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-229 में 204 विधायक साथ, तीन कांग्र्रेसियों का भी समर्थन
-बीस घंटे के अंदर अखिलेश, रामगोपाल का निष्कासन वापस
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आप सब जानते हैं विवाद क्या है? मेरे पास ऐसे ढेरों सुबूत हैं, जिनसे साजिश करने वाले बेनकाब हो जाएंगे। जब से दलाल आए हैं, समस्याएं खड़ी हो गई हैं। अब जो भी कहना है कल कहूंगा।
-अखिलेश यादव
(शनिवार को समर्थकों के बीच)
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राज्य ब्यूरो, लखनऊ : समाजवादी पार्टी में एक बार फिर वही हुआ, जिसकी संभावना थी। 229 में से 204 विधायकों को अपने पीछे खड़ा कर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने खुद को 'बॉसÓ साबित किया तो सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने सिर्फ 20 घंटे के अंदर उनका निष्कासन वापस ले लिया। उनके साथ रामगोपाल यादव भी बहाल हो गए मगर झगड़ा अभी खत्म नहीं माना जा सकता। रविवार को जनेश्वर मिश्र पार्क में होने वाले विशेष राष्ट्रीय अधिवेशन में अहम फैसले की संभावना है। अमर सिंह को सपा से और शिवपाल को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाने का फैसला संभावित है। अखिलेश सपा के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष और विधानसभा चुनाव में पार्टी का चेहरा घोषित किये जा सकते हैं।
शुक्रवार को राम गोपाल ने सम्मेलन बुलाने का एलान किया तो नाराज मुलायम सिंह ने अखिलेश को सपा से निष्कासित कर दिया। दो माह के अंदर दूसरी बार राम गोपाल भी निकाले गए। जिसकी प्रतिक्रिया में अखिलेश ने शक्ति प्रदर्शन का निर्णय किया। विधायकों को शनिवार की सुबह साढ़े नौ बजे अपने सरकारी आवास पर बुलाया। चंद घंटे की नोटिस के अंदर पार्टी के 229 में 204 विधायक और कांग्र्रेस के तीन विधायक पहुंचे, जिन्होंने अखिलेश के नेतृत्व में लिखित आस्था व्यक्त की। जब यह प्रक्रिया चल रही थी, उस समय मंत्री आजम खां सुलह अभियान में लगे थे। वह पहले सुबह नौ बजे मुलायम सिंह से मिले और कुछ देर बाद अखिलेश के घर पहुंचे। फिर अखिलेश को लेकर दोबारा मुलायम के घर गए। जहां आक्रोश व भावनाओं का गुबार निकला। सूत्रों का कहना है कि अखिलेश ने मुलायम के पैर छुए, उन्होंने भी आशीर्वाद दिया। शिवपाल वहीं बुलाये गए। तीनों की मौजूदगी में अखिलेश ने कहा कि मुख्यमंत्री पद की चाहत नहीं है। 2017 में यूपी जीतकर नेताजी को तोहफा देंगे, मगर स्वाभिमान व साजिश बर्दाश्त नहीं होगी। अखिलेश ने अमर सिंह को बाहर निकालने पर जोर दिया। मंत्रियों का टिकट काटे जाने व प्रत्याशी चयन पर नाराजगी जताई। आजम ने दखल दिया, कहा कि नेताजी राष्ट्रीय अध्यक्ष से पहले आपके पिता हैं? तय हुआ कि घोषित सूचियों के स्थान पर नई सूची जारी होगी।... और मुलायम ने 20 घंटे पहले निकाले गए अखिलेश व राम गोपाल का निष्कासन का फैसला वापस ले लिया। यह जानकारी शिवपाल ने ट्वीट के जरिये दी। उन्होंने लिखा-'नेताजी के आदेशानुसार अखिलेश यादव और राम गोपाल यादव का पार्टी से निष्कासन तत्काल प्रभाव से समाप्त किया जाता है और अब सब मिलकर सांप्रदायिक ताकतों से लड़ेंगे और पुन: उत्तर प्रदेश में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाएंगे।Ó इसके बाद अखिलेश, मुलायम के आवास से निकल विधायकों के बीच पहुंचे और बोले,-'अभी नेताजी से मिलकर आ रहा हूं, कल अधिवेशन में बोलूंगा।Ó विधायकों की ओर से दबाव पडऩे पर अपने साढ़े चार मिनट के भाषण में अखिलेश ने कहा कि नेताजी (मुलायम सिंह) के विरुद्ध कुछ न बोला जाए। उनका जुमले का यह आशय तो निकाला जा सकता है कि राष्ट्रीय अधिवेशन में मुलायम के विरुद्ध कोई प्रस्ताव नहीं होगा। इससे पूर्व मुख्यमंत्री आवास पर मौजूद विधायकों, मंत्रियों ने अपनी-अपनी बात रखी। प्रो.राम गोपाल यादव ने अमर सिंह व शिवपाल पर खुलकर निशाना साधा और कहा कि वह उनकी कार्रवाई का कोई फर्क नहीं पड़ता। कार्यक्रम का संचालन मंत्री अरविंद सिंह गोप ने किया। दूसरी ओर मुलायम के घर से निकले शिवपाल यादव पार्टी कार्यालय पहुंचे जहां मौजूद तकरीबन डेढ़ दर्जन विधायकों, प्रत्याशियों मुलाकात की और चुनाव में लगने को कहा। मगर मुलायम खुद पार्टी कार्यालय नहीं आए जबकि उन्होंने खुद पार्टी की ओर से घोषित प्रत्याशियों व विधायकों को बुलाया था। एक सच्चाई यह भी था कि पांच कालिदास की तुलना में पार्टी कार्यालय पहुंचने वालों की संख्या नगण्य थी। ऐसे में मुलायम वहां जाकर अपनी स्थिति खराब नहीं करना चाहते थे। इस पूरे घटनाक्रम के दौरान दोनों पक्षों की ओर से बुलाई गई मीटिंग सिर्फ सांकेतिक रहीं। मुख्यमंत्री के यहां तो कुछ लोगों ने अपनी-अपनी बात रखी भी लेकिन सपा कार्यालय में औपचारिक मीटिंग हुई ही नहीं।
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सीएम आवास पर विधायकों का जमावड़ा
पांच कालिदास मार्ग पर विधायकों, प्रत्याशियों की बैठक में सपा के 204 विधायक, 37 एमएलसी व तकरीबन 70 प्रत्याशी पहुंचे थे। कांग्रेस के विधायक माविया अली, मुकेश श्रीवास्तव और कौशलेन्द्र भी शामिल हुए। इनमें दो प्रत्याशी भी हैं। प्रदेश में सपा विधायकों की संख्या-229 है। ॉ
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यह अधिवेशन ही है
मुलायम-अखिलेश मीटिंग के बाद अचानक इस चर्चा ने जोर पकड़ा कि राष्ट्रीय अधिवेशन कार्यकर्ता सम्मेलन में तब्दील जाएगा। इसको साफ करने के लिए लाउडस्पीकर के जरिये बताया गया कि यह विशेष राष्ट्रीय अधिवेशन ही है। भ्रामक बाते कही जा रही हैं, उससे गुमराह न हों।
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कौन क्या बोला
-मेरे आराध्य और राजनीति में मुकाम देने वाले नेताजी (मुलायम सिंह) हैं। मुख्यमंत्री अखिलेश जी ने विकास के ऐतिहासिक कार्य किये हैं। उनके सिवा दूसरा चेहरा नहीं है। उनके नेतृत्व में सरकार बनाने को ताकत झोंक दूंगा।
-मनोज पांडेय, मंत्री
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-चंद्रशेखर के साथ राजनीति की, मुलायम ने कहा साथ आओ विधायक बनाऊंगा। आया तो विधायक, मंत्री बनाया मगर अब अखिलेश मेरे मुख्यमंत्री व नेता हैं। हर फैसले में अखिलेश के साथ रहूंगा।
-राम गोविंद चौधरी , मंत्री
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मुलायम ने मुस्लिमों के लिए संघर्ष किया। उन्होंने अपमान भी सहा मगर डिगे नहीं। उम्मीद है आप भी (अखिलेश) इस लाइन पर मजबूती से बढ़ेंगे, हम साथ हैं, रहेंगे।
-इकबाल महमूद, मंत्री
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अब तक नेताजी के साथ थे, अब आपके साथ हैं। आप जो भी फैसला लेंगे, उसमें मैं भी साथ हूं।
-कमाल अख्तर, मंत्री
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शानदार मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के पीछे प्रदेश की जनता, पार्टी का कार्यकर्ता, विधायक एक जुटे हैं। हम उनके साथ ही खड़े रहेंगे: अरविंद सिंह गोप, मंत्री
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सपा का अधिवेशन होगा, जिसमें प्रतिनिधि अपना फैसला लेंगे। अभी पूरा समझौता नहीं हुआ है।-उदयवीर, एमएलसी (सपा से बर्खास्त)
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ये मंत्री नहीं पहुंचे
परिवहन मंत्री गायत्री प्रजापति, उच्च शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) शारदा प्रताप शुक्ला और मत्स्य मंत्री हाजी रियाज अहमद ।
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विधायक नहीं पहुंचे
रामलाल अकेला, पारसनाथ, शादाब फातिमा, नारद राय, अंबिका चौधरी, गायत्री प्रजापति, सुरेन्द्र विक्रम, राज किशोर सिंह, ओम प्रकाश सिंह, शिवपाल यादव, हाजी रियाज अहमद, माता प्रसाद पांडेय।
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मंत्री पारसनाथ की हूटिंग
ग्र्रामीण अभियंत्रण मंत्री पारसनाथ यादव के मुख्यमंत्री आवास पहुंचने पर कुछ लोगों ने उनकी हूटिंग की, जिससे वह चंद मिनट के अंदर ही वापस चले गए। ऐसे ही विधायक गजाला लारी को पहले आवास से लौटा दिया गया फिर फोन कर बुलाया गया।
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जय, जय, जय अखिलेश
सियासत की कठोर दुनिया में खुद को बॉस साबित करने वाले अखिलेश यादव के समर्थन में उनके ही सरकार आवास पर कई विधायकों ने जय..जय...जय अखिलेश के नारे लगाकर उनका समर्थन किया। कुछ लोगों ने अखिलेश के साथ मुलायम के भी नारे लगाये।
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बेटा नाराज होता है तो बाप मनाता है: आजम
लखनऊ : समाजवादी परिवार में सुलह कराने की पहल करने वाले मंत्री मोहम्मद आजम खां ने कहा कि जब बेटा नाराज होता है तो बाप ही उसे मनाता है। अच्छे माहौल में बात हुई है। निष्कासन से लोग नाराज थे। कार्रवाई वापस हो गई। अब सब ठीक है। इस प्रकरण को लेकर सबसे अधिक चिंता मुसलमानों में है। क्योंकि वह जानता है कि अगर सपा कमजोर हुई तो फिर भाजपा को फायदा होगा। आजम ने यह भी कहा कि अब रविवार को होने जा रहे अधिवेशन की वह शक्ल नहीं होगी, जो होने वाली थी। इशारा यह था कि कम से कम इसमें मुलायम के विरुद्ध कुछ नहीं होने जा रहा है। आजम ने कहा कि मुख्यमंत्री का शुक्रिया कि वह राष्ट्रीय अध्यक्ष से मिले, कहीं कोई शिकवा नहीं था। उस समय लगा कि एक बाप, बेटे से मिल रहा है। कहा, समस्याएं सुलझ जाएंगी।
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लालू ने किया फोन
राब्यू, लखनऊ : मुलायम सिंह यादव के रिश्तेदार व राजद मुखिया लालू प्रसाद यादव ने भी शनिवार को पहले मुख्यमंत्री अखिलेश यादव फिर मुलायम को फोन कर बात की और विवाद खत्म करने का आग्रह किया। बाद में लालू ने ट्वीट किया कि-आलतू-फालतू लोगों को किनारे कर विवाद खत्म किया जाना चाहिए। मैंने मुलायम, अखिलेश से अनुरोध किया है।
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संगठन भी आएगा अखिलेश के हाथ
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- जनेश्वर मिश्र पार्क में राष्ट्रीय अधिवेशन आज
- सपा के संविधान में संशोधन समेत कई फैसले होंगे
- अमर सिंह का निष्कासन संभव, शिवपाल भी हटाए जा सकते हैं प्रदेश अध्यक्ष पद से
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लखनऊ : अखिलेश यादव पर कार्रवाई का फैसला वापस लेकर मुलायम सिंह ने भले कदम पीछे खींचे हैं, मगर समाजवादी परिवार का तूफान थमा नहीं है। रविवार को होने वाले राष्ट्रीय अधिवेशन में अमर सिंह, शिवपाल की बर्खास्तगी व अखिलेश को कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर संगठन की कमान भी उन्हें सौंपने का प्रस्ताव पास हो सकता है। बताया जा रहा है कि राष्ट्रीय अधिवेशन में मुलायम सिंह यादव और शिवपाल यादव के आने की संभावना बिलकुल नहीं है।
शनिवार को मंत्री आजम खां ने मुख्यमंत्री अखिलेश को मुलायम के घर ले जाकर सुलह का प्रयास किया। यहां अखिलेश ने कहा भी कि ' उन्हे मुख्यमंत्री पद की चाहत नहीं। वह वर्ष 2017 में यूपी जीतकर नेताजी को तोहफा देंगे। मगर नेताजी (मुलायम) के विरुद्ध कोई साजिश करेगा तो बर्दाश्त नहीं होगा।Ó अखिलेश के इस रुख के बाद शांति का प्रयास परवान चढऩे का संदेश निकला। मगर पांच कालिदास मार्ग पहुंचकर प्रो.रामगोपाल व अन्य लोगों से चर्चा के बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने चुप्पी साध ली। विधायकों से कहा कि 'जो बोलना है, वह कल अधिवेशन में बोलूंगा। आज से कल तक कई घटनाक्रम होंगे।Ó जिसने साफ किया कि तूफान सिर्फ धीमा हुआ है। बाद में प्रो.राम गोपाल ने कहा कि राष्ट्रीय अधिवेशन होकर रहेगा। तैयारी पूरी है। जनेश्वर मिश्र पार्क में कार्यकर्ता मीटिंग नहीं 'आपातकालीन अधिवेशनÓ है। इसके बाद नई चर्चाएं शुरू हुई कि आजम केसुलह प्रयासों का यह असर तो रहा कि अखिलेश, राम गोपाल यादव का निष्कासन वापस हो गया, मगर अन्य समझौते के अन्य बिन्दुओं पर अमल नहीं हुआ। सूत्रों का कहना है कि समझौते के चलते अधिवेशन की आक्रामकता थोड़ी कम होगी, मगर कई अहम फैसले होंगे, जिसमें पार्टी के संविधान में संशोधन का फैसला भी होगा।
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कई दिनों से चल रही है तैयारी
आपातकालीन राष्ट्रीय अधिवेशन बुलाने का फैसला अचानक नहीं है, यह सोंच समझकर लिया गया निर्णय है। अधिवेशन की पहल से पहले उसके कानूनी पहलुओं को भी परखा गया है। प्रत्येक जिले के न्यूनतम 25 प्रतिनिधियों व 100 से अधिक सामान्य कार्यकर्ताओं से अधिवेशन बुलाने के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर कराये गये हैं। इसको चुनौती न मिले इसके लिए कुछ स्थानों पर वीडियोग्र्राफी भी करायी गई है। दरअसल, राष्ट्रीय अध्यक्ष की अनुमति के बगैर आपातकालीन अधिवेशन बुलाने के लिए 40 फीसद सदस्यों की अनुमति जरूरी होती है। लिहाजा इस कार्य को दुरुस्त कर लिया गया है। सूत्रों का कहना है कि इसके लिए युवा ब्रिगेड को प्रस्तावों के साथ जिलों में भेजा गया था, जो वापस लौट आएं हैं। इन्ही प्रस्तावों के आधार पर रविवार को कई फैसले लिये जाएंगे।
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समझौते के समय चर्चा के बिंदु
-अखिलेश, रामगोपाल का निष्कासन रद किया जाए, जिस पर फौरन अमल हुआ।
-प्रत्याशियों की घोषित सूची रद कर मुलायम-अखिलेश सहमति से नई सूची तैयार करेंगे, इस बिन्दु पर मंथन जारी।
-अमर सिंह से इस्तीफा लिया जाए या फिर उन्हे निकाला जाए, अभी अमल नहीं हुआ।
-बर्खास्त एमएलसी व पदाधिकारियों का निष्कासन रद हो, अभी अमल नहीं हुआ।
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अब संभावनाएं
-महासचिव व राज्यसभा सदस्य अमर सिंह को बर्खास्त किया जा सकता है।
-अखिलेश को कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त कर मिशन-2017 का चेहरा घोषित किया जा सकता है।
-कार्यकारी अध्यक्ष की नियुक्ति का प्रस्ताव हुआ तो राष्ट्रीय कार्यकारिणी भंग होगी।
-शिवपाल को प्रदेश अध्यक्ष पद से बर्खास्त कर जिला इकाइयां भंग करने का प्रस्ताव पास हो सकता है।
-बदायूं के सांसद धर्मेन्द्र यादव को नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त करने पर विचार संभव।
-संविधान में संशोधन कर कार्यकारी अध्यक्ष को अधिकार संपन्न बनाने का प्रस्ताव संभव।
-बर्खास्त चल रहे एमएलसी व युवा ब्रिगेड की बर्खास्तगी रद करने का फैसला संभव।
-समाजवादी परिवार को तोडऩे की साजिशों का मुख्यमंत्री कर सकते हैं रहस्योद्घाटन।
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अखिलेश की मजबूती से कांग्रेस को सुकून
- गठबंधन की उम्मीद बढ़ी, आज के अधिवेशन पर निगाहें
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लखनऊ : समाजवादी कलह में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की मजबूती से कांग्रेस को सुकून है। गठबंधन की उम्मीद परवान चढऩे की इंतजार देख रहे कांग्रेसियों की निगाह रविवार को प्रस्तावित सपा के राष्ट्रीय प्रतिनिधि सम्मेलन पर लगी है।
शनिवार को कांग्रेस मुख्यालय में सपा से संभावित गठजोड़ की चर्चा का ही जोर रहा। हालांकि पार्टी के वरिष्ठ नेता सीधे तौर पर टिप्पणी करने से बचते रहे परंतु केंद्रीय नेताओं से मिल करे संकेतों से गठबंधन होना लगभग तय माना जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस की ओर 127 सीटों पर दावेदार जतायी जा रही है परंतु सौ के आसपास दोनों के बीच सहमति बनने की उम्मीद है। अखिलेश द्वारा जारी उम्मीदवारों की पहली सूची में भी कांग्रेस से गठबंधन की गुंजाइश रखी गयी है।
मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बने रहने के लिए अखिलेश यादव बिहार की तरह महागठबंधन चाहते है ताकि भाजपा व बसपा के साथ त्रिकोणात्मक मुकाबले में सपा का पलड़ा भारी रह सकें। इस के लिए उत्तर प्रदेश में भले ही बिहार जैसे हालात नहीं बन पाए परंतु कांग्रेस और रालोद का साथ मिलने से स्थिति काफी हद तक मजबूत होगी।
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अधिवेशन में गठबंधन चर्चा संभव : गत पांच नवंबर को समाजवादी पार्टी के रजत जयंती समारोह में भी लोहिया और चरण सिंह वादियों को एकमंच पर लाने की सहमति बनी थी। रविवार को आहूत राष्ट्रीय प्रतिनिधि सम्मेलन में भी गठबंधन की संभावनाओं पर चर्चा होने की उम्मीद जतायी जा रही है। कांग्रेस से गठबंधन होने पर 300 सीट जीतने का दावा कर रहे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अपनी मंशा पर मुहर भी लगवा सकते है।
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रालोद बनेगा स्वाभाविक सहयोगी : पश्चिमी उप्र में खुद को अपेक्षाकृत कमजोर मान रही समाजवादी पार्टी के लिए राष्ट्रीय लोकदल का साथ मिल जाना मुफीद मानने वाले नेताओं का कहना है कि कांग्रेस और रालोद को साथ में लेकर ही वहां बसपा व भाजपा के सीधे दिख रहे मुकाबले में तीसरा कोण बनाया जा सकता है। भाजपा के खिलाफ लगातार तीखे तेवर अख्तियार किए रालोद नेतृत्व के लिए भी वजूद बचाने के लिए सपा का साथ मिलना जरूरी माना जा रहा है।
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आजमाइश से पहले खत्म हुआ जोर
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- अखिलेश खेमे में विधायकों की भारी जुटान ने पहले ही तय की जीत
- फीका रहा सपा प्रदेश कार्यालय का माहौल
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लखनऊ : दो फाड़ हुई समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव की ओर से शनिवार को पार्टी के प्रदेश कार्यालय में बुलायी गई महत्वपूर्ण बैठक से पहले ही साफ हो गया था कि ऊंट किस करवट बैठेगा। अखिलेश खेमे से आजमाइश के लिए बुलायी गई इस बैठक में सपा न जोर दिखा पायी और न लगा पायी। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के सरकारी आवास पर सपा विधायकों की भारी जुटान ने साबित कर दिया कि तुरुप का इक्का किसके हाथ में है। लिहाजा अपनी ओर से बुलायी गई बैठक में शिरकत करना खुद मुलायम ने मुनासिब न समझा।
सपा आलाकमान और उसके इशारे पर पार्टी से निकाले गए अखिलेश यादव के धड़ों के बीच जोर आजमाइश को लेकर शनिवार को बुलायी गईं अलग-अलग बैठकों में कालिदास मार्ग (मुख्यमंत्री का सरकारी आवास) का पलड़ा विक्रमादित्य मार्ग (समाजवादी पार्टी का दफ्तर) पर भारी रहा। इसमें कुछ भूमिका विक्रमादित्य मार्ग के दोनों छोर और बीच में कई स्थानों पर लगीं बैरिकेडिंग ने भी निभायी। सपा प्रदेश कार्यालय में शिवपाल के करीबी और अखिलेश मंत्रिमंडल से बर्खास्त किये गए मंत्रियों समेत चंद विधायक, सांसद व पार्टी प्रत्याशी ही पहुंचे। इनमें सपा प्रदेश महासचिव ओम प्रकाश सिंह, नारद राय, शादाब फातिमा, राजकिशोर सिंह के अलावा राज्यसभा सदस्य बेनी प्रसाद वर्मा और कानपुर कैंट से सपा प्रत्याशी घोषित किये गए अतीक अहमद प्रमुख थे। दोपहर 12.20 बजे विक्रमादित्य मार्ग पर हलचल तेज हुई, सुरक्षाकर्मियों ने बैरिकेडिंग हटाई और बाप-बेटे में सुलह के सूत्रधार बने मो.आजम खां को साथ लेकर मुख्यमंत्री का काफिला धड़धड़ाता हुआ मुलायम के बंगले में दाखिल हुआ। आधे घंटे बाद विक्रमादित्य मार्ग का सन्नाटा तब फिर टूटा जब बेटे आदित्य को लेकर शिवपाल भी मुलायम से मिलने उनके आवास पहुंचे। तेजी से बदलते घटनाक्रम का फोकस मुलायम के आवास पर केंद्रित हो जाने के बाद उनके बंगले के बाहर सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई।
मुलायम के बंगले पर घंटे भर से ज्यादा चली बैठक के बाद दोपहर डेढ़ बजे अखिलेश मुलायम के बंगले से निकल कर वापस अपने सरकारी आवास चले गए। उनके बाद शिवपाल भी निकले लेकिन गाड़ी के शीशे के पीछे भी उनके चेहरे पर तनाव की लकीरें साफ देखी जा सकती थीं। दोपहर 1.50 बजे शिवपाल फिर सपा प्रदेश कार्यालय पहुंचे। हालांकि दोपहर दो बजे तक अखिलेश और रामगोपाल का निष्कासन रद होने की खबर फिजां में तारी हो चुकी थी। सपा प्रदेश कार्यालय के बाहर अब तक असमंजस में दिख रहे सपा कार्यकर्ताओं के चेहरे खिल उठे और वे कार्यालय के गेट के सामने तख्तियां और पोस्टर लेकर थिरकने लगे। इसी दौरान सपा कार्यालय से अतीक अहमद बाहर आए लेकिन मीडिया के चुटीले सवालों से बचकर निकल गए। इसके बाद गाड़ी के भीतर मूर्तिमान बने बैठे बेनी प्रसाद वर्मा भी रुखसत होते दिखे।
दोपहर 2.20 बजे सपा कार्यालय के बंद गेट खोले दिये गए और एलान हुआ कि शिवपाल पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करेंगे। कई बार के एलान के बाद भी मुट्ठी भर कार्यकर्ता ही जुटे क्योंकि सस्पेंस खत्म हो चुका था। बेटे आदित्य, सपा के प्रदेश महासचिव ओम प्रकाश सिंह और राज्यसभा सदस्य सुखराम सिंह यादव के साथ पार्टी दफ्तर के लॉन में मौजूद शिवपाल चिंतामग्न दिखे लेकिन मौके की नजाकत को भांपते हुए माइक संभालते ही उन्होंने जोशीला अंदाज ओढ़कर संबोधन शुरू किया। कार्यकर्ताओं को पूरे मामले में पार्टी के यूटर्न की जानकारी देने में बेहद असहज महसूस कर रहे शिवपाल को यह औपचारिकता निभाने के लिए समाजवादी नेता राजनारायण के नाम का सहारा लेना पड़ा। राजनारायण की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि देने और उनके सियासी कारनामों का जिक्र करने के बाद ही वह असल मुद्दे पर आये। अखिलेश और रामगोपाल का निष्कासन रद किये जाने की सूचना दी। लेकिन अपने संबोधन में उन्होंने जब यह कहा कि जिन प्रत्याशी को नेताजी ने साइकिल का निशान दिया है, आप लगकर उसे जिताएंगे, तो पार्टी दफ्तर से रुखसत होते कार्यकर्ता इसके निहितार्थ तलाश रहे थे।
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हावी रहा मुस्लिम वोट बैंक फिसलने का डर
- मुख्यमंत्री के सामने विधायकों की बैठक में उठा मुद्दा
- आजम खां ने सपा प्रमुख मुलायम सिंह को भी चेताया
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लखनऊ : समाजवादी कलह में मुस्लिम वोट बैंक फिसलने की आशंका पार्टी नेताओं को सताने लगी है। शनिवार को विधायकों व पदाधिकारियों की बैठक में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के सामने यह चिंता हावी रही।
खासकर मंत्रियों और विधायकों का कहना था कि पार्टी की आंतरिक उठापटक का मुस्लिमों में संदेश ठीक नहीं जा रहा है। पार्टी नेतृत्व तक यह चिंता पहुंचाने का काम आजम खां ने भी किया। सुलह की कमान संभालते हुए आजम ने सुबह से ही कोशिशें तेज कर दी थी। अपने आवास पर मुस्लिम नेताओं की बैठक में समस्या पर विचार किया। उन्होंने सपा प्रमुख मुलायम सिंह और शिवपाल यादव से बैठक कर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से भी मुलाकात की। जिसका नतीजा रहा कि अखिलेश और रामगोपाल यादव का निष्कासन 24 घंटे के भीतर ही वापस हो गया। मगर जिस तरह अभी भी चालें चली रही हैं, उससे मुस्लिम मतदाताओं में घबराहट भी है।
मुख्यमंत्री आवास पर जुटे लोगों ने आपसी बातचीत में कहा भी मुसलमान अब भी मुलायम सिंह यादव को ही अपना नेता मानता है, दल में दूसरा कोई इतना प्रभावशाली नहीं है। ऐसे में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को इस दिशा में पहल करनी होगी। सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री के पहुंचने से पहले आपसी चर्चा में एक मंत्री ने कहा भी अगर मुसलमान खिसका तो सौ का आंकड़ा पार करने में खासी दुश्वारी होगी।
दलित मुस्लिम समीकरण में मजबूती का खतरा : सपा के आंतरिक विवादों पर मुख्य प्रतिद्वंद्वी पार्टी बसपा की नजर भी लगी है। दलित-मुस्लिम समीकरण पर भी चर्चा हुई। पश्चिमी उप्र के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि मुस्लिमों की आशंका है समाजवादियों में एकता जनता को नजर नहीं आएगी तो हालात गत लोकसभा चुनाव से ज्यादा खराब हो सकते है। एक कैबिनेट मंत्री ने सपा प्रमुख मुलायम सिंह द्वारा मुसलमानों के लिए संघर्ष की याद दिलाते हुए कहा कि इसके लिए उन्होंने अपमान भी सहे, मगर डिगे नहीं।
सूत्रों का कहना है कि मुलायम सिंह के साथ आजम खां की दो बैठकों में भी सपा की कलह से मुसलमानों में बढ़ती चिंता से अवगत कराया गया। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को पार्टी से निष्कासित करने के खतरे भी गिनाए। मुस्लिमों के खिसकने से सत्ता में नहीं बने रह पाने की आशंका जताते हुए विवाद पर विराम लगाने का आग्रह किया।
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...तो तय थी विवाद की स्क्रिप्ट!
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-स्टीव जार्डिंग के कथित ईमेल से उठे सवाल
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लखनऊ : समाजवादी पार्टी की पारिवारिक कलह क्या वाकई किसी स्ट्रेटजी का हिस्सा थी? एक पत्रकार के ट्वीट में इस मेल का जिक्र है जो कि अखिलेश यादव के अमेरिकी सलाहकार स्टीव जार्डिंग की ओर से है। हालांकि यह स्पष्ट होना बाकी है कि ईमेल कितना सही और कितना गलत है?
पिछले दिनों ऐसी खबर प्रकाश में आई थी कि यूपी के चुनाव में अखिलेश की छवि चमकाने के लिए सपा एक अमेरिकी पीआर एजेंसी की मदद ले रही है। इसके बाद हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर स्टीव जार्डिंग का नाम बतौर सलाहकार सामने आया था। इन्हीं जार्डिंग के एक ई-मेल में सपा को सलाह दी गई थी कि पार्टी में अंदरूनी लड़ाई दिखावे के लिए जरूरी है। इससे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की इमेज बेहतर उभर कर आएगी। उनका व्यक्तित्व और मजबूत नजर आएगा। स्टीव जार्डिंग की ओर से आगे लिखा गया है कि मेरी सीनियर यादव को एक गुप्त योजना केतहत सलाह है कि परिवार को पूरे परिदृश्य से हटाने के लिए, चाचा को कसूरवार ठहराकर जूनियर यादव की क्लीन इमेज बनाई जाए और उन्हें भविष्य का पार्टी का मुखिया प्रोजेक्ट किया जाए।
गौरतलब है कि स्टीव जार्डिंग हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में 1980 से पब्लिक पॉलिसी पढ़ा रहे हैं। उन्होंने अमेरिका में राष्ट्रपति पद की डेमोक्रेटिक उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन का भी चुनाव प्रचार देखा था। इसके अलावा भी कई देशों के प्रभावशाली नेता उनके क्लाइंट रहे हैं। वायरल हो रहे इस तरह की ईमेल की सत्यता की पुष्टि होना भले ही बाकी है, लेकिन लोग यह मानकर चल रहे हैं कि सपा का विवाद किसी गुप्त योजना का ही हिस्सा था। लोग नोटबंदी शुरू होने के बाद सपा का विवाद खत्म होने और दिसंबर खत्म होने के समय फिर शुरू होने को भी इससे जोड़ रहे हैं।
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जिसका जलवा कायम है, उसका बाप मुलायम है...
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-मुलायम के घर से पहुंची अखिलेश समर्थकों को राहत
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लखनऊ : 'फाइव केडीÓ यानी पांच कालिदास मार्ग। शनिवार दोपहर एक बजे यहां जमा बड़ी भीड़ के बीच कहीं ऊंट मौजूद नहीं था, फिर भी सब जानने को उतावले थे कि वह किस करवट बैठेगा। हर पल सबकी व्याकुलता इसलिए भी बढ़ती जा रही थी कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को पिता मुलायम सिंह के घर गए देर हो चुकी थी। हाईवोल्टेज ड्रामा चरम क्लाईमेक्स पर पहुंच रहा था। ...अब क्या होगा का सवाल जितना उन समर्थक विधायकों को परेशान कर रहा था, जिन्हें अखिलेश अपने आवास में बिठा कर गए थे तो बाहर सड़क पर मौजूद युवा, बुजुर्ग और महिला समर्थकों में भी कम बेचैनी नहीं थी।
इसी बीच किसी नतीजे के इंतजार में तेज कदमों से गोल्फ क्लब चौराहे की ओर बढ़े जा रहे दो जोशीले युवाओं में से एक ने दूसरे को समझाते हुए तेज आवाज में सवाल उछाला- 'बुजुर्गों के साथ कोई भविष्य हो सकता है क्या..?Ó दूसरे ने मौन सहमति देते हुए इन्कार में सिर हिला दिया। तख्तियां लेकर नारे लगाते युवाओं के साथ फोटो क्लिक करा चुकीं एक युवा महिला नेता लपक कर डिजाइनर खादी में मौजूद अपने साथी के पास पहुंचीं और पूछ लिया- 'फेसबुक पर अपलोड कर दी कि नहीं मेरी फोटो...?Ó युवक ने हां कहा तो वह वापस कार में जाकर बैठ गईं। यहीं खाकी वर्दी में मौजूद लंबे-चौड़े सरदार जी एक कार से टेक लगाए किसी को फोन से बता रहे थे- '...अमर सिंह पर एक्शन हो सकता है।Ó
मुख्यमंत्री आवास के गेट से कुछ दूर घेरा बना खड़े पत्रकारों में से एक ने मैसेज टोन सुन फोन निकाला, कुछ पढ़ा और बोले- 'लो... हो गया।Ó सबने आंखें बड़ी कर उन्हीं पर टिका दीं कि क्या हो गया। चुटकी लेते हुए बोले- 'आजम ने अखिलेश से मुलायम के पैर छुआए... गले लगवाया..., फिर अखिलेश ने कहा- काए नाराज हो... हमीं तो तुमें पीएम बनैैैंहे...।Ó
अखिलेश और शिवपाल के घर के बीच एक एसयूवी के अंदर-बाहर मौजूद युवाओं में से एक ने बदलते माहौल में चिंता जताई- 'रात में पार्टी हो पाएगी कि नहीं नए साल की..?Ó दूसरे ने टोका- 'पहिले इहे पार्टी का हाल तौ देखि लो।Ó मुस्लिम युवाओं का एक गुुट अंग्रेजी में नारे लगा रहा था- 'नो कन्फ्यूजन-नो मिस्टेक, सिर्फ अखिलेश-सिर्फ अखिलेशÓ। अब तक घड़ी सवा एक बजा चुकी थी। मुलायम के घर से अखिलेश के घर तक 'सब कुछ फिर से ठीक हो जानेÓ का संदेश पहुंचने लगा था। 'हम सब समाजवादी हैैं...एक हैैंÓ की भावना की आपूर्ति भी शुरू हो गई थी कि इसी बीच ठीक डेढ़ बजे मुख्यमंत्री का काफिला वापस फाइव केडी आ गया। अब तक 'अखिलेश तुम संघर्ष करो...Ó के नारे लगा रहे युवा अचानक बधाई के नारे लगाने लगे। कुछ ने नारों में थोड़ा बदलाव किया- 'जिसका जलवा विशेष है, उसका नाम अखिलेश हैÓ। लेकिन, लोगों को असल मजा तब आया, जब पूरे माहौल को बयां करने वाला एक नया नारा गढ़ लिया गया कि 'जिसका जलवा कायम है, उसका बाप मुलायम है..!Ó
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फूंके गए शिवपाल-अमर के पुतले
-अखिलेश के निष्कासन से नाराज समर्थकों का हंगामा, नोरबाजी
-आपा खोया: शिवपाल और अमर के सिर पर एक करोड़ का इनाम
-मुलायम के लिए बुद्धि-शुद्धि यज्ञ, शिवपाल के घर के बाहर पथराव
लखनऊ: दोपहर बाद निष्कासन रद होने पर भले ही ज्यादातर सपाइयों के चेहरों पर रौनक लौट आई हो लेकिन इससे पहले अखिलेश समर्थकों ने जमकर भड़ास निकाली। सूबे में राजनीतिक माहौल दिनभर गरम रहा। कहीं पुतले फूंके जाते रहे तो कहीं आत्मदाह का प्रयास हुआ। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और प्रो. रामगोपाल को पार्टी से निकालने से भन्नाए मथुरा के गोवर्धन विधान सभा सपा अध्यक्ष मुकेश सिकरवार ने तो शिवपाल और अमर ङ्क्षसह की गर्दन काटने वाले को एक करोड़ रुपये का इनाम देने का एलान तक कर दिया। की भी होड़ लगी रही। हंगामा, पुतला दहन और आग में घी डालने वाले बयानों का सिलसिला अखिलेश का निष्कासन रद होने के बाद ही थमा और मिठाई बंाटी गई।
सीएम को पार्टी से निकाले जाने से नाराज समर्थकों ने राजधानी व आसपास के कई जिलों में प्रदर्शन किया। अमर सिंह के निष्कासन की मांग के साथ शिवपाल का पुतला भी फूंका। लखनऊ में कालिदास मार्ग पर अखिलेश समर्थकों के निशाने पर मुलायम, शिवपाल और अमर सिंह थे। अमर दल्ला के पोस्टर लहराते रहे। कार्यकर्ताओं ने मुलायम सिंह के लिए बुद्धि-शुद्धि यज्ञ किया। शिवपाल यादव के घर के बाहर पथराव में उन्नाव के हसनगंज के सीओ चोटिल हुए।
बाराबंकी व अंबेडकरनगर में प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव के और रायबरेली व बलरामपुर में राष्ट्रीय महासचिव अमर ङ्क्षसह पुतले फूंके।
लखीमपुर में युवजन सभा के पूर्व जिलाध्यक्ष मुन्ना यादव की अगुवाई में बारह समर्थक अर्धनग्न होकर कचहरी के पास पानी की टंकी पर चढ़ गए। इससे पहले जलूस भी निकाला।
पूर्वांचल में सुबह माहौल काफी गर्म था। शिवपाल व अमर सिंह के विरोध में पुतले दहन हुए तो कई जिलों में इस्तीफे का भी दौर चला। ज्यादातर अखिलेश के साथ खड़े दिखे। मऊ व गाजीपुर में छात्रों ने चचा और अंकल के पुतले फूंके। आजमगढ़ में भी दोनों के पुतले जलाये गए। मध्य यूपी व बुंदेलखंड में भी इन्हीं के पुतले जलाए गए। बांदा में कार्यकर्ताओं ने पानी की टंकी पर चढ़ मुलायम के खिलाफ नारेबाजी की।
हमीरपुर के सुमेरपुर कस्बे में भी शिवपाल व अमर ङ्क्षसह के खिलाफ नारेबाजी की गई तो औरैया बेला क्षेत्र के गांव भूलाहार में जाम लगाया गया। कन्नौज के ठठिया में मुलायम व शिवपाल का पुतला फूंका। उन्नाव, फतेहपुर, बांदा, हमीरपुर, उरई, महोबा, चित्रकूट, फर्रुखाबाद, इटावा तथा हरदोई में भी अधिकांश सपाई अखिलेश के समर्थन में दिखे।
गोरखपुर में शास्त्री चौक और अंबेडकर चौक पर शिवपाल सिंह यादव का पुतला जलाकर नारेबाजी की। बस्ती में शिवपाल-अमर के पुतले आग के हवाले किए गए। महराजगंज में छात्रसभा ने अमर सिंह का पुतला जलाया। सिद्धार्थनगर, कुशीनगर और संतकबीर नगर जिला मुख्यालय पर शिवपाल के खिलाफ जबरदस्त प्रदर्शन हुआ और देवरिया में शिवपाल अमर सिंह के पुतले जलये।
मैनपुरी, कासगंज में भी शिवपाल व अमर के पुतले फूंके तो एटा में अखिलेश और रामगोपाल के समर्थक सड़कों पर उतर आए। जीटी रोड पर एक सपा नेता ने केरोसिन उड़ेल कर आत्मदाह की कोशिश की।
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घड़ी की सूइयों पर सियासी चक्र
09.00 बजे- मंत्री आजम खां सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के घर पहुंचे और 15 मिनट बाद वापस अपने घर लौटे।
09.30 बजे- मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के सरकारी आवास पर विधायकों के पहुंचने का सिलसिला शुरू।
10.00 बजे- अखिलेश यादव निजी आवास से सरकारी आवास पर पहुंचे।
10.15 बजे- प्रो. राम गोपाल यादव मुख्यमंत्री के सरकारी आवास पहुंचे।
11.15 बजे- शिवपाल सिंह यादव अपने बेटे आदित्य के साथ पार्टी आफिस पहुंचे।
11.20 बजे- आजम खां दोबारा मुलायम सिंह के आवास पर पहुंचे।
11.30 बजे- राज्यसभा सदस्य बेनी वर्मा समाजवादी पार्टी आफिस पहुंचे।
11.40 बजे- अतीक अहमद मुलायम से मिलने उनके घर पहुंचे, चंद मिनट में ही निकल गए।
11.55 बजे- मुलायम से मिलकर आजम खां सीधे अखिलेश से मिलने उनके सरकारी आवास पहुंचे।
12.15 बजे- आजम खां, अखिलेश यादव को लेकर मुलायम के घर पहुंचे।
12.15 बजे: अखिलेश यादव ने मुलायम के पांव छुये, दोनों की आंखे डबडबाई।
12.45 बजे- शिवपाल सिंह मुलायम सिंह के घर बुलाए गए।
01.05 बजे- अखिलेश यादव और रामगोपाल का निष्कासन वापस लेने का फैसला।
01.25 बजे- अखिलेश यादव मुलायम सिंह के घर से निकले।
02.20 बजे- शिवपाल सिंह ने कार्यकर्ताओं को संबोधित किया।
03.00 बजे- आजम खां के घर शिवपाल समेत कई विधायक पहुंचे।
04 बजे- राम गोपाल ने युवा ब्रिगेड के साथ राष्ट्रीय अधिवेशन की तैयारियों की समीक्षा की।
06 बजे- आजम खां और शिवपाल सिंह फिर मुलायम के घर पहुंचे।
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'इतनी जल्दी तो मेरी मम्मी भी नहीं बुलातींÓ
- सोशल साइट्स पर उड़ा सपाई दंगल का मजाक
- ट्विटर, फेसबुक पर आम राय-'यह पॉलिटिकल ड्रामा थाÓ
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लखनऊ: ऐन चुनाव के पहले समाजवादी पार्टी के दंगल का सच चाहे कुछ भी हो, सोशल साइट्स को अखिलेश और राम गोपाल का निलंबन रद होने के बाद नया मसाला मिल गया। ट्विटर, फेसबुक और अन्य नेटवर्किंग पर इसका जमकर मजाक उड़ा। लोगों का मानना है कि यह पार्टी का पॉलिटिकल ड्रामा था। एक ने टिप्पणी भी की-'यह पब्लिक है, सब जानती है।Ó
कहानी के मुख्य पात्र अखिलेश, शिवपाल और मुलायम जरूर थे लेकिन आजम और अमर भी पीछे न रहे। आजम-अमर ट्विटर पर टॉप ट्रेंड में भी नजर आए। क्रिकेटर रवींद्र जडेजा के नाम से ट्वीट किया गया-'ऐसा प्रतीत होता है वे आजम की भैंसों से सलाह लेते हैं। फेसबुक पर कमाल उसरी ने व्यंग किया-फिर क्या कृष्णा पटेल और बेटी अनुप्रिया पटेल के विवाद पर भी घराने का कानून लागू होता है।Ó उन्होंने बात आगे बढ़ाई-'यह न रामायण है, न ही महाभारत। दरअसल यह अच्छी स्क्रिप्ट के साथ पुन: सत्ता कायम रखने के लिए शानदार अभिनय हो रहा है ट्विटर पर तो प्रतिक्रियाओं की झड़ी लग गई। महिमा भारती का ट्वीट था-'इतनी जल्दी तो मेरी मम्मी भी मुझे घर नहीं बुलातीं।Ó इस कड़ी को आगे बढ़ाया मनीष सिंह ने-'इतनी जल्दी तो साइकिल भी रिपेयर नहीं होती, जितनी जल्दी निष्कासन वापस ले लिया।Ó नवीन खेतान ने लिखा-'मीडिया के लोग यह फुटनोट पढऩा भूल गए कि यह सस्पेंशन लेटर सिर्फ 24 घंटे के लिए वैलिड है।Ó इससे पहले उन्होंने ट्वीट किया था- 'शायद आप जानते हों कि अखिलेश ने अपनी इमेज बिल्डिंग के लिए यूएस की पीआर एजेंसी को इंगेज किया था। नाटक अपनी पटकथा के अनुसार ही खेला गया।Ó
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ट्विटर पर सपा का दंगल
-अखिलेश यादव इस उम्र में अगर ड्रामा सीखना है तो मुलायम सिंह से सीखें-तवरेज आलम
-मुलायम सिंह यादव, उनके बेटे अखिलेश और भाई शोले के बीरू से ज्यादा नौटंकीबाज हैं-बाबू भैया
-अगर ड्रामा करने से वोट मिलते तो अरविंद केजरीवाल अमेरिका के राष्ट्रपति होते। यह बात अखिलेश यादव को समझ लेनी चाहिए-श्याम 808
-अखिलेश यादव समाजवादी पार्टी में लौट आए हैं। ये सब कम उम्र के जोड़ों की होने वाली लड़ाई और सुलह से भी तेज हुआ है-पकचिकपक राजा बाबू
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शिवपाल वाली सूची के उम्मीदवारों की सांसें अटकीं
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-अब नए सिरे से जारी होगी प्रत्याशियों की सूची
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लखनऊ : समाजवादी पार्टी में तेजी से बदलते आंतरिक हालात से उम्मीदवारों की सांसें भी अटकी हुई हैं। शनिवार को सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव द्वारा रामगोपाल यादव और अखिलेश यादव का निष्कासन वापस लिए जाने के साथ ही उम्मीदवारों की लिस्ट नए सिरे से तैयार करने का फैसला हुआ है। सबकी निगाहें रविवार को आहूत पार्टी के राष्ट्रीय प्रतिनिधि सम्मेलन पर लगी हैं। घोषित प्रत्याशी शनिवार को अपने समर्थकों के साथ राजधानी में डटे रहे।
सबसे अधिक दुविधा उन उम्मीदवारों की है जिनको प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव द्वारा घोषित किया गया, लेकिन जिन्हें अखिलेश की पहली सूची मेें जगह नहीं मिल सकी थी। 29 दिसंबर को सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह ने 325 प्रत्याशियों की पहली लिस्ट जारी की थी जिसके जवाब में करीब चार घंटे बाद मुख्यमंत्री की ओर से एक सूची जारी की गयी, जिसमें 235 उम्मीवारों के नाम शामिल थे। उम्मीदवारों के नाम की सूचियां जारी करने का सिलसिला यहीं पर नहीं थमा। प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव की ओर से जारी दूसरी लिस्ट में 68 नए नामों को शामिल किया था। शिवपाल द्वारा 393 उम्मीदवारों की घोषणा कर दी गयी तो वहीं अखिलेश की दूसरी संक्षिप्त सूची में दो नाम और शामिल किए गए और उनके उम्मीदवारों की संख्या 237 हो गयी।
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साझा उम्मीदवारों को सुकून
उम्मीदवारों की नई सूची बनाए जाने के फैसले से उन 195 नेताओं को सुकून है जिनके नाम दोनों सूचियों में दर्ज है। ऐसे नेताओं का मानना है कि भविष्य में आने वाली सूची में उनका नाम तो होगा ही। चूंकि अब माना जा रहा है कि प्रत्याशियों के चयन में अखिलेश की ही ज्यादा चलेगी इसलिए अखिलेश की सूची में शामिल कुल 237 प्रत्याशियों में से भी ज्यादातर के नाम नई सूची में होंगे। उन उम्मीदवारों की ही नींद उड़ी है जिनका नाम सिर्फ प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव की ओर से जारी सूची में दर्ज है। इनमें से अधिकतर के नाम नई सूची में नहीं दिखाई दे सकते हैं। शिवपाल की सूची में शामिल रहे दागी उम्मीदवारों का भी पत्ता साफ हो सकता है। पूर्व में पार्टी द्वारा मुलायम परिवार की बहू अपर्णा यादव को लखनऊ कैंट से प्रत्याशी घोषित किए जाने के बाद से वह चुनावी तैयारी में जुटी जरूर है, लेकिन मुख्यमंत्री की पहली सूची में उनका नाम भी शामिल नहीं था, हालांकि उस सूची में कैंट से किसी और का भी फिलहाल नाम दर्ज नहीं है।
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