Saturday 12 December 2015

वे गली-गली धूल फांकते हैं, ताने-तिशने सुनते

२०.१२.२०१३
परवेज अहमद लखनऊ:...वे गली-गली धूल फांकते हैं, ताने-तिशने सुनते हैं। जोड़-तोड़ से जनसेवा तक में कसर नहीं छोड़ते, तब कहीं जाकर जनप्रतिनिधि (विधायक) का खिताब पाते हैं, फिर भी 'सरकार प्रतिनिधियोंÓ के जलवे-जलाल के आगे वह बिलकुल फीके रहते हैं।
प्रदेश की समाजवादी सरकार अब तक 84 लोगों को निगमों का चेयरमैन, सलाहकार और अध्यक्ष बनाकर कैबिनेट, राज्य और उपमंत्री का दर्जा दे चुकी है। जिनमें से कई दर्जाधारी दफ्तर और अधिकार पाने के लिए विभागीय मंत्री के साथ 'संघर्षÓ कर रहे हैं, मगर  लालबत्ती वाली कार, पिस्तौलधारी शैडो, कार्बाइनधारी गनर और आठ-आठ घण्टे की ड्यूटी में रायफल धारी सिपाही जरूर मुस्तैद हैं, ये जवान दर्जाधारी के मूल जिले की नागरिक पुलिस से लेकर दिये गये हैं।
सूत्रों का कहना है कि सूबे के प्रत्येक जिले में एक और कई जिलों में दो से तीन तक दर्जाधारी राज्यमंत्री हैं। एक विधायक का कहना है कि दर्जा प्राप्त लोगों की जनता के बीच कोई जवाबदेही होती नहीं है। अधिकारी भी उन्हें सत्ताशीर्ष का करीबी मानते हैं, लिहाजा वह उन्हें विधायकों से ऊपर का मानते हैं। ऐसे में हर समय जनता के बीच रहने वाले विधायकों को कई बार मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। अधिकारी भी विधायकों के कार्य के स्थान पर दर्जाधारी की सिफारिश को ज्यादा तवज्जो देते हैं।
सत्तारूढ़ दल के ही एक दूसरे विधायक का कहना है कि हाइकोर्ट ने लालबत्ती हटाने का आदेश देकर अच्छा कार्य किया है, इससे क्षेत्र में कम से कम विधायक की गरिमा तो बनी ही रहेंगी।
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विधायकों को सुविधा
-महंगाई और अन्य भत्तों को मिलाकर तकरबीन 65 हजार रुपए मासिक वेतन
-डेढ़ लाख रुपए के ट्रेन और वायुयान कूपन, इस धनराशि में क्षेत्रीय भत्ता भी शामिल है।
-आवास और मुफ्त बिजली की सुविधा
-टेलीफोन, मोबाइल खर्च के लिए छह हजार रुपए मासिक अधिकतम
-एक गनर की सुविधा, दूसरे गनर के लिए जवान के वेतन की 10 फीसद धनराशि जमा करनी होती है। (हालांकि सरकार ज्यादातर विधायकों को दूसरा गनर भी सरकारी खर्च पर भी उपलब्ध करा देती है)
-सचिवालय अथवा किसी भी सरकार भवन में कार्यालय की सुविधा नहीं
-कोई पीए, पीएस की सुविधा नहीं
-गाड़ी की भी सुविधा नहीं
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दर्जा प्राप्त को सुविधा
- राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त व्यक्ति को 40,000 उपमंत्री का दर्जा प्राप्त व्यक्ति को 35 हजार रुपए मासिक वेतन।
-दर्जा प्राप्त को लालबत्ती लगी सरकारी कार, ड्राइवर और उसमें खर्च होने वाला पेट्रोल राज्य सम्पत्ति विभाग की ओर से उपलब्ध कराया जाता है।
-दर्जा प्राप्त को सचिवालय के भवनों में से किसी एक में कार्यालय, निजी सचिव, वैयक्तिक सहायक और दो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी उपलब्ध होते हैं।
-राज्य सम्पत्ति की ओर से सरकारी आवास उपलब्ध कराया जाएगा, अगर राज्यमंत्री स्तर का व्यक्ति सरकारी आवास नहीं लेता है, उसे हर माह 10 हजार रुपए और उपमंत्री स्तर के व्यक्ति को आठ हजार मासिक आवास भत्ता।
-पदीय कर्तव्य के लिए यात्रा करने पर रेल गाड़ी के उच्चतम श्रेणी के कूपे अथवा वायुयान में एक सीट अनुमन्य है। जिसका भुगतान सरकारी कोष से होता है।
- यात्रा भत्ता, चिकित्सा प्रतिपूर्ति, टेलीफोन, मोबाइल और आवश्यकतानुसार पर्सनल स्टाफ और कुछ मानदेय भी संबंधित महकमे की ओर से किया जाता है।
- राज्यमंत्री स्तर के व्यक्ति को प्रतिमाह 10 हजार और उपमंत्री स्तर के व्यक्ति को प्रतिमाह साढ़े सात हजार रुपए प्रतिमाह जलपान भत्ता
-निरीक्षण भवनों में मुफ्त ठहरने की सुविधा
- पदीय कर्तव्य के लिए सूबे के अन्दर यात्रा पर राज्यमंत्री स्तर के महानुभाव को 600 रुपए प्रतिदिन और सूबे के बाहर की यात्रा पर 750 प्रतिदिन यात्रा भत्ता।
-जिन निगमों, संस्था, परिषद की आर्थिक स्थिति खराब है और वह दर्जा प्राप्त महानुभाव पर आने वाला खर्च वहन करने में सक्षम नहीं है, ऐसी संस्थाओं के प्रशासकीय विभाग वित्त विभाग की सहमति से अपने बजट में सुसंगत मदों में यथोचित धनराशि की व्यवस्था करें।
-एक शैडो, एक गनर और आठ घण्टे की ड्यूटी पर तीन पुलिस कर्मियों की सुरक्षा
-दर्जा प्राप्त के यात्रा वाले महानुभाव सत्तारूढ दल के रौब में एक थाने से दूसरे थाने तक पुलिस एस्कोर्ट तक चलवाते हैं हालांकि यह उन्हें अनुमन्य नहीं है। 
२१.१२.२०१३
लखनऊ: प्रदेश सरकार दंगा पीडि़तों को दोजून की रोटी पर तीन करोड़। टेंट, कपड़े, बर्तन व मिट्टी के तेल पर एक करोड़ रुपए खर्च कर चुकी है। देश की मुख्तलिफ तंजीमें (संस्थाएं) करोड़ों की इमदाद भेज रही हैं। ऐसे में सवाल ये है कि तब बच्चों की मौतें क्यों हो रही हैं। कैम्प के लोग बेहाल क्यों हैं? सूत्रों का कहना है कि इमदाद में घोटालेबाजी हो रही है। पीडि़तों को जरूरत की खाद्य सामग्र्री नहीं मिल रही है।
27 अगस्त को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर, शामली और बागपत में सांप्रदायिक उपद्रव की शुरूआत और फिर  दंगा भड़कने के बाद बड़ी संख्या में लोगों ने गांव छोड़कर राहत शिविरों में शरण लेनी शुरू की थी। स्थानीय लोगों के अलावा सरकार ने भी पीडि़तों के लिए खाद्य सामग्र्री के इंतजाम का दावा शुरू किया। सूत्रों का कहना है कि कुछ दिनों के अन्दर ही सरकारी मदद से कई गुना अधिक इमदाद दिल्ली, यूपी के मुख्तलिफ हिस्सों, उत्तराखण्ड़, पश्चिम बंगाल और क्षेत्रीय लोगों ने कैम्पों में भेजनी शुरू कर दी थी। बावजूद इसके कैम्पों का हाल-बदहाल है।
ठंड बढऩे के साथ ही बच्चों की मौतों का सिलसिला शुरू हो गया है। गैरसरकारी आंकड़ों के मुताबिक अब तक 50 बच्चों की मौत हो चुकी है। स्थानीय लोगों और स्वास्थ्य अधिकारियों ने दबी जुबान स्वीकार किया कि कई बच्चे निमोनिया जैसी बीमारियों के शिकार हो गए थे। यानी उन्हें सर्दी से बचाने और खाने के लिए पर्याप्त भोजन नहीं मिल पा रहा है। सवाल ये है कि आखिर सरकारी और गैर सरकारी इमदाद जा कहां रही है? क्या इसमें भी घोटाला हो रहा है। सूत्रों पर भरोसा करें तो दंगा पीडि़तों के लिए जुटाई जा रही इमदाद की रकम में भी खासा घोटाला हो रहा है।
सरकार ने इमदाद का पूरा ब्योरा तैयार करने की अधिकारियों को हिदायत दी थी लेकिन कुछ खास की नाराजगी के डर  और कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत के चलते वह ब्योरा भी तैयार नहीं हो रहा है। कैम्प चलाने वाले लोग यह तो स्वीकारते हैं कि राहत शिविरों को लिए इमदाद मिल रही है लेकिन कहां से क्या आया? इसका कोई ठोस ब्योरा किसी के पास उपलब्ध नहीं है। अलबत्ता यूपी के मुख्य सचिव जावेद उस्मानी ने शुक्रवार को शाम आनन-फानन में बुलायी गयी पत्रकार वार्ता में कहा था कि राहत शिविरों में सब कुछ ठीक है। मीडिया लोगों को गुमराह कर रहा है। हालांकि बच्चों की मौतों पर उन्होंने जुबान बंद रखी। उन्होने कहा कि मेरठ का कमिश्नर बच्चों की मौत के कारणों की जांच कर रहे हैं, रिपोर्ट आने पर ही कुछ कह पाएंगे।


दंगा शिविर
-58 हजार लोगों ने दंगा राहत शिविर में शरण लिया (मुजफ्फरनगर में 41, शामली में 17 शिविर)
सरकारी भोजन सामग्र्री: राहत शिविर में रहने वालों के लिए खाद्य सामग्र्री आटा, दाल, चावल, नमक, खाद्य तेल, आलू, चीनी, साबुन, दूध और मसाला पर तीन करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। सरकार स्वीकारती है कि जन सामान्य के सहयोग से इन वस्तुओं से बना बनाया खाना भी कैम्पों में लगातार उपलब्ध करायी जा चुकी है।
निवास व अन्य: सरकार का दावा है कि स्टील के खाने के बर्तन, ग्लास, तौलिया, महिलाओं, बच्चों के कपड़े, पाउडर दूध, माचिस, टेंट, गैस सिलेण्डर पर आदि पर एक करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। लकड़ी वन विभाग उपलब्ध करा रहा है।
यूपी, दिल्ली और उत्तराखण्ड की निजी संस्थाओं की मदद: आटा, दाल चावल, लकड़ी, कपड़े, टेन्ट, रोटियां, साबुन, तेल, कंबल, गद्दे, नकद राशि, स्टील की प्लेट, मिट्टी का तेल, बिस्किट के पैकेट, मिल्क पैकेट

तब बच्चों की मौत क्यों: इतनी बड़ी मात्रा में सरकारी और गैर सरकारी इमदाद के बावजूद आखिर कैम्पों में रह रहे बच्चों की असमय मौतें क्यों हो रही हैं। क्या दंगा पीडि़तों के लिए पहुंच रही सामग्र्री और धनराशि में भी घोटाला शुरू हो गया है।

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सरकारी आंकड़े
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-मेरठ, बागपत, सहारनपुर और शामली में सांप्रदायिक ंिहंसा में 65 व्यक्तियों की जान गयी और 85 लोग जख्मी हुए।
-मारे गए परिवार के आश्रितों को 10-10 लाख रुपए की आर्थिक सहायता पर 6 करोड़ 35 लाख रुपए खर्च हुए।
- मृतकों के आश्रितों में 58 व्यक्तियों को सरकारी नौकरी दी गयी।
-प्रधानमंत्री सहायता कोष से मारे गए व्यक्तियों के परिवार को दो-दो लाख रुपए की मदद
-मारे गए पत्रकार के परिवार को 10 लाख की मदद
-गंभीर घायलों को 50-50 हजार की आर्थिक मदद
-साधारण रुप से घायल 51 व्यक्तियों को 20-20 हजार
-ंिहसक घटनाओं के 74 घायलों को रानी लक्ष्मी बाई पेंशन
-चल, अचल संपत्तियों का 50 हजार नुकसान पर 50 हजार और एक लाख के नुकसान पर एक लाख की मदद
-इससे एक लाख से ऊपर के नुकसान पर वास्तिवक आगणन के आधार पर सहायता 

बदहवासी, बेचैनी और बेबसी

२४.१२.२०१३
लखनऊ:...बदहवासी, बेचैनी और बेबसी...समाजवादी पार्टी पूरे साल इन्ही हालात से मुकाबिल रही। उसके लिए तसल्लीबख्स कुछ रहा तो सिर्फ रैलियों में जुट गयी भीड़। जिससे वह मूल जनाधार (वोट बैंक) साथ होने की आस लगाकर  कठिन दिख रहे 'लक्ष्य-2014Ó को साधने में जुटी है।
यूं तो समाजवादी पार्टी वर्ष 2013 को याद नहीं रखना चाहेगी, क्योंकि इस साल उसके हिस्से में उपलब्धियों के नाम पर कुछ नहीं आया। अलबत्ता सत्तारूढ़ दल की खामियों के कई दाग उसके हिस्से में आ गए। पहले राज्य की सत्ता के चार केन्द्र होने के संदेश से गर्वेन्स प्रभावित हुआ फिर राज्य व कैबिनेट मंत्रियों के बीच अधिकारों की लड़ाई ने समाजवादी पार्टी का चैन छीना। पार्टी के लिए बेचैनी का सबब यहीं नहीं थमा।सीएमओ को अगवा करने, जानवर तस्करी के स्टिंग में राज्यमंत्री की भूमिका ने भी समाजवादी पार्टी को इस साल असहज किया। डिप्टीएसपी जिया उल हक की साजिश में मंत्री का नाम, नाच-गाना का शौक में विधायक की गिरफ्तारी, जमीनों पर कब्जे, पार्टी नेताओं की गुंडई,प्रतापगढ़, फैजाबाद, अंबेडकरनगर में सांप्रदायिक उपद्रव और फिर बागपत, शामली, मेरठ और मुजफ्फरनगर के दंगों ने पार्टी को इस साल की बार बदहवासी की स्थिति तक पहुंचाया। शायद इन्ही परिस्थितियों में पार्टी ने अपराधियों से दूरी बना लेने की छवि पर अतीक अहमद की अगवानी का 'दागÓ फिर से थोप लिया।
इससे उपजी सियासी परिस्थितियों को बारीकी से समझ रहे राजनीति के 'सुजानÓ मुलायम ंिसह यादव सावर्जनिक मच से गुबार निकाल चुके हैं, यह उनकी बेबसी है कि पार्टी का मूल जनाधार हाथ से बालू की तरह खिसक रहा है। दंगों से मुसलमान नाराज हैं। पूरी हिस्सेदारी नहीं मिलने से ब्राह्रïमण बिफरा हुआ है। जिन्हें समेटना चुनौती से कम नहीं है, इसीलिए वह यह कहने लगे हैं कि युवाओं को सत्ता तक पहुंचाया लेकिन क्या वे उन्हें सत्ता तक ले जाएंगे। यानी सपा के लिए अगर इस साल कुछ भी तसल्लीबख्श रहा तो सिर्फ इतना कि आजमगढ़, मैनपुरी, बरेली और बदायूं की उसकी रैलियों में खासी भीड़ जुटी। जिसके आधार पर ही वह मूल वोट बैंक साथ होने की आस में है।





दंगा राहत शिविर बंद कराने का प्रयास

२४,१२.२०१३

जागरण ब्यूरो, लखनऊ: चुनावी मुद्दा बनते जा रहे दंगा राहत शिविर बंद कराने का प्रयास शुरू हो गया है। पूरा खाका तैयार हो है। पीडि़तों अगर घर वापस लौटने को राजी नहीं हुए तो उन्हें दूसरे सुरक्षित ठिकाने पर भेजने की योजना है। वैकल्पिक स्थान की तलाश भी हो रही है।
दंगा राहत शिविरों के इंतजामों और कुछ शिविर संचालकों पर अमानत में खयानत, इमदाद में गड़बड़ी के आरोपों को लेकर सरकार को घेरने की सियासत तेज हो चली है। कांग्र्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के राहत शिविरों का दौरा दिया फिर मंगलवार को माकपा महासचिव प्रकाश करात ने मुख्यमंत्री से मिलकर राहत कैम्पों का हाल बयान किया। भाजपा पहले ही सरकार की कार्य प्रणाली पर हमलावर है, सरकार इस सबको चुनावी साजिश के रूप में देख रही है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी आरोप लगाया कि कुछ षणयंत्रकारी पीडि़तों को भड़काने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने पीडि़तों से गांव वापस लौटने की अपील की है। सूत्रों का कहना है कि इस बीच शासन ने मुजफ्फरनगर, शामली के जिला प्रशासन को मौजूदा राहत शिविरों को जल्द से जल्द बंद कराने  व पीडि़तों को वापस गांव भेजने का अभियान चलाने का संदेश दिया है। सूत्रों का कहना है कि प्रशासन से कहा गया है कि पीडि़त अगर वापस गांव लौटने को तैयार नहीं होते तो उन्हें प्रशासन की देख रेख में सुरक्षित व पक्के भवनों में ले जाकर ठहराया जाए, मगर राहत शिविर बंद कराये जाएं।
इसके पीछे चुनावी समय में विरोधी दलों खासकर कांग्र्रेस और भाजपा के सियासी वार को नाकाम करने की कोशिश माना जा रहा है, गौरतलब है कि सपा प्रमुख मुलायम ंिसह य ादव ने सोमवार को कहा था कि भाजपा व कांग्र्रेस षणयंत्र कर रहे हैं, जिन्हे रोकने के लिए सतर्क रहने की जरूरत है।


प्रशासन का दावा-सब कुछ ठीक:
मुजफ्फरनगर के ग्राम लोई में चल रहे राहत शिविर में सफाई. खाने-पीने, दवा-इलाज के साथ ठंड से बचाव के व्यापक इंतजाम हैं। हर ब्लाक में दो-दो सफाई कर्मी तैनात हैं। जिला पंचायत राज अधिकारी को नोडल अधिकारी बनाये गये हैं।  ये दावा सरकारी प्रवक्ता ने मुजफ्फरनगर के डीएम कौशलराज शर्मा के हवाले से दी। उन्होंने बताया कि लोई शिविर में स्वच्छ पेयजल के लिए 10 इण्डिया मार्क-।। हैंडपम्प लगाये गये हैं। जल निकासी के लिए सोकपिट बने हैं। गर्भवती महिलाओं, माता और 7 माह से तीन साल के बच्चों की विशेष देखभाल हो रही है। नियमित पोषाहार बंट रहा है। बच्चों कोपरिषदीय विद्यालयों, मान्यता प्राप्त विद्यालयों  प्रवेश दिलाकर शिक्षा के भी इंतजाम किये गये हैं।
शिविर वासियों को अब तक 132 क्विंटल आटा, 116 क्विंटल चावल, 28 क्विंटल दाल, 525 ली0 तेल, 38 क्विंटल आलू 24.50 क्विंटल चीनी, 5.6 क्विंटल नमक, 300 क्विंटल मसाला के साथ-साथ प्रत्येक परिवार को दैनिक उपयोग की वस्तुओं टूथ पेस्ट, दरी, तौलिया, बाल्टी, मग, थाली, गिलास, चादरें, साबुन भी वितरित किया गया है।   

तलाशी पर बखेड़ा

२७.१२.२०१३
1-आजम खां (अल्पसंख्यक कल्याण, नगर विकास, संसदीय कार्य मंत्री): आगरा में हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी से गैरहाजिर, हावर्ड विश्वविद्यालय अमेरिका के दौरे के दौरान तलाशी पर बखेड़ा, विरोध स्वरूप मुख्यमंत्री को कार्यक्रम का बहिष्कार करना पड़ा। प्रमुख सचिव प्रवीर कुमार पर अल्पसंख्यक विरोधी होने का आरोप मढ़ा। साल खत्म होते-होते मंत्री के निजी स्टाफ ने उनके खिलाफ बगावत का बिगुल बजाया, उसके बाद से उनके कार्यालय में तैनात कर्मचारियों में से ज्यादातर गैर सचिवालय कर्मी हैं।
2-राम आसरे कुशवाहा: (रिमोट सेंसिंग के अध्यक्ष पद से बर्खास्त): वह पहले ऐसे दर्जा प्राप्त नेता हैं,  जिन्हें पार्टी लाइन से इतर बयानबाजी करने पर सरकारी पद से बर्खास्त किया गया। नोएडा की एक डील में कथित रूप से उनका नाम आने पर सरकार और पार्टी नेता असहज हुए।
3-कमाल फारूकी: (पूर्व राष्ट्रीय सचिव और दिल्ली की मीडिया में सपा चेहरा) आतंकवाद के आरोपी यासीन भटकल की गिरप्तारी पर उन्होंने कहा कि सिर्फ मुस्लिम होने के नाते उसके खिलाफ कार्रवाई नहीं होनी चाहिए। इस बयान ने विरोधी दलों ने सपा पर हमले का मौका दिया।  बेचैन सपा ने उन्हें पद और पार्टी से विदा कर दिया।
4-रघुराज प्रताप ंिसह उर्फ राजा भैया: (खाद्य एवं रसद मंत्री) हाइकोर्ट की निगरानी में चल रहे खाद्यान्न घोटाले की सीबीआइ जांच में उनकी भूमिका को लेकर सवाल। कुंडा के डिप्टी एसपी जिया उल हक की हत्या की साजिश में उनकी नामजदगी, मंत्री पद से इस्तीफा। सीबीआइ जांच में क्लीन चिट, फिर से मंत्री पद की शपथ, खाद्य एवं रसद विभाग को लेकर दबाव। आखिर महकमा मिला लेकिन मुख्य भवन में कार्यालय को लेकर अब भी रार जारी।
5-विनोद कुमार ंिसह उर्फ पंडित ंिसह: (माध्यमिक शिक्षा, राज्यमंत्री) गोंडा में एनआरएचएम की भर्ती को लेकर जिले के लोगों की दावेदारी को खारिज कर बाहर के लोगों को नियुक्त किये जाने से विरोध में गोंडा के सीएमओ को ही अगवा कर लिया। मुख्यमंत्री ने मंत्री पद से इस्तीफा लिया और कुछ दिनों बाद ही दोबारा मंत्री बना दिया।
7-नरेश अग्रवाल,( राज्यसभा सदस्य) भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी को चायवाला का विवादित तमगा दिया। महिला उत्पीडऩ की बढ़़ती शिकायतों के बीच कहा था अब कोई महिला पीएस नहीं रखना चाहता।
8-अतीक अहमद पूर्व सांसद,(सुल्तानपुर से सपा के प्रत्याशी) मुकदमों की लंबी फेहरिश्त वाले पूर्व सांसद ने समाजवादी पार्टी में शामिल होने और सुल्तानपुर से प्रत्याशी बनते ही दिखाया बाहुबल, असलहों की नुमाइंश और गाडिय़ों का जलवा। मुख्यमंत्री के आदेश पर हुई जांच में भी प्रशासन ने उन्हे दिया क्लीन चिट
9-अवधेश प्रसाद, (समाज कल्याण मंत्री): खांटी समाजवादी नेता के लैपटाप वितरण कार्यक्रम से लौटी लड़की के साथ दुराचार के बाद वह सवालों के घेरे में आए। देर शाम लैपटाप वितरण को लेकर पार्टी के अन्दर और बाहर से न सिर्फ उनकी घेरेबंदी हुई बल्कि समाजवादी पार्टी को भी किरकिरी का सामना करना पड़ा।
10-अंबिका चौधरी, (विकलांग कल्याण, पिछड़ा वर्ग मंत्री) विधानसभा चुनाव हारने के बाद सरकार ने उन्हे राजस्व जैसे अतिमहत्वपूर्ण महकमे का मंत्री बनाया लेकिन कुछ अरसे में ही पूर्वांचल के कई विवादों में घिरने और पार्टी के नेताओं से छत्तीस के आंकड़े के बाद सरकार ने उनका कद कम किये जाना चर्चा का विषय रहा। फिलहाल वह विकलांग कल्याण और पिछड़ा वर्ग महकमे के मंत्री हैं।
11-नरेन्द्र ंिसह भाटी: (मंत्री का दर्जा प्राप्त और नोएडा से सपा के प्रत्याशी) नोएडा में निर्माणाधीन मस्जिद की दीवार गिरवाने के आरोप में प्रशिक्षु आइएएस दुर्गा नागपाल के निलंबन को लेकर उनके विवादित बयान ने सरकार के सामने मुश्किल खड़ी की, उन्होंने सार्वजनिक सभा में यहां तक कह डाला कि मैंने चंद मिनटों में ही दुर्गा को हटवा दिया। बाद में उन पर आरोप लगा कि अवैध खनन के चलते दुर्गा को हटवाया।
12-मनोज पारस: ( स्टाम्प एवं न्यायालय शुल्क, पंजीयन शुल्क राज्यमंत्री): बलात्कार की पुरानी घटना के मामले में अदालत से समन जारी होने और फिर लोकायुक्त के यहां पहुंची शिकायत को लेकर सरकार के लिए परेशानी की वजह बने।
13-ब्राह्रïमाशंकर त्रिपाठी: (होमगाडर््स एवं प्रांतीय रक्षक दल मंत्री) समाजवादी सरकार के पहले मंत्री जिनके खिलाफ पहुंची जांच में लोकायुक्त ने विह्रिवत जांच शुरू की। होमगार्डो की ड्यूटी लगाने को लेकर विवादों में आए, जिसमें मुख्यमंत्री ने दखल दिया और होमगार्डो की ड्यूटी कम्प्यूटराइज करायी।

मुलायम को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने की तैयारी

२७.१२.२०१३
परवेज़ अहमद, लखनऊ: समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम ंिसह यादव को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने की तैयारी है। पार्टी में उच्च स्तर पर तैयारियों के बीच मुलायम को प्रधानमंत्री बनाने के अहद (संकल्प) का आह्वïान करती होर्डिंगें  चस्पा हो गयी हैं। 11 जनवरी को झांसी में प्रस्तावित 'देश बचाओ, देश बनाओ रैलीÓ में उनकी उम्मीदवारी का ऐलान हो सकता है।
समाजवादी पार्टी के ओहदेदार केन्द्र में तीसरे मोर्चे की सरकार बनने और उसमें उनके दल की महत्वपूर्ण भूमिका का काफी दिनों से ऐलान कर रहे हैं, मगर मुलायम को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार  उनकी ओर से घोषित नहीं किया गया। सपा मुखिया मुलायम ंिसह यादव भी कार्यकर्ताओं से यह तो कहते रहे हैं कि  मजबूती के साथ उनको संसद भेजो लेकिन खुद को प्रधानमंत्री के उम्मीदवार के रूप में उन्होने पेश नहीं किया।
कुछ दिन पहले शहर में लगी बड़ी-बड़ी होर्डिगों में 'मन से मुलायम, इरादे लोहा हैंंÓ के नारे और मुलायम की तस्वीर के साथ पार्टी ने यह तो संदेश दिया कि लोकसभा चुनाव में वह मुलायम के चेहरे और उनके दृढ़ इरादों के बल पर ही 'विजय यात्राÓ  पर निकलेगी।
सूत्रों का कहना है कि पांच राज्यों के चुनावों के परिणाम और दिल्ली में आम आदमी पार्टी के चमत्कारी विजय के बाद समाजवादी पार्टी अब मुलायम ंिसह यादव को पार्टी की ओर से प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर ही देश की सत्ता की जंग में कूदेगी। पार्टी के अन्दर मंथन के बीच कार्यकर्ताओं ने लखनऊ में शहर होर्डिंग लगाकर मुलायम ंिसह यादव को बकायदा प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया है। इन होर्डिंगों में जनता और समर्थकों से मुलायम को प्रधानमंत्री बनाने का अहद का आह्रïवान भी किया गया है। पार्टी के एक महासचिव का कहना है कि अब जनता स्पष्ट संदेश चाहती है,इसीलिए चुनाव से पहले ही मुलायम ंिसह यादव को पार्टी की ओर से उम्मीदवार घोषित किया जाएगा। उन्होंने दावा किया कि केन्द्र में तीसरे मोर्चे की सरकार बनेगी। सपा प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी का कहना है कि मुलायम ंिसह यादव ने देश की धर्म निरपेक्षता के लिए सबसे अधिक कुर्बानी दी है। किसानों, मजदूरों बेरोजगारों और अल्पसंख्यकों के हितों के लिए संघर्ष किया है। सपा के सबसे बड़े नेता हैं। पार्टी के लाखों कार्यकर्ता और देश की जनता उन्हें प्रधानमंत्री बनते देखना चाहती है।
तैयार हो रहा है ट्रेनिंग प्रोग्र्राम
समाजवादी पार्टी अपने मुखिया मुलायम ंिसह यादव को प्रधानमंत्री पद बनाने में कोई कसर छोडऩे को तैयार नहीं है। उसके लिए कई कार्ययोजना बनी लेकिन, जिसमें कार्यकर्ता ट्रेनिंग प्रोग्र्राम भी शामिल है। सूत्रों का कहना है कि लंबे समय से बंद कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण का कार्य जल्द ही शुरू करने की तैयारी है। इसमें डॉ. लोहिया के विचारों के साथ ही बूथ प्रबंधन की जानकारी देने की भी तैयारी है। 'चिन्तन सभाÓ को ट्रेनिंग की कमान सौंपे जाने के संकेत मिल रहे हैं।
२८.१२.२०१३
जागरण ब्यूरो, लखनऊ: नया साल राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी का साल होने के आसार हैं। राजस्थान, मध्य प्रदेश की तर्ज पर मातृ एवं शिशु चिकित्सा सुविधा के लिए 'कॉल 102 एम्बुलेंसÓ शुरू होगी। मुफ्त एक्स-रे के साथ ही बड़े सरकारी चिकित्सालयों में सुपर स्पेशियलिटी इकाइयां स्थापित होंगी। पीएचसी, सीएचसी में चौबीसो घण्टों इमरजेसी सेवाएं देने की भी तैयारी है।
समय से इलाज के अभाव में राज्य में हर साल 16 हजार गर्भवती दम तोड़ देती हैं। ऐसी महिलाओं को समय से चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकार एनआरएचएम (राष्ट्रीय ग्र्रामीण स्वास्थ्य मिशन) के धन से डॉयल 102 एम्बुलेंस सेवा शुरू करने जारी है। इस योजना के तहत राज्य में 1972 एम्बुलेंस चलायी जाएंगी। एम्बुलेंस में जीवन रक्षक दवाओं के साथ प्रसूति कराने में प्रशिक्षित फार्मासिस्ट और आशा बहू भी तैनात रहेगी। सूचना मिलने के 30 मिनट के अन्दर यह एम्बुलेंस गर्भवती महिला को नजदीकी चिकित्सालय तक पहुंचाएगी। प्रसव के बाद उसे घर भी छोड़ेगी। डॉक्टरों का मानना है कि इससे मातृ-शिशु मृत्यु दर में गिरावट आएगी। क्योंकि 40 फीसद मौत समय से ट्रांसपोर्ट की सुविधा न मिल पाने से होती है।
स्वास्थ्य मंत्री अहमद हसन कहना है कि वह सरकारी चिकित्सालयों में मुफ्त एक्सरे के साथ ही आशा बहुओं को मोबाइल की सुविधा भी जल्द ही उपलब्ध करा देंगे। कुछ बड़े चिकित्सालयों में सुपर स्पेशियलिटी चिकित्सा सुविधा के लिए इकाइयां स्थापित करने की तैयारी हैं। इस साल ये इकाइयां स्थापित हो जाएंगी। लखनऊ समेत पांच जिलों में दो-दो सौ बिस्तरों वाले चिकित्सालयों की स्थापना का कार्य भी इस साल पूरा जाएगा। यानी नया साल चिकित्सा सुविधाओं की बेहतरी का साल होगा।
तथ्य
-प्रदेश में हर से 16000 गर्भवती महिलाओं की मौत होती है, जिनमें से 40 फीसद की समय से ट्रांसपोर्ट की सुविधा न मिलने से मौत होती है।
-जन्म लेने वाले एक हजार बच्चों में से 53 की मृत्यु हो जाती है।
- 40 फीसद बच्चे कुपोषण के शिकार होते हैं
-औसतन साल में 51 लाख बच्चों का जन्म होता है।
उम्मीदें
-102 नम्बर डॉयल करने के 30 मिनट के अन्दर गर्भवती को नजदीकी चिकित्सालय में पहुंचा दिया जाएगा।
-सरकार आशा बहुओं (कार्यकत्रियों ) को सीयूजी मोबाइल की सुविधा उपलब्ध करा देगी।
-लखनऊ समेत पांच जिलों में 200 बिस्तरों के चिकित्सालय शुरू हो जाएंगे।
-सरकारी चिकित्सालयों में एमसीएच (आपरेशन की विशेषज्ञ सुविधा) शाखा स्थापित होने के आसार
-जरूरतमंद मरीज को मुफ्त एक्स-रे की सुविधा की तैयारी
-पीएचसी, सीएचसी में 24 घण्टे की इमरजेंसी सेवा की उम्मीद 

यूपी में 'आपÓ प्रभाव से खुश है समाजवादी पार्टी

२९.१२.२०१३


-उसका मानना है कि आप का प्रभाव शहरी क्षेत्रों में होगा, जिससे भाजपा का नुकसान होगा
-सपा का मुख्य जनाधार ग्र्रामीण क्षेत्रों में लिहाजा उस पर कोई असर नहीं होगा
-पार्टी के लोगों तर्क लैपटाप योजना से युवाओं के बीच अखिलेश और उनकी सरकार की बढी है लोकप्रियता

परवेज़ अहमद, लखनऊ : दिल्ली की सत्ता में काबिज होने के साथ ही यूपी में भी आम आदमी पार्टी (आप) का सियासी दखल बढऩे से समाजवादी पार्टी खुश है। वह मानती है कि आप का प्रभाव शहरी क्षेत्रों में ही होगा, जिसका ज्दाया नुकसान भाजपा को होगा। सपा के प्रभाववाली लोकसभा सीटों पर अब भी जातीय संतुलन और राज्य सरकार के विकास कार्य ही गुल खिलायेंगे।
दिल्ली विधानसभा चुनाव में 28 सीटें जीतने के साथ ही 'आपÓ ने लोकसभा चुनाव में यूपी में प्रत्याशी उतारने का संकेत दिया है, जिससे सियासत के छोटे-बड़े अखाड़ेबाजों में बेचैनी है। शनिवार को अरविन्द केजरीवाल के शपथ ग्र्रहण में जिस तरह से युवाओं की भीड़ उमड़ी उससे यूपी के सूरमाओं की धड़कने बढ़ गयी हैं। ये और बात है कि  फिलहालसमाजवादी पार्टी इससे खुश है। वह आप की बढ़त में भाजपा का नुकसान देख रही है।  सपा के एक महासचिव का कहना है कि मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के स्टार प्रचारक अखिलेश यादव युवाओं के बीच खासी लोकप्रियता है। इंटरमीडिएट उत्तीर्ण छात्र-छात्राओं को लैपटाप वितरित कर उन्होंने युवाओं को तकनीक से जोड़ा है ये युवा सपा के साथ हैं। ऐसे में 'आपÓ का प्रभाव उसके जनाधार पर नहीं पडऩे वाला है। दूसरे पार्टी की ग्र्रामीण क्षेत्रों में मजबूत पकड़ है। 1996 से लेकर अब तक लोकसभा चुनावों का परिणाम से ही साफ है कि पार्टी किसानों, गरीबो, दलितों औअल्पसंख्यकों और पिछड़ों को साथ लेकर चलती रही, उसके हितों का संरक्षण करती रही है। जहां जातीय संतुलन, विकास कार्यो के आधार पर वोट पड़ते हैं। सपा के एक और प्रदेश सचिव कहते हैं कि पार्टी के पास बांदा, जालौन, नगीना, मिर्जापुर, फतेहपुर जैसी सीटें भी हैं यहां खाद, बीज, सिंचाई की समस्या है, जिसे दूर करने में समाजवादी पार्टी की सरकार ने कसर नहीं छोड़ी है, ऐसे में इन क्षेत्रों में आप का प्रभाव नहीं होने वाला है।
वह कहते है ंकि सपा मुखिया मुलायम ंिसह यादव ने प्रोन्नति में आरक्षण का विरोध कर और 17 पिछड़ी जातियों के लोगों को अनुसूचित जाति का दर्जा देने के लिए लड़ाई लड़ी है। धर्म निरेपक्षता के लिए संघर्ष किया है। लिहाजा पार्टी का जनाधार पहले से बढ़ा है। आप का सपा पर कोई प्रभाव पडऩे वाला नहीं है।
समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी कहते हैं कि लोकतंत्र में हर किसी को चुनाव लडऩे की आजादी है। यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का दरवाजा हर किसी के लिए खुला रहता है। उन्होंने लोकतंत्र बहाल किया है। ऐसे आम आदमी पार्टी से समाजवादी पार्टी पर कोई प्रभाव नहीं पढऩे वाला है।

घोटालेबाजों के पास है महत्वपूर्ण कार्य

.४.१.२०१४

घोटालेबाजों के पास है महत्वपूर्ण कार्य
परवेज़ अहमद, लखनऊ: दलित महापुरुषों की याद में नोएडा और लखनऊ में बने स्मारकों के घोटाले में पूर्व मंत्रियों, इंजीनियरों के खिलाफ भले एफआइआर हो गयी हो, मगर राजकीय निर्माण निगम (आरएनएन) पर उसका असर नहीं हुआ। घोटाले के आरोपितों में शामिल यहां के 20 इंजीनियरों को महत्वपूर्ण भवनों का निर्माण का जिम्मा सौंपा गया है। इसमें हाईकोर्ट, एनआरएचएम के  चिकित्सालय, सतर्कता अधिष्ठान, एसटीएफ दफ्तर का निर्माण तक शामिल है।
लोकायुक्त की जांच में बसपाराज में लखनऊ व नोएडा में दलित महापुरुषों की याद में बने स्मारक निर्माण घोटाले में पूर्व मंत्री बाबू ंिसह कुशवाहा, पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी समेत 198 लोगों को आरोपित किया गया। इसमें  जिसमें आइएएस, ठेकेदार और राजकीय निर्माण निगम के तकरीबन 40 अधिकारी भी शामिल है। लोकायुक्त ने इन सभी के खिलाफ कार्रवाई की राज्य सरकार से संस्तुति की थी। जिस पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एफआइआर दर्ज कराकर पूरे घोटाले की विवेचना सतर्कता अधिष्ठान को सौंपी थी। बुधवार को सतर्कता अधिकारियों ने पूर्व मंत्रियों समेत 19 के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराकर विवेचना शुरू कर दी, बावजूद इसके राजकीय निर्माण निगम पर फर्क नहीं पड़ा। घोटाले के ज्यादातर आरोपित अति महत्वपूर्ण निर्माण कार्य का जिम्मा संभाल रहे हैं। इनमें से कई तीन परियोजना प्रबंधकों के पास हाईकोर्ट भवन के निर्माण की जिम्मेदारी है। एक अधिकारी सपा मुखिया मुलायम ंिसह यादव के संसदीय क्षेत्र मैनपुरी में होने वाले निर्माण कार्यो का जिम्मा संभाल रहे हैं। घोटालेबाजी में आरोपित महाप्रबंधक एसके अग्र्रवाल दिल्ली और एस कुमार वाराणसी इकाई में चल रहे करोड़ों के कार्य कर रहे हैं। गौतमबुद्धनगर के निर्माण कार्य भी स्मारक घोटाले के आरोपितों को ही सौंपा गया है। सतर्कता विभाग के एक अधिकारी का कहना है कि घोटाले और एफआइआर में शामिल तथ्यों की विवेचना हो रही है। जो भी दोषी मिलेगा कानूनों के मुताबिक कार्रवाई की जाएगी।
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कोट: राजकीय निर्माण निगम के पास उपलब्ध इंजीनियरों से ही कार्य लिया जा रहा है, अभी इंजीनियरों पर आरोप की बात सामने आयी है, उनका कोई दोष सिद्ध नहीं हुआ है, लिहाजा उन्हें दोषी नहीं ठहराया जा सकता है। हां, आरोपितों में से कुछ के पास जरूर महत्वपूर्ण कार्य है, जिसकी समीक्षा करायी जाएगी।-आरएन यादव, प्रबंध निदेशक राजकीय निर्माण निगम
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कोट:
बसपा सरकार के घोटालों की जांच करा रही समाजवादी पार्टी की सरकार में भी आरोपितों को महत्वपूर्ण कार्य दिया जाने से राज्य सरकार की नियत पर संदेह साफ नजर आ रहा है।-अमरनाथ अग्र्रवाल, प्रदेश प्रवक्ता कांग्र्रेस
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घोटाले के  आरोपितों को खास काम
नाम              मौजूदा कार्य
एके सक्सेना-  इटावा में प्रोजेक्ट मैनेजर
पीके जैन- महाप्रबंधक महत्वपूर्ण पद
एसके अग्र्रवाल- महाप्रबंधक(दिल्ली)आरके ंिसह- प्रोजेक्ट मैनेजर यूनिट-21 जिसके पास (एसटीएफ, सतर्कता भवन, टाउन प्लानिंग का कार्य)
-एसके चौबे- डॉ.मनोहर लोहिया मेडिकल इंस्टीट्यूट का निर्माण कार्य
केके अस्थाना- मुख्य वास्तु विद, भवनों निर्माण को अंतिम रूप देने का जिम्मा
-एस कुमार- महाप्रबंधक वाराणसी का अतिमहत्वपूर्ण कार्यभार
-एके गौतम-  महाप्रबंधक झारखण्ड के पद से 31 दिसम्बर को सेवानिवृत
-अनिल कुमार- परियोजना प्रबंधक निर्माणाधीन हाईकोर्ट भवन
-एए रिजवी, अपर परियोजना प्रबंधक निर्माणाधीन हाईकोर्ट भवन


-राजेश चौधरी, परियोजना प्रबंधक निर्माणाधीन हाईकोर्ट भवन
-मसूद अहमद, इकाई प्रभारी, मैनपुरी
-सुनील कुमार त्यागी, इकाई प्रभारी गौतमबुद्धनगर
-छेदी लाल, इकाई प्रभारी गौतमबुद्धनगर
-राजवीर ंिसह, महाप्रबंधक झांसी
- अवनी कुमार, महाप्रबंधक (तकीनीकी) आरएनएन अति महत्वपूर्ण शाखा है यह।
-पीके शर्मा, परियोजना प्रबंधक निर्माणाधीन सहारनपुर मेडिकल कालेज
-आरएन यादव- तत्कालीन महाप्रबंधक विद्युत अंचल अब प्रबंध निदेशक
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इंसर्ट
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जांच की भी होगी जांच
जागरण ब्यूरो, लखनऊ: उत्तर प्रदेश सतर्कता अधिष्ठान स्मारक घोटाले की शुरूआती जांच करने वाली आर्थिक अपराध शाखा (इओडब्ल्यू) के विवेचनाधिकारियों से कुछ की भूमिका खंगालने की तैयारी में जुट गया है।
लोकायुक्त के आधीन स्मारक घोटाले की जांच करने वाली इओडब्ल्यू के विवेचनाधिकारियों ने अपनी जांच में तीन आइएएस अधिकारियों, लखनऊ के तत्कालीन मण्डलायुक्त, पीडब्ल्यूडी के तत्कालीन प्रमुख अभियंता (विकास) की भूमिका को संदिग्ध तो ठहराया है लेकिन उनके खिलाफ किसी भी तरह की कार्रवाई की संस्तुति नहीं की है।
सूत्रों का कहना है कि इओडब्ल्यू की 117 पेज की जांच रिपोर्ट में ही संदेह के घेरे में आए कई इंजीनियरों, ठेकेदारों और अधिकारियों के बयानों का उल्लेख भी नहीं किया है। आखिर ऐसे क्यों हुआ? यही सवाल सतर्कता अधिकारियों को मथ रहा है। सूत्रों का कहना है कि इन्हीं सवालों के जवाब की तलाश के लिए सतर्कता अधिकारी इओडब्ल्यू के विवेचनाधिकारियों से उनके बयान लेने की तैयारी कर रहे हैं।सतर्कता अधिष्ठान के महानिदेशक ए.एल बनर्जी का कहना है कि अभी एफआइआर की विवेचना शुरू हुई लेकिन सभी पहलुओं की जांच होगी।

टिकट सपाइयों का

01.06.2014
1-पारसनाथ यादव
प्रदेश सरकार में उद्यान मंत्री जौनपुर से लोकसभ प्रत्याशी हंै, जिनकी उलझन है कि कुछ दिन पहले ही उनका बेटा पार्टी कार्यकर्ताओं से मारपीट के आरोपों में घिर गया, ऊपर से पूर्व में घोषित प्रत्याशी डॉ.केपी यादव बागी हो गये हैं। और उनकी सभाओं में खासी भीड़ उमड़ रही है।
2-सुकन्या कुशवाहा
यूं तो वह पहली बार चुनावी समर में हैं लेकिन उनके पति बाबू ंिसह कुशवाहा कभी दलित-पिछड़ा राजनीति के महारथी रहे हैं, उनकी दिक्कत ये हैं कि जिस गाजीपुर संसदीय क्षेत्र से उन्हें टिकट दिया है, वहां के मौजूदा सांसद राधे मोहन ंिसह का टिकट कटा है और वह बगावती तेवर  अख्तियार किये हैं।
3-बलराम यादव
प्रदेश सरकार के ताकतवर मंत्रियों में से एक बलराम यादव तो पार्टी ने आजमगढ़ संसदीय क्षेत्र से चुनाव लडऩे के लिए लेकिन वह हिचक गये, उनकी पहल पर ही आजमगढ़ के जिलाध्यक्ष को प्रत्याशी बना दिया गया लेकिन उनकी उलझन ये है  कि अगर यहां परिणाम नकारात्मक हुए तो उनकी सियासत का क्या होगा, इसी लिए उनके खेमे से जब तक सपा मुखिया मुलायम ंिसह या उनके दूसरे बेटे प्रतीक यादव के चुनावी समर में कूदने की चर्चाएं छेड़ी जाती रही हैं।

4- राकेश सचान
फतेहपुर के सांसद राकेश को फिर से यहीं से चुनावी मैदान में उतारा गया लेकिन वह बन रहे समीकरणों को लेकर खासे विचलित हैं, लिहाजा अकबरपुर संसदीय सीट से टिकट हासिल करने की कवायद में हैं।
5-घनश्याम अनुरागी
जालौन के इस सांसद को पार्टी ने पहले दोबारा प्रत्याशी बनाया, फिर टिकट काट कर जिले एक विधायक को प्रत्याशी बनाया और फिर घनश्याम को प्रत्याशी बना दिया गया, उनकी परेशानी का सबब ये है कि बैठे-बैठाए पार्टी का एक विधायक उनसे खार खा बैठा है, अगर उसने खुले दिल से समर्थन न किया तो क्या होगा?
6- रामजी लाल सुमन
सपा के इस दिग्गज का चुनावी क्षेत्र आगरा रहा, लेकिन टिकट हाथरस से मिला है और यहां की मौजूदा सांसद सारिका बघेल को आगरा से प्रत्याशी बनाया गया है, दोनों के सियासी रिश्ते बहुत खुशगवार नहीं है, ऐसे में उनकी बेचैनी स्वाभावित की है।   

सांसद व विधायक से राज्य सरकार मुकदमा वापस नहीं लेने जा रही

1.06.2014
परवेज़ अहमद, लखनऊ : पश्चिम में दंगा भड़काने में नामजद मौलानाओं, सांसद व विधायक से राज्य सरकार मुकदमा वापस नहीं लेने जा रही है, केन्द्रीय गृह मंत्रालय की एक चिट्ठी से हड़बड़ाए यूपी के गृह व न्याय विभाग के अधिकारियों मुजफ्फरनगर प्रशासन से मुकदमों की स्थिति पर '13 बिन्दुओंÓ पर रिपोर्ट तलब राज्य सरकार को एक बार फिर सांसत में फंसा दिया है।
प्रदेश सरकार के गृह व न्याय विभाग ने 27 अगस्त को कबाल से शुरू होकर पश्चिम में फैले दंगों में अभियुक्तों का नाम, तफ्तीश की स्थिति, समेत 13 बिन्दुओं पर रिपोर्ट तलब की थी। इसमें यह भी पूछा गया था कि बसपा सांसद कादिर राणा पर दर्ज मुकदमें वापस लिये जा सकते हैं या नहीं? जिस पर हंगामा बरपा होने पर उच्च स्तरीय जांच शुरू हुई तो खुलासा हुआ कि राज्य सरकार ने तो मुकदमे वापसी का न कोई फैसला लिया है न ही अधिकारियों से रिपोर्ट मांगने के निर्देश दिये। अलबत्ता केन्द्र सरकार सरकार के गृह मंत्रालय (सीएस डिवीजन) के अनुसचिव मनिराम की ओर से नवम्बर माह में जारी पत्र में यूपी सरकार के गृह सचिव को निर्देशित करते हुए कहा गया है कि बसपा सांसद कादिर राना ने दंगा मामले में फर्जी मुकदमा दर्ज कराने का आरोप लगाया है, प्रकरण राज्य सरकार की कानून व्यवस्था से जुड़ा है, लिहाजा सरकार इस मामले की वस्तु स्थिति से केन्द्रीय गृह मंत्रालय को अवगत कराये।
सूत्रों का कहना है कि केन्द्रीय गृह मंत्रालय के इस पत्र से हड़बड़ाए राज्य सरकार के गृह व न्याय विभाग के अधिकारियों ने मनमानी तरीके सेमुजफ्फरनगर के जिला प्रशासन से 13 बिन्दुओं पर रिपोर्ट तलब कर ली। जिसमें आरोपितों से मुकदमा उठाने या न उठाने का बिन्दु भी शामिल था। गौरतलब है कि इससे पहले ही यूपी सरकार के गृह विभाग के अधिकारी 'सोमनाथ मंदिर निर्माणÓ संबंद्ध् में लापरवाही भरा पत्र लिखकर राज्य सरकार को मुसीबत में फंसा चुके हैं। सूत्रों का कहना है कि दूसरी ओर मुजफ्फरनगर के जिला प्रशासन ने न्याय और गृह विभाग को भेजी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि दंगा की एफआइआर पर अभी विवेचना चल रही है। अभी तो अदालत में प्रकरण गया है ही नहीं है। ऐसे में मुकदमा वापस लेने का कोई औचित्य नहीं है। जिला प्रशासन ने कानून व्यवस्था की स्थिति से भी इसे अनुचित माना है।
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मुख्यमंत्री बोले-
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मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि सूचना मांगने का अर्थ यह नहीं होता है कि सरकार ने दंगों के आरोपितों से मुकदमा वापस ले लिया है। कानून अपना कार्य कर रहा है। कानून का पालन करने के मामले में सरकार कोई हस्तक्षेप नहीं करती है। कानून अपना कार्य करेगा। अलबत्ता किसी निर्दोष के खिलाफ कार्रवाई नहीं होने दी जाएगी।
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जागरण ब्यूरो, लखनऊ: प्रदेश सरकार में गफलत और मनमानी का आलम ये है कि दंगा भड़काने में नामजद बसपा सांसद कादिर राणा की शिकायत परकेन्द्रीय गृह मंत्रालय से मांगी गयी सूचना पर मुजफ्फरनगर के जिला प्रशासन से मुकदमा वापसी से ताल्लुक रखने वाले 13 बिन्दुओ पर रिपोर्ट तलब कर ली। तथ्यों का खुलासा होने पर प्रमुख सचिव न्याय जेएस पाण्डेय ने आनन-फानन में प्रकरण की पत्रावली तलब सील करा दी है। रिपोर्ट मंागने की पत्रावली तैयार करने वाले सेक्शन अधिकारी व एक समीक्षा अधिकारी उनके पद से हटाकर वापस सचिवालय प्रशासन भेजने का निर्देश दिया है। दोनों समीक्षा अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई भी किये जाने के संकेत हैं। सूत्रों का कहना है कि गृह विभाग के उन अधिकारियों के बारे में भी छानबीन शुरू हो गयी है, जिन्होंने पत्रावली न्याय विभाग को बढ़ायी थी। 

Thursday 10 December 2015

-तलाक, मेहर, वसीयत व शरई कानून पर हुई चर्चा


-अल्पसंख्यकों की रहनुमाई करेगा पर्सनल ला बोर्ड
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अमरोहा : आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की दीन व दस्तूर बचाओ कांफ्रेंस में मुसलमानों से कुरान व हदीस के मुताबिक ङ्क्षजदगी गुजारने के लिए कहा गया। मुसलमानों की तलाक, वसीयत व मेहर के साथ ही कानूनी अधिकारों के संबंध में आने वाली परेशानियों को भी शरई तौर पर खत्म करने का फैसला लिया गया। उलमा ने मुसलमानों के तालीम से जुड़ऩे पर जोर देते हुए कहा कि कुछ फिरकापरस्त ताकतें अपना मकसद पूरा करने के लिए मुल्क का माहौल बिगाडऩे की कोशिश कर रही हैं। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड व मुसलमान उन्हें कामयाब नहीं होने देंगे।
गुरुवार को ईदगाह मैदान में शुरु हुई आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की दीन व दस्तूर बचाओ कांफ्रेंस में देशभर से उलमा पहुंचे हैं। हालांकि बोर्ड के नायब सदर व सदारत कर रहे मौलाना कल्बे सादिक ने अपने ख्यालात का इजहार नहीं किया, लेकिन सचिव मौलाना वली रहमानी, बोर्ड के सदस्य अब्दुल्ला मुगीसी, मौलाना यासीन अली उस्मानी, आचार्य प्रमोद कृष्णम्, सरदार बलदीप ङ्क्षसह, बामन मेसन, जगद्गुरु मृत्युजंय, एसी माइकल, डॉ. जॉन दयाल ने मुल्क के मौजूदा हालात पर अपने ख्याल पेश किए। पांच घंटे चली कांफ्रेंस में मुसलमानों के हालात पर चर्चा की गई।
उलमा ने कहा कि मुसलमान अपने तलाक, मेहर, वसीयत जैसे मुद्दों को शरई कानून के मुताबिक ही निपटाएं। चूंकि यह मसले इतने पेचीदा हैं कि इनका हल सिर्फ शरई कानून में है। वह शरई कानून का पालन करते हुए देश के कानून का भी पालन करें। बोर्ड के पदाधिकारियों व सदस्यों ने स्पष्ट किया कि मुस्लिम बोर्ड देश के मुसलमानों को किसी भी हालत में कमजोर नहीं होने देगा। बशर्ते मुसलमान कुरान व हदीस के रास्ते पर चलें।