30 april 2016
-छह माह पूरे होने के एक दिन पहले एमएलसी बने कारागार मंत्री
-साहित्य कोटे से एमएलसी नामित हुए वसीम बरेलवी
लखनऊ : मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की सिफारिश पर राज्यपाल राम नाईक ने मशहूर शायर वसीम बरेलवी, कारागार मंत्री बलवंत सिंह रामूवालिया व मधुकर जेटली को विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) नामित करने पर सहमति दे दी है। इनके साथ ही राजपाल कश्यप के दूसरी बार भेजे गए नाम पर फिर सहमति न जताते हुए राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को पत्र लिख दिया है।
विधान परिषद में नामित कोटे की पांच सीटें जहां पिछले वर्ष 25 मई से रिक्त चल रही थी वहीं इसी माह की सात तारीख को एक और सीट खाली हो गई थी। इन सीटों को भरने को लेकर लंबे समय से कयास लग रहे थे। पिछले कुछ दिनों से कारागार मंत्री बलवंत सिंह रामूवालिया के कार्यकाल को लेकर दिलचस्पी बढ़ गयी थी। दरअसल, विधानमंडल के किसी भी सदन का सदस्य न होने के बावजूद उनके मंत्री बने रहने की छह माह की अवधि 30 अप्रैल को पूरी हो रही थी। ऐसे में उनके सियासी भविष्य पर राजनीतिक पंडितों की निगाहें तो थी हीं, यह उम्मीद भी थी कि मुख्यमंत्री उन्हें नामित कोटे से एमएलसी नियुक्त करने का प्रस्ताव राज्यपाल को भेज सकते हैं।
उम्मीद के अनुरूप मुख्यमंत्री ने शुक्रवार शाम बलवंत सिंह रामूवालिया, वसीम बरेलवी, मधुकर जेटली और राजपाल कश्यप को एमएलसी नामित करने का प्रस्ताव राज्यपाल को भेजा। राजभवन ने भी त्वरित निर्णय लेते हुए साहित्य कोटे से जहीर हसन 'वसीम बरेलवीÓ व समाजसेवा क्षेत्र से रामूवालिया व मधुकर जेटली को एमएलसी नामित कर दिया। इसके साथ ही उच्च सदन में सपा सदस्यों की संख्या अब 61 हो गई है।
राजपाल कश्यप के नाम पर सहमति न जताते हुए राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कश्यप के खिलाफ दर्ज मामलों का ब्योरा मांगा है। सूत्र बताते हैं कि सरकार ने तो कश्यप के खिलाफ चल रहे मुकदमों को फरवरी में वापस ले लिया है लेकिन अभी उनके खिलाफ अपील की जा सकती है क्योंकि 90 दिन नहीं हुए हैं। विदित हो कि पहले भी सरकार ने राजपाल कश्यप को एमएलसी नामित करने का प्रस्ताव राजभवन भेजा था, तब भी राज्यपाल ने मंजूरी नहीं दी थी। इन नामांकन के बाद भी विधान परिषद में नामित कोटे की तीन सीटें रिक्त हैं। जानकार बताते हैं कि सरकार व सपा नेतृत्व में अन्य नामों पर सहमति नहीं बन पायी, जिसके चलते उन पर बाद में निर्णय लेने का फैसला लिया गया है।
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एकराय में दुश्वारी या फिर रणनीति!
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विधान परिषद सदस्यों के नामांकन में मुलायम की छाप
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लखनऊ : विधान परिषद में नामित कोटे की सीटों के लिए शुक्रवार को महज चार नाम भेजे जाने ने सपा नेतृत्व की रणनीति पर भी सवाल खड़े किये हैं। कहा जा रहा है कि यह दावेदारों में एकराय बनाने की दुश्वारी का परिणाम है या फिर सरकार की कोई रणनीति? वैसे राजभवन भेजी गयी सूची में सपा मुखिया मुलायम सिह यादव की छाप भी साफ नजर आ रही है।
सौ सदस्यों वाली विधान परिषद की दस सीटें नामित कोटे हैं। इन्हें साहित्य, सहकारिता, समाजसेवा, कला एवं संस्कृति क्षेत्र के प्रभावशाली लोगों से भरे जाने की परिकल्पना है। सरकार इन क्षेत्रों के लोगों के नाम राज्यपाल को भेजती है और वह उस पर मंजूरी की मुहर लगाती हैं। इस कोटे की नौ सीटें मई 2015 में रिक्त हुई थी और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने जिन नौ लोगों को विधान परिषद में नामित करने की संस्तुति की थी, उन पर राज्यपाल राम नाईक ने सवाल उठा दिये थे। मुख्यमंत्री से चर्चा के बाद राज्यपाल ने दो जुलाई 2015 को एसआरएस यादव, लीलावती कुशवाहा, रामवृक्ष यादव और जितेन्द्र यादव को एमएलसी नामित कर अन्य नामों पर एतराज जाहिर कर दिया। उसके बाद से रिक्त चल रही पांच सीटों को भरने के लिए सरकार की ओर से पहल न होते देख चर्चा ने जोर पकड़ा कि एकराय नहीं होने के चलते सरकार खामोशी अख्तियार किये रही। समाजवादी पार्टी के रणनीतिकारों का मानना था कि नामित कोटे की सीटें भरने की कोई समय सीमा नहीं है। जिस दिन से कोई व्यक्ति नामित होता है, उसी दिन से छह साल तक उसका कार्यकाल रहता है। ऐसे में परिषद में ताकत ज्यादा दिन तक बढ़ी रहती है। तकरीबन 11 माह से रिक्त सीटों में से तीन भरे जाने के बाद अभी तीन और सीटें खाली रहने के निहितार्थ निकाले जा रहे हैं। हालांकि शुक्रवार को जिन लोगों को एमएलसी नामित किया गया है, वे तीनों सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के करीबी माने जाते हैं। रामूवालिया को छह माह पहले इसी कारण पंजाब से यहां लाकर मंत्री बनाया गया था। वसीम बरेलवी की तो मुलायम सार्वजनिक मंचों पर प्रशंसा करते रहे हैं। मधुकर जेटली कुछ माह पूर्व तक प्रदेश सरकार के एनआरआइ विभाग के सलाहकार की भूमिका में थे।
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सपा जल्दी घोषित करेगी प्रत्याशियों की दूसरी सूची
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-हारी सीटों पर बचे प्रत्याशियों पर मंथन जारी
-दूसरी सूची में युवाओं को मिल सकती है तरजीह
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लखनऊ : विधानसभा चुनाव की तैयारियों का ताना-बाना बुन रही समाजवादी पार्टी ने दो दर्जन प्रत्याशियों की दूसरी सूची भी तैयार हो गयी है। इसके जल्दी जारी होने की संभावना है।
चुनावी तैयारियों में विपक्षी दलों पर मनोवैज्ञानिक बढ़त बनाने की रणनीति पर चल रही समाजवादी पार्टी ने मार्च के आखिरी हफ्ते में वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में हारी 176 सीटों में 141 के प्रत्याशी घोषित किये। कुछ प्रत्याशियों का विरोध हुआ और कई प्रत्याशी बदले गए। मुलायम सिंह की छोटी बहू को लखनऊ कैंट का प्रत्याशी घोषित कर दिया गया।
सूत्रों का कहना है कि पार्टी के रणनीतिकार प्रत्याशियों की दूसरी सूची को अंतिम रूप देने में जुटे हैं। इसमें उन हारी सीटों को ही शामिल किया गया है, जिन पर अभी प्रत्याशी घोषित नहीं हुए हैं। बची हुई सीटों पर नए और युवा दावेदारों को पुराने प्रत्याशियों पर तरजीह मिलने की संभावना है। सपा के रणनीतिकारों का कहना है कि राजनीति की दिशा बदल रही है। पार्टी विकास के नारे व अखिलेश सरकार के काम को लेकर चुनावी मैदान में जाएगी। ऐसे में युवा प्रत्याशियों के मैदान में होने से इस वर्ग के मतदाताओं को पार्टी से जोडऩे में मदद मिलेगी। हारी सीटों के प्रत्याशी घोषित करने के बाद ही पार्टी अन्य सीटों के प्रत्याशियों का पैनल तैयार करना शुरू करेगी। समाजवादी पार्टी ने महासचिव अरविंद गोप, मंत्री शाहिद मंजूर, प्रदेश सचिव व एमएलसी एसआरएस यादव, पार्टी के पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के नरेश उत्तम समेत आधा दर्जन मंत्रियों की कमेटी गठित कर हारी हुई सीटों पर टिकट मांग रहे दावेदारों में से तीन का पैनल बनाने का जिम्मा दिया था। उसी पैनल में दर्ज नामों में से ही एक के चयन पर शीर्ष नेतृत्व विचार कर रहा है।
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