Tuesday 27 February 2018

जब ज़ुल्म-ओ-सितम के कोह-ए-गरां रूई की तरह उड़ जायेंगें

...जब ज़ुल्म-ओ-सितम के कोह-ए-गरां  रूई की तरह उड़ जायेंगें

हते हैं-'सरकार के हाथ बहुत लम्बे, कान बहुत बड़े होते हैं।' यह सच है ? तब ये बात उस तक कैसे नहीं पहुंच रही कि जो तबका 2014 फिर 2017 में सुबह से शाम तक गांव-गलियारे। खेत-खलिहान। पंचायत घर। चाय-पान की दुकान। यहां तक कि अपने घरों के अंदर सरकार वाले दल (BJP) का पैरोकार था। वही कुछ महीनों के अंदर बेचैन है। बेचैनी भी सामान्य नहीं, समर्थक दल के प्रति उमड़ी भावनाओं को कुचल डालने की हद तक है !! यह स्थिति चंद नौकरशाहों के चलते बन रही है।


बात औरैया की घटना से। गांव में प्रदर्शन हो रहा था, एक पत्रकार मौके पर पहुंचा। गांव के ही रहने वाले थे, ग्रामीणों की मनुहार पर पुलिस को फोन कर दिया। चेताया दिया कि " न्याय करो वरनो दिक्कत होगी।" पत्रकारों की यह सामान्य भाषा है। मगर पुलिस ने उन्हीं को मुजरिमा बना दिया। मानिंद लोगों में शुमार प्रेस क्लब अध्यक्ष सुरेश मिश्र ने नाराजगी जाहिर की तो एक शेरेपुश्त से उनके विरुद्ध डकैती का मुकदमा लिखा दिया। हंगामा होना था, हुआ। ढेरों लोग IG कानपुर की ड्योढ़ी पहुंचे, जो गए थे उनके "दिल में सरकार बसती" थी। IG ने दूसरे जिले के ईमानदार अधिकारी को जांच सौंपी। आईओ मौके पर गया-हर पक्ष खंगाला। लिखा-"एफआईआर झूठी है।" अब जिले में डाल-डाल, पांत-पांत का खेल चल रहा है। 

बात छिबरामऊ कीः
...बात छिसोमवार को यहां के व्यक्ति ने एक भूखंड की खुदाई शुरू की, इसमें मंदिर के गुंबद जैसा अवशेष नजर आया। भीड़ जुटी। विरोध हंगामे में तब्दील होने लगा। पत्रकार कोतवाली पहुंचे...माहौल संभालने के उपाय पूछे तो पुलिस अपने पर उतर आई। पुलिस जब अपने पर उतरती है तो "लत्ते (सड़ा हुआ कपड़ा) को सांप" बना देती है। उसने वही किया भी। हुक्म जारी हो गया कि ये पत्रकार कोतवाली फटक न पाएं। ये पत्रकार सरकार से भाव विह्वल रहे हैं।
...अब लखीमपुर। 
जहां दुघर्टना के बाद पुलिस की कारगुजारी बताने पर कुछ एेसा हुआ-जिसे लिखना उचित नहीं। सहारनपुर, सीतापुर, बांदा, बाराबंकी, उन्नाव समेत कई जिलों के ढेरों किस्से हैं। 
....कहने का आशय यह है कि गांव-गलियारे के पत्रकारों को सिर्फ "सूचना प्रेषक" न समझें। जब माननीय सांसद, विधायक, मंत्री, कलेक्टर, एसपी तक पीड़ित नहीं पहुंच पाता तब वह उसी ग्रामीण पत्रकार के पास जाता है। वो यथासामर्थ फोन करता है। उनकी बात लिखता है। जाहिर, धीरे-धीरे उसका अपना जनाधार बनता है, जो जाति, धर्म, संप्रदाय से ऊपर होता है।... और हां, इतिहास गवाह है कि देश-दुनिया में हाहाकार मचाने वाली खबरों में से 90 फीसद ग्रामीण पत्रकारों ने ही ब्रेक की हैं। एेसे जनाधार वाले पत्रकारों के दिल में 2014 से उमड़ी भावनाएं कुचल डालने की मंशा परवान चढ़ गई तो "साइनिंग यूपी", "वाइब्रेंट यूपी", "उत्तम यूपी" " विकास की ओर अग्रसर यूपी" के नारे सिर्फ लखनऊ की सुर्खियां बनकर रह जाएंगे... !!!! 
सरकार आपके हाथ लंबे हैं, कान बड़े हैं तो गांव-गलियारों की आबोहवा का आकलन कर लें। हां, मेरी बात पर भरोसा न हो तो यूपी में एक "घुमन्तू बाबा" हैं। उनको बुलाकर सच्चाई जान लें। यह बता दूं ये घुमन्तू बाबा 56-58 की उम्र में भी रोडवेज की खटारा बसों से घूम-घूमकर जनता की भावनाएं/ नब्ज परख रहे हैं। कभी-कभार लिख भी देते हैं। ये बाबा सूबे और केन्द्र वाली सरकार के दल को 25 सालों से जान समझ रहे हैं। सुझाव न मानिए तो अपनी इंटेलीजेंस की लंबी-चौड़ी फौज से सच पता कराइए। सच कहता हूं "घुमन्तू बाबा" राजनीतिक झूठ नहीं बोलते हैं।.....


Saturday 24 February 2018

यूपी से दसवां सदस्य कौन !!!

यूपी से दसवां सदस्य कौन !!! 
UP से दसवां राज्यसभा सदस्य कौन होगा ? खांटी राजनीतिज्ञ या पूंजीपति ! ये जिज्ञासा विधानसभा के सदस्यों की संख्या के चलते हैं। 403 (निर्वाचित) सदस्यों वाले सदन में भाजपा के सदस्यों की संख्या 311 है। 13 घोषित समर्थक और  तीन से 5 दूसरे विधायक भी भाजपा के साथ हैं। एक व्यक्ति को राज्यसभा का सदस्य बनाने को तकरीबन 37 वोटों की जरूरत होगी। इस लिहाज से भाजपा जिन आठ लोगों को टिकट देगी, उनकी जीत तय है। सपा के पास 47 सदस्य हैं यानी वह जिस एक व्यक्ति को टिकट देगी, उसकी जीत तय है। यानी दस में से नौ सीट का परिणाम तय है। अब बची एक सीट जिसके लिए किसी एक विपक्षी दल के पास पर्याप्त वोट नहीं है। एक सदस्य को निर्वाचित कराने के बाद सपा के पास 10 वोट बचेंगे। कांग्रेस के पास 07 वोट हैं। बसपा के पास 19 सदस्य हैं। यानी ये दल अपने बूते दसवें सदस्य को जिता नहीं सकते। सपा, बसपा और कांग्रेस का गठबंधन दसवें सदस्य को राज्यसभा भेज सकता है। तीनों दल एक जुट होंगे ?? यह यक्ष प्रश्न है, जिसका उत्तर 12 मार्च को ही मिलेगा। अगर तीनों का गठजोड़ बना तो प्रभाव "2019" के चुनाव पर नजर आएगा। अगर गठबंधन नहीं बना। दलों ने अपने विधायकों को "आत्मा की आवाज" पर वोट डालने का संकेत दे दिया। तब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या भाजपा 9वां प्रत्याशी मैदान में उतारती है।अथवा किसी पूंजीपति-खांटी राजनीतिज्ञ को भाग्या आजमाने देने के लिए मैदान खुला छोड़ देती है।....राजनीति में हमेशा कयास, गोटें बिछाने का दांव चला जाता और संभावना, आशंका के आधार पर लेखन होता है। बावजूद इसके राज्यसभा के इस चुनाव में  दसवां सदस्य कौतूहल का विषय होगा।
संभावित फार्मूला
-भाजपा सीधे नौ सदस्यों

का नामांकन कराए और विपक्षी फूट का लाभ उठाकर सभी को जिता ले। क्योंकि अगर द्वितीय वरीयता के मतों की गिनती की नौबत आई तो भाजपा के दसवें सदस्यो को 325 से अधिक वोट सीधे मिलेंगे।
-विपक्षी दल आपसी सहमित से दसवें सदस्य को मैदान में उतार दे और भाजपा नैतिकता के आधार यह मानकर की सदस्यों की संख्या के आधार पर दो सीटें विपक्ष को जाती हैं, मतदान की नौबत ही न आने दे।
-विपक्षी दल खासकर बसपा (जिसके सदस्यों की संख्या 19 है) कोई हैवीवेट प्रत्याशी उतारे और बाकी के दल भविष्य की संभावनाओं के मद्देनजर उसे समर्थन कर दे।
-सपा अपना दूसरा प्रत्याशी उतारे और बसपा अपने विधायकों को अंर्तात्मा की आवाज पर वोट डालने के लिए आजाद कर दे।
-कांग्रेस अपना एक प्रत्याशी मैदान में उतारे और यूपी के "लड़कों की दोस्ती वाला" फार्मूला फिर अमल में आता दिखे और बसपा मौन रह जाए।
-या फिर तीनों दल किसी बड़े औद्योगिक घराने को प्रत्याशी उतारने दे और भविष्य की संभावनाएं उसमें टटोलने का फैसला करे। (जैसा हरियाणा में भाजपा कर चुकी है।)
राज्यसभा चुनाव का कार्यक्रम
-नाम निर्देशन की अधिसूचना की तिथि : 05 मार्च 
-नाम दाखिल करने की अंतिम तिथि : 12 मार्च 
-नामांकन की जांच : 13 मार्च 2018
-नाम वापसी : 15 मार्च 
-मतदानः 23 मार्च (सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे)
-मतगणनाः 23 मार्च (शाम पांच बजे से परिणाम तक)
रिक्त सीटेंः दस
एक सीट के लिए आवश्यक वोटों की संख्या-37.5
मौजूदा समय में दलीय संख्या
0-भाजपा-311सपा- 47 बसपा- 19 अपना दल (सोनेलाल)-09 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस-07 सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी-04 राष्ट्रीय लोकदल-एक निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल-एकनिर्दलः तीन (अमन मणि त्रिपाठी, रघुराज प्रताप सिंह, विनोद सरोज)नामितः एक (डॉ.डेनजिल जे गोडिन) एक सीट रिक्त है।
भाजपा गठबंधन के सदस्य
- भाजपा (311) + अपना दल-09 + सुलेहदेव भारतीय समाज पार्टी-04 = 324
-राष्ट्रपति चुनाव के इतिहास पर नजर डालें- निर्दल (03) + सपा के 03 सदस्यों ने भाजपा प्रत्याशी को वोट दिया।
- इनमें से एक सपा सदस्य ने निजी संबंधों की दुहाई देकर, दो ने क्रास वोटिंग की।
-यदि राज्यसभा चुनाव में पुनरावृत्ति हुई तो भाजपा गठबंधन के सदस्यों की संख्या-330 हो जाएगी।
-कुछ अरसे से निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल के सदस्य की भाजपा से नजदीकी दिख रही है। 
-UP कोटे की राज्यसभा में सीटों की संख्या-31 (मायावती के इस्तीफे के बाद से एक रिक्त)
राज्यसभा में UP की स्थिति  
SP:18 (किरनमय नंदा, नरेश अग्रवाल, जावेद खां, तजीन फातिमा, आलोक तिवारी, सुरेन्द्र नागर, विशम्भर निषाद, जया बच्चन, चन्द्रपाल सिंह, दर्शन सिंह, रामगोपाल यादव, मुनव्वर सलीम, सुखराम चौधरी, बेनी वर्मा, रवि प्रकाश वर्मा, नीरज शेखर, संजय सेठ, रेवती रमण सिंह)-अमर सिंह सपा के टिकट पर राज्यसभा गए ,  सपा ने उन्हें  निकाल दिया। जिस पर उन्हें राज्यसभा में  निर्दल  की मान्यता है।
-BJP:03(विनय कटियार, हरदीप सिंह और शिवप्रताप)
-congress:03 (पीएल पुनिया, कपिल सिब्बल, प्रमोद तिवारी)
-BSP:05(वीर सिंह, सतीश मिश्र, राजाराज, मुनकाद अली, अशोक सिद्धार्थ)   
इनका कार्यकाल हो रहा पूरा
-नरेश अग्रवाल , दर्शन सिंह यादव, नरेश चन्द्र अग्रवाल, जया बच्चन, चौधरी मुनव्वर सलीम और आलोक तिवारी: (SP), -विनय कटियार ; (BJP)-प्रमोद तिवारी: (CONGRESS)



Friday 23 February 2018

यही वह शहर जो अब मेरी जुबान देखता है।"






रेल मंत्री पीयूष गोयल लखनऊ में थे। कहते हैं- यूपी के विकास के लिए उन्होंने धन का पिटारा खोल दिया !!! शुक्रिया। उनका भी शुक्रिया जिन्होंने पिटारा खुलता महसूस कराया। कहना यह है कि ' पिटारा' खोले बिना UP में विकास की रेल सरपट दौड़ सकती है। भगवान श्रीराम के प्रति आस्था और परवान चढ़ सकती है। महर्षि बाल्मीकि का दर्शन मानने वाले भी भाजपा सरकार के मुरीद हो सकते हैं।

 पूछिए कौन सी छड़ी है?? जवाब- "मानिकपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन।" है। इस स्टेशन परिसर में 5 हजार कर्मचारियों के आवास खाली हैं। डीजल लोको शेड का शानदार स्ट्रैक्चर वीरान है। शंटिंग का सिस्टम है। आइआरएस (इंडियन रेलवे सर्विस) अधिकारियों के भव्य बंगले खाली हैं। रेलवे अस्पताल भी है। रेल मंत्री का शैलून यार्ड भी है। रेलवे के पार्क हैं। सैकड़ों एकड़ जमीन है। यहां से इलाहाबाद की दूरी सिर्फ 80 किमी है। सतना 65 किमी। हर 20 मिनट पर इस स्टेशन से एक ट्रेन गुजरती है, जो दोनों शहरों को जोड़ती है। कर्वी (जिला मुख्यालय) 20 किमी है। श्रीराम ने जिन स्थलों पर 14 साल तपस्या, संघर्ष में गुजारे वह पूरा क्षेत्र यहां से 15 से 25 किमी में सिमट जाता है। महान तुलसीदास ने जिस स्थान पर रामायण लिखी, वह 38 किमी है। महर्षि बाल्मीकि आश्रम 28 किमी पर है। सड़कें हैं।....बस खाली स्ट्रक्चरों को आबाद कराना था। आस्था-विकास की रेल सरपट दौड़ने लगेगी। बीमारू बुंदेलखंड का ठोस इलाज शुरू हो जाएगा। 

भाजपा का राजनैतिक एजेंडा भी उड़ान भरने लगेगा। हां, पिटारा खोलने की जरूरत नहीं।...भगवान श्रीराम के भक्तों (आशय प्रभु के विचारों के प्रति आस्था रखने वालों से है।) से अाग्रह है- राम राज्य का ख्वाब दिखाने वाली भाजपा सरकार का इस ओर ध्यान खींचिए प्लीज !!!!!! सियासी मुश्किल भी नहीं है, बुंदलेखंड की 19 में से 19 विधानसभा सीटों से भाजपा के विधायक हैं। झांसी-ललितपुर, जालौन, हमीरपुर, बांदा, सतना, रीवां, इलाहाबाद, फतेहपुर संसदीय सीट पर भाजपा के सांसद हैं। आखिर में थोड़ा तल्ख शब्द-फतेहपुर को छोड़ दें तो इन सभी सीटों पर अल्पसंख्यकों की आबादी भी दाल में नमक जैसी है। अब विकास नहीं तो फिर कब ???
और यह सब इसलिए कि...............
"यही वह शहर जो मेरे लबों से बोलता था.
यही वह शहर जो अब मेरी जुबान देखता है।"

Monday 19 February 2018

आंकड़ों के बोल, इतिहास की चाल पर फूलपुर, गोरखपुर पर नजर

फूलपुर। गोरखपुर। संसदीय उपचुनाव-11 मार्च को वोट पड़ेंगे। योद्धा मैदान में हैं। कुछ लोगों के जेहन में परिणाम को लेकर जिज्ञासा होगी ?? मगर इस मुद्दे पर जिज्ञासा का स्थान "न..न..न" के बराबर है। हां, यह उत्सुकता जरूर हो  सकती है कि अनुसूचित जाति (दलित) के वोटरों का रुख क्या होगा ?? दोनों क्षेत्र में इस वर्ग के वोटरों की तादाद 25 फीसद के ऊपर है। जिनका कथित दावेदार अखाड़े में नहीं है।...अन्य पिछड़ा, पिछड़ा, सवर्ण कब किसके साथ रहा-यह साफ है। रही बात माइनटरी की तो 2014-लोकसभा के बाद का चुनाव इतिहास गवाह है कि UP में इस वर्ग की राजनीतिक हैसियत बची नहीं है !!! इसीलिए भविष्य के चुनावों में "बाहें तो फैलाईं होती", "मुस्लिम मतदाताओं पर नजर"। "मुस्लिम वोटर एकजुट"। " मुसलमानों का रुख तय करेगा हार-जीत "। " मुसलमानों की चुप्पी से राजनीतिक दलों में बेचैनी " जैसी हेडिंग वाली खबरें अब शायद ही सुर्खियां बने। कहीं-कभी बनीं तो उसके खास सियासी निहितार्थ होंगे। एेसे में उपचुनावों के परिणाम पर मगजमारी की ज्यादा गुंजाइश तो नहीं दिखती। समीकरण भी एेसे नहीं जिससे अजूबा हो जाए।  हां, कई राजनीतिक टीकाकारों की आंखें नम्बर-2 पर जरूर रहेंगी।
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जातीय समीकरण देखिए-फूलपुर

पटेल 18%, एससी 21%, मुस्लिम 15%, ब्राह्मण 9%, कायस्थ 6%, वैश्य 7%, यादव 6%, ठाकुर 4%, अन्य पिछड़ा 11% और अन्य 4% हैं।

विधानसभा सीटें और 2014 के परिणाम                            2017 विधानसभा का परिणाम
सीट                नम्बर-1                   नम्बर-2                   नम्बर-1                नम्बर-2
1-फाफामऊः  BJP: 92918 ///  BSP-42421              BJP-83239///     57254-SP
2-सोरांवः        BJP: 98311///  SP-45934                 BJP- 77814///   60079-BSP
3-फूलपुर:       BJP: 103681///  SP-54026               BJP- 93912///    67299 SP
4-इलाहाबाद पश्चिम-BJP: 99710///  SP-36979          BJP-85518///    60182 SP
5-इलाहाबाद उत्तर: BJP: 108391/// INC-20531        BJP-89191///   54166  INC
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लोकसभा में हार-जीत का अतरः 308308 (केशव मौर्य जीते, धर्मराज पटेल-2 रहे) 2017 विधानसभा में सभी सीटें भाजपा जीती।
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साफ है कि कुर्मी मतदाताओं का अधिकतर वोट भाजपा के साथ गया था। वरना फूलपुर संसदीय क्षेत्र की फूलपुर विधानसभा जहां कुर्मी (पटेल) मतदाता सबसे अधिक वहां सपा का पटेल प्रत्याशी भाजपा के मौर्य प्रत्याशी से 54026 मतों से पीछे नहीं होता। इसी तरह इलाहाबाद उत्तर जहां कायस्थ मतदाताओं की संख्या खासी अधिक है वहां भाजपा प्रत्याशी को 108391 वोट मिले थे जबकि इस विधानसभा क्षेत्र में दूसरे नम्बर रहे कांग्रेस के मोहम्मद कैफ को सिर्फ 20531 वोट मिले थे। सपा व बसपा के प्रत्याशी तीसरे चौथे नम्बर पर रहा।

नोटः इस बार तो भाजपा का प्रत्याशी भी पटेल जाति का ही है।
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 जातीय समीकरण देखिएः गोरखपुर

निषाद-15%, ब्राह्मण-9%,मुस्लिम-10 %,यादव- 9%, कायस्थ-4%, एससी/एसटी/ओबीसी-19% हैं। (यह आंकड़ा राजनीतिक दलों से चर्चा के आधर पर है)

गोरखपुर संसदीय सीट-2014 का परिणाम व सीटें           2017 विधानसभा का परिणाम
     सीट             नम्बर-1               नम्बर-2               नम्बर-1                       नम्बर-2 
1-कैम्पियरगंजः  BJP- 94508 ///  SP-52462        BJP-91636///           58782- BSP
2-पिपराइचः  BJP-125316 ///  SP-47837          BJP-82739///            69930- BSP
3-गोरखपुर शहरः BJP-133892 /// SP-31055     BJP-122221///          61491-INC
4-गोरखपुर ग्रामीणः BJP-97482 /// SP-53810     BJP-83686///           79276-SP
5-शहजनवांः  BJP-87406 /// BSP-43450           BJP-72213///            56836 SP

हारजीत का अंतर-312783 (योगी आदित्यनाथ जीते, राजमित निषाद नम्बर-2 रहीं)

सपा ने इस चुनाव में भी निषाद पर दांव लगाया है मगर उसके प्रत्याशी को लेकर पार्टी के ही एक निषाद नेता का विरोध झेलना पड़ रहा है जबकि राजमति निषाद के पति पूर्वांचल में अति पिछड़ों के प्रभावशाली नेता थे। ऊपर से इस बार कांग्रेस ने मुस्लिम प्रत्याशी मैदान में उतारा है। इसी गोरखपुर के करीबी क्षेत्र के प्रभावशाली नेता आरपीएन सिंह को सीडब्ल्यूसी का सदस्य बना दिया है। सीडब्ल्यूसी कांग्रेस की सर्वोच्च बाडी होती है।  ऊपर से इस बार योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री के ओहदे पर हैं। केन्द्र व राज्य दोनों स्थानों पर भाजपा की सरकार है और लोकसभा के आम चुनाव में एक साल से थोड़ा अधिक का ही समय है।

नोटः इस बार भाजपा ने ब्राह्रण प्रत्याशी पर दांव लगाया है। दशकों बाद भाजपा ने गोरक्षपीठ से बाहर का और ब्राह्मण प्रत्याशी मैदान दिया है। इससे बने समीकरण का खुद अंदाजा लगाइए।