२०.१२.२०१३
परवेज अहमद लखनऊ:...वे गली-गली धूल फांकते हैं, ताने-तिशने सुनते हैं। जोड़-तोड़ से जनसेवा तक में कसर नहीं छोड़ते, तब कहीं जाकर जनप्रतिनिधि (विधायक) का खिताब पाते हैं, फिर भी 'सरकार प्रतिनिधियोंÓ के जलवे-जलाल के आगे वह बिलकुल फीके रहते हैं।
प्रदेश की समाजवादी सरकार अब तक 84 लोगों को निगमों का चेयरमैन, सलाहकार और अध्यक्ष बनाकर कैबिनेट, राज्य और उपमंत्री का दर्जा दे चुकी है। जिनमें से कई दर्जाधारी दफ्तर और अधिकार पाने के लिए विभागीय मंत्री के साथ 'संघर्षÓ कर रहे हैं, मगर लालबत्ती वाली कार, पिस्तौलधारी शैडो, कार्बाइनधारी गनर और आठ-आठ घण्टे की ड्यूटी में रायफल धारी सिपाही जरूर मुस्तैद हैं, ये जवान दर्जाधारी के मूल जिले की नागरिक पुलिस से लेकर दिये गये हैं।
सूत्रों का कहना है कि सूबे के प्रत्येक जिले में एक और कई जिलों में दो से तीन तक दर्जाधारी राज्यमंत्री हैं। एक विधायक का कहना है कि दर्जा प्राप्त लोगों की जनता के बीच कोई जवाबदेही होती नहीं है। अधिकारी भी उन्हें सत्ताशीर्ष का करीबी मानते हैं, लिहाजा वह उन्हें विधायकों से ऊपर का मानते हैं। ऐसे में हर समय जनता के बीच रहने वाले विधायकों को कई बार मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। अधिकारी भी विधायकों के कार्य के स्थान पर दर्जाधारी की सिफारिश को ज्यादा तवज्जो देते हैं।
सत्तारूढ़ दल के ही एक दूसरे विधायक का कहना है कि हाइकोर्ट ने लालबत्ती हटाने का आदेश देकर अच्छा कार्य किया है, इससे क्षेत्र में कम से कम विधायक की गरिमा तो बनी ही रहेंगी।
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विधायकों को सुविधा
-महंगाई और अन्य भत्तों को मिलाकर तकरबीन 65 हजार रुपए मासिक वेतन
-डेढ़ लाख रुपए के ट्रेन और वायुयान कूपन, इस धनराशि में क्षेत्रीय भत्ता भी शामिल है।
-आवास और मुफ्त बिजली की सुविधा
-टेलीफोन, मोबाइल खर्च के लिए छह हजार रुपए मासिक अधिकतम
-एक गनर की सुविधा, दूसरे गनर के लिए जवान के वेतन की 10 फीसद धनराशि जमा करनी होती है। (हालांकि सरकार ज्यादातर विधायकों को दूसरा गनर भी सरकारी खर्च पर भी उपलब्ध करा देती है)
-सचिवालय अथवा किसी भी सरकार भवन में कार्यालय की सुविधा नहीं
-कोई पीए, पीएस की सुविधा नहीं
-गाड़ी की भी सुविधा नहीं
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दर्जा प्राप्त को सुविधा
- राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त व्यक्ति को 40,000 उपमंत्री का दर्जा प्राप्त व्यक्ति को 35 हजार रुपए मासिक वेतन।
-दर्जा प्राप्त को लालबत्ती लगी सरकारी कार, ड्राइवर और उसमें खर्च होने वाला पेट्रोल राज्य सम्पत्ति विभाग की ओर से उपलब्ध कराया जाता है।
-दर्जा प्राप्त को सचिवालय के भवनों में से किसी एक में कार्यालय, निजी सचिव, वैयक्तिक सहायक और दो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी उपलब्ध होते हैं।
-राज्य सम्पत्ति की ओर से सरकारी आवास उपलब्ध कराया जाएगा, अगर राज्यमंत्री स्तर का व्यक्ति सरकारी आवास नहीं लेता है, उसे हर माह 10 हजार रुपए और उपमंत्री स्तर के व्यक्ति को आठ हजार मासिक आवास भत्ता।
-पदीय कर्तव्य के लिए यात्रा करने पर रेल गाड़ी के उच्चतम श्रेणी के कूपे अथवा वायुयान में एक सीट अनुमन्य है। जिसका भुगतान सरकारी कोष से होता है।
- यात्रा भत्ता, चिकित्सा प्रतिपूर्ति, टेलीफोन, मोबाइल और आवश्यकतानुसार पर्सनल स्टाफ और कुछ मानदेय भी संबंधित महकमे की ओर से किया जाता है।
- राज्यमंत्री स्तर के व्यक्ति को प्रतिमाह 10 हजार और उपमंत्री स्तर के व्यक्ति को प्रतिमाह साढ़े सात हजार रुपए प्रतिमाह जलपान भत्ता
-निरीक्षण भवनों में मुफ्त ठहरने की सुविधा
- पदीय कर्तव्य के लिए सूबे के अन्दर यात्रा पर राज्यमंत्री स्तर के महानुभाव को 600 रुपए प्रतिदिन और सूबे के बाहर की यात्रा पर 750 प्रतिदिन यात्रा भत्ता।
-जिन निगमों, संस्था, परिषद की आर्थिक स्थिति खराब है और वह दर्जा प्राप्त महानुभाव पर आने वाला खर्च वहन करने में सक्षम नहीं है, ऐसी संस्थाओं के प्रशासकीय विभाग वित्त विभाग की सहमति से अपने बजट में सुसंगत मदों में यथोचित धनराशि की व्यवस्था करें।
-एक शैडो, एक गनर और आठ घण्टे की ड्यूटी पर तीन पुलिस कर्मियों की सुरक्षा
-दर्जा प्राप्त के यात्रा वाले महानुभाव सत्तारूढ दल के रौब में एक थाने से दूसरे थाने तक पुलिस एस्कोर्ट तक चलवाते हैं हालांकि यह उन्हें अनुमन्य नहीं है।
परवेज अहमद लखनऊ:...वे गली-गली धूल फांकते हैं, ताने-तिशने सुनते हैं। जोड़-तोड़ से जनसेवा तक में कसर नहीं छोड़ते, तब कहीं जाकर जनप्रतिनिधि (विधायक) का खिताब पाते हैं, फिर भी 'सरकार प्रतिनिधियोंÓ के जलवे-जलाल के आगे वह बिलकुल फीके रहते हैं।
प्रदेश की समाजवादी सरकार अब तक 84 लोगों को निगमों का चेयरमैन, सलाहकार और अध्यक्ष बनाकर कैबिनेट, राज्य और उपमंत्री का दर्जा दे चुकी है। जिनमें से कई दर्जाधारी दफ्तर और अधिकार पाने के लिए विभागीय मंत्री के साथ 'संघर्षÓ कर रहे हैं, मगर लालबत्ती वाली कार, पिस्तौलधारी शैडो, कार्बाइनधारी गनर और आठ-आठ घण्टे की ड्यूटी में रायफल धारी सिपाही जरूर मुस्तैद हैं, ये जवान दर्जाधारी के मूल जिले की नागरिक पुलिस से लेकर दिये गये हैं।
सूत्रों का कहना है कि सूबे के प्रत्येक जिले में एक और कई जिलों में दो से तीन तक दर्जाधारी राज्यमंत्री हैं। एक विधायक का कहना है कि दर्जा प्राप्त लोगों की जनता के बीच कोई जवाबदेही होती नहीं है। अधिकारी भी उन्हें सत्ताशीर्ष का करीबी मानते हैं, लिहाजा वह उन्हें विधायकों से ऊपर का मानते हैं। ऐसे में हर समय जनता के बीच रहने वाले विधायकों को कई बार मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। अधिकारी भी विधायकों के कार्य के स्थान पर दर्जाधारी की सिफारिश को ज्यादा तवज्जो देते हैं।
सत्तारूढ़ दल के ही एक दूसरे विधायक का कहना है कि हाइकोर्ट ने लालबत्ती हटाने का आदेश देकर अच्छा कार्य किया है, इससे क्षेत्र में कम से कम विधायक की गरिमा तो बनी ही रहेंगी।
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विधायकों को सुविधा
-महंगाई और अन्य भत्तों को मिलाकर तकरबीन 65 हजार रुपए मासिक वेतन
-डेढ़ लाख रुपए के ट्रेन और वायुयान कूपन, इस धनराशि में क्षेत्रीय भत्ता भी शामिल है।
-आवास और मुफ्त बिजली की सुविधा
-टेलीफोन, मोबाइल खर्च के लिए छह हजार रुपए मासिक अधिकतम
-एक गनर की सुविधा, दूसरे गनर के लिए जवान के वेतन की 10 फीसद धनराशि जमा करनी होती है। (हालांकि सरकार ज्यादातर विधायकों को दूसरा गनर भी सरकारी खर्च पर भी उपलब्ध करा देती है)
-सचिवालय अथवा किसी भी सरकार भवन में कार्यालय की सुविधा नहीं
-कोई पीए, पीएस की सुविधा नहीं
-गाड़ी की भी सुविधा नहीं
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दर्जा प्राप्त को सुविधा
- राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त व्यक्ति को 40,000 उपमंत्री का दर्जा प्राप्त व्यक्ति को 35 हजार रुपए मासिक वेतन।
-दर्जा प्राप्त को लालबत्ती लगी सरकारी कार, ड्राइवर और उसमें खर्च होने वाला पेट्रोल राज्य सम्पत्ति विभाग की ओर से उपलब्ध कराया जाता है।
-दर्जा प्राप्त को सचिवालय के भवनों में से किसी एक में कार्यालय, निजी सचिव, वैयक्तिक सहायक और दो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी उपलब्ध होते हैं।
-राज्य सम्पत्ति की ओर से सरकारी आवास उपलब्ध कराया जाएगा, अगर राज्यमंत्री स्तर का व्यक्ति सरकारी आवास नहीं लेता है, उसे हर माह 10 हजार रुपए और उपमंत्री स्तर के व्यक्ति को आठ हजार मासिक आवास भत्ता।
-पदीय कर्तव्य के लिए यात्रा करने पर रेल गाड़ी के उच्चतम श्रेणी के कूपे अथवा वायुयान में एक सीट अनुमन्य है। जिसका भुगतान सरकारी कोष से होता है।
- यात्रा भत्ता, चिकित्सा प्रतिपूर्ति, टेलीफोन, मोबाइल और आवश्यकतानुसार पर्सनल स्टाफ और कुछ मानदेय भी संबंधित महकमे की ओर से किया जाता है।
- राज्यमंत्री स्तर के व्यक्ति को प्रतिमाह 10 हजार और उपमंत्री स्तर के व्यक्ति को प्रतिमाह साढ़े सात हजार रुपए प्रतिमाह जलपान भत्ता
-निरीक्षण भवनों में मुफ्त ठहरने की सुविधा
- पदीय कर्तव्य के लिए सूबे के अन्दर यात्रा पर राज्यमंत्री स्तर के महानुभाव को 600 रुपए प्रतिदिन और सूबे के बाहर की यात्रा पर 750 प्रतिदिन यात्रा भत्ता।
-जिन निगमों, संस्था, परिषद की आर्थिक स्थिति खराब है और वह दर्जा प्राप्त महानुभाव पर आने वाला खर्च वहन करने में सक्षम नहीं है, ऐसी संस्थाओं के प्रशासकीय विभाग वित्त विभाग की सहमति से अपने बजट में सुसंगत मदों में यथोचित धनराशि की व्यवस्था करें।
-एक शैडो, एक गनर और आठ घण्टे की ड्यूटी पर तीन पुलिस कर्मियों की सुरक्षा
-दर्जा प्राप्त के यात्रा वाले महानुभाव सत्तारूढ दल के रौब में एक थाने से दूसरे थाने तक पुलिस एस्कोर्ट तक चलवाते हैं हालांकि यह उन्हें अनुमन्य नहीं है।