Sunday 4 June 2023

अपनों को परखने की मंशा से चुनाव लड़ रही सपा

 

परवेज़ अहमद

लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधान परिषद दो सीटों के उपचुनाव का मतदान 29 मई को होगा। ये सीटें विधानसभा सदस्य (एमएलए) कोटे की हैं, इसलिए विधायक मतदाता होंगे। जिसके लिये भाजपा व समाजवादी पार्टी दोनों ने दो-दो प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं। चुनाव आयोग ने इन सीटों के लिए प्रथृक नोटिफिकेशन (अधिसूचना) किया है। जिससे विधायकों को दोनों सीटों के लिए अलग-अलग वोट डालने का अधिकार मिलेगा। संख्या बल के हिसाब से सत्तारूढ़ भाजपा व गठबंधन के पास 274 सदस्य हैं जबकि मुख्य विपक्षी दल के पास जाहिरा तौर पर सिर्फ 115 सदस्य हैं। एक सदस्य की जीत के लिए 203 वोटों की आवश्यकता है जाहिर है सपा इस संख्या से बहुत पीछे है। भारी उलट-पलट हो जाए तब भी जादुई संख्या तक नहीं पहुंचा जा सकता। भाजपा के दोनों प्रत्याशियों की जीत तकरीबन तय है। फिर भी सपा ने चुनावी अखाड़े में दोनों प्रत्याशी क्यों उतारे ?  अपने दो प्रत्याशियों की पराजय की फजीहत के लिए क्यों तैयार हुई ? क्या है उसकी राजनीतिक रणनीति ?

 

रिक्त सीटों की संख्या- 02

रिक्तता का कारण और कार्यकाल

-एक सीट लक्ष्मण प्रसाद आचार्य के राज्यपाल नियुक्त होने पर 15 फरवरी 2023 को रिक्त हुई थी। इस सीट पर निर्वाचित होने वाले सदस्य का कार्यकाल 30 जनवरी 2027 तक होगा।

-दूसरी सीट बनवारी लाल के निधन से रिक्त हुई जिसे 15 फरवरी 2023 को रिक्त घोषित किय गया, इस सीट पर निर्वाचित होने वाले सदस्य का कार्यकाल 6 जुलाई 2028 तक होगा।

 

फैक्ट फाइंडिंग

अधिसूचना : 11 मई 2023

नामांकन की अंतिम तिथिः 18 मई

नाम वापसी की अंतिम तिथिः 22 मई

मतदानः 29 मई (नौ बजे से शाम चार बजे तक)

मतगणनाः 29 मई शाम 5 बजे से परिणाम आने तक

 

एमएलए के मतों से होगा चुनाव

विधान परिषद के लिए रिक्त हुई दोनों सीटों का निर्वाचन विधायकों के मतों से होना है। मौजूदा समय में भाजपा के 255 हैं। उसके सहयोगी दलों के विधायकों की संख्या 19 है। यानी कुल विधायकों की संख्या 274 है। समाजवादी पार्टी के पास 109 विधायक हैं। उसके गठबंधन में शामिल राष्ट्रीय लोकदल के विधायकों की संख्या 06 है। सुहैल देव समाज पार्टी 2022 का विधानसभा चुनाव सपा के साथ लड़ी थी लेकिन अभी वह गठबंधन से पृथक है। उसका एक विधायकों की संख्या 6 है लेकिन एक कासगंज जेल में बंद हैं।

 

जीत के लिए वोटों का गणित

भारत निर्वाचन आयोग ( चुनाव आयोग) ने उत्तर प्रदेश विधान परिषद के लिए रिक्त दोनों सीटों के लिए पृथक ( सेपरेट) चुनाव अधिसूचना जारी की है, पर दोनों सीटों की मतदान की तिथि एक ही है। इसलिए विधायकों को दो प्रत्याशियों को वोट दे सकेंगे। दोनों सीटों के लिए मत बॉक्स अलग-अलग रखे जाएँगे। इस हिसाब से जो भी व्यक्ति प्रथम वरीयता के 203 वोट पा जाएगा, उसकी जीत सुनिश्चित होगी । हालांकि इस चुनाव में विधायकों को प्रथम, द्वितीय, तृतीय वरीयता के मत देने का अधिकार होता है।

 

 

सदस्यों की दलीय स्थिति

भाजपा-255

सपा-109

अपनादल (सोनेलाल)-13

आरएलडी-09

कांग्रेस-02

बसपा-01

सुभासपा-06

निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल-06

जनसत्ता दल लोकतांत्रिक दल-02

 

 

बुलेट ट्रेन से तेज दौड़ी थी आयुष काउंसिलिंग की फाइल

 -6 दिसंबर को अपट्रान पावर ट्रानिक्स को कार्य देने का प्रस्ताव बना, उसी दिन निदेशालय, शासन के सेक्शन, अनुसचिव और अपर मुख्य सचिव आयुष ने दी मंजूरी

-7 दिसम्बर को ही आयुष मंत्री ने मंजूरी दी, उसी दिन आदेश आयुर्वेद निदेशालय पहुंच गया और कार्य आवंटन आदेश भी जारी हो गया

-और ये सारा कार्य एक फर्जी लेटर हेड पर हुआ था, एसटीएफ के आरोप में ये सारी बातें दर्ज हैं

-फिर भी अपर मुख्य सचिव को सीधे आरोपी नहीं बनाया गया, अब सीबीआई ढंढूगी खामियां

परवेज़ अहमद

लखनऊ। राष्ट्रीय पात्रता एवं प्रवेश परीक्षा( नीट 2021-22 सत्र) के जरिये बीएएमएस, बीयूएमएस और बीचएमएस में दाखिले की काउंसिलिंग एजेंसी के निर्धारण व उसकी दरे ( पैसा) निर्धारित करने में फर्जी, कूटरचित लेटर हेड का इस्तेमाल किया गया। यह फर्जी पत्र ने कुछ घंटों के अंदर ही अपट्रान पावर ट्रानिक्स से आयुर्वेद निदेशालय, लिपिक, निदेशक, शासन के सेक्शन अधिकारी, अनुसचिव की मंजूरी ही हासिल नहीं की बल्कि अपर मुख्य सचिव आयुष प्रशांत त्रिवेदी की सकारात्मक टिप्पणी भी हासिल कर ली और अगली तारीख लगते ही पत्र पर मंत्री डॉ.धर्म सिंह सैनी की स्वीकृति हो गयी और इसी दिन निदेशक ने पूर्ववर्ती दरों पर नीट काउंसिलिंग का कार्य अपट्रान पावर ट्रानिक्स को आवंटित करने का आदेश जारी कर दिया। यानी ये सारा कार्य बुलेट ट्रेन की रफ्तार से हुआ। एसटीएफ (स्पेशल टॉस्क फोर्स ) के विवेचनाधिकारियों ने तकनीकी, वैज्ञानिक साक्ष्यों के साथ ये सब उल्लेख किया मगर शीर्ष अधिकारी को सीधे आरोपी नहीं बनाया। क्यों ?  सीबीआई की विवेचना में शायद इसका उत्तर मिल सके।

आरोप पत्र में एसटीएफ के विवेचनाधिकारी संजीव कुमार दीक्षित ने एक स्थान पर उल्लेख किया गया है कि शासन से प्राप्त टेंडर डिटेल के अवलोकन में पाया गया कि अपट्रान पावर ट्रानिक्स लिमिटेड के लेटर पैड संख्या -1093 रिफरेंस नम्बर यूपीएल-202122-886 जो निदेशक आयुर्वेद को तकनीकी सलाहकार रूपेश श्रीवास्तव ने भेजा था, उस पर हस्ताक्षर शिवम श्रीवास्तव के थे। इसी आदेश को आयुर्वेद विभाग के निदेशक प्रो.एसएन सिंह ने पत्रांक  संख्या-1244-शिक्षा-2432-2021 (नीट 2021) 6 दिसम्बर 2012 को ही अपर मुख्य सचिव आयुष ( प्रशांत त्रिवेदी तैनात थे) को लिखा, इसमें पूर्ववर्ती दरों पर ही अपट्रान पावर ट्रानिक्स को कार्य आवंटित करने के लिए कहा गया था। इसी तिथि यानी 6 दिसम्बर को ही अनुसचिव ने भी सकारात्मक टिप्पणी लिख थी और उसी दिन अपर मुख्य सचिव ने भी अपनी टिप्पणी प्रेषित कर दी। और अगले दिन यानी 7 दिसम्बर 2021 को तत्कालीन मंत्री डॉ.धर्म सिंह सैनी का अनुमोदन हो गया और इसी दिन यानी 7 दिसम्बर को ही अपट्रान पावर ट्रानिक्स को कार्य आवंटित करने का आदेश भी जारी कर दिया गया।

एसटीएफ ने आरोप पत्र में लिखा है कि पूछताछ में रूपेश कुमार ने बताया कि उनके द्वारा लेटर पैड संख्या-1091 दिनांक सात दिसम्बर 2021 को निदेशक के लिये जारी किया गया था। जिससे साफ है कि फर्जी एवं कूटरचित पत्र पर टेंडर आवंटित कर दिया गया। विवेचनाधिकारी ने अदालत में दाखिल विवेचना के परचा नम्बर 11 में सारा ब्यौरा दर्ज किया है।

  

 

 

किस-किस के खिलाफ चार्जशीट

1-सत्य नारायण सिंह, निवासी कहलो गार्डेन सिटी वृंदावन कालोनी, लखनऊ

2- डॉ. उमाकांत, निलंबित प्रभारी अधिकारी शिक्षा आयुर्वेद निदेशालय

3- राजेश सिंह, वरिष्ठ सहायक आयुर्वेद निदेशालय

4-कैलाश चन्द्र भाष्कार, कनिष्ठ सहायक आयुर्वेद निदेशालय

5- कुलदीप सिंह वर्मा, बिचौलिया, आउटसोर्सिंग कंपनी कर्मी

6- प्रबोध सिंह, एजीएम अपट्रान पावर ट्रानिक्स लिमिटेड

7-रूपेश रंजन पांडेय, पार्टनर रिमार्क टेक्नोलॉजी लिमिटेड

8-इन्द्र देव मिश्र, पार्टनर रिमार्क टेक्नोलॉजी लिमिटेड

9-सौरभ मौर्य ( मौर्च) निदेशक, टेक्नोओशियन आईटी साल्यूशन

10-हर्षवर्धन तिवारी उर्फ सोनल डायरेक्टर टेक्नोओशिवान आईटी साल्युशन

11-गौरव कुमार गुमा डायरेक्टर वी-3 साफ्ट साल्युसन प्रा.लि.

12-रूपेश श्रीवास्तव, तकनीकी सहायक, अपट्रान पावर ट्रानिक्स लिमिटेड

 

 

प्राइवेट व्यक्ति

विजय यादव,  धर्मेन्द्र यादव, निवासीबरईपुर सारनाथ वरुणा वाराणसी और आलोक तिवारी मडियांव लखनऊ।

गवाह

एसटीएफ ने दो स्तर के गवाह बनाये हैं। सीधे गवाह के रूप में 12 लोगों का नाम दर्ज है और अन्य गवाह के रूप में 13 लोगों का नाम दर्ज है। इस मामले के विवेचनाधिकारियों को  साक्षी और गवाह के रूप में दर्ज किया गया है। इसमें एक डिप्टी एसपी, इंस्पेक्टर , सब इंस्पेक्टर व सिपाही शामिल हैं।