Monday 24 December 2018

आईएएस बनाम आईएएस

मंत्री की अपने प्रमुख सचिव/ निदेशक से ही नहीं बन रही। मंत्री की प्रमुख सचिव/ सचिव सुनते ही नहीं है-उसको ऊपर का संरक्षण है? ये बातें और दर्द हर सरकार में सुना जाता है। मौजूदा वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल व उनके महकमे के अपर मुख्य सचिव संजीव मित्तल के बीच अनबन की चर्चा आम है। अतीत में झांके तो बसपा सरकार थोड़ी अपवाद रही। ऐसा नहीं कि सिर्फ मंत्री-अधिकारी में ही ठनती है।आईएएस बनाम आईएएस। आईपीएस बनाम आईपीएस भी खूब है। सीबीआई का झगड़ा अदालत की चौखट पर है। दरअसल, सचाई यह है कि नौकरशाहों के 'घराने-खेमे' हंै। कूटनीति दांव वहां भी खूब चले जाते हैं। कुछ समय तक ये सब पर्दे की ओट में था। अब सावर्जनिक होने का क्रम शुरू हुआ है। जाहिर है, इस पर विश्लेषण होंगे। नौकरशाही के हक हकूक से वाकिफ विशेषज्ञ संवर्ग में संघर्ष की तीन वजह मानते हैं। एक, ' छदम ईमानदारी।' दो, ' अति महत्वाकांक्षा। ' तीन, 'वैचारिक प्रतिबद्धता।' ये जरूरी नहीं स•ाी कारण सच हों, मगर दिखते सच के करीब हैं। अब बात फिर यूपी की। कुछ माह पहले महिला कल्याण की तत्कालीन प्रमुख सचिव रेणुका कुमार व उनके ही निदेशक व आईएएस भवानी सिंह के बीच रार ठनी। वजह बना गोमतीनगर क्षेत्र के खास हिस्से का आवंटन व एक स्वयंसेवी संस्था को लाखों की ग्रांट। लेटर वार हुआ। गलत कौन था ? यह तय नहीं हुआ, मगर जूनियर आईएएस भवानी सिंह का तबादला हो गया। इस प्रकरण केकुछ दिन बाद ही नगर विकास विभाग के प्रमुख सचिव व स्वच्छता अ•िायान के निदेशक के बीच ठन गयी। यहां भी एक स्वयंसेवी संस्था के सदस्यों को लाखों के हवाई टिकट का भुगतान से जुड़ा मामला था। महंगी गाड़ियां किराये पर लेने की अनुमति और एनजीओ को अघोषित रूप से सचिवालय में एक कक्ष देने का मसला भी था। यहां भी हारा जूनियर अधिकारी। मेरठ कमिश्नर के पद तैनाती के दौरान एक आईएएस की जूनियर से ठनी, यहां 'मसला उपकार' से जुड़ा था। एक प्रमुख सचिव से जूनियर आईएएस परेशान हैं। यह मसला सरकार के गलियारों में चर्चा का विषय है। ताजा प्रकरण वरिष्ठ आईएएस हिमांशु कुमार और आईएएस मिनिस्ती एस का है। दोनों के बीच लेटर वार चल रहा है। मिनिस्ती एस को फील्ड में लोकप्रिय अधिकारी माना जाता है। बाराबंकी में तैनाती के दौरान गांव-गलियारे के विकास में बेहतर काम किया। उनके इनोवेशन को केन्द्र सरकार की नरेन्द्र मोदी सरकार ने सराहा था। हिमांशु कुमार ईमानदार कहे जाते हैं, मगर आईएएस बिरादरी में उनकी राजनीतिक प्रतिबद्धता की चर्चा भी होती है। मंत्री की बैठक में न पहुंचने के एक प्रकरण में हिमांश ने मिनिस्ती को स्पष्टीकरण रूपी पत्र लिखा। जिसमें लैंड लाइन से किया गया फोन न उठाने की बात थी, जवाब में मिनिस्ती ने भी पत्र लिख दिया था, जिसमें नियमों को आधार बनाया गया था। यही नहीं राजस्व परिषद के एक वाट्सएप ग्रुप में जुड़ने के लिए कई आईएएस तैयार ही नही ंहै। जबकि राजस्व परिषद के अध्यक्ष सबसे सीनियर अधिकारी हैं। दरअसल उत्तर प्रदेश की नौकरशाही पर यह इल्जाम है कि वह पॉलिटिकल मास्टर के इशारे पर काम करती है। जिसकी व्यावहारिक नजीरें ढेरों हैं, मगर कागज आधारित तथ्य नहीं है। यही नहीं, आईपीएस और आईएफएस में इस तरह के ढेरों वाद सामने हैं। इस रार की कई जांचें हुई मगर न कोई कार्यवाही हुयी और न ही इस पर अंकुश के प्रयास दिखे। मौजूदा समय में यूपी पुलिस के अधिकारियों के अपने-अपने घराने होने की चर्चा आम हैं, जिसे जानते सब हैं, मगर हर कोई खामोश है। फारेस्ट सर्विस में भी कमोवेश यही हाल है। राजनीति व नौकरशाही पर नजर रखने वाले विशेषज्ञ कहते हैं कि रिटायर होने के बाद कम से कम पांच साल तक लाभ के पद पर नियुक्ति का नियम नहीं बनेगा, तब तक कतिपय नौकरशाहों की महत्वाकांक्षा कम नहीं होगी। और अगर महत्वाकांक्षा बलवती रहेगी तो टकराव, वरिष्ठ-कनिष्ठ के बीच अवहेलना का सिलसिला बना ही रहेगा। क्या कोई इस दिशा में कदम उठायेगा और अधिकारियों के बीच अधिकारों की लड़ाई के कारणों की कोई पड़ताल करेगा? यह सवाल अभी लाख ठके है।

Thursday 13 December 2018

कांग्रेस मुक्त का नारा अब प्रभावशाली नहीं रहेगा



-ईवीएम को लेकर चल रहे विवाद पर फिलहाल विराम

-शहरी व ग्रामीण मतदाताओं के मुद्दे मुख्तलिफ

-धार्मिक ध्रुवीकरण का प्रभाव कम हो गया है

-भाजपा से मुकाबले के राहुल के अंदाज को तवज्जो




लखनऊ। हिन्दी भाषी राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश विधानसभा के परिणाम कुछ महीनों बाद होने वाले लोकसभा चुनाव में कितने कारगर होंगे, यह कहना अभी जल्दबाजी होगी, मगर इतना तय है कि ईवीएम (इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन) की निष्पक्षता, धार्मिक ध्रुवीकरण और कांग्रेस मुक्त भारत का नारा अब प्रभावशाली नहीं रहेगा। यही नहीं, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के भाजपा की नीतियों से सीधे मोर्चो लेने के अंदाज को इन राज्यों में स्वीकारोक्ति मिल गयी है। परिणामों की रोशनी में उठे इन सवाल व उनके जवाबों की गहराई में झांके तो साफ है कि भाजपा को अब 80 लोकसभा सीटों वाले राज्य उत्तर प्रदेश की रणनीति में बदलाव करना होगा। परिणामों के साथ उत्तर प्रदेश के दोनों बड़े प्लेयर समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी के सुप्रीमों ने साफ कर दिया है कि वे भाजपा के साथ नहीं जायेंगे। यानी महागठबंधन की जिस संभावना पर गर्द पड़ रही थी, वह बुनियाद की ओर बढ़ गयी है। जाहिर है इससे सत्तारूढ़ दल भाजपा की चुनौती बढ़नी ही है।

लोकसभा-2014 के चुनाव में भाजपा व उसके सहयोगी दल 34 फीसद वोट शेयर लेकर 73 सीटें जीतने में कामयाब हो गये थे। यह वह समय था जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का जादू जनता के सिर चढ़कर बोल रहा था। मगर कुछ महीनों बाद लोकसभा की तीन व विधानसभा की एक सीट का उपचुनाव हुआ तो विपक्षी दलों ने अघोषित समझौता किया। जिसमें भाजपा सभी सीटें हार गयी थी। पराजय के बाद योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली प्रदेश सरकार ने आक्रामक रुख अख्तियार किया। विकास की गति बढ़ाने का प्रयास किया। हिन्दुत्ववादी थॉट को रफ्तार देने का प्रयास किया। इलाहाबाद का नाम प्रयागराज और फैजाबाद का नाम अयोध्या किया। राम मंदिर की राह पकड़ी। मंगलवार को राजस्थान, मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ के चुनावी परिणाम आये तो भाजपा को सत्ता से बेदखल होना पड़ा। मध्य प्रदेश में 15 सालों से भाजपा काबिज थी। उसके मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की पिछड़े वर्ग के मतदाताओं में खासी पकड़ थी। यही हाल छत्तीसगढ में हुआ जहां, सभी वर्गो में लोकप्रिय रमन सिंह ने पहली बार चुनावों हिन्दुत्व का दांव आजमाया, जो कारगर नहीं रहा। जिससे यह संदेश तो साफ हो ही गया है कि लोकसभा के चुनाव से पहले अब महागठबंधन बनने की संभावनाएं ज्यादा बढ़ गयी हैं। और अगर ऐसा हुआ तो भाजपा के सामने 2014 के करिश्में तक पहुंचने के लिए उस समय मिले वोटों के प्रतिशत बढाना होगा। महागठबंधन बना तो यह भी तय है कि प्रदेश का 19 फीसद से अधिक मतदाता एक ही झोली में ही जाएगा। और तीन हिन्दी भाषी राज्यों के अलावा तेलांगाना, मणिपुर के परिणाम को भी शामिल करें तो साफ है कि युवा वर्ग रोजगार, कारोबार की कीमत पर धार्मिक ध्रुवीकरण के लिए तैयार नहीं है। दूसरी बात जो उत्तर प्रदेश के संदर्भ में महत्वपूर्ण होने जा रही है, वह गांव, किसान और मजदूर है। किसानों व शहरों की समस्याएं और वहां के वोटरों के सोंचने का नजरिया भी मुख्तलिफ होगा। और अब राहुल गांधी को घेरने के लिए सिर्फ शब्दों की बाजीगरी पर्याप्त नहीं होगी। वह नया राजनीति में स्वीकारता का नया चेहरा बनकर उभर गये हैं। हां, इतना जरूर हुआ है कि अब ईवीएम का मुद्दा थोड़े समय के लिए नेपथ्य में जरूर चला जाएगा। देश के सबसे बड़े राज्य की 80 सीटों की लड़ाई दिलचस्प हो जाएगी। अब भाजपा को जातीय, धार्मिक मुद्दों के स्थान पर सबका साथ, सबका विकास के मूल नारे की ओर लौटना ही होगा। यह भी तय है कि आने वाले कुछ महीनों में उत्तर प्रदेश का सियासी घमासान और तेज होगा।


संसदीय क्षेत्र नं0 एवं नाम
कंाग्रेस प्रत्याषी का नाम
पता
फोन नम्बर
चुनाव कोआर्डिनेटर
फोन/मोबाइल नम्बर
1-सहारनपुर
 गजे सिंह-एम.एल.सी.
390-आवास विकास कालोनी, रुड़की हरिद्वार
9415905936ए 09997160605


ैवउंदे च्तंांेी
9412212555
2ण्

2-कैराना :  सुरेन्द्र कश्यप
999009823१,  9927093630

3-मुजफ्फरनगरः  हरेन्द्र मलिक
कृष्णापुरी, ईदगाह रोड, मुजफ्फरनगर
9219699999ए 9415607561

4-बिजनौर
 सईदुज्जमा
खालापार मुजफ्फर नगर
09837261586,  9412553826, 9319148170

5-नगीना(सु0)
 इसम सिंह
9411111772
--------
6-मुरादाबाद
 अजहरउद्दीन

9935523456ए 993039525
9935523456

7-रामपुर
बेगम नूरबानो
नूरमहल- रामपुर
9412250786ए
0595. 2350500,  2351133, 2351044, 2328855
9412255786
0595.2329429
8-सम्भल
चन्द्र विजय सिंह
सहसपुर बिलारी, मुरादाबाद
9412235555ए 0591.2413885ए 2416588ए 2413269
9411811623
---------
9-अमरोहा
 मोहम्मद नफीज अब्बासी
09810033346 09639010540
09810245768, 09639010541
---------------
10-मेरठ
 राजेन्द्र शर्मा
9412200441,
9412802422
-------------
11-बागपत
 सोमपाल शास्त्री
बावली रोड, पुनिया पब्लिक स्कूल, बड़ौत,मेरठ
09811027676ए
09811027676
----------
12-गाजियाबाद
 सुरेन्द्र प्रकाश गोयल
125.सराय नजर अली, गाजियाबाद
0120. 2854444ए 09868180483
9412218592
09899778829
------------

13-गौतमबुद्धनगर
 रमेशचन्द तोमर
 सै0 31, नोएडा
09810222134
9219558950ए 9810102072
-----------
14-बुलन्दशहर
 देवी दयाल
 गाजियाबाद
09412283760.  09810067049ए 9412225777
0120. 2432727
----------
15-अलीगढ़
चै0 बिजेन्द्र सिंह
6.किशोर नगर, आई.टी.आई. रोड, अलीगढ़
0571. 2500646ए
011. 23019414ए 09868180276
-------------
16-हाथरस(सु0)
प्रदीप चन्देल

9412476795,  9897997603
ठींहूंजप च्ंनतने. ।कअवबंजम
9411980188
05722.230049 थ्ंगण्
------------
17-मथुरा
 मानवेन्द्र सिंह
अवागढ़ हाऊस- डैम्पियर नगर, मथुरा
011. 24317409
9868180529
-----------
18-आगरा(सु0)
 प्रभुदयाल कठेरिया
 शीतल पैलेस, अजमेर रोड, आगरा
9758656921ए 9412588929
------------
19-फतेहपुर सीकरी
 राज बब्बर
09869411555, 9868180877
9412279150
----------------
20-फिरोजाबाद
राजेन्द्रपाल बघेल
9837403191, 9837788681
---------
21-मैनपुरी
नहीं लड़े
-----------
22-एटा
महादीपक सिंह शाक्य
9412658658
---------------
23-बदायूं
सलीम शेरवानी
जोगीपुरा, बदायूं
9412282222
9415218149
09810768000
9412295251
-------------
24-आंवला
महानदल से समझौता
----------------
25-बरेली
प्रवीन सिंह ऐरन
297-सिविल लाइन्स- बरेली
9837044108,  9810041643
--------------
26-पीलीभीत
 वी0एम0 सिंह
ग्रेटर कैलाश - कोठी नं0 डब्लू.127 पार्ट-2, नई दिल्ली
09811580131ए 9412482800
ैनकीपत ज्ञतण् ज्पूंतप
9412294429ए 9411975772ए 05882.258724 च्ीण्ध्थ्ंगण्
-------
27-शाहजहाॅंपुर(सु0)
 उम्मेद सिंह
12.पी. चितरंजन पार्क, नई दिल्ली
09810009435ए
011.26271712
9415528977
------------

28-खीरी
जफरअली नकवी
मसूद मंजिल, मंसूर हसन रोड, मो0-ईदगाह, लखीमपुर-खीरी
9350355533ए 011.26866378ए 30975778ए 05872.263232
---------
29-धौरहरा
जितिन प्रसाद
प्रसाद भवन, शाहजहाँपुर
 शाहजहाँ रोड, नई दिल्ली
011.23782212ए 9810070781
----------
30-सीतापुर
रामलाल राही
18-जेल रोड, सीतापुर
9415329690- 05862.249649
-------------
31-हरदोई(सु0)
नहीं लड़े
--------------
32-मिश्रिख(सु0)
 ओम प्रकाश रावत
विकास नगर, लखनऊ
9415045540
---------

33-उन्नाव
श्रीमती अन्नू टंडन
सप्रू मार्ग, लखनऊ
9838999020, 9415593756
------------

34-मोहनलाल गंज
राष्ट्रीय स्वाभिमान पार्टी से समझौता
----------------
35-लखनऊ
डाॅ0 रीता बहुगुणा जोशी

9415215283  09810262658
---------------
36-रायबरेली
श्रीमती सोनिया गांधी
10-जनपथ, नई दिल्ली
--------------
37-अमेठी
 राहुल गांधी
12.तुगलक लेन, नई दिल्ली
----------
38-सुल्तानपुर
डाॅं0 संजय सिंह
भूपतिभवन, रामनगर, अमेठी, सुल्तानपुर
9919596000, 09818500918
9919596111
9919596444
-------------
39-प्रतापगढ़
राजकुमारी रत्ना सिंह
काला कांकर, प्रतापगढ़
9415230366,9415200600
------------
40-फर्रूखाबाद
सलमान खुर्शीद
4-गुलमोहर इन्क्लेव, जामिया नगर ओखला, नई दिल्ली
011. 26932720ए 26833171
09811078272
------------
41-इटावा(सु0)
महानदल से समझौता
----------
42-कन्नौज
नहीं लड़े
-------------
43-कानपुर
श्रीप्रकाश जायसवाल
140.पोखरपुर कालोनी, कानपुर
011. 23070643ए 23094054
0512. 2450686ए 2450851
9415725199
9335058655
------------
44-अकबरपुर
राजा रामपाल
81/1, बर्रा,2, कानपुर नगर
9451422899ए 9628993088
9415042873
9415043786ए 9935121786
-------
45-जालौन(सु0)
रामाधीन अहिरवार
119 गांधी नगर, उरई, जालौन
9236161381ए 9236161481
9415032250
----------
46-झांसी
 प्रदीप जैन आदित्य
52.गुसाईंपुरा,झांसी
9415030322ए 9415905771
----------
47-हमीरपुर
सिद्ध गोपाल साहू
विवेक नगर, कबरई, महोबा
9415213435ए 05281.246418ए 9452582451
-----------
48-बांदा
भगवानदीन गर्ग
 छावनी, बांदा
9415143043
--------------
49-फतेहपुर
 विभाकर शास्त्री
सुन्दर नगर कालोनी, कृष्ण बिहारी नगर, फतेहपुर
9452543333ए 09811034694
---------
50-कौशाम्बी(सु0)
 रामनिहौर राकेश
6 कूपर रोड, इलाहाबाद
9451117787ए 99111485205
9336022797
9415237553
---------
51-फूलपुर
 धर्मराज पटेल
तिलक नगर, बाग मवई रोड, अल्लापुर, इलाहाबाद
9415310710

0532.2468013 थ्ंग
ैीण् छंतमदकतं ैपदही ल्ंकंअ
52ण्
52-इलाहाबाद
श्री श्यामकृष्ण पाण्डेय
म्योराबाद, इलाहाबाद
9415215504
ैउजण् ज्ञपतंदइंसं च्ंदकमल
9415045504
53ण्
53-बाराबंकी(सु0)
श्री पी0एल0पुनिया
2ध्21.विपुलखण्ड- गोमतीनगर, लखनऊ
9415141800ए 9839224705
क्ममचंा ेपदही त्ंपाूंत
ठतपरमेी क्पगपज
9453038786
9451130136
54ण्
54-फैजाबाद
श्री निर्मल खत्री
बजाजा- फैजाबाद
05278. 224275ए 224210
9415039039ए 09871020001
त्ंरमदकतं च्तंजंच
9415076822
55ण्
55-अम्बेडकर नगर
नहीं लड़े

56-बहराइच (सु0)
 कमल किशोर
9839371182ए 9918022199
--------------


57-कैसरगंज
अलीम अंसारी

9336323488ए 9984406090


58ण्
58-श्रावस्ती
श्री विनय पाण्डेय
विकास भवन के सामने, गोण्डा
9415233555ए 9415036343
9236721427
05263.241109
त्ंरानउंत ैतपअंेजंअं
9936291510
59ण्
59-गोण्डा
श्री बेनी प्रसाद वर्मा
बाराबंकी
0522. 2304041ए 2304042ए 9415469177ए 09868180834

ठंरंतंदहप टमतउं
9415469177
9415141641
60ण्
60-डुमरियागंज
श्री जगदम्बिका पाल
11.अशोक मार्ग, लखनऊ
0522. 2206145ए 2298498ए 9415037381
त्पदान च्ंस
9919123269
61ण्
61-बस्ती
श्री बसन्त चैधरी
श्रीकृष्ण चेरिटेबल ट्रस्ट, डोरिका रोड, बड़ेवन, बस्ती
09898033870
।ाइंत ।ीउमक. म्गण् डस्।
9336715163
62ण्
62-संतकबीर नगर
श्री फजले महमूद
लहरौली बाजार, पो0-हटवा(दुधवा), संतकबीर नगर
9450570273ए 9984148081ए 05548.276346ए 276328
त्ंपिु ।ीउमक
च्तंउंजंउं च्तंेंक म्गण् डस्।
9935316927
9935628580
63ण्
63-महराजगंज
श्री हर्षवर्धन सिंह
आनन्द नगर, महराजगंज
9415530984ए 05522.223510
।दंदक टंतकींद ैपदही
9335225888
64ण्
64-गोरखपुर
श्री लालचन्द्र निषाद
मोहद्दीपुर,पो0-कूड़ाघाट,गोरखपुर
9415954406
व्उांतदंजी छपेींक
9451168235
65ण्
65-कुषीनगर
श्री आर.पी.एन. सिंह
पडरौना पैलेस, पडरौना, कुशीनगर
9415278167ए 09811195055
ैमस
ि
66ण्
66-देवरिया
श्री बालेश्वर यादव

09868180424ए 011. 23092008
230923
क्ींदंदरंल ल्ंकंअ
9871800219
67ण्
67-बांसगांव (सु0)
श्री महावीर प्रसाद
ग्राम-पोस्ट-उज्जरपार, गोरखपुर। 1.त्यागराज मार्ग, नई दिल्ली
011. 23012745
ैंदरपअ ैपदही
9450470513
68ण्
68-लालगंज (सु0)
नहीं लड़े




69ण्
69-आजमगढ़
डाॅ0संतोष कुमार सिंह
3ध्475.विश्वासखण्ड, गोमतीनगर लखनऊ
9415208777ए
0522. 2309494ए
त्ंरमदकतं ैपदही
9415631919
70ण्
70-घोसी
श्रीमती सुधा राय
व्हाइट हाऊस- मऊ
09810049052ए 9415247150
थ्ंगण्0547.2221064
ैनतमेी ठंींकनत
ज्ञतपेींदद ज्ञनउंत त्ंप
त्ंउ श्रंचपज च्ंदकमल
9415220999
9810049052
9415841192
71ण्
71-सलेमपुर
श्री भोला पाण्डेय
मुन छपरा- बलिया
9415016235ए 09810557868
त्ंहीअमदकतं च्तंजंच ैपदही
9984373818
72ण्
72-बलिया
नहीं लड़े




73ण्
73-जौनपुर
राष्ट्रीय स्वाभिमान पार्टी से समझौता




74ण्
74-मछलीषहर(सु0)
श्री राजबहादुर
सी-279, राजाजीपुरम कालोनी, लखनऊ
9450094638
टपरंलेींदांत न्चंकीलंल
प्दकतंरममज ;ैवदद्ध
9415273304

9415025779
75ण्
75-गाजीपुर
नहीं लड़े




76ण्
76-चन्दौली
श्री शैलेन्द्र सिह
ठ 5ध्221 अनंता कालोनी, नंदेश्वर कालोनी, वाराणसी
9415006470ए 9335768461
क्ीपतमदकतं च्तंजंच
न्चमदकमत ैपदही
9935394801
9415284270
77ण्
77-वाराणसी
श्री राजेश मिश्रा
ै.834एखजुरी कालोनी, वाराणसी
0542. 9415201122ए
9415023256
त्ंउंकीपद ैपदही
9415285551
78ण्
78-भदोही
श्री सूर्यमणि त्रिपाठी
ग्राम-आगापुर, पो0-औराई (भदोही)जनपद-संतकबीर नगर
9415303922ए 9721084011ए 9415336777
थ्ंगण् 05414.268571
क्ममचंा ज्पूंतप
डतण् ।इकप
ेनतलंजपूंतप/ेंजलंउण्दमजण्पद
9415871017
9335121499
79ण्
79-मिर्जापुर
श्री रमेश दूबे
ग्राम-मानिकपुर,पो0- परसपुर, भदोही-221402
9450960562ए 05414.271233ए 05442.25277ए
थ्ंगण्05414.270278
ज्ंीेपसकंत च्ंजींा
व्उ च्तंांेी क्नइम
9450236525
9450786603
80ण्
80-राबर्टसगंज(सु0)
श्री रामाधार जोजफ
हनुमानधाम कालोनी, करौंदी, बी.एच.यू., वाराणसी
9415812320ए 9648739143
ैण्ज्ञण् त्ंव
9415274547

11 स्थानों पर कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार नही खड़े किये। जिनमें से दो-दो स्थानों पर राष्ट्रीय स्वाभिमान पार्टी एवं महानदल से समझौता किया।-मोनू पुत्र तेजपाल नि0 ग्राम निलोहा थाना मवाना जनपद मेरठ
3-प्रशांत पुत्र अरविन्द नि0 ग्राम निलोहा थाना मवाना जनपद मेरठ
4-अश्वनी पुत्र नरेन्द्र नि0 ग्राम निलोहा थाना मवाना जनपद मेरठ
5-राहुल उर्फ नन्दू पुत्र विनोद नि0 ग्राम निलोहा थाना मवाना जनपद मेरठ
6-विकास पुत्र राजवीर नि0 ग्राम निलोहा थाना मवाना जनपद मेरठ
7-सोनू पुत्र तेजपाल नि0 ग्राम निलोहा थाना मवाना जनपद मेरठ
8-श्री संगीत सोम मा0 विधायक सरधना जनपद मेरठ

प्रदीप शुक्ला पर फिर लटकी निलंबन की तलवार

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१० फरवरी २०१६

प्रदीप शुक्ला पर फिर लटकी निलंबन की तलवार

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राब्यू, लखनऊ : एनआरएचएम घोटाले में उत्तर प्रदेश कैडर के आइएएस अधिकारी प्रदीप शुक्ला के जेल जाने से फिर उन पर निलंबन की तलवार लटकने लगी है। कार्मिक विभाग के नियमों के मुताबिक जेल जाने के 48 घंटे के अन्दर संबंधित अधिकारी को निलंबन किया जाना जरूरी होता है।
उत्तर प्रदेश के बहुचर्चित एनआरएचएम घोटाले में आरोपित होने पर 11 मई 2012 को 1981 बैच के आइएएस अधिकारी प्रदीप शुक्ला को सीबीआइ ने गिरफ्तार किया था, निर्धारित अवधि में आरोप पत्र दाखिल नहीं होने पर अदालत ने उन्हें जमानत दे दी थी, बाद में अदालत ने ही जमानत खारिज कर दी थी, दो साल जेल में रहने के बाद बीमारी के चलते जमानत मिली और तीन जुलाई 2015 को सरकार ने उन्हें बहाल करते हुए राजस्व परिषद के सदस्य पद पर तैनात कर दिया था। बाद में उन्हें सामान्य प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव पद पर नियुक्त किया गया।बुधवार को जमानत खारिज होने के बाद जेल भेजे जाने से अब उन पर निलंबन की तलवार लटक गयी है। कार्मिक व अखिल भारतीय सेवा नियमावली के मुताबिक किसी अधिकारी के आपराधिक मामले में गिरफ्तार होने के 48 घंटे के अंदर निलंबित करना आवश्यक होता है। शासन के अधिकारियों का कहना है कि अभी तक उन्हें प्रदीप शुक्ला के जेल भेजे जाने की कोई जानकारी नहीं है। अदालत या जेल से जानकारी मिलने पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
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एनआरएचएम घोटाला : प्रदीप शुक्ला फिर गए जेल
जासं, गाजियाबाद : एनआरएचएम घोटाले के आरोपी वरिष्ठ आइएएस अधिकारी प्रदीप शुक्ला को सीबीआइ अदालत ने जेल भेज दिया। अभी तक घोटाले के तीन मामलों में स्वास्थ्य का हवाला देकर प्रदीप जमानत पर थे। जेल जाने के आदेश सुनने के बाद व्हील चेयर पर बैठे प्रदीप शुक्ला काफी परेशान नजर आए। इस मामले में उन्होंने जमानत की अर्जी लगाई थी। अदालत ने जेल भेजते हुए 12 फरवरी को जमानत पर सुनवाई की तिथि सुनिश्चित की है।
डॉ. एसपी राम जेल से बाहर : एनआरएचएम घोटाले के आरोपी व परिवार कल्याण एवं स्वास्थ्य के पूर्व महानिदेशक डॉ. एसपी राम को जमानतदार मिलने से बुधवार को जेल से बाहर आ गए। डॉ. राम घोटाले में चार साल पहले डासना जेल में बंद थे। सीबीआइ अदालत ने दस लाख जमा कराने के साथ ही पचास-पचास हजार रुपये बांड के आठ जमानतदार पेश करने का आदेश दिया था।
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१२ फरवरी २०१६
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राजकोषीय घाटे की कीमत पर लोकलुभावन फैसलों का केन्द्र पर दबाव बढ़ा


लखनऊ। डेढ़ दशक से भी लंबे समय से भाजपा के प्रभाव वाले राज्यों केविधानसभा चुनाव में हार के बाद अब केन्द्र की भाजपा नीति सरकार पर चार माह बाद ही होने वाले लोकसभा-2019 के आम चुनावों से पहले लोकप्रिय नीतियां लागू करने और खामियों को दूर करने का दबाव बढ़ गया है। देश की वित्तीय स्थिति बहुत बेहतर नहीं है। ऐसे में एनडीए सरकार का कड़े राजकोषीय संसाधनों के बीच  लोकलुभावन दिशा में बढ़ना आसान नहीं है। आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि केन्द्र सरकार को  रिजर्व बैंक के रिजर्व का कुछ हिस्सा हासिल करने की दिशा प्रयास करने होंगे। जिससे रिजर्व बैंक के नये नवेले गवर्नर पर भी दबाव बढ़ेगा।
आर्थिक विशेषज्ञों से इतर राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि जिन तीन राज्यों में भाजपा हारी है। वहां वह अपने परम्परातगत वोट बचाने में सफल रही है, मगर चार फीसद वह वोट जो विकास, रोजगार, कानून व्यवस्था आदि से प्रभावित होते हैं, उनको अपने पाले में बनाये रखने के लिए  भाजपा को अब लोक लुभावन फैसले लेने ही होंगे। वर्ष 2014 में मुख्य विपक्षी रहे कांग्रेस से मुकावले के लिए इस बार भाजपा व एनडीए सरकार को किसान संकट और समेकित संकट से निपटना होगा। तीन हिंदी हार्टलैंड राज्यों  राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भाजपा को झटका लगा है, उसमें किसान, गरीबों के सवाल ने अहम भूमिका निभायी है। इन परिस्थितियों में  केंद्र कृषि ऋण छूट जैसे वादे पर एक कठिन रुख का पालन करने की संभावना है, जिसे कुछ शीर्ष नेतृत्वों द्वारा भी समर्थन दिया जाता है, जो जनवादी देनदारियों के खिलाफ है। हालांकि, अपने ग्रामीण वोट बैंक को वापस जीतने के लिए, पार्टी बड़े पैमाने पर उन योजनाओं पर बैंकिंग कर रही है, जिनकी सरकार ढाई साल के शासनकाल के दौरान शुरू हुई थी। इन योजनाओं में ग्रामीण घरेलू विद्युतीकरण, मुफ्त एलपीजी सिलेंडरों, किफायती आवास और शौचालय योजना शामिल हैं। एनडीए सरकार ने 18 लाख केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों के लिए सबसे बड़ी राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली को और अधिक आकर्षक बनाया है। केंद्र मूल वेतन का 14 प्रतिशत योगदान देगा, जो पिछले 10 प्रतिशत से चार प्रतिशत अधिक है। विशेषज्ञों का मानना है कि फिर से चुनाव के बाद उन्हें पूरा करने के वादे के साथ खाते के वोट में ऐसे अधिक उपाय। अगर रिजर्व बैंक आॅफ इंडी से सरकार के लिए अतिरिक्त रिजर्व से कुछ अतिरिक्त संसाधनों के लिए ढांचा है तो केंद्र कुछ और संसाधन प्राप्त करने के लिए बैंकिंग कर रहा है। लेकिन, यह एक सवार के साथ बैंकों के पुनर्पूंजीकरण से जुड़ा जा सकता है कि इसका इस्तेमाल सरकारी घाटे को पूरा करने के लिए नहीं किया जाएगा। सरकार ने चालू वित्त वर्ष में 3.3 प्रतिशत के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को पूरा करने के लिए अपनी वचनबद्धता को पहले से ही संकेत दिया है। सूत्रों का कहना है कि केन्द्र सरकार ने लोक लु•ाावन फैसलों की दिशा में मंथन •ाी शुरू कर दिया है। उसका फोकस गांव किसान की ओर हो गया है।

Sunday 2 December 2018

यूपी को बस 11 दिसंबर का इंतजार

उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों के दांव, पेंच। रणनीति। पांसों को पक्ष में रखने की दिशा में भाजपा आगे है। शायद ही इस पर किसी को संदेह हो! वजह, यूपी के प्रमुख प्लेयर सपा व बसपा सीमित राजनीतिक हथियारों के साथ मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में कांग्रेस-भाजपा पर हमला करने में जुटी हैं। दोनों के सेनापति उत्तर प्रदेश छोड़कर दूसरे राज्यों में भाजपा की अपेक्षा कांग्रेस पर अधिक आक्रामक हैं। दिल्ली में दो दिन चली किसानों की लड़ाई में इन दलों के सेनापतियों ने जोशीली भागीदारी नहीं दिखायी। ये परिस्थितियां ही भाजपा से मुकाबले के लोकसभा के संभावित महागठबंधन को धूमिल कर रही हैं। बावजूद इसके राजनीति में दिलचस्पी रखने वालों, राजनीतिक कार्यकर्ताओँ और सत्तारूढ़ भाजपा को 11 दिसंबर का इंतजार है। यही वह तारीख है, जब ईवीएम ऑन होने होते ही देश व उत्तर प्रदेश की राजनीतिक में करवट शुरू होगी। तब अखाड़ेबाज मैदान में आने को मजबूर होंगे। प्रदेश की राजनीति के कथित चाणक्य संभावनाएं टटोलना शुरू करेंगे। अगर इन राज्यों में सत्तारूढ़ भाजपा का ग्राफ गिरा और कांग्रेस सूबाई सत्ता की सीढ़ी चढ़ी तब बसपा, सपा पर दबाव बढ़ेगा। ये दबाव मुख्तलिफ अंदाज का होगा। इसमें एक दबाव भाजपा की ओर से होगा। दूसरा, कांग्रेस की ओर से होगा। सोशल मीडिया का दौर है, लिहाजा राज्य के प्लेयरों को अपने कूटनीतिक दांव पर्दे के पीछे छिपाये रखना मुश्किल होगा। तीन राज्यों में ताकत में इजाफा होने की दशा में कांग्रेस मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में ' हाथ को साथ देने के हाथी' के इंकार करने वालों को बड़ा छटका दे सकती है। सपा के साथ भी के सामने भी कमोवेश इसी तरह की चुनौती होगी। सपा की मुश्किल ये भी है कि कभी उत्तर प्रदेश में सबसे ताकतवर होने के बाद बदले निजाम वह एक साल से अपना संगठन ही नहीं बना पायी है। मुख्य संगठन की कौन कहे ? युवजन सभा, छात्र सभा, अल्पसंख्यक सभा, लोहियावाहिनी, मुलायम सिंह यूथ ब्रिगेड की कमेटी घोषित नहीं कर पायी है। वह सिर्फ गठबंधन की आस में है। ऊपर से बसपा के साथ गठजोड़ की उम्मीद में तीन राज्यों में कांग्रेस को आंखे तरेर आयी है। उसकी दुश्वारी यह भी है कि सपा संगठन को मजबूत करने के स्तंभ रहे शिवपाल यादव सीधे सपा के खिलाफ ही खम ठोंक रहे हैं। दल बनाने के बाद के अब तक उन्होंने सिर्फ सपा के मोहरों को तोड़कर अपने पाले में किया है। जब गैर भाजपाई दल अपनी समस्याओं में उलझे हैं तब सत्तारूढ़ भाजपा के साथ उसके अनुसांगिक संगठन मैदान में हैं। वैचारिक कुंभ से लेकर राम मंदिर आंदोलन को धार दी जा रही है। जिलों के नामों में बदलाव के सहारे भाजपा की विचारधारा को सरकार परवान चढ़ा रही है। ऊपर से रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने राजनैतिक दल बनाकर खुद को सियासी समर में उतारने का एलान कया है। उन्होंने एसससी एसटी एक्ट, आरक्षण का जो मुद्दा उछाला है, उससे साफ है कि राजा भैया सीधे तौर पर भाजपा से लड़ाई न लड़कर उससे नाराज सवर्ण मतदाताओं को पाले में लामबंद करने में चुपचाप लगे हैं। जिसका सीधा फायदा भाजपा को ही मिलेगा। प्रदेश के राजनीतिक परिदृश्य को इन हालातों में विश्लेषित करें तो साफ है कि 11 दिसंबर को पांच राज्यों के चुनाव परिणाम आने के बाद परिस्थितियों में तेजी से बदलाव आयेगा। अगर परिणाम में कांग्रेस का अपर हैंड हुआ तो यूपी में बिना उसके गठबंधन की संभावनाएं परवान चढ़नी मुश्किल होंगी। अगर भाजपा ने सत्ता में वापसी कर ली तो सपा, बसपा के सामने कांग्रेस को गठबंधन से अलग कर लोकसभा के बड़े मैदान में उतरना खासा जोखिम भरा होगा। यानी 11 दिसबंर के बाद राजनीतिक दबाव सपा और बसपा पर ही होने वाला है। क्योंकि तब नया दल बनाने वाले शिवपाल यादव लखनऊ में भीड़ की ताकत दिखा चुके होंगे। उनके समर्थक जितना दावा कर रहे हैं, उतनी भीड़ जुटा ली तो फिर राज्य के दर्जनभर छोटे दलों के लिए वह एक प्लेटफार्म बनकर खड़े होंगे। कांग्रेस के सामने ज्यादा विकल्प भी होंगे। रालोद पहले ही कांग्रेस के साथ है। इन हालातों के परिणाम का अंदाजा लगा रहे राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि 11 दिसबंर को आने वाले रिजल्ट प्रदेश की 80 सीटों के लिए गैरभाजपा दलों के नये समीकरण गढ़ेंगे। जिसको लेकर सबसे ज्यादा चौकन्ना भाजपा है। क्योंकि फैसला इसी के बाद होगा। उससे सीधे प्रभावित भाजपा और उसके समर्थक ही होंगे।