Thursday 4 May 2017

SP MAY_शिवपाल के लिए बंद हो रहे दरवाजे, सेक्युलर मोर्चा बनायेंगे

3 MAY 2017



- रामगोपाल को शकुनि बताया, गीता पढऩे की दी सलाह
- रामगोपाल ने पहले कहा था शिवपाल सपा के सदस्य तक नहीं
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 लखनऊ : अधिकार, वर्चस्व के लिए देश के सबसे बड़े राजनीतिक परिवार यानी मुलायम सिंह केकुनबे की जंग ऐसे मोड़ पर है, जहां से पूर्व मंत्री शिवपाल के लिए समाजवादी पार्टी (सपा) के दरवाजे बंद होने शुरू हो गए हैं। इसे भांपकर उन्होंने एक माह के अंदर सेक्युलर मोर्चा गठित करने का एलान किया है। हालांकि इसका स्वरूप क्या होगा और मुलायम सिंह की भूमिका क्या होगी, यह आने वाले दिनों में साफ होगा।
 सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के परिवार में सितंबर 2016 से मुखर हुई कलह में जनवरी 2017 में खेमेबंदी हो गई। एक ओर अखिलेश-प्रो.राम गोपाल हो गए, दूसरी ओर शिवपाल यादव थे। मुलायम कभी इधर और कभी उधर रहे। विधानसभा चुनाव के दौरान कुनबे के अंदर से शिवपाल का विरोध हुआ और जब सपा चुनाव हारी तो शिवपाल ने कहा कि यह पार्टी नहीं, घमंड की हार है। इशारा पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की ओर था, जुबानी वार बढ़ती चली गई। शिवपाल यादव ने 1 जनवरी 2017 का वादा याद दिलाते हुए अखिलेश से मुलायम सिंह के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष पद मांगना शुरू कर दिया...तब राम गोपाल यादव ने फिर मोर्चा संभाला और इटावा में कहा कि शिवपाल तो सपा के सदस्य तक नहीं हैं, उनकी मांगों का कोई अर्थ नहीं है। अखिलेश अध्यक्ष पद नहीं छोड़ सकते। यह बात सपा में शिवपाल के लिए दरवाजे बंद होने जैसी थी, यह चर्चा होने लगी कि वह भाजपा का दामन थाम सकते हैं, मगर इस पर विराम लगाते हुए बुधवार को उन्होंने कहा कि अगर एक माह के अंदर मुलायम को राष्ट्रीय अध्यक्ष पद नहीं मिला, वह सेक्युलर मोर्चे के गठन करेंगे। हालांकि समाजवादी कुनबे को एकजुट करने का प्रयास न छोडऩे की बात भी कही। लेकिन वह यहीं नहीं रुके रामगोपाल यादव का नाम लिए बगैर उन्हें शकुनि बताया। कहा कि सपा के संविधान रचयिता शकुनि को गीता का पाठ पढऩे की जरूरत है। इन्हीं संविधान रचयिता ने लोकसभा चुनाव में टिकट बांटे थे, जिसमें पार्टी को पांच सीटें मिली थीं। विधानसभा चुनाव में पार्टी 229 से घटकर 47 सीटों पर आ गई।
इटावा संवाददाता के मुताबिक, शिवपाल ने कहा कि जिले के थानों की हालत बेहद खराब है। भ्रष्ट अधिकारी सत्ता की सीधी भागीदारी में जब लिप्त होते हैं तब देश व प्रदेश का यही हाल होता है। हमें अपनी सरकार में भी ऐसे लोगों से जूझना पड़ा था। अब दो माह में योगी सरकार में भी यही हालात बन गए हैं। जसवंतनगर के थानों में निर्दोष लोगों को पुलिस पीट रही है और गुंडे उनके खिलाफ मुकदमा करा रहे हैं। हालांकि यह सब काम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की इच्छा के विरुद्ध किया जा रहा है। वह लखनऊ जाकर उन्हें मामलों की पूरी जानकारी देंगे।
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Wednesday 3 May 2017

UP TERROR

3 MAY 2017 -ATS LKO

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-एक एजेंट फैजाबाद और दूसरा मुंबई से गिरफ्तार हुआ
-मुंबई में गिरफ्तार अल्ताफ से 70 लाख रुपए बरामद
-आइएसआइ से ली थी जासूसी की ट्रेनिंग
-पाकिस्तानी उच्चायोग से संपर्क के साक्ष्य मिले
-कई संदिग्ध हिरासत में, एटीएस ने एक की पुष्टि की
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लखनऊ  : आतंकवाद के विरुद्ध अभियान में सुरक्षा एजेंसियों को एक पखवारे के अंदर दूसरी बड़ी सफलता हासिल की। बुधवार को यूपी एटीएसने फैजाबाद से पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी (आइएसआइ) के एजेंट आफताब अली और मुंबई से अल्ताफ कुरैशी को गिरफ्तार किया है। दोनों जासूस भारतीय नागरिक हैैं। मुंबई में गिरफ्तार एजेंट केपास से 70 लाख रुपए बरामद हुए हैैं। इनके पास से सैन्य क्षेत्रों के नक्शे, मोबाइल फोन मिले हैैं। कुछ संदिग्ध लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ चल रही है।
देश में आइएसआइ एजेंटों की सक्रियता का इनपुट मिलने पर सैन्य खुफिया इकाई, यूपी इंटेलीजेंस और एटीएस (आतंकवाद निरोधक दस्ता) ने संयुक्त अभियान के तहत फैजाबाद से यहीं के ख्वासपुरा निवासी आफताब अली को पकड़ लिया। उससे मिले सुराग पर एटीएस की दूसरी टीम ने महाराष्ट्र पुलिस के साथ मुंबई के आनंदराव मेन रोड पर स्थित युसूफ मंजिल के फ्लैट नंबर-रूम नंबर 201 पर छापा मारकर गुजरात के मूल निवासी अल्ताफ भाई कुरैशी पुत्र हनीफ भाई को पकड़ लिया। उसके कब्जे से 70 लाख रुपए नकद बरामद हुए हैं। अल्ताफ हवाला कारोबारी है। उसने आफताब के खातों में लाखों रुपये जमा किये थे। जांच एजेंसियां अल्ताफ से यह पता करने का प्रयास कर रही हैैं कि किसके कहने पर उसने आफताब के खाते में पैसा जमा किया। आइएसआइ नेटवर्क की और परतें खुलने की संभावना है।
दूसरी ओर पूछताछ में आफताब अली ने राजफाश किया कि वह पाकिस्तान जाकर आइएसआइ से जासूसी का प्रशिक्षण ले चुका है। पाकिस्तानी उच्चायोग के कुछ अधिकारियों के संपर्क में था। जिसके ठोस साक्ष्य एटीएस अधिकारियों को मिले हैं। सूत्रों का कहना है कि आफताब अक्टूबर में भारत सरकार के दखल पर दूतावास से हटाकर वापस पाकिस्तान भेजे गए महमूद अख्तर नाम के अधिकारी के संपर्क में था। अब एटीएस आफताब के पास से बरामद मोबाइल फोन का विशेषज्ञों से परीक्षण करा रही है। इससे ढेरों राज खुलने की संभावना है।
सूत्रों का कहना है कि आफताब से पूछताछ में मिली जानकारी के आधार पर कई लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ चल रही है। एटीएस एक संदिग्ध को हिरासत में लेने की तस्दीक करते हुए संकेत दिया है कि कुछ और लोगों की जल्द गिरफ्तारी हो सकती है। आफताब कब से जासूसी कर रहा था और उसने अब तक कितनी सूचनाएं अपने आकाओं तक पहुंचाई इसकी विस्तार से पड़ताल चल रही है। एटीएस के आइजी असीम अरूण ने का कहना है कि दोनों से पूछताछ में आइएसआइ के नेटवर्क का राजफाश होने की उम्मीद है।
ध्यान रहे, 20 अप्रैल को यूपी समेत पांच राज्यों की पुलिस के साझा अभियान में आइएस से प्रभावित समूह के चार सदस्यों को पकड़ा गया था, जिन्होंने पाकिस्तानी मूल के कनाडा में बस गए एक लेखक की हत्या, बिहार की चीनी मिल उड़ाने और मुंबई पुलिस के किसी एक अधिकारी हत्या की साजिश पर्दाफाश किया था। संदिग्ध आतंकियों का किसी समूह से सीधा संबंध नहीं मिला था, मगर इस बात के पुख्ता सुबूत मिले थे कि चारों युवक ङ्क्षहसक वारदातों को अंजाम देना चाहते थे। जिसके लिए गोला, बारूद और असलहों के इंतजाम का कार्य पूरा कर लिया है। गिरोह खुरासान माड्यूल के करीब था। इस कार्रवाई के एक पखवारे के अंदर आइएसआइ के लिए जासूसी के आरोप में युवक की गिरफ्तारी से इतना तय है कि सुरक्षा एजेंसियों के तमाम प्रयासों के बावजूद संदिग्ध आतंकियों का जाल फैलता जा रहा है।
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सर्जिकल स्ट्राइक के बाद बढ़ी थी गतिविधियां
एटीएस सूत्रों का कहना है कि अफताब ने अगस्त से अक्टूबर के बीच पाकिस्तान में जासूसी की ट्रेनिंग ली थी। यह बात भी सामने आई है कि भारत की ओर से सीमा पर सर्जिकल स्ट्राइक के बाद सैन्य गतिविधियों की जानकारी के लिए आफताब का इस्तेमाल किया जा रहा था। सूत्रों का कहना है फैजाबाद के ही युवक इमरान भी आइएसआइ के संपर्क में था जिससे पूछताछ चल रही है। इमरान ने भी कई चौंकाने वाले तथ्यों का राजफाश किया है।

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june 2017
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21 जून 2017-

भटके युवकों के सुधार अभियान को कानूनी मान्यता मिलेगी
-एटीएस के 'डी-रेडिक्लाइजेशनÓ अभियान को कानूनी मान्यता देने पर सरकार सहमत
-एटीएस लंबे समय से चला रही यह अभियान, लोगों ने इसे घर वापसी नाम दिया
लखनऊ : आतंकी मानसिकता से ग्रसित युवकों को सही रास्ते पर वापस लाने के आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) के 'डी-रेडिक्लाइजेशनÓ (कट्टरता से बाहर निकालना) अभियान को राज्य सरकार कानूनी मान्यता देने पर सैद्धांतिक रूप से सहमत हैैं।
 संदिग्ध गतिविधियों में हिरासत में लिये गये युवकों से पूछताछ में खुलासा हुआ कि आतंकी संगठनों के गुर्गे आर्थिक रूप से कमजोर, भटके  युवकों को कट्टर बनाने का प्रयास रहे हैैं। उनके अंदर आतंकी भावना भरने का प्रयास कर रहे हैैं। यूपी एटीएस ने ऐसे युवकों को वारदात में शामिल होने से पहले उनकी पहचान कर उनको सही राह पर लाने का अभियान शुरू किया था। गत माह पांच प्रदेशों की पुलिस के साझा अभियान में चार आतंकियों के साथ संदिग्ध गतिविधियों में शामिल होने के इल्जाम में छह युवकों को हिरासत में लिया था। पूछताछ (इन्ट्रोगेशन)में युवकों को पथभ्रष्ट किये जाने की साजिश का खुलासा हुआ था। मगर वे अपराध, आतंकी गतिविधि में शामिल नहीं पाये गये थे। जिस पर एटीएस अधिकारियों ने युवकों पर निगरानी बनाये रखने के साथ छोड़ दिया। उसी समय एटीएस के आइजी असीम अरूण ने कहा था कि 'युवकों के कट्टरता की जद में आने, राह भटकने के  कारणों की पड़ताल कर उन्हें सही रास्ते पर लाने का प्रयास किया जाएगा। अपराधी, आतंकी पकडऩे में इनका इस्तेमाल नहीं होगा।Ó एटीएस ने इस दिशा में प्रयास तेज किया।  युवकों के परिवार, उनके मित्र और धर्म गुरुओं की मदद से उनकी काउंसिलिंग शुरू कराई।  ये ही नहीं, कई और युवकों को भी एटीएस सही रास्ते पर लाने का प्रयास रही है। जिसके उत्साहजनक परिणाम दिखने के बाद पुलिस अधिकारियों ने इस अभियान को कानूनी मान्यता दिलाने का प्रयास शुरू किया है। सरकार सैद्धांतिक रूप से इस पर सहमत है। सूत्रों का कहना है कि अभियान के तहत चिन्हित युवकों को व्यावसायिक शिक्षा दिलाने, उनके परिवार के निराश्रित सदस्य को पेंशन, रोजगार उपलब्ध के लिए आसान दरों पर कर्ज का शासनादेश जारी किया जा सकता है। दरअसल, अभी एटीएस अपने संसाधनों व रसूख के बल ऐसे युवकों की मदद कर रही है। शासनादेश जारी होने पर संबंधित महकमों की यह जिम्मेदारी होगी कि वह उनके अनुसार मदद मुहैया कराये। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि पुलिस कई बार बहुत अच्छे अभियान चलाती है, मगर कानूनी मान्यता नहीं होने के चलते वह स्थायी नहीं हो पाता।
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कैसे चल रही है अभियान
 'डी-रेडिक्लाइजेशनÓ के लिए चिन्हित युवक से एटीएस अधिकारी लगातार संपर्क में रहते हैैं। कुछ दिनों तक संबंधित को एटीएस कार्यालय बुलाकर बातचीत होती है।  फिर बातचीत को साप्ताहिक. पाक्षिक में तब्दील किया जाता है। एटीएस के बड़े अधिकारी सादे कपड़ों में संबंधित के घर जाकर परामर्श के प्रभाव का आकलन करते हैैं। इस प्रक्रिया को गोपनीय रखा जाता है। एक साल तक संपर्क के बाद मुलाकात सीमित की जाती है। रोजगार का इंतजाम व विवाह के बाद माना जा सकता है कि वह कट्टरता के प्रभाव से बाहर निकल गया है। बावजूद इसके सतर्कता बनाए रखी जाती है।
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२१ जून
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हिरासत में लिये गये तीन युवकों को एटीएस ने छोड़ा
सोशल नेटवर्किंग साइट पर संदिग्ध पोस्ट पर हिरासत में लिये गये थे
 लखनऊ : सोशल नेटवर्किंग साइटों पर संदिग्ध गतिविधियां संचालित करने के आरोप में हिरासत में लिए गए तीन युवकों को पूछताछ के बाद आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने छोड़ दिया है। वे सुरक्षा एजेंसियों की निगरानी में रहेंगे। एटीएस के प्रवक्ता ने बताया कि तीनों युवकों देश विरोधी गतिविधियों में संलिप्तता नहीं पायी गयी है। सोशल नेटवर्किंग साइटों पर संदिग्ध गतिविधि का इनपुट मिलने पर एटीएस ने लखनऊ के गोमतीपार इलाके में रहने वाले दो सगे भाइयों समेत तीन लोगों को हिरासत में लिया। दिहाड़ी मजदूरी करने वाले इन युवकों के फेसबुक अकाउंट पर संदिग्ध पोस्ट डाले जा रहे थे। कई घंटों की पूछताछ के बाद इन्हें छोड़ दिया गया। एटीएस के प्रवक्ता ने बताया कि जिन युवकों को हिरासत में लिया गया है, उन्हें अपराध में संलिप्त नहीं पाया गया था। युवकों के फेसबुक पेज पर आने वाले पोस्ट की निगरानी हो रही है। बताया गया कि इन युवकों को लखनऊ न छोडऩे की हिदायत दी गयी है।
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