Wednesday 27 July 2016

समीकरण पर मंथन कर होगी रिजवी की शपथ

27.07.2016 (akhbar mey......????

 लखनऊ : प्रदेश सरकार की निर्धारित उम्र हर दिन कम हो रही है और कैबिनेट का हिस्सा बनने का जियाउद्दीन रिजवी का इंतजार लंबा होता जा रहा है। 27 जून को उन्हें मंत्री नामित किया गया, मगर एक माह बाद भी शपथ नहीं हुई। इसकी जाहिरा वजह सपा मुखिया मुलायम सिंह का लखनऊ में नहीं होना है, मगर अंदरखाने चर्चा है कि सरकार में ब्राह्मणों की नुमाइंदगी बढ़ाने की राह तलाशी जा रही है, इसके बाद जियाउद्दीन को शपथ दिलायी जाएगी। प्रदेश सरकार में सिर्फ साठ मंत्री बनाये जा सकते हैं। मौजूदा समय संख्या-59 लोग मंत्री हैं। जियाउद्दीन रिजवी को मंत्री नामित किया जा चुका है। उनके शपथ लेते ही मंत्रियों का निर्धारित कोटा पूरा हो जाएगा, मगर नामित होने के एक माह बाद भी उन्हें शपथ नहीं दिलायी गयी है। कहा जा रहा है कि बलिया के सिकंदरपुर से दूसरी बार विधायक जियाउद्दीन रिजवी की शपथ की तारीख तय करने के लिए मुलायम सिंह के लखनऊ आने का इंतजार है जबकि सूत्रों का कहना है कि 27 जून को अपने मंत्रिमंडल के सातवें विस्तार के दिन मुख्यमंत्री ने पार्टी के ब्राह्मïण नेता मनोज पाण्डेय को मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया था। इस निर्णय के चंद दिन बाद घोषित सपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी से राजेश दीक्षित (पूर्व राष्ट्रीय सचिव) बाहर कर दिये गए। पार्टी की मुख्यधारा से दो ब्राह्मïण नेताओं के बाहर होने का प्रभाव विधानसभा चुनाव पर पडऩे की चर्चा शुरू हुई तो पार्टी नेतृत्व ने इस दिशा में गंभीरता से मंथन शुरू किया है। कहा जा रहा है कि सपा जातीय कील-कांटा दुरुस्त कर ही चुनावी अखाड़े में कूदना चाहती है।
सूत्रों का कहना है कि मुलायम सिंह के लखनऊ आने पर 'समाजवादी परिवारÓ कोई राह निकालने के बाद जियाउद्दीन रिजवी को शपथ दिलाने की तारीख पर फैसला लेगा। सरकार के सूत्रों का कहना है कि जियाउद्दीन की शपथ होनी ही है, मगर अब उन्हें इंतजार कितना करना होगा यह यक्ष प्रश्न है।
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जिनके भरोसे सत्ता का ख्वाब, वही जनता से दूर

Nahi chapi....26.07.2016
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- समाजवादी पार्टी के फ्रंटल संगठनों ने साध रखी है चुप्पी
- लोहिया वाहिनी, छात्र, युवजन सभा ने जन जुड़ाव का अभियान नहीं चलाया
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लखनऊ : समाजवादी पार्टी अपनी जिस 'यूथ ब्रिगेडÓ के भरोसे उत्तर प्रदेश की सत्ता में वापसी का ख्वाब देख रही है, वह जनता के बीच से नदारद हैं। अखिलेश यादव के आह्वïान पर गांव-गांव साइकिल यात्रा जरूर अपवाद है।
सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव, प्रदेश अध्यक्ष व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव यह कहते रहे हैं कि वर्ष 2012 की चुनाव 'युवा ब्रिगेडÓ ने जिताया, पुरस्कार स्वरूप उस समय फ्रंटल संगठनों का नेतृत्व करने वालों को ओहदे दिये गए। संगठन की कमान दूसरी पीढ़ी को सौंपी गयी मगर ये संगठन पुरानी रफ्तार में नहीं दिख रहे। विश्वविद्यालयों, डिग्री कालेजों में दाखिले, विषय परिवर्तन के लिए छात्र परेशान हैं, फिर भी छात्रसभा के नुमाइंदे मदद को नजर नहीं आ रहे जबकि पूर्व में छात्रों की मदद को वे कैम्प लगाते थे। दावा जरूरी आपरेशन-24 चलाने का है। कुछ यही हालत युवजन सभा की है, जिसके ओहदेदारों ने जनजुड़ाव का अभियान नहीं चलाया, जबकि पूर्व में उसके आंदोलन चर्चा में रहे हैं। सपा की रीढ़ कही जाने वाली लोहिया वाहिनी की गतिविधियां लंबे समय से ठप हैं, पदाधिकारी जरूर बूथ कमेटियां बनाने में व्यस्तता का दावा करते हैं, पर ऐसा लोगों को दिख नहीं रहा। इस समय सपा पर भाजपा के प्रति नरमी का आरोप लग रहा है, तब भी अल्पसंख्यक सभा खामोश है। पूर्व विपक्षी दल जब भी इल्जाम लगाते थे, मुख्य संगठन के साथ अल्पसंख्यक सभा मोर्चा संभालता रहा है।
मुख्यमंत्री ने गुजरे सप्ताह फ्रंटल संगठनों को सरकार की उपलब्धियां गांव-गांव पहुंचाने का निर्देश दिया है। एक जिलाध्यक्ष का कहना है कि वह तो फ्रंटल संगठनों के प्रदेश अध्यक्षों को पहचानते तक नहीं, क्योंकि वे जिले में आते ही नहीं हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि वर्ष 2012 में अखिलेश खुद सड़क पर थे। तब युवा 'ये जवानी है कुर्बानÓ के नारे लगाते दिखते थे, उन्हें अब बड़े बड़े ओहदे मिल गये हैं। सपा के प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने बताया कि युवा उत्साह के साथ जनता की सेवा में हैं। संभव है कि कुछ लोग शिथिल हों, ऐसे लोगों को और सक्रिया किया जाएगा।
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अच्छे नौजवानों को बूथ पर नियुक्त करने पर काम चल रहा है, जल्द जनता के बीच जाएंगे।
-प्रदीप तिवारी, प्रदेश अध्यक्ष लोहिया वाहिनी
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अगस्त से मंडलीय सम्मेलन होगा, जिसमें सरकार के विकास कार्यों से जनता को अवगत कराया जाएगा। संगठन को और मजबूत किया जाएगा
-बृजेश यादव, प्रदेश अध्यक्ष युवजन सभा
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कुछ माह से 'आपरेशन-24Ó चला रहे हैं। माह की 8, 16 व 24 तारीख को चौबीस घंटे सरकार की उपलब्धियों की पुस्तक बांटी जाती है। जल्द छात्र संसद शुरू होगी।
- दिग्विजय सिंह, प्रदेश अध्यक्ष छात्रसभा
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ग्र्रामीणों को विकास कार्यों की जानकारी दी जा रही है। जनता से कहा जा रहा है कि वे खुद विकास में केंद्र व राज्य की तुलना कर लें, एक बूथ-20 यूथ की तैयारी है।
-मो.एबाद, प्रदेश अध्यक्ष मुलायम सिंह यूथ ब्रिगेड
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विवेचना का हिस्सा बनेंगे सरताज के आरोप

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- दादरी की घटना के समय बरामद मांस की जांच रिपोर्ट पर सवाल
- एडीजी (कानून व्यवस्था) ने आरोपों को विवेचना का हिस्सा बनाने का दिया निर्देश
लखनऊ : दादरी में इकलाख की हत्या के बाद मौका-ए-वारदात से बरामद मांस के वजन और जांच रिपोर्ट में दर्ज वजन पर उठे सवालों की भी विवेचना होगी। एडीजी (कानून व्यवस्था) दलजीत चौधरी ने इकलाख के बेटे सरताज के प्रार्थना पत्र को भी विवेचना का हिस्सा बनाने का निर्देश दिया है। दूसरी ओर सरताज के अधिवक्ता का कहना है कि वह पूरे प्रकरण को हाईकोर्ट में चुनौती देंगे और प्रशासन की धोखाधड़ी का पर्दाफाश करेंगे।
दादरी में इकलाख की हत्या के बाद सियासी उबाल और फिर मथुरा की पशु प्रयोगशाला की रिपोर्ट में जांच के लिए भेजा गया मांस गौवंशीय होने का जिक्र किया गया, जिसके बाद एक क्षेत्रीय नागरिक ने इकलाख परिवार के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के लिये अदालत में प्रार्थना पत्र दिया। अदालत ने मुकदमा दर्ज करने का आदेश किया और पुलिस ने इकलाख के परिवारीजन के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया। इकलाख के बेटे सरताज को इस पूरे प्रकरण में साजिश नजर आ रही है। इकलाख के परिवार को न्याय देने की मांग को लेकर उलमा कौंसिल के आमिर रशादी, अधिवक्ता असद हयात और इकलाख के बेटे सरताज ने बुधवार की शाम डीजीपी जावीद अहमद से मुलाकात की थी, डीजीपी ने पीडि़तों को एडीजी कानून व्यवस्था दलजीत चौधरी के पास भेजा। जिन्होंने प्रतिनिधि मंडल की बात सुनने के बाद उनके प्रार्थना में लगाये गये इल्जामों को भी विवेचना का हिस्सा बनाने का नोएडा पुलिस को निर्देश दिया है।
चौधरी से मुलाकात बाद सरताज ने कहा कि लैब की रिपोर्ट तक फर्जीवाड़ा हुआ है। जब प्लास्टिक के कनटेनर में दो किलो मांस भरा गया तो लैब पहुंचते ही उसका वजन तीन किलो कैसे गया? इसके अलावा प्लास्टिक के कनटेनर में नहीं बल्कि जार में लैब पहुंचा। कहा कि रिपोर्ट पर यकीन नहीं किया जा सकता है। इसलिए अब हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। अधिवक्ता असद का कहना है कि मौका-ए-वारदात से बरामद मांस को सील बंद किये बगैर हटाया गया और क्षेत्रीय थाने के माल खाने में रखा गया। इस पर मौके के किसी भी निर्लिप्त गवाह के हस्ताक्षर नहीं थे। बाद में बिना लिखा पढ़ी के बरामद मांस दादरी स्थित पशु चिकित्सालय लैब भेजा गया।
असद ने कहा कि जांच रिपोर्ट मे भिन्नता है। दादरी की रिपोर्ट में मांस का रंग लाल और चर्बी सफेद बताई गई जबकि बाद में मथुरा लैब की रिपोर्ट में मास व चर्बी का रंग नहीं बताया गया। सच्चाई यह है कि गोवंशी पशु की चर्बी का रंग पीला होता है। घटनास्थल से लिये गये नमूनों में जानवर के घुटनों से नीचे के चार पैर, मुंह व सीने की खाल दादरी लैब से गायब हो गई क्योंकि मथुरा लैब में भेजे गये नमूने में इसका उल्लेख नहीं था। कहा कि अब हम लोग न्याय के लिए हाई कोर्ट का सहारा लेकर सच्चाई को सामने लाएंगे। उलमा कौसिंल के आमिर रशादी का कहना है कि समाजवादी सरकार और उसके अधिकारी दोहरी नीति चल रहे हैं। इतनी बड़ी चूक करने वालों को अब तक दंडित नहीं किया जाना और पीडि़त को ही मुल्जिम बना दिया जाना इसकी नजीर है।
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Friday 22 July 2016

 शंभू यादव होंगे नये उपलोकायुक्त !


-मुख्यमंत्री अखिलेश यादव व लोकायुक्त संजय मिश्र की चयन समिति ने लिया निर्णय 
-नियुक्ति वारंट पर हस्ताक्षर के लिए पत्रावली जल्द राजभवन भेजे जाने के आसार

परवेज अहमद , लखनऊ : मुख्यमंत्री के सचिव का ओहदा संभाल रहे शंभू यादव प्रदेश के नये उपलोकायुक्त हो सकते हैं। चयन समिति ने उनके नाम पर सहमति व्यक्त कर दी है। नियुक्ति वारंट पर हस्ताक्षर के लिये पत्रावली जल्द ही राजभवन भेजे जाने की उम्मीद है। 
उपलोकायुक्त का कार्यकाल सितंबर 2015 में पूरा हो गया था, नई नियुक्ति तक कार्यरत रहने का नियम होने के चलते स्वतंत्र देव सिंह अभी काम कर रहे हैं। हालांकि सतर्कता विभाग ने तकरीबन पांच माह पहले उपलोकायुक्त पद के लिये आवेदन मांगा थे। सेवा विस्तार पाकर मुख्यमंत्री के सचिव का जिम्मा संभाल रहे शंभू यादव तकरीबन सौ अभ्यर्थियों ने इस पद के लिये आवेदन किया था, जिसमें डीजीपी, एडीजी पद से रिटायर पुलिस व न्यायिक अधिकारी भी शामिल थे। 14 जुलाई को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव व लोकायुक्त न्यायमूर्ति संजय मिश्र की चयन समिति ने अभ्यर्थियों के आवेदन की स्क्रीनिंग की और गत दिनों शंभू यादव को उपलोकायुक्त नियुक्त करने को मंजूरी प्रदान कर दी। सूत्रों का कहना है कि प्रक्रिया पूरी करने के बाद सतर्कता विभाग नियुक्ति केवारंट पर हस्ताक्षर के लिए पत्रावली राजभवन भेजेगा। 
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नियुक्ति का नियम
उत्तर प्रदेश लोकायुक्त एवं उपलोकायुक्त अधिनियम-1975 (संशोधित-2012) के मुताबिक सतर्कता विभाग का मंत्री  उपलोकायुक्त पद लिए उपयुक्त व्यक्ति के नाम पर लोकायुक्त से परामर्श करेगा। फिर चयनित व्यक्ति को उपलोकायुक्त नियुक्त करने का प्रस्ताव राजभवन भेजेगा। राज्यपाल नियुक्ति के वारंट पर हस्ताक्षर कर पत्रावली वापस प्रशासकीय महकमे (यूपी में सतर्कता विभाग प्रशासकीय महकमा है) को वापस करेंगे। जहां नियुक्ति आदेश जारी होगा।  
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क्या हैं सुविधाएं
उपलोकायुक्त को भारत सरकार के अपर सचिव के बराबर वेतन मिलता है। (मौजूदा समय में यह राशि तकरीबन डेढ़ लाख मासिक बनती है) घरेलू कार्य के लिए पूर्ण वेतन पर कार्यरत दो कर्मचारी, कार, सरकारी आवास, घर के बिजली का बिल और हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति के बराबर सेवानिवृत्ति का लाभ, भत्ते व अन्य सुविधाएं मिलती हैं। मकान की साज-सज्जा के लिए डेढ़ लाख रुपये भी मिलते हैं।
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उपलोकायुक्त को अधिकार
सचिव व उससे ऊपर के अधिकारी, विधायक, मंत्री, नगर पालिका परिषद व जिला पंचायत के अध्यक्षों को छोड़कर उपलोकायुक्त किसी भी जनप्रतिनिधि या लोकसेवक के भ्रष्टाचार की जांच कर सकता है। लोकायुक्त चाहे तो कोई भी जांच उपलोकायुक्त को सौंप सकता है, चाहे वह मंत्रियों की ही क्यों न हो। अलबत्ता प्रदेश के लोकायुक्त अधिनियम में स्वत: संज्ञान का अधिकार नहीं है।
ब्यूरो: शंभू यादव होंगे नये उपलोकायुक्त !


-मुख्यमंत्री अखिलेश यादव व लोकायुक्त संजय मिश्र की चयन समिति ने लिया निर्णय 
-नियुक्ति वारंट पर हस्ताक्षर के लिए पत्रावली जल्द राजभवन भेजे जाने के आसार

परवेज अहमद , लखनऊ : मुख्यमंत्री के सचिव का ओहदा संभाल रहे शंभू यादव प्रदेश के नये उपलोकायुक्त हो सकते हैं। चयन समिति ने उनके नाम पर सहमति व्यक्त कर दी है। नियुक्ति वारंट पर हस्ताक्षर के लिये पत्रावली जल्द ही राजभवन भेजे जाने की उम्मीद है। 
उपलोकायुक्त का कार्यकाल सितंबर 2015 में पूरा हो गया था, नई नियुक्ति तक कार्यरत रहने का नियम होने के चलते स्वतंत्र देव सिंह अभी काम कर रहे हैं। हालांकि सतर्कता विभाग ने तकरीबन पांच माह पहले उपलोकायुक्त पद के लिये आवेदन मांगा थे। सेवा विस्तार पाकर मुख्यमंत्री के सचिव का जिम्मा संभाल रहे शंभू यादव तकरीबन सौ अभ्यर्थियों ने इस पद के लिये आवेदन किया था, जिसमें डीजीपी, एडीजी पद से रिटायर पुलिस व न्यायिक अधिकारी भी शामिल थे। 14 जुलाई को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव व लोकायुक्त न्यायमूर्ति संजय मिश्र की चयन समिति ने अभ्यर्थियों के आवेदन की स्क्रीनिंग की और गत दिनों शंभू यादव को उपलोकायुक्त नियुक्त करने को मंजूरी प्रदान कर दी। सूत्रों का कहना है कि प्रक्रिया पूरी करने के बाद सतर्कता विभाग नियुक्ति केवारंट पर हस्ताक्षर के लिए पत्रावली राजभवन भेजेगा। 
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नियुक्ति का नियम
उत्तर प्रदेश लोकायुक्त एवं उपलोकायुक्त अधिनियम-1975 (संशोधित-2012) के मुताबिक सतर्कता विभाग का मंत्री  उपलोकायुक्त पद लिए उपयुक्त व्यक्ति के नाम पर लोकायुक्त से परामर्श करेगा। फिर चयनित व्यक्ति को उपलोकायुक्त नियुक्त करने का प्रस्ताव राजभवन भेजेगा। राज्यपाल नियुक्ति के वारंट पर हस्ताक्षर कर पत्रावली वापस प्रशासकीय महकमे (यूपी में सतर्कता विभाग प्रशासकीय महकमा है) को वापस करेंगे। जहां नियुक्ति आदेश जारी होगा।  
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क्या हैं सुविधाएं
उपलोकायुक्त को भारत सरकार के अपर सचिव के बराबर वेतन मिलता है। (मौजूदा समय में यह राशि तकरीबन डेढ़ लाख मासिक बनती है) घरेलू कार्य के लिए पूर्ण वेतन पर कार्यरत दो कर्मचारी, कार, सरकारी आवास, घर के बिजली का बिल और हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति के बराबर सेवानिवृत्ति का लाभ, भत्ते व अन्य सुविधाएं मिलती हैं। मकान की साज-सज्जा के लिए डेढ़ लाख रुपये भी मिलते हैं।
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उपलोकायुक्त को अधिकार
सचिव व उससे ऊपर के अधिकारी, विधायक, मंत्री, नगर पालिका परिषद व जिला पंचायत के अध्यक्षों को छोड़कर उपलोकायुक्त किसी भी जनप्रतिनिधि या लोकसेवक के भ्रष्टाचार की जांच कर सकता है। लोकायुक्त चाहे तो कोई भी जांच उपलोकायुक्त को सौंप सकता है, चाहे वह मंत्रियों की ही क्यों न हो। अलबत्ता प्रदेश के लोकायुक्त अधिनियम में स्वत: संज्ञान का अधिकार नहीं है।


Friday 1 July 2016

रामगोपाल विचार, अखिलेश चेहरा और शिवपाल रीढ़

-समाजवादी परिवार की जुटान में मतभेद भी दिखे,
-दार्शनिक अंदाज में वार, निष्ठा भी जतायी गई
 लखनऊ : समाजवादी परिवार में द्वंद्व की झलक बुधवार को फिर नजर आयी। प्रो.रामगोपाल यादव के जन्मदिन पर जुटे कुनबे के सदस्यों ने दार्शनिक अंदाज अख्तियार किया। अमर सिंह ने 'जिंदगी में तो सभी प्यार किया करते हैं, मैं तो मर कर भी मेरी जान तुम्हें चाहूंगा,Ó सुनाकर कोई मतभेद न होने का दावा किया तो मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि 'मोहब्बत में तो जुदाई का हक है।Ó
प्रो.रामगोपाल यादव के 70वें जन्मदिन पर बुधवार को लोहिया राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय में उनकी पुस्तक 'संसद में मेरी बातÓ का लोकार्पण किया गया। इस अवसर पर रामगोपाल ने कहा कि वह तो टीचर थे, नेताजी उन्हें राजनीति में लाये और जुलाई 1992 में राज्यसभा भेजा। दो दशक से संसद में है मगर उन्हें राजनीति पर गलतफहमी नहीं है। इसे कौमी एकता दल के विलय को लेकर शिवपाल यादव की नाराजगी की ओर इशारा समझा गया। शिवपाल यादव बोले कि राजनीति में विचार का अभाव होता जा रहा है। युवा समाजवादी हैं मगर उन्हें 'समाजवाद का ज्ञानÓ नहीं। नई पीढ़ी लोहिया, मुलायम और जनेश्वर को पढ़े। आने वाले चुनाव में सांप्रदायिक शक्तियों से सीधी लड़ाई होगी, तब विचार ही काम आयेंगे। संकेत साफ था कि समाजवादी पार्टी को भाजपा से करीब होने के इल्जाम से बाहर निकलना होगा।
अमर सिंह बोलने खड़े हुए तो उन्होंने राम गोपाल को सपा का विचार, अखिलेश यादव को चेहरा और शिवपाल को रीढ़ की संज्ञा देते हुए कहा कि कहीं कोई मतभेद नहीं है। सपाई एक हैं, कहीं कोई लड़ाई नहीं है। प्रधानमंत्री मोदी और सुब्रह्मïण्यम स्वामी पर हमले करते हुए फिर सपा की ओर लौटे और मुलायम सिंह द्वारा एक वकील की मृत्यु के बाद भी उनके परिवार के सदस्य की मदद का जिक्र करते हुए 'जिंदगी में तो सभी प्यार किया करते हैं, मैं तो मर कर भी मेरी जान तुम्हें चाहूंगा,Ó पंक्तियां पढ़ीं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि समाजवादी पार्टी के जितने नेता हैं, सभी नेताजी के बनाये हुए हैं। उन्होंने अमर सिंह की लाइनों का जिक्र कर उनमें 'मोहब्बत में जुदाई का भी हकÓ पंक्ति जोड़ दी। मुख्यमंत्री ने रामगोपाल यादव की अच्छी सेहत का जिक्र करते हुए जोड़ा कि वक्ता भले ही उनकी उम्र घटा रहे हैं। कोई 44 बता रहा है, कोई 45 लेकिन मैं कहता हूं कि वह 25 के हैं। कार्यक्रम में विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पाण्डेय, मंत्री अहमद हसन, अरविंद सिंह गोप, सांसद नरेश अग्रवाल, पूर्व सांसद उदय प्रताप, वेद प्रताप वैदिक आदि भी मौजूद थे।
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दर्शकों में बैठे शिवपाल
कौमी एकता दल (कौएद) का विलय रद होने के तरीके व अन्य सियासी कारणों से नाराज शिवपाल यादव समारोह में पहुंचे तो पर सीधे दर्शकों केबीच बैठ गए। उन्हें मनाकर मंच पर लाया गया तो यहां वह पहले पिछली पंक्ति में बैठे। इस बीच मुख्यमंत्री ने इशारे से उन्हें अगली पंक्ति में लाने का इशारा किया। शिवपाल आगे बैठे जरूर लेकिन उत्साहित नहीं दिखे।
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सपा समाधान सुझाती है : मुलायम
मुलायम सिंह यादव ने भी ज्यादा बोलने से गुरेज किया। कहा कि सपा ऐसी पार्टी है जो देश-दुनिया की समस्याओं के साथ समाधान भी सुझाती है। युवा कार्यकर्ता अगर अच्छी राजनीति करना चाहते हैं तो उन्हें पढऩा चाहिये, चाहे वह उपन्यास ही क्यों न पड़ें। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय प्रकरण का जिक्र करते हुए मुलायम ने कहा कि हमने भी संसद में वहां हुई घटना की निंदा की थी, जिसकी अरुण जेटली समेत ढेरों मंत्रियों ने सराहना की।
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राजनीति में कुछ लोग आकस्मिक दुर्घटना : अमर
अमर सिंह ने कहा राजनीति में कुछ लोग आकस्मिक दुर्घटना होते हैं, जैसे रामूवालिया पंजाब में पड़े थे, मुलायम ने उन्हें लाकर मंत्री बना दिया। फिर उन्होंने खुद को भी उसी में जोड़ लिया।