Saturday 1 July 2017

POLICE_KILLING @ 2017

30/1 july
-----------
 बिजनौर में दारोगा की गला काटकर हत्या, पिस्टल लूटी
--------
-यूपी-उत्तराखंड सीमा की बालावाली चौकी पर तैनात थे
-मंडावर थाने से बालावाली चौकी पर जाते समय बदमाशों ने की हत्या
चंदक (बिजनौर) : बेखौफ बदमाशों ने बालावाली चौकी इंचार्ज सहजोर सिंह की गला काटकर हत्या कर दी और सर्विस पिस्टल लूट ली। बदमाश शव सड़क किनारे खेत में फेंक गए।
यूपी-उत्तराखंड सीमा पर गंगा किनारे मंडावर थाने की बालावाली पुलिस चौकी पर करीब एक साल से दारोगा सहजोर सिंह मलिक प्रभारी थे। शुक्रवार रात आठ बजे वह बाइक से मंडावर थाने से 20 किमी दूरी स्थित बालावाली पुलिस चौकी जा रहे थे। गोपालपुर गांव से कुछ दूर बंद पड़ी कांच की फैक्ट्री के समीप बदमाशों ने उनकी हत्या कर दी। रास्ते से जा रहे एक युवक ने मार्ग पर बाइक खड़ी होने की सूचना गोपालपुर में दी तो ग्रामीणों ने पुलिस को बताया। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक शव सड़क किनारे खेत में पड़ा था। गर्दन व अंगुली कटी हुई थी। शरीर पर चोट के कई निशान थे और सरकारी पिस्टल गायब थी। अंदेशा है कि मौत से पहले दारोगा से मारपीट व हाथापाई हुई। डीएम जगतराज, एसपी अतुल शर्मा कई थानों की फोर्स के साथ मौके पर पहुंचे। सहजोर सिंह मलिक चौकी पर बने आवास में ही रहते थे। उनका परिवार मेरठ के कंकडखेड़ा में बाईपास पर रहता है। सहजोर सिंह मूल रूप से शामली के लिसाढ़ गांव के रहने वाले थे। उनका परिवार मेरठ के कंकरखेड़ा में रहता है। उनके भाई अन्य परिजनों के साथ बिजनौर रवाना हो गए। एसपी अतुल शर्मा ने बताया कि दरोगा की हत्या और पिस्टल गायब होने की जांच की जा रही है।
----------

CBI, VIGILANCE @ INVESTIGATION-2017

2 june
 बीबीएयू के प्रोफेसर घूस लेते गिरफ्तार
संविदा शिक्षक की शिकायत पर सीबीआइ ने की कार्रवाई
 लखनऊ : सीबीआइ ने शिक्षकों की संविदा बढ़ाने के बदले घूस लेने के आरोप में बाबा साहब भीमराव अंबेडकर केन्द्रीय विश्वविद्यालय को प्रोफेसर  विपिन सक्सेना व उनके विभाग में कार्यरत सहायक विजय द्विवेदी को गिरफ्तार कर लिया है। उनके पास मिले दस्तावेजसील कर दिये गये हैैं।
 भीमराव अंबेडकर केन्द्रीय विश्वविद्यालय के एक संविदा शिक्षक ने सीबीआइ की लखनऊ ब्रांच में संविदा अवधि बढ़ाने के बदले कमेटी के प्रमुख द्वारा घूस की मांग की जा रही है। एसपी प्रणव कुमार ने घूस के रूप में मांगी गई 50 हजार की राशि के साथ शिकायतकर्ता को प्रो.विपिन सक्सेना के पास भेजा। उनके साथ सीबीआइ अधिकारियों की एक टीम भी भेजी गयी। जिसने प्रो.विपिन को घूस लेते हुए गिरफ्तार कर लिया। उनके पास से घूस की रकम भी बरामद हुयी है। सीबीआइ अधिकारियों ने बताया कि प्रो.विपिन सक्सेना पर 27 संविदा शिक्षकों से घूस मांगने का आरोप है। इसकी जांच पड़ताल की जा रही है। प्रो.विपिन के कार्यालय के दस्तावेज जब्त करने लिये गये और छानबीन की जा रही है।
-----------------
2 june  रिवर फ्रंट घोटाले
------
 जांच समिति ने आलोक रंजन व दीपक  सिंघल से मांगा जवाब
 रिवर फ्रंट घोटाले के दोषियों पर कार्रवाई निर्धारित करने को गठित समिति की पहली बैठक का फैसला
- मंत्री सुरेश खन्ना, आइएएस अधिकारी प्रवीर कुमार, अनूप पांडेय, प्रमुख सचिव न्याय रंगनाथ की समिति कर रही है जांच
 लखनऊ : रिवर फ्रंट के निर्माण में गड़बड़ी के लिए चिह्नित दोषियों पर कार्रवाई की संस्तुति से पहले मंत्री सुरेश खन्ना की जांच समिति ने तत्कालीन मुख्य सचिव आलोक रंजन, प्रमुख सचिव सिंचाई दीपक सिंघल का पक्ष सुनने का निर्णय किया है। दोनों अधिकारियों को लिखित जवाब के लिए तीन दिन की मोहलत दी जाएगी।  समाजवादी सरकार की गोमती चैनलाइजेशन योजना में करोड़ों का घोटाला व नियमों की अनदेखी का न्यायमूर्ति आलोक सिंह की जांच रिपोर्ट में खुलासा होने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आरोपितों पर कार्रवाई निर्धारित करने के लिए मंंत्री सुरेश खन्ना की अध्यक्षता में एक समिति गठित की है। जिसमें राजस्व परिषद के अध्यक्ष प्रवीर कुमार, अपर मुख्य सचिव वित्त अनूप पांडेय, प्रमुख सचिव न्याय रंगनाथ पांडेय को सदस्य नियुक्त किया गया है। शुक्रवार को समिति की पहली बैठक हुई, जिसमें न्यायमूर्ति आलोक समिति की संस्तुतियों व जांच रिपोर्ट का अध्ययन किया। सूत्रों का कहना है कि समिति ने पाया कि जांच के दौरान तत्कालीन मुख्यसचिव आलोक रंजन व प्रमुख सचिव सिंचाई दीपक सिंघल का पक्ष नहीं लिया गया। खन्ना समिति ने दोनों का पक्ष जांच में शामिल कराने का निर्णय लिया है। सूत्रों का कहना है कि इन दोनों को लिखित बयान देने के लिए तीन दिन का समय देने का निर्णय लिया गया है।
---
वर्ष 2014-15 में शुरू हुई थी योजना
वर्ष 2014-15 में गोमती नदी चैनलाइजेशन परियोजना के लिए 656 करोड़ रुपये की धनराशि आवंटित की थी जो बढ़कर 1,513 करोड़ हो गई थी। इस राशि का 95 प्रतिशत हिस्सा खर्च होने के बावजूद परियोजना का 60 प्रतिशत कार्य पूरा हुआ। मुख्यमंत्री बनने के बाद आदित्यनाथ ने गोमती रिवर फ्रंट का निरीक्षण किया और सेवानिवृत न्यायमूर्ति आलोक सिंह की अध्यक्षता में समिति गठित कर 45 दिन में रिपोर्ट मांगी थी। उन्होंने पिछले सप्ताह मुख्यमंत्री को रिपोर्ट सौंपी थी।
---------
विलंब के लिए भी जिम्मेदार
परियोजना को पूरा करने में विलंब के लिए अभियंताओं को प्रथम दृष्टतया दोषी ठहराया गया है। तत्कालीन प्रमुख सचिव सिंचाई, तत्कालीन प्रमुख अभियंता समेत विभागाध्यक्ष सिंचाई के शामिल थे। दो वर्ष में 23 बैठक करने के बावजूद समय से कार्य पूरा नहीं हुआ, जिसके लिए अनुश्रवण समिति के अध्यक्ष भी जिम्मेदार ठहराया गया है।
-----------
5 june
------
 विजिलेंस ने यूपीएसआइडीसी घोटाले की जांच पर मांगा निर्देश
-यूपीएसआइडीसी के घोटाले पर सतर्कता अधिष्ठान से जांच आख्या मांगने का मामला
- नियमों का हवाला देकर सतर्कता अधिष्ठान ने शासन से पूछा कैसे करें जांच?
 लखनऊ : उप्र राज्य औद्योगिक विकास निगम (यूपीएसआइडीसी) के कथित टेंडर घोटाले जांच करने की मुख्यमंत्री कार्यालय की 'अपेक्षाÓ पर नियमों का पेंच फंस गया है। विजिलेंस निदेशालय ने मुख्यमंत्री कार्यालय के आदेश को सतर्कता विभाग को वापस करते हुये इस पर कार्रवाई के लिए दिशा निर्देश मांगा है। नियमों के मुताबिक किसी महकमें, अधिकारी की विजिलेंस जांच का आदेश सतर्कता विभाग के अधिकारी ही कर सकते हैैं।
मनी लांड्रिंग, धोखाधड़ी जैसे गंभीर इल्जामों से घिरे यूपीएसआइडीसी के मुख्य अभियंता अरुण मिश्रा ने पूर्व एमडी व आइएएस अधिकारी अमित घोष पर 300 करोड़ का घोटाला करने की जांच कराये जाने काप्रार्थना पत्र दिया था। 29 मई को इस प्रार्थना पत्र पर ही मुख्यमंत्री के विशेष सचिव डॉ.आदर्श सिंह ने महानिदेशक सतर्कता को लिखा कि-'प्रकरण की गंभीरता के दृष्टिगत 15 दिनों में आख्या प्रस्तुत करना सुनिश्चित किये जाने की अपेक्षा की गई है।Ó आदेश की प्रति हाथों-हाथ महानिदेशक  सतर्कता के यहां पहुंची। मुख्यमंत्री कार्यालय के आदेश पर अमल करते हुए सतर्कता अधिष्ठान के अधिकारियों ने कानपुर इकाई को आख्या जुटाने का मौखिक आदेश दिया। इस बीच शिकायतकर्ता के खुद मनी लांडिं्रग, भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे होने को लेकर बखेड़ा खड़ा हो गया। सवाल यह भी उठाया कि आखिर ढेरों से इल्जामों से घिरा इंजीनियर मुख्यमंत्री के यहां तक कैसे पहुंचा? रविवार को अचानक मुख्यमंत्री के निजी सचिव दीपक श्रीवास्तव व अपर निजी सचिव काशीनाथ तिवारी को उनके पदों से हटा गिया गया। इस कार्रवाई को यपूएसआइडीसी प्रकरण से जुड़ा माना गया था।
सोमवार को महानिदेशक सतर्कता भूपेन्द्र सिंह ने मुख्यमंत्री के विशेष सचिव के आदेश की प्रति प्रमुख सचिव सतर्कता को वापस लौटते हुए इस संदर्भ में शासन का दिशा निर्देश मांगा है। विजिलेंस के सूत्रों का कहना है कि शासन के निर्देश के बाद भी इस दिशा में कोई कार्रवाई की जाएगी।
----
सतर्कता जांच का नियम
किसी भी व्यक्ति, संस्था के विरुद्ध सतर्कता जांच के लिए प्रमुख सचिव या सचिव सतर्कता की ओर से आदेश अथवा अधिसूचना जारी होनी जरूरी होती है। इस प्रक्रिया के बिना सतर्कता जांच नहीं हो सकती। मुख्यमंत्री सतर्कता विभाग के मंत्री भी हैैं। ऐसे में उनके विशेष सचिव सतर्कता जांच कराने या आख्यमा मांगने का सीधे आदेश दे सकते हैैं, मगर आदेश सतर्कता विभाग को भेजना चाहिए था, जहां सेअधिसूचना या आख्या मांगने का आदेश सतर्कता अधिष्ठान (विजिलेंस निदेशालय) भे्जा जाता।
----
मामला क्या है?
यूपीएसआइडीसी के दागी अभियंता अरुण मिश्र ने मुख्यमंत्री कार्यालय को दिये प्रार्थना पत्र में तत्कालीन एमडी अमित घोष पर दो अगस्त 2016 से 14 अप्रैल 2017 के बीच 1100 करोड़ रुपये के ठेकों के आवंटन में गड़बड़ी का आरोप था। इल्जाम यह भी था कि टेंडरों में कमीशनखोरी के जरिये घोष ने 200 से 300 करोड़ रुपए का आर्थिक लाभ लिया। ट्रांस गंगा सिटी और सरस्वती हाइटेक सिटी परियोजनाओं में सीमेंट-कंक्रीट रोड के लिए आवंटित 600 करोड़ रुपये के टेंडर में गड़बड़ी का भी शिकायती पत्र में उल्लेख था। अरुण मिश्रा ने यह आरोप भी लगाया है कि 2016-17 की कार्ययोजना में 1668 एकड़ जमीन  विकसित करने के लिए 970 करोड़ रुपये का खर्च प्रस्तावित था। उक्त वित्तीय वर्ष में 100 एकड भी जमीन विकसित नहीं हो पायी। इसी शिकायत पर विशेष सचिव मुख्यमंत्री डॉ.आदर्श सिंह ने महानिदेशक सतर्कता से जांच आख्या मांगी थी।
------
कोट:
विजिलेंस से कोई दिशा निर्देश मांगे जाने की अभी जानकारी नहीं है। मुख्यमंत्री कार्यालय ने अगर कोई आदेश किया है तो उसका पालन कराया जाएगा-अरविंद कुमार, प्रमुख सचिव गृह, सतर्कता
---------
5 june
----
 सीबीआइ जांच की आंच में तपेंगे पूर्व मुख्यमंत्री के सचिव
तत्कालीन मुख्यमंत्री के सचिव आलोक कुमार ने 13 पट्टा आवंटन का प्रस्ताव मंजूर किया था
लखनऊ : अदालत की रोक बावजूद खनन पट्टा आवंटित करने, बाधित अवधि का परमिट करने की सीबीआइ जांच की आंच में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के सचिव रहे आइएएस अधिकारी आलोक कुमार भी तपेंगे। सीबीआइ उनसे जल्द ही पूछताछ करेगी।
अदालत के आदेश पर सीबीआइ बांदा, कौशांबी, हमीरपुर, शामली जिलों में अवैध खनन, नियमों की अनदेखी कर पट्टे आवंटित करने की जांच कर रही है। सीबीआइ अधिकारी अब तक चार आइएएस अधिकारियों, पट्टाधारकों व खान अधिकारियों से पूछताछ कर चुकी है। इस छानबीन में ही   सीबीआइ के हाथ फरवरी 2013 में हमीरपुर में जारी 13 पट्टों की पत्रावली लगी है। जिसमें चंद दिनों के अंदर डीएम से लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय तक की मंजूरी मिल जाने का साक्ष्य हैैं। सीबीआइ अधिकारियों का कहना है कि बमुश्किल एक हफ्ते के अंदर पट्टा आवंटन की प्रक्रिया पूरी होना सवाल खड़े कर रहा है।   हमीरपुर के तत्कालीन डीएम ने फरवरी 2013 में दो माह के अंदर स्वच्छता प्रमाण पत्र हासिल करने का हवाला देते हुए ठेकेदारों को 13 पट्टे जारी करने का प्रस्ताव भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग को भेजा था।
15 फरवरी 2013 को भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग के अनुसचिव सुरेन्द्र कुमार ने डीएम की संस्तुतियों पर सहमति जताते हुए पत्रावली विशेष सचिव विवेक वाष्र्णेय को भेजी। जन्होंने इसी तिथि में हाईकोर्ट के एक मुकदमे का हवाला देते हुये पट्टे आवंटन की संस्तुति तत्कालीन प्रमुख सचिव भूतत्व एवं खनिकर्म जीवेश नंदन को भेजी। उन्होंने पत्रावली पर कुछ लिखे बगैर ही उसे तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के सचिव आलोक कुमार के पास भेज दिया।
सीबीआइ सूत्रों के मुताबिक तत्कालीन मुख्यमंत्री के सचिव आलोक कुमार ने पत्रावली पर लिखा-'मा.मुख्यमंत्री जी ने अनुमोदित किया।Ó उस पर अपने हस्ताक्षर भी किये मगर तिथि नहीं डाली। उनकी मंजूरी के आधार पर 17 फरवरी को विशेष सचिव विवेक वाष्र्णेय ने पट्टा आवंटन की मंजूरी का आदेश डीएम हमीरपुर को भेज दिया। सीबीआइ इस सवाल का जवाब तलाश रही है कि मुख्यमंत्री के तत्कालीन सचिव ने फाइल पर तिथि क्यों नहीं डाली? पूरे हस्ताक्षर क्यों नहीं किये। पत्रावली इतनी तेजी से कैसे बढ़ी? यह बिन्दु जांच का विषय है। सीबीआइ सूत्रों का कहना है वह लिहाजा आलोक कुमार से जल्द पूछताछ  की तैयारी है। आलोक कुमार केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली में तैनात है। इस प्रकरण की जांच सीबीआइ की दिल्ली इकाई कर रही है, ऐसे में उनसे वहीं पूछताछ संभव है।
----
जांच के घेरे में हैैं आधा दर्जन आइएएस
अवैध खनन की जांच के घेरे में उत्तर प्रदेश कैडर के आधा दर्जन अधिकारी हैैं। इनमें से दो केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली में कार्यरत हैैं। एक जिलाधिकारी का ओहदा संभाल रहे हैैं और तीन विशेष सचिव के पद पर कार्यरत हैैं। एक प्रतीक्षारत हैैं।
-----------
6 june  स्मारक घोटाला
 -----
ब्नियम विरुद्ध थे पत्थर आपूर्ति करने वाले समूह

- विजिलेंस ने स्मारक घोटाले की जांच का एक हिस्सा पूरा किया
- दोषियों के विरुद्ध एफआइआर की शासन से अनुमति मांगने की तैयारी
 लखनऊ : बसपा सरकार में लखनऊ व नोएडा में बने स्मारकों में इस्तेमाल पत्थरों की आपूर्ति के लिये गठित कंसोर्टियम (समूह) नियम विरुद्ध थे। इनके जरिये पत्थर खरीदने से सरकार को करोड़ों रुपये की चपत लगी। जांच में यह खुलासा होने के बाद अब विजिलेंस अधिकारी खनन विभाग के दो पूर्व निदेशक, तीन भूवैज्ञानिकों, कंसोर्टियम संचालकों विरुद्ध एफआइआर की शासन से अनुमति मांगने की तैयारी में है।
वर्ष 2007-2012 की बसपा सरकार के दौरान लखनऊ व नोएडा (गौतमबुद्धनगर) में बने स्मारकों के निर्माण में 500 करोड़ का घोटाला होने का खुलासा तत्कालीन लोकायुक्त एनके मेहरोत्रा ने अपनी जांच में किया था। न्यायमूर्तिमेहरोत्रा ने घोटाले की सीबीआइ अथवा विशेषज्ञ एजेंसी से जांच कराने की तत्कालीन मुख्यमंत्री से संस्तुति की थी। जिस पर तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने लोकायुक्त की संस्तुतियों की विवेचना का जिम्मा जांच सतर्कता अधिष्ठान को सौंपा था।
सतर्कता अधिष्ठान स्मारक घोटाले को कई हिस्सों में बांटकर जांच कर रहा है। पत्थर आपूर्ति के लिए कंसोर्टियम गठित करने की जांच पूरी हो गयी है। सूत्रों का कहना है कि निदेशक भानु प्रताप सिंह की अगुवाई वाले जांच दल ने अपनी विवेचना में कंसोर्टियम के गठन को नियम विरुद्ध पाया है। पत्थर आपूर्ति, पत्थर तराशी के नाम पर करोड़ों का गोलमाल होने के साक्ष्य जुटाये हैैं। जांच अधिकारियों ने यह भी पाया है कि पत्थर लखनऊ व मीरजापुर में तराशे गये जबकि ठेकेदारों को भुगतान राजस्थान की दरों से किया गया।
 विजिलेंस निदेशालय के सूत्रों का कहना है कि कंसोर्टियम गठन व पत्थर आपूर्ति की जांच पूरी हो गई है। इसके लिए  तत्कालीन खनन निदेशक राम बोध मौर्य, सलाहकार सुहैल फारूकी, भूवैज्ञानिक नवीन दास, सतीश कुमार सिंह, अनिल शर्मा और निर्माण निगम के कुछ प्रोजेक्ट इंजीनियरों को जिम्मेदार माना गया है। जिनके विरुद्ध एफआइआर कराने की शासन से जल्द इजाजत मांगी जाने की तैयारी है।
----
शासन के बगैर कुछ नहीं कर सकती विजिलेंस
सतर्कता अधिष्ठान के नियम ऐसे हैैं कि वह जांच में दोषी व्यक्ति पर तभी कार्रवाई कर सकता है जब शासन उसकी अनुमति प्रदान करे। अगर शासन अनुमति नहीं देता है तो कार्रवाई नहीं हो सकती है। नियय है कि सतर्कता अधिष्ठान जांच रिपोर्ट प्रमुख सचिव सतर्कता के जरिये विभागीय मंत्री को भेजा था, जिस पर आगे की कार्रवाई की इजाजत पर निर्णय होता है।
-----
19 लोगों के नाम थे कंसोर्टियम
राजेश कुमार, पीयूष श्रीवास्तव, मंगला द्विवेदी, मु्न्नीदेवी, बच्चू सिंह, अंकुर अ्रग्रवाल, अशोक कुमार द्वितीय, किशोरी लाल, विनोद श्रीवास्तव, अशोक श्रीवास्तव, रमेश कुमार, अंजना दुबे, पन्नालाल, लाल बहादुर सिंह के नाम कंसोर्टियम थे। इनके आधीन 60 फर्मो ने स्मारकों के लिए पत्थर आपूर्ति का कार्य किया था।
------------
6 june-गोमती रिवर फ्रन्ट घोटाला
 आलोक रंजन व दीपक सिंघल ने कहा वे निर्दोष
 लखनऊ : पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन और पूर्व प्रमुख सचिव सिंचाई दीपक सिंघल ने गोमती रिवर फ्रन्ट परियोजना में गड़बड़ी के दोषियों की सजा तय करने को गठित समिति को मंगलवार को अपना जवाब सौंप दिया है। जवाब में दोनों ने नियमों का हवाला देते हुए खुद को पूरी तरह से निर्दोष बताया है। न्यायमूर्ति आलोक सिंह की जांच रिपोर्ट में परियोजना में भ्रष्टाचार के लिए सिंचाई विभाग के कई इंजीनियरों के साथ इन दोनों अधिकारियों की ओर भी अंगुली उठाई गई थी।
मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने के बाद योगी आदित्यनाथ ने गोमती चैनलाइजेशन परियोजना का निरीक्षण किया था और उसमें भ्रष्टाचार होने की शिकायत पर न्यायमूर्ति आलोक सिंह की अध्यक्षता में जांच समिति गठित कर 45 दिन में रिपोर्ट मांगी थी। न्यायमूर्ति सिंह ने गत दिनों मुख्यमंत्री को सौंपी रिपोर्ट में परियोजना भ्रष्टाचार होने, परियोजना की लागत बढ़ाने, टेंडरों में गड़बड़ी के लिए सिंचाई विभाग के आधा दर्जन से अधिक इंजीनियरों को दोषी ठहराते हुए तत्कालीन मुख्य सचिव आलोक रंजन व प्रमुख सचिव सिंचाई दीपक सिंघल की ओर अंगुली उठाई थी। इस रिपोर्ट पर कार्यवाही के मुख्यमंत्री ने संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना की अध्यक्षता में एक और समिति गठित की है। समिति ने दोनों अधिकारियों से उनका पक्ष पूछा था। सूत्रों का कहना है कि मंगलवार को आलोक रंजन व दीपक सिंघल ने जांच समिति को अलग-अलग जवाब भेज दिया है। रंजन ने जवाब में कहा है कि बतौर मुख्य सचिव वह अनुश्रवण समिति के अध्यक्ष थे और 16 बैठकें की थी। जिसमें अन्तर विभागीय समन्वय बनाया गया। उन्होंने कोई वित्तीय स्वीकृति नहीं प्रदान की थी। इसके अलावा भी रंजन ने जांच के कई बिन्दुओं पर उत्तर दिया है। दीपक सिंघल ने सिंचाई से जुड़े कानूनों का हवाला देते हुए कहा है कि उनके कार्यकाल में सिर्फ 600 करोड़ के कार्य कराये गये। परियोजना की लागत बढ़ाने का फैसला व्यय वित्त समिति ने लिया, जिसमें 11 विभागों के प्रतिनिधि होते हैैं। सूत्रों का कहना है कि दीपक ने यह भी कहा है कि टेंडर करने का दायित्व इंजीनियरों का होता है जिसमें उनकी कोई भूमिका नहीं थी।
 ----
समिति की 10-11 को फिर हो सकती है बैठक : गोमती रिवर फ्रन्ट घोटाले के दोषियों पर कार्रवाई तय करने के लिए गठित नगर विकास व संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना की अध्यक्षता वाली जांच समिति 10 या 11 जून को बैठक कर सकती है। समिति में राजस्व परिषद के अध्यक्ष प्रवीर कुमार, अपर मुख्य सचिव अनूप चन्द्र पाण्डेय, प्रमुख सचिव (न्याय) रंगनाथ पांडेय सदस्य हैैं। समिति को 15 जून तक अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपनी है।
------
वर्ष 2014-15 में शुरू हुई थी योजना : वर्ष 2014-15 में गोमती नदी चैनलाइजेशन परियोजना के लिए 656 करोड़ रुपये की धनराशि आवंटित की थी जो बढ़कर 1,513 करोड़ हो गई थी। इस राशि का 95 प्रतिशत हिस्सा खर्च होने के बावजूद परियोजना का 60 प्रतिशत कार्य पूरा हुआ। मुख्यमंत्री बनने के बाद आदित्यनाथ ने गोमती रिवर फ्रंट का निरीक्षण किया और सेवानिवृत न्यायमूर्ति आलोक सिंह की अध्यक्षता में समिति गठित कर 45 दिन में रिपोर्ट मांगी थी। उन्होंने पिछले सप्ताह मुख्यमंत्री को रिपोर्ट सौंपी थी।
----
10
---
 सीबीआइ ने ब्यौरा जुटाया, जांच पर निर्णय जल्द
-17 मई को स्टेट गेस्ट हाउस के करीब मिला था आइएएस अनुराग का शव
-योगी सरकार ने 23 मई को सीबीआइ जांच कराने संस्तुति की थी
लखनऊ : सीबीआइ अधिकारियों ने आइएएस अनुराग तिवारी की 17 मई को लखनऊ में मौत व उसकी पुलिस तफ्तीश का ब्यौरा जुटा लिया है। जिसे सीबीआइ मुख्यालय के जरिये केन्द्रीय कार्मिक मंत्रालय को भेज दिया गया है। सूत्रों का कहना है कि सीबीआइ इस वारदात की जांच करने को तैयार है। ऐसे में जांच के लिए जल्द नोटिफिकेशन जारी हो सकता है।
लाल बहादुर शास्त्री अकादमी मसूरी से मिड कारिअर प्रशिक्षण लेकर लखनऊ आये कर्नाटक कैडर के आइएएस अधिकारी अनुराग तिवारी यहां के वीआइपी गेस्ट हाउस में अपने बैचमेट आइएएस के साथ ठहरे थे। 17 मई की सुबह गेस्ट हाउस के चंद कदम पर उनका शव पाया गया था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण दम घुटना बताया गया था। अनुराग के भाई व परिवार के अन्य सदस्यों ने हत्या की आशंका जाहिर करते हुए हतरतगंज कोतवाली में एफआइआर दर्ज करायी थी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर मौत की सीबीआइ जांच की मांग की थी। अनुराग के परिवार के लोगों का कहना था कि वह कर्नाटक में खाद्य एवं रसद के घोटाले का पर्दाफाश करने वाले थे। उन्हें जान से मारने की धमकी मिल रही थी।
अनुराग के परिवार की मांग पर योगी सरकार ने 23 मई को इस प्रकरण की जांच सीबीआइ से कराने का निर्णय लिया और उसका प्रोफार्मा भेज दिया था। एक पखवारे के अधिक का समय बीतने के बाद भी जांच को लेकर निर्णय नहीं होने पर गृह विभाग के अधिकारियों ने शुक्रवार को केन्द्रीय कार्मिक मंत्रालय के अधिकारियों से संबंध में वार्ता की। सूत्रों का कहना है कि केन्द्र के अधिकारियों ने बताया है कि प्रक्रिया चल रही है। उधर, सीबीआइ सूत्रों का कहना है कि अनुराग की मौत की जांच से जुड़ा ब्यौरा दिल्ली स्थित सीबीआइ मुख्यालय भेज दिया गया है। अधिकारियों ने यह संकेत भी दिया है कि सीबीआइ इस मामले की जांच लेने को तैयार है।
---
कैसे होती है सीबीआइ जांच
राज्य सरकार किसी प्रकरण प्रकरण की सीबीआइ से जांच के लिये निर्धारित प्रोफार्मा पर केस के सारांश व गंभीरता का उल्लेख कर उसे केन्द्रीय कार्मिक मंत्रालय को भेजती है। कार्मिक मंत्रालय उस पर सीबीआइ से राय मांगती है। अगर सीबीआइ केस की जांच को तैयार नहीं होती तो वह केस सामान्यत: उसे नहीं दिया जाता। मगर, हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट अगर किसी मामले की जांच का आदेश करता है तो सीबीआइ उसे मानने के लिए बाध्य होती है। अनुराग के मामले में केन्द्रीय कार्मिक मंत्रालय ने सीबीआइ से उसके राय मांग ली है।
-------
13
 गोमती रिवर फ्रंट का आज निरीक्षण करेगी समिति
-15 जून तक मुख्यमंत्री को सौंपनी है रिपोर्र्ट
 लखनऊ : गोमती रिवर फ्रंट परियोजना में भ्रष्टाचार व गड़बड़ी के लिए चिन्हित इंजीनियरों, अधिकारियों की सजा तय करने से पहले नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना की अध्यक्षता में गठित समिति बुधवार को मौका-मुआयना करेगी। इंजीनियरों से पूछताछ का क्रम जारी रहेगा। 15 जून तक समिति को अपनी सिफारिश मुख्यमंत्री को सौंपनी है।
 मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने के बाद योगी आदित्यनाथ ने गोमती चैनेलाइजेशन (गोमती रिवर फ्रंट) परियोजना का निरीक्षण किया था। उन्होंने योजना में धन का दुरुपयोग होने की बात कहते हुए सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति आलोक सिंह की अध्यक्षता में जांच समिति गठित की थी जिसने अपनी जांच में ढेरों गड़बडिय़ां पायी थीं। इसके बाद मुख्यमंत्री ने मंत्री सुरेश खन्ना को अध्यक्ष, राजस्व परिषद के अध्यक्ष प्रवीर कुमार, अपर मुख्य सचिव वित्त अनूप चन्द्र पांडेय और प्रमुख सचिव न्याय रंगनाथ पांडेय को सदस्य सचिव बनाते हुए 'कार्रवाई निर्धारण समितिÓ बनाई। तीन चरणों की बैठक के बाद समिति ने अब गोमती फ्रंट परियोजना का स्थलीय निरीक्षण करने का निर्णय लिया है। बुधवार को यह समिति मौका मुआयना करने पहुंचेगी। इस दौरान इंजीनियरों के बयान भी दर्ज किये जाएंगे।
वर्ष 2014-15 में गोमती नदी चैनलाइजेशन परियोजना के लिए 656 करोड़ रुपये की धनराशि आवंटित की गई थी जो बढ़कर 1,513 करोड़ रुपये हो गई थी। इस राशि का 95 प्रतिशत हिस्सा खर्च होने के बावजूद परियोजना का 60 प्रतिशत कार्य पूरा हुआ।
----
14 june
 यूपीएसआइडीसी के चीफ इंजीनियर अरुण मिश्रा के विरुद्ध जांच पूरी

लखनऊः उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल इंवेस्टीगेशन टीम (एसआइटी) ने यूपीएसआइडीसी के बहुचर्चित मुख्य अभियंता अरुण मिश्रा के बेनामी बैैंक खातों की जांच लगभग पूरी कर ली है। इस मामले में उनके विरुद्ध अभियोजन की जल्द इजाजत मांगे जाने की संभावना है।
ट्रोनिका सिटी, फर्जी मार्कशीट के आरोपों से घिरे अरुण मिश्र के बेनामी बैैंक खातों की जांच एसआइटी को सौंपी गयी थी। सूत्रों का कहना है कि यह जांच पूरी हो गई। जांच एजेंसी जल्द ही उनके विरुद्ध एफआइआर की शासन से इजाजत मांगेगी। दूसरी ओर आइएएस अधिकारी अमित घोष के विरुद्ध विजिलेंस जांच के मुख्यमंत्री कार्यालय के आदेश के सतर्कता विभाग ने परीक्षण शुरू करा दिया है। सूत्रों का कहना है कि सतर्कता विभाग ने यूपीएसआइडीसी के अधिकारियों इल्जामों के संदर्भ में रिपोर्ट मांगी है।

-------
16 june
 गोमती रिवर फ्रंट की जांच रिपोर्ट सीएम को सौंपी गई
-परियोजना पूरी करने के लिए 350 करोड़ जारी करने पर सहमति
 लखनऊ : गोमती चैनेलाइजेशन (रिवर फ्रंट) परियोजना के दोषियों पर 'कार्रवाई निर्धारितÓ करने के लिए गठित समिति ने अपनी रिपोर्ट संस्तुतियों के साथ मुख्यमंत्री को सौंप दी है। रिपोर्ट के परीक्षण के बाद कार्रवाई का निर्णय लिया जाएगा। सूत्रों का कहना है कि इस परियोजना को पूरा करने के 350 करोड़ रुपये जारी करने तथा सिंचाई, जल निगम व पर्यावरण विभाग के अधिकारियों पर कार्रवाई की भी संस्तुति की गई है। सूत्रों के मुताबिक समिति ने न्यायिक जांच में दोषी पाये गए किसी भी अधिकारी को बरी नहीं किया है।
अखिलेश सरकार के 'ड्रीम प्रोजेक्टÓ रहे गोमती चैनलाइजेशन (गोमती रिवर फ्रन्ट) परियोजना की जांच के लिए न्यायमूर्ति आलोक सिंह की अध्यक्षता में गठित समिति की रिपोर्ट में दोषी पाये गए अफसरों पर कार्रवाई निर्धारित करने के लिए मंत्री सुरेश खन्ना की अध्यक्षता में एक समिति बनाई गई थी। समिति ने शुक्रवार को अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंप दी है। इससे पहले समिति ने रिवर फ्रंट का मौका मुआयना किया था। परियोजना को परवान चढ़ाने वाले इंजीनियरों, दो आइएएस अधिकारियों (इनमें से एक रिटायर हैैं) से उनका पक्ष पूछा था।
सूत्रों का कहना है कि कार्रवाई निर्धारण समिति ने जनहित में परियोजना को पूरा करने पर जोर दिया और गोमती में गिर रहे नालों के पानी का शोधन करने के लिए 350 करोड़ की राशि जारी करने की संस्तुति की है। कम धन में परियोजना पूरी करने के लिए तकनीक विशेषज्ञों की राय ली। सूत्रों का कहना है कि डायफ्राम वाल, इंटरसेप्टिंग ड्रैन, रबर डैम की टेंडर प्रक्रिया में गड़बड़ी व  डायफ्राम की दीवार सीधी बनाने में शामिल रहे सिंचाई व जल निगम के आधा दर्जन इंजीनियरों पर सीधी कार्रवाई और पयर्वेक्षण में लापरवाही करने वाले अधिकारियों के विरुद्ध सांकेतिक कार्रवाई की संस्तुति की गयी है। हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हो सकी है।
----
वर्ष 2014-15 में शुरू हुई थी योजना
वर्ष 2014-15 में गोमती नदी चैनलाइजेशन परियोजना के लिए 656 करोड़ रुपये की धनराशि आवंटित की थी जो बढ़कर 1,513 करोड़ हो गई थी। इस राशि का 95 प्रतिशत हिस्सा खर्च होने के बावजूद परियोजना का 60 प्रतिशत कार्य पूरा हुआ।
----
16 june
------
आइएएस अफसर अनुराग की मौत की सीबीआइ जांच शुरू
-सीबीआइ की स्पेशल क्राइम ब्रांच ने दिल्ली में दर्ज की एफआइआर
-17 मई को स्टेट गेस्ट हाउस के पास मिला था अनुराग का शव
-योगी सरकार ने 23 मई को सीबीआइ जांच के लिए की थी संस्तुति
 लखनऊ : आइएएस अधिकारी अनुराग तिवारी की 17 मई को लखनऊ में हुई मौत की जांच सीबीआइ ने अपने हाथ में ले ली है। स्पेशल क्राइम ब्रांच ने दिल्ली में इस वारदात का मुकदमा दर्ज किया है। एएसपी संतोष कुमार को विवेचनाधिकारी नियुक्त किया गया है।
सीबीआइ ने अनुराग तिवारी के भाई मयंक तिवारी की तहरीर पर अपने यहां मुकदमा दर्ज किया है जिसमें कहा गया है कि 2007 बैच व कर्नाटक कैडर के आइएएस अनुराग की दस साल की सेवा में सात बार तबादला हुआ। आयुक्त खाद्य एवं रसद के पद पर रहते हुये उन्होंने कई जांचें की थी, जिससे ढेरों लोग उनके दुश्मन थे। तहरीर में मंयक ने कहा कि है कि वह कर्नाटक के बड़े घोटाले का खुलासा करने वाले थे। इसी तहरीर पर सीबीआइ ने हत्या (302 आइपीसी) का मुकदमा दर्ज किया गया।
ध्यान रहे, 17 मई की सुबह गेस्ट हाउस के चंद कदम पर अनुराग तिवारी का शव पाया गया था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण दम घुटना बताया गया था। अनुराग के भाई व परिवार के अन्य सदस्यों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कर भाई की हत्या की आशंका जाहिर करते हुए सीबीआइ जांच की मांग की थी। अनुराग के परिवार की मांग पर योगी सरकार ने 23 मई को इस प्रकरण की जांच सीबीआइ से कराने का निर्णय लिया। उसका प्रोफार्मा भेज दिया था। जिसके परीक्षण के बाद केन्द्रीय कार्मिक मंत्रालय ने एफआइआर दर्ज करने की अधिसूचना जारी की और सीबीआइ की स्पेशल ब्रांच ने मामला दर्ज कर विवेचना शुरू कर दी है। जांच अधिकारियों के टीम ने लखनऊ पुलिस से पोस्टमार्टम रिपोर्ट, एफआइआर की प्रति व अन्य साक्ष्य हासिल कर लिये हैैं।
----------
19 june
---
रिवर फ्रन्ट में फंसेगी कई बड़ों की गर्दन
- सीबीआइ जांच की सिफारिश से मचा हड़कंप
- व्यय वित्त समिति के सदस्य, अनुश्रवण कमेटी, जल निगम, सिंचाई विभाग के इंजीनियर आएंगे चपेट में
 लखनऊ : सीबीआइ ने गोमती चैनलाइजेशन (रिवर फ्रन्ट) परियोजना की जांच अपने हाथ में ली तो राज्य सरकार के कई बड़े अफसरों की गर्दन फंसेगी। व्यय वित्त समिति के सदस्य, अनुश्रवण कमेटी, जल निगम, सिंचाई विभाग के इंजीनियरों का दल भी चपेट में आएगा।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सपा सरकार के ड्रीम प्रोजेक्टों में शुमार रिवर फ्रन्ट में भ्रष्टाचार की सीबीआइ जांच का फैसला लिया है। सीबीआइ जांच शुरू होने पर प्रोजेक्ट राशि को मंजूरी देने वाली वित्त व्यय समिति के तत्कालीन सदस्य (इसमें पांच सदस्य थे), बजट राशि पुनरीक्षित करने वाले अधिकारी, परियोजना को अनुमोदन देने वाली मंत्रिपरिषद के सदस्यों से पूछताछ किये जाने से इंकार नहीं किया जा सकता है। इससे प्रोजेक्ट से जुड़े अधिकारियों-इंजीनियरों में हड़कंप मचा है।
परियोजना की सीबीआइ जांच के आदेश से पहले योगी सरकार ने न्यायमूर्ति आलोक सिंह से जांच कराई। फिर मंत्री सुरेश खन्ना की समिति बनाकर उसे कार्रवाई निर्धारित करने का जिम्मा दिया। खन्ना समिति ने 16 जून को मुख्यमंत्री को सौंपी अपनी रिपोर्ट में तकनीकी जांच की विशेषज्ञता न होने का जिक्र करते हुए सीबीआइ से जांच कराने की संस्तुति की थी। उधर, सरकार ने सीबीआइ जांच के लिए केन्द्रीय कार्मिक मंत्रालय को अनुरोध पत्र भेजने की औपचारिकता पूरी कर ली है। सूत्रों का दावा है कि सीबीआइ जांच की आंच तत्कालीन मुख्यमंत्री के एक ओएसडी तक भी पहुंचेगी।
---
सीबीआइ जांच की प्रक्रिया
राज्य सरकार किसी मामले की सीबीआइ जांच कराने के कारण स्पष्ट करते हुए केन्द्रीय कार्मिक मंत्रालय को एक प्रोफार्मा भेजती है। जिस पर कार्मिक मंत्रालय सीबीआइ निदेशक से टिप्पणी मांगता है। सीबीआइ ने अगर जांच लेने से इंकार कर दिया तो सामान्यत: कार्मिक मंत्रालय जांच के लिए बाध्य नहीं करता है। अगर सीबीआइ तैयार होती है, उसे जांच सौंप दी जाती है। गोमती रिवर फ्रन्ट प्रकरण राज्य सरकार प्रोफार्मा तैयार हो गया है।
------
वर्ष 2014-15 में शुरू हुई योजना

वर्ष 2014-15 में गोमती नदी चैनलाइजेशन परियोजना के लिए 656 करोड़ रुपये की धनराशि आवंटित की थी जो बढ़कर 1,513 करोड़ हो गई थी। जिसका 95 प्रतिशत हिस्सा खर्च होने के बावजूद परियोजना का 60 प्रतिशत कार्य पूरा हुआ। इस परियोजना की जांच के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने न्यायमूर्ति आलोक सिंह की अध्यक्षता में एक समिति गठित की थी।
 ---
आलोक समिति ने ये खामियां रेखांकित की
1-इंजीनियरों द्वारा सेन्टेज चार्जेज नहीं चार्जेज नहीं जमा कराये
2-डायफ्राम वाल, इंटरसेप्टिंग ड्रैन, रबर डैम की टेंडर प्रक्रिया में गड़बड़ी की गई। डायफ्राम की दीवार सीधी बनाई गई, जबकि इसे ढलान वाला होना चाहिए था।
3-इंटरसेप्टिंग ड्रैन, रबर ड्रैन, म्यूजिकल फाउंटेशन शो आदि के लिए कैबिनेट ने जुलाई 2016 में मंजूर की और कार्य 2015 में शुरू हो गया।
4-पर्यावरण नियमों का पालन नहीं किया
5-विभिन्न आइटम में निर्धारित में कई गुना अधिक व्यय किया गया
-----------
कार्रवाई निर्धारण समिति
न्यायमूर्ति आलोक सिंह की जांच रिपोर्ट आने के बाद मुख्यमंत्री ने मंत्री सुरेश खन्ना की अध्यक्षता में कार्रवाई निर्धारण समिति बनायी थी। जिसमें 16 जून को मुख्यमंत्री को सौंपी रिपोर्ट में कहा था कि समिति के पास तकनीकी बिन्दुओं की जांच की विशेषज्ञता नहीं है, वह प्रशासनिक खामियों की जांच कर सकती है। ऐसे में विशेषज्ञ एजेंसी अथवा सीबीआइ से जांच कराई जाए। इसी रिपोर्ट के आधार पर सीबीआइ जांच का निर्णय लिया है।
---
22 june
---
सचल पालना घोटाले की सीबीआइ जांच शुरू

हाईलाइटर
सीबीआइ की भ्रष्टाचार निवारण शाखा लखनऊ ने उप्र राज्य समाज कल्याण बोर्ड, उप्र भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड और वर्कर्स वेलफेयर बोर्ड के अज्ञात अधिकारी, पदाधिकारी, अज्ञात स्वयंसेवी संस्था व प्राइवेट व्यक्ति के विरुद्ध एफआइआर दर्ज कर विवेचना शुरू की है।
---
-मजदूरों के बच्चों को डे केयर देने लिए वर्ष 2013 में शुरू हुई थी परियोजना
-सीबीआइ ने श्रम विभाग, समाज कल्याण बोर्ड से तलब की पत्रावली
lucknow : माता-पिता भले मजदूरी करें, मगर उनके बच्चों की अच्छी परवरिश की मंशा से शुरू 'सचल पालना गृहÓ योजना का करोड़ों हड़पने वाले अधिकारियों, एनजीओ व बोर्डो के विरुद्ध सीबीआइ की भ्रष्टाचार निवारण शाखा ने एफआइआर दर्ज कर ली है। श्रम विभाग से इस परियोजना की पत्रावली तलब की गयी है। सूत्रों का कहना है कि  परियोजना से जुड़े आइएएस, पीसीएस अधिकारियों समेत दर्जनों लोगों का जांच के कटघरे में खड़ा होना तय है।
वर्ष 2016 में हाईकोर्ट में दाखिल जनहित याचिका पर 29 मई 2017 को न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और न्यायमूर्ति वीरेंद्र कुमार (द्वितीय) की पीठ ने सचल पालना गृह योजना की सीबीआइ का आदेश दिया था। तीन माह में जांच की स्टेट्स रिपोर्ट भी मांगी थी। हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआइ के डिप्टी एसपी आलोक शाही की ओर से मुकदमा दर्ज किया गया है। इसमें उत्तर प्रदेश श्रम विभाग के आधीन कार्यरत दो दो बोर्डों, राज्य समाज कल्याण बोर्ड के तत्कालीन पदाधिकारियों, एनजीओ व निजी क्षेत्र के अज्ञात व्यक्तियों को आरोपित किया गया है। सूत्रों का कहना है कि एफआइआर दर्ज करने के बाद सीबीआइ अधिकारियों ने श्रम विभाग, समाज कल्याण बोर्ड के अधिकारियों से परियोजना से जुड़े दस्तावेज तलब किये हैैं। ध्यान रहे, सीबीआइ जांच से पहले हाईकोर्ट ने महिला व बाल विकास विभाग की प्रमुख सचिव रेणुका कुमार से इस प्रकरण में रिपोर्ट मांगी थी। जबकि उनका इस परियोजना से सीधा ताल्लुक नहीं था। हाईकोर्ट ने उनसे पूछा था कि कितने शिशु गृहों की स्थापना की गई। जो सेवाएं बच्चों को प्रदान की जानी थी, क्या वह मिलीं? वे कौन लोग हैं जिन्होंने बिना कार्य किए पैसे प्राप्त कर लिए। कौन से अधिकारी हैं जो धोखाधड़ी भरेभुगतान के लिए जिम्मेदार हैं। कुमार ने हाईकोर्ट को सौंपे शपथ पत्र में परियोजना में भ्रष्टाचार होने का उल्लेख किया था। हालांकि उन्होंने इसके लिए सीधे किसी को दोषी नहीं ठहराया था। इस प्रकरण की सीबीआइ जांच कराने के लिए याचिका हरीश कुमार वर्मा ने दाखिल की थी।
 ---
बंद है परियोजना
मजदूरों के बच्चों को सुविधा देने वाली यह परियोजना शुरूआती दौर में ही भ्रष्टाचार की भेंट चढऩे के चलते आगे नहीं बढ़ सकी। योजना के लिए आवंटित धन भी सरकारी खजाने में वापस हो गया। जिससे जिन पंजीकृत मजदूरों के बच्चों को अच्छी परवरिश मिल सकती थी, वह भी नहीं मिल पायी। सच्चाई यह है कि गंगनचुंबी इमारतें खड़ी करने वाले मजदूरों के बच्चे कार्य क्षेत्र में भी खुले मैदान में पलने-बढऩे को मजबूर हैैं।
-------
योजना से जुड़े तथ्य
-वर्ष 2013-14 में सचल पालना गृह योजना शुरू हुई, जिसमें पहले यूपी व केन्द्र की धनराशि का औसत 40: 60 था, जो बाद में 50: 50 हो गया।
-1100 करोड़ की परियोजना की पहली किश्त के रूप में 48.92 जारी हुए, जिसका उपभोग कागजों में कर लिया गया था
-पालना गृह योजना में पंजीकृत मजदूरों के नवजात शिशु से छह वर्ष तक के बच्चों को डे केयर (खाना, खिलौना से लेकर दिन भर रखना) दिया जाना था।
-72 जिलों में परियोजना चलनी थी, जिसके लिए तत्कालीन अधिकारियों ने 280 स्वयं सेवी संस्थाएं चयनित की थीं।
-लखनऊ का कार्य जिस संस्था को दिया गया, वह एक आइएएस अधिकारी की रिश्तेदार थीं, इन्ही संस्था को भुगतान को लेकर सबसे पहले बखेड़ा हुआ

-----
कोट:
मैने कार्य संभालने के बाद बोर्ड के भ्रष्टाचार की जांच के लिए प्रधानमंत्री व सीबीआइ को भी पत्र लिखा था। अब सीबीआइ जांच शुरू हो गयी है, सब कुछ साफ हो जाएगा- डॉ.रूपल अ्रग्रवाल, अध्यक्ष उत्तर प्रदेश समाज कल्याण बोर्ड
--------
24 june
-------
 ईडी के नाम पर घूस लेते कस्टम अधिकारी बंदी
-गिरफ्तारी से एक माह पहले ही ईडी से मूल कैडर कस्टम विभाग वापस हुए थे एनबी सिंह
-ईडी से कार्यमुक्त होने के बाद भी पत्रावलियों का निस्तारण करने कार्यालय जाते थे
-------
lucknow : सीबीआइ की भ्रष्टाचार निवारण शाखा ने एनआरएचएम (राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन) घोटाले के आरोपित से घूस लेने के आरोप में केंद्रीय उत्पाद, सीमा शुल्क एवं सेवा कर (कस्टम) विभाग के अधीक्षक एनबी सिंह व उनके बिचौलिए सुभाष कुमार गिरफ्तार कर लिया है। उनके पास सेचार लाख रुपये भी बरामद हुए हैं। सिंह, 18 मई तक प्रतिनियुक्ति पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की लखनऊ शाखा में सहायक निदेशक के पद पर तैनात थे। और ईडी की कार्रवाई की धौंस दिखाकर एनआरएचएम घोटाले के अभियुक्त से 50 लाख की घूस मांग रहे थे, जिसकी पहली किश्त के रूप में चार लाख रुपए लेते हुए पकड़े  गये हैैं। उनकी गिरफ्तारी इस बात की संकेत है कि जिन पर भ्रष्टाचारियों की नकेल कसने का जिम्मा है, उनमें से कुछ घूसखोरी में लिप्त हैं।
मेरठ के सोतीगंज निवासी सुरेंद्र चौधरी बहुचर्चित एनआरएचएम (अब एनएचएम) घोटाले के अभियुक्त हैं। सीबीआइ ने उनके विरुद्ध चार मुकदमे दर्ज कर रखे हैं जिनमें से मनी लांड्रिंग के एक मामले की जांच ईडी कर रही है। यह जांच केंद्रीय उत्पाद, सीमा शुल्क एवं सेवा कर (कस्टम) से प्रतिनियुक्ति पर ईडी में तैनात एनबी सिंह के पास था। सुरेन्द्र चौधरी ने सीबीआइ के एसपी प्रणव कुमार को भेजे शिकायती पत्र में कहा था कि ईडी में कार्यकाल पूरा होने के बाद भी एनबी सिंह उसे फोन कर केस में राहत देने के बदले 50 लाख रुपये की रिश्वत मांग रहे हैैं। एप्पल कंपनी के दो आइफोन-7 मांगे हैं, जिसका भुगतान करने के लिए श्रीबालाजी मोबाइल के मालिक का बैैंक खाता नम्बर-053011020002....(नम्बर का दुरुपयोग न हो इसलिए पूरा नंबर नहीं दिया जा रहा) देते हुए इसमें धन जमा कराने को कहा गया था। एनआरएचएम घोटाले के अभियुक्त से घूस मांगे की शिकायत पर सीबीआइ ने पहले फौरी जांच कराई। तथ्यों की तस्दीक होने पर केस दर्ज किया। फिर सुरेंद्र चौधरी से एनबी सिंह को फोन कराकर रिश्वत देने के लिए गोमतीनगर स्थित जेन नेक्स्ट होटल बुलाया। एनबी सिंह ने पैसा लेने के लिए सुभाष को वहां भेजा। सीबीआइ ने उसे रोक लिया। काफी देर तक जब सुभाष वापस नहीं लौटा तो सिंह ने उसे फोन किया। इस पर सीबीआइ के इशारे पर सुभाष ने कहा कि वह होटल में है। सुरेंद्र उन्हें बुला रहे हैैं। एनबी सिंह जैसे पहुंचे सीबीआइ ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ के बाद एमिटी विश्वविद्यालय के नजदीक के ठिकानों पर ले जाकर तलाशी ली गई।
सूत्रों का कहना है प्रतिनियुक्ति का कार्यकाल पूरा होने पर ईडी के उपनिदेशक (प्रशासन) ए एस बधवार ने 18 मई को उन्हें कार्यमुक्त करने का आदेश जारी कर दिया था, उन्हें पत्रावलियां संबंधित सहायक निदेशक को सौंपने का निर्देश दिया गया था। मगर लंबित पत्रावली निस्तारित करने को एनबी सिंह प्रवर्तन निदेशालय की लखनऊ शाखा जाते थे। इस संबंध में प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों से बात करने का प्रयास किया गया, मगर कोई उपलब्ध नहीं हुआ। बताया गया कि एनबी सिंह इसी महीने सेवा से रिटायर होने वाले हैं।
----
कौन है बिचौलिया सुभाष
घूस लेने के आरोप में गिरफ्तार कस्टम अधिकारी का बिचौलिया सुभाषराजधानी के खुर्रमनगर इलाके में स्थित 'अतिथि पैराडाइज इनÓ नाम के गेस्ट हाउस के संचालक हैैं। सीबीआइ अधिकारियों के अनुसार वह कई वर्षों से एनबी सिंह के संपर्क में है। उनके कहने पर ही वह होटल 'जेन नेक्स्टÓ पहुंचा था जहां सीबीआइ टीम ने रिश्वत की रकम लेते हुए रंगे हाथ पकड़ लिया। सीबीआइ ने दोनों आरोपितों को विशेष न्यायाधीश के आवास पर पेश किया जहां से उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया। हालांकि सीबीआइ ने दोनों को दस दिनों की पुलिस अभिरक्षा में देने की मांग की है। इस पर 27 जून को सुनवाई होगी।
---
क्या थी शिकायत
एनआरएचएम घोटाले के आरोपित सुरेंद्र चौधरी ने सीबीआइ से शिकायत की थी कि एनबी सिंह ने अपने सरकारी दफ्तर के नंबर-0522-2288782 से फोन कर बुलाया और पांच जून को सुभाष की मौजूदगी में रिश्वत मांगी। ऐसा न करने पर मुझे और मेरे भाई को केस में फंसाने और सारी संपत्तियां जब्त करने की धमकी दी। सुरेंद्र की शिकायत में कहा गया है कि एनबी सिंह से कहा कि सरकार को हुए नुकसान के दो करोड़ रुपये उन्होंने जमा कर दिए हैं। सीबीआइ के केस से उन्हें राहत की उम्मीद है। इस पर सिंह नाराज हो गए। पचास लाख रुपये की रिश्वत मांगी। कहा कि उन पर 21 करोड़ की देनदारी हो रही है। इसको निपटाने के लिए 50 लाख रूपये की मांग की गयी थी। बाद में सुभाष ने कहा कि कम से कम 25 लाख रुपये एनबी सिंह को देने होंगे। उनके बीच पांच लाख रुपये की पहली किश्त देने की बात हुई थी।
----
19 july
--------
 सपा सरकार में हुई भर्तियों की होगी सीबीआइ जांच
-----
-विधान सभा सत्र में बोले योगी
-----
  हाईलाइटर
'अच्छा हुआ श्वेत पत्र लेकर सरकार नहीं आई। जिस दिन श्वेत पत्र जारी होगा, कहीं ऐसा न हो कि उत्तर प्रदेश सपा-बसपा मुक्त हो जाए। जिस निर्ममता से इन दोनों दलों ने लूट-खसोट की, जिस तरह प्रदेश को नोचा, मुझे लगता है कि यह सभ्य समाज कभी इन्हें स्वीकार नहीं करेगा।Ó
-योगी आदित्यनाथ
मुख्यमंत्री (विधानसभा में)
-----
- केवल शिक्षक भर्ती घोटाले में जेल में सड़ रहे हरियाणा के नेता
-बजट चर्चा में शामिल हुए पक्ष-विपक्ष के 73 सदस्य
-----
लखनऊ : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सपा सरकार में हुई भर्तियों की सीबीआइ जांच कराने का एलान किया है। उन्होंने कहा है कि भर्तियों में धांधली की सारी जांचें होगी और कोई दोषी बचेगा नहीं। 'याद रखना केवल शिक्षक भर्ती घोटाले में हरियाणा के एक नेता (ओमप्रकाश चौटाला) दस वर्षों से जेल में सड़ रहे हैं। कागज जलाने से कोई बच नहीं सकता।Ó
विधानसभा में बुधवार को बजट चर्चा पर विपक्ष के सदस्यों का जवाब देते हुए योगी आक्रामक थे। पौने दो घंटे के अपने भाषण में वह सपा, बसपा और कांग्रेस की सरकारों की खामियां गिनाकर प्रदेश की बदहाली के लिए निरंतर विपक्ष को जिम्मेदार ठहरा रहे थे। योगी ने कहा कि 'पुलिस के डेढ़ लाख पद खाली हैं और दस वर्षों में कोई नियुक्ति ऐसी नहीं हुई जिस पर अंगुली न उठी हो। यह पद इसलिए नहीं भरे गए क्योंकि नीयत साफ नहीं थी।Ó उन्होंने बजट सत्र में भाग लेने वाले मंत्री और विधायकों समेत 73 सदस्यों के प्रति आभार जताया। योगी ने वित्त मंत्री और उनकी टीम की बजट के लिए सराहना की। इस चर्चा में सत्ता पक्ष की ओर से 46 लोग बोले जबकि बाकी विपक्ष के रहे। योगी ने बजट की सराहना करते हुए कहा कि यह अविस्मरणीय होगा क्योंकि पहली बार बजट के केंद्र में किसान है। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य है कि 25 वर्षों से राजनीति का केंद्र जाति और परिवार बनता रहा है। इससे सामाजिक ताना-बाना छिन्न-भिन्न हुआ और जातिवादी राजनीति से प्रदेश पिछड़े पायदान पर है।
-----
अमन-चैन में खलल डालने वालों का हराम कर देंगे जीना
मुख्यमंत्री पूरे तेवर में थे। खराब कानून-व्यवस्था पर पिछली सरकार पर तंज कसते हुए बोले 'बहुत जल्द फिर सत्र बुलाएंगे। हम कानून बनाने जा रहे हैं। प्रदेश में हर नागरिक को जीने का अधिकार है। जो अमन-चैन में खलल डालेगा, उसका जीना हराम कर देंगे।Ó मुख्यमंत्री ने भूमि कब्जा करने के 1.53 लाख मामलों का जिक्र करते हुए कहा कि 'अभी तो कब्जे की जानकारी हासिल की जा रही है लेकिन, दो माह बाद जब भूमाफिया के खिलाफ अभियान चलेगा तो उनकी स्थिति क्या होगी, सोच लेना चाहिए। जिन लोगों ने राजनीतिक संरक्षण में जमीनें कब्जा की उनके खिलाफ अभियान चलेगा और अब जवाहर बाग कांड की पुनरावृत्ति नहीं होगी।Ó योगी ने खनन माफिया, अपराधियों और अवैध ढंग से काम कर रहे कारोबारियों को भी चेतावनी दी। कहा 'कुछ लोग बालू-मौरंग के दाम बढ़ाए हैं। उन पर भी डंडा चलेगा। सरकार इनसे सख्ती से पेश आएगी।Ó वह यहीं नहीं रुके। आतंकी मददगारों पर भी बरसे। कहा, आतंकवाद को फाइनेंस करने वालों की कमर तोड़ डालेंगे।
-----
तो सरकार स्ववित्त पोषित स्कूलों को अधिग्रहीत कर लेगी
योगी ने नेता प्रतिपक्ष की ओर इशारा कर कहा कि वित्त विहीन शिक्षक नियमित नहीं हुए तो इसके लिए आप लोग दोषी हैं। अगर शिक्षकों को सरकार वेतन देगी तो स्ववित्त पोषित विद्यालयों को अधिग्रहीत करेगी। योगी ने दावा किया कि तीन वर्ष में पुलिस में डेढ़ लाख भर्ती होगी। यह भर्ती धर्म, मजहब और जाति के आधार पर नहीं होगी। यह पूरी तरह पारदर्शी होगी।
-----
 बोलने लग जाएं तो बहुत लोग एक्सपोज होंगे
सीतापुर में निर्दोष व्यापारी के हत्यारे को संरक्षण देने का आरोप लगाकर योगी ने कहा कि 'आप लोग कानून-व्यवस्था की बात करते हैं लेकिन, बोलने लग जाएंगे तो बहुत लोग एक्सपोज हो जाएंगे। राजनीतिक शिष्टाचार रहने दीजिए।Ó आजमगढ़ में अवैध शराब से मरने वालों का जिक्र कर योगी ने सपा पर मुख्य अभियुक्त मुलायम यादव को संरक्षण देने का आरोप लगाया। कहा, पिछले वर्ष उसके चलते 60 लोग मरे थे लेकिन, उसे बचाने का काम किया गया। योगी ने कहा कि हमारी सरकार में मुलायम समेत उसके 14 लोग गिरफ्तार किए गए हैं। उन्होंने रायबरेली की घटना पर सवाल उठाया कि क्या वहां दोनों पक्षों के लोग सपा के नहीं हैं? क्या उन्हें संरक्षण नहीं है। एलान किया कि अपराधियों पर सख्त कार्रवाई होगी। योगी ने अपराधों में कमी का दावा करते हुए आंकड़े भी गिनाए।

----------------------------


विवादों से घिरी रही सपा सरकार की हर भर्ती
----
- 600 से अधिक भर्तियां आएंगी जांच के दायरे में
- दो लाख पदों की नियुक्ति में हुई मनमानी का उजागर होगा सच
----
----
-पीसीएस समेत लोक सेवा आयोग की सभी भर्तियां पर विवाद
-उच्चतर और माध्यमिक शिक्षा में शिक्षकों की भर्ती पर उठे थे सवाल
-सिपाही और दारोगा भर्ती में पुलिस भर्ती बोर्ड पर लगे आरोप
-अधीनस्थ सेवा चयन आयोग में रहीं तमाम गड़बडिय़ां
-विद्युत सेवा आयोग की सहायक और अवर अभियंता भर्ती में मनमानी
----
लखनऊ : भाजपा सरकार ने पिछले पांच साल तक भर्तियों में हुए भ्रष्टाचार की जांच का आदेश देकर उन प्रतियोगी छात्रों की मुरादें पूरी कर दी हैं, जिनकी आवाज नक्कारखाने में तूती की तरह दब जा रही थी। प्रतियोगी छात्र अलग-अलग स्तर पर कई सालों से भर्तियों की जांच के लिए आंदोलन चला रहे हैं और उन्होंने अदालत में भी लंबी लड़ाई लड़ी। अब उन्हें उम्मीद है कि भर्तियों का सच सामने आएगा।
समाजवादी पार्टी की सरकार में लगभग हर भर्ती को लेकर विवाद खड़े हुए हैं। प्रशासनिक अधिकारियों का चयन करने वाले उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग तक की भर्तियां भी इससे अछूती नहीं रहीं। तत्कालीन सपा सरकार में अध्यक्ष और सदस्यों को मनमानी का पूरा संरक्षण हासिल था। यही वजह थी कि डॉ.अनिल यादव के कार्यकाल में मनमाने फैसले लिए गए और हजारों छात्रों को सड़क पर उतरना पड़ा। अंतत: हाईकोर्ट ने उनकी नियुक्ति को अवैध करार दिया। जिन भर्तियों को लेकर आरोप लगे हैं, उनमें अधिकांश अनिल यादव के कार्यकाल की ही हैं। पीसीएस 2011 से लेकर पीसीएस 2015 तक की भर्ती पूर्व अध्यक्ष डॉ.अनिल यादव के कार्यकाल में हुई तो इस दौरान लोअर सबआर्डिनेट की चार भर्ती परीक्षाएं संपन्न हुईं। इनमें प्रशासनिक पद की सूबे की सबसे बड़ी पीसीएस की पांच परीक्षाएं भी शामिल हैं। पीसीएस जे, समीक्षा अधिकारी-सहायक समीक्षा अधिकारी और सहायक अभियोजन अधिकारी की तीन-तीन भर्तियों के परिणाम इस दौरान घोषित किए गए। उनके कार्यकाल में 236 सीधी भर्तियां भी हुईं। अब सीबीआइ की जांच में इन भर्तियों का सच उजागर होगा। गौरतलब है कि अनिल यादव के कार्यकाल में ही एसडीएम पद पर एक ही जाति के अभ्यर्थियों का चयन किए जाने के आरोप लगे थे।
----
जांच दायरे में होंगे पीसीएस-लोअर के साढ़े छह हजार पद
सपा शासनकाल में पीसीएस 2011 से लेकर 2015 तक लगभग ढाई हजार पदों पर नियुक्तियां हुई हैं। 2011 में एसडीएम और डिप्टी एसपी समेत विभिन्न श्रेणी के 389 पदों पर भर्ती की गई तो 2012 में 345, 2013 में 650, 2014 में 579 और पीसीएस 2015 में 521 पद भरे गए। इसी तरह बीते पांच साल में लोअर सबार्डिनेट के 4138 पदों पर भर्तियां हुई हैं। प्रतियोगी छात्र समिति की ओर से यह मुद्दा उठाने वाले अशोक पांडेय कहते हैं कि जांच में कई अध्यक्ष व सदस्यों पर शिकंजा कस सकता है।
----
कृषि तकनीकी सहायक सबसे बड़ी भर्ती
सपा शासनकाल में आयोग द्वारा सबसे बड़ी भर्ती कृषि तकनीकी सहायकों की हुई है। इसमें 6628 पद भरे गए। इस भर्ती में ओबीसी के लिए आरक्षित पदों में बड़े पैमाने पर हेरफेर की शिकायत मिली थी। मामला अभी न्यायालय में है। राजस्व निरीक्षक के 617, खाद्य सुरक्षा के 430 पद भी सपा शासनकाल में भरे गए।
----
साढ़े पांच सौ मुकदमे लंबित
लोक सेवा आयोग की भर्तियों को लेकर विवाद किस कदर है, इसका अंदाजा सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में दाखिल मुकदमों की संख्या से लगाया जा सकता है। हाईकोर्ट में लगभग 500 और सुप्रीम कोर्ट में 50 से अधिक मुकदमे लंबित हैं।
----
पीसीएस का पेपर भी हुआ आउट
भर्तियों में गड़बडिय़ों का अनुमान इस बात से भी लगाया जा सकता है कि आयोग में पहली बार पीसीएस का पेपर आउट हुआ। डॉ.अनिल यादव के कार्यकाल में हुई पीसीएस 2015 प्री परीक्षा का पेपर लखनऊ के एक सेंटर से आउट हुआ था।
----
टीजीटी-पीजीटी में भी खेल
लोक सेवा आयोग की ही तरह माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड में प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक परीक्षा (टीजीटी) और प्रवक्ता परीक्षा (पीजीटी) के आठ हजार पदों पर हुई भर्तियां भी जांच के दायरे में आएंगी। यह परीक्षाएं 45 विषयों के लिए हुई थीं और 39 विषयों के परिणाम घोषित होकर नियुक्तियां की जा चुकी हैं। बोर्ड में भी अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्तियां विवादित रहीं।
----
असिस्टेंट प्रोफेसर के 1652 पदों पर भर्ती
इसी कड़ी में उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग भी रहा, जहां अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्तियां को लेकर उठा विवाद हाईकोर्ट तक पहुंचा। 1652 पदों के लिे हुई पहली बार भर्ती परीक्षा विवादों में रही। कापियां सादी छोड़ देने के आरोप भी लगे। आयोग के सचिव को अभी भाजपा शासनकाल में बर्खास्त किया गया है।
----
35 हजार सिपाही व चार हजार दारोगा भर्ती
सपा सरकार में पुलिस भर्ती बोर्ड की ओर से हुई ये भर्तियां शुरू से ही विवादों में रहीं। भर्ती शुरू होने के बाद नियमों में बदलाव किए गए। आरक्षण नियमों की अनदेखी ने नियुक्तियों को कोर्ट का विषय बना दिया। भाई-भतीजावाद के आरोपों से घिरी ये नियुक्तियां जांच का हिस्सा होंगी।
----
फिर से हुई अवर अभियंता भर्ती
पावर कारपोरेशन में सहायक और अवर अभियंताओं की भर्ती में अभ्यर्थियों ने मनमानी का आरोप लगाया। अवर अभियंता भर्ती परीक्षा में तो पूरा एक पेपर ही रिपीट किया गया। इसकी वजह से एक विषय की परीक्षा दोबारा हुई। विद्युत सेवा आयोग की इस भर्ती में भी गड़बडिय़ों की जांच सीबीआइ करेगी।
----






























MUSLIM AND WAQF-2017


1 june

'अल्पसंख्यकों को रोजगार परक शिक्षा से जोडऩे की जरूरतÓ

---
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष गयरूल रिजवी ने राज्यपाल राम नाईक से मुलाकात की
---
लखनऊ : राज्यपाल रामनाईक ने कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को रोजगारपरक शिक्षा के जरियेसमाज की मुख्यधारा से जोडऩे की जरूरत है। अल्पसंख्यक आयोग इसमें प्रभावी भूमिका निभा सकता है।
उन्होने ये बातें गुुरुवार को शिष्टाचार मुलाकात के लिए राजभवन पहुंचे राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष गयरूल हसन रिजवी से कही। केन्द्र सरकार ने 27 मई को उन्हें आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया है।
रिजवी को मुबारकबाद देते राज्यपाल ने कहा कि प्रसन्नता की बात यह है कि वह उत्तर प्रदेश के निवासी हैैं और यहां के अल्पसंख्यक समाज की समस्याएं करीब से जानते हैैं। संवाद के जरिये उन समस्याओं का आसानी से निदान कर सकते हैैं। नाईक ने कहा कि केन्द्रीय व राज्य अल्पसंख्यक आयोगसमन्वय से समाज को लाभ पहुंचा सकता है। आयोग की नीतियों का प्रचार-प्रसार किया जाए, ताकि समाज जुड़ाव महसूस करे। केन्द्र व राज्य की ढेरों ऐसी योजनायें हैं जिससे ऐसे समाज को सीधे लाभ मिल सकता है। अल्पसंख्यकों के लिए केन्द्र सरकार को योजनाओं को जनता तक पहुंचाने में भी आयोग महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। राज्यपाल ने गयरूल हसन को अपनी पुस्तक 'चरैवेति! चरैवेति!!Ó की उर्दू प्रति भेंट की। दूसरी ओर राष्ट्रवादी मुस्लिम सभा ने गयरूल को अल्पसंख्यक आयोग का अध्यक्ष बनाये जाने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आभार प्रकट किया है।
----
१६ june
----
 बड़ों तक पहुंचेगी वक्फ घोटाले की जांच की आंच
-केंद्रीय वक्फ काउंसिल के सदस्य एजाज रिजवी की जांच से गड़बडिय़ों से हुआ था खुलासा
-शिया वक्फ बोर्ड के छह नामित सदस्यों की बर्खास्तगी का आदेश जारी
लखनऊ : शिया व सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की संपत्तियों पर बिल्डरों, ठेकेदारों के कब्जों की सीबीआइ जांच की आंच पूर्व मंत्री, धर्म गुरु और कई नौकरशाहों तक पहुंचने की संभावना है। दूसरी ओर अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने शुक्रवार को शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के पांच नामित सदस्यों की बर्खास्तगी का आदेश जारी कर दिया।
शिया-सुन्नी वक्फ बोर्ड में व्यापक भ्रष्टाचार का खुलासा सेंट्रल वक्फ काउंसिल के सदस्य एजाज रिजवी ने अपनी जांच रिपोर्ट में किया था। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में पूर्व मंत्री मोहम्मद आजम खां केमौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट को रामपुर की वक्फ की संपत्ति और  बसपा नेता सतीश मिश्र से ताल्लुक रखने वाले ट्रस्ट को लखनऊ के मोहान रोड की वक्फ संपत्ति दिये जाने की बात कही थी। रिजवी ने दोनों बोर्डों की अलग-अलग रिपोर्ट में भ्रष्टाचार के ढेरों पहलुओं का उल्लेख किया था। 15 साल के अंतराल में वक्फ संपत्तियों पर श्वेत पत्र जारी करने व सीबीआइ जांच की संस्तुति की थी। केंद्रीय अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने काउंसिल के अध्यक्ष के रूप में जांच रिपोर्ट को सही ठहराते हुए संस्तुतियों पर कार्रवाई के लिए प्रदेश सरकार को लिखा था। छह अ्रप्रैल को लखनऊ दौरे पर नकवी ने यह बात स्वीकार भी की थी।
सूत्रों का कहना है कि इसी जांच रिपोर्ट के आधार पर राज्य के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने अपने स्तर से जांच कराई और शुक्रवार को प्रकरण की जांच सीबीआइ को सौंपने व बोर्ड भंग करने की संस्तुति करने का एलान किया। हालांकि अभी सरकार ने सीबीआइ जांच की संस्तुति नहीं की है, अगर सीबीआइ की जांच हुई तो रामपुर में मौलाना अली जौहर यूनिवर्सिटी और रामपुर पब्लिक स्कूल के निर्माण में संपत्ति कब्जाने का मामला सामने आएगा। ऐसे में पूर्व मंत्री आजम की मुश्किल बढ़ सकती है। वक्फ संपत्तियां लीज पर देने वाले अधिकारी जांच के घेरे में होंगे। ऐसे लखनऊ में शिया औकाफ कब्जाने की आंच धर्म गुरु से जुड़े लोगों तक तक जा सकती है। दूसरी ओर शिया व सुन्नी वक्फ बोर्ड के अध्यक्षों को नोटिस जारी कर दिया गया है। इसे बोर्ड भंग करने की दिशा में एक और कदम माना जा रहा है। शिया वक्फ बोर्ड के नामित छह सदस्यों की बर्खास्तगी का आदेश भी जारी कर दिया गया है।
---
यह किये गए बर्खास्त
बर्खास्त किये गए सेंट्रल वक्फ बोर्ड के नामित सदस्यों में अख्तर हसन रिजवी, आलिमा जैदी, सैयद वली हैदर, सैयद आसिम हुसैन रिजवी और नजमुल हसन रिजवी का नाम शामिल है। सूत्रों का कहना है कि सेंट्रल काउंसिल के सदस्य ने इनमें से एक सदस्य अख्तर हसन पर मुंबई का इमामबाड़ा बेचने में शामिल होने की बात कही थी।
---
21 june
---
आठ जिलों में दर्ज हैं औकाफ पर कब्जे की रिपोर्ट
 -लखनऊ, रामपुर, इलाहाबाद, कानपुर, मुरादाबाद, सहारनपुर, मुरादाबाद, आगरा में दर्ज हैैं एफआइआर
- सीबीआइ जांच का केन्द्रीय कार्मिक मंत्रालय को जल्द जाएगा पत्र

लखनऊ : दस साल के अंतराल में वक्फ संपत्ति बेचने, कब्जा करने के इल्जाम में दर्ज एफआइआर का ब्यौरा तैयार हो गया है। इसे शिया व सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड के घोटाले की सीबीआइ जांच कराने की दिशा में कदम माना जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि प्रदेश सरकार एक दो दिन में सीबीआइ जांच के लिए केन्द्रीय कार्मिक मंत्रालय से अनुरोध करेगी।   शिया-सुन्नी वक्फ बोर्ड में व्यापक भ्रष्टाचार का खुलासा सेंट्रल वक्फ काउंसिल के सदस्य एजाज रिजवी की जांच में हुआ था। इसमें पूर्व मंत्री आजम खां, बसपा नेता सतीश मिश्र से जुड़े ट्रस्ट को जमीन देने पर अंगुली उठाई गई है। उन्होंने दोनों बोर्डो में भारी भ्रष्टाचार का खुलासा किया था।
इसी जांच के आधार पर अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने विभागीय जांच कराई और भ्रष्टाचार की पुष्टि होने पर सीबीआइ का प्रस्ताव मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भेजा था। मुख्यमंत्री ने सीबीआइ जांच पर सहमति प्रदान कर दी। प्रमुख सचिव (गृह) अरविंद कुमार ने डीजीपी से दस साल के दौरान वक्फ संपत्तियों पर कब्जे को लेकर दर्ज एफआइआर, तफ्तीश की स्थिति का ब्यौरा मांगा था। अल्पसंख्यक कल्याण विभाग से दोनों बोर्डो की कार्रवाइयों का ब्यौरा भी गृह विभाग ने मांगा था। सूत्रों का कहना है कि गृह विभाग को भेजी गयी जानकारी में बताया गया है कि लखनऊ, रामपुर, इलाहाबाद, कानपुर, मुरादाबाद, सहारनपुर, मुरादाबाद, आगरा में वक्फ संपत्ति कब्जाने की एफआइआर दर्ज है। जिसकी विवेचना लंबित होने का जिक्र किया गया है। सूत्रों का कहना है कि गृह विभाग इन्हीं ब्यौरे के आधार सीबीआइ जांच कराने के लिए केन्द्रीय कार्मिक मंत्रालय को अगले दो दिन में सिफारिश भेज देगा।


JUNE POLICE @ CRIME-2017 by PA

1
 यूपी में अब कम्युनिटी पुलिंसिंग
-प्रत्येक जिले में एक डिप्टी एसपी नोडल अधिकारी नियुक्त होगा
-अपराधियों के विरुद्ध बिना भेदभाव के पुलिस कार्रवाई करे: मुख्यमंत्री
-यूपी 100 की कार्य प्रणाली को और पारदर्शी बनाया जाएगा
लखनऊ : कानून का राज कायम करने के प्रयासरत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में सामान्य पुलिस के साथ 'कम्युनिटी पुलिसिंगÓ पर जोर दिया है। प्रत्येक जिले में एक डिप्टी एसपी को नोडल अधिकारी बनाने का निर्देश दिया है। कानून-व्यवस्था की बेहतरी की दिशा में लापरवाही के दोषी पुलिस कार्मिकों के विरुद्ध जल्द और कठोर कार्रवाई के निर्देश भी दिये हैैं।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने चुनाव संकल्प पत्र में कानून का राज स्थापित करने के लिए कम्युनिटी पुलिसिंग का वादा किया थी। जिस पर अमल की दिशा में मुख्यमंत्री ने कदम बढ़ा दिया है। गुरुवार को कालिदास मार्ग स्थित आवास पर मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव राहुल भटनागर, प्रमुख सचिव (गृह) अरविंद कुमार, डीजीपी सुलखान सिंह के साथ कानून-व्यवस्था के हाल व आपराधिक वारदातों की विवेचना पर बिन्दुवार समीक्षा की। कहा कि अपराध रोकने के लिए कम्युनिटी पुलिसिंग शुरू की जाए। इसके लिए डिप्टी स्तर के एक अधिकारी को हर जिले में नोडल अधिकारी बनाया जाए। उसे कम्युनिटी पुलिसिंग की समीक्षा, व्यवस्था को और बेहतर बनाने के लिए जवाबदेह भी बनाया जाए।
मुख्यमंत्री ने पुलिस की कार्यक्षमता बढ़ाने का निर्देश देते हुए कहा कि अपराधियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाए। डायल-यूपी100 को और अधिक चौकस बनाया जाए। जिलों को पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराये जाएं। इस व्यवस्था की प्रत्येक दिन समीक्षा की जाए। जिलों में एसएसपी डायल-100 की कार्यशैली व उनके रिस्पांस टाइम की समीक्षा कर उसके रिपोर्ट शासन को भेजें। इस व्यवस्था को और पारदर्शी बनाया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से कहा कि पेट्रोलिंग बढ़ाकर ढेरों वारदातों को रोका जा सकता है। थाना सड़कों के किनारे अस्थायी झोपड़ी बनाकर रहने वालों का लगातार सत्यापन कराया जाये। सीएम ने अधिकारियों से कहा कि कानून व्यवस्था दुरुस्त रखना सरकार की पहली प्राथमिकता है। कानून का राज स्थापित करने के लिए बिना भेदबाव कार्रवाई की जाए।
---
क्या है कम्युनिटी पुलिसिंग
अमन पसंद व क्षेत्र में प्रभाव रखने वाले नागरिकों का समूह गठित किया जाता है। जो पुलिस कर्मियों के साथ मिलकर गश्त भी करेगा। इस समूह में सभी जाति धर्म, संप्रदाय के लोगों के जिम्मेदार लोगों को शामिल किया जाएगा। हालांकि पहले भी मोहल्ला सुरक्षा समितियां, शांति समितियां गठित हैं जो सौहार्द कायम करने की दिशा में कार्य करती हैैं। मगर कम्प्युटिी पुलिसिंग में कानून व्यवस्था व अपराध नियंत्रण पर कार्य होगा। अब एक डिप्टी एसपी नोडल अधिकारी होगा, इससे अपराध नियंत्रण में कामयाबी मिलने की संभावना है।
---
कोट
मुख्यमंत्री के निर्देशों के अनुरूप प्रत्येक जिलों में कम्प्युनिटी पुलिसिंग शुरू कराई जाएगी। इसके लिए अच्छे और तेज तर्रार पुलिस अधिकारियों की पहचान कर उन्हें नोडल अधिकारी नामित किया जाएगा।-अरविंद कुमार, प्रमुख सचिव गृह
---------------

-----
तीन दारोगा निलंबित, दो होमगार्ड जेल गए, सिपाही लाइन हाजिर

-चौकी इंचार्ज की विदाई में हिस्ट्रीशीटर की मौजूदगी का मुख्यमंत्री ने लिया संज्ञान
-मैनपुरी, हाथरस, गोंडा की वारदातों में पुलिस की संलिप्तता पर सरकार सख्त
-पुलिस-अपराधी गठजोड़ खत्म करने को चलाया जाएगा विशेष अभियान
लखनऊ : प्रदेश में कानून का राज कायम करने को प्रयासरत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अब 'पुलिस-अपराधीÓ गठजोड़ तोडऩे की दिशा में कदम बढ़ाया है। मथुरा में अपराधी की मौजूदगी मेें समारोह, हाथरस की लूट में पुलिस की संलिप्तता व गोंडा में रोडवेज कर्मियों से मारपीट के इल्जाम में तीन दारोगा निलंबित कर दिये गए। दो होमगार्ड जेल भेजे गए। कई सिपाही लाइन हाजिर किये गये हैैं। मुख्यमंत्री नेे प्रमुख सचिव (गृह), डीजीपी से दो टूक कहा है कि अपराधियों से दोस्ती रखने वाले पुलिस कर्मियों से सक्ती से निपटा जाए।
योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने के बाद सहारनपुर में जातीय संघर्ष, जेवर (नोएडा) में चार महिलाओं से दुष्कर्म, मथुरा में डकैती-हत्या जैसी वारदातें हुई। जिस पर मुख्यमंत्री ने सख्त रूख अख्तियार किया। अधिकारियों को सख्त कार्रवाई का निर्देश दिया। सूत्रों का कहना है कि इधर मुख्यमंत्री को भी जानकारी मिली है कि महत्वपूर्ण पदों पर तैनात कई पुलिस कर्मियों की अपराधियों से साठगांठ है। इसे इत्तिफाक भी कह सकते हैैं कि गत दिनों मथुरा की एक पुलिस चौकी के इंचार्ज के विदाई समारोह में हिस्ट्रीशीटर ने हिस्सा लिया। हाथरस में युगल से पुलिस कर्मियों ने 3.66 लाख रुपए लूट लिए। गोंडा में शराब के नशे में पुलिस कर्मियों द्वारा रोडवेज कर्मचारियों से अभद्रता का इल्जाम लगा। और मैनपुरी में एक दारोगा पर महिला को अश्लील संदेश भेजने का इल्जाम लगा।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को इन प्रकरणों का खुद संज्ञान लिया। प्रमुख सचिव सूचना अवनीश अवस्थी ने यह जानकारी मीडिया से साझा की। कुछ देर बाद मुख्यमंत्री ने प्रमुख सचिव (गृह) अरविंद कुमार, डीजीपी सुलखान सिंह को लाल बहादुर शास्त्री मार्ग स्थित अपने कार्यालय बुलाया। दोनों अधिकारियों ने बताया कि चौकी प्रभारी के विदाई समारोह में कुछ पत्रकार मौजूद थे, जिनमें से एक हिस्ट्रीशीटर था। इसका संज्ञान लेते हुए चौकी प्रभारी सुभाष चन्द्र बलियान, वरिष्ठ उपनिरीक्षक विनोद तोमर को पहले ही निलंबित किया जा चुका है। हाथरस में युगल की चेकिंग में दो होमगार्डो ने उनके थैलेसे 2.46 लाख रुपए निकाल लिये थे। दोनों होमगार्डों को जेल भेज दिया गया है। उनके साथ मौजूद रहे पुलिस इंस्पेक्टरों पर कार्रवाई हो रही है। 1.50 लाख रुपए बरामद हो गए हैैं। मैनपुरी में महिला को अश्लील एसएमएस भेजने वाले उपनिरीक्षक राधेरमण को निलंबित कर दिया गया है। विभागीय कार्रवाई भी शुरू की गई है।  मुख्यमंत्री को बताया गया कि गोंडा में रोडवेज कर्मचारियों के साथ मारपीट की शिकायत सही नहीं मिली है। मगर अभद्रता के मामले में सिपाही लाइन हाजिर कर दिये गये हैैं।
सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को अपराधी-पुलिस गठजोड़ का संजाल खत्म करने के लिए विशेष अभियान चलाने का निर्देश दिया है। यह भी कहा है कि सरकार थाने तक सीधी नजर रख रही है। सूत्रों का कहना है कि अधिकारियों से यह भी कहा गया है कि जिन पुलिस कर्मियों की छवि अच्छी नहीं है, उनमें से कई महत्वपूर्ण पदों पर तैनात हैैं। इन्हें हटाकर ठोस कार्रवाई की जाए।
------
कोट
कानून व्यवस्था दुरुस्त रखना सरकार की पहली प्राथमिकता है, इसमें कोई समझौता नहीं होगा। पुलिस अधिकारियों को संवेदनशीलता के साथ सतर्क रहने की हिदायत दी गयी है। अपराधियों के साथ पुलिस कर्मियों की नजदीकी बर्दाश्त नहीं की जाएगा। डीजीपी ने अपराधियों से नजदीकी रखने वाले पुलिस कर्मियों को चिन्हित कराने का अभियान चला रखा है।-अरविंद कुमार, प्रमुख सचिव (गृह)
-------------

झुग्गी-झोपड़ी वालों का डेटा तैयार करेगी पुलिस
-डीजीपी ने पुलिस अधीक्षकों को भेजा निर्देश
लखनऊ : नोएडा के जेवर में चार महिलाओं से दुष्कर्म की वारदात में बाबरिया गिरोह का हाथ होने के संदेह के बाद डीजीपी सुलखान सिंह ने अब झुग्गी-झोपडिय़ो की सघन चेकिंग कर वहां रहने वालों का डेटा तैयार करने का निर्देश दिया है।
एसएसपी, एसपी को भेजे गए निर्देश में कहा गया है कि
बड़े महानगरों में बहुत संख्या में लोग अवैध रूप से झुग्गी झोपड़ी बनाकर रहने लगते हैैं, इनमें से कई अपराधों में लिप्त पाये जाते हैैं। अपराध होने पर इनकी पहचान सत्यापित नहीं हो पाती है। ऐसे लोगों की पहचान सुनिश्चित करने के लिए झुग्गी-झोपडिय़ों में रहने वालों का सत्यापन कराया जाए। यह भी पता किया जाए कि कहीं कोई छदम नाम, गलत पते पर न रह रहा हो। इनकी सूची तैयार कर थानों में रखी जाए।
---
योग दिवस पर अलर्ट
डीजीपी ने पुलिस अधीक्षकों को भेजे निर्देश में यह बी कहा है कि  प्रत्येक वर्ष 21 जून को योग दिवस मनाया जाता है। इस लखनऊ में योगाभ्यास में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी शामिल होना है। एक स्थान पर 51 हजार से ज्यादा लोग उनके साथ योग में शामिल होंगे। इसके अलावा प्रत्येक जिले में योग दिवस के कार्यक्रम आयोजित करने की योजना है। जहॉ पर कार्यक्रम होने हों, वहॉ पर प्रवेश एवं निकास की व्यवस्था तथा सुरक्षा चेकिंग की व्यवस्था की जाये। सादे वस्त्रों में सुरक्षा कर्मियों की तैनाती की जाये। सुबह पांच से 10 बजे तक वाहनों की गहन चेकिंग करायी जाए। जिलाधिकारी के साथ बैठक कर पूरी रूपरेखा तैयार कर ली जाए।
-----------------

------
दो पुलिस क्षेत्राधिकारियों का निलंबन संभव
पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति के विरुद्ध दुष्कर्म के मामले की विवेचना में लापरवाही पर शासन सख्त
लखनऊ : नाबालिग लड़की से दुष्कर्म के आरोपित पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति के विरुद्ध साक्ष्य जुटाने में शिïिथलता की दोषी सीओ अमिता सिंह व सीओ (अब एएसपी) अवनीश मिश्र के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की तैयारी है। दोनों अधिकारियों को निलंबित भी किया जा सकता है। गृह विभाग ने डीजीपी मुख्यालय से रिपोर्ट तलब की है।
पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति व उनके करीबी पिन्टू सिंह, विकास वर्मा व अन्य लोगों के विरुद्ध दुष्कर्म व पास्को एक्ट की रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर गौतमपल्ली थाने में दर्ज हुई थी। विवेचना शुरू होते ही पुलिस की कार्यशैली पर ढेरों सवाल उठे थे, मगर तक ठोस कार्रवाई नहीं हुई थी। पिछले महीने लचर विवेचना का हवाला देकर लखनऊ के अपर जिला जज ने गायत्री प्रजापति को जमानत देने का आदेश किया, तब यह मामला फिर चर्चा में आया। हालांकि हाईकोर्ट ने जमानत आदेश को रद कर दिया और जमानत देने वाले अपर जिला जज की भूमिका जांच शुरू करा दी थी। इस किरकिरी के बाद पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने लखनऊ के एएसपी (उत्तर) अनुराग वत्स को पुलिस अधिकारियों की भूमिका की जांच सौंपी थी। जिन्होंने अपनी रिपोर्ट में सीओ अमिता सिंह व सीओ अविनाश मिश्र को विवेचना में शिथिलता का दोषी ठहराया है।  विवेचक सीओ अमिता सिंह द्वारा कई स्तर पर गड़बड़ी किए जाने की बात सामने आई है। उन्होंने मौका मुआयना नहीं किया। नक्शा नजरी तक नहीं बनवाया। वह पीडि़त महिला को साथ लेकर घटनास्थल पर भी नहीं गई थीं। जबकि सीओ अवनीश मिश्रा द्वारा अहम मामले में बिना वरिष्ठ अधिकारियों के संज्ञान में लाए केस डायरी कोर्ट मुंशी के पास भेज दिया था। एसएसपी लखनऊ के जरिये डीजीपी मुख्यालय पहुंची इस पर रिपोर्ट वरिष्ठ पुलिस अधिकारी हतप्रभ हैैं। सूत्रों का कहना है कि गृह विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने डीजीपी मुख्यालय से रिपोर्ट के बारे में जानकारी हासिल की और अब इन दोनों अधिकारियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई किये जाने के संकेत हैैं।
--------

----
जोन से बाहर स्थानांतरित होंगे दारोगा

डीजीपी ने अपराध नियंत्रण के विभिन्न पहलुओं पर अधिकारियों के साथ की चर्चा
लखनऊ : पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) सुलखान सिंह ने प्रदेश की कानून व्यवस्था चाकचौबंद करने के लिये परम्परागत पुलिसिंग पर जोर दिया है। लंबे समय से जिलों में तैनात उपनिरीक्षकों को जोन के बाहर स्थानांतरित करने का निर्देश दिया है। कम्युनिटी पुलिसिंग को बढ़ावा देने की हिदायत भी थी।
डीजीपी ने सोमवार को जोन में तैनात एडीजी, रेंज में तैनात आइजी, एसएसपी के साथ अपराध नियंत्रण के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की। कहा कि स्थानान्तरण नियमावली के विरुद्ध जिलों में तैनात उपनिरीक्षकों को जोन के बाहर स्थानांतरित किया जाए। अपराध में शामिल या अपराधियों से संबंध रखने के लिए चिन्हित पुलिस कर्मियों के विरूद्ध कार्रवाई की जाए। माफिया एवं अन्य प्रभावशाली अपराधियों की सूची बनायी जाए।माफिया के जमानतदारों का सत्यापन कराया जाए।
---
चौराहों के 25 मीटर तक ठेले न लगें
गाडिय़ों पर मानक विपरीत लगी नंबर प्लेट, हूटर-सायरन, लाल-नीली बत्तियां, झंडे, तख्तियां हटाने का अभियान चलाया जाए। चालकों को सीट बेल्ट लगाने के लिए प्ररित किया जाए। हेलमेट पहनना सुनिश्चित किया जाए। गाडिय़ों से काली फिल्म हटायी जाएं। यातायात पुलिस चुस्त-दुरूस्त, स्मार्ट वर्दी में रहे । वाहनों से पैसा वसूली की शिकायत पर रोक लगाई जाए। चौराहों से से 25 मीटर ठेले, वाहन न खड़े होने दिये जाएं।
---
गोवध पर एनएसए लगाएं
गोवध एवं गोवध के लिए गोवंश के परिवहन पर सख्ती से रोक लगायी जाये। ऐसे अपराधियों के विरूद्ध राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम, गिरोहबंद अधिनियम के अन्तर्गत कार्रवाई की जाए। न्यायालयों में विचाराधीन प्रकरणों में पैरवी कर परिणाम तक पहुंचा जाए। माफिया व गिरोहबंद अपराधियों की जमानतें निरस्त करायी जाएं। बाजारों, मॉल्स, सार्वजनिक स्थानों, पार्को में सादी वर्दी में महिला सिपाही व अधिकारियों के दस्ते तैनात किये जाएं।
---
विवादों का ब्यौरा तैयार करें
क्षेत्र के विवादों को चिन्हित कर उसे रजिस्टर में दर्ज किया जाए। कोशिश इन विवादों को हल कराने की हो। आवश्यकता पडऩे पर निरोधात्मक कार्रवाई की जाए ताकि बलवा, हत्या जैसी वारदात न हो पायें। डीजीपी ने कहा कि अधिकारी जमीनों पर कब्जा करने वालों की सूची तैयार करें। पांच वर्षों में जमीन,प्लॉट पर कब्जा करने वालों के विरूद्ध सख्त कार्रवाई की जाए।
---
आतंकी गतिविधियों पर नजर रखें
डीजीपी ने पुलिस अधिकारियों से कहा कि वह भीड़-भाड़ वाले स्थानों की नियमित निगरानी कराई जाए। ताकि कोई आतंकवादी घटना न हो सके। दुकानदारों इत्यादि का सहयोग लिया जाए। संदिग्ध गतिविधि होने पर त्वरित कार्रवाई की जाए। अधिकारी कम्युनिटी पुलिसिंग पर जोर दें। जनसहयोग हासिल करें। स्थानीय सहयोग से सीसीटीवी, चौकीदार का इंतजाम कराया जाए। त्योहारों को बारे में अभीसे अध्ययन कर लिया जाए। विवादित बिन्दु को हल कराया जाये।
---
इंसेट
10 से एक कार्यालय पर बैठें
डीजीपी ने पुलिस अधीक्षक,डीआइजी, आइजी, एडीजी जोन को स्पष्ट रूप से कहा कि वह प्रतिदिन सुबह 10 बजे से दोपहर एक बजे तक कार्यालय में अवश्य बैठें। कार्यालय के कार्यो का निस्तारण करने के अलावा नागरिकों से मिलकर उनकी शिकायतों का निस्तारण करेंगे। नागरिकों की शिकायतों के निराकरण पर पूरी गंभीरता एवं तत्परता बरती जाये।
-----
ये हिदायतें भी
-एसपी जवानों के अवकाश, ड्यूटी से विश्राम, भोजन, शौचालय, आवास, चिकित्सा की व्यवस्था तथा परिवार कल्याण की समस्या निराकरण करायें
-थानाध्यक्ष, प्रतिसार निरीक्षक मासिक निरीक्षण, दैनिक मुआयना मालखाना एवं नक्शा नौकरी खुद लिखें
-बन्दियों के एस्कोर्ट के संबंध में बन्दी की प्रकृति के अनुसार स्पष्ट, लिखित आदेश दिया जाए
-कचहरी, लॉक-अप ड्यूटियां जल्दी-जल्दी बदली जाएं
-चरित्र सत्यापन,पासपोर्ट,लाइसेन्स प्रार्थना पत्र पर एक सप्ताह में रिपोर्ट लगा दी जाए।
- एनसीआर की तीन दिन में जांच पूरी हो और सिर्फ आक्रामक पक्ष के विरुद्ध कार्रवाई हो
-टेम्पो,रिक्शा,ऑटो में ओवरलोडिंग रोकी जाए
-गाजियाबाद, नोएडा पुलिस के अधिकारियों को दिल्ली पुलिस के समन्वय बनाकर कार्य करने का निर्देश दिया गया

----------

स्वास्थ्य, वाणिज्य कर महकमे का बदलेगा आकार
विभागों का विलय होने पर मंत्रियों का कामकाज भी बदलेगा
 लखनऊ : विकास की गाड़ी को रफ्तार से दौड़ाने लिए योगी आदित्यनाथ सरकार नीति आयोग की मंशा केअनुरूप प्रदेश के सरकारी महकमों का विभाग पुर्नगठित करने को तैयार है। की साल पहले स्वास्थ्य विभाग, सेल्स टैक्स (अब वाणिज्य कर), लघु एवं मध्यम उद्योग, औद्योगिक विकास विभागों से अलग गठित विभागों का फिर विलय किया जाएगा। विभागों का विलय होते है, कई मंत्रियों के कामकाज में बदलाव भी तय है।
 प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 'मिनिमम गवर्नमेंट, मैक्सिमम गवर्नेंसÓ के मूलमंत्र पर नीति आयोग ने 10 मई को योगी सरकार को विभाग कम करने का सुझाव दिया था। जिस पर सैद्धांतिक सहमति बन गयी थी। इसी के आधार पर नीति आयोग ने राज्य की नुमाइंदगी के साथ संयुक्त वर्किंग ग्र्रुप बनाया था। जिसने जिसने बीमारू कहे जाने वाले उत्तर प्रदेश केविकास का रोडमैप तैयार किया, इस राह में बड़े विभागों का वर्गीकरण रोड़ा प्रतीत हो रहा है। विकास के लिए विभागों के बीच समन्वय के लिए विभागों का पुर्नगठन किया जाना जरूरी माना गया।
सूत्रों का कहना है कि नीति आयोग ने विकास का जो ब्लू प्रिंट तैयार किया है, उसमें स्वास्थ्य, वाणिज्य कर, बाल विकास एवं महिला कल्याण और लघु एवं मध्यम उद्योगों का विकास शामिल है।
सूत्रों का कहना है कि नीति आयोग ने मुख्य सचिव को पत्र भेजकर विभागों के पुर्नगठन का सुझाव दिया है। इस कार्य में मदद का आश्वासन भी दिया गया है। इस समय प्रदेश में तकरीबन 81 विभाग हैैं। सूत्रों का कहना है कि योगी सरकार नीति आयोग के सुझावों के मुताबिक विभागों के पुर्नगठन की तैयारी में जुट गयी है। परिवार कल्याण विभाग का चिकित्सा एवं स्वास्थ विभाग में विलय करने की तैयारी है। हालांकि अभी दोनों विभागों के एक ही प्रमुख सचिव होते हैैं, मगर मंत्री अलग-अलग हैैं। ऐसे ही वाणिज्य कर विभाग में मनोरंजनकर, आबकारी विभाग का विलय करने का प्रस्ताव है। मुख्य सचिव राहुल भटनागर का कहना है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नीति आयोग के सुझावों पर अमल करने की सैद्धांतिक सहमति व्यक्त की है। इस दिशा में नीति आयोग से संवाद बना हुआ है।
-----
किसका-किसमें विलय संभव
1-रेशम विकास, हैैंडलूम, वस्त्रोद्योग एवं हथकरघा विभाग का सूक्ष्म लघु, एवं मध्यम उद्योग एवं निर्यात प्रोत्सहान विभाग विलय करने की तैयारी है।
2-आबकारी व मनोरंजन कर विभाग  का वाणिज्य कर विभाग में विलय करने का प्रस्ताव है।
3-परिवार कल्याण विभाग का चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग में विलय करने का प्रस्ताव है। हालांकि अभी दोनों के प्रमुख सचिव एक ही होते हैैं, मगर मंत्री अलग-अलग हैैं।
4-आयुष (आयुर्वेद, होम्योपैथी, यूनानी सिद्धा) को चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग में विलय करने की भी योजना है।
5-बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग का महिला कल्याण विभाग में विलय करने का सुझाव भी है।
----
मंत्रियों के विभाग भी बदलेंगे
नीति आयोग के सुझावों पर अमल करते हुए अगर सरकार ने विभागों का विलय किया तो परिवार कल्याण, बाल विकास, आबकारी, रेशम, आयुष जैसे विभागों के मंत्रियों के कार्य में भी बदलाव संभव है। अभी इन विभागों के लिए मंत्री, राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार के मंत्री हैैं। जिन विभागों का विलय होगा, उनके मंत्रियों संबंधित विभाग के प्रशासनिक दायित्व से स्वत: मुक्त हो जाएंगे। ऐसे में मंत्रियों के विभाग में बदलाव के संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।
----------

नियम विरुद्ध उपयोग पर ब्लॉक होगा ट्विटर अकाउंट
-----------
गंभीर मामलों में पुलिस करे एफआइआर
लखनऊ : सोशल मीडिया के दुरुयोग को लेकर सरकार चौकन्नी हो गई है। नियमों के विरुद्ध जब कोई भी व्यक्ति अपने ट्विटर हैंडल से ट्वीट करेगा, तो उसका अकाउंट ब्लॉक किया जाएगा। गंभीर प्रकरणों में वादी की शिकायत पर पुलिस द्वारा एफआइआर की जाएगी। साइबर नियमों के अनुसार ट्विटर के उपयोग में ऐसा कोई संवाद नहीं किया जा सकता, जिससे लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचती हो।
पुलिस महानिदेशक कार्यालय में बुधवार को हुई कार्यशाला में ट्विटर टीम की महिमा कौल और रचित उप्पल ने कहा कि ट्विटर प्लेटफार्म पर ङ्क्षहसक धमकियां नहीं दी जा सकती। इसके साथ ही आतंकवाद को बढ़ावा देना, दुव्र्यहार या उत्पीडऩ करना, लोगों को उकसाना, अपनी प्रोफाइल या हेडर छवि में पोर्नोग्राफिक या बेहद हिंसक मीडिया का उपयोग, दूसरों को लक्ष्य करके किया जाने वाला दुव्र्यवहार प्रतिबंधित है।
कार्यशाला में यह भी कहा गया कि निजी व गोपनीय जानकारी जैसे क्रेडिट कार्ड नम्बर, डाक पता या सोशल सिक्योरिटी का प्रकाशन, आम लोगों को बहकाने, भ्रमिक करने या धोखा देने की मंशा से किसी दूसरे व्यक्ति की पहचान धारण करना भी गलत है। महिमा कौल ने पुलिसकर्मियों को बताया कि आत्महत्या करने या खुद को नुकसान पहुंचाने के बारे में सूचना मिलने पर लोगों की सहायता करने के लिये कदम उठाया जाये। ध्यान रहे हाल के दिनों में हुई ङ्क्षहसक झड़पों को लेकर अफवाह फैलाने में सोशल मीडिया का जमकर इस्तेमाल किया गया।  सहारनपुर में जातीय ङ्क्षहसा के बाद शासन ने आखिर इंटरनेट सेवाएं ब्लॉक कर दी थीं। भीम आर्मी से जुड़े लोगों ने भी इसके जरिये लोगों की भावनाएं भड़काने का कार्य किया था।
-----------
१३
----
...मगर वाराणसी जेल में चल रहे मोबाइल फोन
 लखनऊ: कारागारों की सुरक्षा फूलप्रूफ बनाने के लाख दावों के बावजूद वाराणसी जिला कारागार के कुछ अपराधी मोबाइल फोन का इस्तेमाल कर रहे हैैं। यह शिकायत आम आदमी की नहीं, आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) की है। इस एजेंसी के आइजी ने शासन को पत्र लिखकर जेलों में मोबाइल के इस्तेमाल पर सख्ती से रोक लगाने को कहा है।
संगठति अपराधियों के विरुद्ध अभियान चलाने वाली एसटीएफ (स्पेशल टास्क फोर्स) हो या आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) ने कारागारों में मोबाइल फोनों का इस्तेमाल होने की शासन से शिकायत दर्ज कराई। जिस पर कुछ अधिकारियों पर कार्रवाई भी हुई मगर यह सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहे हैैं। केन्द्रीय खुफिया एजेंसियों प्रदेश पर आतंकी खतरे की आशंका जाहिर कर रही हैैं, ऐसे समय में भी जेलों से मोबाइल फोन के इस्तेमाल पर अंकुश न लगने से सुरक्षा एजेंसियां बेचैन हैैं। सूत्रों का कहना है कि गत दिनों एटीएस के आइजी असीम अरूण ने कारागार व गृह विभाग के अधिकारियों को पत्र लिखकर वाराणसी कारागार में इस्तेमाल हो रहे मोबाइल फोनों को तुरंत बंद कराने व जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई करने को कहा है। सूत्रों का कहना है कि पूर्वांचल पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई कारागारों में मोबाइल का इस्तेमाल किये जाने की सूचना सुरक्षा एजेंसियों के पास हैैं। गृह सचिव मणि प्रसाद मिश्र का कहना है कि जिन जेलों में मोबाइल चलने की शिकायत मिली है, वहां कार्रवाई की जा रही है।
-----
यूपी हाईअलर्ट पर
त्योहारों के मौसम में प्रदेश में आतंकी खतरे की आशंका के बाद सुरक्षा एजेंसियां न सिर्फ हाई अलर्ट पर हैैं बल्कि संवेदनशील क्षेत्रों में गश्त बढ़ाने के लिए कहा गया है। शासन ने वरिष्ठ अधिकारियों को निर्देशित किया है कि संवेदनशील क्षेत्रों में तजुर्बेकार व बेहतर साख वाले अधिकारियों को तैनात किया  जाए। लखनऊ, वाराणसी, आगरा, इलाहाबाद, मेरठ, मुजफ्फरनगर, मथुरा में अतिरिक्त सावधानी बरतने की हिदायत दी गयी है।
---
१५
---
प्रदेश में खुलेंगे 88 बिजली थाने
-ऊर्जा विभाग के प्रस्ताव को सरकार ने हरी झंडी दिखायी
-लखनऊ, कानपुर, गाजियाबाद, नोएडा में होंगे चार-चार थाने
लखनऊ : बिजली चोरी रोकने के लिए प्रदेश सरकार ने 88 बिजली थाने खोलने की दिशा में कदम बढ़ा दिया है। ऊर्जा विभाग के प्रस्ताव पर वित्त, गृह, विधायी विभाग ने सैद्धांतिक मंजूरी प्रदान कर दी है। इनकी स्थापना के लिए योगी सरकार अपने पहले बजट में धनराशि का इंतजाम करेगी।
प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने पर राज्य के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने केंद्रीय ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल के साथ बिजली चोरी रोकने के उपायों पर मंथन किया। इस विचार मंथन के दौरान बिजली की चोरी रीकने के लिए  गुजरात मॉडल पर विशेष पुलिस बल की स्थापना पर सहमति बनी थी। इसके आधार पर ऊर्जा विभाग ने 88 बिजली थानों के गठन का प्रस्ताव गृह विभाग को भेजा। इसमें कहा गया है कि मौजूदा समय में बिजली रोकने के लिए 33 प्रवर्तन इकाइयां काम कर रही हैैं जिन्हें थानों में तब्दील करने के साथ 55 और थाने खोले जाएं। यानी बिजली चोरी पर अंकुश लगाने के लिए प्रदेश में कुल 88 थाने खोले जाने है। इनमें लखनऊ, कानपुर, गाजियाबाद, नोएडा, आगरा में चार-चार थाने और बाकी 70 जिलों में एक-एक थाना स्थापित करने का प्रस्ताव है। ऊर्जा विभाग के प्रस्ताव को सरकार के वित्त, विधायी और गृह विभाग ने सैद्धांतिक सहमति प्रदान कर दी है। गृह सचिव मणि प्रसाद मिश्र का कहना है कि 88 बिजली थाने स्थापित करने का प्रस्ताव मिला है जिस पर शासन स्तर पर सैद्धांतिक सहमति बन गई है। सूत्रों का कहना है कि थानों के लिए आवश्यक मानव संसाधन, गाड़ी, फोन आदि के लिए आवश्यक धनराशि का बजट में इंतजाम किया जाएगा। ध्यान रहे,  बिजली सुधार पर हुई बैठक में कहा गया कि 63 लाख ग्राहकों का रिकार्ड उपलब्ध नहीं है। इसके साथ ही बड़े पैमाने पर बिजली चोरी की शिकायतें हैैं। कई फैक्ट्रियों में बिजली चोरी किये जाने की शिकायतें शासन तक पहुंचती रहती हैैं। थानों की स्थापना से बिजली चोरी रोकने में मदद मिलेगी।
-----
अवर अभियंता होगा प्रभारी
प्रस्तावित बिजली थाने का प्रभारी ऊर्जा विभाग का अवर अभियंता होगा। थाने में एक इंस्पेक्टर, एक सब इंस्पेक्टर, चार सिपाही, दो लाइन मैन और एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी तैनात किया जाएगा। थाने का मुख्य कार्य बिजली चोरी रोकना और दोषी लोगों पर कार्रवाई करना होगा। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि थानों के गठन की अधिसूचना होने के बाद यहां तैनात होने वालों के दायित्वों की नियमावली को अंतिम रूप दिया जाए।
------------
 झुग्गी वालों का उत्पीडऩ न हो: गृह सचिव
 लखनऊ : गृह सचिव मणि प्रसाद ने कहा है कि भूमाफिया के विरुद्ध अभियान के नाम पर झुग्गी-झोपड़ी में रहने वालों को उत्पीडि़त नहीं किया जाये। संगठित गिरोह बनाकर निजी व सरकारी जमीनों पर कब्जा करने वालों को भूमाफिया के रूप में चिन्हित कर कार्रवाई की जाए।
सरकार की प्राथमिकता वाले विषयों की समीक्षा के दौरान खुलासा हुआ था कि कई जिलों में झुग्गी-झोपड़ी में रहने वालों को भी भूमाफिया घोषित किया जा रहा है। इस पर तुरंत अंकुश लगाने का शासन ने निर्देश दिया था। गृह सचिव ने कहा कि एंटी भूमाफिया  टास्क फोर्स से संगठित अपराधियों के विरुद्ध कार्रवाई करने को कहा गया है कि सरकारी जमीन के किसी हिस्से में झोपड़ी डाल कर रहने वालों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की जाए मगर उन्हें माफिया नहीं ठहराया जा सकता है। कहा कि इसके लिए सभी जिलाधिकारियों व पुलिस अधीक्षकों को निर्देश जारी किया गया है। गृह सचिव ने बताया कि भूमाफिया की सूची तैयार हो रही है, जल्द ही कार्रवाई शुरू होगी।
---------
हाईटेक होगी सचिवालय की सुरक्षा
-सभी गेट पर लगाये जाएंगे टायर पंक्चर करने वाले उपकरण व बूम बैरियर
-मुख्य सचिव की अध्यक्षता में सुरक्षा के प्रस्तावों को मिली मंजूरी लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा)की सरकार बनने के बाद सचिवालय केभवनों की सुरक्षा के लिए नए सिरे तैयार ब्लू प्रिंट को शासन ने मंजूरी प्रदान कर दी है। इसके तहत सचिवालय के प्रत्येक गेट पर वाहनों का टायर पंक्चर करने वाले उपकरण व बूम बैरियर लगाये जाएंगे जिससे कि अनधिकृत लोगों का प्रवेश रोका जा सके।
मुख्य सचिव राहुल भटनागर, प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार, प्रमुख सचिव सचिवालय प्रशासन की उच्च स्तरीय समिति ने विधानभवन, शास्त्री भवन (एनेक्सी), बापू भवन और मुख्यमंत्री के नये कार्यालय लोकभवन की सुरक्षा के प्रस्ताव पर गुरुवार को चर्चा की। बैठक में तय किया गया है कि सचिवालय भवन के प्रवेश द्वारों पर बॉडी स्कैनर लगाया जाएगा। इलेक्ट्रानिक कार्ड केजरिये परिसर में प्रवेश, पब्लिक अनाउंसमेंट सिस्टम लगाने पर चर्चा हुई। अधिकारियों और कर्मचारियों केलिए बायोमीट्रिक उपस्थिति मशीन लगाने की सिफारिश की गई है। सूत्रों का कहना है कि इसमें सचिवालय के सुरक्षा कर्मियों की संख्या बढ़ाने व उन्हें नए सिरे से प्रशिक्षित करने पर भी चर्चा हुई।
----
वॉच टावर भी बनेंगे
 सचिवालय भवनों की सुरक्षा के लिए वॉच टॉवर, स्पॉट लाइट की व्यवस्था भी होगी। हर प्वॉइंट सीसीटीवी की नजर में रहेगा। परिसर में प्रवेश करने वाली गाडिय़ों व व्यक्ति की गतिविधि की इलेक्ट्रानिक सर्विलांस के जरिये निगरानी होगी। इस व्यवस्था को संचालित करने के लिए नियंत्रण कक्ष और बैगेज एक्स-रे की सुविधा पर सहमति बनी है।
------------------
१७
 बंदी जेल से रच रहे अपराध की साजिश
-पुलिस अधिकारियों ने शासन को लिखा पत्र
-जेल में मोबाइल फोन के इस्तेमाल पर अंकुश लगाने की मांग
 लखनऊ : कानून व्यवस्था पर पुलिस व कारागार महकमे के बीच टकराव के आसार बन रहे हैैं। पुलिस का दावा है कि बहुत बड़ी संख्या में बंदी कारागार के अंदर न सिर्फ मोबाइल फोन बल्कि इंटरनेट सेवा का इस्तेमाल कर रहे हैैं जिसके जरिये अपराध की साजिश रची जा रही है। गृह विभाग ने कारागार महकमे के अधिकारियों को इस दिशा में प्रभावी कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। गृह सचिव मणि प्रसाद मिश्र का कहना है कि कारागारों के अंदर मोबाइल व स्मार्टफोन पहुंचने की जांच करायी जा रही है। दोषी लोगों पर कार्रवाई होगी।
  कारागारों की सुरक्षा व्यवस्था को चाकचौबंद बनाने के दावों के बावजूद अपराधी जेल में मोबाइल फोन का इस्तेमाल कर रहे हैैं। वसूली मांगी जा रही है। ठेका-पट्टा की बातें हो रही हैं। अपराध का ताना-बाना भी बुना जा रहा है। यूपी एसटीएफ (स्पेशल टास्क फोर्स), आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) ने साक्ष्यों के साथ इसकी जानकारी शासन को उपलब्ध करायी है। सूत्रों का कहना है कि एडीजी (कानून व्यवस्था) आदित्य मिश्र ने भी शासन को जेलों में मोबाइल फोन के इस्तेमाल से कानून व्यवस्था को चुनौती मिलने की आशंका जाहिर करते हुए इस दिशा में प्रभावी कार्रवाई के लिए कहा है। ऐसे समय में जब केन्द्रीय खुफिया एजेंसियां आतंकी खतरे की आशंका जाहिर कर रही हैैं, तब भी जेलों से मोबाइल फोन के इस्तेमाल पर अंकुश न लगने से सुरक्षा एजेंसियां खासी बेचैन हैैं। गृह सचिव मणि प्रसाद मिश्र का कहना है कि जिन जेलों में मोबाइल चलने की शिकायत मिली है, वहां उच्च अधिकारियों से जांच करायी जा रही है। दोषी लोगों पर शासन सख्त कार्रवाई करेगा। सूत्रों का कहना है कि इससे इतर पुलिस की ओर से बार-बार जेलों में मोबाइल फोन चलने की शिकायत किये जाने से कारागार विभाग के अधिकारी भी खासे खफा है। ऐसे में दोनों महकमों के बीच मतभेद गहराने से इंकार नहीं किया जा सकता है।
-----
२३
खुफिया रिपोर्ट पर बदले गये 11 जेलों के अधीक्षक

पीएन पांडेय लखनऊ जेल में तैनात
लखनऊ: कारागार में निरुद्ध अपराधियों के धड़ल्ले से मोबाइल इस्तेमाल करने की सुरक्षा एजेंसियों करने की गोपनीय रिपोर्ट से चौकन्ना सरकार ने प्रदेश के 11 संवेदनशील जेलों के वरिष्ठ अधीक्षकों को तबादला कर दिया है।
गृह विभाग के प्रवक्ता के मुताबिक केन्द्रीय कारागार आगरा के वरिष्ठ अधीक्षक एसएचएन रिजवी को मुरादाबाद भेजा गया है। नैनी कारागार के वरिष्ठ अधीक्षक केदारनाथ को बरेली स्थानांतरित किया गया है। फतेहपुर कारागार के वरिष्ठ अधीक्षक अरविंद कुमार सिंह को महराजगंज, केन्द्रीय कारागार वाराणसी के वरिष्ठ अधीक्षक संजीव त्रिपाठी को आगरा, केन्द्रीय कारागार बरेली के वरिष्ठ अधीक्षक पीएन पांडेय को लखनऊ जिला कारागार भेजा गया है। मुरादाबाद जिला कारागार के वरिष्ठ अधीक्षक बीआर वर्मा को नैनी, सहारनपुर कारागार में तैनात चौधरी सेवाराम को बांदा, आदर्श कारागार लखनऊ में तैनात अम्बरीश गौड़ को केन्द्रीय कारागार वाराणसी भेजा गया है। जिला कारागार गोरखपुर के वरिष्ठ अधीक्षक एसके शर्मा को बलरामपुर,  जिला कारागार सुलतानपुर में तैनात वरिष्ठ अधीक्षक प्रमोद कुमार शुक्ला को रायबरेली और  संपूर्णानंद प्रशिक्षण संस्थान में तैनात  राम धनी को गोरखपुर जिला कारागार भेजा गया है। ध्यान रहे, गत दिनों एसटीएफ, एटीएस के अधिकारियों ने शासन को भेजी रिपोर्ट में कहा था कि जेल बंद अपराधी धडल्ले से मोबाइल फोनों का इस्तेमाल कर रहे हैैं। जिससे कानून व्यवस्था को खतरा हो सकता है। माना जा रहा है कि इसी रिपोर्ट के आधार पर इतनी बड़ी संख्या में वरिष्ठ अधीक्षकों का तबादला किया गया है।
----------
२४
----
20 जिलों में बनेंगे बाल मित्र थाने
लखनऊ: बच्चों की मदद करने के लिए सरकार ने प्रदेश के 20 जिलों में बाल मित्र थाने स्थापित करने का फैसला लिया था। इसके लिए नोडल अधिकारियों की नियुक्ति हो चुकी है। लखनऊ के हजरतगंज थाने से इसकी शुरूआत हो चुकी है।
पुलिस प्रवक्ता राहुल श्रीवास्तव के मुताबिक लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, बरेली के बाल थानों का वहां के अपर पुलिस अधीक्षक (अपराध) को नि नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। गाजीपुर, आगरा, बदायूं, इलाहाबाद,, सोनभद्र, जौनपुर, मीरजापुर, गोरखपुर, गाजियाबाद, बलरामपुर, गोंडा, श्रावस्ती, बहराइच, बलिया, मुरादाबाद व बाराबंकी में भी बाल मित्र थानों की स्थापना होनी है। इन थानों के लिए भी नोडल अधिकारियों की नियुक्ति कर दी गयी है।
--------























JUNE -2017 smajwadi party


सपा सदस्यता अभियान की तिथि बढ़ायी
-30 जून तक ली जा सकेगी सदस्यता
लखनऊ : विधानसभा चुनाव में पराजय के बाद से जनाधार बढ़ाने को प्रयासरत समाजवादी पार्टी ने सदस्यता अभियान की अंतिम तिथि 30 जून कर दी है। पार्टी ने गुरुवार को पूरे प्रदेश में बूथ सदस्यता दिवस बनाया।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने 15 अप्रैल को सदस्यता अभियान का आगाज किया था। सदस्यता की अंतिम तिथि 15 जून निर्धारित की थी, जिसे 30 जून तक बढ़ा दिया गया है। सपा के मुख्य प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी का कहना है कि सदस्यता अभियान को विस्तार देने के लिए 15 जून को सभी 403 विधानसभा क्षेत्रों के बूथों पर सदस्यता अभियान चलाया गया। जिसमें 20 लाख लोगों ने सदस्यता ग्रहण की है। बताया कि कार्यकर्ताओं की मांग पर सदस्यता अंतिम तिथि बढ़ाने का फैसला लिया गया है। चौधरी ने दावा किया कि सपा गांधी, लोहिया, जेपी के विचारों को आगे बढ़ाने में जुटी है। सदस्यता लेने वाले युवा सदस्यों को गांधी व लोहिया को पढऩे के लिए प्रेरित किया जा रहा है। सपा का महिलाओं, दलितों, अल्पसंख्यकों एवं पिछड़ों को विशेष अवसर केसिद्धांत में विश्वास है।
---
सदस्यता शुल्क 20 रुपये
राजेन्द्र चौधरी ने बताया कि सदस्यता अभियान के तहत ग्रामसभा, न्याय पंचायत, विकासखंड और वार्ड स्तर पर शिविर लगाए जाएंगे। सदस्यता शुल्क 20 रूपये है। सक्रिय सदस्य होने के लिए 25 अन्य सदस्यों को जोडऩा होता है। सक्रिय सदस्य ही संगठन में पदाधिकारी बन सकेंगे।

-----
१९
-----
 मुलायम, आजम के बगैर सपा की इफ्तार पार्टी
-अखिलेश यादव ने रोजदारों का इस्तकबाल किया
-प्रमुख दरगाहों, इदारों के उलमा इफ्तार में शामिल हुए
-समाजवादी परिवार का सियासी मतभेद दिलों तक पहुंचा
लखनऊ : कुनबे के महासंग्राम में समाजवादी पार्टी (सपा) से सत्ता फिसली, अब परिवार के सदस्यों के दिलों में भी 'दूरियांÓ बढ़ रही हैैं। 19 जून को मुलायम सिंह, आजम खां और शिवपाल यादव की गैरहाजिरी में सपा की रोजा इफ्तार पार्टी से इस बात को बल मिला है। हालांकि  बड़ी संख्या में मुस्लिम धर्म गुरु, समर्थक इफ्तार में हिस्सा लेने पहुंचे थे। अखिलेश यादव ने रोजदारों का इस्तकबाल किया।
चुनावी साल में समाजवादी कुनबे छिड़ा संग्राम इतना बड़ गया कि मुलायम सिंह ने सिर्फ तीन जनसभाएं की। एक भाई दूसरी बहू और तीसरी एक समर्थक के पक्ष में थी। शिवपाल जसवंतनगर विधानसभा में घिरे रहे। चुनाव परिणाम आने के बाद शिवपाल ने नया दल बनाने का एलान किया। तारीख घोषित की मगर मुलायम के दखल पर उसमें बदलाव कर दिया। इस दौर में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने स्वीकारा कि 'चुनावी हार का एक कारण परिवार की कलह की अतिरिक्त चर्चा रही।Ó ऐसे में सपा 19 जून को रोजा इफ्तार एलान किया तो निगाहें मुलायम पर थीं। सोमवार की सुबह मुलायम दिल्ली में थे, वहां ढेरों नेताओं से मिले। शाम साढ़े छह बजे वह लखनऊ पहुंचे। इफ्तार का समय सात बजकर कुछ मिनट पर था, ऐसे में उम्मीद थी शायद वह इफ्तार पार्टी में आ जाएं मगर वह सीधे विक्रादित्य मार्ग स्थित आवास चले गए। जबकि पिछले साल बहुत बीमार होने के बाद भी इफ्तार पार्टी में गये थे। आजम रामपुर में बने रहे। शिवपाल इफ्तार पार्टी से चंद कदम दूर घर पर रहे। जिससे साफ है कि समाजवादी परिवार में सियासी मतभेद ही नहीं, दिलों में दूरियां बढ़ रही हैैं। ऐसे में अगर शिवपाल यादव का समाजवादी लोकतांत्रिक मोर्चाअस्तित्व में आ जाए तो हैरत नहीं होगी। राजनीति के जानकारों का कहना है कि मोर्चा बना तो सपा के लिए सियासी राह कठिन होगी। दूसरी ओर इफ्तार पार्टी में उपाध्यक्ष किरनमय नंदा, पूर्व मंत्री राजेन्द्र चौधरी, पूर्व मंत्री अरविंद सिंह गोप, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष राम गोविंद चौधरी, शायर अनवर जलालपुरी, वसीम बरेलवी, बेनी प्रसाद वर्मा, कां्रग्रेस के राज्यसभा सदस्य प्रमोद तिवारी, सीपीआइ नेता अतुल अंजान मौजूद थे। हमेशा की तरह लखनऊ के प्रमुख मुस्लिम इदारों, खानखाहों के प्रमुखों ने रोजा इफ्तार में हिस्सा लिया। सपा प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी का कहना है कि रोजा इफ्तार पार्टी में तकरीबन 25 हजार लोगों ने शिरकत की। शिया, सुन्नी दोनों संप्रदाय के लोग व धर्म गुरुओं ने इफ्तार पार्टी में हिस्सा लिया। इफ्तार के बाद नमाज में मुल्क की खुशियों व सौहार्य कायम रखने की दुआ मांगी गई।

----
२०
----
ब्यूरो: ...और सपाइ आज चलाएंगे साइकिल

-साइकिल यात्रा के जरिये पर्यावरण की बेहतरी का संदेश देंगे सपाई
-घरों में करें योग फिर अनुशासन में साइकिल यात्रा निकालें: अखिलेश

राज्य ब्यूरो, लखनऊ : यह भी एक राजनीतिक दांव ही कहा जाएगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हजारों नागरिकों के साथ जिस दिन योग करेंगे, उसी दिन यानी बुधवार को सपा समर्थक, कार्यकर्ता साइकिल चलाकर पर्यावरण के प्रति जागरूकता का संदेश देंगे। योग अभियान की तरह साइकिल चलाने का अभियान भी प्रदेश व्यापी होगा।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने दल के जिला, महानगर अध्यक्षों, महामंत्रियों को भेजे निर्देश में कहा है कि पर्यावरण की बेहतरी व स्वास्थ्य के प्रति जागरूक ता के लिये 21 जून को शहरों, कस्बों व गांव में साइकिल यात्रा निकाली जाए। कार्यकर्ताओं को सुविधा के मुताबिक घरों में व्यायाम व योग करने की इजाजत देने के साथ कहा गया है कि साइकिल चलाने के दौरान अनुशासन का विशेष ध्यान रखा जाए। सपा के मुख्य प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी का कहना है कि उनकी सरकार ने पर्यावरण बचाने के लिए कई प्रभावी कदम उठाये थे। लखनऊ में जनेश्वर मिश्र और डॉ. लोहिया पार्क बनाकर यहां के नागरिकों के लिए स्वच्छ हवा का प्रबंध किया था। सभी जिला मुख्यालयों पर हरे-भरे पार्क बनाने की योजना दी थी। पर्यावरण की बेहतरी के लिए लायन सफारी बनायी गयी। अखिलेश यादव ने खुद साइकिल चलाकर नौजवानों को साइकिल चलाने के लिए प्रेरित करने का प्रयास किया। कई शहरों में साइकिल ट्रैक बनाये गये थे। चौधरी का कहना है कि साइकिल आम जनता की सवारी है। उससे किसी तरह का प्रदूषण नहीं फैलता है। चौधरी ने कहा कि योग, व्यायाम शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है, मगर उसका राजनीतिक फायदा उठाने का प्रयास ठीक नहीं है। योग दिवस पर सपा के कार्यकर्ता प्रदेश के सभी जिलों में साइकिल चलाकर लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूकता का संदेश देंगे। मगर राजनीतिक विश्लेषक सपा के इस दांव को दूर की राजनीतिक कौड़ी मान रहे हैैं। उनका कहना है कि प्रधानमंत्री जब लखनऊ में योग कर रहे होंगे, उसी के आसपास साइकिल यात्रा के जरिये सपा जहां पर्यावरण के प्रति सतर्कता का संदेश देना चाहती है, वहीं समर्थकों को अपने साथ बांधे रखने का प्रयास भी कर रही है।
---------------
२१
----
मुलायम के वादे पर सपा के रुख का इंतजार
दिल्ली में आज कांग्रेस के साथ चर्चा के बाद अखिलेश खोलेंगे पत्ते
-मुलायम ने भाजपा प्रत्याशी को समर्थन दिया मगर उनके साथ कितने विधायक, सांसद? जवाब मिलना बाकी
लखनऊ : मुलायम सिंह यादव ने राष्ट्रपति पद के भाजपा प्रत्याशी रामनाथ कोविंद को समर्थन का एलान तो कर दिया, देखने वाली बात यह है कि आखिर उनके साथ कितने विधायक, सांसद हैैं? उनके निर्णय पर समाजवादी पार्टी का रुख क्या रहता है। उम्मीद जतायी जा रही है कि दिल्ली में गुरुवार को कांग्रेस केरणनीतिकारों के साथ चर्चा के बाद सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव अपने पत्ते खोलेंगे
 एक जनवरी 2017 को विशेष राष्ट्रीय अधिवेशन में मुलायम को हटाकर अखिलेश को सपा का अध्यक्ष चुना गया। विधायक, सांसद भी अखिलेश के साथ हो थे। मुलायम की मर्जी के बगैर अखिलेश ने कांग्रेस से चुनावी गठबंधन किया। इस दौर में कई ऐसे मौके आए जब स्पष्ट दिखा कि मुलायम ने जिस दल को बनाया, उसमें ही वह अप्रासंगिक हो गए हैैं। उनकेभाई शिवपाल यादव ने जरूर भाई के सम्मान की दुहाई देकर मोर्चा खड़ा करने का एलान किया। राष्ट्रपति चुनाव की डुगडुगी बजी। केन्द्र सरकार के दो मंत्रियों के अनुरोध पर मुलायम ने एनडीए के साथ जाने का निर्णय सुनाया। फिर रामनाथ कोविंद को अपना दोस्त बताया और मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पांच कालिदास मार्ग पर डिनर में शामिल हुए। समर्थन दोहराया। यहीं से सवाल उठा कि मुलायम के साथ आखिर कितने विधायक, सांसद हैैं? परिवार में संघर्ष के समय उनके साथ सिर्फ शिवपाल यादव बचे थे। आजम भी तटस्थ हो गए थे। नियम के हिसाब से सपा में वह संरक्षक पद पर हैैं, जिसका पार्टी के संविधान में कोई महत्व नहीं है। ऐसे उनके समर्थन का एलान माने सिर्फ खुद के वोट से है। या उनके पुत्र व सपा अध्यक्ष अखिलेश उनकी घोषणा के समर्थन में खड़े होंगे? यह देखने वाली बात होगी। सपा के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि अखिलेश यादव मुलायम सिंह की घोषणा के समर्थन में जा सकते है। तर्क यह है कि अखिलेश राजनीतिक समीकरण भाजपा उम्मीदवार रामनाथ गोविंद के पक्ष में है। सपा के विरोध से ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा। ऐसे में अखिलेश इस बहाने परिवार के अंदर चल रही कलह को कुछ हद तक थामने का प्रयास कर सकते हैैं। सूत्रों का कहना है कि 22 जून को दिल्ली में कांग्रेस के रणनीतिकारों के साथ चुनावी स्थितियों पर मंथन के बाद ही सपा अध्यक्ष कोई फैसला लेंगे। सपा के मुख्य प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने कहा कि सपा भाजपा की फासिस्ट नीतियों का विरोध करती आयी है, अगर विपक्ष एकजुट होकर कोई फैसला लेता है, तो हम उसके साथ रहना पसंद करेंगे।
----------

15 june
 पूर्व मंत्री वकार की पेंशन पर विचार करें विस अध्यक्ष : राज्यपाल
- शिकायती पत्र का राम नाईक ने किया निस्तारण
- भारत निर्वाचन आयोग के अभिमत से पारित किया आदेश
-------
लखनऊ : राज्यपाल राम नाईक ने 16वीं विधानसभा के सदस्य व पूर्व मंत्री वकार अहमद शाह के खिलाफ हुई शिकायत का चुनाव आयोग के अभिमत के अनुसार निस्तारण कर दिया है। सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. नूतन ठाकुर ने वकार के खिलाफ शिकायत की थी। राज्यपाल ने विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित को पत्र भेजकर वकार को मिलने वाली पेंशन पर विचार करने को कहा है।
राज्यपाल ने 'भारत का संविधानÓ के अनुच्छेद 192(एक) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग कर भारत निर्वाचन आयोग के मतानुसार वकार अहमद शाह के खिलाफ नूतन ठाकुर के शिकायती पत्र का निस्तारण कर दिया। उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष को प्रेषित पत्र में कहा है कि वकार मौजूदा विधानसभा के सदस्य नहीं हैं। ऐसे में उनको नियमानुसार अनुमन्य पेंशन एवं अन्य देयों का भुगतान यथाशीघ्र करने पर विचार किया जाए। नूतन ने 19 मई, 2015 को अपने शिकायती पत्र में कहा था कि वकार अहमद शाह दो वर्ष से कोमा में हैं। मानसिक रूप से अस्वस्थ हो चुके हैं, जिसके कारण वह विधानसभा की बैठकों में शामिल भी नहीं हुए हैं। नूतन ने इस आधार पर वकार की विधानसभा की सदस्यता निरस्त करने का अनुरोध किया था। राज्यपाल ने शिकायती पत्र को संविधान एवं उच्चतम न्यायालय के सिद्धांतों के आधार पर भारत निर्वाचन आयोग के अभिमत हेतु 23 नवंबर, 2015 को प्रेषित किया। इसका उत्तर राज्यपाल को एक वर्ष छह माह बाद 23 मई, 2017 को प्राप्त हुआ। निर्वाचन आयोग ने अपने पत्र में कहा कि वकार अहमद शाह के मानसिक अस्वस्थ होने के संबंध में आयोग के समक्ष किसी सक्षम स्तर पर प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं किया गया है। मार्च, 2017 में 17वीं विधानसभा के चुनाव संपन्न हो चुके हैं। वकार पुन: विधानसभा के सदस्य निर्वाचित नहीं हुए हैं। ऐसे में बहराइच विधानसभा क्षेत्र से 2012 में निर्वाचित 16वीं विधानसभा के सदस्य वकार के विरुद्ध डॉ. नूतन का शिकायती प्रत्यावेदन निष्फल हो गया है। राज्यपाल ने अपने आदेश की प्रति भारत निर्वाचन आयोग, विधानसभा अध्यक्ष, मुख्यमंत्री, गजट के लिए मुख्यसचिव और वकार शाह के परिजनों प्रमुख सचिव विधानसभा द्वारा तथा नूतन को प्रेषित की है। कानून के जानकारों का कहना है कि चुनाव आयोग ने ठाकुर के की शिकायत को यह कहकर खारिज किया कि 'अब वह सदस्यÓ नहीं है। मगर जिस कार्यकाल की शिकायत की शिकायत थी, उसका अभिमत क्यों नहीं दिया, इस पर सवाल उठाये जा रहे हैैं। सूत्रों का कहना है कि किसी पूर्व सदस्य को पेंशन के लिए प्रमाण पत्र देना होता है और कोमा में रहने वाला व्यक्ति प्रमाण पत्र कैसे दे सकता है? यह वह बिन्दु है जिसके आधार पर पेंशन पर विचार करने को कहा गया है।
-------





















Thursday 4 May 2017

SP MAY_शिवपाल के लिए बंद हो रहे दरवाजे, सेक्युलर मोर्चा बनायेंगे

3 MAY 2017



- रामगोपाल को शकुनि बताया, गीता पढऩे की दी सलाह
- रामगोपाल ने पहले कहा था शिवपाल सपा के सदस्य तक नहीं
----------
 लखनऊ : अधिकार, वर्चस्व के लिए देश के सबसे बड़े राजनीतिक परिवार यानी मुलायम सिंह केकुनबे की जंग ऐसे मोड़ पर है, जहां से पूर्व मंत्री शिवपाल के लिए समाजवादी पार्टी (सपा) के दरवाजे बंद होने शुरू हो गए हैं। इसे भांपकर उन्होंने एक माह के अंदर सेक्युलर मोर्चा गठित करने का एलान किया है। हालांकि इसका स्वरूप क्या होगा और मुलायम सिंह की भूमिका क्या होगी, यह आने वाले दिनों में साफ होगा।
 सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के परिवार में सितंबर 2016 से मुखर हुई कलह में जनवरी 2017 में खेमेबंदी हो गई। एक ओर अखिलेश-प्रो.राम गोपाल हो गए, दूसरी ओर शिवपाल यादव थे। मुलायम कभी इधर और कभी उधर रहे। विधानसभा चुनाव के दौरान कुनबे के अंदर से शिवपाल का विरोध हुआ और जब सपा चुनाव हारी तो शिवपाल ने कहा कि यह पार्टी नहीं, घमंड की हार है। इशारा पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की ओर था, जुबानी वार बढ़ती चली गई। शिवपाल यादव ने 1 जनवरी 2017 का वादा याद दिलाते हुए अखिलेश से मुलायम सिंह के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष पद मांगना शुरू कर दिया...तब राम गोपाल यादव ने फिर मोर्चा संभाला और इटावा में कहा कि शिवपाल तो सपा के सदस्य तक नहीं हैं, उनकी मांगों का कोई अर्थ नहीं है। अखिलेश अध्यक्ष पद नहीं छोड़ सकते। यह बात सपा में शिवपाल के लिए दरवाजे बंद होने जैसी थी, यह चर्चा होने लगी कि वह भाजपा का दामन थाम सकते हैं, मगर इस पर विराम लगाते हुए बुधवार को उन्होंने कहा कि अगर एक माह के अंदर मुलायम को राष्ट्रीय अध्यक्ष पद नहीं मिला, वह सेक्युलर मोर्चे के गठन करेंगे। हालांकि समाजवादी कुनबे को एकजुट करने का प्रयास न छोडऩे की बात भी कही। लेकिन वह यहीं नहीं रुके रामगोपाल यादव का नाम लिए बगैर उन्हें शकुनि बताया। कहा कि सपा के संविधान रचयिता शकुनि को गीता का पाठ पढऩे की जरूरत है। इन्हीं संविधान रचयिता ने लोकसभा चुनाव में टिकट बांटे थे, जिसमें पार्टी को पांच सीटें मिली थीं। विधानसभा चुनाव में पार्टी 229 से घटकर 47 सीटों पर आ गई।
इटावा संवाददाता के मुताबिक, शिवपाल ने कहा कि जिले के थानों की हालत बेहद खराब है। भ्रष्ट अधिकारी सत्ता की सीधी भागीदारी में जब लिप्त होते हैं तब देश व प्रदेश का यही हाल होता है। हमें अपनी सरकार में भी ऐसे लोगों से जूझना पड़ा था। अब दो माह में योगी सरकार में भी यही हालात बन गए हैं। जसवंतनगर के थानों में निर्दोष लोगों को पुलिस पीट रही है और गुंडे उनके खिलाफ मुकदमा करा रहे हैं। हालांकि यह सब काम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की इच्छा के विरुद्ध किया जा रहा है। वह लखनऊ जाकर उन्हें मामलों की पूरी जानकारी देंगे।
-------

Wednesday 3 May 2017

UP TERROR

3 MAY 2017 -ATS LKO

----
-एक एजेंट फैजाबाद और दूसरा मुंबई से गिरफ्तार हुआ
-मुंबई में गिरफ्तार अल्ताफ से 70 लाख रुपए बरामद
-आइएसआइ से ली थी जासूसी की ट्रेनिंग
-पाकिस्तानी उच्चायोग से संपर्क के साक्ष्य मिले
-कई संदिग्ध हिरासत में, एटीएस ने एक की पुष्टि की
---------
लखनऊ  : आतंकवाद के विरुद्ध अभियान में सुरक्षा एजेंसियों को एक पखवारे के अंदर दूसरी बड़ी सफलता हासिल की। बुधवार को यूपी एटीएसने फैजाबाद से पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी (आइएसआइ) के एजेंट आफताब अली और मुंबई से अल्ताफ कुरैशी को गिरफ्तार किया है। दोनों जासूस भारतीय नागरिक हैैं। मुंबई में गिरफ्तार एजेंट केपास से 70 लाख रुपए बरामद हुए हैैं। इनके पास से सैन्य क्षेत्रों के नक्शे, मोबाइल फोन मिले हैैं। कुछ संदिग्ध लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ चल रही है।
देश में आइएसआइ एजेंटों की सक्रियता का इनपुट मिलने पर सैन्य खुफिया इकाई, यूपी इंटेलीजेंस और एटीएस (आतंकवाद निरोधक दस्ता) ने संयुक्त अभियान के तहत फैजाबाद से यहीं के ख्वासपुरा निवासी आफताब अली को पकड़ लिया। उससे मिले सुराग पर एटीएस की दूसरी टीम ने महाराष्ट्र पुलिस के साथ मुंबई के आनंदराव मेन रोड पर स्थित युसूफ मंजिल के फ्लैट नंबर-रूम नंबर 201 पर छापा मारकर गुजरात के मूल निवासी अल्ताफ भाई कुरैशी पुत्र हनीफ भाई को पकड़ लिया। उसके कब्जे से 70 लाख रुपए नकद बरामद हुए हैं। अल्ताफ हवाला कारोबारी है। उसने आफताब के खातों में लाखों रुपये जमा किये थे। जांच एजेंसियां अल्ताफ से यह पता करने का प्रयास कर रही हैैं कि किसके कहने पर उसने आफताब के खाते में पैसा जमा किया। आइएसआइ नेटवर्क की और परतें खुलने की संभावना है।
दूसरी ओर पूछताछ में आफताब अली ने राजफाश किया कि वह पाकिस्तान जाकर आइएसआइ से जासूसी का प्रशिक्षण ले चुका है। पाकिस्तानी उच्चायोग के कुछ अधिकारियों के संपर्क में था। जिसके ठोस साक्ष्य एटीएस अधिकारियों को मिले हैं। सूत्रों का कहना है कि आफताब अक्टूबर में भारत सरकार के दखल पर दूतावास से हटाकर वापस पाकिस्तान भेजे गए महमूद अख्तर नाम के अधिकारी के संपर्क में था। अब एटीएस आफताब के पास से बरामद मोबाइल फोन का विशेषज्ञों से परीक्षण करा रही है। इससे ढेरों राज खुलने की संभावना है।
सूत्रों का कहना है कि आफताब से पूछताछ में मिली जानकारी के आधार पर कई लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ चल रही है। एटीएस एक संदिग्ध को हिरासत में लेने की तस्दीक करते हुए संकेत दिया है कि कुछ और लोगों की जल्द गिरफ्तारी हो सकती है। आफताब कब से जासूसी कर रहा था और उसने अब तक कितनी सूचनाएं अपने आकाओं तक पहुंचाई इसकी विस्तार से पड़ताल चल रही है। एटीएस के आइजी असीम अरूण ने का कहना है कि दोनों से पूछताछ में आइएसआइ के नेटवर्क का राजफाश होने की उम्मीद है।
ध्यान रहे, 20 अप्रैल को यूपी समेत पांच राज्यों की पुलिस के साझा अभियान में आइएस से प्रभावित समूह के चार सदस्यों को पकड़ा गया था, जिन्होंने पाकिस्तानी मूल के कनाडा में बस गए एक लेखक की हत्या, बिहार की चीनी मिल उड़ाने और मुंबई पुलिस के किसी एक अधिकारी हत्या की साजिश पर्दाफाश किया था। संदिग्ध आतंकियों का किसी समूह से सीधा संबंध नहीं मिला था, मगर इस बात के पुख्ता सुबूत मिले थे कि चारों युवक ङ्क्षहसक वारदातों को अंजाम देना चाहते थे। जिसके लिए गोला, बारूद और असलहों के इंतजाम का कार्य पूरा कर लिया है। गिरोह खुरासान माड्यूल के करीब था। इस कार्रवाई के एक पखवारे के अंदर आइएसआइ के लिए जासूसी के आरोप में युवक की गिरफ्तारी से इतना तय है कि सुरक्षा एजेंसियों के तमाम प्रयासों के बावजूद संदिग्ध आतंकियों का जाल फैलता जा रहा है।
-----
सर्जिकल स्ट्राइक के बाद बढ़ी थी गतिविधियां
एटीएस सूत्रों का कहना है कि अफताब ने अगस्त से अक्टूबर के बीच पाकिस्तान में जासूसी की ट्रेनिंग ली थी। यह बात भी सामने आई है कि भारत की ओर से सीमा पर सर्जिकल स्ट्राइक के बाद सैन्य गतिविधियों की जानकारी के लिए आफताब का इस्तेमाल किया जा रहा था। सूत्रों का कहना है फैजाबाद के ही युवक इमरान भी आइएसआइ के संपर्क में था जिससे पूछताछ चल रही है। इमरान ने भी कई चौंकाने वाले तथ्यों का राजफाश किया है।

------------
june 2017
------------

21 जून 2017-

भटके युवकों के सुधार अभियान को कानूनी मान्यता मिलेगी
-एटीएस के 'डी-रेडिक्लाइजेशनÓ अभियान को कानूनी मान्यता देने पर सरकार सहमत
-एटीएस लंबे समय से चला रही यह अभियान, लोगों ने इसे घर वापसी नाम दिया
लखनऊ : आतंकी मानसिकता से ग्रसित युवकों को सही रास्ते पर वापस लाने के आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) के 'डी-रेडिक्लाइजेशनÓ (कट्टरता से बाहर निकालना) अभियान को राज्य सरकार कानूनी मान्यता देने पर सैद्धांतिक रूप से सहमत हैैं।
 संदिग्ध गतिविधियों में हिरासत में लिये गये युवकों से पूछताछ में खुलासा हुआ कि आतंकी संगठनों के गुर्गे आर्थिक रूप से कमजोर, भटके  युवकों को कट्टर बनाने का प्रयास रहे हैैं। उनके अंदर आतंकी भावना भरने का प्रयास कर रहे हैैं। यूपी एटीएस ने ऐसे युवकों को वारदात में शामिल होने से पहले उनकी पहचान कर उनको सही राह पर लाने का अभियान शुरू किया था। गत माह पांच प्रदेशों की पुलिस के साझा अभियान में चार आतंकियों के साथ संदिग्ध गतिविधियों में शामिल होने के इल्जाम में छह युवकों को हिरासत में लिया था। पूछताछ (इन्ट्रोगेशन)में युवकों को पथभ्रष्ट किये जाने की साजिश का खुलासा हुआ था। मगर वे अपराध, आतंकी गतिविधि में शामिल नहीं पाये गये थे। जिस पर एटीएस अधिकारियों ने युवकों पर निगरानी बनाये रखने के साथ छोड़ दिया। उसी समय एटीएस के आइजी असीम अरूण ने कहा था कि 'युवकों के कट्टरता की जद में आने, राह भटकने के  कारणों की पड़ताल कर उन्हें सही रास्ते पर लाने का प्रयास किया जाएगा। अपराधी, आतंकी पकडऩे में इनका इस्तेमाल नहीं होगा।Ó एटीएस ने इस दिशा में प्रयास तेज किया।  युवकों के परिवार, उनके मित्र और धर्म गुरुओं की मदद से उनकी काउंसिलिंग शुरू कराई।  ये ही नहीं, कई और युवकों को भी एटीएस सही रास्ते पर लाने का प्रयास रही है। जिसके उत्साहजनक परिणाम दिखने के बाद पुलिस अधिकारियों ने इस अभियान को कानूनी मान्यता दिलाने का प्रयास शुरू किया है। सरकार सैद्धांतिक रूप से इस पर सहमत है। सूत्रों का कहना है कि अभियान के तहत चिन्हित युवकों को व्यावसायिक शिक्षा दिलाने, उनके परिवार के निराश्रित सदस्य को पेंशन, रोजगार उपलब्ध के लिए आसान दरों पर कर्ज का शासनादेश जारी किया जा सकता है। दरअसल, अभी एटीएस अपने संसाधनों व रसूख के बल ऐसे युवकों की मदद कर रही है। शासनादेश जारी होने पर संबंधित महकमों की यह जिम्मेदारी होगी कि वह उनके अनुसार मदद मुहैया कराये। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि पुलिस कई बार बहुत अच्छे अभियान चलाती है, मगर कानूनी मान्यता नहीं होने के चलते वह स्थायी नहीं हो पाता।
----
कैसे चल रही है अभियान
 'डी-रेडिक्लाइजेशनÓ के लिए चिन्हित युवक से एटीएस अधिकारी लगातार संपर्क में रहते हैैं। कुछ दिनों तक संबंधित को एटीएस कार्यालय बुलाकर बातचीत होती है।  फिर बातचीत को साप्ताहिक. पाक्षिक में तब्दील किया जाता है। एटीएस के बड़े अधिकारी सादे कपड़ों में संबंधित के घर जाकर परामर्श के प्रभाव का आकलन करते हैैं। इस प्रक्रिया को गोपनीय रखा जाता है। एक साल तक संपर्क के बाद मुलाकात सीमित की जाती है। रोजगार का इंतजाम व विवाह के बाद माना जा सकता है कि वह कट्टरता के प्रभाव से बाहर निकल गया है। बावजूद इसके सतर्कता बनाए रखी जाती है।
--------
२१ जून
--------
हिरासत में लिये गये तीन युवकों को एटीएस ने छोड़ा
सोशल नेटवर्किंग साइट पर संदिग्ध पोस्ट पर हिरासत में लिये गये थे
 लखनऊ : सोशल नेटवर्किंग साइटों पर संदिग्ध गतिविधियां संचालित करने के आरोप में हिरासत में लिए गए तीन युवकों को पूछताछ के बाद आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने छोड़ दिया है। वे सुरक्षा एजेंसियों की निगरानी में रहेंगे। एटीएस के प्रवक्ता ने बताया कि तीनों युवकों देश विरोधी गतिविधियों में संलिप्तता नहीं पायी गयी है। सोशल नेटवर्किंग साइटों पर संदिग्ध गतिविधि का इनपुट मिलने पर एटीएस ने लखनऊ के गोमतीपार इलाके में रहने वाले दो सगे भाइयों समेत तीन लोगों को हिरासत में लिया। दिहाड़ी मजदूरी करने वाले इन युवकों के फेसबुक अकाउंट पर संदिग्ध पोस्ट डाले जा रहे थे। कई घंटों की पूछताछ के बाद इन्हें छोड़ दिया गया। एटीएस के प्रवक्ता ने बताया कि जिन युवकों को हिरासत में लिया गया है, उन्हें अपराध में संलिप्त नहीं पाया गया था। युवकों के फेसबुक पेज पर आने वाले पोस्ट की निगरानी हो रही है। बताया गया कि इन युवकों को लखनऊ न छोडऩे की हिदायत दी गयी है।
------------