Tuesday 31 January 2017

Samajwadi party-2016_अखिलेश ने दिखा दी ताकत


-----------------
-229 में 204 विधायक साथ, तीन कांग्र्रेसियों का भी समर्थन
-बीस घंटे के अंदर अखिलेश, रामगोपाल का निष्कासन वापस
---
आप सब जानते हैं विवाद क्या है? मेरे पास ऐसे ढेरों सुबूत हैं, जिनसे साजिश करने वाले बेनकाब हो जाएंगे। जब से दलाल आए हैं, समस्याएं खड़ी हो गई हैं। अब जो भी कहना है कल कहूंगा।
-अखिलेश यादव
(शनिवार को समर्थकों के बीच)
---
राज्य ब्यूरो, लखनऊ : समाजवादी पार्टी में एक बार फिर वही हुआ, जिसकी संभावना थी। 229 में से 204 विधायकों को अपने पीछे खड़ा कर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने खुद को 'बॉसÓ साबित किया तो सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने सिर्फ 20 घंटे के अंदर उनका निष्कासन वापस ले लिया। उनके साथ रामगोपाल यादव भी बहाल हो गए मगर झगड़ा अभी खत्म नहीं माना जा सकता। रविवार को जनेश्वर मिश्र पार्क में होने वाले विशेष राष्ट्रीय अधिवेशन में अहम फैसले की संभावना है। अमर सिंह को सपा से और शिवपाल को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाने का फैसला संभावित है। अखिलेश सपा के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष और विधानसभा चुनाव में पार्टी का चेहरा घोषित किये जा सकते हैं।
शुक्रवार को राम गोपाल ने सम्मेलन बुलाने का एलान किया तो नाराज मुलायम सिंह ने अखिलेश को सपा से निष्कासित कर दिया। दो माह के अंदर दूसरी बार राम गोपाल भी निकाले गए। जिसकी प्रतिक्रिया में अखिलेश ने शक्ति प्रदर्शन का निर्णय किया। विधायकों को शनिवार की सुबह साढ़े नौ बजे अपने सरकारी आवास पर बुलाया। चंद घंटे की नोटिस के अंदर पार्टी के 229 में 204 विधायक और कांग्र्रेस के तीन विधायक पहुंचे, जिन्होंने अखिलेश के नेतृत्व में लिखित आस्था व्यक्त की। जब यह प्रक्रिया चल रही थी, उस समय मंत्री आजम खां सुलह अभियान में लगे थे। वह पहले सुबह नौ बजे मुलायम सिंह से मिले और कुछ देर बाद अखिलेश के घर पहुंचे। फिर अखिलेश को लेकर दोबारा मुलायम के घर गए। जहां आक्रोश व भावनाओं का गुबार निकला। सूत्रों का कहना है कि अखिलेश ने मुलायम के पैर छुए, उन्होंने भी आशीर्वाद दिया। शिवपाल वहीं बुलाये गए। तीनों की मौजूदगी में अखिलेश ने कहा कि मुख्यमंत्री पद की चाहत नहीं है। 2017 में यूपी जीतकर नेताजी को तोहफा देंगे, मगर स्वाभिमान व साजिश बर्दाश्त नहीं होगी। अखिलेश ने अमर सिंह को बाहर निकालने पर जोर दिया।  मंत्रियों का टिकट काटे जाने व प्रत्याशी चयन पर नाराजगी जताई। आजम ने दखल दिया, कहा कि नेताजी राष्ट्रीय अध्यक्ष से पहले आपके पिता हैं? तय हुआ कि घोषित सूचियों के स्थान पर नई सूची जारी होगी।... और मुलायम ने 20 घंटे पहले निकाले गए अखिलेश व राम गोपाल का निष्कासन का फैसला वापस ले लिया। यह जानकारी शिवपाल ने ट्वीट के जरिये दी। उन्होंने लिखा-'नेताजी के आदेशानुसार अखिलेश यादव और राम गोपाल यादव का पार्टी से निष्कासन तत्काल प्रभाव से समाप्त किया जाता है और अब सब मिलकर सांप्रदायिक ताकतों से लड़ेंगे और पुन: उत्तर प्रदेश में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाएंगे।Ó इसके बाद अखिलेश, मुलायम के आवास से निकल विधायकों के बीच पहुंचे और बोले,-'अभी नेताजी से मिलकर आ रहा हूं, कल अधिवेशन में बोलूंगा।Ó विधायकों की ओर से दबाव पडऩे पर अपने साढ़े चार मिनट के भाषण में अखिलेश ने कहा कि नेताजी (मुलायम सिंह) के विरुद्ध कुछ न बोला जाए। उनका जुमले का यह आशय तो निकाला जा सकता है कि राष्ट्रीय अधिवेशन में मुलायम के विरुद्ध कोई प्रस्ताव नहीं होगा। इससे पूर्व मुख्यमंत्री आवास पर मौजूद विधायकों, मंत्रियों ने अपनी-अपनी बात रखी। प्रो.राम गोपाल यादव ने अमर सिंह व शिवपाल पर खुलकर निशाना साधा और कहा कि वह उनकी कार्रवाई का कोई फर्क नहीं पड़ता। कार्यक्रम का संचालन मंत्री अरविंद सिंह गोप ने किया। दूसरी ओर मुलायम के घर से निकले शिवपाल यादव पार्टी कार्यालय पहुंचे जहां मौजूद तकरीबन डेढ़ दर्जन विधायकों, प्रत्याशियों मुलाकात की और चुनाव में लगने को कहा। मगर मुलायम खुद पार्टी कार्यालय नहीं आए जबकि उन्होंने खुद पार्टी की ओर से घोषित प्रत्याशियों व विधायकों को बुलाया था। एक सच्चाई यह भी था कि पांच कालिदास की तुलना में पार्टी कार्यालय पहुंचने वालों की संख्या नगण्य थी। ऐसे में मुलायम वहां जाकर अपनी स्थिति खराब नहीं करना चाहते थे। इस  पूरे घटनाक्रम के दौरान दोनों पक्षों की ओर से बुलाई गई मीटिंग सिर्फ सांकेतिक रहीं। मुख्यमंत्री के यहां तो कुछ लोगों ने अपनी-अपनी बात रखी भी लेकिन सपा कार्यालय में औपचारिक मीटिंग हुई ही नहीं।
---
सीएम आवास पर विधायकों का जमावड़ा
पांच कालिदास मार्ग पर विधायकों, प्रत्याशियों की बैठक में सपा के 204 विधायक, 37 एमएलसी व तकरीबन 70 प्रत्याशी पहुंचे थे। कांग्रेस के विधायक माविया अली, मुकेश श्रीवास्तव और कौशलेन्द्र भी शामिल हुए। इनमें दो प्रत्याशी भी हैं। प्रदेश में सपा विधायकों की संख्या-229 है। ॉ
---
यह अधिवेशन ही है
मुलायम-अखिलेश मीटिंग के बाद अचानक इस चर्चा ने जोर पकड़ा कि राष्ट्रीय अधिवेशन कार्यकर्ता सम्मेलन में तब्दील जाएगा। इसको साफ करने के लिए लाउडस्पीकर के जरिये बताया गया कि यह विशेष राष्ट्रीय अधिवेशन ही है। भ्रामक बाते कही जा रही हैं, उससे गुमराह न हों।
---
कौन क्या बोला
-मेरे आराध्य और राजनीति में मुकाम देने वाले नेताजी (मुलायम सिंह) हैं। मुख्यमंत्री अखिलेश जी ने विकास के ऐतिहासिक कार्य किये हैं। उनके सिवा दूसरा चेहरा नहीं है। उनके नेतृत्व में सरकार बनाने को ताकत झोंक दूंगा।
-मनोज पांडेय, मंत्री
---
-चंद्रशेखर के साथ राजनीति की, मुलायम ने कहा साथ आओ विधायक बनाऊंगा। आया तो विधायक, मंत्री बनाया मगर अब अखिलेश मेरे मुख्यमंत्री व नेता हैं। हर फैसले में अखिलेश के साथ रहूंगा।
-राम गोविंद चौधरी , मंत्री
---
मुलायम ने मुस्लिमों के लिए संघर्ष किया। उन्होंने अपमान भी सहा मगर डिगे नहीं। उम्मीद है आप भी (अखिलेश) इस लाइन पर मजबूती से बढ़ेंगे, हम साथ हैं, रहेंगे।
-इकबाल महमूद, मंत्री
---
अब तक नेताजी के साथ थे, अब आपके साथ हैं। आप जो भी फैसला लेंगे, उसमें मैं भी साथ हूं।
-कमाल अख्तर, मंत्री
---
शानदार मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के पीछे प्रदेश की जनता, पार्टी का कार्यकर्ता, विधायक एक जुटे हैं। हम उनके साथ ही खड़े रहेंगे: अरविंद सिंह गोप, मंत्री
---
सपा का अधिवेशन होगा, जिसमें प्रतिनिधि अपना फैसला लेंगे। अभी पूरा समझौता नहीं हुआ है।-उदयवीर, एमएलसी (सपा से बर्खास्त)
---
ये मंत्री नहीं पहुंचे
परिवहन मंत्री गायत्री प्रजापति, उच्च शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) शारदा प्रताप शुक्ला और मत्स्य मंत्री हाजी रियाज अहमद ।
---
विधायक नहीं पहुंचे
रामलाल अकेला, पारसनाथ, शादाब फातिमा, नारद राय, अंबिका चौधरी, गायत्री प्रजापति, सुरेन्द्र विक्रम, राज किशोर सिंह, ओम प्रकाश सिंह, शिवपाल यादव, हाजी रियाज अहमद, माता प्रसाद पांडेय।
---
मंत्री पारसनाथ की हूटिंग
ग्र्रामीण अभियंत्रण मंत्री पारसनाथ यादव के मुख्यमंत्री आवास पहुंचने पर कुछ लोगों ने उनकी हूटिंग की, जिससे वह चंद मिनट के अंदर ही वापस चले गए। ऐसे ही विधायक गजाला लारी को पहले आवास से लौटा दिया गया फिर फोन कर बुलाया गया।
---
 जय, जय, जय अखिलेश
सियासत की कठोर दुनिया में खुद को बॉस साबित करने वाले अखिलेश यादव के समर्थन में उनके ही सरकार आवास पर कई विधायकों ने जय..जय...जय अखिलेश के नारे लगाकर उनका समर्थन किया। कुछ लोगों ने अखिलेश के साथ मुलायम के भी नारे लगाये।
---
बेटा नाराज होता है तो बाप मनाता है: आजम
लखनऊ : समाजवादी परिवार में सुलह कराने की पहल करने वाले मंत्री मोहम्मद आजम खां ने कहा कि जब बेटा नाराज होता है तो बाप ही उसे मनाता है। अच्छे माहौल में बात हुई है। निष्कासन से लोग नाराज थे। कार्रवाई वापस हो गई। अब सब ठीक है। इस प्रकरण को लेकर सबसे अधिक चिंता मुसलमानों में है। क्योंकि वह जानता है कि अगर सपा कमजोर हुई तो फिर भाजपा को फायदा होगा। आजम ने यह भी कहा कि अब रविवार को होने जा रहे अधिवेशन की वह शक्ल नहीं होगी, जो होने वाली थी। इशारा यह था कि कम से कम इसमें मुलायम के विरुद्ध कुछ नहीं होने जा रहा है। आजम ने कहा कि मुख्यमंत्री का शुक्रिया कि वह राष्ट्रीय अध्यक्ष से मिले, कहीं कोई शिकवा नहीं था। उस समय लगा कि एक बाप, बेटे से मिल रहा है। कहा, समस्याएं सुलझ जाएंगी।
---
लालू ने किया फोन
राब्यू, लखनऊ : मुलायम सिंह यादव के रिश्तेदार व राजद मुखिया लालू प्रसाद यादव ने भी शनिवार को पहले मुख्यमंत्री अखिलेश यादव फिर मुलायम को फोन कर बात की और विवाद खत्म करने का आग्रह किया। बाद में लालू ने ट्वीट किया कि-आलतू-फालतू लोगों को किनारे कर विवाद खत्म किया जाना चाहिए। मैंने मुलायम, अखिलेश से अनुरोध किया है।
--------
 संगठन भी आएगा अखिलेश के हाथ
--------
- जनेश्वर मिश्र पार्क में राष्ट्रीय अधिवेशन आज
- सपा के संविधान में संशोधन समेत कई फैसले होंगे
- अमर सिंह का निष्कासन संभव, शिवपाल भी हटाए जा सकते हैं प्रदेश अध्यक्ष पद से
--------
लखनऊ : अखिलेश यादव पर कार्रवाई का फैसला वापस लेकर मुलायम सिंह ने भले कदम पीछे खींचे हैं, मगर समाजवादी परिवार का तूफान थमा नहीं है। रविवार को होने वाले राष्ट्रीय अधिवेशन में अमर सिंह, शिवपाल की बर्खास्तगी व अखिलेश को कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर संगठन की कमान भी उन्हें सौंपने का प्रस्ताव पास हो सकता है। बताया जा रहा है कि राष्ट्रीय अधिवेशन में मुलायम सिंह यादव और शिवपाल यादव के आने की संभावना बिलकुल नहीं है।
शनिवार को मंत्री आजम खां ने मुख्यमंत्री अखिलेश को मुलायम के घर ले जाकर सुलह का प्रयास किया। यहां अखिलेश ने कहा भी कि ' उन्हे मुख्यमंत्री पद की चाहत नहीं। वह वर्ष 2017 में यूपी जीतकर नेताजी को तोहफा देंगे। मगर नेताजी (मुलायम) के विरुद्ध कोई साजिश करेगा तो बर्दाश्त नहीं होगा।Ó अखिलेश के इस रुख के बाद शांति का प्रयास परवान चढऩे का संदेश निकला। मगर पांच कालिदास मार्ग पहुंचकर प्रो.रामगोपाल व अन्य लोगों से चर्चा के बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने चुप्पी साध ली। विधायकों से कहा कि 'जो बोलना है, वह कल अधिवेशन में बोलूंगा। आज से कल तक कई घटनाक्रम होंगे।Ó जिसने साफ किया कि तूफान सिर्फ धीमा हुआ है। बाद में प्रो.राम गोपाल ने कहा कि राष्ट्रीय अधिवेशन होकर रहेगा। तैयारी पूरी है। जनेश्वर मिश्र पार्क में कार्यकर्ता मीटिंग नहीं 'आपातकालीन अधिवेशनÓ है। इसके बाद नई चर्चाएं शुरू हुई कि आजम केसुलह प्रयासों का यह असर तो रहा कि अखिलेश, राम गोपाल यादव का निष्कासन वापस हो गया, मगर अन्य समझौते के अन्य बिन्दुओं पर अमल नहीं हुआ। सूत्रों का कहना है कि समझौते के चलते अधिवेशन की आक्रामकता थोड़ी कम होगी, मगर कई अहम फैसले होंगे, जिसमें पार्टी के संविधान में संशोधन का फैसला भी होगा।
---
कई दिनों से चल रही है तैयारी
आपातकालीन राष्ट्रीय अधिवेशन बुलाने का फैसला अचानक नहीं है, यह सोंच समझकर लिया गया निर्णय है। अधिवेशन की पहल से पहले उसके कानूनी पहलुओं को भी परखा गया है। प्रत्येक जिले के न्यूनतम 25 प्रतिनिधियों व 100 से अधिक सामान्य कार्यकर्ताओं से अधिवेशन बुलाने के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर कराये गये हैं। इसको चुनौती न मिले इसके लिए कुछ स्थानों पर वीडियोग्र्राफी भी करायी गई है। दरअसल, राष्ट्रीय अध्यक्ष की अनुमति के बगैर आपातकालीन अधिवेशन बुलाने के लिए 40 फीसद सदस्यों की अनुमति जरूरी होती है। लिहाजा इस कार्य को दुरुस्त कर लिया गया है। सूत्रों का कहना है कि इसके लिए युवा ब्रिगेड को प्रस्तावों के साथ जिलों में भेजा गया था, जो वापस लौट आएं हैं। इन्ही प्रस्तावों के आधार पर रविवार को कई फैसले लिये जाएंगे।
-----
समझौते के समय चर्चा के बिंदु
-अखिलेश, रामगोपाल का निष्कासन रद किया जाए, जिस पर फौरन अमल हुआ।
-प्रत्याशियों की घोषित सूची रद कर मुलायम-अखिलेश  सहमति से नई सूची तैयार करेंगे, इस बिन्दु पर मंथन जारी।
-अमर सिंह से इस्तीफा लिया जाए या फिर उन्हे निकाला जाए, अभी अमल नहीं हुआ।
-बर्खास्त एमएलसी व पदाधिकारियों का निष्कासन रद हो, अभी अमल नहीं हुआ।  
---
अब संभावनाएं
-महासचिव व राज्यसभा सदस्य अमर सिंह को बर्खास्त किया जा सकता है।
-अखिलेश को कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त कर मिशन-2017 का चेहरा घोषित किया जा सकता है।
-कार्यकारी अध्यक्ष की नियुक्ति का प्रस्ताव हुआ तो राष्ट्रीय कार्यकारिणी भंग होगी।
-शिवपाल को प्रदेश अध्यक्ष पद से बर्खास्त कर जिला इकाइयां भंग करने का प्रस्ताव पास हो सकता है।
-बदायूं के सांसद धर्मेन्द्र यादव को नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त करने पर विचार संभव।
-संविधान में संशोधन कर कार्यकारी अध्यक्ष को अधिकार संपन्न बनाने का प्रस्ताव संभव।
-बर्खास्त चल रहे एमएलसी व युवा ब्रिगेड की बर्खास्तगी रद करने का फैसला संभव।
-समाजवादी परिवार को तोडऩे की साजिशों का मुख्यमंत्री कर सकते हैं रहस्योद्घाटन।
---------
 अखिलेश की मजबूती से कांग्रेस को सुकून
- गठबंधन की उम्मीद बढ़ी, आज के अधिवेशन पर निगाहें
-------
लखनऊ : समाजवादी कलह में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की मजबूती से कांग्रेस को सुकून है। गठबंधन की उम्मीद परवान चढऩे की इंतजार देख रहे कांग्रेसियों की निगाह रविवार को प्रस्तावित सपा के राष्ट्रीय प्रतिनिधि सम्मेलन पर लगी है।
शनिवार को कांग्रेस मुख्यालय में सपा से संभावित गठजोड़ की चर्चा का ही जोर रहा। हालांकि पार्टी के वरिष्ठ नेता सीधे तौर पर टिप्पणी करने से बचते रहे परंतु केंद्रीय नेताओं से मिल करे संकेतों से गठबंधन होना लगभग तय माना जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस की ओर 127 सीटों पर दावेदार जतायी जा रही है परंतु सौ के आसपास दोनों के बीच सहमति बनने की उम्मीद है। अखिलेश द्वारा जारी उम्मीदवारों की पहली सूची में भी कांग्रेस से गठबंधन की गुंजाइश रखी गयी है।
मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बने रहने के लिए अखिलेश यादव बिहार की तरह महागठबंधन चाहते है ताकि भाजपा व बसपा के साथ त्रिकोणात्मक मुकाबले में सपा का पलड़ा भारी रह सकें। इस के लिए उत्तर प्रदेश में भले ही बिहार जैसे हालात नहीं बन पाए परंतु कांग्रेस और रालोद का साथ मिलने से स्थिति काफी हद तक मजबूत होगी।
------
अधिवेशन में गठबंधन चर्चा संभव : गत पांच नवंबर को समाजवादी पार्टी के रजत जयंती समारोह में भी लोहिया और चरण सिंह वादियों को एकमंच पर लाने की सहमति बनी थी। रविवार को आहूत राष्ट्रीय प्रतिनिधि सम्मेलन में भी गठबंधन की संभावनाओं पर चर्चा होने की उम्मीद जतायी जा रही है। कांग्रेस से गठबंधन होने पर 300 सीट जीतने का दावा कर रहे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अपनी मंशा पर मुहर भी लगवा सकते है।
------
रालोद बनेगा स्वाभाविक सहयोगी : पश्चिमी उप्र में खुद को अपेक्षाकृत कमजोर मान रही समाजवादी पार्टी के लिए राष्ट्रीय लोकदल का साथ मिल जाना मुफीद मानने वाले नेताओं का कहना है कि कांग्रेस और रालोद को साथ में लेकर ही वहां बसपा व भाजपा के सीधे दिख रहे मुकाबले में तीसरा कोण बनाया जा सकता है। भाजपा के खिलाफ लगातार तीखे तेवर अख्तियार किए रालोद नेतृत्व के लिए भी वजूद बचाने के लिए सपा का साथ मिलना जरूरी माना जा रहा है।
-------
आजमाइश से पहले खत्म हुआ जोर
-------
- अखिलेश खेमे में विधायकों की भारी जुटान ने पहले ही तय की जीत
- फीका रहा सपा प्रदेश कार्यालय का माहौल
-------
लखनऊ : दो फाड़ हुई समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव की ओर से शनिवार को पार्टी के प्रदेश कार्यालय में बुलायी गई महत्वपूर्ण बैठक से पहले ही साफ हो गया था कि ऊंट किस करवट बैठेगा। अखिलेश खेमे से आजमाइश के लिए बुलायी गई इस बैठक में सपा न जोर दिखा पायी और न लगा पायी। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के सरकारी आवास पर सपा विधायकों की भारी जुटान ने साबित कर दिया कि तुरुप का इक्का किसके हाथ में है। लिहाजा अपनी ओर से बुलायी गई बैठक में शिरकत करना खुद मुलायम ने मुनासिब न समझा।
सपा आलाकमान और उसके इशारे पर पार्टी से निकाले गए अखिलेश यादव के धड़ों के बीच जोर आजमाइश को लेकर शनिवार को बुलायी गईं अलग-अलग बैठकों में कालिदास मार्ग (मुख्यमंत्री का सरकारी आवास) का पलड़ा विक्रमादित्य मार्ग (समाजवादी पार्टी का दफ्तर) पर भारी रहा। इसमें कुछ भूमिका विक्रमादित्य मार्ग के दोनों छोर और बीच में कई स्थानों पर लगीं बैरिकेडिंग ने भी निभायी। सपा प्रदेश कार्यालय में शिवपाल के करीबी और अखिलेश मंत्रिमंडल से बर्खास्त किये गए मंत्रियों समेत चंद विधायक, सांसद व पार्टी प्रत्याशी ही पहुंचे। इनमें सपा प्रदेश महासचिव ओम प्रकाश सिंह, नारद राय, शादाब फातिमा, राजकिशोर सिंह के अलावा राज्यसभा सदस्य बेनी प्रसाद वर्मा और कानपुर कैंट से सपा प्रत्याशी घोषित किये गए अतीक अहमद प्रमुख थे। दोपहर 12.20 बजे विक्रमादित्य मार्ग पर हलचल तेज हुई, सुरक्षाकर्मियों ने बैरिकेडिंग हटाई और बाप-बेटे में सुलह के सूत्रधार बने मो.आजम खां को साथ लेकर मुख्यमंत्री का काफिला धड़धड़ाता हुआ मुलायम के बंगले में दाखिल हुआ। आधे घंटे बाद विक्रमादित्य मार्ग का सन्नाटा तब फिर टूटा जब बेटे आदित्य को लेकर शिवपाल भी मुलायम से मिलने उनके आवास पहुंचे। तेजी से बदलते घटनाक्रम का फोकस मुलायम के आवास पर केंद्रित हो जाने के बाद उनके बंगले के बाहर सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई।
मुलायम के बंगले पर घंटे भर से ज्यादा चली बैठक के बाद दोपहर डेढ़ बजे अखिलेश मुलायम के बंगले से निकल कर वापस अपने सरकारी आवास चले गए। उनके बाद शिवपाल भी निकले लेकिन गाड़ी के शीशे के पीछे भी उनके चेहरे पर तनाव की लकीरें साफ देखी जा सकती थीं। दोपहर 1.50 बजे शिवपाल फिर सपा प्रदेश कार्यालय पहुंचे। हालांकि दोपहर दो बजे तक अखिलेश और रामगोपाल का निष्कासन रद होने की खबर फिजां में तारी हो चुकी थी। सपा प्रदेश कार्यालय के बाहर अब तक असमंजस में दिख रहे सपा कार्यकर्ताओं के चेहरे खिल उठे और वे कार्यालय के गेट के सामने तख्तियां और पोस्टर लेकर थिरकने लगे। इसी दौरान सपा कार्यालय से अतीक अहमद बाहर आए लेकिन मीडिया के चुटीले सवालों से बचकर निकल गए। इसके बाद गाड़ी के भीतर मूर्तिमान बने बैठे बेनी प्रसाद वर्मा भी रुखसत होते दिखे।
दोपहर 2.20 बजे सपा कार्यालय के बंद गेट खोले दिये गए और एलान हुआ कि शिवपाल पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करेंगे। कई बार के एलान के बाद भी मुट्ठी भर कार्यकर्ता ही जुटे क्योंकि सस्पेंस खत्म हो चुका था। बेटे आदित्य, सपा के प्रदेश महासचिव ओम प्रकाश सिंह और राज्यसभा सदस्य सुखराम सिंह यादव के साथ पार्टी दफ्तर के लॉन में मौजूद  शिवपाल चिंतामग्न दिखे लेकिन मौके की नजाकत को भांपते हुए माइक संभालते ही उन्होंने जोशीला अंदाज ओढ़कर संबोधन शुरू किया। कार्यकर्ताओं को पूरे मामले में पार्टी के यूटर्न की जानकारी देने में बेहद असहज महसूस कर रहे शिवपाल को यह औपचारिकता निभाने के लिए समाजवादी नेता राजनारायण के नाम का सहारा लेना पड़ा। राजनारायण की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि देने और उनके सियासी कारनामों का जिक्र करने के बाद ही वह असल मुद्दे पर आये। अखिलेश और रामगोपाल का निष्कासन रद किये जाने की सूचना दी। लेकिन अपने संबोधन में उन्होंने जब यह कहा कि जिन प्रत्याशी को नेताजी ने साइकिल का निशान दिया है, आप लगकर उसे जिताएंगे, तो पार्टी दफ्तर से रुखसत होते कार्यकर्ता इसके निहितार्थ तलाश रहे थे।
--------
 हावी रहा मुस्लिम वोट बैंक फिसलने का डर
- मुख्यमंत्री के सामने विधायकों की बैठक में उठा मुद्दा
- आजम खां ने सपा प्रमुख मुलायम सिंह को भी चेताया
-------
लखनऊ : समाजवादी कलह में मुस्लिम वोट बैंक फिसलने की आशंका पार्टी नेताओं को सताने लगी है। शनिवार को विधायकों व पदाधिकारियों की बैठक में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के सामने यह चिंता हावी रही।
खासकर मंत्रियों और विधायकों का कहना था कि पार्टी की आंतरिक उठापटक का मुस्लिमों में संदेश ठीक नहीं जा रहा है। पार्टी नेतृत्व तक यह चिंता पहुंचाने का काम आजम खां ने भी किया। सुलह की कमान संभालते हुए आजम ने सुबह से ही कोशिशें तेज कर दी थी। अपने आवास पर मुस्लिम नेताओं की बैठक में समस्या पर विचार किया। उन्होंने सपा प्रमुख मुलायम सिंह और शिवपाल यादव से बैठक कर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से भी मुलाकात की। जिसका नतीजा रहा कि अखिलेश और रामगोपाल यादव का निष्कासन 24 घंटे के भीतर ही वापस हो गया। मगर जिस तरह अभी भी चालें चली रही हैं, उससे मुस्लिम मतदाताओं में घबराहट भी है।
मुख्यमंत्री आवास पर जुटे लोगों ने आपसी बातचीत में कहा भी मुसलमान अब भी मुलायम सिंह यादव को ही अपना नेता मानता है, दल में दूसरा कोई इतना प्रभावशाली नहीं है। ऐसे में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को इस दिशा में पहल करनी होगी। सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री के पहुंचने से पहले आपसी चर्चा में एक मंत्री ने कहा भी अगर मुसलमान खिसका तो सौ का आंकड़ा पार करने में खासी दुश्वारी होगी।
 दलित मुस्लिम समीकरण में मजबूती का खतरा : सपा के आंतरिक विवादों पर मुख्य प्रतिद्वंद्वी पार्टी बसपा की नजर भी लगी है। दलित-मुस्लिम समीकरण पर भी चर्चा हुई। पश्चिमी उप्र के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि मुस्लिमों की आशंका है समाजवादियों में एकता जनता को नजर नहीं आएगी तो हालात गत लोकसभा चुनाव से ज्यादा खराब हो सकते है। एक कैबिनेट मंत्री ने सपा प्रमुख मुलायम सिंह द्वारा मुसलमानों के लिए संघर्ष की याद दिलाते हुए कहा कि इसके लिए उन्होंने अपमान भी सहे, मगर डिगे नहीं।
सूत्रों का कहना है कि मुलायम सिंह के साथ आजम खां की दो बैठकों में भी सपा की कलह से मुसलमानों में बढ़ती चिंता से अवगत कराया गया। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को पार्टी से निष्कासित करने के खतरे भी गिनाए। मुस्लिमों के खिसकने से सत्ता में नहीं बने रह पाने की आशंका जताते हुए विवाद पर विराम लगाने का आग्रह किया।
-------
 ...तो तय थी विवाद की स्क्रिप्ट!
-----
-स्टीव जार्डिंग के कथित ईमेल से उठे सवाल
-----
लखनऊ : समाजवादी पार्टी की पारिवारिक कलह क्या वाकई किसी स्ट्रेटजी का हिस्सा थी? एक पत्रकार के ट्वीट में इस मेल का जिक्र है जो कि अखिलेश यादव के अमेरिकी सलाहकार स्टीव जार्डिंग की ओर से है। हालांकि यह स्पष्ट होना बाकी है कि ईमेल कितना सही और कितना गलत है?
पिछले दिनों ऐसी खबर प्रकाश में आई थी कि यूपी के चुनाव में अखिलेश की छवि चमकाने के लिए सपा एक अमेरिकी पीआर एजेंसी की मदद ले रही है। इसके बाद हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर स्टीव जार्डिंग का नाम बतौर सलाहकार सामने आया था। इन्हीं जार्डिंग के एक ई-मेल में सपा को सलाह दी गई थी कि पार्टी में अंदरूनी लड़ाई दिखावे के लिए जरूरी है। इससे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की इमेज बेहतर उभर कर आएगी। उनका व्यक्तित्व और मजबूत नजर आएगा। स्टीव जार्डिंग की ओर से आगे लिखा गया है कि मेरी सीनियर यादव को एक गुप्त योजना केतहत सलाह है कि परिवार को पूरे परिदृश्य से हटाने के लिए, चाचा को कसूरवार ठहराकर जूनियर यादव की क्लीन इमेज बनाई जाए और उन्हें भविष्य का पार्टी का मुखिया प्रोजेक्ट किया जाए।
गौरतलब है कि स्टीव जार्डिंग हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में 1980 से पब्लिक पॉलिसी पढ़ा रहे हैं। उन्होंने अमेरिका में राष्ट्रपति पद की डेमोक्रेटिक उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन का भी चुनाव प्रचार देखा था। इसके अलावा भी कई देशों के प्रभावशाली नेता उनके क्लाइंट रहे हैं। वायरल हो रहे इस तरह की ईमेल की सत्यता की पुष्टि होना भले ही बाकी है, लेकिन लोग यह मानकर चल रहे हैं कि सपा का विवाद किसी गुप्त योजना का ही हिस्सा था। लोग नोटबंदी शुरू होने के बाद सपा का विवाद खत्म होने और दिसंबर खत्म होने के समय फिर शुरू होने को भी इससे जोड़ रहे हैं।
---------------
 जिसका जलवा कायम है, उसका बाप मुलायम है...
-----
-मुलायम के घर से पहुंची अखिलेश समर्थकों को राहत
-----
लखनऊ : 'फाइव केडीÓ यानी पांच कालिदास मार्ग। शनिवार दोपहर एक बजे यहां जमा बड़ी भीड़ के बीच कहीं ऊंट मौजूद नहीं था, फिर भी सब जानने को उतावले थे कि वह किस करवट बैठेगा। हर पल सबकी व्याकुलता इसलिए भी बढ़ती जा रही थी कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को पिता मुलायम सिंह के घर गए देर हो चुकी थी। हाईवोल्टेज ड्रामा चरम क्लाईमेक्स पर पहुंच रहा था। ...अब क्या होगा का सवाल जितना उन समर्थक विधायकों को परेशान कर रहा था, जिन्हें अखिलेश अपने आवास में बिठा कर गए थे तो बाहर सड़क पर मौजूद युवा, बुजुर्ग और महिला समर्थकों में भी कम बेचैनी नहीं थी।
इसी बीच किसी नतीजे के इंतजार में तेज कदमों से गोल्फ क्लब चौराहे की ओर बढ़े जा रहे दो जोशीले युवाओं में से एक ने दूसरे को समझाते हुए तेज आवाज में सवाल उछाला- 'बुजुर्गों के साथ कोई भविष्य हो सकता है क्या..?Ó दूसरे ने मौन सहमति देते हुए इन्कार में सिर हिला दिया। तख्तियां लेकर नारे लगाते युवाओं के साथ फोटो क्लिक करा चुकीं एक युवा महिला नेता लपक कर डिजाइनर खादी में मौजूद अपने साथी के पास पहुंचीं और पूछ लिया- 'फेसबुक पर अपलोड कर दी कि नहीं मेरी फोटो...?Ó युवक ने हां कहा तो वह वापस कार में जाकर बैठ गईं। यहीं खाकी वर्दी में मौजूद लंबे-चौड़े सरदार जी एक कार से टेक लगाए किसी को फोन से बता रहे थे- '...अमर सिंह पर एक्शन हो सकता है।Ó
मुख्यमंत्री आवास के गेट से कुछ दूर घेरा बना खड़े पत्रकारों में से एक ने मैसेज टोन सुन फोन निकाला, कुछ पढ़ा और बोले- 'लो... हो गया।Ó सबने आंखें बड़ी कर उन्हीं पर टिका दीं कि क्या हो गया। चुटकी लेते हुए  बोले- 'आजम ने अखिलेश से मुलायम के पैर छुआए... गले लगवाया..., फिर अखिलेश ने कहा- काए नाराज हो... हमीं तो तुमें पीएम बनैैैंहे...।Ó
अखिलेश और शिवपाल के घर के बीच एक एसयूवी के अंदर-बाहर मौजूद युवाओं में से एक ने बदलते माहौल में चिंता जताई- 'रात में पार्टी हो पाएगी कि नहीं नए साल की..?Ó दूसरे ने टोका- 'पहिले इहे पार्टी का हाल तौ देखि लो।Ó मुस्लिम युवाओं का एक गुुट अंग्रेजी में नारे लगा रहा था- 'नो कन्फ्यूजन-नो मिस्टेक, सिर्फ अखिलेश-सिर्फ अखिलेशÓ। अब तक घड़ी सवा एक बजा चुकी थी। मुलायम के घर से अखिलेश के घर तक 'सब कुछ फिर से ठीक हो जानेÓ का संदेश पहुंचने लगा था। 'हम सब समाजवादी हैैं...एक हैैंÓ की भावना की आपूर्ति भी शुरू हो गई थी कि इसी बीच ठीक डेढ़ बजे मुख्यमंत्री का काफिला वापस फाइव केडी आ गया। अब तक 'अखिलेश तुम संघर्ष करो...Ó के नारे लगा रहे युवा अचानक बधाई के नारे लगाने लगे। कुछ ने नारों में थोड़ा बदलाव किया- 'जिसका जलवा विशेष है, उसका नाम अखिलेश हैÓ। लेकिन, लोगों को असल मजा तब आया, जब पूरे माहौल को बयां करने वाला एक नया नारा गढ़ लिया गया कि 'जिसका जलवा कायम है, उसका बाप मुलायम है..!Ó
--------------------
फूंके गए शिवपाल-अमर के पुतले
-अखिलेश के निष्कासन से नाराज समर्थकों का हंगामा, नोरबाजी
-आपा खोया: शिवपाल और अमर के सिर पर एक करोड़ का इनाम
-मुलायम के लिए बुद्धि-शुद्धि यज्ञ, शिवपाल के घर के बाहर पथराव
 लखनऊ: दोपहर बाद निष्कासन रद होने पर भले ही ज्यादातर सपाइयों के चेहरों पर रौनक लौट आई हो लेकिन इससे पहले अखिलेश समर्थकों ने जमकर भड़ास निकाली। सूबे में राजनीतिक माहौल दिनभर गरम रहा। कहीं पुतले फूंके जाते रहे तो कहीं आत्मदाह का प्रयास हुआ। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और प्रो. रामगोपाल को पार्टी से निकालने से भन्नाए मथुरा के गोवर्धन विधान सभा सपा अध्यक्ष मुकेश सिकरवार ने तो शिवपाल और अमर ङ्क्षसह की गर्दन काटने वाले को एक करोड़ रुपये का इनाम देने का एलान तक कर दिया।  की भी होड़ लगी रही। हंगामा, पुतला दहन और आग में घी डालने वाले बयानों का सिलसिला अखिलेश का निष्कासन रद होने के बाद ही थमा और मिठाई बंाटी गई।
सीएम को पार्टी से निकाले जाने से नाराज समर्थकों ने राजधानी व आसपास के कई जिलों में प्रदर्शन किया। अमर सिंह के निष्कासन की मांग के साथ शिवपाल का पुतला भी फूंका। लखनऊ में कालिदास मार्ग पर अखिलेश समर्थकों के निशाने पर मुलायम, शिवपाल और अमर सिंह थे। अमर दल्ला के पोस्टर लहराते रहे। कार्यकर्ताओं ने मुलायम सिंह के लिए बुद्धि-शुद्धि यज्ञ किया। शिवपाल यादव के घर के बाहर पथराव में उन्नाव के हसनगंज के सीओ चोटिल हुए।
बाराबंकी व अंबेडकरनगर में  प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव के और रायबरेली व बलरामपुर में राष्ट्रीय महासचिव अमर ङ्क्षसह पुतले फूंके।
लखीमपुर में युवजन सभा के पूर्व जिलाध्यक्ष मुन्ना यादव की अगुवाई में बारह समर्थक अर्धनग्न होकर कचहरी के पास पानी की टंकी पर चढ़ गए। इससे पहले जलूस भी निकाला।
पूर्वांचल में सुबह माहौल काफी गर्म था। शिवपाल व अमर सिंह के विरोध में पुतले दहन हुए तो कई जिलों में इस्तीफे का भी दौर चला। ज्यादातर अखिलेश के साथ खड़े दिखे। मऊ व गाजीपुर में छात्रों ने चचा और अंकल के पुतले फूंके। आजमगढ़ में भी  दोनों के पुतले जलाये गए। मध्य यूपी व बुंदेलखंड में भी इन्हीं के पुतले जलाए गए। बांदा में कार्यकर्ताओं ने पानी की टंकी पर चढ़ मुलायम के खिलाफ नारेबाजी की।
 हमीरपुर के सुमेरपुर कस्बे में भी शिवपाल व अमर ङ्क्षसह के खिलाफ नारेबाजी की गई तो औरैया बेला क्षेत्र के गांव भूलाहार में जाम लगाया गया। कन्नौज के ठठिया में मुलायम व शिवपाल का पुतला फूंका। उन्नाव, फतेहपुर, बांदा, हमीरपुर, उरई, महोबा, चित्रकूट, फर्रुखाबाद, इटावा तथा हरदोई में भी अधिकांश सपाई अखिलेश के समर्थन में दिखे।
गोरखपुर में शास्त्री चौक और अंबेडकर चौक पर शिवपाल सिंह यादव का पुतला जलाकर नारेबाजी की। बस्ती में शिवपाल-अमर के पुतले आग के हवाले किए गए। महराजगंज में छात्रसभा ने अमर सिंह का पुतला जलाया। सिद्धार्थनगर, कुशीनगर और संतकबीर नगर जिला मुख्यालय पर शिवपाल के खिलाफ जबरदस्त प्रदर्शन हुआ और देवरिया में शिवपाल अमर सिंह के पुतले जलये।
मैनपुरी, कासगंज में भी शिवपाल व अमर के पुतले फूंके तो एटा में अखिलेश और रामगोपाल के समर्थक सड़कों पर उतर आए। जीटी रोड पर एक सपा नेता ने केरोसिन उड़ेल कर आत्मदाह की कोशिश की।
-----------------
 घड़ी की सूइयों पर सियासी चक्र
09.00 बजे- मंत्री आजम खां सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के घर पहुंचे और 15 मिनट बाद वापस अपने घर लौटे।
09.30 बजे- मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के सरकारी आवास पर विधायकों के पहुंचने का सिलसिला शुरू।
10.00 बजे- अखिलेश यादव निजी आवास से सरकारी आवास पर पहुंचे।
10.15 बजे- प्रो. राम गोपाल यादव मुख्यमंत्री के सरकारी आवास पहुंचे।
11.15 बजे- शिवपाल सिंह यादव अपने बेटे आदित्य के साथ पार्टी आफिस पहुंचे।
11.20 बजे- आजम खां दोबारा मुलायम सिंह के आवास पर पहुंचे।
11.30 बजे- राज्यसभा सदस्य बेनी वर्मा समाजवादी पार्टी आफिस पहुंचे।
11.40 बजे- अतीक अहमद मुलायम से मिलने उनके घर पहुंचे, चंद मिनट में ही निकल गए।
11.55 बजे- मुलायम से मिलकर आजम खां सीधे अखिलेश से मिलने उनके सरकारी आवास पहुंचे।
12.15 बजे- आजम खां, अखिलेश यादव को लेकर मुलायम के घर पहुंचे।
12.15 बजे:  अखिलेश यादव ने मुलायम के पांव छुये, दोनों की आंखे डबडबाई।
12.45 बजे- शिवपाल सिंह मुलायम सिंह के घर बुलाए गए।
01.05 बजे- अखिलेश यादव और रामगोपाल का निष्कासन वापस लेने का फैसला।
01.25 बजे- अखिलेश यादव मुलायम सिंह के घर से निकले।
02.20 बजे- शिवपाल सिंह ने कार्यकर्ताओं को संबोधित किया।
03.00 बजे- आजम खां के घर शिवपाल समेत कई विधायक पहुंचे।
04 बजे- राम गोपाल ने युवा ब्रिगेड के साथ राष्ट्रीय अधिवेशन की तैयारियों की समीक्षा की।
06 बजे- आजम खां और शिवपाल सिंह फिर मुलायम के घर पहुंचे।
-------
 'इतनी जल्दी तो मेरी मम्मी भी नहीं बुलातींÓ
- सोशल साइट्स पर उड़ा सपाई दंगल का मजाक
- ट्विटर, फेसबुक पर आम राय-'यह पॉलिटिकल ड्रामा थाÓ
--------
लखनऊ: ऐन चुनाव के पहले समाजवादी पार्टी के दंगल का सच चाहे कुछ भी हो, सोशल साइट्स को अखिलेश और राम गोपाल का निलंबन रद होने के बाद नया मसाला मिल गया। ट्विटर, फेसबुक और अन्य नेटवर्किंग पर इसका जमकर मजाक उड़ा। लोगों का मानना है कि यह पार्टी का पॉलिटिकल ड्रामा था। एक ने टिप्पणी भी की-'यह पब्लिक है, सब जानती है।Ó
कहानी के मुख्य पात्र अखिलेश, शिवपाल और मुलायम जरूर थे लेकिन आजम और अमर भी पीछे न रहे। आजम-अमर ट्विटर पर टॉप ट्रेंड में भी नजर आए। क्रिकेटर रवींद्र जडेजा के नाम से ट्वीट किया गया-'ऐसा प्रतीत होता है वे आजम की भैंसों से सलाह लेते हैं। फेसबुक पर कमाल उसरी ने व्यंग किया-फिर क्या कृष्णा पटेल और बेटी अनुप्रिया पटेल के विवाद पर भी घराने का कानून लागू होता है।Ó उन्होंने बात आगे बढ़ाई-'यह न रामायण है, न ही महाभारत। दरअसल यह अच्छी स्क्रिप्ट के साथ पुन: सत्ता कायम रखने के लिए शानदार अभिनय हो रहा है ट्विटर पर तो प्रतिक्रियाओं की झड़ी लग गई। महिमा भारती का ट्वीट था-'इतनी जल्दी तो मेरी मम्मी भी मुझे घर नहीं बुलातीं।Ó इस कड़ी को आगे बढ़ाया मनीष सिंह ने-'इतनी जल्दी तो साइकिल भी रिपेयर नहीं होती, जितनी जल्दी निष्कासन वापस ले लिया।Ó नवीन खेतान ने लिखा-'मीडिया के लोग यह फुटनोट पढऩा भूल गए कि यह सस्पेंशन लेटर सिर्फ 24 घंटे के लिए वैलिड है।Ó इससे पहले उन्होंने ट्वीट किया था- 'शायद आप जानते हों कि अखिलेश ने अपनी इमेज बिल्डिंग के लिए यूएस की पीआर एजेंसी को इंगेज किया था। नाटक अपनी पटकथा के अनुसार ही खेला गया।Ó
---------
ट्विटर पर सपा का दंगल
 -अखिलेश यादव इस उम्र में अगर ड्रामा सीखना है तो मुलायम सिंह से सीखें-तवरेज आलम
-मुलायम सिंह यादव, उनके बेटे अखिलेश और भाई शोले के बीरू से ज्यादा नौटंकीबाज हैं-बाबू भैया
-अगर ड्रामा करने से वोट मिलते तो अरविंद केजरीवाल अमेरिका के राष्ट्रपति होते। यह बात अखिलेश यादव को समझ लेनी चाहिए-श्याम 808
-अखिलेश यादव समाजवादी पार्टी में लौट आए हैं। ये सब कम उम्र के जोड़ों की होने वाली लड़ाई और सुलह से भी तेज हुआ है-पकचिकपक राजा बाबू

-------
 शिवपाल वाली सूची के उम्मीदवारों की सांसें अटकीं
----
-अब नए सिरे से जारी होगी प्रत्याशियों की सूची
----
लखनऊ : समाजवादी पार्टी में तेजी से बदलते आंतरिक हालात से उम्मीदवारों की सांसें भी अटकी हुई हैं। शनिवार को सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव द्वारा रामगोपाल यादव और अखिलेश यादव का निष्कासन वापस लिए जाने के साथ ही उम्मीदवारों की लिस्ट नए सिरे से तैयार करने का फैसला हुआ है। सबकी निगाहें रविवार को आहूत पार्टी के राष्ट्रीय प्रतिनिधि सम्मेलन पर लगी हैं। घोषित प्रत्याशी शनिवार को अपने समर्थकों के साथ राजधानी में डटे रहे।
सबसे अधिक दुविधा उन उम्मीदवारों की है जिनको प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव द्वारा घोषित किया गया, लेकिन जिन्हें अखिलेश की पहली सूची मेें जगह नहीं मिल सकी थी। 29 दिसंबर को सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह ने 325 प्रत्याशियों की पहली लिस्ट जारी की थी जिसके जवाब में करीब चार घंटे बाद मुख्यमंत्री की ओर से एक सूची जारी की गयी, जिसमें 235 उम्मीवारों के नाम शामिल थे। उम्मीदवारों के नाम की सूचियां जारी करने का सिलसिला यहीं पर नहीं थमा। प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव की ओर से जारी दूसरी लिस्ट में 68 नए नामों को शामिल किया था। शिवपाल द्वारा 393 उम्मीदवारों की घोषणा कर दी गयी तो वहीं अखिलेश की दूसरी संक्षिप्त सूची में दो नाम और शामिल किए गए और उनके उम्मीदवारों की संख्या 237 हो गयी।
---
साझा उम्मीदवारों को सुकून
उम्मीदवारों की नई सूची बनाए जाने के फैसले से उन 195 नेताओं को सुकून है जिनके नाम दोनों सूचियों में दर्ज है। ऐसे नेताओं का मानना है कि भविष्य में आने वाली सूची में उनका नाम तो होगा ही। चूंकि अब माना जा रहा है कि प्रत्याशियों के चयन में अखिलेश की ही ज्यादा चलेगी इसलिए अखिलेश की सूची में शामिल कुल 237 प्रत्याशियों में से भी ज्यादातर के नाम नई सूची में होंगे। उन उम्मीदवारों की ही नींद उड़ी है जिनका नाम सिर्फ प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव की ओर से जारी सूची में दर्ज है। इनमें से अधिकतर के नाम नई सूची में नहीं दिखाई दे सकते हैं। शिवपाल की सूची में शामिल रहे दागी उम्मीदवारों का भी पत्ता साफ हो सकता है। पूर्व में पार्टी द्वारा मुलायम परिवार की बहू अपर्णा यादव को लखनऊ कैंट से प्रत्याशी घोषित किए जाने के बाद से वह चुनावी तैयारी में जुटी जरूर है, लेकिन मुख्यमंत्री की पहली सूची में उनका नाम भी शामिल नहीं था, हालांकि उस सूची में कैंट से किसी और का भी फिलहाल नाम दर्ज नहीं है।
--------------




























Samajwadi party-2016 30 dec_ सपा से निकाले गए मुख्यमंत्री

पुन: अपडेट : सपा पैकेज - ब्यूरो: बेबस, हताश, भावुक मुलायम !
ध्यानार्थ: खबर में कुछ तथ्य जोड़े गये हैं, इसी का प्रयोग अपेक्षित।
--------
- बेटे को सपा से निष्कासित करने का फैसला सुनाते हुए नम हुईं आखें
--------
राज्य ब्यूरो, लखनऊ : सियासत में रिश्तों का रंग भी घुला हो तो आंखें डबडबाती हैं और फैसले कठोर हो जाते हैं। शुक्रवार को जब बेटे पर कार्रवाई का फैसला सुनाने मुलायम सिंह यादव मीडिया के सामने आए तो उनके चेहरे पर बेबसी, हताशा तो नजर आ ही रही थी, लेकिन बेटे को सपा से निष्कासित करने का फैसला सुनाते हुए आंखें नम भी हुईं।
शुक्रवार सुबह बड़े नेताओं में बेनी वर्मा सबसे पहले मुलायम सिंह से मिलने उनके घर पहुंचे। कुछ देर बाद आशु मलिक विक्रमादित्य मार्ग पहुंचे। मुलायम के घर से निकले बेनी सीधे शिवपाल के यहां पहुंच गए। दोनों के बीच चर्चा हुई। फिर बेनी के साथ शिवपाल और अंबिका भी मुलायम के घर पहुंचे।
शाम साढ़े छह बजे मुलायम सामने आये। उस समय उनके चेहरे पर बेबसी, हताशा झलक रही थी। वह कुछ देर चुप रहे। फिर पूछा कि क्या ये लाइव है? हां में जवाब मिलते ही कहा- चलो अच्छा हुआ। ये लाइव जा रहा है। फिर जब रामगोपाल पर कार्रवाई की घोषणा कर मुलायम शिवपाल की ओर घूमे तो उन्होंने कान में कुछ कहा। ऐसा प्रतीत हुआ कि शिवपाल ने मुलायम से कहा-'अखिलेश वाला कर दीजिएÓ। मुलायम ने फिर पूछा, क्या? इस पर शिवपाल ने कहा-टाइप हो रहा है। मुलायम फिर बोले- बोल दें? शिवपाल ने कहा- हां, इस पर मुलायम ने अखिलेश को भी 6 साल के लिए बाहर कर दिया। हालांकि, अखिलेश को निकालने का एलान किया, उस समय उनकी जुबान लडख़ड़ाई। आंखें नम हुई...और जब यह पूछा गया कि अखिलेश के माफी मांगने पर माफ कर देंगे? तब मुलायम का चेहरा थोड़ा सामान्य हुआ। संभले और कहा वह कहां ऐसा करेगा, पता नहीं पिता मानता भी है कि नहीं? फिर बोले, माफी मांगेगा तो विचार कर लेंगे। यही वह पंक्तियां है, जिन्हें बोलते ही कठोर इरादों वाले मुलायम का चेहरा पुत्र के प्रति कार्रवाई की पीड़ा में डूबता नजर आया। लंबे राजनीतिक जीवन में पत्रकार वार्ता खत्म करने के बाद बहुत-बहुत धन्यवाद कहने वाले मुलायम ने इस बार यह भी नहीं कहा।
-------

प्रवक्ता जूही सिंह व नावेद सिद्दीकी समेत दर्जनों ने पद छोड़े
------
राब्यू, लखनऊ: करीब छह माह से समाजवादी पार्टी में जारी कलह अब टूट में बदलती जा रही है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव व रामगोपाल यादव को सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव द्वारा छह वर्ष के लिए निष्कासित करने के बाद से इस्तीफों का दौर आरंभ हो गया है। प्रवक्ता जूही सिंह और नावेद सिद्दीकी के अलावा बड़ी संख्या में त्यागपत्र देने की घोषणा करके माहौल को और गर्मा दिया है। इसके अलावा जिलों में भी धरना प्रदर्शन व त्यागपत्र देने का क्रम जारी है।
-------
---------------

अपडेट-सपा पैकेज :  ब्यूरो : जो किया मुलायम ने, दोहरा रहे अखिलेश
नोट- कुछ नए तथ्य जोड़े गए हैं।
-------
- उछल रहा जैसी करनी-वैसी भरनी का जुमला
- लोहिया, चरण सिंह, वीपी और चंद्रशेखर को दिया था झटका
-------
राज्य ब्यूरो, लखनऊ : सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के बारे में यह कहावत है कि सियासत में उनसे अधिक कोई रिश्तों का निर्वाह नहीं कर सकता, लेकिन, विरोधी यह कहने से भी नहीं चूकते कि मुलायम ने सत्ता हासिल करने के लिए लगातार अपने आकाओं को झटका दिया है। सपा प्रमुख अपने राजनीतिक जीवन में सबसे बडे संकट से गुजर रहें है, जब खुद उनके पुत्र अखिलेश यादव ने ही बगावती रुख अख्तियार किया है। यहां यह भी कहा जा रहा है कि मुलायम ने जो किया वह सूद समेत वापस मिल रहा है।
बोफोर्स कांड के बाद जब 1989 में वीपी सिंह की अगुआई में देश और उत्तर प्रदेश में गैर कांग्रेसी सरकार बनी, तब वीपी सिंह चौधरी अजित सिंह को मुख्यमंत्री बनाना चाहते थे लेकिन मुलायम ने ऐसा चरखा दांव चला कि वीपी सिंह भी उनके हिमायती हो गए। मुलायम को उप्र की सत्ता मिली पर वीपी सिंह की सत्ता डगमगाने के बाद मुलायम ने जनता दल छोड़कर चंद्रशेखर से मजबूत संबंध बनाए लेकिन कुछ महीनों तक ही उन्हें निभा सके। उन्होंने चंद्रशेखर की समाजवादी जनता पार्टी से अलग होकर समाजवादी पार्टी बना ली। मुलायम की राजनीति में यह कोई नई बात नहीं थी। वह शुरुआती दौर में भी लोहिया को छोड़कर चौधरी चरण सिंह के साथ हुए थे। चंद्रशेखर से अलग होने के बाद बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन से ही मुलायम ने 1993 में दोबारा सत्ता हासिल की लेकिन जून 1995 तक यह रिश्ता भी चल नहीं पाया। जिस बसपा के बूते मुलायम ने सत्ता हासिल की, उसी बसपा की प्रमुख नेता मायावती के साथ गेस्ट हाऊस कांड आज भी लोग नहीं भूले हैं।
डॉ. लोहिया के अनुयायी होने के बावजूद मुलायम सिंह यादव ने समाजवाद के नाम पर जिस तरह परिवार को आगे किया, वही परिवार अब उनके लिए मुसीबत का सबब बन गया है। मुलायम के कुनबे में खांचों में बंटे भाई-बंधु अखिलेश के कंधे पर बंदूक रखकर मुलायम पर निशाना साध रहे हैं। कभी लड़खड़ाते हुए मुलायम को एक आज्ञाकारी आदर्श पुत्र की तरह संभालने वाले अखिलेश अब आक्रामक हो गये हैं। नेताजी के फैसलों के खिलाफ वह एक्शन ले रहे हैं और अपनों को लामबंद कर रहे हैं। जाहिर है, वक्त अपने को दोहरा रहा है और कहने वाले यही कह रहे हैं, जैसी करनी-वैसी भरनी।
-------
मुलायम सिंह यादव : जीवन वृत्त
 जन्म : 22 नवंबर, 1939
 जन्म स्थान : सैफई, इटावा
राजनीतिक करियर : 1967 में पहली बार विधायक। तीन बार उप्र के मुख्यमंत्री। 1996 में केन्द्र में रक्षा मंत्री। समाजवादी पार्टी के संस्थापक। संप्रति आजमगढ़ से सांसद। सात बार विधायक और छह बार सांसद बने।
-------

कांग्रेस की मदद से बचेगी अखिलेश की कुर्सी
 कांग्रेस के 29 विधायकों की जगह 28 विधायक किया गया है।
----
-शक्ति प्रदर्शन में रालोद का भी मिल सकता है साथ
----
लखनऊ : समाजवादी पार्टी से निष्कासित होने के बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की कुर्सी कांग्रेस की मदद से ही बचना संभव है। शक्ति प्रदर्शन की स्थिति में अखिलेश को रालोद का साथ भी मिल सकता है।
 मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा गुरुवार को जारी 235 प्रत्याशियों की सूची में 171 सपा विधायक भी शामिल थे। माना जा रहा है कि  इसमें से अधिकतर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को बचाने के लिए आगे आ जाएंगे। मुख्यमंत्री की कुर्सी बचाए रखने के लिए  202 विधायकों के समर्थन का आंकड़ा पूरा करना जरूरी है। ऐसी स्थिति आने पर अखिलेश को कांग्रेस और रालोद से मदद की दरकार होगी। बता दे कि कांग्रेस के 28 विधायकों में से दल बदल व इस्तीफे के बाद 19 विधायक ही पार्टी में बने हैं। दलबदल करने वालों में दो समाजवादी पार्टी में पहले ही शामिल हो चुके हैं। कांग्रेस से मदद की उम्मीद अखिलेश के बयानों से भी नजर आती है। अखिलेश लगातार कांग्रेस से गठबंधन होने पर तीन सौ सीट आने का दावा करते रहे हैं। वहीं कांग्रेस भी प्रदेश सरकार को लेकर नरम रुख अपनाए हुए है और केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले है। कांग्रेस के चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर की दो माह से सपा से गठजोड़ की कोशिश को भी इससे जोड़ कर देखा जा रहा है। इस मुद्दे पर कांग्रेस विधानमंडल दलनेता प्रदीप माथुर किसी भी टिप्पणी से इन्कार करते है। उनका कहना है कि राष्ट्रीय नेतृत्व ही इस पर कोई फैसला लेगा।
वहीं, रालोद के कुल आठ विधायकों में से पूरन प्रकाश भाजपा में शामिल हो चुके हैं। ऐसे में अन्य सात विधायकों का साथ भी अखिलेश को मिल सकता है। रालोद का रवैया भी अखिलेश यादव को लेकर कांग्रेस जैसा ही है। रालोद के महासचिव जयंत चौधरी और मुख्यमंत्री अखिलेश की नजदीकियां भी किससे छिपी नहीं हैं। गत राज्यसभा व विधानपरिषद चुनाव में रालोद का समर्थन सपा को मिल भी चुका है।

------------
...तो विस भंग करने की सिफारिश कर सकते हैं अखिलेश
-------
- मुलायम से पहले ही विधायकों को लामबंद करेंगे मुख्यमंत्री
- दोनों खेमों ने आज बुलाई विधायकों की बैठक
-------
लखनऊ : समाजवादी कुनबे के बवाल के बाद अब निगाहें मुलायम और अखिलेश के अगले कदम पर टिक गयी हैं। सपा से मुख्यमंत्री को निकाले जाने के बाद विधायकों को लामबंद करने की कवायद शुरू हो गयी है। अखिलेश विधायकों के साथ ही समर्थकों को भी सहेज रहे हैं। अखिलेश अगर संख्या बल में कमजोर पड़े तो विधानसभा भंग करने की सिफारिश भी कर सकते हैं।
अखिलेश ने शनिवार सुबह साढ़े नौ बजे विधायकों को पांच कालिदास स्थित अपने सरकारी आवास पर बुलाया है। उधर, मुलायम सिंह ने पार्टी मुख्यालय में विधायकों को 11 बजे तलब किया है। उन्हें अपने-अपने पाले में करने की होड़ शुरू हो गयी है। दोनों खेमों के क्षत्रप विधायकों को सहेजने में लग गये हैं और हालात वही हो गए हैं जो 1990 और 2003 में मुलायम द्वारा सरकार बचाने और बनाने के लिए बने थे। अखिलेश ने गुरुवार को 225 उम्मीदवारों की जो सूची जारी की थी उसमें 171 विधायक हैं। इनमें करीब सवा सौ विधायक ऐसे हैं जिनका नाम मुलायम की सूची में भी है। दोनों खेमे इन विधायकों पर अपना हक जता रहे हैं लेकिन ये विधायक किसके पाले में हैं, यह शनिवार को साफ होगा। ऐसे में अखिलेश और मुलायम को अपनी-अपनी ताकत का अंदाजा हो जाएगा। अगर अखिलेश के पास 171 विधायकों का संख्या बल उपलब्ध होता है तो वह कांग्रेस और अन्य छोटे दलों के सहयोग से अपनी सत्ता बचा सकते हैं। संकेत मिल रहे हैं कि अगर विधायकों की पर्याप्त संख्या उनके पाले में नहीं आयी तो वह राजभवन जाकर विधानसभा भंग करने की सिफारिश कर सकते हैं।
दूसरी तरफ मुलायम की बैठक में पार्टी के कुल 229 विधायकों में से ज्यादातर के पहुंचने पर अखिलेश को विधायक दल के नेता पद से हटाने का प्रस्ताव पारित कर विधायक दल का नया नेता चुना जा सकता है। बैठक में नया नेता चुने जाने के संकेत मुलायम ने शुक्रवार को प्रेस कांफ्रेंस में भी दिए। पार्टी के विधायक मौजूदा परिस्थिति में मुलायम पर ही कमान संभालने का दबाव बना सकते हैं। ऐसे में मुलायम, राजभवन जाकर अखिलेश के पास बहुमत न होने की बात कह सकते हैं। ऐसी स्थिति में राज्यपाल राम नाईक, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से सदन में बहुमत साबित करने के लिए कह सकते हैं।
---
रामगोपाल को बना सकते राष्ट्रीय अध्यक्ष
प्रोफेसर राम गोपाल यादव ने रविवार को राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्यूट में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई है। समाजवादी खेमे में इस बात की भी सुगबुगाहट है कि इस बैठक में प्रोफेसर रामगोपाल यादव को सपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जा सकता है। अखिलेश यादव इस बार पूरी तैयारी से जवाब देना चाहते हैं। उधर, संभावना यह भी जताई जा रही है कि अगर चुनाव चिन्ह को लेकर बात फंसी तो कभी समाजवादियों का निशान रहे बरगद चुनाव चिन्ह को लेने की पहल होगी। बताया जा रहा है कि इस बारे में दिल्ली में प्रोफेसर रामगोपाल एक प्रमुख राजनीतिक शख्सियत से मुलाकत कर चुके हैं।
-------
फर्रुखाबाद से लगी लखनऊ में आग
-रामगोपाल के लखनऊ पहुंचते ही शुरू हुआ हंगामा
लखनऊ : पिछली बार जो काम प्रो.रामगोपाल के अल सुबह जारी पत्र ने कर दिया था, ठीक वैसा ही हंगामा अबकी रामगोपाल के बयान ने कर दिखाया। दिन शुरू होने के कुछ घंटों के भीतर ही रामगोपाल ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा जारी 235 प्रत्याशियों की सूची को सही और सपा की असल लिस्ट ठहरा दिया तो इस बयान के पीछे छिपी चुनौती ने कुछ देर में लखनऊ की राजनीतिक हवा में गर्मी घोल दी। फर्रुखाबाद में यह बयान देकर रामगोपाल दोपहर बाद जब तक लखनऊ पहुंचते, यहां सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव और प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह आगबबूला हो चुके थे।
रामगोपाल दोपहर करीब साढ़े तीन बजे लखनऊ पहुंचकर जब मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मुलाकात के लिए उनके नगराम से लौटने का इंतजार कर रहे थे, तब भी शायद उन्हें पूरी तरह अंदाजा नहीं था कि पार्टी अध्यक्ष ने उनके साथ मुख्यमंत्री पर कार्रवाई की क्या तैयारी कर रखी है। चार बजे वह मुख्यमंत्री से मिले और दो घंटे के भीतर ही मुलायम ने वह बम फोड़ कर तूफान खड़ा कर दिया, जिसका अंदेशा सुबह से मुख्यमंत्री के आवास के बाहर खड़े समर्थकों को भी नहीं था। शाम करीब छह बजे जैसे ही मुख्यमंत्री को पार्टी से निकाले जाने की खबर कालीदास मार्ग की सर्द हवा में फैली तो बाहर जमा कार्यकर्ताओं और नेताओं में चेन रिएक्शन शुरू हो गया।
कुछ लोग शिवपाल के सरकारी आवास की ओर दौड़ पड़े और गेट के बगल में लगी उनकी नेमप्लेट तोड़ दी। जिनके हाथ में शिवपाल के पोस्टर आए, उन्होंने पोस्टर को चिंदी-चिंदी कर जैसे बदला ले लिया। कुछ इतने क्षुब्ध थे कि अपने ही शरीर में आग लगाने पर आमादा हो गए। जो सबसे पहले इसके लिए भागा, उसे तो पुलिस और मीडिया छायाकारों ने किसी तरह रोक लिया, लेकिन कुछ ही पल बाद गोमतीनगर निवासी राहुल ने खुद को आग लगा ली। वह झुलस गया। इस आग ने माहौल में तनाव और गर्मी को और बढ़ा दिया। इस बीच यासिर शाह सहित अखिलेश के कई समर्थक नेता मुख्यमंत्री से मिलने पहुंचे। बाहर जमा युवा समर्थक जानने को उत्सुक थे कि भीतर क्या हुआ, लेकिन भीतर से निकल रहे नेताओं के उतरे चेहरे बिना बोले ही उनकी दशा बयान कर रहे थे। रात गहराने के साथ ही जैसे लोगों को अंदाजा हुआ कि मुख्यमंत्री अपने सरकारी आवास से बाहर आ रहे हैैं तो उनके समर्थक गेट के और नजदीक आ गए। हालत यह हुई कि जैसे समर्थकों ने मुख्यमंत्री को उनके आवास पर ही बंधक बना लिया हो। खैर कुछ देर में मुख्यमंत्री को जाने देने की अपील माइक से की गई और कमांडो ने भी घेरेबंदी कस दी। इसके बाद मुख्यमंत्री अपने विक्रमादित्य मार्ग स्थित आवास पहुंचे तो समर्थक पीछे-पीछे वहां भी पहुंच गए। देर रात तक कोहरे के बीच युवा समर्थक डटे थे, जबकि मुलायम और शिवपाल के आवासों के बाहर का सन्नाटा अगले दिन की पटकथा तैयार कर रहा था।
----
सपा में जंग को मुफीद मान रही बसपा-भाजपा
लखनऊ : बिखराव के मुहाने पर पहुंची समाजवादी पार्टी में आंतरिक जंग को भाजपा व बसपा खुद के लिए मुफीद मान रही हैं और पूरे घटनाक्रम पर निगाह लगाए हैं।
बसपा प्रमुख मायावती शुक्रवार को लखनऊ में ही थी और सपा में मचे घमासान की पल-पल जानकारी लेती रहीं। सूत्रों का कहना है कि घरेलू कलह से समाजवादी पार्टी का कमजोर हो जाना बसपा अपने हित में मानती है। नेतृत्व का मानना है कि सपा दो फाड़ होती है तो मुस्लिम भाजपा को हारने के लिए बसपा के पक्ष में लामंबद हो सकते हैं। इसी फार्मूले पर बसपा लगातार दलित-मुस्लिम गठजोड़ पर जोर देने पर लगी है। बहुमत की सरकार नहीं चलाने की तोहमत सपा पर मढ़ते हुए बसपा का प्रचार अभियान चलेगा और इसका चुनावी लाभ मिलने की संभावना बढ़ेगी।
उधर, भाजपा नेतृत्व को भरोसा है कि समाजवादी पार्टी की बढ़ी अंतरकलह से मुस्लिम वोट भ्रमित होगा और इसका पूरा चुनावी फायदा भाजपा के खाते में जाएगा। इसके अलावा प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगने की उत्पन्न होती है तो प्रशासन को मनमुताबिक लगाने का मौका मिलेगा।
-------
 अब क्या होगा
1. अखिलेश कुर्सी बचाने का हरसंभव करेंगे प्रयास। विधायकों की बैठक में अपेक्षित संख्या बल न आया तो विधानसभा भंग करने की कर सकते हैं सिफारिश। विधायकों से पार्टी का विशेष समर्थन बैठक बुलाने का भी ले सकते हैं प्रस्ताव।
2 . मुलायम दल नेता बदलने का प्रस्ताव पास कराकर भेज सकते हैं राजभवन।
3. रविवार को राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में सपा पर कब्जे की अखिलेश बनाएंगे रणनीति।
4. सपा पर काबिज न होने की स्थिति में बरगद चुनाव चिन्ह हासिल करने के प्रयास के साथ रामगोपाल नई पार्टी का कर सकते हैं एलान।
5. ... यह सब कुछ नहीं होगा अगर मुलायम के कहे अनुसार अखिलेश ने मांग ली माफी।

------------
सपा पैकेज : ब्यूरो : विधायकों की दलीय स्थिति
समाजवादी पार्टी - 229
बहुजन समाज पार्टी - 80
भारतीय जनता पार्टी - 41
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस -28
राष्ट्रीय लोकदल - 08
पीस पार्टी - 04
कौमी एकता दल - 02
अपना दल - 01
नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी - 01
इत्तेहाद मिल्लत कौंसिल - 01
निर्दलीय - 06
रिक्त - 02 (पडऱौना, लखनऊ कैंट)
-----
अखिलेश ने दो प्रत्याशी बदले, दो नए घोषित
- प्रत्याशियों की संख्या 237 हुई
------
लखनऊ: मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शुक्रवार को 235 प्रत्याशियों की पहली सूची जारी करने के 24 घंटे के भीतर दो प्रत्याशी बदल दिए और दो नए प्रत्याशी घोषित कर दिया। अब उनके प्रत्याशियों की संख्या 237 हो गई है। कासगंज विधानसभा क्षेत्र से पहले मानपाल सिंह वर्मा को प्रत्याशी बनाया गया था, अब उनके स्थान पर इशरत उल्ला शेरवानी को टिकट दिया गया है। मैनपुरी के करहल विधानसभा से घोषित प्रत्याशी सोवरन सिंह यादव के स्थान मुख्यमंत्री ने अपने परिवार के सदस्य अभिषेक उर्फ अंशुल यादव को प्रत्याशी बनाया है। एटा से जोगेंद्र सिंह यादव और कासगंज से किरन यादव को प्रत्याशी बनाया गया है।
----
सुरक्षा को लेकर बढ़ी चुनौती, अलर्ट
-----
-प्रमुख सचिव गृह और डीजीपी ने लिया जायजा
-एडीजी एलओ ने एसपी-एसएसपी को दी हिदायत
-----
लखनऊ : समाजवादी कुनबे के बवाल ने सुरक्षा को लेकर शासन की चुनौती बढ़ा दी है। शुक्रवार को प्रमुख सचिव गृह देबाशीष पंडा और डीजीपी जावीद अहमद ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के पांच कालिदास मार्ग और सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के पांच विक्रमादित्य स्थित सरकारी आवास पर जाकर सुरक्षा का जायजा लिया। इधर, अपर पुलिस महानिदेशक कानून-व्यवस्था दलजीत सिंह चौधरी ने जिलों के एसपी-एसएसपी को अलर्ट कर दिया है।
समाजवादी कुनबे के बवाल के बाद दोनों गुटों के समर्थकों के उग्र तेवर को देखते हुए शासन ने सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए हैं। पंडा और जावीद अहमद ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए आइजी जोन लखनऊ ए. सतीश गणेश, आइजी एटीएस असीम अरुण और आइजी एसटीएफ रामकुमार को आवश्यक निर्देश दिए हैं। एटीएस कमांडो से लेकर एसटीएफ के जवान भी पांच कालिदास मार्ग से लेकर पांच विक्रमादित्य तक मुस्तैद रहेंगे। असलहा लेकर घूमने वालों पर पुलिस की नजर रहेगी। भारी फोर्स के इंतजाम किए गये हैं। पीएसी, आरएएफ समेत तेज तर्रार पुलिस अफसरों को भी मुस्तैद किए जा रहे हैं। शुक्रवार की शाम को ही बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। एडीजी एलओ ने डीएम और एसपी से अपेक्षा की है कि जिलों में शांति-व्यवस्था बनाये रखने के लिए वह बेहतर इंतजाम करें। अगर कहीं भी कानून-व्यवस्था के लिए चुनौती उत्पन्न हो तो उसे तत्काल नियंत्रित करने की पहल करें।
अफवाहबाजों पर होगी सख्त कार्रवाई
इस बीच सोशल मीडिया पर फैल रही अफवाहों पर भी कंट्रोल के लिए कार्ययोजना बनी है। एसटीएफ के सर्विलांस और विशेष सेल को सक्रिय कर दिया गया है। अगर कहीं किसी ने अफवाह फैलाने की कोशिश की तो उसे चिन्हित कर कड़ी कार्रवाई होगी। इसके लिए सर्विलांस विशेषज्ञ दो अपर पुलिस अधीक्षकों को विशेष जिम्मेदारी दी गयी है।

------------
----
-अखिलेश मांगे माफी तो कर सकता हूं विचार : मुलायम
-अखिलेश बोले, समाजवादी पार्टी मेरी
----
रामगोपाल द्वारा राष्ट्रीय प्रतिनिधि सम्मेलन बुलाया गया है। यह पार्टी संविधान के खिलाफ है। ऐसे तथाकथित सम्मेलन में कार्यकर्ता हिस्सा न लें
-शिवपाल यादव, प्रदेश अध्यक्ष सपा (ट्विटर पर)
----
-रविवार 11 बजे पार्टी का विशेष अधिवेशन बुलाया गया है।
-रामगोपाल यादव
----
लखनऊ : सब कुछ अभूतपूर्व और अप्रत्याशित। माफी न मांगी गई तो समझौते की गुंजायश बिल्कुल खत्म। शुक्रवार का दिन उत्तर प्रदेश की सियासत में इतिहास लिख गया जबकि, मुलायम सिंह यादव ने आंखों में आंसू और भरे गले से मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को छह साल के लिए समाजवादी पार्टी से निकाल दिया। उनके साथ ही पिछले चार महीने से विवाद के केंद्र में रहे प्रो.राम गोपाल को भी छह साल के लिए निकाल दिया गया। शनिवार का दिन दोनों खेमों के लिए बेहद अहम होगा क्योंकि मुलायम और अखिलेश दोनों ने ही विधायकों और अपने-अपने प्रत्याशियों की बैठक बुलाई है। बैठक में मुलायम सिंह नए मुख्यमंत्री का नाम घोषित कर सकते हैं जबकि अखिलेश अपनी सरकार बचाने का हर जतन करेंगे। दूसरी ओर रामगोपाल ने एक जनवरी को विशेष अधिवेशन बुलाया है, जिसमें मुलायम के प्रति अविश्वास प्रस्ताव पास कराकर उन्हें हटाने का प्रयास होगा। रात को मिलने पहुंचे कुछ लोगों से अखिलेश ने कहा-समाजवादी पार्टी मेरी है।
इधर, निष्कासन की कार्रवाई होते ही आत्महत्या का प्रयास हुआ और धरना-प्रदर्शन भी शुरू हो गए।
 सपाई परिवार का झगड़ा अब ऐसे मोड़ पर है जहां से वापसी के रास्ते लगभग बंद हैं। शुक्रवार सुबह मुलायम सिंह और शिवपाल में कई बार चर्चा हुई और दोपहर होते-होते मुलायम सिंह यादव ने सपा अध्यक्ष की हैसियत से मुख्यमंत्री अखिलेश, प्रो.राम गोपाल को कारण बताओ नोटिस जारी किया, जिसमें उन पर क्रमश: पार्टी से इतर प्रत्याशियों घोषित करने व अनुशासनहीनता जैसे कई गंभीर इल्जाम थे। यह नोटिस जब जारी हुआ, उस समय अखिलेश व रामगोपाल पांच कालिदास मार्ग पर अपनी रणनीति बना रहे थे। कुछ देर बाद मुख्यमंत्री के घर से निकले रामगोपाल यादव ने कहा कि ऐसे नोटिस जारी होते रहते हैं। वह मीडिया के सवालों पर भी भड़क गए। कुछ देर बाद ही उनकी ओर से एक जनवरी 2017 को डॉ.राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्यूट में समाजवादी पार्टी का विशेष अधिवेशन बुलाने का पत्र जारी किया गया। इसमें कहा गया था कि चुनावी समय में पार्टी की गतिविधियों को देखते हुए हजारों कार्यकर्ता ने उन्हें पत्र लिखकर विशेष अधिवेशन बुलाने की मांग की।
विशेष अधिवेशन का पत्र जारी होने की त्वरित प्रतिक्रिया हुई। मुलायम सिंह नाराज हो गए और शाम साढ़े छह बजे पत्रकारों को बुलाकर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और रामगोपाल को निष्कासित करने का निर्णय सुनाया। कहा कि राम गोपाल पार्टी के साथ अखिलेश का भविष्य बर्बाद कर रहे हैं। यह बात अखिलेश को समझ में नहीं आ रही है। कहा कि पार्टी को बचाने के लिए वह कोई भी फैसला लेने से नहीं हिचकेंगे। कहा कि  शनिवार को विधायकों व पार्टी के घोषित प्रत्याशियों की बैठक बुलाई है, जिसमें आगे का फैसला लिया जाएगा।
------
मुलायम बोले
-राष्ट्रीय प्रतिनिधि सम्मेलन बुलाने का अधिकार राष्ट्रीय अध्यक्ष या 40 फीसद प्रतिनिधियों को है
-कुछ लोगों से पत्र पर दस्तखत करा लिए होंगे मगर यह असंवैधानिक
-विधायकों, प्रतिनिधियों से अपील कि इस सम्मेलन में हिस्सा नहीं लें
-मैं खुद सम्मेलन बुला देता, मुझसे पूछ तो लिया होता, स्वत: फैसला मनमानी है, अनुशासनहीनता है
-देश में किसी पिता ने अपने बेटे को मुख्यमंत्री नहीं बनाया होगा, मैने तब बनाया जब सब विरोध कर रहे थे
-बात हद से निकल गई थी, कड़ी कार्रवाई जरूरी हो गई  थी, पार्टी बचाना ही है
-रामगोपाल ने पहले भी अनुशासनहीनता के ढेरों काम किये, पार्टी से निकाला तो दिल्ली आकर माफी मांगी
-अखिलेश का भविष्य बर्बाद कर रहे हैं रामगोपाल, मुझसे ज्यादा सगे नहीं हो सकते हैं उसके
----
पांच, छह लोगों व 25-30 सीटों के प्रत्याशियों पर ही मतभेद है। सब ठीक होगा। पार्टी क्यों छोडूंगा या तोडूंगा मैं तो काम कर रहा हूं। जो काम नहीं कर रहे हैं, वे बाहर जाएं। जो गड़बड़ कर रहे हैं कि उन्हें बाहर निकाला जाएगा
-अखिलेश यादव, मुख्यमंत्री (पार्टी से निकाले जाने से पहले शुक्रवार को करीब तीन बजे नगराम रोड स्थित एक पत्रकार के फार्म हाउस पर)
---
कोई पार्टी हमेशा उन लोगों को टिकट देती है, जो जीतने के योग्य होता है। मैं मुलायम सिंह यादव के साथ हूं
-बेनी प्रसाद वर्मा, राज्यसभा सदस्य
----
16 साल के सफर में तीन बार सांसद
- अखिलेश यादव पर पहली बार चली अनुशासन की तलवार
----
लखनऊ : महज 26 साल की उम्र में सांसद बनने वाले अखिलेश यादव पर पहली बार पार्टी में अनुशासन की तलवार चली है। वह पहली बार वर्ष 2000 में कन्नौज लोकसभा सीट से सपा उम्मीदवार के रूप में ही उपचुनाव जीते थे। इस दौरान खाद्य, नागरिक आपूर्ति और सार्वजनिक वितरण से संबंधित समिति के सदस्य भी रहे।
2004 में हुए आम चुनाव में वह दूसरी बार लोकसभा के लिए चुने गए। इस दौरान वह शहरी विकास समिति, विभिन्न विभागों के लिए कंप्यूटर के प्रावधान पर एक कमेटी, विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर समिति और पर्यावरण एवं वन संबंधी समिति के सदस्य रहे। सांसद के रूप में हैट्रिक लगाते हुए 2009 में हुए आम चुनाव में उन्होंने एक बार फिर जीत दर्ज की। इस बार वह पर्यावरण एवं वन संबंधी समिति, विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर एक समिति और 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले पर बनी जेपीसी के भी सदस्य रहे। उनके सियासी जीवन में मोड़ तब आया जब 2012 में उन्हें उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी का नेता चुना गया। इसी साल प्रदेश विधानसभा चुनाव में पार्टी को जबरदस्त सफलता मिली और इसका श्रेय अखिलेश को गया। 15 मार्च, 2012 को अखिलेश ने सिर्फ 38 साल की उम्र में राज्य के 20वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। तीन मई, 2012 को उन्होंने कन्नौज लोकसभा सीट से इस्तीफा दे दिया। पांच मई, 2012 को वह उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य बने।
----
परदे के पीछे के खिलाड़ी भी दे रहे हवा
----
-अखिलेश समर्थकों के निशाने पर अमर सिंह और साधना गुप्ता
----
लखनऊ : समाजवादी कुनबे में लगी आग को हवा देने के लिए कई प्रमुख लोग जिम्मेदार ठहराए गये हैं। जहां मुलायम और शिवपाल के लोग प्रोफेसर रामगोपाल पर ठीकरा फोड़ रहे हैं वहीं मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के समर्थक अमर सिंह को लेकर खफा हैं। इन सबके बीच मुलायम सिंह की पत्नी साधना गुप्ता पर भी अंगुलियां उठ रही हैं। आग को हवा देने में उनकी भूमिका भी मानी जा रही है।
 परिवार में छिड़े सत्ता संग्राम में एक सामान्य घटनाक्रम पर गौर करना जरूरी है। मुलायम की लिस्ट के बाद बगावती हुए अखिलेश ने 235 उम्मीदवारों की जो सूची जारी की, उसमें लखनऊ कैंट से अपर्णा यादव का नाम नदारद था। अखिलेश के सौतेले भाई प्रतीक यादव की पत्नी और साधना की पुत्रवधू अपर्णा हाल के दो वर्षों में राजनीतिक और सामाजिक गतिविधियों में बहुत तेजी से उभरी हैं। उन्हें बहुत पहले ही उम्मीदवार घोषित किया गया था और वह सक्रिय भी खूब रहीं। अखिलेश की सूची में अपर्णा का नाम न होना निसंदेह साधना गुप्ता के लिए पीड़ादायक था। यद्यपि अखिलेश ने कैंट में किसी को उम्मीदवार घोषित नहीं किया, लेकिन पहली सूची में बहू का नाम न देखकर उनकी नाराजगी बढऩी स्वाभाविक था। इन दिनों सोशल मीडिया पर अखिलेश समर्थक उनकी मां के साथ की तस्वीरें लगातार वायरल कर भावुक अपील कर रहे हैं। पहले भी एमएलसी उदयवीर सिंह ने एक चि_ी जारी कर साधना गुप्ता पर आरोप लगाए थे और इस बार भी अखिलेश समर्थक मुलायम के एक्शन के पीछे उनका दिमाग मान रहे हैं। अखिलेश समर्थकों का एक बड़ा तबका साधना के साथ ही सपा महासचिव अमर सिंह को भी जिम्मेदार ठहरा रहा है। मंत्री अरविन्द सिंह गोप, पवन पांडेय समेत कई प्रमुख लोग अमर सिंह पर निशाना साधने लगे हैं। अमर सिंह भी अखिलेश से नाराज हैं और उन्हें जब भी मौका मिला तंज कसने से नहीं चूके। अमर और साधना के अलावा इस लड़ाई में मुलायम परिवार के और भी कई रिश्तेदार और संबंधी हैं जो संदेह पैदा करने और भड़काऊ भूमिका में सक्रिय हुए हैं।
----
सपा की कलह से बर्बादी के मुहाने पर प्रदेश : आजम
----
 - बोले-रिश्ते कलंकित होने पर एक दूसरे से उठ रहा है भरोसा
रामपुर : समाजवादी पार्टी में टिकट बंटवारे को लेकर चल रहे घमासान से कैबिनेट मंत्री आजम खां खफा हैं। उन्होंने कहा है कि सपा की कलह से प्रदेश बर्बादी के मुहाने पर पहुंच गया है। रिश्तों के बिगाड़ ने प्रदेश का मुकद्दर बिगाड़ दिया। मीडिया से बातचीत में कहा कि अब रिश्तों पर अंगुली उठ रही है। बेटा-बाप पर, चाचा-भतीजे पर और मामा-भांजे पर भरोसा नहीं करेंगे। अब जो हो रहा है, वह इतिहास में बुरे लफ्जों में लिखा जाएगा।
नगर विकास मंत्री आजम खां शुक्रवार को सपा कार्यालय पहुंचे तो तमाम कार्यकर्ता जमा हो गए। कई नेताओं ने लोगों को सपा में शामिल कराया। यहां भी सपा में मचे घमासान की चर्चा होने लगी। इस दौरान मंत्री ने कहा कि कार्यकर्ता मायूस न हों, संयम बरतें। उम्मीद है कि विवाद का हल निकलेगा। विवाद से पार्टी के बड़े नेता नहीं, आम कार्यकर्ता परेशान हैं। हम से ज्यादा बड़े नेताओं की जिम्मेदारी है कि विवाद का हल निकालें। सूबे के सबसे बड़े राज्य में राजनीति करने वाले इतने हल्के साबित होंगे, यह हम सबके लिए बड़े शर्म की बात है। कहा कि कुछ लोग पार्टी को बर्बाद करना चाहते हैं। कहा कि एक मछली ने पूरे तालाब को गंदा कर दिया। उनका निशाना अमर ङ्क्षसह की ओर था। बोले कि सपा की कलह से फासिस्ट ताकतों को मजबूती मिल रही है। समाजवादी लोग मायूस हैं और भाजपा जश्न मना रही है।
----
दो दिन-आज और कल
----
-आज मुलायम, कल अखिलेश ने बुलाए प्रतिनिधि सम्मेलन
-----
लखनऊ : रामगोपाल यादव और अखिलेश यादव को समाजवादी पार्टी से निकाले जाने के बाद अब अगले दो दिन शक्ति प्रदर्शन के होंगे। वैसे कहा जा रहा है कि विधानसभा चुनाव-2017 में  मुलायम सिंह यादव ही फिर समाजवादी पार्टी की चेहरा होंगे और दोबारा अपनी ताकत दिखायेंगे मगर इससे पहले 31 दिसंबर को मुलायम सिंह की बैठक और एक जनवरी को अखिलेश के प्रतिनिधि सम्मेलन की जनशक्ति से ही साफ हो जाएगा कि सपा समर्थकों का वाहक कौन होगा?
कभी अखिलेश को मुख्यमंत्री बनाने के लिए स्वयं कुर्सी से दूर रहने का फैसला लेने वाले मुलायम इतने कठोर होंगे कि बेटे को सपा से निकालने की निर्णय करेंगे, यह राजनीतिक विश्लेषकों तक को उम्मीद नहीं थी। परिवार के संग्र्राम में संधि और रामगोपाल की सपा में वापसी के बाद लग रहा था कि मुलायम स्थितियों को संभाल लेंगे, मगर हुआ उलटा। मुलायम के करीबी सूत्र कहते हैं कि अब वह इस चुनाव में भी खुद पार्टी का चेहरा बनने का फैसला कर सकते हैं। इसके पीछे का तर्क है कि मुलायम सिंह के मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित होने के बाद न सिर्फ पुराने समाजवादी सक्रिय होंगे, बल्कि तमाम ऐसे लोग भी मुलायम-शिवपाल खेमे में बने रहेंगे, जो शिवपाल या किसी अन्य को मुख्यमंत्री बनाए जाने की स्थिति में अखिलेश के साथ जा सकते थे।
---
दो दिनों में फैसला
समाजवादी पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए नया साल तमाम नए संदेश लेकर सामने आएगा। 2016 के आखिरी दिन यानी, 31 दिसंबर को मुलायम सिंह यादव ने सभी प्रत्याशियों की बैठक बुलाई है, इसमें देखा जाएगा कि घोषित प्रत्याशियों में से कितने मुलायम सिंह के साथ हैं। इसके बाद एक जनवरी को अखिलेश समर्थकों ने राष्ट्रीय प्रतिनिधि सम्मेलन बुलाया है। दोनों दिनों में समर्थकों की भीड़ से तय होगा कि कितने लोग अखिलेश व कितने मुलायम के साथ हैं। यहीं से नए साल में अलग-अलग राहों पर चल कर दोनों खेमे विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटेंगे।
---
लड़ाई अब पिता पुत्र में
अखिलेश बनाम शिवपाल से शुरू हुई यह लड़ाई अब बाप-बेटे के बीच संघर्ष में बदल गयी है। यही कारण है कि शिवपाल समर्थक भी मुलायम को ही मुख्यमंत्री बनाने की बात कहकर चुनाव मैदान में जाने को तैयार हैं। जनता के बीच अखिलेश की सकारात्मक छवि व अन्य दलों के साथ जोड़-तोड़ की संभावनाओं के चलते अखिलेश विरोधी खेमे को भी लगता है कि मुलायम ही उनकेखेमे के सर्वश्रेष्ठ दावेदार हो सकते हैं। ऐसे में चुनाव मैदान में अखिलेश बनाम मुलायम होने से पूरी लड़ाई बाप-बेटे के बीच सिमट जाएगी। दूसरे, मुलायम के साथ मुस्लिम भी एकजुट होकर सपा से जुड़ सकते हैं, यह तर्क भी रखा जा रहा है।
-----
बवाल की धुरी बने रामगोपाल
-----
-पहले चरण की रार में ही लगा था विलेन का ठप्पा
-----
लखनऊ : बढ़ते बवाल के बाद अंतत : समाजवादी परिवार में शुक्रवार को दीवार खड़ी हो गयी। प्रोफेसर रामगोपाल यादव इस बवाल की धुरी बनकर उभरे। पहले चरण की लड़ाई में सपा प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने उन पर विलेन होने का ठप्पा लगाया और इस बार मुलायम सिंह ने न केवल उन पर सपा को बर्बाद करने बल्कि अखिलेश का भविष्य चौपट करने का भी आरोप मढ़ दिया।
दूसरे चरण की लड़ाई छिडऩे के बाद भी प्रोफेसर राम गोपाल ने आग में घी डालने का काम किया। उन्होंने संतुलन बनाने की बजाय फर्रुखाबाद में समझौते की गुंजायश खत्म होने का बयान देकर माहौल गर्मा दिया। उन्होंने अखिलेश के प्रत्याशियों का समर्थन करने की बात कही। लखनऊ आते ही वह वीवीआइपी गेस्ट हाउस आए और फिर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से उनके आवास पर मिले। इस बीच सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने उनके खिलाफ अनुशासनहीनता की नोटिस जारी कर दी। जब रामगोपाल को इसकी जानकारी दी गयी तो वह बड़े तेवर में बोले कि ऐसी नोटिस मिलती रहती है। फिर वह सक्रिय हो गये और एक जनवरी को राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्यूट में पार्टी का राष्ट्रीय अधिवेशन बुला लिया। मुलायम सिंह को यह बात खल गयी। उनकी टिप्पणी थी कि राष्ट्रीय अधिवेशन बुलाने का अधिकार अध्यक्ष का है, लेकिन उन्होंने बार-बार अनुशासनहीनता की है। मुलायम की नाराजगी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि रामगोपाल के साथ ही उन्होंने अखिलेश को भी छह वर्ष के लिए पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया।
---
पहले भी रामगोपाल ने भड़कायी आग
पिछली बार जब मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को अध्यक्ष पद से हटाकर शिवपाल को यह जिम्मेदारी सौंपी गयी तब यह चि_ी प्रोफेसर रामगोपाल ने ही जारी की थी, लेकिन जब वह लखनऊ आए तो मुलायम के इस फैसले पर आपत्ति कर दी। उन्होंने मुलायम के खिलाफ तीखी प्रतिक्रिया जाहिर की थी। रामगोपाल शुरू में ही विवाद हल करने की पहल करते तो नतीजा कुछ और हो सकता था। रामगोपाल ने बार-बार यही दोहराया कि अखिलेश यादव के बिना समाजवादी पार्टी की परिकल्पना नहीं की जा सकती है।
---
सीबीआइ जांच की तलवार
घोटालों के आरोपी यादव सिंह के संबंधों को लेकर रामगोपाल आरोपों के घेरे में आए और शिवपाल सिंह यादव ने ही उन्हें कठघरे में खड़ा किया। शिवपाल ने रामगोपाल पर भाजपा से मिलने का आरोप तक लगा दिया और कहा कि उनका परिवार यादव सिंह घोटाले में शामिल है।
---
  शिवपाल और अखिलेश में बढ़ाई दूरी
मुलायम जब अखिलेश को राजनीति में स्थापित करने में लगे थे तब उन्होंने अमर सिंह को यह जिम्मेदारी सौंपी थी। उन दिनों शिवपाल और रामगोपाल एक हुआ करते थे। वर्ष 2012 में जब अखिलेश ने सत्ता की कमान संभाली तो रामगोपाल ने शिवपाल से दूरी बनाकर अखिलेश को पकड़ लिया। सरकार में उनका दबदबा कायम हुआ और वह सब पर भारी दिखने लगे। कहते हैं कि शिवपाल और अखिलेश के बीच दूरी बढ़ाने में भी उन्होंने ही अहम भूमिका निभाई।
---
पहले भी छह वर्ष के लिए बर्खास्त
पहले चरण की रार में सपा मुखिया मुलायम सिंह ने प्रोफेसर रामगोपाल को छह वर्ष के लिए निष्कासित किये गये थे, लेकिन रामगोपाल के गलती मान लेने के बाद उनकी वापसी हुई थी।
---
प्रो. राम गोपाल :
राम गोपाल यादव
जन्म तिथि - 29 जून 1946
जन्म स्थान - सैफई, इटावा। 1969 से 1974 तक शिक्षक।
राजनीतिक सफर : 1988 में ब्लाक प्रमुख, 1989-92 अध्यक्ष, जिला परिषद इटावा। 1992 में राज्यसभा सदस्य। 1998 में दोबारा राज्यसभा सदस्य। 2004 में संभल से लोकसभा सदस्य। लोकसभा कार्यकाल समाप्त होने के बाद फिर लगातार राज्यसभा में।
----
 राष्ट्रीय सम्मेलन असंवैधानिक : मुलायम
----
-विधायकों व पार्र्टी नेताओं से सम्मेलन में शामिल न होने की अपील
----
लखनऊ : समाजवादी पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने एक जनवरी को आहूत राष्ट्रीय प्रतिनिधि सम्मेलन को असंवैधानिक करार देते हुए विधायकों और पदाधिकारियों से सम्मेलन में शामिल नहीं होने की अपील की है।
पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को छह वर्ष के लिए पार्टी से निष्कासित करने का एलान करने के बाद मुलायम ने बताया कि रामगोपाल द्वारा बुलाया गया प्रतिनिधि सम्मेलन पार्टी संविधान की धारा-14 एवं धारा-32 के विपरीत है। सपा मुखिया ने पार्टी को बचाने की दुहाई देते हुए विधायकों व प्रतिनिधियों से सम्मेलन मेें न आने की अपील भी की। उनका कहना था कि पार्टी को बचाना और अनुशासन बनाए रखना प्राथमिकता है। कोई भी समाजवादी पार्टी को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करेगा तो उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।
---
क्या कहती है धारा-14
राष्ट्रीय सम्मेलन
1-निम्नलिखित प्रतिनिधि होंगे-
क-राष्ट्रीय सम्मेलन में प्रत्येक राज्य से चयनित प्रतिनिधि।
ख-सभी संसद सदस्य, विधायक, पूर्व सांसद व जिला पंचायत अध्यक्ष।
ग-सभी प्रदेश अध्यक्ष, संबद्ध संगठनों के राज्य व राष्ट्रीय अध्यक्ष।
घ-राष्ट्रीय कार्यकारिणी के पदाधिकारी व सदस्य।
ड-सपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष, यदि वह सक्रिय सदस्य हो।
च-इस धारा की उप धारा 1(क) से (ड) के प्रतिनिधियों की कुल संख्या के दस प्रतिशत प्रतिनिधि राष्ट्रीय सम्मेलन के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष द्वारा मनोनीत किए जाएंगे।
2- राष्ट्रीय कार्यकारिणी के प्रस्ताव पर अथवा राष्ट्रीय सम्मेलन के 40 प्रतिशत सदस्यों की मांग पर राष्ट्रीय सम्मेलन का विशेष अधिवेशन राष्ट्रीय अध्यक्ष द्वारा कभी भी बुलाया जा सकता है।
3-तीन वर्ष के भीतर कम से कम एक बार राष्ट्रीय कार्यकारिणी द्वारा निर्धारित तिथि एवं स्थान पर सम्मेलन की बैठक अवश्य होगी।
4-राष्ट्रीय सम्मेलन के प्रतिनिधियों के चयन को लेकर यदि कोई आपत्ति है तो वह राष्ट्रीय अध्यक्ष के समक्ष लिखित रूप में की जा सकती है। राष्ट्रीय अध्यक्ष का निर्णय अंतिम व बाध्यकारी होगा। राष्ट्रीय अध्यक्ष के निर्णय को किसी भी न्यायालय में चुनौती नही दी जा सकती है।
-----
धारा-32
राष्ट्रीय अध्यक्ष यदि इस बात से संतुष्ट हो तो कोई संबद्ध संगठन समाजवादी पार्टी के हितों के अनुकूल कार्य नहीं कर रहा है तो ऐसे संबद्ध संगठन को राष्ट्रीय अध्यक्ष कभी भी भंग करता है या उसके किसी भी पदाधिकारी को पद से हटा सकता है।
----
सपा से मनोरंजन कर लिया जाना चाहिए
----
-सोशल साइट्स पर छाया सपा का 'दंगल पार्ट-टूÓ
-ट्विटर पर मजे लिए जा रहे तो गंभीर टिप्पणियां भी
----
लखनऊ : सपा की अंदरूनी कलह एक बार फिर सोशल साइट्स पर सुर्खियों में है। ट्विटर हैंडिल पर देखते ही देखते यह टॉप टेन में ट्रेंड करती नजर आई तो फेसबुक पर भी कमेंट की भरमार लग गई। इंस्टाग्र्राम और वाट्सएप आदि सोशल नेटवर्किंग पर भी सैकड़ों कमेंट भरे पड़े हैं। सबसे अधिक वायरल दंगल का गाना 'बाबू सेहत के लिए तू तो हानिकारक हैÓ हुआ है। इसके साथ ही दंगल के पोस्टर में मुलायम के साथ ही अखिलेश को दर्शाया गया है।
सपा की पहली कलह पर भी सोशल मीडिया में तरह-तरह की चुटकियों की भरमार थी और इस बार भी कम मजे नहीं लिए जा रहे। किसी ने सवाल उठाया है-'क्या समाजवादी पार्टी से मनोरंजन कर लिया जाना चाहिए।Ó वाट्सएप पर यह सवाल सबसे अधिक चला और अधिकांश का कहना था कि जरूर लिया जाना चाहिए। प्रमोद शुक्ल ने लिखा-'संभलने के बजाए लडख़ड़ाती जा रही साइकिल...करमगति टारे नहीं टरी। एसके यादव ने फेसबुक पर बेबाकी से लिखा-'दागियों पर मुलायम की या दागियों पर कठोर की...देखिए इस जंग में किसकी जीत होती है। नौकरशाह सूर्य प्रताप सिंह ने कहा कि चंबल की घाटी में रिश्तों का भले कोई मोल हो, लेकिन लखनऊ के दंगल में इसका कोई मोल नहीं। पूरे घटनाक्रम पर समाजसेवी अरुण अग्र्रवाल ने चुटकी ली-'सपा का नया एलान....एक विधानसभा क्षेत्र से दो उम्मीदवार उतारे जाएंगे।Ó
----------
कुछ नजीरें
-मुलायम को यूनेस्को से बेस्ट फादर अवार्ड मिलना चाहिए : गीतिका
-क्या मुलायम पूरी फेमिली को पालिटिक्स में लाने की कीमत चुका रहे हैं। क्या यह चाचा-भतीजा का लास्ट राउंड है : पीयूष गौतम
-मुलायम ने अखिलेश को रबर स्टांप सीएम बना दिया है : अमित मालवीय
-अखिलेश का लंबा कॅरियर है, मुलायम इतिहास हैं। अखिलेश को इलेक्शन अपने दम पर लडऩा चाहिए...चाहे जीतें या हारें : पराग भंडारी
-अखिलेश सही थे, अमर सिंह ने सपा को बर्बाद कर दिया : इनविन्सबिल
-मुलायम सिंह के लिए अपने बड़े परिवार में संतुलन बनाना मुश्किल हो रहा है। इसका एक हल है कि प्रदेश को चार हिस्सों में विभाजित कर दिया जाए : स्मिता मिश्र
-उत्तर प्रदेश में असली समाजवाद तो अब आया है। सबके पास टिकट है। किसी के पास मुलायम का, किसी के पास अखिलेश का और किसी के पास शिवपाल का : अरुण अग्र्रवाल
-हे शिवपाल तुम क्यों व्यर्थ शोक करते हो...तुम क्या लाए थे जो तुम्हें मिला नहीं। जो आज अखिलेश का है वो कल मुलायम का था और कल अर्जुन का होगा : शरद शिवहरे
-----------------
अखिलेश की सूची ही सही : रामगोपाल
-बोले-बात बहुत आगे बढ़ गई है, कान भरने वालों की हैसियत 10 वोट की नहीं
फर्रुखाबाद : विधानसभा चुनाव में प्रत्याशियों की सूची को लेकर सपा में चल रही रार के बीच पार्टी महासचिव प्रो. रामगोपाल यादव ने शुक्रवार को सुबह यहां पत्रकारों से बातचीत में कहा कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा घोषित प्रत्याशियों की सूची ही सही है। वही मेरे प्रत्याशी हैं। उन्हीं के समर्थन में चुनाव प्रचार करूंगा।
सदर विधायक विजय ङ्क्षसह के पिता की तेरहवीं संस्कार में रामगोपाल ने कहा कि तीन-चार दिन पहले उनकी मुलायम ङ्क्षसह यादव से भेंट हुई थी। नेताजी ने उन्हें एक जनवरी को आने के लिए कहा था, लेकिन इससे पहले ही उन्होंने प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी। एक व्यक्ति के कहने पर नेताजी ने अखिलेश यादव को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटा दिया था। वह उस व्यक्ति का नाम नहीं लेना चाहते, उसे सब जानते हैं। उस व्यक्ति की हैसियत किसी विधानसभा क्षेत्र में 10 वोट पार्टी के पक्ष में डलवाने की नहीं है। जनता ने अखिलेश यादव को फिर मुख्यमंत्री बनाने का मन बना लिया है। अखिलेश विरोधी विधानसभा का मुंह नहीं देख पाएंगे।
अखिलेश के प्रत्याशी सपा के निशान पर लड़ेंगे या मुलायम के घोषित प्रत्याशी पर उन्होंने कहा कि यह फैसला निर्वाचन आयोग को करना है। उन्होंने दोहराया कि वह पहले ही मुंबई से पत्र लिखकर कह चुके हैं कि पार्टी में रहें अथवा न रहें, अखिलेश का समर्थन करेंगे। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव के बाद सपा नए स्वरूप में नजर आएगी और स्थितियां बदलेंगी और एक बार फिर से सब कुछ ठीक होगा।
------------------
मुख्तार व रघुराज के लिए सपा ने छोड़ी सीट!
----
-प्रमोद तिवारी की बेटी की सीट पर भी नहीं उतारा है प्रत्याशी
-मुलायम ने 'दोस्तों का दोस्तÓ होने की रवायत रखी बरकरार
----
लखनऊ : समाजवादी परिवार के संग्राम, उससे निपटने केप्रयासों के बीच मुलायम सिंह यादव ने प्रत्याशियों की जो सूची जारी की है, उसमें रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया, मुख्तार अंसारी और कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी की बेटी आराधना की सीट पर प्रत्याशी न उतारकर 'दोस्तों का दोस्तÓ रहने की अपनी रवायत बरकरार रखी है।
समाजवादी पार्टी की ओर से चार टुकड़ों में जारी प्रत्याशियों की सूची में 395 उतारने की बात कही गई है। वास्तव में उनमें प्रत्याशियों की संख्या 392 है। दो प्रत्याशियों का नाम दो स्थानों पर है, यह त्रुटि हो सकती है। खास यह है कि मुलायम सिंह ने कौएद के सपा में विलय के समय हुए समझौते को निभाते हुए मुख्तार अंसारी के लिए मऊ सीट पर प्रत्याशी नहीं उतारा। अंसारी यहीं से विधायक हैं। रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया की परंपरागत सीट कुंडा से भी प्रत्याशी नहीं उतारा गया है। यूं रघुराज निर्दल लड़ते हैं, मगर मायावती सरकार में उन पर पोटा लगने पर मुलायम खुलकर रघुराज के साथ खड़े हो गये थे। तब से रघुराज भी मुलायम के साथ हैं। वर्ष 2012 में सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के एक्शन की आंच रघुराज की ओर बढ़ी, मुलायम ने उस पर पानी डालने का काम किया। रघुराज के करीबी व बाबागंज सुरक्षित से विधायक विनोद सरोज की सीट को भी छोड़ दिया गया है।सपा की सूची में कांग्र्रेस सांसद प्रमोद तिवारी की बेटी व रामपुर खास की विधायक आराधना मिश्र उर्फ मोना के विरुद्ध भी किसी को टिकट नहीं दिया गया है। तिवारी का सपा करीबी रिश्ता जगजाहिर है, प्रमोद को राज्यसभा भेजने में मुलायम ने ही अहम भूमिका निभाई थी। मंत्री विनोद सिंह उर्फ पंडित सिंह को उनकी सीट गोंडा के स्थान पर तरबगंज से प्रत्याशी बनाया गया है, मगर उनका उत्तराधिकारी तय नहीं किया गया। मथुरा की गोवर्धन व बल्देव सुरक्षित पर प्रत्याशी घोषित नहीं हैं। माना जा रहा है कि गोवर्धन से ठाकुर किशोर सिंह का टिकट तय है मगर बल्देव सुरक्षित से सपा के पास अभी जिताऊ प्रत्याशी नहीं है, वर्ष 2012 में यह सीट रालोद के हिस्से में गई और यहां से जीते पूरन प्रकाश भाजपा के करीब हो गए हैं।
---
इन सीटों पर प्रत्याशी घोषित नहीं
1-गोवर्धन, बल्देव (सु) (मथुरा), आर्यनगर (कानपुर), रामपुर खास, बाबागंज (सु) और कुंडा (प्रतापगढ़), गोंडा, नौतनवा (महाराजगंज), सलेमपुर (सु), मऊ और बेलथरा रोड (सु)।







































Samawadi 2016- 29.12.2016 bagawat sp _ अखिलेश की बगावत

-------
 जारी की अपनी सूची, सपा विभाजन के मुहाने पर
-------
-मुख्यमंत्री ने नकारी शिवपाल की लिस्ट, गेंद मुलायम के पाले में
-अखिलेश और शिवपाल की सूची में 195 नाम कॉमन
-रात 12 बजे शिवपाल ने 68 उम्मीदवारों की नई लिस्ट जारी की
----
लखनऊ : समाजवादी परिवार का चार माह पुराना संग्राम अब निर्णायक मोड़ पर है। बुधवार को सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव द्वारा जारी 325 प्रत्याशियों की सूची को नकारते हुए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने गुरुवार को 235 प्रत्याशियों की अपनी सूची जारी कर दी। पिता की छाया से निकलने की छटपटाहट में हुई अखिलेश की इस बगावत के बाद लड़ाई अब ऐसे मोड़ पर है, जहां फैसला मुलायम को लेना है। वह या तो अखिलेश की मानें या बुधवार को कही गई अपनी उस बात पर अडिग रहें कि 'प्रत्याशियों में कोई बदलाव नहीं होगा।Ó उधर रात करीब 12 बजे शिवपाल ने बचे हुए पार्टी प्रत्याशियों की नई सूची ट्विटर पर जारी कर दी। अब सपा के अधिकृत प्रत्याशियों की संख्या 393 हो गई है।
अखिलेश की सूची में 171 विधायकों को टिकट दिया गया है। 64 ऐसे क्षेत्रों के प्रत्याशी भी घोषित किए गए हैं, जहां पार्टी 2012 में हार गई थी। अखिलेश की सूची में उन तीन मंत्रियों रामगोविंद चौधरी, अरविंद सिंह गोप और पवन पाण्डेय को भी टिकट मिला है जिनके नाम शिवपाल की सूची में नहीं थे। इसी तरह अखिलेश ने अपने छोटे भाई की पत्नी अपर्णा यादव को भी टिकट नहीं दिया है। मुलायम की 325 और अखिलेश की 235 उम्मीदवारों की सूची में 195 नाम समान हैं। समाजवादी पार्टी में वर्चस्व की लड़ाई के ताजा अध्याय में बुधवार को मुलायम मुख्यमंत्री के समर्थकों के टिकट काट दिए थे। इससे भड़के अखिलेश ने पहले शिवपाल यादव की करीबी सुरभि शुक्ला को आवास विकास व उनके पति डॉ. संदीप शुक्ला को निर्माण निगम के सलाहकार पद से बर्खास्त कर दिया और फिर गुरुवार को सुबह 11 बजे विधायकों को अपने सरकारी आवास पर बुलाया। उनसे फौरी चर्चा के बाद वह सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह के विक्रमादित्य मार्ग स्थित आवास पहुंचे। यहां मुलायम, अखिलेश और शिवपाल यादव के बीच करीब दो घंटे चर्चा हुई, जिसमें मुख्यमंत्री ने मंत्रियों, विधायकों का टिकट काटे जाने पर आपत्ति जाहिर की मगर बात नहीं बनी। यहां बिफरे मुख्यमंत्री ने कहा कि वह अपनी अलग सूची जारी करेंगे।
सपा अध्यक्ष के घर से निकलकर मुख्यमंत्री, पांच कालिदास मार्ग के करीब जनसुनवाई भवन में इंतजार कर रहे विधायकों के पास पहुंचे और टिकट कटने को लेकर उन्हें तसल्ली दी। उनकी राय पूछी और कहा कि सब तैयारी करें, सबको लड़ाया जाएगा। विधायकों ने भी कहा कि अखिलेश अपने नए सिंबल पर चुनाव लड़ेंगे। देर शाम बिना किसी लेटरहेड के प्रेसनोट जारी कर 171 विधायकों के साथ ही 64 उन क्षेत्रों के प्रत्याशी घोषित करने की जानकारी दी गई जहां 2012 में पार्टी प्रत्याशी हार गए थे। यह भी कहा गया कि शेष प्रत्याशी शीघ्र घोषित होंगे।
---
मुलायम ने शिवपाल को दोबारा बुलाया
अखिलेश की सूची जारी होने से दबाव में आए मुलायम ने शाम को प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव को फिर अपने घर बुलाया। सूत्रों का कहना है कि कुछ सीटों पर प्रत्याशी बदलने की राय बनी मगर उससे पहले ही मुख्यमंत्री की सूची जारी हो गई। मुलायम ने रात तकरीबन 10.20 बजे शिवपाल को फिर अपने घर बुलाया जो उनके पास से करीब 11.15 बजे निकले। इस बीच प्रतिदिन की तरह अखिलेश भी लगभग 9.45 बजे पांच कालिदास मार्ग से पांच विक्रमादित्य मार्ग स्थित आवास पर पहुंचे गए। ध्यान रहे, मुख्यमंत्री रात में जिस विक्रमादित्य मार्ग वाले बंगले में रहते हैं वहीं मुलायम सिंह यादव भी रहते हैं।
---
कौन क्या बोला
किसी भी तरह सरकार बनानी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि क्षेत्र में जाओ और तैयारी करो। टिकट मिलेगा तो ठीक नहीं तो देखा जाएगा। अखिलेश को फिर मुख्यमंत्री बनाना है।
-बृजलाल सोनकर, विधायक मेंहनगर
---
-मुख्यमंत्री जो भी कहेंगे, हम करेंगे। स्थितियां जल्दी सामान्य होंगी।
-मनीष रावत, विधायक सिंधौली
---
-समर्थकों, विधायकों ने एक सुर से कहा कि जनता, कार्यकर्ता आपके साथ हैं, निर्णय लीजिए। मैं तो अखिलेशजी के लिए कहता हूं कि 'का चुप साध रहा बलवानाÓ
- उदयवीर सिंह, एमएलसी (सपा से बर्खास्त हैं)
---
जीतने वालों को ही टिकट दिया जाता है, टिकट का फैसला पार्टी का नेतृत्व करता है।
-बेनी प्रसाद वर्मा, राज्यसभा सदस्य
--------------------
195 प्रत्याशियों के सामने हो सकता है असमंजस
-------
- मुलायम और अखिलेश की सूची में 195 उम्मीदवार कॉमन
-------
राज्य ब्यूरो, लखनऊ : बुधवार को सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव और गुरुवार की शाम अखिलेश यादव की प्रत्याशियों की सूची में 195 नाम कॉमन हैं। ऐसे में अगर बगावती तेवर अख्तियार किए अखिलेश यादव ने सपा से अलग कोई पाला खींचा तो दोनों ओर से घोषित प्रत्याशियों के सामने चुनावी मैदान से ज्यादा बड़ी चुनौती पाला तय करने की होगी। इनमें जो अखिलेश के साथ जाएगा, वह 'साइकिलÓ चिन्ह से वंचित हो सकता है। मुलायम के साथ खड़े रहने पर अखिलेश के साथ वफादारी सवालों के घेरे में होगी।
चौबीस घंटों के अंतराल में समाजवादी पार्टी के दो धड़ों ने दो सूचियां जारी की। पहले मुलायम की ओर से जारी प्रत्याशियों में 393 प्रत्याशियों की सूची जारी की फिर अखिलेश ने 235 प्रत्याशी घोषित किए। इसमें खास बात यह है कि इसमें 195 लोग ऐसे हैं, जिन्हें दोनों ने प्रत्याशी बनाया है। विश्लेषकों का कहना है कि  दोनों अपनी सूची में डटे रहते हैं और अखिलेश किसी संभावित गठबंधन के साथ चुनाव में जाते हैं तो उनकी दुश्वारी होगी जिनका नाम दोनों की सूची में है। दरअसल, चुनाव आयोग का नियम है कि पार्टी का चिन्ह हासिल करने के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष या उसके द्वारा जारी फार्म ए व बी चुनाव आयोग में जमा करना अनिवार्य होता है। इसकेअभाव में प्रत्याशी निर्दल माना जाता है। आयोग उपलब्ध निशानों में एक आवंटित करता है। सपा सूत्रों का कहना है कि जिन लोगों का दोनों सूची में नाम है, वह अब भी परिवार में सब कुछ ठीक हो जाने की उम्मीद कर रहे हैं।
-----
 सपा ने लखनऊ के दो विधायकों के टिकट काटे
-------
- बक्शी का तालाब से राजेंद्र यादव व मलिहाबाद से सोनू कनौजिया को टिकट
--------
लखनऊ : सपा ने लखनऊ के अपने दो विधायकों को अबकी विधानसभा चुनाव के लिए टिकट नहीं दिया है। लखनऊ में सपा के सात विधायक हैैं। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने प्रत्याशियों की जो सूची जारी की है, उसमें बक्शी का तालाब और मलिहाबाद विधानसभा क्षेत्र से मौजूदा विधायकों का नाम गायब है।पिछले विधानसभा चुनाव में सपा ने लखनऊ की नौ में से सात सीटों पर कब्जा किया था। इस बार पार्टी के रणनीतिकार बाकी सीटों पर तो मौजूदा विधायकों को दोहराने की तैयारी में है, लेकिन बक्शी का तालाब विधान सभा क्षेत्र से विधायक गोमती यादव और मलिहाबाद विधान सभा क्षेत्र से विधायक इंदल रावत को इस बार मौका मिलता नहीं दिख रहा है। सूत्र बताते हैैं कि पांच साल के कार्यकाल की समीक्षा में इन विधायकों के काम से पार्टी संतुष्ट नहीं है। गोमती यादव पर भाजपा का बैकग्राउंड भारी पड़ रहा है तो इंदल रावत परफॉरमेंस के मामले में पिछड़ गए हैैं। गोमती यादव पहले भाजपा से विधायक रह चुके हैैं। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव की ओर से जारी सूची के मुताबिक पूर्व विधायक राजेंद्र यादव को बक्शी का तालाब से और सोनू कनौजिया को मलिहाबाद से प्रत्याशी बनाया गया है।
-------
अखिलेश की लिस्ट में अपर्णा नहीं
एक दिन पहले शिवपाल सिंह यादव ने प्रत्याशियों की जो सूची जारी की थी, उसमें पार्टी सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव का नाम लखनऊ के कैंट विधान सभा क्षेत्र की उम्मीदवार के तौर पर शामिल था, लेकिन गुरुवार को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने 235 प्रत्याशियों की जो पहली सूची जारी की है, उसमें कैंट विधान सभा क्षेत्र से किसी को तय नहीं किया गया है।
----
 लखनऊ : मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की 235 उम्मीदवारों की पहली सूची में 46 मुस्लिमों को स्थान मिल सका है। संसदीय कार्यमंत्री आजम खां के साथ उनके पुत्र अब्दुला आजम को जगह मिली परंतु कैबिनेट मंत्री महबूब अली स्थान नहीं पा सके।
शिवपाल की सूची में 87 मुस्लिम : उधर सपा प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव द्वारा गुरुवार को जारी की दूसरी सूची में 16 मुस्लिम उम्मीदवारों को जगह मिली। बुधवार को पहली सूची में 71 मुसलमान प्रत्याशी शामिल थे। अभी दस सीटों पर शिवपाल सिंह को उम्मीदवार अभी घोषित करने है।
------------
लखनऊ : मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा जारी प्रत्याशियों की पहली सूची में दागियों से दामन बचाने की कोशिश की गई है। सारा हत्याकांड में फंसे अमनमणि त्रिपाठी का टिकट काट कर महाराजगंज की नौतनवां सीट से कांग्रेस से आए विधायक कौशलेंद्र सिंह को टिकट थमा दिया। अखिलेश की सूची में अंबिका चौधरी को स्थान नहीं मिल पाना भी चर्चा का मुद्दा बना है। कौमी एकता दल के मुख्तार अंसारी और उनके भाई सिबगतुल्ला अंसारी भी मुख्यमंत्री की सूची में स्थान न पा सके जबकि बुधवार को मुलायम सिंह यादव की सूची में सिबगतुल्ला का नाम दर्ज था। अखिलेश की सूची में अतीक का नाम भी नहीं है।
-----------------
कांग्रेस को लेकर अखिलेश नरम
लखनऊ : कांग्रेस से दोस्ती को लेकर सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव भले ही कठोर बने हो लेकिन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने नरमी बरती। गुरुवार को जारी 235 उम्मीदवारों की सूची में कांग्रेस के प्रभाव वाली अधिकतर सीटों को खाली रखा है। विधानमंडल दल के नेता प्रदीप माथुर, अखिलेश प्रताप सिंह, अनुग्रह नारायण, नदीम जावेद, आराधना मिश्रा मोना, गजराज सिंह, बंशी पहाडिय़ा, अजय राय व अजय कुमार लल्लू जैसे विधायकों की सीट पर कोई उम्मीदवार पहली सूची में नहीं उतारा है। हालांकि देवबंद से माविया अली और शामली से पंकज मलिक की सीटों पर प्रत्याशी घोषित किए है। अखिलेश ने कांग्रेस के बागियों को भी टिकट थमा दिया है। बहराइच जिले में पयागपुर क्षेत्र से मुकेश श्रीवास्तव और महाराजगंज की नौतनवां विधानसभा सीट से कौशलेंद्र सिंह मुन्ना प्रत्याशी घोषित किए है। बता दे कि कांग्रेस से गठबंधन करने को लेकर अखिलेश के रुख में नरमी उनके बयानों में दिखती रही है। कांग्रेस से गठबंधन कर तीन सौ सीटें जीतने का दावा करने वाले मुख्यमंत्री के अगले कदम पर सबकी निगाहें लगी है।
---------------
मैनपुरी में टिकट कटने से नाराज समर्थकों ने फूंके पुतले
-------
- बुलंदशहर में अद्र्धनग्न होकर जुलूस निकाला
- कन्नौज में पार्टी नेताओं के खिलाफ नारेबाजी
-------
लखनऊ : सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने बुधवार को विधानसभा चुनाव के लिए 325 प्रत्याशियों की सूची जारी की थी। इसमें जिन प्रत्याशियों का नाम कटा, उनके समर्थकों ने गुरुवार को सड़कों पर उतरकर अपना विरोध जताया। सपा के गढ़ मैनपुरी में भोगांव से शिवबक्श को प्रत्याशी बनाने पर मौजूदा विधायक आलोक शाक्य के समर्थकों ने जगह-जगह प्रदर्शन किए। प्रत्याशी के पुतले फूंके। इसी तरह से किशनी सीट पर संध्या कठेरिया को टिकट देने पर मौजूदा विधायक ब्रजेश कठेरिया के समर्थन में लोगों ने पुतले फूंके।
आगरा, फीरोजाबाद, एटा, कासगंज, मथुरा में कोई प्रदर्शन नहीं हुआ। आगरा में छावनी सीट से सपा प्रत्याशी चंद्रसेन टपलू की हार्टअटैक से मौत हो जाने से सपा खेमा शोक में डूबा हुआ है। बुलंदशहर में सदर सीट से सपा प्रत्याशी मुस्तकीम अल्वी का टिकट कटने के बाद उनके समर्थकों ने अद्र्धनग्न होकर शहर में जुलूस निकाला। जिलाध्यक्ष के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और गंभीर आरोप लगाए। सपा कार्यालय पर कुर्सियां फेंकी। सपा ने सदर सीट से प्रत्याशी मुस्तकीम अल्वी का टिकट काटकर शुजात आलम को दे दिया। बुधवार रात को मुस्तकीम अल्वी के समर्थकों ने सपा कार्यालय पर हंगामा किया था और जिलाध्यक्ष के पोस्टर व बैनर फाड़ दिए थे।
उधर, गाजियाबाद के लोनी में ईश्वर मावी का टिकट कटने से नाराज समर्थकों ने लोनी तिराहे पर जाम लगा दिया। नारेबाजी की और मावी को टिकट दिए जाने की मांग की। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि उनके जैसा मजबूत उम्मीदवार सपा के पास लोनी में कोई नहीं है। समर्थकों ने राशिद मलिक के खिलाफ नारेबाजी की। सूचना पर पहुंची पुलिस ने समर्थकों को समझा-बुझाकर शांत किया और जाम खुलवाया। समर्थकों ने बुधवार देर रात भी दिल्ली-सहारनपुर मार्ग पर जाम लगाकर हंगामा किया था और नारेबाजी की थी।
टिकट वितरण को लेकर हो रहे घमासान में मध्य यूपी व बुंदेलखंड के लगभग सभी जिलों में शांति देखी जा रही है। पार्टी के कुछ विरोधी सक्रिय जरूर हुए हैं किंतु अभी कोई पुरजोर विरोध नही कर रहा है। कन्नौज में कुछ हलचल देखी गई। तिर्वा या छिबरामऊ से टिकट की मंशा रखने वाले नवाब सिंह यादव समर्थक पार्टी थिंक टैंक के खिलाफ नारेबाजी करते नजर आए। नवाब के समर्थक तिर्वा रोड स्थित पार्टी कार्यालय पर एकजुट हुए। यहां से एक सैकड़ा कारों के जरिये काफिला लखनऊ के लिए रवाना हुआ।
-------
 क्या हमीरपुर को मुख्यमंत्री के लिए तैयार किया गया!
- आंध्र प्रदेश से आयी टोली बुंदेलखंड में दो साल से कर रही काम
- 700 किसानों का समूह बना, अन्ना प्रथा खत्म करने का अभियान
--------
 लखनऊ : टिकट पर रार है। बागवती सुर तेज हैं मगर यह सवाल भी तैर रहा है किमुख्यमंत्री अखिलेश यादव के लिए बुंदेलखंड में कोई विधानसभा सीट तैयार करायी गई है क्या? प्रदेश के अनुपूरक बजट में जैविक खेती को धन, चुनौती बनी 'अन्ना प्रथाÓ रोकने के लिए आंध ्रप्रदेश की एक टोली की इस क्षेत्र में सक्रियता का संकेत शायद यही है।
सूत्रों के अनुसार, सत्ता में आने के दो साल बाद यानी 2014 में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बुंदेलखंड में सियासी जमीन तलाशनी शुरू की। इसके लिए आंध्र प्रदेश निवासी जगदीश यादव को हमीरपुर में मुस्तैद किया गया। ताइवान से जैविक खेती का प्रशिक्षण ले चुके इस युवक को संसाधन मुहैया कराये गये। जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए 7000 किसानों का समूह बनाने का जिम्मा उन्हें सौंपा गया। फिर वर्ष 2015-16 के अनुपूरक बजट में हमीरपुर में जैविक खेती के लिए दो करोड़ रुपये आवंटित किये गये। सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री की हिदायत पर ही आंध्र प्रदेश की इस टोली ने हमीरपुर के सात व बांदा केआठ ब्लाकों में 'अन्ना प्रथाÓ खत्म करने का अभियान शुरू किया। बुंदेलखंड में सूखा, पानी के साथ सबसे बड़ी समस्या अन्ना प्रथा ही है। इसमें गर्मियों की शुरूआत से पहले मवेशियों को छोड़ दिया जाता था। अगली फसल के पहले तक वे खुले घूमते थे फिर लोग उन्हें घरों में बांध लेते थे। लगातार सूखा पडऩे के बाद प्रथा ने विस्तार लिया और अब जानवर पूरे समय खुले रहते हैं। माना जाता है कि इस प्रथा के प्रति जागरूकता के जरिये अखिलेश बुंदेलखंड में अपना जनाधार तैयार करने में जुटे थे क्योंकि जागरूकता अभियान में भी अखिलेश को प्रोजेक्ट किया जा रहा था। इससे इतर हमीरपुर में रिश्तेदारी और वर्ष 2016 में मुख्यमंत्री के तीन बार बुंदेलखंड के दौरे को भी उनके चुनावी जमीन तैयार करने के प्रयासों से जोड़कर देखा जा रहा है। एक पखवारे पहले लखनऊ में एक टीवी कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने खुद राजफाश किया कि हमीरपुर की जिला इकाई ने अखिलेश चुनाव लडऩे का प्रस्ताव भेजा है। मैं भी उस क्षेत्र से चुनाव लडऩे को इच्छुक हूं, प्रस्ताव सपा अध्यक्ष के पास भेजा दिया है। इसके बाग मुख्यमंत्री के बुंदेलखंड से चुनाव लडऩे की चर्चा ने जोर पकड़ा। हालांकि जिन सीटों पर उनके चुनाव लडऩे की चर्चा थी, उस पर प्रत्याशी घोषित हो गये हैं। कहा यह भी जा रहा है कि हमीरपुर से सटे लहुरीमऊ गांव में किसान आंदोलन व भाकियू के आक्रमक रवैये का भी मुख्यमंत्री का कोर ग्र्रुप अध्ययन कर रहा है।
--------
























Samajwadi party-2017 28.12.2016

...अब बढ़ सकती है अधूरी बात
- करीबियों के टिकट कटने के बाद कुछ कठोर कदम उठा सकते हैं मुख्यमंत्री
- भड़केगा समाजवादी परिवार का संग्राम, लिखा जाएगा सियासत का नया इतिहास
-------
परवेज अहमद, लखनऊ : नए सफर पर निकलने को स्थापित धारणाएं तोडऩे के मुद्दे पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव मंगलवार को रुक गए थे, बुधवार को मर्जी के विरुद्ध प्रत्याशियों की घोषणा के बाद उसके मुखर होने की संभावना है। ऐसा हुआ तो समाजवादी परिवार का संग्र्राम भड़केगा ही, सियासत का नया इतिहास भी लिखा जाएगा।
समाजवादी 'परिवारÓ की नई-पुरानी पीढ़ी के बीच विचारों का मतभेद लंबे समय से हैं। 12 सितंबर के बाद से इसमें वर्चस्व व अधिकारों के इस्तेमाल का तड़का भी लग गया। नतीजन खेमेबंदी हुई। दर्द का छलकना शुरू हुआ, मगर कभी युवा जोश की नुमाइंदगी करने वालों ने 'होश खोयाÓ तो कभी तजुर्बेकारों ने धोबी पाट दांव चल दिया। यही कारण था कि मंगलवार को अदाकारी सिखाने के इंस्टीट्यूट की आधारशिला के दौरान कलाकारों ने स्थापित धारणाएं तोड़कर ही तरक्की की नई परिभाषा लिखने का जिक्र किया तो उसे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अपने सियासी संघर्ष से जोड़ लिया। तब यह कहा भी कि वह सोच रह हैं कि 'इस पर कुछ बोलूं या न बोलू। समाजवादी साथी व पत्रकार समझ रहे हैं। अपनी बात आधी-अधूरी छोड़ता हूंÓ। बात यहीं थम जाती, मगर बुधवार को पार्टी की ओर से जारी 325 प्रत्याशियों की सूची से उनके समर्थकों का पत्ता साफ होने और उनके करीबी मंत्रियों के टिकट न घोषित होने पर उनके घर के बाहर और अंदर जिस तरह से समर्थकों की भीड़ जुटी। लोगों ने उन्हें कुछ करने का हौसला बंधाया और चार लाइन का बिना हस्ताक्षर एक बयान जारी किया गया, जिसमें टिकट पर मुलायम सिंह से बात करने का बात कही गई है, उससे मंगलवार को अधूरी छोड़ी गई बात...के कुछ और आगे बढ़ जाने के संकेत हैं।
सूत्रों का कहना है कि इस बार मुख्यमंत्री अखिलेश यादव कुछ ठोस फैसले भी ले सकते हैं। हालांकि प्रतिक्रिया स्वरूप उन्होंने आवास विकास विभाग और राजकीय निर्माण विभाग में सलाहकार का ओहदा संभाल रहे दंपती को पैदल कर दिया। इनमें से एक सुलतानपुर से टिकट दिया गया, इसके लिए अखिलेश के करीबी विधायक का टिकट काटा गया। अगर मुख्यमंत्री ने कुछ कठोर कदम उठाया लिया तो समाजवादी परिवार की रार तो बढ़ेगी ही उत्तर प्रदेश की सियासत में नया इतिहास भी लिखा जाएगा। हालांकि मौजूदा परिस्थितियों को परख रहा समाजवादी पार्टी का एक तबका अभी आशान्वित है। उसे उम्मीद है कि मुलायम सिंह यादव फिर कोई ऐसा चरखा दांव चलेंगे, जिससे धधकने को हो गई आग ठंडी पड़ जाएगी।
--------
मुख्यमंत्री ने बुलाई बैठक
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने गुरुवार को उन मंत्रियों, विधायकों की बैठक बुलाई है, जिनके टिकट काटे गए हैं। इनसे बातचीत के बाद अखिलेश कोई नया सियासी दांव भी चल सकते हैं। टिकट कटने के बाद मंत्री अरविंद सिंह गोप, मंत्री रामगोविंद चौधरी, पवन पाण्डेय और कई विधायकों ने मुख्यमंत्री से मुलाकात की, उनसे बदली परिस्थितियों पर चर्चा भी हुई। इस दौरान अखिलेश समर्थकों ने पांच कालिदास मार्ग पर एकत्रित होकर उनके समर्थन में जमकर नारेबाजी भी की।
-------
लखनऊ: समाजवादी पार्टी की पहली सूची में दलबदलुओं को भरपूर तरजीह मिली। पीस पार्टी से आए दोनों विधायकों अनीसुर्रहमान को मुरादाबाद की कांठ और कमाल युसूफ को सिद्धार्थनगर की डुमरियागंज से प्रत्याशी बनाया गया है। भाजपा छोड़कर आए विजय बहादुर यादव को भी गोरखपुर ग्रामीण सीट से टिकट थमा दिया गया है। कांग्रेस से बगावत करके सपा का दामन थामने वाले मुकेश श्रीवास्तव को बहराइच की पयागपुर सीट से प्रत्याशी बनाया गया है। श्रीवास्तव को टिकट देते हुए एनआरएचएम घोटाले में उनकी विवादित भूमिका को भी नजरअंदाज किया गया।
बसपा के बागी अयोध्या पाल को भी सपा में आने का इनाम मिला। पाल को फतेहपुर जिले की अयाहशाह सीट से चुनाव लडने की हरी झंडी मिल गयी। बसपा से टिकट करने के बाद सपा में शामिल हुए शाहनवाज राणा को मीरापुर और अब्दुल मन्नान को हरदोई जिले में संडीला से उम्मीदवार बनाया गया है।
-------
अबरार बने प्रतापगढ़ के सपा जिलाध्यक्ष
लखनऊ : टिकटों के बंटवारे के बीच समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने प्रतापगढ़ की जिला कार्यकारिणी को जिलाध्यक्ष भैया लाल पटेल सहित तत्काल प्रभाव से भंग करते हुए अबरार जहांनिया को को जिलाध्यक्ष नामित किया है। पटेल पर पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने का आरोप लगाते हुए नवनियुक्त जिलाध्यक्ष को शीघ्र अपनी कमेटी का गठन करने को कहा है।
---------
मंत्रियों, विधायकों का टिकट नहीं काटना चाहते अखिलेश
- मुरादाबाद और गौतमबुद्धनगर के प्रत्याशियों को लेकर सबसे अधिक मतभेद
- मुख्यमंत्री की ओर से मुलायम को भेजी गई 367 प्रत्याशियों की सूची लीक
---------
लखनऊ : अखिलेश यादव की मर्जी के बगैर प्रत्याशियों की सूची जारी होने से समाजवादी परिवार का संग्र्राम किस करवट बैठेगा, यह कुछ दिनों में साफ होगा। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अपने मंत्रियों और विधायकों के टिकट काटने के पक्षधर नहीं थे। मुरादाबाद और गौतमबुद्धनगर केप्रत्याशियों को लेकर सबसे अधिक मतभेद थे।
संगठन की ओर से तेजी से प्रत्याशियों की घोषणा के बीच दो दिन पहले मुख्यमंत्री ने प्रत्याशियों की एक सूची अध्यक्ष मुलायम सिंह को भेजी थी। 367 प्रत्याशियों की यह सूची बुधवार को सावर्जनिक हुई। इसका विश्लेषण करें तो साफ है कि मुख्यमंत्री अपने मंत्रियों, विधायकों के टिकट काटने के पक्षधर नहीं हैं। अलबत्ता सबसे ज्यादा विवाद मुस्लिम प्रत्याशियों को लेकर है। मुरादाबाद, सहारनपुर, गौतमबुद्धनगर की सीटों से पार्टी ने जिन मुस्लिमों के प्रत्याशी बनाया है, अखिलेश उनके स्थान पर दूसरे प्रत्याशियों को टिकट देना चाहते थे।
 अखिलेश ने नोएडा से सुनील चौधरी को टिकट देने की सिफारिश की थी जबकि वहां से अशोक सिंह चौहान को टिकट मिला है। वह दादरी से राजकुमार भाटी को प्रत्याशी बनाना चाहते थे मगर पार्टी ने रवींद्र भाटी को टिकट दिया है। ऐसे ही जेवर, खुर्जा फतेहपुर सीकरी में भी मुख्यमंत्री जिन्हें प्रत्याशी बनाना चाहते थे, उन्हे टिकट नहीं मिला। यादव राज्य महिला आयोग की चर्चित सदस्य के बेटे राहुल पाण्डेय के स्थान पर अमांपुर से वीरेंद्र सिंह सोलंकी को टिकट देना चाहते थे।
पटियाली से मुख्यमंत्री की पसंद नजीबा खान जीनत के स्थान पर उनकी बेटी नाशी खान को टिकट दिया गया है। वह भोगांव से आलोक कुमार शाक्य को टिकट देना चाहते थे मगर शवबख्श शाक्य को टिकट मिला है। किशनी से मुख्यमंत्री बृजेश कुमार कठेरिया को चाहते थे, मगर संध्या कठेरिया को टिकट दिया गया। यादव बहेड़ी से अताउर्ररहमान को चाहते थे मगर अंजुम रशीद को टिकट दिया गया। वह मीरगंज से हाजी जाहिद हुसैन को चाहते थे मगर टिकट सराफत यार खां को मिल गया। मुख्यमंत्री की सूची में नवाबगंज से भगवत सरन गंगवार का नाम था मगर टिकट डॉ. शहला ताहिर को मिला। वह बरेली शहर से जफर बेग को चाहते थे मगर राजेश अग्रवाल को प्रत्याशी बना दिया गया है।
अखिलेश बरेली कैंट से डॉ. इकबाल सिंह, आंवला से सिद्धराज सिंह, पूरनपुर से पीतमराम, बीसलपुर से नीरज गंगवार, सीतापुर की बिसवां से बुनियाद हुसैन, सिधौली से मनीष रावत, शाहाबाद से बाबू खां, संडीला से कुंवर महावीर सिंह, मलिहाबाद से इंदल कुमार रावत,  सुल्तानपुर सदर से अरुण वर्मा और लंभुआ से संतोष पाण्डेय को टिकट देना चाहते थे जबकि इनके स्थान पर दूसरे लोगों को टिकट दिया गया है। वह कायमगंज से अजीत कुमार कठेरिया, दिबियापुर से प्रदीप यादव, औरैया से मदन सिंह गौतम, रसूलाबाद से शिव कुमार बेरिया, अकबरपुर रनिया से रामस्वरूप सिंह बिल्हौर से अरुण कुमारी, घाटमपुर से इंद्रजीत कोरी ललितपुर से ज्योति लोधी, तिंदवारी से दीपा सिंह गौर, जहानाबाद से मदनगोपाल वर्मा की जगह बीना पटेल, बिंदकी से दीनदयालु गुप्ता को प्रत्याशी बनाना चाहते थे।
अखिलेश की सूची में पट्टी से राम सिंह पटेल, मंझनपुर से हेमंत कुमार, चायल से चंद्रबली सिंह, मेजा से गिरीश चंद्र पाण्डेय, इलाहाबाद उत्तरी से संदीप यादव, रामनगर से अरविंद सिंह गोप, अयोध्या में पवन पाण्डेय, टांडा में अजीमुल हक पहलवान, बासगांव में शारदा देवी, रुद्रपुर में प्रदीप यादव, देवरिया में जेपी जायसवाल, मेहनगर में बृजलाल सोनकर, मधुबन में अल्ताफ अंसारी, फेफना में संग्राम सिंह, बांसडीह में राम गोविंद चौधरी, बदलापुर में बाबा दुबे, मुंगरा बादशाहपुर में ज्वाला प्रसाद यादव और शिवपुर से आनंद मोहन उर्फ गुड्डू यादव को टिकट देना चाहते थे, मगर सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने बुधवार को जो सूची जारी की, उसमें इन सबके स्थान पर दूसरों को टिकट दिया गया है।
-------
कमजोर पड़ी सपा कांग्रेस में दोस्ती की आस
- एक दर्जन से अधिक विधायकों के क्षेत्रों में सपा ने उम्मीदवार उतारें, बागी को भी टिकट थमाया
-------
लखनऊ: सपा की पहली सूची ने कांग्रेस से दोस्ती के कयास पर फिलवक्त बे्रक लगा दिया। बुधवार को जारी 325 उम्मीदवारों की सूची में एक दर्जन से अधिक कांग्रेसी विधायकों के क्षेत्रों में प्रत्याशी घोषित करके गठबंधन की उम्मीदों को न केवल झटका दिया बल्कि बागियों को टिकट थमा कांग्रेस नेतृत्व को चौंकाया भी है।
कांग्रेस विधानमंडल दल नेता प्रदीप माथुर से मुकाबले के लिए सपा ने मथुरा सीट से डा. अशोक अग्रवाल को टिकट थमाया है वहीं उपनेता अनुग्रह नारायण सिंह की इलाहाबाद उत्तरी सीट पर लल्लन राय को उतार कर कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा दीं। सहारनपुर जिले की देवबंद सीट से उप चुनाव में विजयी हुए माविया अली के सामने सपा ने मीना राणा को मैदान में उतारा है। शामली में पंकज मलिक  की राह रोकने के लिए सपा से मनीष कुमार चौहान और हापुड़ में गजराज सिंह के सामने तेजपाल सिंह को खड़ा किया है। जौनपुर में नदीम जावेद को टक्कर देने के लिए सपा ने जावेद सिद्दीकी और बनारस में पिंडरा सीट पर अजय राय के सामने रामबालक सिंह को टिकट दिया है। कांग्रेस के इन कद्दावर नेताओं के मुकाबले उम्मीदवार उतारकर मुलायम सिंह यादव ने साफ कर दिया कि वह कांग्रेस से समझौते को लेकर उतावले नहीं हैं।
बता दे कि कांग्रेस के 29 विधायकों में से नौ बगावत कर अन्य पार्टियों में ठिकाना तलाश चुके है। सपा से दोस्ती की आस लगाए कांग्रेस नेतृत्व के लिए बागियों को टिकट थमा देना चिढ़ाने  से कम नहीं। बहराइच जिले के पयागपुर क्षेत्र से विधायक मुकेश श्रीवास्तव को सपा ने अधिकृत प्रत्याशियों की पहली सूची में स्थान देकर कांग्रेस को चौंका दिया है। सूत्रों का कहना है कि सपा ने पहली सूची जारी करने के बाद मात्र 78 सीटें ही खाली छोड़ी है, ऐसे में गठबंधन के रास्ते लगभग बंद दिख रहे है। मीडिया इंचार्ज व पूर्व मंत्री सत्यदेव त्रिपाठी का कहना है कि गठबंधन की चर्चाओं को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के बयानों से ताकत मिली लेकिन सूची से धर्मनिरपेक्ष ताकतों से निराशा।
-------
अपने बूते तैयारी में जुटे हैं : राजबब्बर
प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर ने सपा की सूची पर टिप्पणी से इन्कार करते हुए कहा कि कांग्रेस को दोस्ती की दरकार नहीं थी। केवल सांप्रदायिकता ताकतों को रोकने व धर्मनिरपेक्ष दलों की एक जुटता की उम्मीद जतायी जा रही थी। कांग्रेस अपने बूते पर चुनाव की तैयारी में जुटी है और उम्मीद है कि बेहतर नतीजे मिलेंगे।
--------
चरण सिंह के अनुयायियों को भी झटका
लखनऊ : सपा की सूची से कांग्रेस ही नहीं राष्ट्रीय लोकदल को भी झटका लगा है। चरण सिंह व लोहिया के अनुयायियों को एक मंच पर ले लाने की कोशिशें बंद दिखती है। रालोद के प्रभाव वाली समस्त सीटों पर सपा ने उम्मीदवार उतार दिए हैं। बता दे कि गठबंधन की उम्मीद में रालोद प्रदेश सरकार के प्रति नरम रूख ही अख्तियार किए था और भाजपा के खिलाफ तेवर दिखा रहा था।
-------
टिकटों में बदलाव नहीं करूंगा : मुलायम
- सूची जारी करने से पहले मुलायम ने समर्थकों को संबोधित किया
- केंद्र पर साधा निशाना, कहा प्रधानमंत्री ने झूठ बोल जनता को ठगा
----
लखनऊ : राजनीति के चतुर सुजान मुलायम सिंह यादव ने प्रत्याशियों की घोषणा से पहले समर्थकों से कहा कि मतभेद सुलझा लो टिकट घोषित होने के बाद जीत में जुट जाना। यह भी कहा कि वह टिकटों में ज्यादा फेरबदल नहीं करेंगे।
मुलायम सिंह यादव ने बुधवार की शाम पत्रकार वार्ता बुलाई थी, लेकिन उससे पहले वह पार्टी कार्यालय में जुटे समर्थकों से मुखातिब हो गए। यहां कहा कि टिकट घोषित होने के बाद कोई मतभेद नहीं होना चाहिए। जहां कोई बात होगी, वहां के लोगों को बुलाकर समझाएंगे। मुलायम ने केन्द्र सरकार व प्रधानमंत्री नरेन्द्र पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने झूठ बोलकर लोगों को ठग लिया है। एक भी वादा पूरा नहीं किया। नोटबंदी से पूरा देश परेशान है। किसान तबाह हो गया है। लोगों के खातों में 15-15 लाख कब भेजेंगे? जनता चुनाव में यह सवाल उनसे जरूर पूछेगी।
---
टिकट काटने का दुख होता है
जिन्हें टिकट नहीं मिलेगा, वह नाराज होंगे। टिकट काटने पर मुझे भी दुख होता है मगर भरोसा करिये। जिन्हें टिकट नहीं मिलेगा, उनका सम्मान होगा। पहले भी इसका ध्यान रखा है। इस सरकार ने 96 लोगों को गाड़ी, पद देकर सम्मान किया है। इससे कई विधायक दुखी होते हैं, इन्हे गाड़ी मिल गई, मगर उन्हें यह ध्यान रखना चाहिए, जिनका सम्मान हुआ, उनका संघर्ष कम नहीं है। क्षमता होने, जीत जाने की काबिलियत के बाद भी उन्होंने अपना टिकट छोड़ा है। जिन लोगों ने संघर्ष किया, उन्हें कुछ सम्मान मिलना चाहिए।
---
अपमानित नहीं करूंगा
एक सवाल पर मुलायम सिंह ने कहा कि जिन मंत्रियों का टिकट कटा है, उनका नाम लेकर उन्हें अपमानित नहीं करेंगे। कहा कि राजनीति में टिकट मिलते व कटते रहते हैं, मगर किसी के सम्मान में कमी नहीं होने दी जाएगी। बची हुई 78 सीटों पर प्रत्याशियों के नामों का एलान सर्वे व बातचीत के बाद किया जाएगा। कहा कि इतने लोकतांत्रिक तरीके से किसी पार्टी में टिकट नहीं बांटे जाते हैं। जिताऊ उम्मीदवारों को टिकट दिया है। इतने सारे चुनावों में टिकट बांट चुका हूं मगर पार्टी में कभी विवाद नहीं हुआ। नेता और कार्यकर्ता अनुशासन में रहे हैं।
-----
28 फरवरी तक हो जाएंगे चुनाव
मुलायम ने कार्यकर्ताओं से कहा कि तजुर्बे के आधार पर कहा रहूं कि विधानसभा के चुनाव 28 फरवरी तक हो जाएंगे। कुछ भी हो जाए, प्रदेश में फिर से सपा की सरकार बनानी है। सपा का पूरे देश में सम्मान है। खुद प्रधानमंत्री भी तारीफ कर चुके हैं।
------
हम सूरज से बिजली देते, वह बातों से : अखिलेश
--------
-मुख्यमंत्री ने महोबा के कनकुआ गांव में सोलर पॉवर प्लांट का किया उद्घाटन
--------
 महोबा : पनवाड़ी इलाके के कनकुआ गांव में सोलर पॉवर प्लांट का उद्घाटन करने के बाद बुधवार को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भाजपा व बसपा पर हमलावर रहे। कहा कि हम सूरज से बिजली देते हैं और वह बातों से। सपा विकास कर रही है और विरोधी सिर्फ बातें। बुंदेलखंड की खुशहाली और तरक्की चाहिए तो सपा का साथ दें।
दो घंटे देरी से पहुंचे मुख्यमंत्री ने सबसे पहले पांच करोड़ रुपये की लागत से बने पॉवर प्लांट का उद्घाटन किया, फिर जनसभा में पूछा कि भाजपा ने महोबा को क्या दिया? सपा की सरकार ने बुंदेलखंड के लिए कई योजनाएं दीं। सोलर पॉवर प्लांट योजना की शुरुआत महोबा से हुई और उनके कार्यकाल में आखिरी सोलर प्लांट भी को मिला। जनता बिजली चाहती है, भाजपा केवल नारा देती है। सपा गांवों में 24 घंटे बिजली देने के लिए प्रयासरत है। भाजपा नए-नए शब्द लाती है जैसे सर्जिकल स्ट्राइक, कैशलेस। देश में कभी इतने जवान शहीद नहीं हुए जितनी भाजपा की सरकार में। नोटबंदी पर कहा कि जो दो साल में अच्छे दिन नहीं समझ पाया वह कैशलेश क्या समझेगा। नोटबंदी से लोगों को तकलीफ हुई है और देश की अर्थव्यवस्था तथा गरीबों को इससे नुकसान हुआ है। चुनाव लडऩे के लिए सपा के पास विकास का मुद्दा है पर दीगर दलों के पास कुछ नहीं।
अखिलेश ने कहा कि हाथी वाली पार्टी भी अब मुसीबत में है। उन्हें हिसाब किताब देना बाकी है। हिसाब किताब सही न रखने वालों को बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है। हालांकि कांग्रेस को लेकर मुख्यमंत्री ने कुछ नहीं कहा। स्मार्टफोन, यूपी 100 की भी जानकारी दी। कहा कि हमारी सरकार ने 30 हजार लोगों को नौकरी दी। जनसभा के बाद सात छात्रों को लैपटाप दिया।
--------
चरखारी से चुनाव पर बोले, बुंदेलखंड की जनता दिल में
बाद में पत्रकारों के सवाल कि क्या वह चरखारी से चुनाव लड़ेंगे पर मुख्यमंत्री ने कहा कि बुंदेलखंड की जनता उनके दिल में बसती है। उन्हें निराश नहीं होने दिया जाएगा। सपा ने बुंदेलखंड के लिए बहुत कुछ किया है। आगे भी विकास कार्य होते रहेंगे।
-------
छह यूनिटों का लोकार्पण, एक का शिलान्यास
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने यहां 105 मेगावाट क्षमता के छह सौर ऊर्जा संयंत्रों का लोकार्पण तथा 20 मेगावॉट क्षमता के एक संयंत्र का शिलान्यास किया। इनमें पांच महोबा तथा एक ललितपुर की है। शिलान्यास की गई परियोजना झांसी के गरौठा में लगेगी। राज्य सरकार ने इसके लिए 148 करोड़ रुपये की बजट व्यवस्था की है।
------
अखिलेश की नहीं चली
-------
- सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने 325 पार्टी प्रत्याशियों की जारी की सूची
- तीन मंत्रियों, 46 विधायकों के कटे टिकट, दूसरी सूची जल्द
- मंत्री गोप, पवन, रामगोविंद का टिकट कटा, एक का क्षेत्र बदला
--------
लखनऊ : अधिकारों के संग्राम के दौर में समाजवादी पार्टी ने मिशन-2017 के लिए 325 प्रत्याशियों की पहली सूची जारी की, उससे साफ है कि मुलायम सिंह यादव ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को सरकार और शिवपाल यादव को संगठन पर फैसले का अधिकार सौंप रखा है। जिन तीन मंत्रियों व 46 विधायकों का टिकट काटा गया है, उनमें बड़ी संख्या में अखिलेश समर्थक हैं।
मुख्यमंत्री के कोर ग्रुप के कई मंत्रियों का पहली सूची में नाम नहीं है। हालांकि उनकी सीटों पर प्रत्याशी भी घोषित नहीं किए गए हैं। स्पष्ट है कि टिकट बंटवारे के पहले दौर में अखिलेश यादव की नहीं चली जिससे असंतुष्ट यादव ने झांसी में कहा कि वह टिकट पर नेताजी (मुलायम सिंह यादव) से बात करेंगे, उनका संघर्ष जारी रहेगा। लखनऊ लौटने पर देर शाम उन्होंने कई मंत्रियों, विधायकों के साथ आगे की रणनीति पर चिंतन भी किया।
सितंबर से ढाई माह चले समाजवादी परिवार के संग्र्राम में सुलह के बाद से ही टिकट बांटने के अधिकारों को लेकर जोर आजमाइश चल रही थी। प्रदेश अध्यक्ष ने हाल के दिनों में तेजी से प्रत्याशी घोषित करने शुरू किए तो दो दिन पहले मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपनी पसंद के प्रत्याशियों की सूची मुलायम सिंह यादव को भेजी थी। इसके बाद संग्र्राम की ज्वाला फिर भड़कने के आसार बने। बुधवार को सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने अचानक पत्रकारों को बुलाकर 325 सीटों के प्रत्याशी घोषित करते हुए कहा कि वर्ष 2012 में हारी सीटों में से 149 और जीती हुई सीटों में से 176 पर प्रत्याशी घोषित कर रहे हैं। शेष 78 सीटों के प्रत्याशियों पर सर्वे चल रहा है, इन सीटों के प्रत्याशी भी जल्द घोषित होंगे। मुलायम ने कहा कि 403 सीटों के लिए 4200 लोगों ने आवेदन किया था। राष्ट्रीय महासचिव प्रो.राम गोपाल यादव ने आवेदकों का साक्षात्कार लेकर प्रत्याशियों की सूची बनाई है। बची हुई सीटों के लिए भी वह साक्षात्कार व सर्वे कर रहे हैं। कहा कि टिकट काटने से कई लोग नाराज होंगे, इसका उन्हें भी दुख होता है, मगर व्यवस्था के लिए कई बार फैसले लेने पड़ते हैं।
------
तीन मंत्रियों के नाम गायब
मुलायम सिंह ने प्रत्याशियों की जो पहली सूची जारी की, उसमें पूर्व प्रदेश महासचिव व ग्र्राम्य विकास मंत्री अरविंद सिंह गोप की रामनगर विधानसभा सीट पर राज्यसभा सदस्य बेनी प्रसाद वर्मा के बेटे राकेश वर्मा को प्रत्याशी बना दिया गया। सपा से निष्कासित होने के बाद भी राज्यमंत्री का ओहदार बरकरार रखने वाले पवन पाण्डेय का भी टिकट काट दिया गया। उनकी अयोध्या सीट पर उनके ही ममेरे भाई आशीष पाण्डेय को प्रत्याशी बना दिया गया। पूर्व प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर के साथ सियासी सफर शुरू करने वाले वरिष्ठ मंत्री राम गोविंद चौधरी का भी टिकट काट दिया गया है। बलिया जिले में उनकी परंपरागत सीट बांसडीह से नीरज सिंह गुड्डू को प्रत्याशी बना दिया गया।
-------
इनके कटे टिकट
बाराबंकी के रामनगर से विधायक एवं मंत्री अरविंद सिंह गोप, बलिया के बांसडीह से विधायक एवं मंत्री राम गोविंद चौधरी, अयोध्या से विधायक एवं मंत्री पवन पाण्डेय, ठाकुरद्वारा से नवाब जान, मुरादाबाद ग्रामीण से शमीमुलहक, मुरादाबाद शहर से युसूफ अंसारी, बिलारी से मोहम्मद फहीम, धनौरा से मैकल चंद्रा, नौगावा सादात से अशफाक अली खान, डिबाई से भगवान शर्मा, शिकारपुर से मुकेश शर्मा, छर्रा से राकेश सिंह, पटियाली से नजीबा खान जीनत, भोगांव से आलोक कुमार शाक्य, किशनी से बृजेश कठेरिया,बदायूं से आबिद रजा, बहेड़ी से अताउर्रहमान, नवाबगंज से भगवत शरण गंगवार, पूरनपुर से पीतम राम,निघासन से कृष्ण गोपाल पटेल, सिधौली से मनीष रावत, शाहाबाद से बाबू खान, गोपामऊ से श्याम प्रकाश,संडीला से कुंवर महावीर सिंह, मलिहाबाद से इंदल कुमार, सुलतानपुर सदर से अरुण वर्मा, लम्भुआ से संतोष पाण्डेय, कायमगंज से विजय सिंह,  दिबियापुर से प्रदीप कुमार, औरैया से मदन सिंह, अकबरपुर रनिया से राम स्वरूप सिंह, घाटमपुर से इंद्रजीत कोरी, जहानाबाद से मैदान गोपाल वर्मा, पट्टी से राम सिंह, मेजा से गिरीश चंद्रा, जैदपुर से राम गोपाल, टांडा से अजीमुलहक पहलवान, आलापुर से भीम प्रसाद, महसी से कृष्ण कुमार ओझा, बलरामपुर से जगराम पासवान,तरबगंज से अवधेश कुमार सिंह, शोहरतगढ़ से लालमुनि सिंह, फरेन्दा से विनोद मणि त्रिपाठी, बरहज से प्रेम प्रकाश सिंह, मेहनगर से बृज लाल सोनकर, बदलापुर से ओमप्रकाश बाबा दूबे और घोरावल से रमेश चंद्रा का टिकट काट दिया गया है।
---
अखिलेश जहां से चाहें लड़ें
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के विधानसभा चुनाव लडऩे और बुंदेलखंड की कोई सीट चुनने के सवाल पर मुलायम सिंह यादव ने कहा कि वह जहां से चाहें, वहां से चुनाव लड़ सकते हैं। फैसला उनको लेना है। हालांकि इशारा किया कि उनके अभी चुनाव लडऩे की बात नहीं है।
----
दो मंत्रियों व एक पूर्व मंत्री का क्षेत्र बदला
समाजवादी पार्टी ने बिल्हौर की विधायक व राज्यमंत्री अरुण कुमार कोरी को रसूलाबाद से प्रत्याशी घोषित किया है जबकि इस सीट से चुनाव लड़ते रहे पूर्व मंत्री शिव कुमार बेरिया को अब बिल्हौर से प्रत्याशी बनाया गया है। इसी तरह गोंडा से चुनाव जीतकर कृषि मंत्री बने विनोद कुमार सिंह उर्फ पंडित सिंह को पार्टी ने अब तबरगंज विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशी घोषित किया है। पंडित सिंह को प्रो.राम गोपाल यादव का बेहद करीबी माना जाता है।
----
अखिलेश के करीबी मंत्रियों पर असमंजस
सपा मुखिया द्वारा घोषित पहली सूची में सिर्फ तीन मंत्रियों का टिकट ही नहीं कटा बल्कि दर्जन भर मंत्री इसमें स्थान पाने से वंचित रह गए। इस फैसले ने समाजवादी सियासत में खलबली पैदा कर दी है। टिकट की सूची से नदारद ज्यादातर मंत्रियों को मुख्यमंत्री का करीबी माना जाता है। मंत्री राम गोविंद चौधरी, अरविंद सिंह गोप और तेज नारायण उर्फ पवन पाण्डेय की सीट पर सपा ने दूसरे उम्मीदवार उतार दिए हैं मगर करीब दर्जन भर मंत्रियों का न तो पहली सूची में नाम घोषित किया गया और न ही वहां दूसरे उम्मीदवार घोषित किए गए। इन मंत्रियों को असमंजस में डाल दिया गया है। खास बात यह कि ये सभी अखिलेश यादव के करीबी माने जाते हैं। इनमें खाद्य एवं रसद मंत्री कमाल अख्तर, चिकित्सा व स्वास्थ्य मंत्री शिवाकांत ओझा, कर एवं निबंधन मंत्री यासर शाह, कौशल विकास मंत्री अभिषेक मिश्र, गन्ना विकास व चीनी मिल मंत्री नरेन्द्र वर्मा, समाज कल्याण मंत्री शंखलाल मांझी, बाल विकास एवं पुष्टाहार राज्यमंत्री वसीम अहमद, नियोजन एवं ऊर्जा राज्यमंत्री शैलेन्द्र यादव उर्फ ललई, सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री सुधीर कुमार रावत, खाद्य एवं रसद राज्य मंत्री हेमराज वर्मा और समाज कल्याण राज्यमंत्री बंशीधर बौद्ध को पहली बार टिकट नहीं दिया गया है।
-------
टिकट की सूची पर शिवपाल की छाया
- पार्टी ड्रामा और कुनबे की कलह के बीच चल रही व्याख्या
-------
लखनऊ : समाजवादी पार्टी के शूरमा भले यह कहें कि मुलायम सिंह यादव ने उम्मीदवारों की सूची को अंतिम रूप दिया है लेकिन इस सूची पर प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव की छाया साफ दिख रही है। कई बार के हेरफेर के बाद भी सूची में ज्यादातर शिवपाल के पसंदीदा उम्मीदवार हैं। सियासी हलकों में पारिवारिक ड्रामा से लेकर कुनबे के कलह के बीच इसकी व्याख्या की जा रही है।
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने यह कहा था कि 2017 के चुनाव में परीक्षा उनकी होनी है इसलिए वही उम्मीदवारों का चयन करेंगे। पर इनमें कई ऐसे उम्मीदवार घोषित किए गए जिन्हें वह पार्टी में देखना भी नहीं चाहते थे। अवैध कब्जा और पार्टी विरोधी गतिविधियों के इल्जाम में बाहर किए गए सीतापुर जिले के बिसवां विधायक रामपाल यादव की एक दिन पहले पार्टी में वापसी कराई गई और उनका टिकट भी पक्का कर दिया गया। जाहिर है कि अखिलेश सरकार ने जिस विधायक के कब्जे पर बुलडोजर चलवाकर एक मिसाल कायम करने की पहल की, उसी विधायक की पार्टी में वापसी ने यह मैसेज दे दिया कि सिक्का किसका चल रहा है।
-------
तीनों मंत्री बने थे शिवपाल की आंख की किरकिरी : प्रदेश सरकार के मंत्री राम गोविंद चौधरी, अरविन्द सिंह गोप और तेज नारायण उर्फ पवन पाण्डेय का टिकट यूं ही नहीं कटा। तीनों शिवपाल की आंख की किरकिरी बन गए थे। पवन पाण्डेय एमएलसी आशु मलिक के साथ अभद्र व्यवहार कर नेताजी की भी निगाहों में चढ़ गए थे। उन्हें पार्टी से बाहर किया गया तो यह उम्मीद थी कि मंत्रिमंडल से भी हटाए जाएंगे लेकिन अखिलेश ने उन्हें बनाये रखा। इस वजह से भी पहली सूची में उनका टिकट काटकर हैसियत नापने की कोशिश की गई है। खास बात यह कि टिकट भी उनके ही ममेरे भाई को दिया गया है जिनके साथ सियासी प्रतिद्वंद्विता की चर्चा चल पड़ी थी। चाचा-भतीजे की लड़ाई में राम गोविंद चौधरी और गोप मुख्यमंत्री के साथ खुलकर थे। गोप के लिए सबसे बड़ी मुसीबत सांसद और पूर्व मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा बन गए हैं। उनके बेटे को ही गोप की सीट से टिकट मिला है।
-------
शिवपाल की यारी का बर्खास्त मंत्रियों को इनाम : समाजवादी कुनबे की रार का यह एक नया रूप है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने जिन मंत्रियों को बर्खास्त किया था उनमें से ज्यादातर मुलायम सिंह यादव की घोषित पहली सूची में टिकट पाने में कामयाब हुए। इसे शिवपाल की यारी निभाने का इनाम माना जा रहा है। बर्खास्त मंत्री नारद राय, अंबिका चौधरी, शादाब फातिमा, ओमप्रकाश सिंह, राजा महेन्द्र अरिदमन सिंह, शिव कुमार बेरिया, योगेश प्रताप सिंह और राजकिशोर सिंह के टिकट घोषित कर दिए गए हैं। शिवपाल सिंह यादव का नाम भी इस सूची में घोषित है। खास बात यह कि राजकिशोर अपने भाई डिंपल को भी टिकट दिलाने में सफल रहे जबकि अरिदमन की पत्नी पक्षालिका सिंह को भी टिकट मिला है।
-------
बाहुबलियों की गली दाल : अखिलेश यादव ने अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी जैसे बाहुबलियों से दूरी बनाने की भले कोशिश की लेकिन दूसरे खेमे ने इसमें बाजी मार ली। ज्यादातर बाहुबलियों और दागियों की दाल गली है। अतीक अहमद का कानपुर कैंट से टिकट बहाल रखा गया है जबकि इलाहाबाद विवाद के बाद उनके टिकट कटने की बात पक्की मानी जा रही थी। बाहुबली मुख्तार अंसारी का टिकट तो नहीं दिया गया लेकिन उनके भाई का सिबगतुल्लाह से टिकट घोषित कर दिया गया है। एनआरएचएम घोटाले के आरोपी कांग्रेस छोड़कर आए विधायक मुकेश श्रीवास्तव भी टिकट पाने में कामयाब रहे।
-------
अखिलेश के करीबियों का नाम नहीं
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के करीबियों में शुमार लखनऊ उत्तर के विधायक व मंत्री अभिषेक मिश्रा, प्रतापगढ़ के रानीगंज से विधायक व मंत्री शिवाकांत ओझा, अमरोहा सदर से विधायक व मंत्री कमाल अख्तर, बहराइच के मटेरा से विधायक व मंत्री याशर शाह और जौनपुर जिले विधायक व मंत्री ललई यादव को प्रत्याशियों की पहली सूची में नाम नहीं मिला है।
-------
टिकटों पर मुलायम का फैसला सर्वोपरि: नंदा
मथुरा : समाजवादी पार्टी के उपाध्यक्ष किरणमय नंदा ने कहा है कि विधानसभा प्रत्याशियों की सूची पर अध्यक्ष मुलायम ङ्क्षसह क ा फैसला सर्वोपरि है, पार्टी में सूची तो किसी की भी हो सकती है। उन्होंने साफ किया कि सपा चुनाव में कांग्र्रेस सहित किसी दल से गठबंधन नहीं करेगी।
मुलायम संदेश यात्रा को रवाना करने से पहले नंदा बुधवार को यहां एक होटल में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सपा प्रदेश की सभी 403 सीटों पर चुनाव लडऩे जा रही है। भाजपा को जनता उसे सबक सिखाएगी। मायावती पर धन के सवाल पर बोले कि यह तो मायावती से ही पूछें कि उन पर इतना धन कहां से आया। अतीक अहमद के बाहुबली होने पर खुलकर बोलने से वे बचते रहे। कहा कि पहले भी उनको टिकट मिल चुका है, इसलिए फिर प्रत्याशी बनाया है। चुनाव में अखिलेश को मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट करने के सवाल पर वरिष्ठ सपा नेता ने कहा कि पार्टी जिसे नेता चुनती है, वही मुख्यमंत्री बनता है।
 
------