाव में पार्टी का टिकट थमा दिया. इस बदले रुख से साफ है कि लोकसभा चुनाव और उसके बाद यूपी में हुए उपचुनाव के नतीजों के बाद मायावती एक बार फिर दलितों की ओर झुकती दिख रही हैं. हालांकि वे कहती हैं, ''दलित जाति के अलावा यदि किसी अन्य जाति के उम्मीदवार को उतारा जाता तो दूसरे वर्ग के लोग नाराज हो जाते. इसीलिए दोनों सीटों पर केवल दलित जाति के उम्मीदवारों को ही टिकट दिया गया है. ''

दलितों को लुभाने की कवायद में कांग्रेस भी पीछे नहीं है. कांग्रेस ने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष पी.एल. पुनिया को अपना उम्मीदवार बनाया. यूपी विधानसभा में 28 विधायकों वाली कांग्रेस के दलित उम्मीवार का समर्थन कर समाजवादी पार्टी (सपा) ने भी दलितों के प्रति अपना झुकाव जाहिर किया.

दलितों की गोलबंदी में जुटे राजनैतिक दलों के बीच बीजेपी भी शांत नहीं है. तीन माह पहले अमित शाह की टीम में राष्ट्रीय महामंत्री का दायित्व संभालने वाले आगरा से सांसद और दलित (धानुक) नेता राम शंकर कठेरिया को नरेंद्र मोदी ने 9 नवंबर को हुए केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार में राज्यमंत्री के रूप में शामिल कर लिया. यह बीजेपी का दलित दांव था.
वास्तव में मई में हुए लोकसभा चुनाव में 72 सीटों के साथ सभी 17 सुरक्षित सीटों पर कब्जा जमाने वाली बीजेपी के साथ दलित मतदाताओं का एक तबका खड़ा दिखा. सितंबर-अक्ïतूबर में 12 सीटों पर हुए विधानसभा उपचुनाव में सपा ने भी दलितों का समर्थन जुटाकर नौ सीटों पर कब्जा जमा लिया. बीएसपी का आधार वोट बैंक माने जाने वाले दलितों के बदले रुख ने दूसरी पार्टियों के लिए उम्मीदें जगा दी हैं. सभी की नजर अब उस दलित वोट पर है.
राज्यसभा के लिए नामांकन दाखिल करते बीएसपी के वीर सिंह
(राज्यसभा के लिए नामांकन दाखिल करते बीएसपी के वीर सिंह)
दलित वोटों की ओर वापसी
लोकसभा चुनाव के नतीजे आते ही मायावती को अपना दलित जनाधार खिसकने का एहसास हो गया था. उन्होंने कहा था, ''लोकसभा चुनाव में दलित तो बीएसपी के साथ चट्टान की तरह खड़ा रहा, लेकिन अपर कास्ट विपक्षियों के बहकावे में आ गया. '' जाहिर है कि मायावती अपर कास्ट  की बात कर रही थीं, लेकिन संदेश दलितों के लिए था. बीएसपी के एक पदाधिकारी कहते हैं, ''चूंकि लोकसभा चुनाव, यूपी में हुए उपचुनाव और हरियाणा, महाराष्ट्र के विधानसभा चुनावों से साफ है कि बीएसपी का दलित वोट बैंक तेजी से दूसरी पार्टियों की ओर खिसका है. यह अगड़ी जातियों को तवज्जो देने का नतीजा है. '' इसी बदलाव को भांपते हुए मायावती ने इंद्रजीत सरोज, आर.के. चौधरी, एमएलसी तिलकचंद अहिरवार, डॉ. राम प्रकाश कुरील और एमएलसी सुनील कुमार चित्तौड़ जैसे पुराने मिशनरी दलित नेताओं को अब आगे किया है. यह विधानसभा चुनावों के लिए उनकी नई रणनीति का संकेत है.
राज्यमंत्री बनाए जाने के बाद राम शंकर कठेरिया का स्वागत
(राज्यमंत्री बनाए जाने के बाद राम शंकर कठेरिया का स्वागत)
माया के हथियार से मुलायम का वार
सरकारी नौकरियों में प्रमोशन में आरक्षण का विरोध कर रही सपा भले ही दलितों के निशाने पर रही हो, लेकिन मुलायम सिंह यादव के एक दांव ने विधानसभा उपचुनाव में समीकरण बदल दिए. मुलायम ने सितंबर में हुए चुनाव में सिराथू विधानसभा की सामान्य सीट पर कभी मायावती के सहयोगी रहे दलित नेता वाचस्पति को उतार कर सबको चौंका दिया था. वाचस्पति ने भारी अंतर से यह सीट सपा के लिए जीत ली. इसी तरह बलहा सुरक्षित विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भी मुलायम ने मायावती के करीबी रहे दलित नेता बंशीधर बुद्घ को ऐन नामांकन वाले दिन मैदान में उतारकर बाजी मार ली थी. राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के दलित उम्मीदवार पी.एल. पुनिया को बिना शर्त समर्थन देना भी इसी रणनीति का हिस्सा था. सपा के वरिष्ठ नेता और कैबिनेट मंत्री शिवपाल सिंह यादव कहते हैं, ''दलितों को सपा सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का सीधा लाभ मिला है. उन्हें समझ में आ गया है कि बीएसपी और बीजेपी ने अब तक केवल उनका इस्तेमाल ही किया है. ''

बीजेपी ने शुरू की घेराबंदी
लोकसभा चुनाव में मिले दलितों के समर्थन से सभी 17 सुरक्षित सीटें जीतने वाली बीजेपी ने 2017 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए अपनी तैयारी शुरू कर दी है. 5 नवंबर को राष्ट्रीय अनुसूचित मोर्चा के गठन में यूपी के दलित चेहरों को तवज्जो दी गई है. जाटव समाज से आने वाले दिवाकर सेठ को अनुसूचित मोर्चे का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाकर बीजेपी ने पश्चिमी यूपी में बीएसपी के वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश शुरू कर दी है. 1993 और 1996 के विधानसभा चुनाव में तकरीबन आधी सुरक्षित सीटें जीतने वाली बीजेपी का ग्राफ अचानक वर्ष 2002 के विधानसभा चुनाव से गिरने लगा था. (देखें बॉक्स) बीजेपी अनुसूचित जाति मोर्चे के पूर्व öदेश अध्यह्न रामनरेश रावत कहते हैं, ''मायावती को समर्थन देने के बाद से पार्टी से जुड़े दलित छिटककर बीएसपी की ओर चले गए थे. '' अब पार्टी ने दलित बस्तियों में वाल्मीकि, रैदास, ज्योतिबा फुले और डॉ. आंबेडकर का जन्मदिवस मनाने का निर्णय लिया है और पश्चिमी यूपी की दंगा पीडि़त दलित बस्तियों में 'समरसता सम्मेलन' की शुरुआत की जा रही है.
यूपी में सुरक्षित सीटों पर बदलता रहा है दलितों का मिजाज
कांग्रेस ने भी डाले डोरे
कांग्रेस ने अपने दलित चेहरे पी. एल. पुनिया को राज्यसभा में पहुंचाकर यूपी में दलितों का समर्थन बटोरने के लिए चल रही जोर-आजमाइश को चतुष्कोणीय बना दिया है. ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के अनुसूचित जाति विभाग के चेयरमैन के. राजू कहते हैं, ''दलितों का विश्वास जीतने के लिए अनुसूचित जाति विभाग प्रदेश में पहले दलित लीडरशिप को आगे बढ़ाएगा.'' यूपी में पुनिया की निगरानी में कांग्रेस कार्यकर्ता फिलहाल यह पता लगाने में जुट गए हैं कि प्रदेश में दलितों की कितनी जमीन पर अवैध कब्जे हुए हैं. इसके बाद पार्टी एक श्वेत पत्र जारी कर दलित शोषण की घटनाओं का खुलासा करेगी.

बहरहाल यूपी में दलितों की कुल 66 उपजातियां हैं, जिनमें महज आधा दर्जन को ही राजनैतिक मंचों पर जगह मिल रही है. शेष अब भी हाशिए पर हैं. सभी पार्टियों की निगाह अब उन पर पर टिकी है. आने वाले दिनों में भारत में दलित राजनीति और भी गंभीर उथल-पुथल और बदलावों की गवाह बन सकती है.


और भी

Thursday 25 February 2016

Elections: samajwadi party

पूरी ठाकुर की जयंती पर नेताजी मुलायम सिंह यादव 25 वर्ष बाद जब कारसेवकों पर गोलीबारी के लिए भावुक होकर दुख जताते हैं तो यह दुख यूं ही नहीं झलकता बल्कि इसके नेपत्थ्य में 2017 में होने वाले विधानसभा चुनाव हो सकते हैं। लोकसभा 2014 के चुनावों में अपनों से मिली सजा और भाजपा से करारी शिकस्त ने नेताजी को बेचैन कर रखा है जो जब-तब बाहर आती है। सार्वजनिक मंच से कहते हैं कि यह जनता है किनारे कर देगी। सपा कार्यकर्ताओं को नेताजी डांट लगाते हैं कि जनता के बीच में जाकर सरकार के कामकाज बताओं 2017 के लिए मुख्यमंत्री अखिलेश भी आश्वस्त नहीं दिखते हैं। सपा में दूसरे नम्बर की हैसियत रखने वाले मुलायम के छोटे भाई शिवपाल प्रदेश में गठबंधन की राजनीति से इनकार नहीं करते वे बिहार की तर्ज पर यूपी में भी गठबंधन की वकालत करते हैं। यह सब यंू ही नहीं है बल्कि 2017 में सत्ता की पुन: वापसी की कोशिशे हैं। ठीक एक वर्ष बाद 2017 के यूपी विधानसभा के चुनाव हैं। प्रदेश की लगभग सभी पार्र्टियों ने चुनावी तैयारियां भी शुरू कर दी है। सूबे में रालोद और कांग्रेस जैसी पार्टियां जहां बिहार की तर्ज पर महागठबंधन के विकल्प तलाश रही ं है तो वही बसपा भाजपा और सत्ता सीन सपा खामोशी से समय का इंतजार कर रही है । लेकिन अंदर खाने सभी ने 2017 की तैयारी शुरू कर दी है। समाजवादी पार्टी अखिलेश यादव के नेतृत्व में फिर से युवा जोश के नारे के साथ मैदान में उतरेगी जिसकी झलक यूपी के वर्तमान 2016-17 के बजट में साफ दिखाई दी। अखिलेश यादव सरकार में कई अच्छी योजनाओं पर काम हुआ है लेकिन वे योजनाएं जमीनी धरातल पर अपनी छाप छोडने में असफल रही हैं। फिर भी पिछले चार वर्षों में सपा सरकार में कई ऐसे कार्य भी हुए जिन्हें अखिलेश की उपलब्धि माना जाएगा। चाहे मेट्रो हो या लखनऊ आगरा एक्सप्रेस वे या फिर स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार विकास की अनेक योजनाएं परवान चढी लेकिन प्रदेश की कानून व्यवस्था बेहतर करने में अखिलेश नाकाम साबित हुए। विपक्षी दल कानून व्यवस्था को ही मुद्दा बनाकर चुनाव में सपा सरकार को घेरेंगे । जैसा कि प्रदेश की मुख्य विपक्षी दल बसपा की सुप्रीमों मायावती ने अपने 60 वें जन्मदिन पर संकेत भी दे दिए हैं। भाजपा भी लगभग कानून व्यवस्था को ही मुद्दा बनाएगी। कानून व्यवस्था के अलावा राज्य में कृषि संकट खासकर बुंदेलखण्ड में सूखा और पश्चिमी यूपी में गन्ना किसानों की समस्याओं सम्प्रदायिक घटनाएं और सपा सरकार से मायूस विभिन्न संगठनों की समस्याएं 2017 के विधानसभा चुनाव में सपा के लिए घातक साबित हो सकती है। कुछ लोग तो समाकजवादी पार्टी को लडाई से ही बाहर बता रहे हैं। उन लोगों का कहना है कि अगला चुनाव बीजेपी बनाम बीएसपी होगा।
मुस्लिमों का मोहभंग बढाएगा पेरशानी
सपा का पारंपरिक वोट बैंक मुस्लिम मतदाता का पार्र्टी से मोहभंग हो रहा है मुस्लिम अब अपने आपको सपा सरकार में असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। चाहे पश्चिम यूपी मुज्फफरनगर का दंगा हो या नोएडा में अखलाक की हत्या का फिर अन्य साम्प्रदायिक घटनाएं अखिलेश सरकार मुस्लिमों का ेयह संदेश देने में नाकाम रही कि वह आज भी उसके साथ मजबूती से खडी है। यही नहीं मुलायम का कपूरी ठाकुर की जयंती पर दिया गया कारसेवकों पर गोलीबारी का बयान भी मुस्लिमों में सपा के लिए अविस्वास पैदा करता है। ऐसे में मुस्लिम मत सपा से खिसकर बसपा की ओर जा सकते हैं।
‘‘मै कारसेवकों पर गोली चलवाने के लिए दुखी हूं लेकिन यह धार्मिक स्थल को बचाने के लिए जरूरी था’’ मुलायम सिंह यादव
त्रिकोणीय मुकाबले के आसार लेकिन माया आगे
अगले वर्ष 2017 में होने वाले विधानसभा चुनावों में बसपा अन्य पार्टियों एवं सपा को शिकस्त देती हुई नजर आ रही है। फिर भी मेरा मानना है कि सपा को लडाई से बाहर रखना जल्दबाजी होगी। सपा अपने विकास और विकास योजनाओं को आगे करके चुनाव में जनता के बीच जाएगी तो विपक्षी दल बसपा और भाजपा सूबे की कानून व्यवस्था और अन्य मुद्दों को अपना हथियार बनाएंगे। वहीं कांग्रेस और रालोद प्रदेश में साम्प्रदायिकता कट्टरता और किसानों की किसानों की समस्याओं के मुद्दे पर चुनाव में कूदेंगे। कुल मिला कर 2017 का विधानसभा चुनाव बहुत ही दिलचस्प होन की उम्मीद है। सूबे में मुख्य लडाई सपा भाजपा और बसपा के बीच ही दिखाई दे रही है। इन तीनों पार्टियों में बसपा सत्ता के ज्यादा करीब लग रही है उसका कारण है मायावती की छवि। भाजपा के पास यूपी के नेतृत्व के लिए कोई खास चेहरा नहीं है और अखिलेश अति विनम्र छवि के पड जाते हैं। इसमें कोई शक नही ं है कि चुनाव में सबसे बडा और मुख्य मुद् दा कानून व्यवस्था ही होगा। मायावती का बेहतर प्रशासनिक रिकार्ड और कानून व्यवस्था पर पकड उन्हें अपने विरोधियों से ऊपर कर देता हैत्र इसके अलावा पूर्व में मोहभंग हुई दलित जातियां फिर एक जुट होकर बसपा की ओर लौट रही है। ग्रामीण इलाकों में बंदूक की नोक पर गुंडाराज करने वालों से आजिज अन्य अगडी और पिछडी जातियां भी प्रदेश में नया मुख्यमंत्री चाहते हैं। मुस्जिलमों को सपा से संरक्षण की उम्मीद भी लेकिन सपा भी भगवा बिगेड से उनकी सुरक्षा करने में विफल रही। वहीं लोकसभा चुनावों में तमाम पार्टियों को अपने तिलिस्म से बौना बना देने वाली भाजपा के पास यूपी में मायावती के कद के अनुरूप चेहरे की कमी है। दूसरी ओर केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार का अभी तक का कामकाज भी कुछ खास नही ं रहा है जिसका खामियाजा भाजपा को यूपी के विधानसभा चुनावों में भुगतना पड सकता है। यूपी में भाजपा के पास रामम्ांदिर को लेकर हिन्दुओं की लामबंदी के खिलाफ कोई खास कार्ड नहीं बचा जिसके सहारे वह चुनाव लड सके। समाजवादी पार्टी को सत्ता का विरोध भी सहना पडेगा। कई अच्छी योजनाओं को भुनाने की कोशिश होगीतो कानून व्यवस्था सूखा बेरोजगारी और मुस्लिम को नजरअंदाज करना भारी पड सकता है। कुल मिलाकर मुकाबला त्रिकोणीय होने की उम्मीद है लेकिन इस मुकाबले में भी बसपा सबसे आगे रह सकती है। वही ंरालोद पश्चिमी यूपी में किसानो ंऔर जाट गुर्जरों को अपने पक्ष में कर सकता है।
हावी रहेगी आरक्षण मंदिर मुद्दा और जातिय राजनीति
बिहार चुनावों की तरह यूपी में भी आरक्षण और जाति की राजनीति चुनावों में हावी रहेगी। खासकर बसपा आरक्षण मुद्दे को अपना मुख्य हथियार बनाकर दलित जातियों को प्रमोशन में आरक्षण और अगडी जातियों के गरीबों को आर्थिक आधार पर आरक्षण की मांग कर सवणों को अपने पक्ष में करने की जुगत करेगी जिसका संकेत मायावती राज्यसभा में गरीब सवर्णों के लिए संविधान संशोधन के जरिए आरक्षण की मांग करके दे चुकी है। सपा भी लालू की तरह आरक्षण मुद्दे को भुनाने की कोशिश कर सकती है वही ंभाजपा राममंदिर मुद्दे को धार देकर तथा प्रदेश में अम्बेडकर की प्रतिमाओं के जीर्णोधार के सहारे दलित और हिन्दुओं को अपने पक्ष में करने की कोशिश करेगी।
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2012 के विधान सभा चुनावों के आंकडे
सपा: सत्तासीन बहुजन समाज पार्टी को शिकस्त दे 224 सीटें जीती और 29.15 प्रतिशत मत प्राप्त किया। 2007 के विधानसभा चुनावों में सपा की 97 सीटें थीं।
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बसपा:2007 में मिलीं 206 सीटों से सिमटकर सिर्फ 80 सीटें जीती वहीं मत प्रतिशत 36.2७ से खिसककर सिर्फ 25.91 प्रतिशत रह गया।
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भाजपा: 2007 में 51 सीटें और 23.05 प्रतिशत वोट प्राप्त किया लेकिन 2012 में 47 सीटें और मात्र 15 प्रतिशत वोट मिले।
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कांग्रेस: 2007 में सिर्फ 22 सीटैं मिली और 21.60 प्रतिशत वोट मिले जबकि 2012 में सीटे बढ़कर 28 हुर्इं लेकिन मत प्रतिशत गिरकर मात्र 11.63 रह गया।
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रालोद: 2007 में 10 विधायक जीते लेकिन 2012 में एक सीट का नुकसान सहना पड़ा , 9 विधायक जीते
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Saturday 13 February 2016

azam k bol_ समाजवादी पार्टी में आजम

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१३ फरवरी २०१६
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जेएनयू में कोई राष्ट्रद्रोही नहीं हो सकता: आजम

रामपुर  में बोलेः  नगर विकास मंत्री आजम खां ने जेएनयू प्रकरण में लगे आरोपों को गलत करार देते हुए कहा कि जेएनयू के लोग कोई ऐसी बात कह ही नहीं सकते जो राष्ट्र के खिलाफ हो। भाजपा देश में केसरिया शिक्षा लागू करना चाहती है इसलिए भाजपा ने अपने एजेंट््स घुसाकर देश विरोधी नारे लगवाए।
शनिवार को मीडिया से बात करते हुए आजम ने कहा कि जो बात बीजेपी कह रही है, सच नहीं है। जांच होनी चाहिए। जेएनयू तो बहुत सेक्युलर यूनिवर्सिटी का नाम है, वो लोग कोई ऐसी बात नहीं कह सकते जो राष्ट्र के खिलाफ हो। भाजपा ने अपने एजेंट््स घुसाकर ऐसे नारे लगवाए हैं। सरकार जेएनयू को बंद करना चाहती है, जैसे एएमयू और जामिया के साथ हुआ। एजुकेशन पैटर्न को बदलना है, केसरिया शिक्षा हो, ऐसी कोशिश है। यदि बिहार और दिल्ली में भाजपा को झटका न लगा होता तो वह पूरे देश का नक्शा बदल चुकी होती।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पाकिस्तान यात्रा के बारे में फिर पुराना राग अलापते हुए आजम ने कहा कि प्रधानमंत्री ने एक दिन अफगानिस्तान से उड़ान भरी और पाकिस्तान पहुंच गए। यह अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन हुआ। दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश का प्रधानमंत्री जब घर से बाहर निकलता है, तो इंटेलीजेंस की क्लीयरेंस होती है। कोई भी कार्यक्रम खुद दिल्ली के अंदर उस वक्त तक मैच्योर नहीं हो सकता, जब तक इंटेलीजेंस की क्लीयरेंस न हो। बगैर सिक्योरिटी क्लीयरेंस के भारत के प्रधानमंत्री के जाने का मतलब जाहिर है। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान का नौ साल का बच्चा रॉकेट लांचर से जहाज गिराता है, ऐसे में सवाल उठता है कि  इन हालात के लिए किसने मजबूर किया, रूस ने या अमेरिका ने। जो लोग अपने टारगेट पूरे करने के लिए जिस्म पर बम लगा लेते हों उनके सामने एक दिन नहीं बल्कि दस बीस सौ साल आगे का भविष्य होता है। हमारे यहां तो बड़े हादसे हुए हैं। दुनिया ने भी बहुत से लोगों को मरते देखा है। अब्राहम ङ्क्षलकन, बापू, कैनेडी के साथ भी हादसा हुआ था। हमारी आंखों में इतनी दूरदर्शिता नहीं है, तो हमें बड़ी गद्दियों पर बैठने का कोई हक नहीं होना चाहिए। इन्दिरा गांधी की हत्या के बाद क्या नतीजा हुआ, किसे नहीं मालूम राजीव गांधी के साथ क्या हुआ, लेकिन अगर हम इतिहास को भूलकर नई गलती करेंगे तो परिणाम अच्छे नहीं होंगे। आजम ने कहा कि दो मिनट के लिए सोचिए कि अगर भारत के प्रधानमंत्री के साथ कोई हादसा हो गया होता, तो आज हिन्दुस्तान की शक्ल क्या होती।  सिर्फ एक पूंजीपति के कहने से देश के प्रधानमंत्री बगैर किसी सूचना के पाकिस्तान चले जाएंगे, ये हिन्दुस्तान ने क्यों नहीं सोचा। कोई और देश होता बगावत हो जाती। एक मिनट कोई गद्दी पर बैठने की इजाजत नहीं देता। 

आइएएस प्रदीप शुक्लाः एनआरएचएम घोटाला


१० फरवरी २०१६
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एनआरएचएम घोटाला : प्रदीप शुक्ला फिर गए जेल
जासं, गाजियाबाद : एनआरएचएम घोटाले के आरोपी वरिष्ठ आइएएस अधिकारी प्रदीप शुक्ला को सीबीआइ अदालत ने जेल भेज दिया। अभी तक घोटाले के तीन मामलों में स्वास्थ्य का हवाला देकर प्रदीप जमानत पर थे। जेल जाने के आदेश सुनने के बाद व्हील चेयर पर बैठे प्रदीप शुक्ला काफी परेशान नजर आए। इस मामले में उन्होंने जमानत की अर्जी लगाई थी। अदालत ने जेल भेजते हुए 12 फरवरी को जमानत पर सुनवाई की तिथि सुनिश्चित की है।
डॉ. एसपी राम जेल से बाहर : एनआरएचएम घोटाले के आरोपी व परिवार कल्याण एवं स्वास्थ्य के पूर्व महानिदेशक डॉ. एसपी राम को जमानतदार मिलने से बुधवार को जेल से बाहर आ गए। डॉ. राम घोटाले में चार साल पहले डासना जेल में बंद थे। सीबीआइ अदालत ने दस लाख जमा कराने के साथ ही पचास-पचास हजार रुपये बांड के आठ जमानतदार पेश करने का आदेश दिया था।
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प्रदीप शुक्ला पर फिर लटकी निलंबन की तलवार
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 लखनऊ : एनआरएचएम घोटाले में उत्तर प्रदेश कैडर के आइएएस अधिकारी प्रदीप शुक्ला के जेल जाने से फिर उन पर निलंबन की तलवार लटकने लगी है। कार्मिक विभाग के नियमों के मुताबिक जेल जाने के 48 घंटे के अन्दर संबंधित अधिकारी को निलंबन किया जाना जरूरी होता है।
उत्तर प्रदेश के बहुचर्चित एनआरएचएम घोटाले में आरोपित होने पर 11 मई 2012 को 1981 बैच के आइएएस अधिकारी प्रदीप शुक्ला को सीबीआइ ने गिरफ्तार किया था, निर्धारित अवधि में आरोप पत्र दाखिल नहीं होने पर अदालत ने उन्हें जमानत दे दी थी, बाद में अदालत ने ही जमानत खारिज कर दी थी, दो साल जेल में रहने के बाद बीमारी के चलते जमानत मिली और तीन जुलाई 2015 को सरकार ने उन्हें बहाल करते हुए राजस्व परिषद के सदस्य पद पर तैनात कर दिया था। बाद में उन्हें सामान्य प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव पद पर नियुक्त किया गया।बुधवार को जमानत खारिज होने के बाद जेल भेजे जाने से अब उन पर निलंबन की तलवार लटक गयी है। कार्मिक व अखिल भारतीय सेवा नियमावली के मुताबिक किसी अधिकारी के आपराधिक मामले में गिरफ्तार होने के 48 घंटे के अंदर निलंबित करना आवश्यक होता है। शासन के अधिकारियों का कहना है कि अभी तक उन्हें प्रदीप शुक्ला के जेल भेजे जाने की कोई जानकारी नहीं है। अदालत या जेल से जानकारी मिलने पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।


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१२ फरवरी २०१६
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वरिष्ठ आइएएस प्रदीप शुक्ला को मिली जमानत
गाजियाबाद : एनआरएचएम घोटाले के आरोपी व वरिष्ठ आइएएस अधिकारी प्रदीप शुक्ला को आरओ घोटाला मामले में सीबीआइ कोर्ट से जमानत मिल गई। शुक्रवार को सीबीआइ कोर्ट की विशेष जज जी. श्रीदेवी ने पचास लाख रुपये जमा कराने और पचास-पचास हजार रुपये के दो जमानती पर शारीरिक अस्वस्थता के आधार पर जमानत दी। शुक्ला दस फरवरी को आरओ घोटाले के मामले में जेल गए थे। व्हील चेयर पर अदालत में पहुंचे शुक्ला को तीन मामलों में सुप्रीम कोर्ट से पहले ही जमानत मिल चुकी है। शारीरिक रूप से अस्वस्थ होने के कारण उन्हें पेशी पर आने से छूट भी मिली थी, लेकिन दस फरवरी को जमानत पर सुनवाई न हो पाने के कारण उन्हें जेल जाना पड़ा था।

सपा-अमर सिंहः अमर पर 'दिल डिप्लोमेसी

११ फरवरी २०१६

अमर पर 'दिल डिप्लोमेसी
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-शिवपाल बोले-'ये दिल है, दिल का क्या कहिएÓ
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लखनऊ : आंदोलनों, बलिदानों का हरदम गीत गुनगुनाने वाली समाजवादी पार्टी राज्यसभा के पूर्व सदस्य अमर सिंह को लेकर 'दिल डिप्लोमेसीÓ की राह चल रही है। पार्टी में नहीं होने के बावजूद लोकनिर्माण मंत्री शिवपाल यादव की सालगिरह के बधाई पोस्टरों में अमर सिंह की प्रमुखता से मौजूदगी के सवाल पर शिवपाल ने भी कह दिया-'ये दिल है, दिल का क्या कहिए, किसी पर भी आ सकता है।Ó
दो फरवरी 2010 को पार्टी से निकाले जाने के बाद राज्यसभा के पूर्व सदस्य अमर सिंह अक्टबूर 2014 में सपा के मंच पर नजर आए थे। तब उन्होंने कहा था कि 'मुलायम के व्यक्तिगत आमंत्रण पर आया हूं।Ó उसके बाद कुछ-कुछ समय के अंतराल में अमर सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, मंत्री शिïवपाल यादव से मिलते रहे, लिहाजा पार्टी में उनके शामिल होने को लेकर कयासों का दौर भी चलता रहा।
बीती 29 जनवरी को इटावा में मुलायम ने कहा, 'अमर सिंह भले दल में नहीं हैं, मगर मेरे दिल में बसे हैं। पार्टी से उन्हें निकाल दिया था, मगर दिल से नहीं निकाला है।Ó अगले ही दिन अखिलेश ने कन्नौज में कहा कि 'नेताजी ने कह दिया है कि अमर सिंह दिल में हैं तो फिर वह दिल में हैं।Ó अब गुरुवार को सपा मुख्यालय में 'भावों के वातायन से-शिवपाल सिंहÓ शीर्षक पुस्तक के विमोचन के दौरान शिवपाल से सवाल हुआ कि आपको जन्मदिन की बधाई देती होर्डिंगों में अमर प्रमुखता से हैं मगर आजम गायब हैं? आजम के हिस्से का सवाल टालते हुए जवाब आया कि 'वह दिल में हैं।Ó जाहिर है, पहले दिल फिर होर्डिंग से होते हुए अमर को दल में दाखिल कराने की राह बनायी जा रही है।

वर्ष २०१२- के बाद दुनिया छोड़ने वाले सपा के नेताः एक और समाजवादी नहीं रहा

नौ फरवरी सपा २०१६
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एक और समाजवादी नहीं रहा
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नोट: दो और विधायकों के नाम जोड़े गये हैं।
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नोट : सेंट्रल डेस्क से जारी खबर-उत्तर प्रदेश के मंत्री का मेदांता में निधन, के साथ पैकेज करें।
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-समाजवादी पार्टी ने चार साल में दस नेता खोये
-मुख्यमंत्री अखिलेश, सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह ने जताया दुख
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राज्य ब्यूरो, लखनऊ : पंचायतीराज मंत्री कैलाश यादव का निधन समाजवादी पार्टी के लिए दसवां झटका है। चार साल के अंतराल में पार्टी ने चार मंत्री, चार विधायक, दो राज्यसभा सदस्य खोये हैं। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव व शिवपाल यादव ने मंत्री कैलाश यादव के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है।
समाजवादी सरकार के सत्ता संभालने के एक माह बाद ही राज्यसभा सदस्य व समाजवादी चिंतक बृजभूषण तिवारी का निधन हो गया। कुछ माह बादखेलकूद एवं युवा कल्याण मंत्री कामेश्वर उपाध्याय स्वर्गवासी हो गए। सितंबर 2013 में पार्टी के रणनीतिकार व राज्यसभा सदस्य मोहन सिंह का निधन हो गया। नवंबर 2013 में पूर्व मंत्री व रानीगंज के विधायक राजाराम पाण्डेय का निधन हो गया। अगस्त 2015 में नगर विकास एवं अल्पसंख्यक कल्याण राज्यमंत्री चितरंजन स्वरूप का निधन हुआ। उसके एक माह बाद कम्युनिस्ट आंदोलन से सियासत में आये और बीकापुर से समाजवादी विधायक मित्रसेन यादव का निधन हो गया। पार्टी इस गम से उबर पाती है, उसे पहले अक्टूबर 2015 में ग्रामीण अभियंत्रण मंत्री राजेन्द्र सिंह राणा का देहांत हो गया। इससे पहले दिसंबर 2013 में फतेहपुर सदर के विधायक कासिम हसन और फिर उन्नाव के विधायक दीपक कुमार का निधन हुआ था।
अब मंगलवार को पार्टी के पंचायतीराज मंत्री कैलाश यादव का भी साथ छूट गया। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव व सपा  अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने इसे पार्टी की अपूर्णनीय क्षति ठहराया है। विधान परिषद के सभापति ओम प्रकाश, विधानसभा के अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय, मंत्री आजम खां, मनोज पाण्डेय, शाहिद मंजूर, इकबाल महमूद, अरविंद सिंह गोप ने भी कैलाश  यादव के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है।
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ग्राम प्रधान से शुरू किया राजनीतिक सफर
जासं, गाजीपुर : सदर कोतवाली के जैतपुरा गांव में किसान लुट्टू यादव व मतिया देवी के घर 10 जुलाई 1951 में कैलाश यादव का जन्म हुआ। स्नातक करने के बाद वह सक्रिय राजनीति में कूदे। 1988 में अपने गांव के प्रधान चुने गए। इसके बाद समाजवादी पार्टी में सक्रिय हो गए। वर्ष 1996 में वह जिला पंचायत का चुनाव जीते। इसी वर्ष विधानसभा चुनाव में सपा के टिकट पर शानदार जीत दर्ज कर विधायक बने। 2003 में दोबारा विधायक बन मुलायम सरकार में राजस्व व औद्यौगिक विकास मंत्री बने। 2007 में विधान सभा चुनाव हारने के बाद वह 2012 में तीसरी बार बतौर विधायक चुने गए। अखिलेश सरकार में पहले उन्हें खादी ग्रामोद्योग मंत्री फिर कुछ दिनों बाद पंचायतीराज मंत्रालय सौंपा दिया गया था। उनके निधन की खबर से जिले में शोक की लहर दौड़ गई।
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कुछ यूं घूमा लोकायुक्त की नियुक्ति का कालचक्र

२८ जनवरी २०१६

ध्यानार्थ: नये लोकायुक्त की चुनौती से जुड़ी एक खबर और मिलेगी
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कुछ यूं हुआ पटाक्षेप
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जून 2012: लोकायुक्त की जांच में आरोपित हुए पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी के अधिवक्ता सईद सिद्दीकी ने लोकायुक्त अधिनियम में संशोधन को चुनौती देती याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल और नसीमुद्दीन के खिलाफ संस्तुतियां खारिज करने की गुहार लगायी।
-दो साल के अंतराल में कई दौर की सुनवाई हुई और शपथ पत्र दाखिल करने का सिलसिला चला।
24 अप्रैल 2014: देश की सबसे बड़ी अदालत के तीन जजों की पीठ ने लोकायुक्त अधिनियम में संशोधन पर रजामंदी जतायी, मगर यह भी कहा कि लोकायुक्त एनके मेहरोत्रा का कार्यकाल पूरा होने के छह माह के अंदर नए लोकायुक्त का चयन की प्रक्रिया शुरू की जाए।
15 मार्च 2014: लोकायुक्त का कार्यकाल पूरा होते गी नई नियुक्ति के लिए सुप्रीम कोर्ट में दो याचिकाएं दाखिल हुईं।
मई 2015: सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की पीठ ने
 लोकायुक्त नियुक्त नहीं होने पर अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की चेतावनी दी।
11 जून 2015:  राज्यपाल राम नाईक ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य और लोकायुक्त एनके मेहरोत्रा को पत्र लिखकर लोकायुक्त व उपलोकायुक्त नियुक्त करने का सुझाव दिया।
5 अगस्त 2015: सरकार ने न्यायमूर्ति रविन्द्र सिंह को लोकायुक्त नियुक्त करने का प्रस्ताव राजभवन भेजा गया।
6 अगस्त 2015: राज्यपाल राम नाईक ने कतिपय आपत्तियों के साथ सरकार का प्रस्ताव बिना मंजूरी के ही वापस भेज दिया।
7 अगस्त 2015: लोकायुक्त अधिनियम के नियमों का हवाला देकर राज्य सरकार ने न्यायमूर्ति रविन्द्र सिंह की नियुक्ति का प्रस्तावन दोबारा राजभवन भेजा, इसे राजभवन ने लौटा दिया।
20 अगस्त 2015: राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को पत्र लिख चयन समिति में सामंजस्य बनाकर नाम चुनने का सुझाव दिया।
25 अगस्त 2015: राज्यपाल राम नाईक ने रविन्द्र सिंह को लोकायुक्त नियुक्त करने से इंकार करते हुए नया नाम मांगा
27 अगस्त 2015: विधानमंडल ने लोकायुक्त अधिनियम में संशोधन का बिल पास किया, जिसमें लोकायुक्त चयन समिति से से हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की भूमिका खत्म कर दी गयी थी।
29 अगस्त 2015: विधानमंडल से पारित बिल राजभवन भेजा गया, मगर राज्यपाल ने उस पर हस्ताक्षर नहीं किए।
सितंबर 2015: सुप्रीम कोर्ट ने लोकायुक्त नियुक्त नहीं कर पाने पर मुख्य सचिव का व्यक्तिगत हलफनामा मांगा
27 सितंबर 2015: लोकायुक्त चयन के लिए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, मुख्य न्यायाधीश डॉ.डीवाई चन्द्रचूड़ व नेता प्रतिपक्ष स्वामी प्रसाद की बैठक बुलाई गई, जिसमें न्यायमूर्ति चन्द्रचूड़ ने अधिनियम संशोधन बिल राजभवन में लंबित होने पर सांविधानिक स्थिति जानने का सुझाव दिया।
-14 दिसंबर 2015: सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति रंजन गोगोई व न्यायमूर्ति रमन्ना की पीठ ने 16 दिसंबर तक लोकायुक्त नियुक्त करने का निर्देश दिया
-15 दिसंबर 2015: चयन समिति के तीनों सदस्यों ने पांच घंटे की मैराथन बैठक हुई मगर किसी नाम पर एकराय बनी
-16 दिसंबर 2015: सुबह की पाली में किसी नाम पर सहमति नहीं बनने पर शाम पांच बजे फिर से बैठक का निर्णय हुआ। मगर दोपहर में न्यायमूर्ति रंजन गोगोई व न्यायमूर्ति एवी रमन्ना ने अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए न्यायमूर्ति वीरेन्द्र सिंह यादव को लोकायुक्त नियुक्त कर दिया।
-16 दिसबंर 2015: हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने राज्यपाल को चिट्ठी लिखी, जिसमें सुप्रीम कोर्ट को गुमराह करने का जिक्र था।
-17 दिसंबर 2015: सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के क्रम में वीरेन्द्र सिंह को लोकायुक्त नियुक्त करने का प्रस्ताव राजभवन भेजा
17 दिसंबर 2015: राज्यपाल राम नाईक ने मुख्य न्यायाधीश के 16 दिसंबर के पत्र की प्रति मुख्यमंत्री व स्वामी प्रसाद मौर्य को भेजी।
-18 दिसंबर 2015: हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति तीरथ सिंह ठाकुर से मुलाकात की।
-18 दिसंबर 2015: राज्यपाल राम नाईक ने वीरेन्द्र सिंह को लोकायुक्त पद की शपथ दिलाने की तिथि 20 दिसंबर निर्धारित की।
-19 दिसंबर 2015: अधिवक्ता सच्चिदानंद गुप्ता ने राज्य सरकार पर शीर्ष अदालत को गुमराह करने का इल्जाम लगाते हुए वीरेन्द्र सिंह की नियुक्ति रद करने की गुहार लगायी
-19 दिसंबर 2015: शीर्ष अदालत की अवकाश कालीन पीठ ने वीरेन्द्र सिंह के शपथ ग्र्रहण पर रोक लगा दी और चार जनवरी को सुनवाई की तिथि निर्धारित की।
-1 जनवरी 2016: मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने राज्यपाल के लिखे पत्रों का जवाब देते हुए कहा कि जस्टिस वीरेन्द्र सिंह के नाम लगातार चर्चा में रहा। नेता प्रतिपक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य की भी इसमें सहमति थी।
4 जनवरी 2016: भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति तीरथ सिंह ठाकुर की पीठ ने वीरेन्द्र सिंह की शपथ ग्र्रहण पर रोक बरकरार रखते हुए मामले की सुनवाई का जिम्मा जस्टिस रंजन गोगोई की पीठ को सौंपा।
6 जनवरी 2015: विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य ने राज्यपाल व हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को लिखे पत्र में सफाई देते हुए कहा कि उन्होंने किसी भी नाम पर सहमति नहीं जतायी थी।
19 जनवरी 2016: कोर्ट में सुनवाई हुई मगर वह किसी मुकाम तक नहीं पहुंची
-20 जनवरी 2016: शीर्ष अदालत ने फैसला सुरक्षित किया मगर कहा कि लोकायुक्त की नियुक्ति वही करेंगे
-28 जनवरी 2016: न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने अपना फैसला सुनाया जिसमें वीरेंद्र सिंह की नियुक्ति रद कर दी गयी और हाईकोर्ट के सेवानिवृत न्यायमूर्ति संजय मिश्र को उत्तर प्रदेश का नया लोकायुक्त नियुक्त किया गया।
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लोकायुक्त में शिकायत का तरीका
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कोषागार में दो हजार रुपए की राशि जमा करनी होगी है, इसके अलावा मुफ्त मिलने वाली एक पुस्तिका पर बने फार्म के प्रारूप में तीन प्रतियां लोकायुक्त कार्यालय में जमा करनी होती है। इसके साथ नोटरी से सत्यापित हलफनामा देना होता है, जिसमें शिकायत कर्ता का नाम, पता, फोन नम्बर के साथ आरोपों का ब्यौरा दर्ज किया जाता है। शिकायत के साथ ही इल्जामों के समर्थन में साक्ष्य की सत्यापित प्रति भी लगायी जाती है। इस पर लोकायुक्त शिकायतकर्ता को बुलाकर उसका कथन (बयान) दर्ज करते हैं और प्रारम्भिक परीक्षण के बाद परिवाद दर्ज कर अन्वेषण (जांच) शुरू करते हैं। शिकायत के समर्थन में साक्ष्य वादी को उपलब्ध कराने होते हैं।
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अब तक उप्र केलोकायुक्त
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प्रदेश के पहले लोकायुक्त के रूप में न्यायमूर्ति विशंभर दयाल ने 14 सितंबर 1977 को कार्यभार संभाला। उनके बाद न्यायमूर्ति मिर्जा मोहम्मद मुतर्जा हुसैन, जस्टिस कैलाश नाथ गोयल, न्यायमूर्ति राजेश्वर सिंह व न्यायमूर्ति सुधीर चंद्र वर्मा लोक आयुक्त रहे। न्यायमूर्ति एनके मेहरोत्रा ने छठवें लोकयुक्त के रूप में 16 मार्च 2006 को पद संभाला था। न्यायमूर्ति संजय मिश्र अब सातवें लोकायुक्त होंगे।
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उत्तर प्रदेश लोकायुक्त एवं उपलोकायुक्त अधिनियम-1975 में बना था। जिसमें लोकायुक्त व उपलोकायुक्त का कार्यकाल छह साल था। लोकायुक्त को लोकसेवकों केपद के दुरुपयोग, भ्रष्टाचार की जांच का अधिकार है। साथ ही जांच में हासिल तथ्यों के साथ संस्तुतियां राज्य सरकार को भेजने का अधिकार है। किसी को दोषी या निर्दोष घोषित करने का लोकायुक्त को अधिकार नहीं है। सिर्फ साक्ष्य के आधार पर कार्रवाई व विशेषज्ञ जांच कराने की संस्तुति करने का अधिकार है। तीन माह में कार्रवाई नहीं होने पर राज्यपाल को स्पेशल रिपोर्ट भेजने की भी अधिनियम में व्यवस्था है। वर्ष 2012 में अखिलेश यादव सरकार ने इस अधिनियम में पहला संशोधन किया। इसमें अधिकारों में कोई कटौती या बढ़ोत्तरी नहीं की गयी। अलबत्ता लोकायुक्त एवं उपलोकायुक्त का कार्यकाल छह से बढ़ाकर आठ साल कर दिया। यह प्राविधान किया कि नई नियुक्ति तक पुराना लोकायुक्त पूरे अधिकार के साथ कार्य करता रहेगा। अखिलेश सरकार ने अधिनियम का सेक्शन 5(3) भी संशोधित कर दिया था, जिससे कार्यकाल पूरा करने वाला व्यक्ति दोबारा नियुक्ति के लिए अर्ह हो गया और उम्र की बाध्यता भी खत्म हो गयी। अब सरकार ने लोकायुक्त एवं उपलोकायुक्त अधिनियम-1975 में दूसरे संशोधन का बिल राजभवन भेज रखा है। 

एमएलसी चुनावः सपा का कच्चा-चिटठा


२ फरवरी २०१६
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सपा ने 31 प्रत्याशी घोषित किये, युवाओं को तरजीह

-सोनिया के क्षेत्र व राजनाथ के गृहनगर का प्रत्याशी घोषित न कर अटकलों की राह खोली
-रामपुर-बरेली के प्रत्याशी तय करने का जिम्मा मंत्री आजम खां पर
राज्य ब्यूरो, लखनऊ : स्थानीय प्राधिकारी क्षेत्र कोटे की विधान परिषद सीटों के लिये समाजवादी पार्टी ने 31 प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी है। इसमें मुख्यमंत्री अखिलेश यादव व महासचिव प्रो.रामगोपाल का प्रभाव नजर आ रहा है। गृहमंत्री राजनाथ सिंह के गृहनगर मीरजापुर और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली का प्रत्याशी घोषित न कर सियासी कयासों कौ मौका दिया है।
सत्ताधारी दल के लिए आसान समझे जाने वाले इस चुनाव में सपा के रणनीतिकारों ने युवा वर्ग पर खूब दरियादिली दिखायी है। युवा वर्ग केअधिकतर प्रत्याशियों की उम्र 40 साल के आसपास है। हालांकि 31 में से 16 टिकट यादवों की झोली में गये हैं। चार मुसलमान, एक ब्राह्मïण, पांच राजपूत, दो अन्य पिछड़े और एक वैश्य को भी उम्मीदवार बनाया गया है।
मुरादाबाद-बिजनौर क्षेत्र में कार्यकर्ताओं पर मंत्री महबूब अली को तरजीह देते हुए पार्टी ने उनके बेटे परवेज अली को प्रत्याशी बनाया है। मंत्री राजकिशोर सिंह के भाई बृज किशोर सिंह को बस्ती से टिकट गया है जबकि बृजकिशोर बस्ती लोकसभा का चुनाव लड़कर हार चुके हैं। पार्टी ने जिला पंचायत अध्यक्ष का टिकट मंत्री के बेटे को ही दिया था। शाहजहांपुर-पीलीभीत से उम्मीदवार घोषित अमित यादव उर्फ ङ्क्षरकी सपा विधायक के भाई हैं, उनको प्रत्याशी बनाये जाने से पत्रकार हत्याकांड में क्षेत्रीय मंत्री राम मूर्ति वर्मा की पैरवी में पंडित जयेश प्रसाद को झटका लगा है, वह भी सपा से टिकट की दावेदारी कर रहे थे।
सूची में खीरी व गोरखपुर के पूर्व जिलाध्यक्षों व गोंडा, फिरोजाबाद, कानपुर देहात के मौजूदाजिलाध्यक्षों का नाम प्रत्याशी के रूप में दर्ज है। युवा टीम के सदस्य सुनील साजन व  आनंद भदौरिया भी प्रत्याशी बन गये हैं। समाजवादी पार्टी की अंदरूनी सियासत को समझने वालों का मानना है कि मुकेश चौधरी, राकेश यादव, अरविंद यादव, उदवीर सिंह समेत पश्चिम के ज्यादातर प्रत्याशी प्रो.राम गोपाल यादव की पंसद के हैं। हालांकि मंत्री दुर्गा यादव अपने बेटे को टिकट दिलाने में सफल नहीं हो पाये। माध्यमिक शिक्षा परिषद में तैनाती के समय बहुचर्चित रहे वासुदेव यादव, राज्यसभा सदस्य व झांसी निवासी चन्द्रपाल यादव के करीबी शिक्षक की पत्नी श्रीमती रमा निरंजन और वाराणसी से अमीरचन्द्र पटेल को कार्यकर्ताओं पर तरजीह मिलने को जरूर चौंकाने वाले निर्णय के रूप में देखा जा रहा है।
अमीरचंद्र पटेल का न सिर्फ खासा लंबा आपराधिक इतिहास है बल्कि वह पूर्व में बसपा के टिकट से लोकसभा का चुनाव भी लड़ चुके हैं। रामपुर-बरेली का प्रत्याशी तय करने का जिम्मा मंत्री आजम खां पर छोड़ दिया गया है। बलिया में पूर्व प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर के परिवार से टिकट की दावेदारी और परिवार में ही मतभिन्नता के चलते ही प्रत्याशी घोषित नहीं होने की चर्चा है।
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प्रत्याशियों की सूची 
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1-आगरा-फिरोजाबाद : दिलीप यादव
2-अलीगढ़ : ओमवती यादव
3-इलाहाबाद : वासुदेव यादव
4-आजमगढ़-मऊ : राकेश यादव गुड्डू
5-बहराइच-श्रावस्ती : मो.इमलाख खां
6-बलिया : प्रत्याशी घोषित नहीं (रवि शंकर सिंह उर्फ पप्पू, चन्द्रशेखर के परिवार के हैं, जनवरी २०१६ तक बसपा से एमएलसी रहे हैं )
7-बांदा-हमीरपुर : रमेश्र मिश्र
8-बाराबंकी: राजेश यादव
9-बस्ती-सिद्धार्थनगर : बृजकिशोर सिंह
10-बदायूं: बनवारी लाल यादव
11-बुलंदशहर : नरेन्द्र सिंह भाटी
12-देवरिया: रामअवध यादव
13-इटावा-फर्रुखाबाद: पद्मराज पम्मी
14-फैजाबाद : हीरालाल यादव
15-गाजीपुर : प्रत्याशी घोषित नहीं
16-गोंडा : महफूज खां
17-गोरखपुर : जय प्रकाश यादव
18-हरदोई: मिस्वाहुद्दीन
19-जौनपुर : लल्लन प्रसाद यादव
20-झांसी-ललितपुर : रमा निरंजन
21-कानपुर-फतेहपुर : कल्लू यादव
 22-खीरी : शशांक यादव
23-लखनऊ-उन्नाव : सुनील यादव
24-एटा-मथुरा-मैनपुरी : अरविंद यादव
25-मथुरा-एटा-मैनपुरी: उदयवीर सिंह
26-मेरठ-गाजियाबद : राकेश यादव
27-मीरजापुर-सोनभद्र : प्रत्याशी घोषित नहीं...(रामलली मिश्र प्रत्याशी बनी विधायक विजय की पत्नी)
28-मुरादाबाद-बिजनौर : परवेज अली
29-मुजफ्फरनगर-सहारनपुर: मुकेश चौधरी (१० फरवरी को टिकट बदला गया शहनवाज राणा प्रत्याशी)
30-शाहजहांपुर-पीलीभीत : अमित यादव उर्फ ङ्क्षरकी
31-प्रतापगढ़ : अक्षय प्रताप सिंह
32-रायबरेली : प्रत्याशी घोषित नहीं (मुकेश बहादुर सिंह को टिकट, पूर्व मंत्री बादशाह सिंह का पीआरओ रहा है)
33-रामपुर-बरेली : प्रत्याशी घोषित नहीं (९ फरवरी अनिल शर्मा, बरेली निवासी)
34-सीतापुर: आनंद भदौरिया
35-सुल्तानपुर: शैलेन्द्र प्रताप सिंह
36-वाराणसी : ïअमीर चंद्र पटेल ( १२ फरवरी को टिकट बदला गया मीना सिंह प्रत्याशी बनी, चंदौली की सैयद राजा से विधायक मनोज सिंह की बहन हैं)
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इंसेट
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नामांकन आठ से मतदान तीन मार्च को
राब्यू, लखनऊ: स्थानीय प्राधिकारी क्षेत्र की 35 सीटों के लिए 36 विधान परिषद सदस्यों के लिए नामांकन की प्रक्रिया आठ फरवरी से शुरू हो जाएगी। 15 फरवरी तक नामांकन किये जा सकेंगे और मतदान तीन मार्च को होगा। चुनाव आयोग की नियमावली में मैनपुरी-मथुरा-एटा इकलौता क्षेत्र है जहां से दो सदस्यों का निर्वाचन होता है।
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४ फरवरी २०१६

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सपा मंत्रियों को सौंपेगी कमान

-एमएलसी की सीटे जीतने का ताना-बाना बुनने में जुटी सपा
-कई प्रत्याशियों को लेकर कार्यकर्ताओं में असंतोष
 लखनऊ : प्राधिकारी क्षेत्र की विधान परिषद सीटों के लिए 31 प्रत्याशी घोषित करने के बाद समाजवादी पार्टी उनकी जीत का ताना-बाना बुनने में जुट गयी है। राज्य के वरिष्ठ मंत्रियों को दो-दो सीटों का प्रभारी नियुक्त करने की तैयारी है।
जिला पंचायत अध्यक्ष पद के टिकट बंटवारे की तरह ही प्राधिकारी कोटे की विधान परिषद सीटों के लिए घोषित प्रत्याशियों के नामों को लेकर असंतोष है।झांसी, फैजाबाद, कानपुर, वाराणसी और देवरिया क्षेत्र से घोषित प्रत्याशियों के खिलाफ पार्टी नेतृत्व से शिकायतें भी की जा रही हैं। वाराणसी की जिला इकाई वहां के प्रत्याशी पर गंभीर आपराधिक मुकदमें दर्ज होने से 'बैकफुटÓ पर है। पार्टी नेतृत्व को भेजी गयी शिकायत में प्रत्याशी की समाजवादी पार्टी में निष्ठा नहीं होने का भी इल्जाम लगाया गया है। इसी तरह प्रदेश के एक बहुचर्चित मंत्री का काम देखने वाले व्यक्ति के ससुराली रिश्तेदार को झांसी से टिकट दिये जाने पर क्षेत्रीय कार्यकर्ता असंतुष्ट हैं। उनका मानना है कि इससे क्षेत्र असंतुल बढ़ेगा। फैजाबाद से घोषित प्रत्याशी यूं तो सपा कार्यकर्ता हैं, मगर दावेदारी के बिना उन्हें टिकट दिये जाने से 'युवा ब्रिगेडÓ में असंतोष है।
सच्चाई से वाकिफ समाजवादी पार्टी केरणनीतिकार कोई जोखिम लेने को तैयार नहीं है। लिहाजा कार्यकर्ताओं के बीच प्रभावी मंत्रियों को एमएलसी चुनाव की कमान देने का फैसला लिया गया है। प्रभारी नियुक्त किये जाने वाले मंत्रियों के क्षेत्रों के चयन का कार्य अंतिम दौर में है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि चुनाव की प्रक्रिया पूरी होने के फौरन बाद विधानसभा 2017 की चुनावी सरगर्मी तेज होना शुरू हो जाएगी। ऐसे में इस चुनाव में जीत सुनिश्चित करने के साथ कार्यकर्ताओं को संतुष्ट रखने की नीति अपनायी जा रही है। राष्ट्रीय सचिव राजेश दीक्षित का कहना है कि समाजवादी पार्टी में पूरा लोकतंत्र है, हर किसी को बात कहने का हक है। पार्टी किसी भी कार्यकर्ता को नाराज नहीं होने देगी।
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आठ फरवरी २०१६
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सपा ने एमएलसी के दो और प्रत्याशी घोषित किये
सपा प्रत्याशियों की संख्या 33 हुई, तीन सीटों के प्रत्याशी जल्द घोषित होंगे
-एकाध सीट का प्रत्याशी बदलने पर भी मंथन
 लखनऊ : समाजवादी पार्टी (सपा) ने गाजीपुर से डॉ.सानंद सिंह व मीरजापुर-सोनभद्र से रामलली मिश्र को प्रत्याशी घोषित किया है। इसके साथ प्राधिकारी कोटे की 36 विधान परिषद सीटों के लिए सपा प्रत्याशियों की संख्या 33 हो गयी है। बची हुई तीन सीटों के प्रत्याशियों के लिए पार्टी में मंथन जारी है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि नेतृत्व ने एक टिकट बदलने पर भी विचार शुरू कर दिया है।
दो फरवरी को सपा ने प्राधिकारी क्षेत्र की 36 सीटों से 31 के प्रत्याशी घोषित किये थे, आठ फरवरी को गाजीपुर व मीरजापुर-सोनभद्र के भी प्रत्याशी घोषित कर दिये गये मगर बलिया, रायबरेली व रामपुर-बरेली के प्रत्याशियों के नामों पर एक राय नहीं बन पायी। सपा सूत्रों का कहना है बलिया सदर के विधायक, मंत्री रह चुके एक एमएलसी और लोकसभा चुनाव हारने के बाद राज्यसभा सदस्य बनाये गये एक सांसद बसपा से एमएलसी रहे रविशंकर सिंह उर्फ पप्पू भैया को प्रत्याशी बनवाने की पैरवी कर रहे हैं जबकि पार्टी के रणनीतिकार उनकीदलीय निष्ठा सपा के साथ न रहने का तर्क देकर दावेदारी खारिज करने के प्रयास में हैं। इस सीट से व्यापारी व सपा कार्यकर्ता मनोज सिंह का नाम भी चल रहा है। रायबरेली के टिकट को लेकर सपा के अंदर के 'जातीय क्षत्रपोंÓ में जोर आजमाइश चल रही है। इन क्षत्रपों का एक गुट सियासी विरोधी को प्रत्याशी बनने से रोकने के लिये पूर्ववर्ती बसपा सरकार के एक कैबिनेट मंत्री के 'जनसंपर्कÓ का कार्य देखने वाले को टिकट दिलाने की पैरवी में कर रहे हैं। रामपुर-बरेली से नसीर खां का नाम जोरों पर है लेकिन अंतिम फैसला मंत्री आजम खां को करना है। हालांकि इन सीटों के प्रत्याशी जल्द घोषित होने के आसार हैं। सपा के उच्च पदस्थ सूत्रों पर भरोसा करें तो घोषित प्रत्याशियों में एक प्रत्याशी बदलने पर भी चर्चा शुरू हो गयी है।
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आठ फरवरी को ही मुलायम
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एमएलसी चुनाव हारे तो अध्यक्षों की छुट्टी
- मुलायम ने सपा मुख्यालय में नेताओं-कार्यकताओं को किया संबोधित
-पूर्व मंत्री नारद राय व अंबिका चौधरी पर बिफरे
-चुनाव तक कार्यकर्ता पार्टी कार्यालय न आएं
-सीएम गांव-गांव का दौरा करें: मुलायम
 लखनऊ : लोकसभा चुनाव में हार की टीस अब भी महसूस कर रहे समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने प्राधिकारी क्षेत्र (एमएलसी चुनाव) की चुनावी कमान खुद संभाल ली है। कहा कि जिस क्षेत्र का प्रत्याशी हारा, वहां के जिला व क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष को पार्टी से निकाल दिया जाएगा। विपक्षियों द्वारा वोटों की खरीद-फरोख्त करने की आशंका जाहिर करते हुए इससे सतर्क रहने की हिदायत भी दी।
जिला व क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष पद पर विजयी होने के बाद पार्टी कार्यालय पहुंचे नेताओं को डपटते हुए मुलायम ने कहा कि पार्टी मुख्यालय में घूमने के स्थान पर क्षेत्र में काम करिये। यहां घूमेंगे तो एमएलसी का चुनाव कौन जिताएगा। ये चुनाव कठिन है और साख का भी सवाल है। सबको जुटना होगा, अगर प्रत्याशी हारे तो जिला व क्षेत्र पंचायत अध्यक्षों को पार्टी से निकाल दिया जाएग। ध्यान रहे, क्षेत्र व जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव में समाजवादी पार्टी ने अपने प्रत्याशी उतारे थे।
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पूर्वमंत्री अंबिका व नारद पर भड़के
 संबोधन के दौरान पूर्व मंत्री नारद राय, अंबिका चौधरी के वहां से चले जाने पर मुलायम सिंह भड़क गये। कहा कि जब 'मैं बोल रहा हूं तो भी दोनों हमसे बस मिलकर चले गये। ये लोग जनता के बीच रहना ही नहीं चाहते हैं। अंबिका युवाओं के विरोध के चलते ही विधानसभा चुनाव हारे थे। जब मैने ये बात कही तब अंबिका ने युवाओं को गुंडा-बदमाश कह कर बात को टाल दिया था।Ó राजनीति करनी है तो जनता की बीच रहना होगा।
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सपा गूंगों का पार्टी हुई
मुलायम ने कहा कि अखिलेश सरकार के विकास को देखकर दूसरे राज्यों की सरकारें योजनाएं लागू कर रही हैं। समाजवादी पेंशन, एक्सप्रेसवे, सिंचाई, दवाई और पढ़ाई मुफ्त की गयी है। मगर कोई भी कार्यकर्ता जनता के बीच न यह सब बता रहा है और न हीं प्रस्ताव पास कर सरकार का समर्थन कर रहा है। खामियों की ओर भी कोई ध्यान नहीं दिला रहा है लगता है कि सपागूंगों की पार्टी हो गयी है।
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लोकसभा में हार का दर्द
तकरीबन दो साल पहले लोकसभा चुनाव में हार का दर्द बयां करते हुए मुलायम ने कहा कि मेरा तो नाश कर दिया, परिवार के  पांच लोग ही जीते। अगर 35-40सीटें होती तो दिल्ली में हमारी सरकार होती। चुनाव के बाद समीक्षा में लोगों ने कहा कि मंत्रियों, विधायकों की वजह से चुनाव हारे। मगर किसी ने सबक नहीं सीखा ज्यादातर मंत्री, विधायक जमीन-जायदाद के धंधे में लगे हैं। पैसा कमा रहे हैं। मुलायम ने कहा कि मुख्यमंत्री को अब छोटे-छोटे कार्यक्रम छोड़कर जनता के बीच जाना होगा। क्षेत्र में जाकर लोगों की बात सुननी होगी, तभी पार्टी फिर सत्ता में लौटेगी।
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जनता की बीच जाओ, तभी हारेगा मोदी
मुलायम ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को जनता हटा सकती है, क्योंकि  उन्होंने कोई वादा पूरा नहीं किया है। मगर यह तभी संभव होगा जब कार्यकर्ता नेता, जनता के बीच जाएं। उनका दुख-दर्द सुनें। कहा वह मुख्यमंत्री थे तब पार्टी ने 31 सीटें जीती थी, इससे ज्यादा जिताओ तो मानें। क्षेत्र में नहीं रहोगे तो चालाक लोग चुनाव हरा देंगे।
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९ फरवरी २०१६
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सपा ने तीन और प्रत्याशी घोषित किये

सभी 36 सीटों के प्रत्याशी घोषित
राज्य ब्यूरो, लखनऊ: समाजवादी पार्टी ने प्राधिकारी कोटे की विधान परिषद सीटों के तीन और प्रत्याशी घोषित कर दिये हैं। इन टिकटों की घोषणा के साथ सभी 36 सीटों के प्रत्याशी घोषित हो गए हैं।
सपा के मुख्य प्रवक्ता शिवपाल यादव ने बताया कि पार्टी ने बरेली-रामपुर से अनिल शर्मा, बलिया से रवि शंकर सिंह (पप्पू), रायबरेली से मुकेश बहादुर सिंह को प्रत्याशी घोषित किया है। इसके साथ पार्टी के सभी 36 प्रत्याशी घोषित हो गये हैं। हालांकि मंगलवार को घोषित तीनों टिकटों को लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं में खासी बेचैनी है। पप्पू जनवरी 2016 तक बसपा के विधान परिषद सदस्य थे, जबकि मुकेश बहादुर बसपा के कैबिनेट मंत्री के साथ थे।
                 
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दस फरवरी को पहली लिस्ट
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सपा से आकर भाजपा में प्रत्याशी-प्रभारी बने
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-विधान परिषद की स्थानीय प्राधिकारी सीटों के लिए 12 प्रत्याशी घोषित
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 लखनऊ: वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में 260 से अधिक सीटें जीतने का लक्ष्य लेकर चल रही भारतीय जनता पार्टी ने विधान परिषद की स्थानीय प्राधिकारी सीटों के लिए 12 प्रत्याशियों की पहली सूची बुधवार को जारी की। इसमें बुधवार को ही सपा छोड़कर भाजपा में शामिल हुए एक नेता प्रत्याशी तो दूसरे प्रभारी बन गए हैं।
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने हाल ही में उत्तर प्रदेश के प्रस्तावित विधानसभा चुनाव के लिए 260 से अधिक सीटें जीतने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इस लक्ष्य निर्धारण के बाद बुधवार को भाजपा की प्रदेश इकाई ने पहली दफा कोई बड़ी घोषणा की किन्तु इसमें सपा की छाया नजर आयी। सुबह समाजवादी पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हुए पूर्व विधान परिषद सदस्य राजकुमार अग्र्रवाल को हरदोई से टिकट थमा दिया गया है। इसी तरह बहराइच से विधायक रहे अरुणवीर सिंह भी बुधवार को भाजपा में शामिल हुए। उन्हें भी पार्टी में शामिल होते ही बहराइच सीट का प्रभारी बना दिया गया। इन लोगों के साथ नवनिर्वाचित ब्लाक प्रमुख रामरती, कछौना के ब्लाक प्रमुख अशोक अग्र्रवाल सहित भारी संख्या में लोग प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी के सामने भाजपा में शामिल हुए।
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ये हैं भाजपा प्रत्याशी 
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बुलंदशहर : संजय शर्मा
पीलीभीत-शाहजहांपुर : जेपीएस राठौर
हरदोई : राजकुमार अग्रवाल
लखनऊ-उन्नाव : अनिरुद्ध चंदेल
बहराइच : रामजी त्रिपाठी
बांदा-हमीरपुर : आनंद त्रिपाठी
झांसी-जालौन-ललितपुर : हरिओम उपाध्याय
इलाहाबाद-कौशांबी : रईस चंद्र शुक्ला
सुलतानपुर : डॉ.केसी त्रिपाठी
आजमगढ़-मऊ : राजेश सिंह
कानपुर-फतेहपुर : अनिल चार्ली
बिजनौर-मुरादाबाद : आशा सिंह
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लखीमपुर खीरी-नरेश चन्द्र शरमा
बस्ती-सिद्धार्थनगर-प्रमोद कुमार
-गाजीपुर-विनोद कुमार राय

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अतीत के झऱोखे से
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15 feb 2016 इनका कार्यकाल पूरा हुआ।
अब्दुल हन्नान, अनिल कुमार अवाना,  अरविन्द त्रिपाठी उर्फ 'गुड्डू त्रिपाठीÓ, अन्नपूर्णा सिंह उर्फ 'पूनमÓ, अशोक सिंह, अशोक कटियार, आरएस कुशवाहा, कुंवर जयेश प्रसाद, केसर सिंह, कैलाश यादव, जितेन्द्र यादव, गणेश शंकर पांडेय, परमेश्वर लाल सैनी, मनीष जायसवाल, मनोज अग्रवाल, मनोज सिंह, मुकुल उपाध्याय, मो.इकबाल, राकेश सिंह, राजदेव सिंह, रविशंकर सिंह, लेखराज सिंह, श्याम नारायण उर्फ 'विनीत सिंहÓ, डा.स्वदेश उर्फ 'बीरू सुमनÓ, डा.संतराम निरंजन, संजीव द्विवेदी उर्फ 'रामू द्विवेदीÓ, सविता सिंह, चन्द्र प्रताप सिंह यादव उर्फ 'चन्दू भइयाÓ, सूरजभान करवरिया, प्रशान्त चौधरी, हुस्ना सिद्दीकी (सभी बसपा) , अरूणवीर सिंह, अक्षय प्रताप सिंह (दोनों सपा) दिनेश प्रताप सिंह (कांग्रेस)
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इंसर्ट
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अब तक के कार्यकारी सभापति
निजामुददीन-(छह मई 1958 से 19 जुलाई, 1958 तक),वीरेन्द्र स्वरूप-दो मार्च 1969 से 14 मार्च 1969 तक, देवेन्द्र प्रताप सिंह,-(छह मई, 1974 से 10 जून, 1974 तक), शिव प्रसाद गुप्ता-(छह मई, 1982 से दो मार्च 1983 तक), नित्यानन्द स्वामी- (सात जुलाई, 1992 से नौ मई, 1996 तक)
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बजट सत्र १२ फरवरी २०१६ को एेसी थी  तस्वीर
-समाजवादी पार्टी: 27
-बहुजन समाज पार्टी: 14
-भारतीय जनता पार्टी: सात
-कांग्रेस: एक
-रालोद: एक
शिक्षक दल (गैरराजनीतिक): पांच
निर्दल सदस्य: चार
नोट: यदि 29 जनवरी से शुरू होने वाले विधानमंडल के शीतकालीन सत्र से पहले रिक्त चल रही नामित कोटे की पांच सीटों पर नामांकन हो गया तब सपा के सदस्यों की संख्या-32 हो जाएगा।
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चेक करना होगा (तथ्य)
मुजफ्फरनगर : समाजवादी पार्टी ने सहारनपुर-मुजफ्फरनगर सीट से एमएलसी प्रत्याशी में एक बार फिर फेरबदल कर दिया है। सपा हाईकमान ने अब सपा युवजन सभा के प्रदेश उपाध्यक्ष गौरव जैन को एमएलसी का प्रत्याशी घोषित किया है। सपा जिलाध्यक्ष श्याम लाल बच्ची सैनी ने इसकी जानकारी दी। सपा ने इससे पहले दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री मुकेश चौधरी को टिकट दिया था। मुकेश चौधरी का टिकट काट शाहनवाज राणा को एमएलसी का प्रत्याशी घोषित किया था। बताया जाता है कि शाहनवाज राणा को हार्टअटैक होने के कारण सपा हाईकमान ने गौरव जैन को प्रत्याशी घोषित कर दिया।
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१४.०२ .२०१६

एक नये घटनाक्रम में सलिल सिह को गोंडा से प्रत्याशी बनाया फिर घंटे भर बाद ही बदला फैसला
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 लखनऊ : स्थानीय प्राधिकारी निर्वाचन क्षेत्र से विधान परिषद सदस्य के लिए होने वाले चुनाव में समाजवादी पार्टी का असमंजस कम होने का नाम नहीं ले रहा है। फैसले को लेकर पार्टी में खूब जद्दोजहद है। सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि सपा ने रविवार को गोंडा में अपने पूर्व घोषित उम्मीदवार महफुर्जुरहमान की जगह शलिल सिंह को प्रत्याशी घोषित किया और घंटे भर भी नहीं बीते कि दोबारा महफुर्जुरहमान की उम्मीदवारी बहाल कर दी।
 कई क्षेत्रों में बदलाव की चर्चाएं रहीं। कई जगह उम्मीदवार बदले भी गये लेकिन जिस तरह गोंडा में घंटे भर में ही उम्मीदवार को लेकर फैसला बदलना पड़ा उससे एक बात स्पष्ट हो गयी कि पार्टी अपने उम्मीदवारों को लेकर खुद ही संशय में है। सपा के प्रदेश प्रवक्ता और सरकार के मंत्री राजेन्द्र चौधरी ने रविवार को शाम छह बजकर 28 मिनट पर प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव ने गोंडा में पूर्व में घोषित उम्मीदवार महफुर्जुरहमान के स्थान पर अब शलिल सिंह को प्रत्याशी घोषित किया है। फिर सात बजकर 35 मिनट पर सपा ने यह संदेश जारी किया कि महफुर्जरहमान प्रत्याशी बने रहेंगे। भाजपा समेत कई दलों ने सपा के इस रवैये पर तंज कसा है।
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15.feb 2016
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बरेली : समाजवादी पार्टी के पदाधिकारियों में मच रहे घमासान का नतीजा सोमवार को सामने आ गया। विरोधी गुट अनिल शर्मा पर भारी पड़ा और उनका टिकट कट गया। प्रत्याशी बदलने को सपा ने हाई वोल्टेज ड्रामा किया। एमएलसी का सिंबल हेलीकॉप्टर से पुलिस लाइंस के मैदान पर उतरा। रामपुर के घनश्याम लोधी ने सिंबल लेकर सपा नेताओं के साथ कलक्ट्रेट पहुंचकर नामांकन कराया।
बरेली-रामपुर स्थानीय निकाय सीट पर एमएलसी पद के लिए सपा ने आठ फरवरी को अनिल शर्मा को टिकट दिया था। उसी समय विरोधी गुट उनका टिकट कटवाने को जुट गया। सोमवार सुबह लखनऊ से अनिल शर्मा के टिकट कटने और रामपुर के घनश्याम लोधी को प्रत्याशी बनाए जाने की सूचना आ गई। नामांकन का आखिरी दिन होने के कारण पार्टी ने हेलीकॉप्टर से पार्टी का सिंबल भिजवाया। प्रत्याशी घनश्याम लोधी समेत सभी नेता वहां पहुंच गए। लखनऊ से हेलीकॉप्टर पर आए कार्यकर्ताओं ने पार्टी सिंबल जिलाध्यक्ष को सौंपा। इसके बाद पूरा अमला कलक्ट्रेट पहुंचा। वहां घनश्याम लोधी ने एमएलसी प्रत्याशी के रूप में नामांकन कराया।

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एमएलसी पद के लिए 158 उम्मीदवार मैदान में
-प्रतापगढ़ से अक्षय प्रताप सिंह, मैनपुरी-एटा-इटावा से अरविंद यादव व उदयवीर सिंह का निर्विरोध निर्वाचन तय
- तीन सीटों पर भाजपा व सपा में सीधा मुकाबला
-कांग्र्रेस रायबरेली तक सिमटी, बसपा के सात प्रत्याशी मैदान में
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 लखनऊ : प्राधिकारी कोटे के 35 निर्वाचन क्षेत्रों की 36 एमएलसी (विधान परिषद सदस्य) सीटों के लिये 158 उम्मीदवारों ने नामांकन किया है। सपा के 36, भाजपा के 25, बसपा के सात, रालोद व कांग्रेस का एक-एक प्रत्याशी है। प्रतापगढ़ व मथुरा-एटा-मैनपुरी (दो सीट हैंं) सीट पर सिर्फ समाजवादी पार्टी के उम्मीदवारों ने नामांकन कराया है, ऐसे में इनका निर्विरोध निर्वाचन तय है।
नामांकन के आखिरी दिन 97 लोगों ने परचा दाखिल किया है, जिसमें सबसे अधिक फैजाबाद से आठ लोगों ने नामांकन कराया। सत्तारूढ़ दल को मनोवैज्ञानिक बढ़त दिलाना समझे जाने वाले इस चुनाव में समाजवादी पार्टी ने सभी 36 सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़े किये हैं जबकि मुख्य विपक्षी दल बसपा ने सिर्फ सात उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं। मंगलवार को नामांकन पत्रों की जांच होगी  और 18 फरवरी तक नाम वापस लिये जा सकेंगे। तीन मार्च को मतदान होगा और छह मार्च को वोटों की गिनती होगी। निर्वाचन आयोग के प्रवक्ता ने बताया कि जिला निर्वाचन अधिकारियों को सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने के निर्देश दिये गये हैं।
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तीन पर भाजपा-सपा में मुकाबला
बदायूं, गोंडा और बहराइच सीटों पर भाजपा व समाजवादी पार्टी के बीच सीधा मुकाबला होगा। इन सीटों पर सपा व भाजपा के ही उम्मीदवारों ने परचा दाखिल किया है। इनमें भी बदायूं के चुनाव में कांटे की टक्कर के आसार है क्योंकि यहां सपा के बनवारी यादव मुकाबले में भाजपा ने बाहुबली डीपी यादव के भतीते जितेन्द्र यादव को प्रत्याशी बनाया है।
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रायबरेली तक सिमटी कांग्र्रेस
विधान परिषद चुनाव में कांग्र्रेस ने अपने को सिर्फ रायबरेली तक समेटे रखा है। पार्टी ने इस सीट पर दिनेश सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया है। वह 15 जनवरी 2016 तक कांग्रेस से ही विधान परिषद सदस्य थे। यहां से भाजपा ने सुरेन्द्र बहादुर और सपा ने मुकेश बहादुर को प्रत्याशी बनाया है। जिससे इस सीट पर त्रिकोणीय चुनाव के आसार हैं।
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किस सीट से कितने प्रत्याशी
1-आगरा-फीरोजाबाद : दो
2-अलीगढ़ : तीन
3-इलाहाबाद : चार
4-आजमगढ़-मऊ : पांच
5-बहराइच-श्रावस्ती : दो
6-बलिया : सात
7-बांदा-हमीरपुर : चार
8-बाराबंकी: चार
9-बस्ती-सिद्धार्थनगर : तीन
10-बदायूं: दो
11-बुलंदशहर : पांच
12-देवरिया: पांच
13-इटावा-फर्रुखाबाद: सात
14-फैजाबाद : नौ
15-गाजीपुर : छह
16-गोंडा : दो
17-गोरखपुर : छह
18-हरदोई: तीन
19-जौनपुर : छह
20-झांसी-ललितपुर : दो
21-कानपुर-फतेहपुर : छह
 22-लखीमपुर-खीरी :  पांच
23-लखनऊ-उन्नाव : तीन
24-एटा-मथुरा-मैनपुरी : एक
25-मथुरा-एटा-मैनपुरी: एक
26-मेरठ-गाजियाबद : आठ
27-मीरजापुर-सोनभद्र :  तीन
28-मुरादाबाद-बिजनौर :  पांच
29-मुजफ्फरनगर-सहारनपुर: सात
30-शाहजहांपुर-पीलीभीत : छह
31-प्रतापगढ़ : एक
32-रायबरेली : पांच
33-रामपुर-बरेली : नौ
34-सीतापुर: दो
35-सुलतानपुर: तीन
36-वाराणसी : छह
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इनसेट
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सपा ने आखिरी दिन तीन प्रत्याशी बदले
राज्य ब्यूरो, लखनऊ : प्राधिकारी कोटे की विधान परिषद सीटों के नामांकन के आखिरी दिन समाजवादी पार्टी ने बस्ती, सहारनपुर व गोरखपुर से पूर्व में घोषित प्रत्याशी बदल दिये। इस बदलाव में सबसे बड़ा झटका मंत्री राजकिशोर को लगा है, जिनके भाई बृज किशोर सिंह का टिकट काटकर संतोष यादव उर्फ सनी को प्रत्याशी बनाया है। सनी को समाजवादी पार्टी की युवा ब्रिगेड का सदस्य माना जाता है। इसी तरह पार्टी ने गोरखपुर से प्रत्याशी बनाये गये पूर्व मंत्री जय प्रकाश यादव का टिकट काटकर सीपी चंद को प्रत्याशी बना दिया है। सहारनपुर सीट का प्रत्याशी दो बार बदला गया, पार्टी ने पहले मुकेश चौधरी को टिकट दिया था। फिर शहनवाज राणा को प्रत्याशी बनाया गया लेकिन नामांकन से पहले ही उनके बीमार हो जाने के चलते पार्टी तीसरे प्रत्याशी के रूप में गौरव जैन को प्रत्याशी बनाया है। पार्टी ने वाराणसी का भी प्रत्याशी बदला, गोंडा में प्रत्याशी बदला फिर उसका टिकट काटकर पुराने को ही प्रत्याशी बनाया गया है, जिससे भविष्य में विधानसभा के टिकट की दावेदारी पार्टी नेताओं में खासी खलबली नजर आ रही है।
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16 feb 2016
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सपा के हिस्से में एमएलसी की दो और सीटें
लखनऊ : प्राधिकारी कोटे की एमएलसी सीटों के नामांकन की जांच में 15 लोगों के परचे खारिज कर दिये गये। जिससे सीतापुर व आगरा-फिरोजाबाद सीट भी समाजवादी पार्टी के हिस्से में चली गयी है। बुधवार को नामवापसी का आखिरी दिन है, इसके बाद चुनाव अखाड़े की तस्वीर साफ हो जाएगी।
प्राधिकारी कोटे के 35 निर्वाचन क्षेत्रों की 36 सीटों के लिए दाखिल नामांकन पत्रों की जांच में आगरा-फिरोजाबाद व सीतापुर के एक परचा खारिज हो गया। अब इन दोनों सीटों पर एक-एक प्रत्याशी बचा है, जिससे सीतापुर से समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी आनंद भदौरिया और आगरा-फिरोजाबाद से दिलीप यादव की जीत तय हो गयी है। बुधवार को नाम वापसी का आखिरी दिन है, इसके बाद चुनावी अखाड़े की तस्वीर साफ होगा।
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2.march 2016

चुनाव आयोग 'तीसरे नेत्रÓ से रखेगा निगाह

-प्राधिकारी कोटे की 28 एमएलसी सीटों के लिए मतदान आज
-सुबह आठ से शाम चार बजे तक होगा मतदान
-प्रेक्षक और अद्र्धसैनिक बलों की टुकडिय़ां तैनात

 राज्य ब्यूरो, लखनऊ : प्राधिकारी कोटे की 28 विधान परिषद सीटों के लिए तीन मार्च की सुबह आठ बजे से शुरू होने वाले मतदान पर चुनाव आयोग 'तीसरे नेत्रÓ यानी सीसीटीवी के जरिये सीधी नजर रखेगा। सभी 729 मतदेय स्थलों की सुरक्षा का जिम्मा अद्र्ध सैनिक बलों को सौंपा गया है।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी अरुण सिंघल ने बताया कि शांतिपूर्ण मतदान की सभी तैयारी पूरी है। पोलिंग पार्टियां मतदान केन्द्रों पर पहुंच गयी है। जिला निर्वाचन अधिकारियों को निष्पक्ष चुनाव कराने का स्पष्ट निर्देश दिया गया है। प्रेक्षकों को भी चौकन्ना रहने की हिदायत दी गयी है। मतदान के बाद रिटर्निंग अधिकारी व प्रेक्षकों की रिपोर्ट के बाद छह मार्च को वोटों की गिनती करायी जाएगी। अगर कहीं से गड़बड़ी की शिकायत मिली तो उस पर गुण-दोष के आधार पर निर्णय लिया जाएगा।
तथ्य
-57 जिलों में होने वाले चुनाव में एक लाख मतदाता हिस्सा लेंग
-28 सीटों के लिए 97 प्रत्याशी हैं चुनाव मैदान में
-चुनाव आयोग ने 28 सामान्य प्रेक्षक, 11 व्यय प्रेक्षक और 790 माइक्रो प्रेक्षक नियुक्त किये
-मतदान के लिए 271 जोनल मजिस्ट्रेट, 470 सेक्टर मजिस्ट्रेट और 470 स्टेटिक मजिस्ट्रेट तैनात किये गये
-चुनाव प्रक्रिया को संपन्न कराने के लिए 1700 हल्के और 167 भारी वाहनों का इस्तेमाल होगा
-729 मतदेय स्थलों पर 3100 मतदान कर्मी तैनात किये गये
-1055 वीडियो कैमरा, अतिसंवेदनशील कैमरों में सीसीटीवी, 170 डिजिटल कैमरे लगाये गये। प्रत्येक बूथ के बाहर टीवी मॉनीटिर की व्यवस्था की गयी



Friday 12 February 2016

एक जेब से लेकर दूसरे में रखा

12.02.2016
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अल्पसंख्यकों के लिए बजट में कुछ नया नहीं
-समाजवादी हथकरघा बुनकर पेंशन योजना शुरू होगी
-उर्दू मास कम्युनिकेशन एंड मीडिया सेन्टर
-कब्रिस्तान चहारदीवारी निर्माण की धनराशि में सौ फीसद का इजाफा
लखनऊ : समाजवादी सरकार ने अल्पसंख्यकों की शिक्षा व तरक्की की न कोई नयी योजना शुरू की है और न ही किसी योजना में कतर ब्यौंत की है। अलबत्ता एक जेब का धन दूसरे में रखकर उन्हें संतुष्ट करने का प्रयास किया है। कब्रिस्तान चहारदीवारी योजना की राशि में सौ फीसद बढ़ोत्तरी करते हुए चार सौ करोड़ कर दिया है तो छात्रवृत्ति की राशि में 137 करोड़ की कटौती कर ली है। हां, 60 साल से ऊपर केबुनकरों के लिए 'समाजवादी हथकरघा बुनकर पेंशन योजनाÓ शुरू करने की घोषणा कर अल्पसंख्यकों को लुभाने का प्रयास जरूर किया है।
अखिलेश यादव सरकार के आखिरी पूर्ण बजट में उर्दू अकादमी में उर्दू मास कम्युनिकेशन एंड मीडिया सेन्टर की स्थापना अलावा अल्पसंख्यकों को सीधे लाभांवित करने वाली कोई नयी योजना नहीं है। कब्रिस्तान की चहारदीवारी निर्माण के लिए इस बजट चार सौ करोड़ का इंतजाम है जबकि पिछले साल यह राशि दो सौ करोड़ रुपये ही थी। लेकिन सरकार ने इस बार बेहद चालाकी से अल्पसंख्यकों को छात्रों को मिलने वाली छात्रवृत्ति की धनराशि का कक्षाओं का आधार पर बंटवारा कर दिया है। अब पूर्व दशम छात्रों की छात्रवृत्ति के लिए 537 करोड़, दशमोत्तर छात्रवृत्ति के लिये 153 करोड़ और शुल्क प्रतिपूर्ति के लिए 150 करोड़ का इंतजाम किया गया  जबकि वर्ष 2015-17 के बजट में अखिलेश सरकार ने छात्रवृत्ति की मद में सीधे 977 करोड़ का इंतजाम किया था, पिछले साल की तुलना में इस मद में 137 करोड़ की कटौती की गयी है। इसी तरह सरकार ने 46 और मकतबों, मदरसों को अनुदान सूची में शामिल करने का फैसला किया मगर कोई धनराशि नहीं दी है, इसके लिए मौजूदा वित्तीय वर्ष की बची राशि का इस्तेमाल किया जाएगा।
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  -मदरसों, मकतबों में आधुनिक शिक्षा के लिए 394 करोड़
-अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्रों में मूलभूत सुविधा बढ़ाने के के लिए मल्टी सेक्टोरल डिस्ट्रिक्ट डेवलपमेन्ट प्लान (एमएसडीपी) के लिए 395 करोड़ की व्यवस्था
-दारुल मंसफीन (शिब्ली एकेडमी) आजमगढ़ को पुस्तकालय निर्माण के लिए पांच लाख
-पावरलूम विकास योजना के लिए 15 करोड़ रुपये दिये जाएंगे
-60 साल के ऊपर के हथकरघा बुनकरों की पेंशन योजना के लिए 30 करोड़
-हथकरघा बुनकरों को रियायती दर पर विद्युत आपूर्ति के लिए 5 करोड़ व धुनकरों को सस्ती दर पर विद्युत आपूर्ति के लिए दो करोड़
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महिलाओं और बच्चों पर धनवर्षा

बजट में जच्चा-बच्चा के लिए दो नई योजनाएं
-गर्भवती महिला व बच्चों के लिए फीडिंग योजना शुरू होगी
-गाजियाबाद, आजमगढ़ व गाजीपुर में बनेंगे महिला शरणालय

 लखनऊ : चुनावी 'ताल ठोंकनेÓ से पहले समाजवादी सरकार के मुखिया अखिलेश यादव ने महिलाओं, बच्चों की सेहत से जुड़ी दो नई योजनाएं शुरू कर उन्हें अपने पाले नें खड़ा करने का प्रयास किया है। गर्भवती महिलाओं को कुपोषण से बचाने को 400 करोड़ और अति कुपोषित बच्चों को पौष्टिक आहार के लिए 125 करोड़ रुपये का इंतजाम है।
प्रदेश सरकार ने वर्ष 2016-17 के बजट में महिलाओं व बच्चों की सेहत का ध्यान रखा है। कुपोषित महिलाओं को पौष्टिक आहार के लिए फीडिंग योजना चलाने का फैसला लिया है, जिसकेलिये बजट में 400 करोड़ रुपए का इंतजाम है। योजना बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग द्वारा संचालित होगी। अतिकुपोषित बच्चों की पहचान, स्वास्थ्य परीक्षण और अच्छे भोजन के लिए 'अति कुपोषित बच्चों के लिए फीडिंग कार्यक्रमÓ नाम की नई योजना शुरू करने का फैसला करते हुए125 करोड़ रुपए की व्यवस्था की है।
बजट में उपेक्षित, बेसहारा महिलाओं के संरक्षण व देखभाल के लिए गाजियाबाद, आजमगढ़ और गाजीपुर में राजकीय महिला शरणालय स्थापित करने के लिए तीन करोड़ रुपये की व्यवस्था की है। 'जहां सोंच वहां शौचालयÓ के विचारों पर अमल करते हुए सरकार ने 2000 आंगनबाड़ी केन्द्रों में ईको फ्रेंडली शौचालय का निर्माण व रसोईघरों को उच्चीकृत करने के लिए 13 करोड़ का इंतजाम किया है। सरकार ने बाल पुष्टाहार कार्यक्रम के लिए 3,220 करोड़ की व्यवस्था की है। निराश्रित महिला व उनके बच्चों की शिक्षा अनुदान योजना को इस बार श्रेणियों में बांट दिया गया है। योजना के अन्तर्गत सामान्य वर्ग के लाभार्थियों के लिए 541 करोड़ रुपए और अनुसूचित जाति, जनजाति की श्रेणी में आने वाली महिलाओं के लिए 96 करोड़ रुपये का इंतजाम किया गया है। वर्ष 2015-16 के बजट इस मद में सरकार ने 637 करोड़ रुपये आवंटित किये थे।  एनजीओ के जरिये संचालित वृद्ध महिला आश्रम योजना में 6 करोड़ 50 लाख आवंटित किये गये हैं। प्रदेश के 11 जिलों में रानी लक्ष्मी बाई आशा ज्योति केन्द्र की स्थापना के लिए 12 करोड़ का इंतजाम किया गया है।

बुंदेलों के दर्द का भान और सियासी जवाब




बुंदेलों के दर्द का भान और सियासी जवाब

बुंदेलखंड की विशेष योजनाओं का बजट तीन गुना किया

परवेज अहमद, लखनऊ : राज्य की समाजवादी सरकार में बुंदेलखंड की हिस्सेदारी भले न हो, मगर सूखे से बदहाल किसानों व बेरोजगारी के दंश से कराहते नौजवानों का 'दर्दÓ जरूर उसने महसूस किया है। विशेष योजनाओं के बजट में तीन गुनी बढ़ोत्तरी इसका भान करा रही है। वर्ष 2016-17 के बजट में बुंदेलखंड की विशेष योजना के लिए 200 करोड़ का इंतजाम है, जबकि चालू वित्तीय वर्ष में यह राशि सिर्फ 71 करोड़ 50 लाख थी।
बुंदलेखंड की बदहाली देश और दुनिया में सुर्खियां बनने के साथ सियासी दलों के दांव-पेंच का अखाड़ा भी है। इलाके की उपेक्षा होने के कांग्र्रेस, भाजपा के इल्जामों का जवाब देने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने 27 जनवरी को कालपी से हमीरपुर तक का 51 किलोमीटर लंबा रोड शो किया था। हमीरपुर में जैविक खेती को बढ़ावा देने का और हर गरीब को समाजवादी पेंशन का एलान किया था।  सौर ऊर्जा संयत्र की शुरूआत की थी, अब वर्ष 2016-17 के बजट में मुख्यमंत्री ने जैविक खेती की घोषणा को मुकाम देने के लिये 10 करोड़ रुपए का इंतजाम किया है। खरीफ के दौरान आच्छादन बढ़ाने की मंशा से तिल के बीजों पर 100 रुपए प्रति किलोग्राम का अनुदान देने की योजना को जारी रखने घोषणा भी की है। झांसी में बेतवा नदी पर एरच के पास सिंचाई की बहुउद्देशीय परियोजना के लिए 150 करोड़ रुपए का इंतजाम किया है, इस योजना पर काम शुरू हो गया है।
19 विधानसभा क्षेत्रों के वाले बुंदेलखंड के बाशिंदों को पीने का साफ पानी उपलब्ध कराने के लिए 200 करोड़ का इंतजाम किया है। बुंदेलखंड व विंध्य क्षेत्र की नदी, नालों व चोहड़ों से बहने वाले पानी को संरक्षित कर ग्रामीण पेयजल योजना चलाने के लिए 500 करोड़ रुपए का इंतजाम किया गया है। बुंदेलखंड के जिन पहाड़ी क्षेत्रों में पाइप लाइन के जरिए पानी पहुंचाना संभव नहीं है, वहां टैंकर द्वारा पेयजल आपूर्ति के लिएदो करोड़ रुपये का भी इंतजाम किया गया है। तिलहन प्लांट के लिये 15 करोड़ रुपए की व्यवस्था की है। दरअसल,इस क्षेत्र में विकास की गाड़ी चलाने के लिये बजट में बड़ी राशि का इंतजाम कर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने विरोधी दलों खासकर कांग्र्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के इल्जामों का जवाब देने का प्रयास किया है।  ध्यान रहे, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने महोबा के गांवों का दौरा कर राज्य की समाजवादी सरकार को घेरने का पूरा प्रयास किया था। जबकि वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में जनसंपर्क अभियान में निकले अखिलेश यादव ने ललितपुर में पूरे चुनावी अभियान की सबसे बड़ी रैली की थी, जिसका जिक्र मुख्यमंत्री खुद भी करते हैं। बावजूद इसके इस क्षेत्र से किसी को नुमाइंदगी नहीं देने के इल्जामों को भी विकास योजनाओं के जरिये धोने का प्रयास किया है।



Monday 1 February 2016

शपथ...सेल्फी और उम्मीदों का आसमां


31.01.2016

-मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने नेता प्रतिपक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य को लपककर गले लगाया
-लोकायुक्त की बेटी, रिश्तेदारों ने खूब खींची सेल्फी
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,लखनऊ : राजभवन यूं तो अक्सर संगीत, शपथ, साहित्यिक, सियासी गुफ्तगू का गवाह बनता है, मगर रविवार की शपथ खास थी। राज्य में पहली बार सुप्रीम कोर्ट से नियुक्त जस्टिस संजय मिश्र लोकायुक्त पद की शपथ लेने पहुंचे थे और इन पलों का गवाह बनने के लिये उनकी बेटी राशि मिश्र, पत्नी सुधा मिश्र, तीन भाई, उनके बच्चे और सुदूर राज्य मुंबई से आए कई रिश्तेदार मौजूद थे। शपथ ग्र्रहण खत्म होते ही जहां इन लोगों ने सेल्फी के जरिये खुशियों को चार-चांद लगाना शुरू किया तो दूसरी ओर वहां मौजूद कई अधिकारियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं ने लोकायुक्त से भविष्य की उम्मीदों का खाका खींचना शुरू कर दिया।
शपथ के पलों का गवाह बनने मुंबई से आयीं उनकी नजदीकी रिश्तेदार बीना अग्र्रवाल ने कहा कि जस्टिस मिश्र सहिष्णुता की प्रतिमूर्ति हैं। यह पद उनकी मेहनत व साख का नतीजा है। उन्होंने इन पलों को मोबाइल में कैद किया है, जो उनके परिवार की भी धरोहर है। समारोह में शामिल होने आया दस साल का श्रेयांश मिश्र बोला-'यहां से अच्छी सेल्फी कहां मिलेगी।Ó शपथ ग्रहण में लोकायुक्त संजय मिश्र के भाई लोकेश, शुभ और अखिलेश मिश्र भी अपनी पत्नी व बच्चों के साथ मौजूद थे। परिवार की महिलाओं ने भी शपथ ग्र्रहण के बाद खूब सेल्फी खींची। परिवार के एक सदस्य ने बताया कि स्वास्थ्य कारणों से लोकायुक्त की दूसरी बेटी नहीं आ सकी, इसलिए हमने सोशल मीडिया के जरिये फोटो भेजी है। इससे इतर एक पल वह भी आया जब मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने वहां मौजूद विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य को न सिर्फ लपककर गले लगाया बल्कि तस्वीरें भी खिंचवाईं। दरअसल अदालत में लोकायुक्त की नियुक्ति का मामला विचाराधीन होने के दौरान छह जनवरी को स्वामी प्रसाद मौर्य ने राज्यपाल को एक पत्र लिखा था जिससे सरकार थोड़ा असहज हो गयी थी।
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लोकायुक्त बने जस्टिस संजय मिश्र
-सातवें लोकायुक्त के रूप में राज्यपाल ने दिलायी शपथ
-पूर्व सांसद अमर सिंह भी शामिल हुए समारोह में
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 लखनऊ : प्रदेश को नया लोकायुक्त मिल गया। रविवार की शाम राजभवन में राज्यपाल राम नाईक ने इलाहाबाद हाईकोर्ट से सेवानिवृत न्यायमूर्ति संजय मिश्र को लोकायुक्त पद की शपथ दिलायी। इस दौरान मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी मौजूद थे। पूर्व सांसद अमर सिंह की मौजूदगी और अधिकारियों, सपाइयों की ओर से उन्हें मिलने वाली तवज्जो भी आकर्षण का केंद्र रही।  
गांधी सभागार में पद, गोपनीयता और ईमानदारी की शपथ लेने के बाद न्यायमूर्ति (अवकाश प्राप्त) संजय मिश्र ने नियुक्ति के वारंट पर हस्ताक्षर किए। राज्यपाल व मुख्यमंत्री ने संजय मिश्र को मुबारकबाद दी। संजय मिश्र सातवें लोकायुक्त के रूप में कार्यभार संभालेंगे। उनका कार्यकाल आठ साल होगा। इस अवधि के बाद भी नई नियुक्ति होने तक वह कार्य करते रहेंगे। बमुश्किल दो मिनट के अंदर शपथ और नियुक्ति की कार्यवाही पूरी होते ही राष्ट्रगान की धुन बजी और प्रमुख सचिव सतर्कता देबाशीष पंडा ने समारोह खत्म होने की घोषणा की। इस मौके पर विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य, मंत्री राजेन्द्र चौधरी, पूर्व लोकायुक्त एनके मेहरोत्रा, मुख्य सचिव आलोक रंजन, मुख्यमंत्री की प्रमुख सचिव अनीता सिंह, कृषि उत्पादन आयुक्त प्रवीर कुमार, प्रमुख सचिव सूचना नवनीत सहगल, हाईकोर्ट से सेवानिवृत न्यायमूर्ति सुधीर सक्सेना, न्यायमूर्ति आरबीएस राठौर भी मौजूद थे।
ध्यान रहे, सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति रंजन गोगोई व न्यायमूर्ति पीसी पंत की पीठ ने 28 जनवरी को अपने फैसले में 18 नवंबर 2014 को हाईकोर्ट से सेवानिवृत हुए न्यायाधीश संजय मिश्र को लोकायुक्त नियुक्त किया था। अदालत के आदेश पर अमल करते हुए सरकार ने उसी दिन नियुक्ति का प्रस्ताव राज्यपाल राम नाईक को भेज दिया था और राज्यपाल ने नियुक्ति का आदेश जारी करते हुए शपथ ग्र्रहण का दिन और समय तय कर दिया था।








अमर से दिल का रिश्ता दल की ओर बढ़ा

31.01.2016

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-लोकायुक्त के शपथ ग्रहण में शामिल होने से फिर चर्चा ने जोर पकड़ा
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राज्य ब्यूरो, लखनऊ : पूर्व राज्यसभा सदस्य अमर सिंह और सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के बीच 'दिलÓ का रिश्ता फिर 'दलÓ से जुड़ाव की ओर बढ़ रहा है। पार्टी के बड़े ओहदेदार भी दबी जुबान इसे स्वीकारने लगे हैं।
गुजरे सोमवार को अमर सिंह ने पहले मुलायम ंिसह फिर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मुलाकात की और वापस दिल्ली लौट गए। रविवार को वह अदालत से लोकायुक्त नियुक्त जस्टिस संजय मिश्र के शपथ ग्र्रहण में शरीक हुए। समारोह से जब उठे तो मीडिया कर्मियों ने पूछा, अमर के 'दिलÓ में होने के मुलायम के बयान पर आजम की तंजिया टिप्पणी आयी है, क्या कहेंगे? जवाब में अमर बोले, दिल बेदाग और पवित्र होता है जबकि दल में जरूरत छिपी होती है। नेताजी (मुलायम सिंह यादव) की टिप्पणी पर हुई टिप्पणी पर अब वह टिप्पणी की जरूरत नहीं महसूस करते। मुलायम से पारिवारिक रिश्ते हैं, इसमें शक नहीं है। उन्होंने अब कभी भी नेताजी (मुलायम) से कुछ मांगा नहीं। इतना कहकर वह आगे बढ़े तो दूसरा सवाल हुआ-शेर के जरिये ही सही मौजूदा रिश्ते व हालात बयां कर दीजिए। अमर ठिठके और बोले, 'कभी रात दिन हम दूर थे, दिन-रात का अब साथ है। वह भी इत्तिफाक था, यह भी इत्तिफाक है।Ó इस शेर को सपा और अमर के बीच के रिश्तों की पहेली सुलझाने का संकेत माना जाए तो साफ है कि आने वाले दिनों में मुलायम सिंह के साथ दिल का यह रिश्ता दलीय रिश्ते में फिर तब्दील होगा।
2014 में सपा के राष्ट्रीय अधिवेशन में अमर सिंह की शिरकत के साथ ही उनका नेतृत्व के साथ मुलाकातों का सिलसिला शुरू हुआ था। तब से वह कुछ-कुछ अंतराल में मुलायम सिंह, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव व वरिष्ठ मंत्री शिवपाल यादव से मिलते रहते हैं। मगर सपा में उनकी वापसी की जैसे चर्चा होती, मंत्री आजम खां या फिर महासचिव प्रो.राम गोपाल यादव की ओर से तल्ख बयान आए। कुछ अरसे से प्रो.राम गोपाल ने इस पर चुप्पी साध ली है और आजम ने भी सीधी टिप्पणी से बच करतंजिया जुमलेबाजी शुरू की है।
गुरुवार को जिस तरह से मुलायम ने दो टूक कहा कि अमर सिंह दल में नहीं मगर दिल में हैं। उसके बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव फीरोजाबाज में बोल ही दिया कि 'नेताजी ने कह दिया है तो अमर सिंह दिल में ही हैं।Ó इसके कुछ घंटों बाद लोकायुक्त के शपथ ग्र्रहण में अमर सिंह ने हिस्सेदारी की और मुख्यमंत्री के करीब जाकर उनसे बात करने का अंदाज से दलीय रिश्ते जुडऩे का समय करीब होने का भान करा रहा था। सपा के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि समाजवादी पार्टी के साथ लंबे समय से जुड़े लेकिन इन दिनों असंतुष्ट चल रहे राजपूत नेताओं के वर्चस्व को कम करने के लिए पार्टी के रणनीतिकार अब अमर सिंह की जरूरत महसूस कर रहे हैं। राज्यसभा चुनाव से पहले अमर का पार्टी में फिर शामिल होना संभव है।