Saturday 24 December 2016

17 backwards politices in up

22 dec-2016

- जाति का जुगाड़ -
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-  साढ़े 13 फीसद आबादी को मिलेगा लाभ
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लखनऊ : इस फैसले में भले ढेरों पेंच हों, मगर चुनावी ड्योढ़ी पर खड़ी सरकार ने 17 अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति (एससी) का दर्जा देने का निर्णय लिया है। यह प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजा जाएगा। कैबिनेट ने 17 पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति की सूची में परिभाषित करके अनुमन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से यह फैसला लिया है।
 मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की अध्यक्षता में गुरुवार को हुई कैबिनेट बैठक में यूं तो 74 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई लेकिन, 17 अति पिछड़ी जातियों को एससी का दर्जा देने का फैसला महत्वपूर्ण है। इस निर्णय को लेकर भले तकनीकी पेंच तलाशे जा रहे हों पर समाजवादी सरकार ने इन जातियों की तकरीबन साढ़े 13 प्रतिशत आबादी को पाले में करने का चुनावी दांव चल दिया है। प्रस्ताव में कहा गया है कि ये 17 जातियां मूलरूप से केवल पांच जातियां हैं। इनका खानपान, रहन-सहन एक जैसा है। इनकी आर्थिक स्थिति भी दयनीय है। विधि विशेषज्ञों व महाधिवक्ता के अनुसार इन जातियों को अनुसूचित जाति के रूप में 'परिभाषितÓ करके व कार्मिक की अधिसूचना में एक बिन्दु जोड़कर एससी को उपलब्ध करायी जाने वाली सुविधा दी जा सकती है।
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ये अब एससी
निषाद, मल्लाह, केवट, मांझी, मछुआ, बिन्द, बाथम, धीवर, धीमर, कहार, कश्यप, गोडिय़ा, तुराहा, रैकवार, कुम्हार, प्रजापति, भर और राजभर।
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केंद्र कर चुका था इन्कार
प्रदेश सरकार ने तत्कालीन समाज कल्याण मंत्री अवधेश प्रसाद की अध्यक्षता में छह जुलाई, 2012 को पांच मंत्रियों की उपसमिति से 17 पिछड़ी जातियों पर रिपोर्ट मांगी थी। समिति ने फरवरी, 2013 में सरकार को सौंपी रिपोर्ट में कहा था कि इन 17 पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति के रूप में परिभाषित कर लिया जाए। साथ ही अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान द्वारा किये गए सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षणिक अध्ययन की रिपोर्ट 18 बिंदुओं के साथ केन्द्र सरकार को भेजी जाए। अखिलेश कैबिनेट ने 28 फरवरी, 2013 को संस्तुति पर अपनी मंजूरी देकर केन्द्र सरकार को भेज दिया था। सूत्रों का कहना है कि केन्द्र सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने 22 जुलाई, 2015 को भेजे पत्र में इन जातियों को अनुसूचित जाति के रूप में स्वीकार करने योग्य नहीं पाया था। अब अखिलेश यादव कैबिनेट ने इन जातियों को एससी के रूप में परिभाषित कर उसका लाभ देने का फैसला लिया है।
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सामाजिक न्याय समिति में आबादी
राजनाथ सिंह के मुख्यमंत्रित्व काल में हुकुम सिंह की अध्यक्षता में गठित सामाजिक न्याय समिति के आंकड़े कहते हैं कि प्रदेश में केवट, मल्लाह, मछुआ, निषाद की आबादी 4.33 फीसद, कुम्हार, प्रजापति 3.24 फीसद, भर, राजभर  2.44 फीसद, कहार-कश्यप धीमर, बाथम, तुरहा, बिंद, गोडिय़ा की आबादी 3.31 फीसद के करीब है।
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2004 में मुलायम का था प्रस्ताव
वर्ष 2004 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने इन 17 जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने का प्रस्ताव पास कर उसे मंजूरी के लिए केन्द्र सरकार को भेजा था लेकिन तब भी उसे नामंजूर कर दिया गया था। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव के घोषणा पत्र में समाजवादी पार्टी ने इन जातियों को अनुसूचित जाति का दर्जा दिलाने का वादा किया था। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने 15 फरवरी, 2013 को 17 अतिपिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने का प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजा था, जिसे रजिस्ट्रार जनरल आफ इंडिया (आरजीआइ) केन्द्र सरकार ने निरस्त कर दिया था। इसके बाद मंत्री गायत्री प्रजापति के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी ने 17 जातियों को अनुसूचित जाति का दर्जा दिलाने के लिए प्रदेश में रैलियां आयोजित कीं और जिलों से प्रस्ताव पास कराकर केन्द्र सरकार को भेजा।
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अति पिछड़ी जातियों को अब एससी के समान सुविधा
- प्रमुख सचिव समाज कल्याण ने मंडलायुक्त, डीएम को भेजा निर्देश
- 17 अति पिछड़ी जातियां एससी के रूप में परिभाषित
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लखनऊ : दस साल दो माह बाद फिर सूबाई हुकूमत ने प्रदेश की 17 अति पिछड़ी जातियों को एससी (अनुसूचित जाति) केरूप में परिभाषित (एक तरह का दर्जा) किया है। मंडलायुक्तों, डीएम को नए शासनादेश के अनुरूप इन जातियों को फौरन सरकारी सुविधा उपलब्ध कराने को कहा गया है।
17 अति पिछड़ी जातियों को एससी का दर्जा दिलाने का संघर्ष डेढ़ दशक पुराना है। वर्ष 2004 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने इन जातियों को एससी के रूप में परिभाषित कराने का प्रस्ताव कैबिनेट से पास कराया था। 10 अक्टूबर, 2005 कार्मिक विभाग ने संबंधित जातियों को एससी के बराबर लाभ देने का शासनादेश जारी किया था जिसे इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। 20 दिसंबर, 2005 को न्यायमूर्ति सरोजबाला की पीठ ने फैसले पर रोक लगा दी थी। इसके बाद इन जातियों को एससी का लाभ देने अथवा न देने को लेकर कई बार फैसले हुए, लेकिन नतीजा शून्य रहा।
गुरुवार को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की कैबिनेट ने फिर से 17 जातियों को एससी के रूप में परिभाषित करने का फैसला लिया और गुरुवार की तिथि में ही प्रमुख सचिव समाज कल्याण मनोज सिंह ने शासनादेश जारी कर दिया। मंडलायुक्त, डीएम और सचिवों को शासनादेश पर अमल के निर्देश दिए गए हैं। मुख्यमंत्री के सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने बताया कि अफसरों को शासनादेश की अनदेखी न करने की हिदायत दी गई है। 17 पिछड़ी जातियों को एससी का दर्जा दिलाने का आंदोलन चला रहे परिवहन मंत्री गायत्री प्रजापति का कहना है कि सरकार का यह फैसला सामाजिक न्याय का प्रतीक है। हालांकि, जानकार इस फैसले को चुनौती मिलने से इन्कार नहीं कर रहे हैं।
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इनको मिलेगा लाभ
निषाद, मल्लाह, केवट, मांझी, मछुआ, बिन्द, धीवर, धीमर, कहार, कश्यप, बाथम, गोडिय़ा, तुराहा, रैकवार, कुम्हार, प्रजापति, भर और राजभर।
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जातियों की यह है आबादी
हुकुम सिंह की अध्यक्षता में गठित सामाजिक न्याय समिति के आंकड़े कहते हैं कि प्रदेश में केवट, मल्लाह, मछुआ, निषाद की आबादी 4.33 फीसद, कुम्हार, प्रजापति 3.24 फीसद, भर, राजभर  2.44 फीसद, कहार-कश्यप धीमर, बाथम, तुरहा, बिंद, गोडिय़ा की आबादी 3.31 फीसद के करीब है।
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कब क्या हुआ
- वर्ष 2004 में मुलायम सिंह ने 17 जातियों को एससी में शामिल करने का केन्द्र सरकार को प्रस्ताव भेजा।
- अक्टूबर, 2005 को मुलायम सिंह यादव की कैबिनेट ने इन जातियों को एससी के रूप में परिभाषित किया।
- 10 अक्टूबर, 2005 को कार्मिक विभाग ने 17 अति पिछड़ी जातियों को एससी के रूप में सुविधा का शासनादेश जारी किया।
- फैसले के विरोध में प्रकाश चंद्र बिंद, जोगीलाल प्रजापति, प्रगतिशील प्रजापति समाज ने हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में याचिका दाखिल की। लोटनराम प्रजापित ने इन याचिकाओं के साथ अपना प्रार्थना पत्र भी शामिल कराया।
- अंबेडकर जन कल्याण समिति गोरखरपुर की ओर से इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक और याचिका दाखिल हो गई।
- 20 दिसंबर, 2005 को हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति सरोज बाला ने सरकार के फैसले पर रोक लगा दी
- हुआ यह कि 10 अक्टूबर, 2005 से 13 अगस्त, 2006 तक इन जातियों को अन्य पिछड़े वर्ग का भी लाभ नहीं मिला।
- 17 जातियों के बढ़ते दबाव के दबाव पर तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने 14 अगस्त, 2006 को फिर से इन जातियों को अन्य पिछड़े वर्ग में शामिल करने का आदेश जारी किया।
- मई 2007 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने अति पिछड़़ी जातियों को एससी के दर्जे का प्रस्ताव खारिज किया और केन्द्र को भेजा गया प्रस्ताव वापस मंाग लिया।
- इसकी भनक लगते ही अति पिछड़ी जातियों का आंदोलन शुरू हो गया।
- 4 मार्च, 2008 को तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने एससी का कोटा बढ़ाने की मांग के साथ 17 अति पिछड़ी जातियों को एससी में सूचीबद्ध करने का प्रस्ताव किया, जो खारिज हो गया।
- 15 फरवरी, 2013 को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने 17 जातियों को एससी का दर्जा देने का प्रस्ताव केन्द्र को भेजा जिसे खारिज कर दिया गया।
- जून, 2015 में तत्कालीन केन्द्रीय मंत्री नजमा हेपतुल्ला ने राज्य सरकार से शोध संस्थान की अध्ययन रिपोर्ट के साथ संस्तुति मांगी।
- अखिलेश यादव सरकार ने मंत्रिमंडल की उपसमिति गठित कर प्रस्ताव तैयार कराया। 

Tuesday 6 December 2016

6 dec - सपा में टिकट को लेकर फिर छिड़ सकता है संग्राम

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- शिवपाल, राम गोपाल के दावों से टिकट चाहने वालों में फिर बढ़ी बेचैनी
- शिवपाल बोले- विधायकों के क्षेत्र में चल रहा सर्वे, राम गोपाल ने कहा- टिकट पर मैं लगाऊंगा मुहर
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परवेज अहमद, लखनऊ : समाजवादी परिवार में कुछ दिनों से थमा 'महासंग्रामÓ टिकट बंटवारे पर फिर मुखर हो सकता है। इससे नये दावेदारों, विधायकों और कुछ मंत्रियों में भी सियासी भविष्य को लेकर बेचैनी फैल रही है।
सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने परिवार का महासंग्राम थामने का जब भी प्रयास किया, टिकट बंटवारे में अधिकार का मुद्दा उठा। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने उसी समय कहा था कि 'इम्तहान मेरा है, टिकट बंटवारे का अधिकार भी मुझे चाहिएÓ। वह यहां तक कह गये थे कि 'नेताजी (मुलायम सिंह यादव) चाहें तो सब कुछ ले लें मगर टिकट बांटने का हक नहीं लेंÓ। शीर्ष नेतृत्व ने इसे समझा और टिकट बंटवारे में अखिलेश यादव को वरीयता का संकेत दिया। सूत्रों का कहना है कि मुलायम ने प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव को अखिलेश यादव से राय-सलाह कर टिकट बांटने का इशारा किया था, जिसके बाद शिवपाल ने सबसे चर्चा कर टिकट बांटे जाने की बात कई बार दोहराई। मगर, सोमवार को शिवपाल ने कहा कि 165 टिकट फाइनल कर दिये हैं। मौजूदा विधायकों के बारे में विचार चल रहा है। हर विधानसभा की अपनी समस्याएं होती है। उन्हें पूरा न कर पाने पर लोग नाराज होते हैं। मौजूदा विधायकों, मंत्रियों के क्षेत्रों में सर्वे चल रहा है। इसी आधार पर टिकटों का वितरण होगा, जिताऊ-टिकाई को ही टिकट मिलेगा।
प्रदेश अध्यक्ष के रूप में शिवपाल यादव की इन बातों में ढेरों विधायकों के टिकट कटने का संकेत था। 40 विधायकों के टिकट कटने की चर्चा पार्टी में लंबे समय से है। यह भी आम चर्चा है कि कई विधायक दूसरे दलों के संपर्क में हैं। आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद वे दूसरे दलों का दरवाजा खटखटा सकते हैं। इन परिस्थितियों में उन विधायकों में ज्यादा बेचैनी है, जिन्हें संगठन, शीर्ष नेतृत्व से ज्यादा एक राष्ट्रीय महासचिव करीबी कहा जाता है। संभवत: इन्ही परिस्थितियों को भांपकर प्रो. राम गोपाल यादव ने सोमवार को इटावा में दो टूक कहा कि विधानसभा चुनाव में टिकट वितरण में उनकी अहम भूमिका होगी। टिकट पर फैसला संसदीय बोर्ड करता है, जिस पर अंतिम मुहर उन्हीं की लगेगी। इस बयान ने कुछ दावेदारों को जहां खुश किया है, वहीं तमाम लोगों को बेचैन भी किया है।
सपा सूत्रों का कहना है कि अखिलेश-शिवपाल के बीच मतभेद 'बाहरीÓ दखल से गहराया और फायदा उन्होंने उठाया जिनका 'बाहरीÓ लोगों से छत्तीस का आकड़ा था। सूत्रों का कहना है कि अब जो परिस्थितियां दरपेश है कि उसमें अगर मुलायम सिंह यादव ने समय रहते दखल नहीं दिया तो ठंडा हो गया महासंग्राम फिर शुरू होने से इन्कार नहीं किया जा सकता है।
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टिकट वितरण में अंतिम मुहर मेरी : प्रो. रामगोपाल
-नोटबंदी से पूरा देश परेशान
 इटावा : समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव प्रो. रामगोपाल यादव ने सोमवार को यहां कहा कि उत्तर प्रदेश के चुनाव में पार्टी में टिकट वितरण में उनकी अहम भूमिका होगी। टिकट का अंतिम फैसला संसदीय बोर्ड करता है और उस पर अंतिम मुहर उन्हीं की लगेगी।
प्रदेश में चुनाव आगे बढऩे के सवाल पर उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग जब चाहेगा चुनाव हो जाएंगे। कांग्रेस से गठबंधन पर वह कुछ नहीं बोलेंगे। इस पर नेता जी मुलायम ङ्क्षसह यादव ही बोल सकते हैं।
रामगोपाल ने कहा कि नोटबंदी के कारण पूरे देश में त्राहि-त्राहि मची है। बड़ी-बड़ी कंपनियों का कारोबार ठप हो गया है। लोगों को सर्दी के कपड़े उपलब्ध नहीं हो रहे हैं। मजदूर काम न होने के कारण घर लौट रहे हैं। इससे देश में कुछ दिन बाद अव्यवस्था फैलेगी और देश 10 साल पीछे हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के महिलाओं को 500 ग्राम व पुरुषों को 100 ग्राम सोना रखने के फैसले का गुस्सा आयकर विभाग को झेलना पड़ सकता है। कहीं ऐसा न हो इस फैसले से नाराज लोग इन पर हमला कर दें, क्योंकि हमारे देश में जेवर औरतों का गहना है और इसे लोग उपहार स्वरूप भी भेंट करते हैं।
उन्होंने तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हुए कहा कि वह तमिलनाडु की लोकप्रिय नेता हैं। ईश्वर उन्हें शीघ्र ठीक करे।

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सत्ता में लौटे तो हर गरीब को घर : अखिलेश
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- शादी अनुदान योजना की राशि 10 हजार से बढ़कर 20 हजार
- घोषणा पत्र में शमिल होगा सबको घर और पेंशन का वादा
 लखनऊ : मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने विरोधियों पर हमले के साथ अब जनता को भविष्य के ख्वाब दिखाने शुरू कर दिये हैं। उन्होंने कहा कि समाजवादी सत्ता में लौटे तो हर गरीब को घर मुहैया कराया जाएगा। वह गांव में या फिर शहर में रहता हो। चुनावी घोषणा पत्र में यह वादा शामिल रहेगा। प्रत्येक गरीब महिला को समाजवादी पेंशन भी मिलेगी।
मुख्यमंत्री ने सोमवार को सरकारी आवास पर पुत्रियों की शादी अनुदान योजना की राशि दस हजार से बढ़कर 20 हजार करने का एलान किया। दस बेटियों, उनके पति व माता-पिता को सम्मानित किया। फिर भाजपा व बसपा को कटघरे खड़ा करते हुए सवाल किया कि इन दोनों ने जनता को क्या दिया। उन्होंने सपा सरकार को जनता का धन जनता को लौटाने वाली बताया। कहा, शादी अनुदान योजना की राशि ऑनलाइन ट्रांसफर हो रही है। दो लाख आवेदकों को अनुदान दिया जाना है, जिससे अप्रत्यक्ष रूप से चार लाख परिवारों को लाभ होगा।
अखिलेश ने कहा कि बसपा ने पांच साल में जनता के लिए कुछ किया नहीं, हाथी जरूर खड़े किये। भाजपा विकास पर ध्यान देने के स्थान पर जनता को लाइन में खड़ा कर रही है। अर्थ व्यवस्था को पीछे कर दिया है। नोटबंदी से गरीबों को जो कष्ट हुआ है, वह चुनाव में उसका बदला लेगी। केंद्र सरकार के पास बताने के लिए कुछ नहीं है। यूपी सरकार ने बड़े शहरों में 24 घंटे और गांवों में 18 घंटे बिजली देने का काम किया है। भाजपा के छोटे से लेकर बड़े नेता क्या करेंगे यह बताते क्यों नहीं है। उन्होंने कटियाबाज फिल्म के कलाकार लोहा सिंह को बुलाकर पूछा था कि बिजली आ रही है? उसने कहा, कानपुर में इतनी बिजली कभी नहीं मिली। कार्यक्रम में मंत्री राजेन्द्र चौधरी, शंखलाल माझी, कमाल अख्तर, समाज कल्याण विभाग के निदेशक सुरेन्द्र विक्रम और महकमे के कई अधिकारी मौजूद थे।
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देशभक्ति से जोड़कर रंग छोडऩे वाला नोट छापा
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सपा के बहुचर्चित कार्यकर्ता का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्होंने पानी के कटोरे में दो हजार का नोट डुबा कर दिखाया, वह रंग छोड़ रहा था। सोचिए कैसा नोट छापा है? नोट का रंग छूटता रहा तो क्या होगा। भाजपा ने नोटबंदी को देशभक्ति से जोड़कर देश को उलझा दिया है। देश का कितना नुकसान हो गया। अर्थव्यवस्था को पीछे कर दिया है।
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वर्ष 2016-17 का लक्ष्य व आवंटित राशि
  वर्ग             लक्ष्य       आवंटित राशि
सामान्य वर्ग-     20625     41.25 करोड़
अन्य पिछड़ा वर्ग- 77000      154 करोड़़
अल्पसंख्यक -    41225       82.85 करोड़
अनुसूचित जाति-  60500      121 करोड़
जन जाति-         650       1.30 करोड़
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लखनऊ जिले का लक्ष्य 2016-17
 वर्ग               लक्ष्य       आवंटित राशि
सामान्य वर्ग-       200        40 लाख
अन्य पिछड़ा वर्ग-    1770      354 लाख
अल्पसंख्यक -        976       195.20 लाख
अनुसूचित जाति-     700       140 लाख
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इनका परिवार सहित सम्मान
-सीमा उर्फ खुशबू मिश्र (ब्राह्मïण) निवासी बख्शी का तालाब
-रूही (अल्पसंख्यक) निवासी मलिहाबाद
-पम्मी (पिछड़ा वर्ग) निवासी गोसाईगंज
-गीता (एससी) निवासी गोसाईंगंज
-समा खान (अल्पसंख्यक) निवासी मलिहाबाद
-राधा (पिछड़ा वर्ग) निवासी गोसाईंगंज
-रूपा (एससी) निवासी गोसाई गंज
-सना खान (अल्पसंख्यक) निवासी मलिहाबाद
-ज्योति (पिछड़ा वर्ग) निवासी गोसाईंगंज
-गुडिय़ा (एससी) निवासी गोसाईंगंज
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Thursday 1 December 2016

11 nov-16...और शब्दों की जुगाली पर लगे ठहाके


...और शब्दों की जुगाली पर लगे ठहाके

-राज्यपाल राम नाईक पुस्तक चरैवेति! चरैवेति! के हिन्दी, उर्दू, अंग्र्रेजी संस्करणों का हुआ लोकार्पण
-गृह मंत्री, मुख्यमंत्री, मुलायम सिंह यादव समेत कई हस्तियां पहुंची
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लखनऊ :...यूं तो मंच राजभवन के अंदर था, मगर विराजमान सियासत के योद्धा थे। बात संघर्ष और शब्दों से जीवन को मिले अर्थ की छिड़ी तो योद्धाओं ने प्रदेश के वाकयों को केन्द्रित एक दूसरे पर खूब शब्द वाण छोड़े...जिसने श्रोताओं, दर्शकों को खूब गुदगुदाया।
 राज्यपाल राम नाईक के जीवन व सियासी संस्मरण पर  आधारित पुस्तक चरैवेति! चरैवेति! के ङ्क्षहदी, उर्दू व अंग्रेजी में अनूदित संस्करणों के लोकार्पण के लिए राजभवन में समारोह था, जिसकी शुरूआत में खुद नाईक ने साफ किया पुस्तक के शीर्षक का अर्थ है चलते रहो, चलते रहो। विश्लेषित किया ठहर जाने का मतलब सब कुछ ठहर जाना होता था, यही लाइनें 81 साल की उम्र में भी काम के लिए प्रेरित करती हैं...और बताया कि बचपन से लेकर सियासी उतार-चढ़ाव के संस्मरण पुस्तक के रूप में संजोया है। यहां तक तो बात पुस्तक की थी, शब्दों की इसी श्रंखला बढ़ाते हुए नाईक ने उर्दू में अनूदित पुस्तक की प्रस्तावना लिखने वाले व इन दिनों कांग्र्रेस की मुख्यधारा से दूर दिख रहे अम्मार रिजवी की ओर इशारा करते हुए कहा कि 'यहां आकर पता चला कि प्रदेश में एक्टिंग मुख्यमंत्री भी हुए हैं, वह यही रिजवी थे। ऐसे कहीं और नहीं सुना।Ó अम्मार की राजनीतिक तरीकों को समझने वाले ठहाके फूट पड़े...नाईक ने संसद, विधानसभा में उठाए अपने सवालों, एक निजी विधेयक का विस्तार से जिक्र करते हुए कहा कि ये सारे संस्मरण किताब में हैं।...और बारी रिजवी की आई तो उन्होंने वहां मौजूद मुलायम सिंह, अखिलेश यादव की शान में कसीदे काढ़े। गृहमंत्री राजनाथ सिंह को मुसलमानों का रहनुमा ठहराया मगर विधानसभा अध्यक्ष रहते हुए केशरीनाथ त्रिपाठी के विधायकों के दल पर दिये गये निर्णय के एक शेर के जरिये जिस अंदाज में उभारा, उससे हाल में फिर खिलखिलाहट गूंज उठी...मगर केशरीनाथ त्रिपाठी संयमित रहे और कहा कि संस्मरण बिना उद्देश्य के नहीं होता। यह समाज के लिए दिशा सूचक होगा। मगर मुख्यमंत्री अखिलेशयादव कहां चूकने वाले थे, बारी आई तो किताब खरीदने के लिए डेबिट व क्रेडिट कार्ड का भी उपयोग करने जानकारी पर चुटकी लेते हुए कहा कि 'मैं तो कहता हूं मंच पर बैठे लोग फैसला लें तो फिर पुराने नोटों से किताबें खरीदी जा सकती हैं।Ó चूंकि वह सुबह निजी अस्पतालों में पुराने नोट स्वीकारे जाने की तिथि बढ़ाने का पत्र केन्द्र को लिख चुके थे और मंच पर राजनाथ सिंह थे, जो प्रधानमंत्री के जापान में होने के चलते गृहमंत्री के रूप में प्रभावी थे, लोगों ने इसका मंतव्य समझकर खूब तालियां बजायीं। कहा कि नाईक से सरकार चलाने का बारे में ढेरों बातें सीखी हैं। ...अब बारी गृह मंत्री की थी, हाजिर जवाबी के लिए मशहूर राजनाथ सिंह ने कहा कि राज्यपाल का पद कम चुनौती पूर्ण नहीं होता। राज्य में जिस दल की सरकार होती है, उसी से ताल्लुक रखने वाला राज्यपाल हो तब भी दुश्वारी होती है। और अगर दल अलग हों तो मामला ज्यादा चुनौती पूर्ण होता है, मगर राम नाईक ने दोनों के बीच सामंजस्य बनाया है। फिर मुख्यमंत्री की ओर इशारा कर कहा 'क्यों अखिलेश सहमत होÓ? फिर लोगों की हंसी फूटी। क्योंकि लोग जानते हैं कि राज्यपाल ने सरकार के ढेरों फैसलों पर सांविधानिक सवाल उठाये हैं।
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परिवार को दिया श्रेय
समारोह में  राज्यपाल की पत्नी कुंदा नाईक, बेटी डॉ. निशिगंधा नाईक व विशाखा नाईक कुलकर्णी मौजूद थी। राज्यपाल अपने सामाजिक कार्य की सफलता का श्रेय अपनी पत्नी व बेटियों को देते हुए कहा कि यह पुस्तक उनके सहयोगियों और शुभचिंतकों को समर्पित है। इस मौके पर राज्य सरकार के ढेरों मंत्री, अधिकारी, सांविधानिक पदों पर आसीन लोग मौजूद थे। राज्यपाल ने पुस्तक का अनुवाद करने वालों व प्रकाशकों का सम्मान भी किया।

14 nov- सपा में कूटनीतिक दांव का हिस्सा बने आंसू


-यादव परिवार में संग्राम छिडऩे के बाद धड़ल्ले से चले जा रहे भावनात्मक दांव
-दबाव बनाने और अपना पक्ष रखने में भी जज्बातों का सहारा
लखनऊ : समाजवादी पार्टी (सपा) में आंसू सियासी दांव का हिस्सा बन रहे हैं। परिवार में संग्राम शुरू होने के बाद से आंसू बहाने के सिलसिले में बढ़ोत्तरी हुई है। सपा से निष्कासित प्रो.राम गोपाल यादव ने इटावा में जिस अंदाज में आंसुओं को सफाई का जरिया बनाया, उसे मुलायम सिंह को लुभाने की कूटनीति के रूप में देखा जा रहा है।
सपा में भावनात्मक दांव की शुरुआत बिहार में महागठबंधन से नाता तोडऩे के फैसले से हुई। उस समय जनता परिवार केएक होने पर 'साइकिल निशान और हरे-लालÓ झंडे काअस्तित्व खत्म होने का भावनात्मक तर्क मुलायम के सामने रखा गया था। यह तर्क रखने वालों के अगुआ राम गोपाल थे। यहां से यह सिलसिला चला और मुख्तलिफ मौकों पर परवान चढ़ा। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, शिवपाल यादव ने भी अपनी बात रखने में भावनात्मक पक्ष को ही आगे रखा। इसकी परिणति 24 अक्टूबर को सपा मुखिया की ओर से बुलायी गई पार्टी विधायकों की बैठक में दिखी जिसमें मंच पर उनके साथ अखिलेश और शिवपाल भी थे। बैठक को संबोधित करते हुए पिता मुलायम के सामने अपना पक्ष रखते हुए अखिलेश का गला कई बार भर आया। परिवार की कलह से परेशान मुलायम ने भी द्रवित होकर अखिलेश को चाचा शिवपाल से गले लगने को कहा था। अखिलेश ने पिता और चाचा के पैर छुए थे। एक बार फिर इसकी बानगी सपा के रजत जयंती समारोह के मंच पर देखने को मिली शिवपाल ने अखिलेश से कहा कि खून मांगोगे तो वह भी दे दूंगा।
भावनाओं की भंवर से निकल कर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने चुनाव की तैयारियों पर फोकस शुरू किया ही था कि सोमवार को सपा से निष्कासित राम गोपाल ने इटावा में ने डबडबाती आंखों से कहा कि 'अब भी सपा में हूं, राष्ट्रीय पदाधिकारी को राष्ट्रीय अध्यक्ष बर्खास्त कर सकता है।Ó ध्यान रहे प्रोफेसर के निष्कासन का आदेश मुलायम के कहने पर शिवपाल यादव ने जारी किया था, जो पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हैं। रामगोपाल ने पत्र के मार्फत जो मांग रखी, उसमें टिकट बंटवारे में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की राय अनिवार्य करने, निष्कासित एमएलसी व पदाधिकारियों की वापसी और अनिर्णय की स्थिति में राष्ट्रीय अधिवेशन बुलाने की मांग शामिल है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि प्रोफेसर ने मुख्यमंत्री के कंधे पर बंदूक रखकर सपा के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव पर निशाना साधने का कूटनीतिक दांव चला है। यह भी कहा जा रहा है कि भावनात्मक दांव के जरिये राज्यसभा में समाजवादी पार्टी के नेता का पद बचाये रखने का प्रयास किया गया है।
कहा जा रहा है कि यादव परिवार के सदस्यों में स्वीकार्य माने जाने वाले संजय सेठ को राज्यसभा में दल का नेता नियुक्त किया जा सकता है। हालांकि चुनावी साल में पिछड़ा वर्ग के विश्वंभर निषाद या भूमिहार रेवतीरमण सिंह में से किसी एक को भी यह पद मिल सकता है।

10 nov- कोई गठबंधन नहीं: मुलायम



-उत्तर प्रदेश में गठबंधन की संभावना पांचवें दिन खारिज
-दूसरी बार सपा की ओर से खारिज हुआ एका का प्रयास
लखनऊ : 'जनता परिवारÓ में एका का दूसरा प्रयास भी असफल हो गया। समाजवादी पार्टी (सपा) के सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने दो टूक कहा कि वह किसी भी दल से गठबंधन नहीं करेंगे, जो सांप्रदायिकता के खिलाफ मिलकर चुनाव लडऩा चाहते हैं, वह सपा में विलय कर लें। कुछ ने विलय कर लिया है। मुलायम ने गठबंधन के प्रयास शुरू होने के पांचवें दिन ही उसे खारिज कर दिया। इस निर्णय को यादव के परंपरागत चरखा दांव के रूप में देखा जा रहा है।
गुरुवार को सपा के प्रदेश कार्यालय में आयोजित पत्रकारवार्ता में एक सवाल के जवाब में मुलायम सिंह ने जोर देकर कहा कि विधानसभा चुनाव में वह किसी से गठबंधन नहीं करेंगे। यहीं नहीं रुके कहा कि जो मिलकर चुनाव लडऩा चाहते हैं, वे सपा में विलय कर ले। कुछ दलों ने विलय कर लिया है। इशारा कौमी एकता दल की ओर था।
एका का यह प्रयास लोकसभा चुनाव में गैरभाजपा दलों के सफाये के बाद शुरू हुआ था, तब सपा के शिवपाल यादव ने जनता परिवार की एकजुटता किया, जो तेजी आगे बढ़ा। मुलायम को परिवार के अध्यक्ष चुन लिया गया, बिहार चुनाव गर्माते ही तत्कालीन रणनीतिकार प्रो.राम गोपाल यादव के इशारे पर सपा महागठबंधन से अलग हो गई थी, हालांकि उस समय सपा पर भाजपा के इशारे पर गठबंधन से अलग होने के इल्जाम लगे थे।
 समाजवादी परिवार में चला रही वर्चस्व की लड़ाई 12 सितंबर से सड़कों पर आ गई और अक्टूबर में उस पर शांति की चादर पडऩे के फौरन बाद श अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने गांधी, चरणसिंह और लोहियावादियों को फिर से एकजुट कर विधानसभा चुनाव में सांप्रदायिक शक्तियों से मुकाबला करने का दावा किया। मुलायम सिंह की सहमति होने की बात कही गई और  पांच नवंबर को सपा की रजत जयंती में जनता दल (एस) के मुखिया एचडी देवगौड़ा, राष्ट्रीय लोकदल के अजित सिंह, जनता दल (यूनाइटेड) के शरद यादव, राजद प्रमुख लालू यादव व इंडियन नेशनल लोकदल के अभय चौटाला ने केन्द्र की सत्ता से भाजपा को खदेडऩे की उत्तर प्रदेश से शुरूआत करने के लिए एकजुटता पर जोर दिया। मुलायम ने भी कहा था कि जिस तरह की चुनौतियां है, उसमें सब का साथ लिए बिना सरकार नहीं बनाई जा सकती है। गैर बराबरीवाद को खत्म करने के लिए गठबंधन की जरूरत जतायी थी। इससे लगा की जनता परिवार फिर एका की ओर बढ़ रहा है। इस बीच कई तरह की ना नुकर के बाद भी कांग्रेस के चुनाव प्रबंधक प्रशांत किशोर उर्फ पीके ने दिल्ली में मुलायम से दो चरणों की बात की। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से भी मिले। मुख्यमंत्री ने मुलाकात को सार्थक भी बताया, हालांकि जाहिरा तौर पर वह गठबंधन के प्रति उत्साहित नहीं रहे। बुधवार को भी एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कहा वह बिना किसी गठबंधन से बहुमत की सरकार बनायें और गठबंधन हो गया तो तीन सौ सीटें जीतेंगे। उनके इस बयान को सकारात्मक संकेत माना गया, मगर गुरुवार को मुलायम सिंह यादव ने दो टूक कहा दिया वह किसी से भी गठबंधन नहीं करेंगे और जिस अंदाज में उन्होंने कहा कि अगर कोई मिलकर लडऩा चाहता है तो सपा में विलय करे। राजनीतिक विश्लेषक इसे भी मुलायम के चरखा दांव के रूप में देख रहे हैं और माना जा रहा है कि मुलायम सिंह यादव 'अब वह कोई फैसला नहीं करना चाहते हैं जिसमें मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की खुशी भरी मंशा न हो।Ó 

05 nov-गठबंधन की नींव, डोर मुलायम के हाथ



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- सपा रजत जयंती समारोह में भाजपा को सत्ता से दूर रखने का संकल्प

लखनऊ : लोकसभा चुनाव में हार के बाद 'जनता परिवारÓ के एका और बिहार चुनाव से पूर्व आई दरार भरने की नए सिरे से पहल हुई है। शनिवार को समाजवादी पार्टी के  रजत जयंती समारोह में उत्तर प्रदेश चुनाव में गठबंधन की तामीर का जिम्मा मुलायम सिंह यादव को सौंपा गया।
जनेश्वर मिश्र पार्क में आयोजित समारोह में जनतादल (एस) के एचडी देवगौड़ा, राष्ट्रीय लोकदल के अजित सिंह, जनता दल (यूनाइटेड) के शरद यादव, राजद प्रमुख लालू यादव व इंडियन नेशनल लोकदल के अभय चौटाला ने देश की सत्ता से भाजपा को खदेडऩे की शुरुआत उत्तर प्रदेश से करने के लिए एकजुटता पर जोर दिया। मुलायम सिंह यादव को गठबंधन तैयार करने का जिम्मा भी सौंपा गया। मंच पर लगी मुख्य होर्डिंग में डा.राममनोहर लोहिया, चौधरी चरण सिंह और जयप्रकाश नारायण के चित्र भी चुनावी गठबंधन की मंशा का इशारा कर रहे थे। हालांकि जनता दल (यू) अध्यक्ष व बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का समारोह में शामिल न होना गठबंधन की तस्वीर को धुंधला कर रहा था मगर उनका प्रतिनिधित्व कर रहे शरद यादव ने सांप्रदायिक ताकतों को हराने के लिए समाजवादी पार्टी में एकजुटता के साथ समान विचारधारा वाले अन्य दलों को जोडऩे पर बल दिया। उनका कहना था कि बड़ी पार्टी होने के नाते मुलायम की जिम्मेदारी बनती है कि वह जोडऩे का दायित्व निभाएं। सपा के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने स्वागत भाषण में ही गठबंधन की चर्चा की और लोहियावादी, जेपी, गांधी और चरणसिंह समर्थकों की एकजुटता जरूरी बताते हुए कहा कि धर्म निरपेक्ष विचाराधाओं को एक साथ खड़े होने की जरूरत है। किसानों, गरीबों, अल्पसंख्यकों और पिछड़ों की लड़ाई लडऩे के लिए एक जुट होना पड़ेगा। शिवपाल की पहल का समर्थन करते हुए रालोद सुप्रीमो अजित सिंह ने पुराने रिश्तों की याद ताजा कराते हुए कहा कि मुलायम ने सपा को मजबूत करने के लिए जितना पसीना बहाया उसी तरह शुरूआती दौर में लोकदल को भी मजबूत किया था। अब वक्त आ गया जब मुजफ्फरनगर व बिजनौर जैसे दंगे और कैराना जैसे मुद्दे उछाल कर समाज को बांटने वालों का मुकाबला किया जाए। उन्होंने कहा  वर्ष 2017 में भाजपा को न हराया तो 2019 में भी मुश्किल होगी। उन्होंने मुलायम की ओर इशारा करते हुए गठबंधन के प्रयास को आगे बढ़ाने को भी कहा। जद (यू) सांसद शरद यादव ने भी सांप्रदायिक ताकतों को रोकने के लिए एकजुटता को जरूरी बताया। शरद की चिंता समाजवादी परिवार में जारी तकरार को लेकर भी दिखी, कहा कि पुरानी बातें भूल कर एकता बनायी जानी चाहिए। सब दिल बड़ा कर एक होंगे तो केंद्र की भाजपा सरकार को बदला जा सकेगा। वहीं, राजद अध्यक्ष लालू यादव की भूमिका एक कदम आगे की दिखी। उन्होंने वोटों का विभाजन रोकने के लिए 2017 में उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार न उतराने का एलान किया। इशारों में भाजपाइयों को 'रंगा सियारÓ बता कर प्रदेश से बाहर से करने की अपील की। इनेलो(इंडियन नेशनल लोकदल) के अभय चौटाला ने हरियाणा की भाजपा व कांग्रेस सरकारों के जनविरोधी काम का हवाला देते हुए प्रदेश में संभावित गठबंधन को ताकत देने का आश्वासन भी दिया। मुख्य अतिथि पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा ने भी मुलायम से गठजोड़ तैयार करने को कहा, जिसकी राष्ट्रीय राजनीति में अहम भूमिका हो।
गैर भाजपा, कांग्रेस दल की ओर से गठबंधन तामीर करने का जिम्मा सौंपे जाने के बाद खड़े हुए मुलायम ने भी स्वीकारा कि जिस तरह की चुनौतियां है, उसमें सब का साथ लिए बिना सरकार नहीं बनाई जा सकती है, हालांकि उन्होंने यह भी जोड़ा कि गैर बराबरीवाद को खत्म करने के लिए भी गठबंधन की जरूरत है।
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इनसेट.....
मगर चुप रहे अखिलेश
विधानसभा चुनाव में जनता परिवार के पुराने सदस्यों की ओर से गठबंधन की तामीर का जिम्मा मुलायम सिंह यादव को सौंपा गया, मगर समाजवादी पार्टी के चेहरा और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस पर चुप्पी साधे रखी। गठबंधन के सवाल पर वह पहले भी कह चुके हैं कि अपने काम के बल पर वोट मांगने के लिए रथ पर सवार हो गए हैं और बाकी काम पार्टी को करना है। नेताजी (मुलायम) का जो फैसला होगा, वह अंतिम होगा। शनिवार मंच पर गठनबंधन की तामीर की आवाज बुलंद होने के दौर में भी अखिलेश खामोश ही बने रहे जिसके कई मायने निकाले जा रहे।


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खून की कुर्बानी और तलवार की धार!
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कामन इंट्रो
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समाजवादी पार्टी में कलह-सुलह के प्रयासों के बीच शनिवार को जनेश्वर मिश्र पार्क में आयोजित रजत जयंती समारोह में सपा प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने जहां कहा कि लाख अपमान के बाद भी मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को जो चाहिए मांग लें हर कुर्बानी को तैयार हूं, मगर नेताजी (मुलायम सिंह यादव) का अपमान बर्दाश्त न होगा, वहीं पहले से नरम अखिलेश ने कहा कि तलवार थमाते हैं और चलाने भी नहीं देते? अब तलवार मिली है तो चलाऊंगा, इससे संकेत साफ है कि एकता की दुहाई के बावजूद दो पीढिय़ों में अधिकारों का संग्र्राम थमा नहीं है।
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खून मांगों गे तो वह भी दे दूंगा: शिवपाल

लखनऊ: शनिवार को समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव ने कहा कि मैं, अखिलेश जी से कहना चाहता हूं कि मुझे मुख्यमंत्री कभी नहीं बनना। कितना भी मेरा अपमान कर लेना, कितनी बार मुझे बर्खास्त कर लेना, इसका कोई दर्द नहीं है। जो भी जिम्मेदारी दी, उसे निभाया। अब भी जो चाहना मांग लेना, यहां तक कि खून मांगोगे तो खून भी दे देंगे। मैंने लगातार सहयोग किया है। भावनाओं की लहरों पर सवार शिवपाल ने कहा कि सरकार ने अच्छा काम किया है। मगर चार सालों में मेरे विभाग ने आपके विभागों से कम अच्छा काम नहीं किया। मैं, जानबूझकर कहना चाहता हूं कि राजस्व संहिता में अधिकारियों ने बहुत रोड़े अटकाए, यह काम तीन माह में होना चाहिए थे, वर्षों लग गए। दो साल में 42 नयी तहसीलें बनायी हैं।
शिवपाल फिर रौ में आए और कहा कि हम जानते हैं कि हम लोगों के बीच कुछ घुसपैठिये बैठ गए हैं, वे ऐसा माहौल पैदा करते रहते हैं। उनसे सावधान रहो। नेताजी का अपमान हम और यूपी के लोग बर्दाश्त नहीं करेंगे। मुख्यमंत्री जी इस कार्यक्रम में हम आपका दिल की गहराइयों से स्वागत करते हैं। मेरा भी संघर्ष के दिनों में बहुत सहयोग है, मैने भी बड़े जोखिम लिए हैं। जब मैंने कहा था कि कुछ लोगों को भाग्य से मिल जाता है। कुछ लोगों को मेहनत से मिलता है। कुछ को विरासत में मिल जाता है और कुछ लोग जिंदगी भर काम करकेमर जाते हैं, उन्हें कुछ नहीं मिलता, यह बात आपको बुरी लगी। क्या यह ठीक नहीं थी? सपा में बहुत से उपेक्षित लोग हैं। कुछ लोगों ने चापलूसी कर सरकार का मजा लूटा।
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मेरी भी सुनेंगे सब बिगडऩे के बाद: अखिलेश

 लखनऊ : यह विधानसभा चुनाव की करीब आती डुगडुगी का असर है या फिर मुलायम का 'दबावÓ सब ठीक होने का संदेश दे रहे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने  पार्टी का नुकसान हो जाने की बात  इशारे में करते हुए कहा कि 'मेरी भी कुछ लोग सुनेंगे जरूर मगर समाजवादी पार्टी का सब कुछ बिगड़ जाने के बादÓ।
सवाल किया कि कौन नहीं चाहता है कि सरकार बने। हमारे वरिष्ठ पार्टी के नेता, नौजवान भी भाजपा, बसपा से लड़ें हैं। युवा ब्रिगेड की पैरवी करते हुए कहा कि मैं, नहीं कहता कि पंडाल में बैठे किसी व्यक्ति की परीक्षा की जरूरत है, मैं परीक्षा देने को तैयार हूं। फिर थोड़ा तंजिया अंदाज में कहा कि आप लोग हमे तलवार भेंट में देते हो और कहते हो कि तलवार न चलाऊ, फिर जोड़ा कि अगर तलवार मिलेगी तो चलाऊंगा ही। यादव ने यह भी कहा कि हम यह नहीं कहते कि मेरी वजह से समाजवादी पार्टी सत्ता में आई है। सच यह है कि यहां मौजूद लोगों की मेहनत और सहयोग से सरकार बनी है। बोले-मैं और सवालों के जवाब नहीं देना चाहता मगर लोगों का आह्वïान करना चाहता हूं कि 2017 में प्रदेश में सपा की सरकार लाने का संकल्प लेकर जाना है और 2019 में भी देश में समाजवादियों की सरकार बनवाने के लिए जुटना है। हमें कितनी भी मेहनत करनी पड़े, हम सरकार बनाने के लिए काम करेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पूरी पार्टी को बधाई देना चाहता हूं। नेताजी (मुलायम) और उनके तमाम साथियों को बधाई देना चाहता हूं कि संघर्ष के कठिन और ऊबड़-खाबड़ रास्तों को तय करके शानदार समाजवादी पार्टी खड़ी की है। आने वाला चुनाव भारत का भविष्य तय करेगा। भाजपा को सूबे से 70 से ज्यादा सांसद मिले मगर उन्होंने प्रदेश के लिए कुछ नहीं किया। भाजपा ने समाज में खाई पैदा की है। सौहार्द बिगाडऩे के तमाम बिन्दु खड़े किये क्योकि उनकी सत्ता का रास्ता वहीं से निकलता है। यादव ने कहा हम भरोसा दिलाते हैं कि सत्ता में वापस आएंगे और ऐसी ताकतों को बढऩे नहीं देंगे। इस सरकार ने तमाम योजनाओं से देश में उदाहरण रखे हैं। यह सही है कि समाजवादियों को अंग्रेजी और कम्प्यूटर के खिलाफ माना जाता था, 2011 में चुनाव की शुरुआत होने वाली थी, तब हमने विज्ञापन दिया था कि हम अंग्रेजी भाषा के खिलाफ नहीं है, मगर उससे हमारी अपनी भाषाएं दब जाएंगी तो हम इसका विरोध करेंगे।

अच्छे नहीं, सच्चे दिन चाहिए: सिब्बल

26 nov 2016
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-पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने नोटबंदी पर प्रधानमंत्री पर किया हमला
-बोले, खुद का धन निकालने से रोकने वालों पर चल सकता है आपराधिक मुकदमा
लखनऊ : पूर्व केंद्रीय मंत्री व राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने नोटबंदी को नासमझी भरा फैसला बताया। कहा कि प्रधानमंत्री मोदी कीझूठी बातों से परेशान जनता भी अब कहने लगी है कि अच्छे नहीं, सच्चे दिन चाहिए।
शनिवार को प्रदेश कार्यालय पर पत्रकारों से बातचीत में कपिल सिब्बल ने नोटबंदी के कारण देश की अर्थव्यवस्था चरमराने का इल्जाम लगाया। कहा कि डालर की तुलना में रुपया न्यूनतम स्तर पर है। कई देशों में नोटबंदी हुई मगर किसी ने बैंकों में रखी नागरिकों की रकम निकालने पर रोक नहीं लगाई। धन निकासी पर रोक आपराधिक षड्यंत्र है। इसके लिए मुकदमा चल सकता है। सिब्बल ने कहा कि नोटबंदी के समय देश में 16.4 लाख करोड़ की कैश इकोनॉमी (नकदी की अर्थव्यवस्था) थी। इसमें से पांच सौ व एक हजार रुपये की शक्ल में 14.66 लाख करोड़ रुपये थे यानी कैश इकोनॉमी के रूप में 86 फीसद राशि बंद हुए नोटों में है। अब इसे काला धन बताया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने ढाई साल की सरकार की नाकामी से ध्यान हटाने व उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों के चुनावों में लाभ लेने के लिए लोगों को मुश्किल में डाल दिया। नोटबंदी से पहले भाजपा ने बिहार में जमीने कैसे खरीदी और पश्चिम बंगाल में भारी रकमें कैसे जमा हुई।
 प्रधानमंत्री पर व्यंग्य करते हुए सिब्बल ने कहा कि देश के 'चौकीदारÓ डार्क चश्मा उतार कर देखें, गरीब रातों-रात जग रहा है और काले धन वाले मगरमच्छ सुकून से सो रहे हैं। प्रधानमंत्री को यह पता नहीं कि आर्थिक एक्सीडेंट हो गया है, जिसमें घायल गरीबों को पता नहीं है कि इलाज कहां करायें। कहा कि मुझे शर्म आती है कि देश की कमान ऐसे व्यक्ति के हाथ में है जो फैसला लेता है पर उसे ठीक से बढ़ाना नहीं जानता।
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 खर्च ऑनलाइन क्यों नहीं करते?
सिब्बल ने कहा कि प्रधानमंत्री चुनावी राज्यों में दौरे कर रहे हैं। अपनी बेवसाइट पर क्यों नहीं बताते हैं कि जनसभा स्थल पर कितनी कुर्सी थी। कितना बड़ा टेन्ट था। कितनी कालीन बिछी थी। मंच बना था। एसी थे। यात्रा पर कितना खर्च हुआ। धन कहां से लग रहा है। क्या वह इसका भुगतान स्वाइपिंग मशीन से कर रहे हैं।
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मौन थे, वह बोल रहे और बोलने वाले मौन
सिब्बल ने कहा कि मोदी जिस पूर्व प्रधानमंत्री पर मौन का इल्जाम लगाते थे,  वह अर्थव्यवस्था पर खूब बोल रहे हैं। जो बोलने का दावा करते थे वह सदन में मौन रहते हैं और बाहर बोलते हैं। कहा कि सदन में बोलने पर सनद हो जाएगा। जनता जवाब मांगेगी, बाहर तो जुमला कहा जाएगा। द्वार चूमकर लोकसभा में प्रवेश करने वाले प्रधानमंत्री सदन में बात सुनने और रखने से भागने लगे हैं। सिब्बल ने प्रधानमंत्री को वादा खिलाफ ठहराते हुए पांच वादे गिनाये और सवाल किया कि क्या एक भी पूरा हुआ।

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यहां तो बैंक ही नहीं
सिब्बल ने कहा कि नार्थ ईस्ट, हिमांचल, उत्तराखंड, आंध्र प्रदेश के दूर दराज इलाकों में बैंक ही नहीं है। इन क्षेत्रों के लोग कहां जाएंगे? यह भी नहीं सोचा गया। सिब्बल ने दावा कि देश की 125 करोड़ जनसंख्या में से सिर्फ 60 करोड़ लोगों के पास ही बैंक खाते हैं। इनमें से 32 करोड़ लोगों के खातों में लगातार लेनदेन नहीं होता है। ऐसे लोगों के पास मौजूद धन क्या काला धन है।
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धन नहीं, ट्रांजेक्शन काला होता है
सिब्बल ने कहा कि धन काला नहीं होता है। उसके ट्रांजेक्शन (लेन-देन) काला होता है। इसे रोका जाना चाहिए था। बताया कि अगर कोई किसी को घूस देता है और वह उससे रेस्टोरेंट में खाना खा लेता है तो दुकानदार ने जो धन लिया वह काला कैसे हो सकता है। मगर दुकानदार ने काम के बदले अगर वही धन किसी दिया तो तब निश्चित वह गलत है। यह समझना जरूरी है कि धन नहीं ट्रांजेक्शन काला होता है।
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एक एटीएम पर 10,425 लोगों का जिम्मा
 सिब्बल ने कहा कि उत्तर प्रदेश में एक एटीएम पर 10,425 लोगों को सेवा उपलब्ध कराने का जिम्मा है। बस्तर के एक गांव का उदाहरण देते हुए कहा एक बूढ़ा 22 किलोमीटर चलकर बैंक में पैसा लेने गया। मगर उसको रुपया नहीं मिला।
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दस माह लगेंगे
 नोटों छापने वाली प्रेसों और उनकी  क्षमता का उल्लेख करते हुए कहा कि हजार और पांच सौ की जितनी मुद्रा चलन में है, उसे छापने में 9.6 माह लगेंगे। युद्धस्तर पर मशीन चलाने का चमत्कार करने पर भी छह माह लगेंगे। फिर 50 दिन स्थिति सामान्य होने का दावा किस आधार पर किया जा रहा है।
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सिब्बल ने कुछ इस तरह दिया डेटा
-सिब्बल ने रिजर्व बैंक के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि इस समय देश में 90.26 बिलियन रुपये चलन में है।
-चलन में पांच सौ के नकली नोटों की संख्या-261,695 जिसकी कीमत 13 करोड़ होती है, जो कुल मुद्रा का 0.00 167 है।
-चलन में एक हजार के नकली नोटों की संख्या-143,009 जिसकी कुल कीमत 14.2 करोड़ है जो कुल मुद्रा का 0.00226 प्रतिशत है।
-देश के 2.63 करोड़ लोगों के पास क्रेडिट कार्ड है, इनमें से ढेरों लोग दो से अधिक कार्ड भी इस्तेमाल करते हैं >

अल्पसंख्यक सभा में तीन महासचिव, 21 सचिव

24 nov 2016
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प्रदेश अध्यक्ष के अनुमोदन पर घोषित हुई कार्यकारिणी

लखनऊ : विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटी समाजवादी पार्टी की अल्पसंख्यक सभा की प्रदेश इकाई घोषित कर दी गई है।
प्रदेश शिवपाल यादव की मंजूरी के बाद प्रदेश अध्यक्ष फरहत हसन खां (फरहत मियां)ने कमेटी में पांच उपाध्यक्ष, एक प्रमुख महासचिव, तीन महासचिव, एक कोषाध्यक्ष,  प्रवक्ता और 21 सचिव नियुक्त किये हैं। अफताब कुरैशी (महराजगंज), अमजद खान (लखनऊ), मिर्जा इश्राक बेग (सुलतानपुर), महमूद अनवर अंसारी (पीलीभीत), मुददसिर हसन लखनऊ को उपाध्यक्ष बनाया गया है। लखनऊ नगर निगम के तीन बार पार्षद रहे नूरुल हसन बाबा को प्रमुख महासचिव नियुक्त किया गया है। डॉ.मरगूब त्यागी (हापुड़), सर्वजीत सिंह कोहली (झांसी) और मोहम्मद साबिर (कौशांबी) को महासचिव नियुक्त किया गया है। सैफ समदी को कोषाध्यक्ष और शहनवाज आलम (मुन्ना) को प्रदेश प्रवक्ता बनाया गया है।
पार्टी की बयान में कहा गया है कि नजमुल हसन नजमी (जौनपुर), याकूब खां (रामपुर), अंसार अहमद खान (लखनीमपुर), यामीन अब्बासी (अलीगढ़), खालिद खां पप्पू (बुलंदशहर), अनवार उल्ला खां (शाहजहांपुर), इम्तियाज जावेद (रायबरेली), जर्रार हुसैन (फतेहपुर), डॉ.मो.इस्लाम (देवरिया), मो.सिद्दीक (लखीमपुर), मुस्तजाब रजा खां (बरेली), फरहत परवीन (इलाहाबाद), अब्दुल हक (कुशीनगर), इकराम रजां खां (बरेली), लक्ष्मण सिंह अटकल (सहारनपुर), अता उर रहमान (उन्नाव), फहदशाह (लखनऊ), आदिल अंसारी (मेरठ), नसीम अहमद अंसारी (गाजियाबाद), आजम खां (जौनपुर), मो.खुर्शीद (झांसी) को प्रदेश सचिव नियुक्त किया है।  इसके अलावा कार्यकारिणी के 23 सदस्य भी बनाये गये हैं।

ममता का इस्तकबाल कर अखिलेश ने फिर खोले रिश्तों के द्वार

28 nov 2016
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-नोटबंदी के खिलाफ लखनऊ में ममता का धरना-प्रदर्शन आज
-यादव ने प्रदर्शन का मंच साझा किया तो खुलेंगे नए सियासी द्वार
-वर्ष 2012 में राष्ट्रपति चुनाव के दौरान टीएमसी और सपा में बढ़ी थी दूरी
लखनऊ : नोटबंदी के विरोध में प्रदर्शनों की श्रंखला शुरू करने लखनऊ पहुंची पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का एयरपोर्ट पर इस्तकबाल कर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने नए सियासी रिश्तों के द्वार खोलना शुरू किया है। यह सवाल उठ गया है। मंगलवार को यादव ने तृणमूल कांग्र्रेस (टीएमसी) के प्रदर्शन का मंच साझा किया तो उसे गैरभाजपा, गैरकांग्रेस के एका की दिशा में पहल के रूप में भी देखा जाएगा।
आठ नवंबर को पांच सौ और एक हजार के नोट अमान्य करने की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की घोषणा के विरोध का पहला मोर्चा ममता बनर्जी ने संभाला था, जिसे वह न सिर्फ बढ़ा रही हैं बल्कि अब राज्यों की राजधानी में धरना-प्रदर्शन का निर्णय लिया है। शुरूआत 29 नवंबर को लखनऊ से होनी है, जिसमें हिस्सा लेने के लिए ममता 28 नवंबर की शाम लखनऊ एयरपोर्ट पर उतरी तो आगवानी के लिए मुख्यमंत्री अखिलेश अपने करीबी मंत्री राजेन्द्र चौधरी के साथ मौजूद थे। यहां पूछे गए सवाल पर अखिलेश यादव ने कहा कि 'वह (ममता) उनसे सीनियर है। यूपी आई है इसलिए इस्तकबाल को गये थे।Ó इस दावे से इतर यादव की इस पहल को रिश्तों के मजबूती का नया प्रयास माना जा रहा है। वर्ष 2012 के राष्ट्रपति चुनाव से पहले सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव व ममता बनर्जी के बीच अच्छे राजनीतिक रिश्ते थे। मगर राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी को लेकर मतभेद हो गये थे। इसके बाद से दोनों दलों के बीच दूरी बढ़ गई थी, मगर जब ममता बनर्जी ने दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली तब अखिलेश यादव वहां मौजूद थे। जिससे रिश्तों की दूरियां कम हुई थी।
नोटबंदी को लेकर तृणमूल कांग्र्रेस व समाजवादी पार्टी का रुख एक जैसा है। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव करीब हैं, ऐसे में ममता के प्रदर्शन की शुरूआत लखनऊ से करने के राजनीतिक मायने हैं। जैसी की संभावना है कि अखिलेश मंगलवार को प्रदर्शन में ममता का मंच साझा कर सकते हैं।  ऐसा हुआ तो यह नोटबंदी के बहाने भविष्य के नये सियासी समीकरणों का संकेत होगा। और यह भी साफ होगा कि सत्ता के पांचवे साल में अखिलेश ने यूपी के बाहर की राजनीति में भी पांव पसारना शुरू किया है। लखनऊ में ममता ने भी स्वीकारा कि नोटबंदी के मुद्दे पर हम साथ-साथ हैं। नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री पद से हटाने तक संघर्ष जारी रहेगा।
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अखिलेश के प्रचार गीतों पर अमेरिकी प्रबंधकों की छाप


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 अखिलेश के प्रचार गीतों पर अमेरिकी प्रबंधकों की छाप

-काम बोलता है, बुंदेली आल्हा में भी अखिलेश का व्यक्तित्व उभारने का प्रयास
-रथ यात्रा से लेकर चुनावी जनसभाओं में बजेंगी यही गीत

लखनऊ : प्रदेश की सत्ता में वापसी का बिगुल फूंकने जा रहे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की हर एक सियासी दांव में अमेरिका के चुनावी प्रबंधकों की रणनीति दिखायी देगी। चाहे 'काम बोलता हैÓ टैग लाइन का गीत हो या उनकी दिनचर्या से लेकर सियासी संघर्ष का वीडियो हर एक में इसकी झलक मिलेगी। इतना नहीं, अखिलेशवादी युवा ब्रिगेड तैयार करने के अभियान में भी अमेरिकी विशेषज्ञ तल्लीन हैं।
दरअसल, मुख्यमंत्री ने समाजवादी पार्टी का प्रचार अभियान डिजाइन करने के लिए हार्वर्ड विश्वविद्यालय में राजनीति के विशेषज्ञ स्टीव जार्डिंग को जिम्मेदारी दे रखी है। उनकी निगरानी में ही पार्टी के प्रचार गीत तैयार हुए हैं। इनमें राज्य सरकार की विकास योजनाओं के बखान के साथ अखिलेश यादव की व्यक्तिगत छवि निखारने का प्रयास किया गया है। गत दिनों लखनऊ आने पर स्टीव जार्डिंग ने कहा भी था कि अखिलेश यादव में अदभुत ऊर्जा है। वह शहरी तथा ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के साथ बेहतर ढंग से जुड़े हैं। वह अमेरिका में डेमोक्रेटिक उम्मीदवार के चुनावी सलाहकार भी रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि उनकी ही सलाह पर सरकार ने फिल्म अभिनेत्री विद्या बालन को समाजवादी पेंशन और अभिनेता नवाज उद्दीन सिद्दीकी को किसान बीमा योजना का ब्रांड एंबेसडर नियुक्त किया है। इसीलिए पार्टी ने प्रचार अभियान में विधानसभावार तैयार की है। गन्ना बकाया भुगतान से लेकर  बुंदेलखंड की स्थिति बखान के लिए एक आल्हा तैयार किया गया है, जिसके बोल हैं 'एक हाथ में सपा का झन्डा दूजे में तिरंगाÓ है। सूत्रों का कहना है कि स्टीव को समाजवादी पार्टी का नेटवर्क खड़ा करने की नीति का जिम्मा भी दिया गया है। जनेश्वर, लोहिया के लोग ट्रस्ट के सदस्यों से लेकर समाजवादी पार्टी की युवा ब्रिगेड के सदस्यों का वह एक नेटवर्क भी तैयार कर रहे हैं। जिन्हें लखनऊ के इंदिरानगर में स्थित मेगा काल सेन्टर से जोड़ा गया है।

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2 nov 16
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आज निकलेगा अखिलेश का रथ

ध्यानार्थ: खबर से उठाकर उसमें दो इंसेट जोड़े गये हैं। एक इंसेट मुलायम के रथ यात्रा को हरी झन्डी दिखाने का है दूसरा पांच को रजत जयंती का है।
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- लखनऊ-उन्नाव के छह विधानसभा क्षेत्रों से गुजरेगा रथ
- लामार्टीनियर कॉलेज से शुरू होने वाली यात्रा उन्नाव में पूरी होगी
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लखनऊ : समाजवादी परिवार में घमासान, चुनावी गठबंधन के प्रयासों से बेपरवाह मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने तीन नवंबर से शुरू होने वाली 'विकास से विजय की ओरÓ रथयात्रा की योजना को खुद अंतिम रूप दिया। लामार्टिनियर मैदान से शुरू होने वाली उनकी यात्रा लखनऊ व उन्नाव के छह विधानसभा क्षेत्रों से गुजरेगी। लगभग 115 किलोमीटर की इस यात्रा में वह 12 स्थानों पर लोगों को संबोधित करेंगे और जगह उनका स्वागत होगा। घर की पूड़ी-आलू की सब्जी, चाय-कॉफी पीते हुए वह पहले दिन का सफर पूरा करेंगे। यात्रा के बाद मुख्यमंत्री लखनऊ वापस आ जाएंगे। दूसरे चरण की यात्रा सात नवंबर से शुरू होगी। गुरुवार को यात्रा मार्ग के सभी स्कूलों को भी बंद कर दिया गया है।
पांच साल के बाद अखिलेश यादव फिर रथयात्री होंगे। इस बार वह बतौर मुख्यमंत्री जनता से मुखातिब होंगे और अपने काम के साथ भविष्य का खाका खींचकर समर्थन हासिल करने का प्रयास करेंगे। यात्रा के पहले दिन कहां रुकना है, कहां संबोधित करना है, यह सब खुद अखिलेश ने निर्धारित किया। जिन रास्तों से उनका रथ गुजरना है, उनमें लखनऊ जिले की कैन्ट, लखनऊ (पूर्वी) और सरोजनीनगर विधानसभा का क्षेत्र पड़ेगा। इसके अलावा उन्नाव में मोहान विधानसभा, पुरवा और उन्नाव सदर का विधानसभा क्षेत्र पड़ेगा। मार्ग में आंशिक बदलाव हुआ तो भगवंतनगर विधानसभा क्षेत्र के कुछ गांव भी मार्ग में आएंगे, मगर यह अभी सिर्फ संभावित है। यात्रा के समन्वय का जिम्मा जनेश्वर मिश्र लोहिया के लोग ट्रस्ट के सदस्य सचिव एसआरएस यादव को सौंपा गया है। सूत्रों का कहना है कि इस रथ यात्रा के साथ तीन हजार गाडिय़ों का काफिला साथ रहने की संभावना है।
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 मुलायम दिखाएंगे झन्डी
सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह  गुरुवार को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की 'विकास से विजय की ओर रथ यात्राÓ को हरी झंडी दिखाकर कुनबे का संग्राम थमने का संदेश देंगे। उनके साथ विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय रहेंगे। प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव के मौजूद रहने की उम्मीद है। मंत्री राजेन्द्र चौधरी का कहना है कि रथ यात्रा के जरिये अखिलेश मतदाताओं से दूसरी बार समर्थन मांगेंगे। चौधरी का कहना है कि लखनऊ से उन्नाव तक विकास रथ के स्वागत की तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा चुका है। यात्रा में हर वर्ग के लोग शामिल होंगे। जनता मानती है कि बेदाग छवि का कर्मठ मुख्यमंत्री ही उनका सच्चा हमदर्द है। जनता की बुनियादी समस्याओं का समाधान समाजवादी सिद्धान्तों पर चलकर हो सकता है। रथ यात्रा के दौरान मंत्री अरविंद सिंह गोप, मनोज पाण्डेय, कमाल अख्तर, शाहिद मंजूर, रामगोविंद चौधरी, बलराम यादव भी मौजूद रहें।
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रजत जयंती में ताकत दिखाएंगे अखिलेश :
पांच नवंबर को सपा की स्थापना के 25 वर्ष पूरे होने पर जनेश्वर मिश्र पार्क में रजत जयंती कार्यक्रम आयोजित है। इसमें समाजवादी पार्टी की प्रदेश इकाई के अलावा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी अपनी पूरी ताकत दिखाएंगे। बुधवार को रथ यात्रा की तैयारियों की लिए युवा ब्रिगेड के साथ बैठक के दौरान अखिलेश ने कार्यकर्ताओं से कहा है कि दोनों कार्यक्रम सफल बनाने हैं। जो कार्यकर्ता लखनऊ पहुंच गये हैं, उनके पांच नवंबर तक लखनऊ में रहने का इंतजाम किया जाए।
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यात्रा: पहला दिन
-सुबह नौ बजे : लामार्टीनियर मैदान से रवानगी
-सुबह नौ बजकर पांच मिनट: 1090 चौराहा पर स्वागत
-सुबह नौ बजकर 15 मिनट: सीएमएस चौराहा पर स्वागत
-सुबह नौ बजकर 30 मिनट : पत्रकारपुरम पर संबोधन
-सुबह 10 बजे: हुसडिय़ा से शहीद पथ होकर अहिमामऊ चौराहा पर संबोधन
-सुबह 10.15: तेलीबाग रायबरेली चौराहा पर संबोधन
-सुबह 10.30: अमौसी चिल्लावां में संबोधन
-सुबह 11 बजे: सरोजनीनगर में संबोधन
-सुबह 11.30 बजे: बंथरा में संबोधन
-सुबह 11.45 बजे: जुनाबगंज चौराहा पर स्वागत
-दोपहर 12.30 बजे: सोहरामऊ में संबोधन
-दोपहर 12.45 बजे: आशाखेड़ा में स्वागत
-दोपहर एक बजे: नवाबगंज में संबोधन
-दोपहर 1.30 बजे: अजगैन चौराहा पर स्वागत
-दोपहर 1.45 बजे चमरौली में स्वागत
-दोपहर दो बजे: बशीरतगंज में संबोधन
-दोपहर 14.30 बजे: दही चौकी में संबोधन
-दोपहर 2.45 बजे: ओवर ब्रिज बाईपास पर स्वागत
-दोपहर 3.15 बजे: आजाद चौराहा मोड़ बंथर
-दोपहर 3.45 बजे: स्टेडियम शुक्लागंज में संबोधन
-शाम 4.45 बजे : स्टेडियम शुक्लागंज से प्रस्थान
-शाम 5 बजे: सैजनी मोड़ पर स्वागत
-शाम 5.15 बजे मगरवारा में स्वागत
-शाम 5.30 बजे करोड़ मोड़ पर स्वागत
-शाम 5.40 बजे आदर्शनगर पुलिया
-शाम 5.45 बजे गांधीनगर तिराहा पर स्वागत
-शाम छह बजे : छोटा चौराहा पर संबोधन
-शाम 6.15 बजे : बड़ा चौराहा पर संबोधन
-शाम 6.20 बजे : आइबीपी चौराहा पर स्वागत
-शाम 6.25 बजे : आवास विकास पर स्वागत और पहले दिन की यात्रा पूरी।
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03 nov 16
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 मोदी सरकार पर सवाल उठाता निकला अखिलेश का रथ
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- सिर्फ नारों से काम नहीं चलेगा : मुलायम
- षडयंत्र से हुआ यात्रा में विलंब : अखिलेश
- जोश में होश न खोएं कार्यकर्ता : शिवपाल
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परवेज अहमद, लखनऊ : मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की बहुप्रतीक्षित समाजवादी विकास रथ यात्रा में केन्द्र सरकार और भाजपा मुख्य निशाने पर रही। यात्रा के दौरान केंद्र सरकार की सर्जिकल स्ट्राइक, सीमा पर सैनिकों की शहादत जैसे मसलों पर केंद्र सरकार की नीतियों व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला करते हुए सवाल उठाए गए। हां, समाजवादी परिवार के सदस्यों ने एक दूसरे को नसीहतें देने से भी गुरेज नहीं किया।
सुबह 10.45 पर लामार्टिनियर मैदान से अखिलेश की विकास से विजय की ओर रथ यात्रा रवाना करने से पहले समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने अपनी बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमल करने से शुरू की। कहा कि उन्हें शहीदों के घर जाना चाहिए था। जब हम रक्षा मंत्री थे, तो शहीदों के घर गए थे। वह केंद्र सरकार की विदेश नीति पर हमलावर रहे। कहा कि समाजवादी लोग युद्ध नहीं चाहते मगर सैनिकों की शहादत नहीं होनी चाहिए। इस दिशा में ठोस कदम उठाये जाने चाहिए। यात्रा के अंतिम पड़ाव शुक्लागंज में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि चुनाव आ गया है ये भाजपा के लोग सर्जिकल स्ट्राइक का शोर उछालकर समाज बांटने का प्रयास कर रहे हैं। जनता को गुमराह करने का प्रयास करेंगे। यादव ने कहा कि मैं भाजपा और केंद्र सरकार से पूछना चाहता हूं कि आखिर सर्जिकल स्ट्राइक है क्या? कहा कि भाजपा विकास में मुकाबला क्यों नहीं करती। सवाल उठाया कि आखिर उत्तर प्रदेश से चुने गये भाजपा के सांसद प्रदेश के विकास के लिए क्या कर रहे हैं और अब तक क्या किया है, जनता को यह क्यों नहीं बता रहे हैं।
इससे पहले सुबह 9.56 बजे रथ यात्रा शुरू करने के लिए लामार्टिनियर मैदान पर बने मंच पर अखिलेश यादव पहुंचे। इसके दो मिनट बाद मुलायम भी आ गए। कुछ देर बाद सांसद डिंपल यादव भी पहुंच गई। यहां मुलायम ने जब बोलना शुरू किया तो केंद्र सरकार पर हमलों के साथ अपनों को नसीहत देने से गुरेज नहीं किया। कहा, रथ यात्रा का नाम विकास से विजय की ओर के स्थान पर विजय से विकास की ओर होता तो अच्छा होता। मगर इस पर भी कोई एतराज नहीं है। मुलायम ने युवा ब्रिगेड को 'ये जवानी है कुर्बान नारेÓ पर नसीहत देते हुए कहा कि सिर्फ इस तरह के नारों से काम नहीं चलेगा, सरकार बनानी है तो मेहनत करनी पड़ेगी। उससे पहले शिवपाल यादव ने अखिलेश यादव के नेतृत्व में दोबारा सरकार बनाने का आह्वïान किया और मुख्यमंत्री को रथ यात्रा के लिए बधाई मगर यह नसीहत भी दे डाली कि 'जोश अच्छा है किन्तु होश नहीं खोना चाहिएÓ। हमारा लक्ष्य है कि यूपी में बीजेपी की सरकार न बने और इसके लिए बहुत मेहनत करनी होगी। नसीहत और बात कहने के इस सिलसिले में मुख्यमंत्री कहां पीछे रहने वाले थे। उन्होंने कहा कि यात्रा तीन अक्टूबर को शुरू होनी थी किन्तु कुछ कारणों, बीच में षडयंत्रों व साजिशों के चलते एक महीने विलंब हो गया। कुछ लोगों की साजिशों से हम गड़बड़ाए किन्तु युवा हमारे साथ जुटे हैं और यही समाजवादी विचारधारा को आगे ले जाएंगे। फिर ढोल-ताशों की गडग़ड़ाहट और नारों के शोर के बीच अखिलेश सपरिवार विकास रथ पर सवार हुए पर रथ कुछ कदम चलकर खराब हो गया। यह सफर कुछ कदमों पर ही थम गया तो मुख्यमंत्री रथ यात्रा को रोड शो में तब्दील करते हुए सरकारी गाड़ी से निकले, जिसमें उत्साह व उल्लास भरपूर था। तकरीबन 115 किलोमीटर की यात्रासमर्थकों के उत्साही नारों से उत्साहित होते, लोगों का अभिवादन स्वीकारते और जहां -तहां पत्रकारों से मुखातिब अखिलेश उन्नाव पहुंचे।
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जनता को करना है आकलन
इस दौरान बातचीत में अखिलेश ने कहा कि जनता का समर्थन मिले तो फिर सरकार बनेगी, जनता के बीच सरकार के कामों को बताना है। यात्राएं तो कई लोग करेंगे मगर आकलन जनता को करना है। प्रदेश अध्यक्ष के आने से खुशी हुई है। गठबंधन के प्रयासों की हमें जानकारी नहीं है, यह राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव को तय करना है। न हम किसी से नाराज हैं और न ही हमसे कोई नाराज है। युवा ब्रिगेड को प्रदेश व राष्ट्रीय अध्यक्ष दोनों की ओर से नसीहत के सवाल पर कहा कि बड़ों का काम है सही राह दिखाना। नेताजी सर्वे-सर्वा हैं, उनकी हर बात मानी जाएगी।
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बिन टीचर सब सून!

1 DEC 2016

- सरकारी मेडिकल कॉलेजों में पूर्णकालिक शिक्षकों के 1727 पद मगर कार्यरत 661
- संविदा पर नियुक्त हैं 616 शिक्षक मगर कक्षा खत्म होते ही छोड़ देते हैं कॉलेज परिसर
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परवेज अहमद, लखनऊ : यूं तो सरकार ने चार साल में पांच नए मेडिकल कालेज खुलवा दिये, एमबीबीएस की ढेरों सीटें बढ़ा दी, दाखिला ले लिया मगर छात्रों को चिकित्सा विज्ञान की गूढ़ता कौन कहे, मानव शरीर की संरचना पढ़ाने वाले शिक्षकों का इंतजाम नहीं कर सकी है। राज्य के 15 सरकारी कॉलेजों के लिए स्वीकृत शिक्षकों के1727 पूर्णकालिक पदों में से सिर्फ 661 भरे हैं।
समाजवादी सरकार ने बांदा, बदायूं, सहारनपुर, जालौन और आजमगढ़ में नए मेडिकल कालेज शुरू किए। मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआइ) ने नए कॉलेजों के साथ अंबेडकरनगर, कन्नौज स्थित मेडिकल कॉलेज में भी एमबीबीएस में दाखिले की मंजूरी प्रदान कर दी, जिससे एमबीबीएस की सात सौ से अधिक सीटें बढ़ गई। दाखिले भी हो गए। मगर छात्रों को पढ़ाने के लिए शिक्षक ढूंढे नहीं मिल रहे हैं। पांच नए कॉलेजों में से चार में माइक्रोबॉयोलाजी और फिजियोलॉजी जैसे प्रारम्भिक विषय भी पार्ट टाइमर पढ़ा रहे हैं। इन विषयों को ही चिकित्सा विज्ञान की नींव माना जाता है। ऐसे में इन कालेजों से एमबीबीएस की डिग्री हासिल करने वाले डॉक्टरों का भविष्य क्या होगा? यह सवाल चिकित्सा विज्ञान के विशेषज्ञों में चर्चा का विषय है। चिकित्सा शिक्षा विभाग के एक अधिकारी का कहना है कि पूर्णकालिक शिक्षकों के साथ संविदा पर 616 शिक्षक नियुक्त किए हैं जो छात्रों को पढ़ा रहे हैं। विभाग के इस दावे से इतर कुछ छात्रों का कहना है कि संविदा पर ऐसे शिक्षक कार्य कर रहे हैं जो रहते बड़े शहरों में रहते हैं। सुबह क्लास के बाद शाम को लौट जाते हैं। ऐसे में कुछ सवाल पूछना होता है तो अगली कक्षा का इंतजार करना होता है।
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रिक्त हैं एलएमओ के पद
एमसीआइ (मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया) के नियमों के मुताबिक प्रत्येक मेडिकल कॉलेज में एलएमओ (लेडी मेडिकल आफिसर) होना अनिवार्य है, मगर पांचों नए कॉलेजों के लिए स्वीकृत सभी पद रिक्त चल रहे हैं। अंबेडकरनगर में एलएमओ के पांच, कन्नौज में तीन, जालौन में दो, आजमगढ़ में पांच पर स्वीकृत हैं और सभी खाली हैं। जबकि बरसों पुराने गोरखपुर, झांसी, कानपुर के मेडिकल कालेजों के लिए स्वीकृत तीन-तीन पदों में से सिर्फ एक-एक पद भरा है, जिस पर प्रवक्ता स्तर के लोग तैनात हैं। ऐसे में इन कॉलेजों में पहुंचने वाले मेडिको लीगल में ढेरों दुश्वारी हो रही है।
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''सरकार शिक्षकों की कमी दूर करने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है। छोटे शहरों के कॉलेजों के लिए पूर्णकालिक शिक्षक उपलब्ध हों, इसके लिए कॉलेज परिसर में ही मूलभूत सुविधा उपलब्ध कराने की दिशा में प्रयास चल रहा है। जल्द ही यह समस्या खत्म हो जाएगीÓÓ
-प्रो. वीएन त्रिपाठी, महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा
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पुराने कॉलेज    स्वीकृत   भरे पद  रिक्त पद
एसएन मेडिकल कॉलेज, आगरा-233 (नियमित-123, संविदा-43) 67
जीएसवीएम कॉलेज, कानपुर- 224 (नियमित-97, संविदा-51) 76
जेके कैंसर इंस्टीट्यूट, कानपुर- 13 (नियमित-03, संविदा-07) तीन
एमएलएन मेडिकल कॉलेज, इलाहाबाद-182(नियमित-95, संविदा-61) 26
एलएलआरएम कॉलेज, मेरठ-178 (नियमित-69, संविदा-59) 50
एमएलबी मेडिकल कॉलेज, झांसी-140 (नियमित-54, संविदा-52)34
हृदय रोग संस्थान, कानपुर-34 (नियमित-11, संविदा-05) 18
बीआरडी मेडिकल कॉलेज, गोरखपुर-126 (नियमित-71, संविदा-38) 17
एम राजकीय मेडिकल कॉलेज, अंबेडकरनगर-105 (नियमित-27, संविदा-54) 24
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नए कॉलेज    स्वीकृत   भरे पद    रिक्त
सहारनपुर कॉलेज-94 (नियमित-14, संविदा-50)- 30
बांदा कॉलेज-49 (नियमित-07, संविदा-37)-05
कन्नौज कॉलेज-107 (नियमित-38, संविदा 47)-22
आजमगढ़ कॉलेज-100 (नियमित 29, संविदा 45) -26
जालौन कॉलेज-97 (नियमित 17,संविदा 48) -32
बदायूं कॉलेज-45(नियमित 06, संविदा 19) - 20

Tuesday 15 November 2016

सपा के सामने गाजीपुर रैली में भीड़ जुटाने की चुनौती

 सपा के सामने गाजीपुर रैली में भीड़ जुटाने की चुनौती
- 23 नवंबर की रैली के लिए बैठकें जारी
- प्रभारियों को सौंपा गया भीड़ जुटाने का लक्ष्य
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 लखनऊ : पूर्वांचल में अपनी पैठ और मजबूत करने को प्रयासरत समाजवादी पार्टी के सामने 23 नवंबर को गाजीपुर में प्रस्तावित रैली में प्रधानमंत्री की रैली से ज्यादा भीड़ जुटाने की चुनौती है। सलाहकार, उपाध्यक्ष पदों पर आसीन 42 नेताओं को प्रभारी नियुक्त करने के बाद अब युवजनसभा व महिला सभा को भी प्रत्येक जिले से भीड़ जुटाने का लक्ष्य सौंपा गया है।
सियासी हलकों में माना जाता है कि पूर्वांचल की जनता जिस ओर झुकती है, उसी सियासी दल का पलड़ा भारी हो जाता है। ïवर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव तक इस क्षेत्र में समाजवादी पार्टी का प्रभाव रहा है। लोकसभा चुनाव से परिस्थितियों में थोड़ा बदलाव दिखा। अब विधानसभा चुनाव का समय करीब है और सभी सियासी दल अपने खम ठोंकते नजर आ रहे हैं। पांच सौ व एक हजार की नोटबंदी के फैसले के बाद सपा समेत विपक्षी दल इससे किसानों, दैनिक वेतनभोगियों, मध्यवर्ग के सामने खड़ी दुश्वारियों को उठा रहे हैं, उसी दौर में 14 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कम्युनिस्टों, सोशलिस्टों के प्रभाव वाले गाजीपुर में बड़ी रैली और नोट बंदी पर जनता का समर्थन मांगने का दांव चल दिया है। ऐसे में 23 नवंबर को होने वाली सपा की रैली में जुटने वाली भीड़ की तुलनाप्रधानमंत्री की रैली में आयी भीड़ से भी होगी। उस कौमी एकता दल की क्षमता का आकलन होगा, जिसने सपा के क्षत्रपों में मतभेदों के बावजूद अपना विलय स्वीकारा है। सपा की चुनौती बड़ी इसलिए भी है किमुलायम सिंह यादव को इसमें हिस्सा लेना है। यह चुनाव से पहले उनकी रैलियों की शुरुआत होगी।
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युवजन सभा की बैठक हुई
प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव की मौजूदगी में सपा के प्रदेश कार्यालय में युवजनसभा के पदाधिकारियों ने रैली की तैयारियों पर चर्चा की। तय किया गया कि प्रत्येक जिले के पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं को गाजीपुर की रैली में पहुंचने के लिए कहा जाएगा।
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मुलायम की मुख्यमंत्री संग बैठक
सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने मंगलवार को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव के साथ 16 नवंबर से शुरू होने जा रहे संसद के शीतकालीन सत्र में नोटबंदी का मुद्दा उठाने और 23 नवंबर की गाजीपुर की रैली पर चर्चा की। सूत्रों का कहना है कि इस बैठक में प्रो. राम गोपाल यादव के बयान और निष्कासित चल रहे युवा कार्यकर्ताओं की वापसी पर भी बात हुई। हालांकि इस संबंध में अधिकृत रूप से किसी ने कुछ नहीं कहा।
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- पटेल आयोग ने की थी उप्र को पांच भागों में बांटने की संस्तुति
- आयोग की संस्तुतियों के प्रति मोदी की गंभीरता से जगी उम्मीद
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, लखनऊ : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पटेल आयोग की संस्तुत की कुछ योजनाओं का गाजीपुर में शिलान्यास किया तो लोगों की उम्मीदें बढ़ी है। दरअसल, पटेल आयोग ने उप्र के बंटवारे की भी संस्तुति की थी। इसलिए लंबे समय से राज्य बंटवारे की लड़ाई लड़ रहे संगठनों ने मोदी से पटेल आयोग की संस्तुतियों के अनुरूप बंटवारे की मांग शुरू कर दी है।
भाजपा पहले से ही इसकी हिमायती है और प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य ने झांसी में हुई पहली कार्यसमिति में इसके लिए प्रस्ताव पारित किया था। 1962 में गाजीपुर के सांसद विश्वनाथ सिंह गहमरी द्वारा संसद में पूर्वांचल की गरीबी का चित्रण करने के बाद व्यथित पंडित नेहरू ने विकास के लिए पटेल आयोग का गठन किया था। पूर्वांचल को अलग राज्य बनाने की लड़ाई लड़ रहे सुधाकर पाण्डेय कहते हैं कि 'अगर मोदी वाकई पटेल आयोग की संस्तुतियों के प्रति गंभीर हैं तो उन्हें राज्य बंटवारे की विधिक प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए।Ó पाण्डेय बताते हैं कि आयोग की रिपोर्ट के पेज 32 पर उप्र को पांच भागों में विभक्त करने की संस्तुति है। पाण्डेय समेत कई नेताओं का कहना है कि 'पहाड़ी हिस्सा अब उत्तराखंड राज्य के रूप में है, इसलिए चार भागों में इसे बांटने का काम होना चाहिए।Ó रालोद अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह भी राज्य बांटने के मुद्दे पर सक्रिय हैं। बुंदेलखंड के लिए सिने अभिनेता राजा बुंदेला के अलावा कई छोटे-बड़े संगठन भी लड़ रहे हैं।

मायावती भी बंटवारे की पक्षधर : राज्य को चार हिस्सों में बांटने की पहल नवंबर, 2011 में बसपा सरकार ने की थी। पश्चिम प्रदेश, बुंदेलखंड, अवध प्रदेश और पूर्वांचल राज्य के गठन करने का प्रस्ताव मायावती सरकार ने पारित किया था। हालांकि, लोकसभा में एक सवाल पर गृह राज्य मंत्री हरिभाई परथीभाई चौधरी कह चुके हैं कि नये राज्यों के निर्माण के लिए कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।

मनमोहन ने भी किया था एलान : पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 15 मार्च, 2008 को वाराणसी में एलान किया था कि यदि उप्र सरकार राज्य विभाजन का प्रस्ताव भेजती है तो केंद्र सरकार इस पर विचार करेगी। वैसे अब भाजपा यह कह सकती है कि अगर उत्तर प्रदेश में उसकी सरकार बनी तो राज्य बंटवारे का प्रस्ताव केंद्र को भेजेगी।
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बंटवारे के लिए की गई पहल
- 22 नवंबर, 1994 को लोकसभा में जनता दल सांसद मोहन सिंह अलग राज्यों के पुनर्गठन के लिए निजी विधेयक ले आए थे। बाद में सपा के साथ सक्रिय होने पर उन्होंने यह मुद्दा छोड़ दिया। वजह, मुलायम सिंह राज्यों के बंटवारे के पक्षधर नहीं हैं।
- पूर्व केंद्रीय मंत्री सत्यप्रकाश मालवीय भी जनता दल में रहते हुए निजी तौर पर 1995 में राज्यसभा में राज्य पुनर्गठन के लिए विधेयक ला चुके हैं।
- 1953 में जब केएम पणिक्कर की अध्यक्षता में राज्य पुनर्गठन आयोग बना, तब पूर्वी उत्तर प्रदेश को भी अलग राज्य बनाये जाने की मांग गूंजने लगी।
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Wednesday 12 October 2016

समाजवाीदी परिवारः तथ्यों की परख

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1 - मुलायम सिंह यादव - सांसद
2 - अखिलेश यादव (पुत्र) - मुख्य्मंत्री
3 - रामगोपाल यादव (भाई) - सांसद
4 - डिम्पल यादव (पुत्र बधु ) - सांसद
5 - धर्मेंद्र यादव (भतीजे ) - सांसद
6 -अक्षय यादव (भतीजे ) - सांसद
7 -तेजप्रताप यादव (पोते) - सांसद
8 -शिवपाल सिंह यादव (भाई) - विधायक(मंत्री उत्तर प्रदेश सरकार)
9 -अंशुल यादव(भतीजे) - जिलापंचायत अध्यक्ष इटावा
10 -शंध्या यादव (भतीजी) - जिलापंचायत अध्यक्ष मैनपुरी
11 -मृदुला यादव (भतीजे की पत्नी)- ब्लॉक प्रमुख सैफई
12 -अजंट सिंह यादव(बहनोई) - ब्लॉक प्रमुख
13 -प्रेमलता यादव (भाई की पत्नी) - जिलापंचायत सदस्य
14 -सरला यादव (भाई की पत्नी) - निदेशक जिला सहकारी बेंक इटावा
15 -आदित्य यादव (भतीजे) - PCF के चेयरमैन
16 -अनुराग यादव (भतीजे ) - राष्ट्रीय सचिव समाजबादी युवजन सभा
17 -अरबिंद यादव ( सगे भांजे-राम गोपाल यादव के ) - एमएलसी
18 -बिल्लू यादव (भांजे ) - ब्लॉक प्रमुख करहल
19 -मिनाक्षी यादव (भांजे की पत्नी - जिलापंचायत सदस्य मैनपुरी
20 -बंदना यादव ( धर्मेद्र यादव की बहन) - जिलापंचायत अध्यक्ष हमीरपुर
और अब मुलायम की पुत्रबधू अर्पणा यादव - प्रत्यासी विधानसभा क्षेत्र लखनऊ केंट
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पिछले सालों में उ.प्र. सरकार की रोजगार के
क्षेत्र में उपलब्धियाँ
1- 72825 प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती पर रोक
2- 29333 जूनियर शिक्षकों की भर्ती पर रोक
3- T.G.T की भर्ती पर रोक
4- P.G.T की भर्ती पर रोक
5- एल.टी. ग्रेड शिक्षकों की भर्ती पर रोक
6- दरोगा की भर्ती पर रोक
7- ग्राम पंचायत अधिकारी की भर्ती पर रोक
8- ग्राम विकास अधिकारी की भर्ती पर रोक
9- P.C.S की भर्ती पर रोक
10- P.C.S जुडीसियल की भर्ती पर रोक
11- पुलिस कांस्टेबल की भर्ती पर रोक
12- समीक्षा अधिकारी की भर्ती पर रोक
13- उ.प्र लोवर सबोर्डिनेट की भर्ती पर रोक
14- स्वास्थ कार्यकर्ता की भर्ती पर रोक
15- पशुधन प्रसार अधिकारी की भर्ती पर रोक
16- मत्स्य विकास अधिकारी की भर्ती पर रोक
17- उर्दू शिक्षकों की भर्ती पर रोक
18- उच्च माध्यमिक विद्यालयों में
प्राचार्यों की भर्ती पर रोक
19- लेखपालों की भर्ती पर रोक
20- पी.ए.सी. कांस्टेबल की भर्ती पर रोक
22- DIET प्राचार्यों की भर्ती पर रोक
23- बैकलॉग की भर्ती पर रोक व अन्य
पिछले दो सालों में विज्ञापन तो बहुत निकले और
नौकरी के नाम पर बेरोजगारों से करोड़ों रुपये
भी लूटे गए पर आज तक कोई
भी भर्ती पूरी नही हो पायी ……
उ.प्र.सरकार के पूरे होते वादे ….
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1- 75 जिलाध्यक्षो में 63 यादव (समाजवादी
पार्टी)
2- 75 BSA में 62 यादव
3- 67% थानाध्यक्ष यादव
4- जो यादव BDO है उनको 3 से 4 ब्लाक
5- भर्ती परीक्षाओं में यादव 69%
6- सड़क पानी बिजली का केवल शिलापट्ट पर नाम
व कमीशन
7- UPSC का अध्यक्ष अनिल यादव
8- उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग का अध्यक्ष प्रभात मित्तल (पूर्व आइएएस)
9- अधीनस्थ सेवा आयोग का अध्यक्ष राज किशोर
यादव (एमएलसी संजय लाठर की पत्नी आयोग की सदस्य हैं)
10- माध्यमिक शिक्षा चयन बोर्ड का अध्यक्ष
रामपाल 

समाजवादी पार्टी ः लोहिया पुण्यतिथि-लखनऊ

१२ अक्टूबर २०१६ -----------

 समाजवादी सिद्धांतों पर नहीं चल रहे कार्यकर्ता: मुलायम
-समाजवादी परिवार का सियासी संग्राम अब 'दिलÓ को देने लगा दर्द

लखनऊ: समाजवादी परिवार का सियासी 'संग्रामÓ एक कदम बढ़कर अपनों के दिल को 'दर्दÓ देने लगा है। मंगलवार कोजेपी सेंटर के आगाज में इसकी झलक दिखी तो बुधवार को लोहिया की पुण्यतिथि पर यह खुलकर सामने आया। सुबह मुख्यमंत्री लोहिया को श्रद्धांजलि आर्पित कर लौट गए तब मुलायम और शिवपाल पहुंचे। फूल चढ़ाया। फिर बिना भूमिका मुलायम ने माइक संभाला और कहा कार्यकर्ता मेहनत करते हैं मगर समाजवादी सिद्धांतों पर नहीं चलते। कुछ युवा सिर्फ नारेबाजी करते हैं। टिकट चाहते हैं लेकिन क्षेत्र में उन्हे कोई जानता नहीं।
समाजवादी चिंतक डाक्टर राम मनोहर लोहिया की पुण्यतिथि पर समाजवादी पार्टी विपक्ष में रहने से लेकर अब तक लोहिया पार्क में बड़ा आयोजन करती रही है मगर बुधवार के कार्यक्रम में पार्टी के रणनीतिकारों का अंदाज जुदा-जुदा था। सुबह पहले मुख्यमंत्री पहुंचे, श्रद्धांजलि अर्पित, कार्यकर्ताओं का अभिवादन किया और लौट गए फिर पार्टी सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव व शिवपाल यादव पहुंचे। श्रद्धांजलि के बाद सीधे बोलना शुरू किया, चंद मिटन में भी भाषण खत्म कर दिया। जबकि पूर्व में यह कार्यक्रम तीन से चार घंटे चलता था।
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युवा सिद्धांतों पर नहीं चल रहे
 मुलायम ने कहा कि  कार्यकर्ता मेहनत करते हैं पर समाजवादी सिद्धांतों पर नहीं चलते। सीखते भी नहीं, जनसेवा का तरीका भी पता नहीं। फिर युवा ब्रिगेड पर हमलावर होते हुए कहा कि आजकल के लड़के सिर्फ नारेबाजी करते हैं, इससे तो राजनीति नहीं चलती। कोई न किताब खरीदता है और न पढ़ता है। लोहिया पुस्तकालय तक नहीं जाते। जब कहा कि जो पढ़ेगा, उसी को टिकट देंगे तो कुछ लोगों ने किताबें खरीदीं मगर पढ़ा फिर भी नहीं। यादव ने कहा कि हालांकि दो-चार लड़के अच्छे भी हैं। लोहिया ने भारतीय राजनीति को नई दिशा दी है। उनकी विचारधारा हमेशा प्रासंगिक रहेगी। आजादी की लड़ाई में असहनीय यातनाएं सहने वालों में वह भी प्रमुख रूप से शामिल ते।
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मैं,रात भर नहीं सोया
अपने भाषणों में संघर्ष, बलिदान और सियासी दांव-पेंच का जिक्र करने वाले मुलायम सिंह यादव बुधवार को संभवत: पहली बार सावर्जनिक मंच पर भावुक नजर आए। कहा 'मैं रात भर सोया नहीं। मंगलवार को ही दोपहर दिल्ली गया था, जहां देश के बड़े राजनीतिक चिंतक से लंबी चर्चा की। फिर रात भर सो नहीं पाया। सुबह पहली फ्लाइट पकड़कर आ गया। वह जब सो नहीं पाने का खुलासा कर रहे थे, तब उनके चेहरे पर परिवार के 'संग्रामÓ से जन्मी पीड़ा साफ झलक रही थी। मुलायम ने यह खुलासा तो नहीं किया कि किस चिंतक से बात की मगर उनकी बातों से यह अर्थ तो निकला ही कि समाजवादी पार्टी के चुनावी समीकरण फिलहाल खांचे में फिट नहीं है।
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आज के राजनीतिक, डॉक्टर नादान
मुलायम ने कहा कि डॉक्टरों ने ऑपरेशन के बाद सात दिनों तक पट्टी नहीं खोली। जिससे उनके जख्म में मवाद पड़ गया। लोहिया को जब अहसास हो गया कि वह अब नहीं बचेंगे, तब उन्होने होश में आने पर मुझसे कहा था- 'आजकल के राजनीतिक और डॉक्टर नादान हैं।Ó सपा सुप्रीमो ने कहा, मेरी उनसे आखिरी मुलाकात 23 अगस्त 1967 को हुई थी और 12 अक्टूबर को उनका निधन हो गया। लोहिया बड़े विचारक थे। कहा कि लोहिया के विचारों से प्रेरित होकर समाजवादी पार्टी का गठन किया था।
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मुख्यमंत्री श्रद्धांजलि देने पहुंचे
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव सुबह साढ़े दस बजे ही समाजवादी चिंतक डॉ.राम मनोहर लोहिया को श्रद्धांजलि देने लोहिया पार्क पहुंचे। श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद वह वापस लौट गए, यह पहला मौका था जब अखिलेश यादव लोहिया की पुण्यतिथि पर बिना किसी संबोधन और सपा अध्यक्ष का इंतजार किये बगैर कार्यक्रम स्थल से लौट गये। इस तरीके को समाजवादी परिवार में चल रहे संग्र्राम व फैसलों पर नाराजगी के रूप में देखा जा रहा है। इससे पहले मुख्यमंत्री ने लोहिया न्याय जाकर डाक्टर लोहिया की प्रतिमा पर श्रद्धा सुमन अर्पित किया। कहा कि लोहिया के भाषण का उल्लेख करते हुए कहा कि वह अमीर और गरीब के बीच का गहरी खाई खत्म करने के पक्षधर थे।
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चाचा ने किनारा किया
सुबह मुख्यमंत्री अखिलेश यादव जब लोहिया को श्रद्धांजलि देने न्याय पहुंचे तो उस समय प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव वहां मौजूद थे मगर वह दूसरी कक्ष में चले गए। मुख्यमंत्री ने भी कोई उपक्रम नहीं किया। दोनों ने एक दूसरे से दूरी बनाये रखी।
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लोहिया के भाषणों की सीडी जारी
 समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता दीपक मिश्र द्वारा संकलित लोहिया के 50 प्रमुख भाषणों की एक सीडी व पेन ड्राइव जारी हुई। इसमें संसद के भीतर और बाहर लोहिया के भाषणों में से 50 को शामिल किया गया है। आपातकाल के दौर में उनका भाषण भी इस सीडी में है। इस मौके पर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव, मंत्री अहमद हसन, भगवती सिंह, एमएलसी अशोक बाजपेयी, मधु गुप्ता, फाकिर सिद्दीकी भी मौजूद थे।
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कुछ प्वांइट्स
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राम मनोहर लोह‌िया की पुण्यत‌िथ‌ि पर बुधवार को मुलायम स‌िंह ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजल‌ि अर्प‌ित की। उन्होंने बीते द‌िनों को याद क‌िया और कहा क‌ि उन्हें देश आज भी याद कर रहा है। सपा सुप्रीमो ने कहा, मेरी उनसे आख‌िरी मुलाकात 23 अगस्त 1967 को हुई थी और 12 अक्तूबर को उनकी मौत हो गई। उन्होंने कहा क‌ि लोह‌िया बड़े व‌िचारक थे।
मुलायम स‌िंह ने एक घटना का ज‌िक्र करते हुए कहा क‌ि लोह‌िया के ऑपरेशन के बाद डॉक्टरों ने सात द‌िन तक उनकी पट्टी नहीं खोली ज‌िसकी वजह से मवाद पड़ गया जबक‌ि रोज ड्रेस‌िंग होनी चाह‌िए थी। हालत ब‌िगड़ने पर लोह‌िया को अहसास हो गया क‌ि वह नहीं बचेंगे तो जब उन्हें होश आता तो वह मुझसे कहते क‌ि आजकल के राजनीत‌िज्ञ और डॉक्टर नादान हैं।

मुलायम स‌िंह ने कहा, आजकल कार्यकर्ता मेहनत तो करते हैं पर स‌िद्धांतों पर नहीं चलते। उन्होंने कहा क‌ि आजकल के लड़के स‌िर्फ नारेबाजी करते हैं। हालांक‌ि दो-चार लड़के अच्छे भी हैं। उन्होंने कार्यकर्ताओंं को ज्यादा से ज्यादा पढ़ने की सलाह दी।

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राम मनोहर लोहिया की पुण्यतिथि पर बुधवार को लोहिया पार्क में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया, जहां मुलायम सिंह ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि कार्यकर्ता केवल नारेबाजी करते हैं। उन्‍हें क्षेत्र में कोई नहीं जानता, लेकिन टिकट ही चाहिए। वहीं, कार्यक्रम से पहले अखिलेश यादव और शिवपाल यादव ने लोहिया ट्रस्ट और लाहिया पार्क पहुंचकर प्रतिमा पर माल्यार्पण भी किया।
मुलायम ने कहा- केवल नारेबाजी करते हैं कार्यकर्ता
- लोहिया जी को पूरा देश याद कर रहा है।
- लोहिया जी बहुत बड़े विचारक थे।
- 23 अगस्‍त 1967 को लाहिया जी से आखिरी मुलाकात हुई थी।
- आज कल कार्यकर्ता मेहनत तो करते हैं, लेकिन सिद्धांतों पर नहीं चलते।
- केवल नारेबाजी करते हैं कार्यकर्ता, और मेहनत की जरूरत है।
- कार्यकर्ता भाषण नहीं सुनते। हमने कितने भाषण सुने थे।
- महापुरुषों के बारे में कार्यकर्ता नहीं पढ़ते।
- इतना अच्‍छा ट्रस्‍ट बनाया गया, लेकिन कोई कार्यकर्ता उनको पढ़ने वहां नहीं जाता।
- किसी को याद ही नहीं लोहिया जी का भाषण।
- मुझे उनका हर भाषण याद है।
- आजकल सिर्फ टिकट की जल्‍दी है, काम करने की नहीं।
- कार्यकर्ताओं को क्षेत्र में कोई जानता ही नहीं, लेकिन टिकट चाहिए।
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महान समाजवादी चिन्तक, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, बयालिस की क्रांति व गोवा मुक्ति संग्राम के नायक राममनोहर लोहिया की पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री मुलायम सिंह यादव, मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव एवं प्रदेश अध्यक्ष श्री शिवपाल सिंह यादव ने लोहिया न्यास व लोहिया पार्क स्थित लोहिया प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धासुमन अर्पित किया। लोहिया के शिष्य श्री मुलायम सिंह यादव ने कहा कि लोहिया ने भारतीय राजनीतिक को नई दिशा दी। लोहिया की विचारधारा आज और भी अधिक प्रांसगिक है। लोहिया ने आजादी की लड़ाई के दौरान असहनीय यातनायें सही। बयालिस की क्रान्ति के दौरान भूमिगत रहते हुए लोहिया जी स्वतंत्रता आन्दोलन को धार देते रहे। उन्होंने गोवा की आजादी का सिंहनाद किया इसीलिए उन्हें गोवा मुक्ति संग्राम का नायक भी कहा जाता है। उन्होंने ‘सप्त क्रान्ति’, ‘विकेन्द्रीयकरण’, ‘चैखम्भाराज’ जैसी अवधारणायें दी। उन्होंने पूरी दुनिया को बिना हथियार उठाये अन्याय का प्रतिकार करना सिखाया। श्री यादव ने युवा समाजवादियों से लोहिया एवं समाजवादी साहित्य के अध्ययन करने तथा सैद्धान्तिक कार्यक्रमों से जुड़ने की सीख दी। नेताजी ने कहा कि लोहिया के विचारों से अनुप्रेरित होकर ही उन्होंने समाजवादी पार्टी का गठन किया। आर्थिक विषमता को समाजवाद से ही दूर किया जा सकता है। लोहिया के ऐतिहासिक वक्तव्य को उद्धरित करते हुए उन्होंने कहा कि अमीर और गरीब के बीच एक अनुपात दस का अंतर होना चाहिए। श्री मुलायम सिंह यादव ने इस अवसर पर समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता व प्रदेश सचिव श्री दीपक मिश्र द्वारा संपादित एवं संकलित लोहिया जी के ऐतिहासिक व संग्रहणीय भाषणों की पेनड्राइव/डीवीडी जारी की। इस अवसर प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव, वरिष्ठ समाजवादी नेता भगवती सिंह, विधान परिषद सदस्य अशोक बाजपेयी, मंत्री अहमद हसन, मधु गुप्ता, फाकिर सिद्दीकी की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।
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लखनऊ.यूपी की सियासत में एक बार फिर चर्चा चल पड़ी है कि सीएम अखिलेश यादव नाराज चल रहे हैं। यह नाराजगी लोहिया की पुण्यतिथि पर लोहिया पार्क में भी देखने को मिली। यही नहीं मुलायम के बयान में भी उनका दर्द छलक आया। लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर सीएम साब नाराज क्यों हैं।
मुलायम से पहले पहुंचे लोहिया पार्क
- सीएम अखिलेश यादव भी लोहिया की पुण्यतिथि पर लोहिया पार्क पहुंचे।
- लेकिन वह मुलायम के आने से पहले ही माल्यार्पण करके वापस भी निकल गए।
- जबकि उन्हें मालूम था कि मुलायम भी आने वाले हैं और कार्यक्रम भी होने वाला है।
- यही नहीं बुधवार को वह काफी गुस्से में भी दिखे।
कम भीड़ देख मुलायम भी नाराज
- वहीं सीएम के जाने के बाद करीब 11 बजे पहुंचे मुलायम भी पंडाल में कम भीड़ देख कर नाराज हुए।
- इससे पहले उन्होंने लोहिया की मूर्ति पर माल्यार्पण भी किया।
- उन्होंने इस बाबत शिवपाल यादव और यशवंत सिंह से भी कुछ बात की।
- मुलायम ने तुरंत आते ही अपना भाषण भी शुरू कर दिया।
मुलायम बोले सबको अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए
- कम भीड़ देख कर मुलायम ने भी नेताओं को सीख दे डाली।
- उन्होंने कहा कि सबको अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए।
- उन्होंने कहा कि सिर्फ चुनाव और सरकार तक ही नहीं सीमित रहना चाहिए।
मुलायम के बयान के बाद चला चर्चाओं का दौर
- मुलायम के इस बयान को कार्यकर्ताओं ने संजीदगी से लिया।
- कार्यकर्ताओं ने कहा कि नेता जी ने यह सीख सीएम को दी है।
- कार्यकर्ताओं का कहना है कि परिवार में चल रही नाराजगी अभी भी ख़त्म नहीं हुई है।
- कहीं न कहीं कुछ हुआ जरूर है, तभी सीएम साहब आज रुके नहीं।









Saturday 8 October 2016

सपा बागीः सपा बागी NETA

05 OCT 2016
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राजकिशोर ने सपा के खिलाफ खोला मोर्चा
-कहा, निर्दल लड़ूंगा तो भी जिताएगी जनता
  लखनऊः अखिलेश यादव के मंत्रीमंडल से बर्खास्त राजकिशोर सिंह ने समाजवादी पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। अपना अगला चुनाव निशान जल्द बताने की बात करते हुए उन्होंने साफ कर दिया कि अब सपा से उनका रिश्ता टूट गया है। मंत्री पद गवांने के बाद बुधवार को पहली बार उन्होंने अपने गृह निर्वाचन क्षेत्र हर्रैया में कार्यकर्ता सम्मेलन आयोजित कर शक्ति प्रदर्शन किया। सम्मेलन में राजकिशोर ने कहा कि पार्टी की सेवा में कोई कमी नहीं की, लेकिन उनके साथ साजिश हुई।
अखिलेश के अलावा मायावती एवं मुलायम की सरकारों में भी मंत्री रह चुके राजकिशोर बस्ती की हर्रैया सीट से लगातार तीसरी बार विधायक हैं। पिछले पंचायत चुनाव में अखिलेश ने उनके इस राजनीतिक कौशल का इस्तेमाल किया था। बस्ती के अलावा उन्होंने गोरखपुर की सीट भी विपरीत समीकरण होने के बावजूद जिता दी थी। उन पर सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग का आरोप भी लगा था। सपा के दुलारे रह चुके राजकिशोर अपनी बर्खास्तगी से मर्माहत हैं। अब सपा से दो-दो हाथ करने का ऐलान कर दिया है। पूर्व मंत्री ने आधे घंटे के संबोधन में कहा हर्रैया के लोगों ने पहले मेरे परिवार को बचाया है। इस बार मेरी राजनीतिक हत्या की साजिश रची गई है। विश्वास है जनता इसे नाकाम करेगी। उन्होंने कहा कि मुझे भरोसा है कि अगर मैं निर्दल भी लडूं तो जनता बड़े अंतर से जिता देगी।
राजकिशोर के समर्थकों के निशाने पर एमएलसी सनी यादव थे। सभी ने राजकिशोर की बर्खास्तगी के लिए उन्हें ही दोषी ठहराया। पूर्व मंत्री के प्रतिनिधि खादिम हुसेन ने कहा कि सनी ने झूठी सूचनाएं पहुंचाकर माहौल खराब किया, जबकि मुलायम सिंह यादव एवं अखिलेश यादव के निर्देश पर राजकिशोर ने उसके जैसे कमजोर आदमी को एमएलसी बनवा दिया। राजकिशोर के भाई एवं प्रदेश के ऊर्जा सलाहकार (राज्यमंत्री दर्जा प्राप्त) बृजकिशोर सिंह डिंपल ने आरोप लगाया कि कुछ स्वर्थी तत्वों द्वारा राजकिशोर की हत्या की साजिश रची जा रही है।

सपा का कुनबा ः झगड़ा


४ सितंबर २०१६
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 मुलायम ने दी नसीहत, आजम से मिले शिवपाल
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- कार्यकर्ताओं से कहा, क्षेत्र में जाकर करो काम
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 लखनऊ : समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव मंगलवार को अचानक सपा मुख्यालय पहुंच गये। उस समय कुछ कार्यकर्ता मौजूद थे। यादव ने कार्यकर्ताओं को क्षेत्र में जाकर काम करने और चुनावी तैयारी की नसीहत दी। उधर, सपा के प्रदेश अध्यक्ष और सिंचाई मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने मंगलवार को विधानभवन में संसदीय कार्य मंत्री आजम खां से उनके कक्ष में जाकर मुलाकात की।
माना जा रहा है कि शिवपाल ने समाजवादी कुनबे की बीच चल रही कलह में सामंजस्य बनाने की गरज से आजम से मुलाकात की। इसके और भी निहितार्थ निकाले जा रहे हैं। शिवपाल ने सोमवार को 17 उम्मीदवारों के टिकट बदल दिये जिसमें कई मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के करीबी हैं। प्रतिक्रिया स्वरूप अखिलेश ने तुरुप का इक्का चलने की बात कहकर यह संकेत दे दिया कि कलह कम होने वाली नहीं है। यद्यपि जब वह बोल रहे थे तो आजम खां उनका हाथ दबा रहे थे। आजम ने लोक भवन के उद्घाटन के दौरान मुलायम सिंह यादव की भी नाराजगी दूर करने की कोशिश की। माना जा रहा है कि शिवपाल ने उनसे मुलाकात कर सामंजस्य बनाने की कोशिश की। सपा में स्थापना काल से जुड़े नेताओं और कार्यकर्ताओं को महत्व देने की रणनीति बन रही है।
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सपा टिकटः कुनबा झगड़ा

तीन सितंबर २०१६

नौ क्षेत्रों में सपा ने और दिए टिकट, 17 में बदले
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-सभी हारी हुई सीटों पर उम्मीदवार घोषित
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लखनऊ : समाजवादी पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद शिवपाल सिंह यादव ने नौ विधानसभा क्षेत्रों में उम्मीदवार घोषित कर दिए जबकि 17 क्षेत्रों के उम्मीदवार बदल दिए। सपा ने अब तक हारी हुई सीटों पर 172 उम्मीदवार घोषित किये थे। सोमवार को शिवपाल द्वारा नौ और क्षेत्रों के उम्मीदवार घोषित होने के बाद अब यह संख्या 181 हो गयी है।
 सोमवार को जारी सूची के मुताबिक सहारनपुर के नकुड़ क्षेत्र से मोहम्मद इरशाद, बहराइच की नानपारा से जयशंकर सिंह और पयागपुर से मुकेश श्रीवास्तव, महराजगंज के नौतनवां से अमन मणि त्रिपाठी, सोनभद्र के ओबरा से संजय यादव, बुलंदशहर के डिबाई से हरीश लोधी, हरदोई के गोपामऊ सुरक्षित से राजेश्वरी और सांडी से ऊषा वर्मा तथा अंबेडकरनगर के जलालपुर से सुभाष राय को उम्मीदवार घोषित किया है।
जिन 17 विधानसभा क्षेत्रों में पूर्व में घोषित उम्मीदवारों की जगह नये उम्मीदवार घोषित किये गये हैं उनमें सहारनपुर की रामपुर मनिहारन से विमला राकेश की जगह जसवीर बाल्मिकी, शामली के थाना भवन से किरनपाल कश्यप की जगह शेर सिंह राणा, मुजफ्फरनगर के मीरापुर से मोहम्मद इलियास की जगह शाहनवाज राणा, बिजनौर के नजीबाबाद से अबरार आलम अंसारी की जगह तस्लीम अहमद, मेरठ  के सरधना में अतुल प्रधान की जगह मैनपाल सिंह उर्फ पिंटू राणा, मेरठ कैंट से सरदार परविंदर सिंह की जगह आरती अग्रवाल, मेरठ शहर से रफीक अंसारी की जगह अय्यूब अंसारी, बुलंदशहर के खुर्जा क्षेत्र से सुनीता चौहान की जगह रवीन्द्र बाल्मिकी, हाथरस सुरक्षित से राम नारायण काके की जगह मूलचंद्र जाटव, आगरा के फतेहपुर सीकरी से राजकुमार चाहर की जगह श्रीनिवास शर्मा, खैरागढ़ से विनोद कुमार सिकरवार की जगह रानी पक्षालिका सिंह, रायबरेली के जगदीशपुर सुरक्षित विजय कुमार पासी की जगह अवधेश प्रसाद के पुत्र अजीत प्रसाद, कानपुर देहात के सिकंदरा से महेन्द्र कटियार की जगह सीमा सचान, ललितपुर से ज्योति लोधी की जगह चंद्रभूषण सिंह बुंदेला उर्फ गुडडू राजा, कौशांबी के चायल से चंद्रबलि सिंह पटेल की जगह बालम द्विवेदी, मीरजापुर के मडि़हान से रविन्द्र बहादुर सिंह पटेल की जगह सुरेन्द्र सिंह पटेल और वाराणसी के शिवपुर से अरविन्द कुमार मौर्य की जगह अवधेश पाठक को उम्मीदवार घोषित किया है। समाजवादी पाटी ने 2012 के चुनाव में 224 सीटें जीती थीं। सपा ने अपनी सभी हारी हुई सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। दल छोडऩे वाले श्रीभगवान शर्मा उर्फ गुडडू पंडित की डिबाई सीट पर भी उम्मीदवार घोषित किया है।
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तुरुप के इक्के का इंतजार करें : अखिलेश
सपा कलह
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-सपा के टिकट वितरण में अनदेखी पर मुख्यमंत्री की टीस
-कहा, अधिकार छोड़ दिये लेकिन आदतें नहीं बदल सकता
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लखनऊ : सरकार और सत्ताधारी दल में अंतर्कलह अभी थमी नहीं है बल्कि वर्चस्व की यह लड़ाई और भी बढऩे के आसार हैं। सोमवार को अपने नए कार्यालय भवन के उद्घाटन के मौके पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बेझिझक इसके भरपूर संकेत भी दिये। सपा प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव की ओर से सोमवार को नौ विधानसभा क्षेत्रों में सपा प्रत्याशियों की घोषणा किये जाने और 17 पार्टी उम्मीदवारों के टिकट बदले जाने के एलान पर अखिलेश ने कहा कि भले ही उन्होंने टिकटों के बंटवारे का अधिकार छोड़ दिया है लेकिन आखिर में जीत उसी की होगी, जो तुरुप का इक्का चलेगा।
संदिग्ध परिस्थितियों में अपनी पत्नी सारा की मौत के मामले में सीबीआइ जांच की आंच झेल रहे अमनमणि त्रिपाठी को नौतनवा से सपा प्रत्याशी घोषित किये जाने के सवाल पर अखिलेश ने कहा कि बतौर मुख्यमंत्री उनका एजेंडा विकास है और यदि यह पार्टी के अंदर की बात है तो हमारी राय आप जानते हैं। अमनमणि मधुमिता हत्याकांड में सजायाफ्ता पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी के पुत्र हैं। इस बारे में और कुरेदे जाने पर उन्होंने साफगोई से कहा-'या तो मैं सच बोलूं या पॉलिटिकल हो जाऊं। सच तो यह है कि मैं अपनी कुछ पुरानी आदतें नहीं बदल सकता।Ó इशारा यही था कि दागी छवि के लोगों को सपा का टिकट दिये जाने के विरोध के अपने पुराने स्टैंड पर वह कायम हैं।
टिकट बंटवारे में अधिकार मांगने के सवाल पर उन्होंने कहा कि 'मैने सब अधिकार छोड़ दिये हैं।Ó क्या टिकटों के बंटवारे की जानकारी आपको नहीं दी गई? अखिलेश बोले, 'यह मामला मेरी जानकारी में ही नहीं आया, मैं तो कार्यालय का उद्घाटन करने आया था।Ó जब उनसे प्रश्न हुआ कि समाजवादी पार्टी की रथयात्रा कब से शुरू होगी तो उन्होंने कटाक्ष किया कि इसकी जानकारी देने वाली मेल मेरे पास तो आयी नहीं है, हो सकता है आपके (मीडिया) के पास आयी हो।
यादव परिवार में बीते दिनों मचे घमासान के दौरान अखिलेश विधानसभा चुनाव के टिकट वितरण में अपनी निर्णायक भूमिका को लेकर बेहद आग्रही थे। मुख्यमंत्री ने कहा वैसे तो वह शतरंज खेलते हैं लेकिन ताश के खेल में वही जीतता है जिसके पास तुरुप का इक्का होता है। जब उनसे पूछा गया कि टिकट वितरण तो हो गया तो वह अर्थपूर्ण मुस्कान के साथ बोले, 'कोई तुरुप का पत्ता चलेगा तो कोई तुरुप का उससे बड़ा पत्ता डालेगा।Ó फिर कहा कि सियासत कोई खेल नहीं है। क्या बसपा को मालूम था कि नेता विरोधी दल पार्टी छोड़कर चले जाएंगे? अपनी बात उन्होंने भेद भरे दो वाक्यों के साथ खत्म की। यह कहते हुए कि 'राजनीति में कल क्या होगा, कोई नहीं जानता। इसलिए तुरुप के इक्के का इंतजार करिये।Ó

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कुनबे की कलह कुछ और उजागर
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-टिकट बंटवारे में भी उभरी वर्चस्व की लड़ाई
- भविष्य में बड़ा दांव चलने का अखिलेश ने दिया संकेत
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लखनऊ : समाजवादी पार्टी में टिकट बदलने की कहानी नई नहीं है। 2012 के विधानसभा चुनाव में सुलतानपुर की लंभुआ सीट पर सपा ने सात बार टिकट बदले। इस तरह कई और क्षेत्रों के भी उदाहरण हैं, लेकिन प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद शिवपाल सिंह यादव ने जिस तरह 17 क्षेत्रों के घोषित उम्मीदवार बदल दिए, उससे यह साफ संकेत मिला है कि अब समाजवादी कुनबे की कलह थमने वाली नहीं है।
 शिवपाल ने सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव की अनुमति से उम्मीदवारों के बदलने की घोषणा की है पर इनमें कई ऐसे उम्मीदवारों का टिकट कटा जो मुख्यमंत्री और प्रोफेसर राम गोपाल यादव के करीबी माने जाते हैं। जाहिर है वर्चस्व की लड़ाई अब तेज होगी। सोमवार को मुख्यमंत्री के नए कार्यालय 'लोकभवनÓ का उद्घाटन और कैबिनेट की बैठक थी। इसके ठीक पहले ही शिवपाल ने उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी। मुलायम व अखिलेश यादव के अलावा शिवपाल भी लोकार्पण समारोह में गये, लेकिन शिवपाल के चेहरे पर तनाव बना हुआ था। मुख्यमंत्री ने भी जिस तरह के बयान दिए उससे साफ लगा कि वह इस फैसले से खुश नहीं। मुख्यमंत्री ने खुद को शतरंज का खिलाड़ी बताकर अपने समर्थकों का प्रकारांतर से हौसला बढ़ाने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि तुरुप के पत्ते का इंतजार करिए। अखिलेश अपने संकेतों के जरिये जाहिर कर रहे थे कि भविष्य में वह कोई बड़ा दांव चलने वाले हैं।
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 दागियों पर दांव
सपा उम्मीदवारों की सूची में बहुत से साफ सुथरी छवि के हैं, लेकिन कई ऐसे नाम हैं जो पूरी पार्टी के लिए मुश्किल का सबब बन सकते हैं। राजधानी की सड़कों पर सरेशाम गुंडई और फिर अपनी ही पत्नी की हत्या के आरोपों में सीबीआइ जांच से घिरे अमनमणि त्रिपाठी हों या फिर एनआरएचएम घोटाले के आरोपों में सीबीआइ जांच का सामना कर रहे कांग्रेस से आए विधायक मुकेश श्रीवास्तव को शिवपाल ने उम्मीदवार बनाकर साफ कर दिया कि उन्हें हर कीमत पर जीत चाहिए और इसके लिए वह किसी भी तरह के व्यक्ति पर दांव लगा सकते हैं। अमनमणि के पिता पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी कवयित्री मधुमिता की हत्या के आरोप में उम्र कैद भुगत रहे हैं। फरारी के दिनों में भी अमनमणि विधानसभा से लेकर सार्वजनिक कार्यक्रमों तक शिवपाल के करीब देखे जाते रहे।
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अखिलेश के करीबियों को किया किनारे
अखिलेश की युवा बिग्रेड के सदस्यों को पार्टी से बाहर करने के बाद शिवपाल ने इस बिग्रेड के एक प्रमुख सदस्य अतुल प्रधान का सरधना और रामगोपाल के करीबी रफीक अंसारी का मेरठ से टिकट काट दिया। बांकी क्षेत्रों में भी ज्यादातर उम्मीदवार मुख्यमंत्री की पसंद के ही थे। मीरापुर में इलियास की जगह शाहनवाज राणा को मौका देकर शिवपाल ने अपनी पसंद भी जताने की कोशिश की है।
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ब्राह्मणों को मौका
टिकट बदलने में जातीय समीकरण साधने की भी कोशिश की गयी है। कई ब्राह्मण उम्मीदवार उतारे गए हैं। वाराणसी के शिवपुर में अरविन्द मौर्य की जगह अवधेश पाठक और कौशांबी के चायल में चंद्रबलि पटेल की जगह बालम द्विवेदी का नाम प्रमुख है। मुसलमानों का टिकट काटने में यह एहतियात जरूर बरती गई कि मुसलमान उम्मीदवार को ही मौका मिला।
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कोई मतभेद नहीं
सोमवार दोपहर तक प्रोफेसर राम गोपाल यादव भी लखनऊ आ गये थे। मुलायम सिंह के पांच विक्रमादित्य स्थित आवास पर पहुंचते ही शिवपाल यादव और राम गोपाल भी कुछ देर बाद पहुंचे। तीनों के बीच गुफ्तगू शुरू हुई। थोड़ी देर बाद मुख्यमंत्री भी वहीं पहुंच गए। बैठक के बाद प्रोफेसर राम गोपाल ने मीडिया से कहा कि टिकट बंटवारे को लेकर पार्टी में कोई मतभेद नहीं है। टिकट बांटना संसदीय बोर्ड का काम है। अखिलेश और शिवपाल में किसी भी तरह के मतभेद से उन्होंने इन्कार किया।
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और भी कट सकते हैं टिकट
शिवपाल के अध्यक्ष बनते ही मुख्यमंत्री ने कहा था कि टिकट तो वह खुद बांटेंगे। शायद शिवपाल को यह बात अंदर तक चुभ रही थी। इसीलिए सोमवार को उनकी पहली सूची आते ही अखिलेश के लोगों में मायूसी दिखी।

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कई खूबियों से लैस है 'लोकभवनÓ
-सुविधा, सज्जा और सुरक्षा के खास इंतजाम
-नए दफ्तर में भी पंचम तल पर बैठेंगे मुख्यमंत्री
लोक भवन-खास बातें
लागत - 601.89 करोड़ रुपये
क्षेत्रफल - 25380.00 वर्ग मीटर (6.30 एकड़)
कुल बेसमेंट एरिया - 21956.44 वर्ग मीटर
कुल कवर्ड एरिया - 37426.29 वर्ग मीटर
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लखनऊ : सुविधा, सुसज्जा और सुरक्षा। ये वे कसौटियां हैं जिन्हें ध्यान में रखते हुए अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त और कई खूबियों से लैस मुख्यमंत्री का नया कार्यालय 'लोकभवनÓ बनाया गया है। सोमवार को लोक भवन के लोकार्पण के मौके पर इसकी झलक पाने को आम जनता तो क्या, मंत्री भी बेताब दिखे।
दारुलशफा परिसर में बनाये गए लोक भवन में मुख्यमंत्री का कार्यालय बी-ब्लॉक में पंचम तल पर होगा। लोक भवन में मुख्यमंत्री के अलावा मुख्य सचिव समेत 1330 अधिकारियों व कर्मचारियों के बैठने की व्यवस्था होगी। नवनिर्मित परिसर में तीन ब्लॉक बनाये गए हैं। ब्लॉक-ए में दो मंजिला भूमिगत पार्किंग और भूतल पर गार्ड रूम व पास ऑफिस होगा। ब्लॉक-बी में मुख्य भवन होगा। यह भूमिगत ऑडिटोरियम व भूतल सहित पांच मंजिला इमारत होगी। बी-ब्लाक के बेसमेंट में ऑडिटोरियम, लॉबी, विशिष्ट लाउन्ज, सात लिफ्ट व रिकॉर्ड रूम, भूतल पर 602 सीटों वाला आडिटोरियम, क्लोज सर्किट टीवी कंट्रोल रूम, प्रमुख सचिव सूचना व उनके स्टाफ रूम, टीवी स्टूडियो, मीडिया प्रतीक्षालय व प्रेस मीडिया हॉल है।
बी-ब्लॉक की पहली मंजिल पर मुख्य सचिव का कार्यालय, 100 सीटों वाला कांफ्रेंस रूम, उनके स्टाफ के दफ्तर, सचिव नागरिक उड्डयन, वीवीआईपी प्रवेश लॉबी, सिक्योरिटी कंट्रोल रूम व प्रमुख सचिव नियुक्ति व उनके स्टाफ के कार्यालय होंगे। दूसरी मंजिल पर प्रमुख सचिव कार्मिक व उनके स्टाफ के कार्यालय होंगे। तीसरे तल पर वेटिंग लाउंज, उप सचिव, अनुसचिव, अनुभाग अधिकारी आदि के कमरे होंगे। चौथी मंजिल पर मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव, सचिव, विशेष सचिव, संयुक्त सचिव तथा उनके के दफ्तर और एक कांफ्रेंस रूम होगा। पांचवें तल पर मुख्यमंत्री का कार्यालय, कांफ्रेंस रूम, मुख्यमंत्री के लिए वीडियो कांफ्रेस रूम, कैबिनेट लाउंज, कैबिनेट ऑफिस स्टाफ रूम, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री व उनके स्टाफ के लिए कक्ष तथा विधान सभा के सदस्यों के लिए वेटिंग लाउंज आदि होंगे।
ब्लॉक-सी भूमिगत पार्किंग व भूतल सहित सात मंजिला भवन होगा। भूमिगत पार्किंग में 392 और खुली पार्किंग में 22 वाहन खड़े किये जा सकेंगे। भूतल पर पास ऑफिस, वेटिंग लाउन्ज, क्लॉक रूम, आगंतुकों, स्टाफ व अफसरों के लिए कैंटीन, मेडिकल रूम है। इस ब्लॉक में सचिवालय के विभिन्न विभागों के अधिकारियों व कर्मचारियों के दफ्तर  हैं।
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वर्षा जल संचयन का ख्याल
लोक भवन में साउंड इन्सुलेशन के लिए डबल वैक्यूम ग्लास लगाये गए हैं। फर्श पर इटैलियन मार्बल, ग्रेनाइट, विट्रीफाइड टाइल्स व वुडेन फ्लोरिंग की गई है। परिसर में रेन वाटर हार्वेस्टिंग, ट्यूबवेल व सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का प्रावधान किया गया है। भवन में विद्युत 33 केवी सब-स्टेशन, मॉडर्न इलेक्ट्रिकल पैनल, पावर बैकअप के लिए 1000 केवीए के तीन जेनरेटर और केंद्रीय वातानुकूलन और भवनों में बिजली बचाने के इंतजाम किये गए हैं।




सपा टिकटः कुनबा झगड़ा

तीन सितंबर २०१६

नौ क्षेत्रों में सपा ने और दिए टिकट, 17 में बदले
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-सभी हारी हुई सीटों पर उम्मीदवार घोषित
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लखनऊ : समाजवादी पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद शिवपाल सिंह यादव ने नौ विधानसभा क्षेत्रों में उम्मीदवार घोषित कर दिए जबकि 17 क्षेत्रों के उम्मीदवार बदल दिए। सपा ने अब तक हारी हुई सीटों पर 172 उम्मीदवार घोषित किये थे। सोमवार को शिवपाल द्वारा नौ और क्षेत्रों के उम्मीदवार घोषित होने के बाद अब यह संख्या 181 हो गयी है।
 सोमवार को जारी सूची के मुताबिक सहारनपुर के नकुड़ क्षेत्र से मोहम्मद इरशाद, बहराइच की नानपारा से जयशंकर सिंह और पयागपुर से मुकेश श्रीवास्तव, महराजगंज के नौतनवां से अमन मणि त्रिपाठी, सोनभद्र के ओबरा से संजय यादव, बुलंदशहर के डिबाई से हरीश लोधी, हरदोई के गोपामऊ सुरक्षित से राजेश्वरी और सांडी से ऊषा वर्मा तथा अंबेडकरनगर के जलालपुर से सुभाष राय को उम्मीदवार घोषित किया है।
जिन 17 विधानसभा क्षेत्रों में पूर्व में घोषित उम्मीदवारों की जगह नये उम्मीदवार घोषित किये गये हैं उनमें सहारनपुर की रामपुर मनिहारन से विमला राकेश की जगह जसवीर बाल्मिकी, शामली के थाना भवन से किरनपाल कश्यप की जगह शेर सिंह राणा, मुजफ्फरनगर के मीरापुर से मोहम्मद इलियास की जगह शाहनवाज राणा, बिजनौर के नजीबाबाद से अबरार आलम अंसारी की जगह तस्लीम अहमद, मेरठ  के सरधना में अतुल प्रधान की जगह मैनपाल सिंह उर्फ पिंटू राणा, मेरठ कैंट से सरदार परविंदर सिंह की जगह आरती अग्रवाल, मेरठ शहर से रफीक अंसारी की जगह अय्यूब अंसारी, बुलंदशहर के खुर्जा क्षेत्र से सुनीता चौहान की जगह रवीन्द्र बाल्मिकी, हाथरस सुरक्षित से राम नारायण काके की जगह मूलचंद्र जाटव, आगरा के फतेहपुर सीकरी से राजकुमार चाहर की जगह श्रीनिवास शर्मा, खैरागढ़ से विनोद कुमार सिकरवार की जगह रानी पक्षालिका सिंह, रायबरेली के जगदीशपुर सुरक्षित विजय कुमार पासी की जगह अवधेश प्रसाद के पुत्र अजीत प्रसाद, कानपुर देहात के सिकंदरा से महेन्द्र कटियार की जगह सीमा सचान, ललितपुर से ज्योति लोधी की जगह चंद्रभूषण सिंह बुंदेला उर्फ गुडडू राजा, कौशांबी के चायल से चंद्रबलि सिंह पटेल की जगह बालम द्विवेदी, मीरजापुर के मडि़हान से रविन्द्र बहादुर सिंह पटेल की जगह सुरेन्द्र सिंह पटेल और वाराणसी के शिवपुर से अरविन्द कुमार मौर्य की जगह अवधेश पाठक को उम्मीदवार घोषित किया है। समाजवादी पाटी ने 2012 के चुनाव में 224 सीटें जीती थीं। सपा ने अपनी सभी हारी हुई सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। दल छोडऩे वाले श्रीभगवान शर्मा उर्फ गुडडू पंडित की डिबाई सीट पर भी उम्मीदवार घोषित किया है।
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तुरुप के इक्के का इंतजार करें : अखिलेश
सपा कलह
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-सपा के टिकट वितरण में अनदेखी पर मुख्यमंत्री की टीस
-कहा, अधिकार छोड़ दिये लेकिन आदतें नहीं बदल सकता
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लखनऊ : सरकार और सत्ताधारी दल में अंतर्कलह अभी थमी नहीं है बल्कि वर्चस्व की यह लड़ाई और भी बढऩे के आसार हैं। सोमवार को अपने नए कार्यालय भवन के उद्घाटन के मौके पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बेझिझक इसके भरपूर संकेत भी दिये। सपा प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव की ओर से सोमवार को नौ विधानसभा क्षेत्रों में सपा प्रत्याशियों की घोषणा किये जाने और 17 पार्टी उम्मीदवारों के टिकट बदले जाने के एलान पर अखिलेश ने कहा कि भले ही उन्होंने टिकटों के बंटवारे का अधिकार छोड़ दिया है लेकिन आखिर में जीत उसी की होगी, जो तुरुप का इक्का चलेगा।
संदिग्ध परिस्थितियों में अपनी पत्नी सारा की मौत के मामले में सीबीआइ जांच की आंच झेल रहे अमनमणि त्रिपाठी को नौतनवा से सपा प्रत्याशी घोषित किये जाने के सवाल पर अखिलेश ने कहा कि बतौर मुख्यमंत्री उनका एजेंडा विकास है और यदि यह पार्टी के अंदर की बात है तो हमारी राय आप जानते हैं। अमनमणि मधुमिता हत्याकांड में सजायाफ्ता पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी के पुत्र हैं। इस बारे में और कुरेदे जाने पर उन्होंने साफगोई से कहा-'या तो मैं सच बोलूं या पॉलिटिकल हो जाऊं। सच तो यह है कि मैं अपनी कुछ पुरानी आदतें नहीं बदल सकता।Ó इशारा यही था कि दागी छवि के लोगों को सपा का टिकट दिये जाने के विरोध के अपने पुराने स्टैंड पर वह कायम हैं।
टिकट बंटवारे में अधिकार मांगने के सवाल पर उन्होंने कहा कि 'मैने सब अधिकार छोड़ दिये हैं।Ó क्या टिकटों के बंटवारे की जानकारी आपको नहीं दी गई? अखिलेश बोले, 'यह मामला मेरी जानकारी में ही नहीं आया, मैं तो कार्यालय का उद्घाटन करने आया था।Ó जब उनसे प्रश्न हुआ कि समाजवादी पार्टी की रथयात्रा कब से शुरू होगी तो उन्होंने कटाक्ष किया कि इसकी जानकारी देने वाली मेल मेरे पास तो आयी नहीं है, हो सकता है आपके (मीडिया) के पास आयी हो।
यादव परिवार में बीते दिनों मचे घमासान के दौरान अखिलेश विधानसभा चुनाव के टिकट वितरण में अपनी निर्णायक भूमिका को लेकर बेहद आग्रही थे। मुख्यमंत्री ने कहा वैसे तो वह शतरंज खेलते हैं लेकिन ताश के खेल में वही जीतता है जिसके पास तुरुप का इक्का होता है। जब उनसे पूछा गया कि टिकट वितरण तो हो गया तो वह अर्थपूर्ण मुस्कान के साथ बोले, 'कोई तुरुप का पत्ता चलेगा तो कोई तुरुप का उससे बड़ा पत्ता डालेगा।Ó फिर कहा कि सियासत कोई खेल नहीं है। क्या बसपा को मालूम था कि नेता विरोधी दल पार्टी छोड़कर चले जाएंगे? अपनी बात उन्होंने भेद भरे दो वाक्यों के साथ खत्म की। यह कहते हुए कि 'राजनीति में कल क्या होगा, कोई नहीं जानता। इसलिए तुरुप के इक्के का इंतजार करिये।Ó

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कुनबे की कलह कुछ और उजागर
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-टिकट बंटवारे में भी उभरी वर्चस्व की लड़ाई
- भविष्य में बड़ा दांव चलने का अखिलेश ने दिया संकेत
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लखनऊ : समाजवादी पार्टी में टिकट बदलने की कहानी नई नहीं है। 2012 के विधानसभा चुनाव में सुलतानपुर की लंभुआ सीट पर सपा ने सात बार टिकट बदले। इस तरह कई और क्षेत्रों के भी उदाहरण हैं, लेकिन प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद शिवपाल सिंह यादव ने जिस तरह 17 क्षेत्रों के घोषित उम्मीदवार बदल दिए, उससे यह साफ संकेत मिला है कि अब समाजवादी कुनबे की कलह थमने वाली नहीं है।
 शिवपाल ने सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव की अनुमति से उम्मीदवारों के बदलने की घोषणा की है पर इनमें कई ऐसे उम्मीदवारों का टिकट कटा जो मुख्यमंत्री और प्रोफेसर राम गोपाल यादव के करीबी माने जाते हैं। जाहिर है वर्चस्व की लड़ाई अब तेज होगी। सोमवार को मुख्यमंत्री के नए कार्यालय 'लोकभवनÓ का उद्घाटन और कैबिनेट की बैठक थी। इसके ठीक पहले ही शिवपाल ने उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी। मुलायम व अखिलेश यादव के अलावा शिवपाल भी लोकार्पण समारोह में गये, लेकिन शिवपाल के चेहरे पर तनाव बना हुआ था। मुख्यमंत्री ने भी जिस तरह के बयान दिए उससे साफ लगा कि वह इस फैसले से खुश नहीं। मुख्यमंत्री ने खुद को शतरंज का खिलाड़ी बताकर अपने समर्थकों का प्रकारांतर से हौसला बढ़ाने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि तुरुप के पत्ते का इंतजार करिए। अखिलेश अपने संकेतों के जरिये जाहिर कर रहे थे कि भविष्य में वह कोई बड़ा दांव चलने वाले हैं।
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 दागियों पर दांव
सपा उम्मीदवारों की सूची में बहुत से साफ सुथरी छवि के हैं, लेकिन कई ऐसे नाम हैं जो पूरी पार्टी के लिए मुश्किल का सबब बन सकते हैं। राजधानी की सड़कों पर सरेशाम गुंडई और फिर अपनी ही पत्नी की हत्या के आरोपों में सीबीआइ जांच से घिरे अमनमणि त्रिपाठी हों या फिर एनआरएचएम घोटाले के आरोपों में सीबीआइ जांच का सामना कर रहे कांग्रेस से आए विधायक मुकेश श्रीवास्तव को शिवपाल ने उम्मीदवार बनाकर साफ कर दिया कि उन्हें हर कीमत पर जीत चाहिए और इसके लिए वह किसी भी तरह के व्यक्ति पर दांव लगा सकते हैं। अमनमणि के पिता पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी कवयित्री मधुमिता की हत्या के आरोप में उम्र कैद भुगत रहे हैं। फरारी के दिनों में भी अमनमणि विधानसभा से लेकर सार्वजनिक कार्यक्रमों तक शिवपाल के करीब देखे जाते रहे।
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अखिलेश के करीबियों को किया किनारे
अखिलेश की युवा बिग्रेड के सदस्यों को पार्टी से बाहर करने के बाद शिवपाल ने इस बिग्रेड के एक प्रमुख सदस्य अतुल प्रधान का सरधना और रामगोपाल के करीबी रफीक अंसारी का मेरठ से टिकट काट दिया। बांकी क्षेत्रों में भी ज्यादातर उम्मीदवार मुख्यमंत्री की पसंद के ही थे। मीरापुर में इलियास की जगह शाहनवाज राणा को मौका देकर शिवपाल ने अपनी पसंद भी जताने की कोशिश की है।
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ब्राह्मणों को मौका
टिकट बदलने में जातीय समीकरण साधने की भी कोशिश की गयी है। कई ब्राह्मण उम्मीदवार उतारे गए हैं। वाराणसी के शिवपुर में अरविन्द मौर्य की जगह अवधेश पाठक और कौशांबी के चायल में चंद्रबलि पटेल की जगह बालम द्विवेदी का नाम प्रमुख है। मुसलमानों का टिकट काटने में यह एहतियात जरूर बरती गई कि मुसलमान उम्मीदवार को ही मौका मिला।
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कोई मतभेद नहीं
सोमवार दोपहर तक प्रोफेसर राम गोपाल यादव भी लखनऊ आ गये थे। मुलायम सिंह के पांच विक्रमादित्य स्थित आवास पर पहुंचते ही शिवपाल यादव और राम गोपाल भी कुछ देर बाद पहुंचे। तीनों के बीच गुफ्तगू शुरू हुई। थोड़ी देर बाद मुख्यमंत्री भी वहीं पहुंच गए। बैठक के बाद प्रोफेसर राम गोपाल ने मीडिया से कहा कि टिकट बंटवारे को लेकर पार्टी में कोई मतभेद नहीं है। टिकट बांटना संसदीय बोर्ड का काम है। अखिलेश और शिवपाल में किसी भी तरह के मतभेद से उन्होंने इन्कार किया।
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और भी कट सकते हैं टिकट
शिवपाल के अध्यक्ष बनते ही मुख्यमंत्री ने कहा था कि टिकट तो वह खुद बांटेंगे। शायद शिवपाल को यह बात अंदर तक चुभ रही थी। इसीलिए सोमवार को उनकी पहली सूची आते ही अखिलेश के लोगों में मायूसी दिखी।

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कई खूबियों से लैस है 'लोकभवनÓ
-सुविधा, सज्जा और सुरक्षा के खास इंतजाम
-नए दफ्तर में भी पंचम तल पर बैठेंगे मुख्यमंत्री
लोक भवन-खास बातें
लागत - 601.89 करोड़ रुपये
क्षेत्रफल - 25380.00 वर्ग मीटर (6.30 एकड़)
कुल बेसमेंट एरिया - 21956.44 वर्ग मीटर
कुल कवर्ड एरिया - 37426.29 वर्ग मीटर
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लखनऊ : सुविधा, सुसज्जा और सुरक्षा। ये वे कसौटियां हैं जिन्हें ध्यान में रखते हुए अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त और कई खूबियों से लैस मुख्यमंत्री का नया कार्यालय 'लोकभवनÓ बनाया गया है। सोमवार को लोक भवन के लोकार्पण के मौके पर इसकी झलक पाने को आम जनता तो क्या, मंत्री भी बेताब दिखे।
दारुलशफा परिसर में बनाये गए लोक भवन में मुख्यमंत्री का कार्यालय बी-ब्लॉक में पंचम तल पर होगा। लोक भवन में मुख्यमंत्री के अलावा मुख्य सचिव समेत 1330 अधिकारियों व कर्मचारियों के बैठने की व्यवस्था होगी। नवनिर्मित परिसर में तीन ब्लॉक बनाये गए हैं। ब्लॉक-ए में दो मंजिला भूमिगत पार्किंग और भूतल पर गार्ड रूम व पास ऑफिस होगा। ब्लॉक-बी में मुख्य भवन होगा। यह भूमिगत ऑडिटोरियम व भूतल सहित पांच मंजिला इमारत होगी। बी-ब्लाक के बेसमेंट में ऑडिटोरियम, लॉबी, विशिष्ट लाउन्ज, सात लिफ्ट व रिकॉर्ड रूम, भूतल पर 602 सीटों वाला आडिटोरियम, क्लोज सर्किट टीवी कंट्रोल रूम, प्रमुख सचिव सूचना व उनके स्टाफ रूम, टीवी स्टूडियो, मीडिया प्रतीक्षालय व प्रेस मीडिया हॉल है।
बी-ब्लॉक की पहली मंजिल पर मुख्य सचिव का कार्यालय, 100 सीटों वाला कांफ्रेंस रूम, उनके स्टाफ के दफ्तर, सचिव नागरिक उड्डयन, वीवीआईपी प्रवेश लॉबी, सिक्योरिटी कंट्रोल रूम व प्रमुख सचिव नियुक्ति व उनके स्टाफ के कार्यालय होंगे। दूसरी मंजिल पर प्रमुख सचिव कार्मिक व उनके स्टाफ के कार्यालय होंगे। तीसरे तल पर वेटिंग लाउंज, उप सचिव, अनुसचिव, अनुभाग अधिकारी आदि के कमरे होंगे। चौथी मंजिल पर मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव, सचिव, विशेष सचिव, संयुक्त सचिव तथा उनके के दफ्तर और एक कांफ्रेंस रूम होगा। पांचवें तल पर मुख्यमंत्री का कार्यालय, कांफ्रेंस रूम, मुख्यमंत्री के लिए वीडियो कांफ्रेस रूम, कैबिनेट लाउंज, कैबिनेट ऑफिस स्टाफ रूम, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री व उनके स्टाफ के लिए कक्ष तथा विधान सभा के सदस्यों के लिए वेटिंग लाउंज आदि होंगे।
ब्लॉक-सी भूमिगत पार्किंग व भूतल सहित सात मंजिला भवन होगा। भूमिगत पार्किंग में 392 और खुली पार्किंग में 22 वाहन खड़े किये जा सकेंगे। भूतल पर पास ऑफिस, वेटिंग लाउन्ज, क्लॉक रूम, आगंतुकों, स्टाफ व अफसरों के लिए कैंटीन, मेडिकल रूम है। इस ब्लॉक में सचिवालय के विभिन्न विभागों के अधिकारियों व कर्मचारियों के दफ्तर  हैं।
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वर्षा जल संचयन का ख्याल
लोक भवन में साउंड इन्सुलेशन के लिए डबल वैक्यूम ग्लास लगाये गए हैं। फर्श पर इटैलियन मार्बल, ग्रेनाइट, विट्रीफाइड टाइल्स व वुडेन फ्लोरिंग की गई है। परिसर में रेन वाटर हार्वेस्टिंग, ट्यूबवेल व सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का प्रावधान किया गया है। भवन में विद्युत 33 केवी सब-स्टेशन, मॉडर्न इलेक्ट्रिकल पैनल, पावर बैकअप के लिए 1000 केवीए के तीन जेनरेटर और केंद्रीय वातानुकूलन और भवनों में बिजली बचाने के इंतजाम किये गए हैं।




Tuesday 27 September 2016

अखिलेश कैबिनेट हाउसफुल

26.09.2016
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मंत्रिमंडल का आठवां विस्तार
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-गायत्री प्रजापति, मनोज पांडेय, शिवाकांत ओझा की वापसी
-रियाज, यासर और रविदास स्वंतत्र प्रभार से बने कैबिनेट मंत्री
-अभिषेक,नरेंद्र, शंखलाल राज्यमंत्री से सीधे बने कैबिनेट मंत्री
-तीन माह बाद जियाउद्दीन की शपथ, पप्पू निषाद मंत्रिमंडल से बाहर
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 लखनऊ : करीब आती चुनावी बेला में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने मंत्रिमंडल का आठवां विस्तार किया। जिसमें पूर्व में बर्खास्त मंत्रियों में से तीन की मंत्रिमंडल में वापसी हुई। एक नया चेहरा शामिल हुआ। स्वतंत्र प्रभार वाले तीन व तीन राज्य मंत्रियों को प्रोन्नत कर मंत्री बनाया गया जबकि खाद्य एवं रसद राज्यमंत्री लक्ष्मी नारायण उर्फ पप्पू निषाद को बर्खास्त कर दिया गया। मंत्रिमंडल में सदस्यों की संख्या 60 हो गई है। कैबिनेट हाउसफुल होने से विस्तार की गुंजायश नहीं रह गयी है। फेरबदल के जरियेब्राह्मïण व मुस्लिम वोटरों को साधने का प्रयास नजर आ रहा है।
 सोमवार को राज्यपाल राम नाईक ने राजभवन के गांधी सभागार में नए मंत्रियों को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलायी। 27 जून को मंत्री नामित हो चुकेजियाउद्दीन रिजवी को सबसे पहले शपथ दिलाई गई। उन्होंने उर्दू और खुदा के नाम पर शपथ ली। 12 सितंबर को बर्खास्तगी के 15वें दिन गायत्री प्रजापति को दूसरे नंबर पर शपथ दिलाकर मंत्रिमंडल में वापसी कराई गयी। मनोज पांडेय को तीसरे व शिवकांत ओझा ने चौथे नंबर पर मंत्री पद की शपथ ली। मत्स्य और सार्वजनिक उद्यम राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रियाज अहमद, परिवहन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) यासर शाह और परिवार कल्याण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रविदास मेहरोत्रा को प्रोन्नत करते हुए कैबिनेट मंत्री की शपथ दिलायी गई जबकि व्यावसायिक शिक्षा राज्यमंत्री अभिषेक मिश्रा, स्वास्थ्य राज्यमंत्री शंखलाल मांझी और समाज कल्याण राज्यमंत्री नरेंद्र वर्मा को प्रोन्नति देते हुए कैबिनेट मंत्री की शपथ दिलायी गई।
नए मंत्रियों की शपथ से पहले मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने खाद्य एवं रसद राज्यमंत्री लक्ष्मीकांत उर्फ पप्पू निषाद की मंत्रिमंडल से छुट्टी कर दी। निषाद संतकबीरनगर के मेहदावल से विधायक हैं। विधानसभा में विधायकों की संख्या के अनुपात में मंत्रिमंडल में 60 सदस्य ही रह सकते हैं। विस्तार से पूर्व मुख्यमंत्री समेत मंत्रिमंडल में कुल 57 मंत्री थे। सोमवार को चार नए मंत्रियों को शामिल करने से एक की छुट्टी की बाध्यता थी।
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गायत्री का चौथा शपथ
अखिलेश यादव सरकार में गायत्री प्रजापति इकलौते ऐसे मंत्री हैं जो साढ़े चार साल की सरकार में एक बार बर्खास्त होने के साथ ही चार बार मंत्री पद की शपथ ले चुके हैं। वर्ष 2013 के विस्तार में उन्हें राज्यमंत्री बनाया गया था। फिर उन्हें राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार की शपथ दिलाई गयी और तीसरी बार कैबिनेट मंत्री की शपथ दिलायी। 12 सितंबर को मंत्रि मंडल से बर्खास्त कर दिया गया और 15वें ही दिन उन्हें चौथी बार मंत्री पद की शपथ दिलायी।
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 नाटकीय घटनाक्रम
 शपथ ग्रहण समारोह में एक नाटकीय घटनाक्रम भी देखा गया। जब मंत्री पद शपथ लेने के बाद गायत्री प्रजापति मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के करीब पहुंचे उन्होंने बधाई स्वरूप हाथ बढ़ा दिया, मगर गायत्री ने कम से तीन बार उनके पैर छुए। मुख्यमंत्री मुस्कुराते रहे और हाथ भी मिलाया। यहां से उठकर गायत्री सीधे सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के करीब पहुंचे और साष्टांग दंडवत के अंदाज में उनके पैर छुए। कैमरे प्रजापति की ओर मुड़े मगर बेफिक्र मंत्री ने इसके बाद शिवपाल सिंह यादव के पैर भी छुए।
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एक हड़बड़ी में, दो अटके
27 जून को मंत्री नामित होने के तीन माह बाद शपथ लेने का मौका मिला तो जियाउद्दीन रिजवी ने राज्यपाल की शुरुआत से पहले ही शपथ शुरू कर दी, राज्यपाल ने टोंका और फिर दोबारा उनकी शुरुआत करायी। इसके बाद प्रोन्नत होकर कैबिनेट मंत्री ने रविदास मेहरोत्रा 'संसूचितÓ शब्द का उच्चारण नहीं कर पाये तो राज्यपाल ने उन्हें भी टोंका। हाजी रियाज उदद्ीन शपथ के दौरान 'संविधानÓ शब्द छोड़ गये तो राज्यपाल ने बीच में टोंककर उनकी शपथ ठीक करायी। समारोह के समापन से पूर्व लोगों के डॉयस के बिल्कुल करीब पहुंच जाने पर राज्यपाल ने एक बार फिर माइक संभाला और लोगों को पीछे कराया, तब राष्ट्रगान की धुन बज सकी।
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मंत्रिमंडल की स्थिति
कैबिनेट मंत्री-           32
राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार- नौ
राज्यमंत्री-              19
मौजूदा मंत्रियों की संख्या- 60
कुल बन सकते हैं- 60
कोई स्थान रिक्त नहीं

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 पहले भी बदलते रहे हैं सरकार के फैसले
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-तमाम आरोपों में हटने के बाद बहाल किये जा चुके 17 में से छह मंत्री
-मॉल की बत्ती बंद करने व विधायकों को कार जैसे फैसले भी हुए वापस
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लखनऊ : तब प्रदेश सरकार को शपथ लिये तीन महीने ही हुए थे। जून में गर्मी की छुïिट्टयां चल रही थीं। बच्चे व बड़े शाम को मॉल्स में घूमने जाते थे, तभी खबर आई कि राज्य सरकार ने शाम सात बजे मॉल्स की बत्ती बंद करने का फैसला किया है। सरकार बनने के बाद यह पहला बड़ा फैसला था, किंतु इसे वापस लेना पड़ा। ऐसे ही सरकार के फैसले बदलते रहे हैं, जिनमें हटाए जाने के बाद छह मंत्रियों की बहाली भी शामिल है।
अखिलेश सरकार बनने के बाद युवा नेतृत्व, पारदर्शिता व दृढ़ इच्छाशक्ति की बड़ी बड़ी बातें हुई थीं। ऐसे में बिजली संकट से निपटने के लिए 17 जून 2012 को मॉल्स की बिजली बंद करने के फैसले की बड़ी आलोचना हुई थी। इसके साथ ही रेस्टोरेंट दस बजे बंद करने का भी फैसला सरकार ने लिया था। बाद में दोनों फैसले वापस लेने पड़े थे। अभी इस फैसले पर बवाल चल ही रहा था कि तीन जुलाई 2012 को विधानसभा में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने विधायकों को विधायक निधि से बीस लाख रुपये तक की कार खरीदने की अनुमति देने का एलान किया। इस फैसले का जोरदार विरोध हुआ। हालांकि इसका लाभ सभी विधायकों को मिलना था किंतु विपक्ष के विधायकों ने इसे स्वीकार नहीं किया। यही नहीं वरिष्ठ सपा नेता मोहन सिंह तक ने इसका विरोध किया था।  अगले दिन ही सरकार को यह फैसला भी वापस लेना पड़ा था।
अखिलेश सरकार के मौजूदा कार्यकाल में ऐसे ही तमाम फैसले हुए हैं। इस दौरान 17 मंत्री हटे, जिनमें से सात दोबारा मंत्री बन गए। इसकी शुरुआत हुई अक्टूबर 2012 में, जब तत्कालीन राज्यमंत्री विनोद कुमार सिंह उर्फ पंडित सिंह को सरकार से बाहर का रास्ता दिखाया गया। फरवरी 2013 में पंडित सिंह दोबारा मंत्री बना दिये गए। मार्च 2013 में पुलिस क्षेत्राधिकारी जियाउल हक की हत्या में नाम आने के बाद रघुराज प्रताप सिंह (राजा भैया) को इस्तीफा देना पड़ा था। सात महीने के भीतर ही अक्टूबर 2013 में राजा भैया को दोबारा मंत्री बनाया गया। इस बीच अप्रैल 2013 में तत्कालीन मंत्री राजाराम पांडेय को बर्खास्त किया गया, जिनका उसी वर्ष निधन भी हो गया। अक्टूबर 2015 में मुख्यमंत्री ने एक साथ आठ मंत्रियों राजा महेंद्र अरिदमन सिंह, अम्बिका चौधरी, शिवकुमार बेरिया, नारद राय, शिवाकांत ओझा, आलोक शाक्य, योगेश प्रताप सिंह व भगवत शरण गंगवार को बर्खास्त किया था। इनमें से नारद राय इसी साल 27 जून को और शिवाकांत ओझा सोमवार को दोबारा मंत्री बन गए। हालांकि इससे पहले नौ मार्च 2014 को बर्खास्त किये गए आनंद सिंह व मनोज पारस दोबारा मंत्रिमंडल में जगह नहीं बना सके। इसी वर्ष 21 जून को मुख्यमंत्री ने बलराम यादव को मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया था। उनका नाम कौमी एकता दल के सपा में विलय के मसले में सामने आया था। यह बर्खास्तगी महज छह दिन चली और 27 जून को बलराम फिर मंत्री बन गए। 27 जून को बर्खास्त हुए मनोज पांडेय सोमवार को हुए विस्तार में मंत्री बनने में कामयाब हुए। पिछले दिनों समाजवादी परिवार के सत्ता संग्र्राम में कुर्सी गंवाने वाले राज किशोर सिंह व गायत्री प्रजापति में भी गायत्री दोबारा मंत्री बनने में सफल हो गए।

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चलते-चलते खेला ब्राह्मïण-मुस्लिम कार्ड
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- ब्राह्मïणों को साइकिल पर सवार कराने का दारोमदार अब मनोज, अभिषेक, शिवाकांत के कंधों पर
- मुस्लिमों को जोडऩे का नैतिक दबाव रियाज, यासर पर
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परवेज अहमद, लखनऊ : चुनावी बिसात पर जातीय समीकरणों के पांसे ठीक पड़ जाएं तो हार भी जीत में बदल जाती है! संभवत: आखिरी फेरबदल में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इसी सियासी नुस्खे पर चलकर ब्राह्मïण-मुस्लिम गठजोड़ बनाने पर दांव लगाया है। जिसकी सफलता-असफलता का आकलन विधानसभा चुनावों के परिणाम आने पर होगा, पर चुनौती उन मंत्रियों की बढ़ी है, जिन पर मुख्यमंत्री व समाजवादी पार्टी ने भरोसा जताया है।
प्रदेश में 13 फीसद ब्राह्मïण और 19 फीसद के करीब मुसलमान मतदाता है। अयोध्या आंदोलन के समय सेही मुस्लिम कांग्र्रेस छोड़कर समाजवादी पार्टी के साथ आ गया था, वर्ष 2012 में समाजवादी सरकार बनने के बाद के कुछ सियासी व आपराधिक घटनाक्रमों ने इस वर्ग में असमंजस पैदा किया है। जिसे भांपकर अखिलेश यादव ने मंत्रिमंडल के आठवें विस्तार में सुन्नी मुसलमान जियाउद्दीन रिजवी को मंत्री बनाकर पूर्वांचल के मुसलमानों में अपनी पकड़ बरकरार रखने का प्रयास किया है तो गन्ना पट्टी केरियाज अहमद को स्वतंत्र प्रभार के राज्यमंत्री से कैबिनेट मंत्री बनाकर इस क्षेत्र के मुसलमानों को सकारात्मक संदेश देने का प्रयास किया है। यासर शाह की छवि यूं तो मुस्लिमों में प्रभाव वाले नेता की नहीं है मगर अवध क्षेत्र में उनके पिता व पूर्वमंत्री वकार शाह का मुसलमानों में खासा प्रभाव रहा है, शाह के जरिये उसे प्रभाव को सपा के पक्ष में भुनाने का प्रयास किया गया है।
विस्तार में जिस दूसरे वर्ग को अधिक तवज्जो मिली, वह 13 फीसद मतदाताओं वाला ब्राह्मïण समाज है। मनोज पांडेय, शिवकांत ओझा को फिर से मंत्री बनाकर और अभिषेक मिश्र को राज्यमंत्री से सीधे कैबिनेट मंत्री बनाकर अखिलेश यादव ने ब्राह्मïण वोटों के लिए चल रहे 'युद्धÓ में खुद को मजबूत योद्धा साबित करने का प्रयास किया है। इतिहास पर नजर डालें तो वैचारिक रूप से प्रतिबद्ध वर्ग से इतर ब्राह्मïण परिस्थितियों या सजातीय क्षत्रप के इशारे पर ही समाजवादी पार्टी के पक्ष में मतदान करता रहा है। सोमवार को मुख्यमंत्री ने जिन पुराने ब्राह्मïण सेनापतियों पर दांव लगाया गया है, उन पर कांग्रेस, भाजपा और बसपा के ब्राह्मïण रिझाओ अभियान में घुसपैठ करने का नैतिक जिम्मा आ गया है। चुनावी इम्तिहान में वह कितने कारगार हुए, यह विधानसभा चुनाव के परिणाम से साफ होगा। हालांकि सरकार में विजय मिश्र, पवन पांडेय, ब्रह्मïशंकर त्रिपाठी, शारदा प्रताप शुक्ल के रूप में ब्राह्मïणों की  नुमाइंदगी है। यही नहीं, अति पिछड़े समाज के शंखलाल माझी और कूर्मी समाज से ताल्लुक रखने वाले नरेंद्र वर्मा को तरक्की देकर समाजवादी पार्टी ने राज्य को दोनों बड़े वोट बैंक पाले में रखने का प्रयास किया है। सपा इससे पहले भी कूर्मी वोटों के लिए बेनी वर्मा को राज्यसभा भेज चुकी है। मुख्यमंत्री की ये सियासी इंजीनियरिंग से साफ है कि उन्होंने वोट बैंक बढ़ाने की पहल की  मगर असर कितना हो पाएगा इसमें संदेह है।
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 मनोज, ओझा की चुनौती बढ़ी
विधानसभा चुनाव डुगडुगी पहले मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मनोज पांडेय और शिवाकांत ओझा को मंत्रिमंडल में वापस लेकर जो ब्राह्मïण कार्ड खेला है, उससे दोनों की चुनौती बढ़ गयी है। दरअसल, मनोज समाजवादी पार्टी की प्रबुद्धसभा के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं और लोकसभा चुनाव में पार्टी ने उन्हें ब्राह्मïण चेहरा बनाकर अभियान में झोंका था। उनके साथ शिवाकांत ओझा और दूसरे मंत्री भी लगाये थे, मगर उस समय ब्राह्मïणों ने सपा को उस अंदाज में समर्थन नहीं किया था, जैसी उनसे अपेक्षा थी।

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 गायत्री को ओहदा वापस मिला पर संकट बरकरार
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-सीबीआइ जांच की आंच मंत्री तक पहुंची तो होगी दुश्वारी
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लखनऊ : भूतत्व एवं खनिकर्म मंत्री पद से बर्खास्त होने के 15वें दिन ही फिर गायत्री प्रजापति मंत्री तो बन गए हैं, मगर पूर्व के विभाग में चल रही सीबीआइ जांच के चलते संकट मंडराता रहेगा।
गायत्री प्रसाद प्रजापति खनन विभाग संभालने के कुछ दिनों बाद ही विवादों में आ गए। उन पर विपक्षी दलों और स्वयंसेवी संस्थाओं ने गंभीर आरोप लगाए। माफिया का सिंडीकेट बनाकर अवैध खनन कराने का उन पर आरोप लगा। पर्यावरणविद और कई प्रमुख लोग गायत्री के खिलाफ सड़क पर उतरे मगर सपा मुखिया बचाव में खड़े दिखे। इस बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर उनके प्रदेश में अवैध खनन की सीबीआइ जांच शुरू हो गई। इस पूरे प्रकरण का परीक्षण कराने के बाद आखिर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने 12 सितंबर को गायत्री प्रजापित को मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया था। इसके चलते सपा परिवार में जो रार शुरू हुई वह संग्र्राम तक पहुंच गई। शांति का जो फार्मूला बना उसमें गायत्री प्रजापित को फिर से मंत्री पद लौटाने की बात हुई, जिस पर सोमवार को अमल को हो गया, मगर मुश्किल यह है कि अवैध खनन, बाधित बढ़ाने, पट्टों के नवीनीकरण में खामियों अब भी सीबीआइ जांच चल रही है और अगर सीबीआइ जांच की आंच विभागीय अधिकारियों से होते हुए गायत्री प्रजापति तक पहुंच गई तब उनके लिए फिर मुश्किल होगी। कानून के विशेषज्ञों का कहना है कि गायत्री को ओहदा तो मिल गया है मगर संकट की तलवार लटकती रहेगी।
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हाईकोर्ट में याचिका : मंत्री गायत्री प्रजापति के खिलाफ लंबे समय से अभियान चल रही नूतन ठाकुर ने 26 दिसंबर 2014 को गायत्री के खिलाफ लोकायुक्त के यहां शिकायत दाखिल की थी। 25 मई 2015 को लोकायुक्त ने साक्ष्य के अभाव में जांच बद कर दी। इसके बाद नूतन ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में एसआइटी जांच के लिए याचिका दाखिल की। यह याचिका कोर्ट में लंबित है। अब गायत्री को दोबारा मंत्री बनाये जाने के खिलाफ नूतन ने नई याचिका दाखिल की है।
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विभाग बंटवारे पर निगाहें
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-मंत्रियों ने मुलायम अखिलेश के घर जाकर आभार जताया
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 लखनऊ : मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का मंत्रिमंडल 'हाउस फुलÓ होने के बाद अब नये व प्रोन्नत वजीरों के विभागों पर निगाहें लग गयी हैं। हालांकि मुख्यमंत्री ने पार्टी अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव और प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव के साथकार्य बंटवारे पर चर्चा कर ली है। एक-दो दिन में विभागों के बंटवारे की उम्मीद है।
आठवें विस्तार में अखिलेश यादव ने चार नये मंत्रियों को मंत्रिमंडल में शामिल करने और छह को प्रोन्नति देने व एक राज्यमंत्री को मंत्रिमंडल से बाहर करने के बाद उनके विभागों के बंटवारे पर मंथन किया। सपा सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री ने इस संबंध में पार्टी अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव, प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव के साथ विक्रमादित्य मार्ग स्थित मुलायम के आवास पर चर्चा की और अपनी प्राथमिकताएं भी बतायीं। सूत्रों का कहना है कि  विभागों के बंटवारे पर राय बन गयी है।
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मुलायम-अखिलेश के घर पहुंचे मंत्री
शपथ लेने के बाद मंत्री सीधी विक्रमादित्य मार्ग स्थित मुलायम सिंह यादव के घर पहुंचे और उनसे आशीर्वाद लिया। मुलायम ने मंत्रियों को विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुट जाने का संदेश दिया और सरकार का कामकाज जनता तक पहुंचाने का जिम्मा सौंपा। सपा मुखिया से मिलने जाने वालों में गायत्री प्रजापति, मनोज पांडेय, शिवाकांत ओझा, हाजी रियाज अहमद, शंखलाल मांझी, रविदास मेहरोत्रा और नरेंद्र वर्मा शामिल थे। यहां से निकलकर मंत्री मुख्यमंत्री के सरकारी आवास पहुंचे और उनका आभार व्यक्त किया। मुख्यमंत्री ने भी चुनावी तैयारी में जुटने का संदेश दिया।
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मुख्यमंत्री ने सिफारिश मानी : मुलायम
 लखनऊ : मंत्रियों के शपथ ग्र्रहण समारोह में एक गायत्री प्रजापति को लेकर पूछे गये सवाल पर सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने कहा कि गायत्री प्रजापति कर्मठ कार्यकर्ता हैं, पिछड़ी जाति के हैं। मैंने उनके समेत किसी को भी मंत्री नहीं बनवाया है। कुछ सिफारिशें की थी, जिसे मुख्यमंत्री ने मान लिया। कहा कि नये मंत्रियों को बधाई और उम्मीद है कि वह अच्छा काम करेंगे।
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शपथ, सेल्फी और कोहनी
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- राष्ट्रगान चलता रहा लोग सेल्फी में लगे रहे
- सपा मुखिया के लिए मुख्यमंत्री ने कुर्सी छोड़ी
- नाईक ने उठाकर दिया मुलायम को पानी का गिलास
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 लखनऊ : जाने कितने शपथ ग्रहण का मेजबान रहा राजभवन सोमवार को ऐसे पलों का गवाह बना, जिसे नजीर के रूप में याद किया जाएगा। एक, शपथ के बाद मंत्री का पार्टी मुखिया के चरणों में साष्टांग करना। दो, सेल्फी की चाहत में राष्ट्रगान का सम्मान भुलाना। तीन, सुरक्षा कर्मियों द्वारा मेहमानों को 'कोहनीÓ का शिकार बनाना।
राजभवन ने शपथ ग्रहण के लिए सोमवार 12 बजे का समय निर्धारित किया, राजभवन प्रशासन ने शपथ लेने वालों के लिए दस कुर्सियां लगाई, मगर निर्धारित समय तक सिर्फ आठ नामित लोग पहुंचे... बचे हुए दो लोगों पर कयास लगना शुरू हुआ। घड़ी की सुइयां 12.30 तक के करीब पहुंची। तब शंखलाल और रविदास मेहरोत्रा ने आरक्षित कुर्सियों पर आसन जमाया। कुछ सेकेंड बाद सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव और प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव एक साथ राजभवन के गांधी सभागार पहुंचे और पीछे-पीछे राज्यपाल राम नाईक व मुख्यमंत्री वहां पहुंच गए। अब तक सब सामान्य था। मगर दूसरे नंबर पर शपथ लेने के बाद मंत्री गायत्री प्रजापति सीधे सपा मुखिया के पास पहुंचे और उनके पैर पकड़कर बैठने का उपक्रम किया। छायाकार उधर मुड़े। उत्सुकता में हाल में मौजूद लोग भी उस दृश्य को देखने की प्रयास करने लगे। दूसरी ओर मनोज पाण्डेय की शपथ चलती रही। मुख्यमंत्री अखिलेश चिर परिचित अंदाज में दृश्य देख मुस्कुराते रहे, आखिर हाथ उठाकर लोगों को बैठने का इशारा किया। उस समय तक मनोज की शपथ पूरी हो गई थी। शपथ का सिलसिला थमा। लोग सेल्फी लेने में इस कदर मशगूल हो गये और मुख्य सचिव ने 'राज्यपाल की आज्ञा से समारोह का सम्पन्न होने का एलान किया, जो अनसुना हो गया।Ó राज्यपाल ने टोका तो कुछ पल को स्थिरता आई। राष्ट्रगान शुरू हो गया मगर सेल्फी का सिलसिला चलता रहा। और फिर स्वल्पाहार कक्ष में घुसने व बाहर निकलने के प्रयास में कई लोगों को सुरक्षा कर्मियों की कोहनियों का शिकार होना पड़ा। हां, यहां का दृश्य सियासी प्रतिबद्धताओं से ऊपर था। कक्ष में सपा मुखिया पहुंचे तो मुख्यमंत्री ने उनके लिए अपनी कुर्सी छोड़ दी और दूसरे ओर जम गये। एक मंत्री ने उनके बगल में बैठने का प्रयास किया तो उसे रोक अहमद हसन को अपने करीब बैठाया। ऐसे ही नाश्ता करने के बाद मुलायम ने पानी का गिलास उठाने का उपक्रम किया तो  राज्यपाल राम नाईक ने झट से उन्हें गिलास थमाया।

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सपा से निकाले गये लोगों की गलती नहीं : रामगोपाल
-इन लोगों को पार्टी में वापस लिया जाये
-अखिलेश में एक दिन बनेंगे प्रधानमंत्री
 इटावा : सपा के राष्ट्रीय महासचिव प्रो. रामगोपाल यादव ने कहा कि उनकी नेताजी मुलायम ङ्क्षसह यादव से मांग है कि जिन लोगों को पार्टी से निकाला गया है उन्हें वापस ले लिया जाये। उन्हें उम्मीद है नेताजी बड़े दिल के हैं और इन लोगों को पार्टी में वापस ले लेंगे। उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव एक दिन देश के प्रधानमंत्री बनेंगे।
सोमवार को जिला पंचायत अध्यक्ष के आवास पर पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि उनके भांजे एमएलसी अरङ्क्षवद यादव पर अवैध कब्जे के आरोप गलत हैं। इन आरोपों की उन्होंने ही जिलाधिकारी मैनपुरी से शिकायत होने पर जांच करायी थी, यह आरोप जिन लोगों द्वारा लगाये जा रहे हैं वे सही नहीं हैं। आनंद भदौरिया, साजन ङ्क्षसह का भी पार्टी में बड़ा योगदान है। उन्हें विश्वास है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष इनकी गलती माफ करते हुए वापसी करेंगे। पार्टी में कोई भी बाहरी व्यक्ति नहीं है। यह बात उन्होंने कभी नहीं कही। यह मीडिया द्वारा बनायी गयी बात है। जो व्यक्ति पार्टी के अंदर आ गया वह हमारा ही है। सपा व परिवार में कोई फूट नहीं है। सभी लोग मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को अगला मुख्यमंत्री देखना चाहते हैं। अखिलेश यादव अगले 25 साल तक पार्टी का चेहरा हैं और उसी के लिए सभी लोग मिलकर काम करेंगे। रामगोपाल ने कहा कि उन्हें पद की कोई लालसा नहीं है। वह जीवन में मंत्री पद नहीं लेंगे।