-प्रो.मसऊद आलम की जांच कमेटी की रिपोर्ट पर पर्शियन विभाग डॉ.आरिफ अब्बास पर कार्रवाई
-विश्वविद्यालय में शिक्षकों की गुटीय प्रतिद्वंदिता
तेज होने की संभावना, नुकसान छात्रों का होगा
-कुलपति ने कार्य परिषद की इमरजेंट मीटिंग
बुलाई, आरिफ ने सदस्यों को लीगल स्थिति बताई
-सिविल जज सीनियर डिवीजन मलिहाबाद और हाईकोर्ट
की लखनऊ खंडपीठ में चल रहा मुकदमा
परवेज़ अहमद
लखनऊ । निर्माण
कार्य, वित्तीय स्वीकृतियों के विरोध और प्रो.विनय पाठक के कार्यकाल से अभी तक ख्वाजा
मोईनउद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय की दस कार्य परिषद मीटिंगों को अवैध ठहराते हुये
अदालत में चुनौती देने वाले सहायक प्रोफेसर डॉ.आरिफ अब्बास को निलंबित कर दिया गया।
उन पर विवि के दूसरे शिक्षक के साथ विवाद के पुराने मामले में कार्रवाई हुई है। इससे
विवि में शिक्षकों की प्रतिद्वंदिता और तेज होने के संकेत हैं। निलंबन के फैसले पर
मुहर के लिये कुलपति प्रो.एनबी सिंह ने 23 दिसंबर को कार्य परिषद की इमरजेंट मीटिंग
बुलाई है।
भाषा विवि के पर्शियन विभाग के सहायक प्रोफेसर आरिफ अब्बास ने पांच महीने पहले
सिविल अदालत, जिला अदालत में मई 2022 में दो वाद दाखिल किये थे, जिसमें उन्होंने आरोप
लगाया था कि भाषा विवि के पूर्व कुलपति प्रो.विनय पाठक व मौजूदा कुलपति प्रो.एनबी सिंह
नियम विरुद्ध वित्तीय व प्रशासनिक निर्णय कर रहे हैं। गुजरे साल से अभी तक की कार्य
परिषद की दस मीटिंगों की वैधता को भी याचिका में चुनौती दी गयी। याचिका में गय कि विवि की परिनियमावली में निर्धारित पद धारकों
को नजर अंदाज कर मनमाने तरीके से कार्य परिषद के सदस्य नामित किये गये। छात्रों की
फीस व सरकारी अनुदान का दुरुपयोग हो रहा। सुनवाई के बाद सिविल जज (सीडि) मलिहाबाद ने
आरोपों के संबंधित मूल दस्तावेज संरक्षित करने, कुलपति आवास, गेस्ट हाउस का निरीक्षण कर रिपोर्ट अदालत
को सौंपने के लिए कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया। इस पर अमल से पूर्व भाषा विश्वविद्यालय
के कुलपति प्रो.एनबी सिंह व कुलसचिव अजय कृष्ण यादव ने हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में ई-फाइलिंग
के जरिये आदेश पर रोक के लिए याचिका दाखिल की थी, जिस पर 20 दिसंबर को सुनवाई हुई।
ई-याचिका करने वाले विवि ने ही तथ्य उपलब्ध कराने के लिए हाईकोर्ट से और समय देने की
मांग की परन्तु उस समय डॉ.आरिफ अब्बास के अधिवक्ता ने अदालत के सामने अपना पक्ष रखा।
अदालत ने जनवरी 2023 की तारीख दे दी लेकिन सिविल जज के आदेश पर स्थगन आदेश नहीं दिया।
गुरुवार को भाषा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.एनबी सिंह ने पार्शियन विभाग के सहायक
प्रोफेसर अब्बास आरिफ को निलंबित कर दिया है। उन पर 27 मई 2022 को दिये गये उनके प्रार्थना
पत्र को मनगढ़ंत, झूठा और विश्वविद्यालय की गरिमा गिराने वाला बताकर निलंबित कर दिया
गया है।
मसऊद कमेटी की रिपोर्ट
को कार्रवाई की आधार बनाया
पर्शियन विभाग के सहायक
प्रोफेसर आरिफ अब्बास पर कार्रवाई के लिये कला एवं मानविकी संकाय के प्रो. मसऊद आलम
कमेटी की रिपोर्ट को आधार बनाया गया है। इस कमेटी में वाणिज्य विभाग के प्रो.एहतेशाम अहमद व डॉ.रुचिता
सुजय चौधरी सदस्य थीं। जिन्होंने अपनी रिपोर्ट में लिखा- सहायक प्रोफेसर आऱिफ अब्बास
ने पेशबंदी में 25 मई 2022 को डॉ.सिद्धार्थ सुदीप के विरुद्ध गाली-गलौच, मारपीट के
जो आरोप लगाये थे, वह मनगढ़ंत एवं कपोलकल्पित पाये गये हैं। शिक्षकों व कर्मचारियों
के प्रति अशोभनीय टिप्पणी इनकी आम-शैली है। जांच रिपोर्ट में ये भी लिखा गया है कि
शिक्षक के रूप में दायित्वों का निवर्हन न लेकर सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने एवं शांति
भंग करने वाले अराजकतत्वों को उकसाने में सक्रियता दिखायी जा रही है। इसलिए इन्हें
निलंबित किया जा रहा है।
कुलपति ने विशेषाधिकार
का इस्तेमाल किया
पार्शियन विभाग के सहायक
प्रोफेसर आरिफ अब्बास को निलंबित करने का आदेश जारी करने के लिये ख्वाजा मोइनउद्दीन
भाषा विवि के कुलपति प्रो.एनबी सिंह ने विशेषाधिकार का इस्तेमाल किया। नियमों के आधार
पर शिक्षक निलंबन का आदेश विवि के कुलसचिव को जारी करना चाहिए परन्तु अब्बास के निलबंन
का आदेश सीधे प्रो.एऩबी सिंह ने किया, जो उनका विशेषाधिकार है।
शिया धर्म गुरु कल्बे
जवाद ने सीएम, रक्षामंत्री को लिखा पत्र
शियाधर्म गुरु मौलाना
कल्बे जवाद ने मुख्यमंत्री, केन्द्रीय रक्षामंत्री व लखनऊ के सांसद राजनाथ को पत्र
लिखकर डॉ.आरिफ अब्बास के निलंबन को उत्पीड़नात्मक कार्रवाई ठहराया है। मौलाना ने कहा
है यदि कभी दो शिक्षकों के बीच विवाद था भी तो वह सांप्रदायिक कैसे हो सकता है। जांच
अधिकारिय़ों ने रिपोर्ट में सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की बात किन साक्ष्यों के आधार
पर लिखी। मौलाना कहा है कि प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच कराई जानी चाहिए। गुण दोष के
आधार पर कार्रवाई की जानी चाहिए। यही बातें उन्होंने लखनऊ के सांसद व केन्द्रीय रक्षा
मंत्री को भी लिखी हैं।
कोट-एक
मैंने, अदालत में कुलपति
प्रो. एनबी सिंह, प्रो.मसऊद, प्रो.ऐहतशाम को जांच कमेटी बनाये जाने से पहले ही पार्टी बना रखा है। निचली अदालत ने उनकी कार्यशैली
की परख के लिए कोर्ट कमिश्नर नियुक्त कर रखा है। हाईकोर्ट में वाद लंबित हैं। ऐसे में
मेरे विरुद्ध उस मामले में जिसमें लिखित समझौता हो चुका था, उस मामले में कार्रवाई
भेदभाव का स्पष्ट प्रतीक है। सारी स्थिति से अब हाईकोर्ट को अवगत कराया जाएगा। ईसी
के सदस्यों को भी वस्तु-स्थिति से आज ही अवगत करा दिया है, निलंबन के निर्णय पर विधिक
तरीके से पक्ष रखा जाएगा।– डॉ.आरिफ अब्बास, सहायक प्रोफेसर, पार्शियन विभाग, ख्वाजा
मोईनउद्दीन भाषा विवि लखनऊ
कोट-2
डॉ.आरिफ अब्बास एक शिक्षक
के रूप में अपने पदीय दायित्वों का निष्ठापूर्वक निर्वहन करने में रुचि न लेकर सांप्रदायिक
सौहार्द को बिगाड़ने एवं शांति भंग करने वाले अराजकतत्वों को उकसाने में अत्यधिक सक्रियता
दिखा रहे हैं, जिससे एक शिक्षक की गौरवगरिमा का ह्रास होने के साथ विश्वविद्यालय की
छवि धूमिल हुई है। तत्क्रम में सम्यक विचारोपरान्त विवि की प्रथम नियमावली व राज्य
विवि अधिनियम-1973 में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए उन्हें निलंबित किया गया-
प्रो.एनबी सिंह, कुलपति मोईनउद्दीन भाषा विवि, लखनऊ