Tuesday 15 November 2016

सपा के सामने गाजीपुर रैली में भीड़ जुटाने की चुनौती

 सपा के सामने गाजीपुर रैली में भीड़ जुटाने की चुनौती
- 23 नवंबर की रैली के लिए बैठकें जारी
- प्रभारियों को सौंपा गया भीड़ जुटाने का लक्ष्य
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 लखनऊ : पूर्वांचल में अपनी पैठ और मजबूत करने को प्रयासरत समाजवादी पार्टी के सामने 23 नवंबर को गाजीपुर में प्रस्तावित रैली में प्रधानमंत्री की रैली से ज्यादा भीड़ जुटाने की चुनौती है। सलाहकार, उपाध्यक्ष पदों पर आसीन 42 नेताओं को प्रभारी नियुक्त करने के बाद अब युवजनसभा व महिला सभा को भी प्रत्येक जिले से भीड़ जुटाने का लक्ष्य सौंपा गया है।
सियासी हलकों में माना जाता है कि पूर्वांचल की जनता जिस ओर झुकती है, उसी सियासी दल का पलड़ा भारी हो जाता है। ïवर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव तक इस क्षेत्र में समाजवादी पार्टी का प्रभाव रहा है। लोकसभा चुनाव से परिस्थितियों में थोड़ा बदलाव दिखा। अब विधानसभा चुनाव का समय करीब है और सभी सियासी दल अपने खम ठोंकते नजर आ रहे हैं। पांच सौ व एक हजार की नोटबंदी के फैसले के बाद सपा समेत विपक्षी दल इससे किसानों, दैनिक वेतनभोगियों, मध्यवर्ग के सामने खड़ी दुश्वारियों को उठा रहे हैं, उसी दौर में 14 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कम्युनिस्टों, सोशलिस्टों के प्रभाव वाले गाजीपुर में बड़ी रैली और नोट बंदी पर जनता का समर्थन मांगने का दांव चल दिया है। ऐसे में 23 नवंबर को होने वाली सपा की रैली में जुटने वाली भीड़ की तुलनाप्रधानमंत्री की रैली में आयी भीड़ से भी होगी। उस कौमी एकता दल की क्षमता का आकलन होगा, जिसने सपा के क्षत्रपों में मतभेदों के बावजूद अपना विलय स्वीकारा है। सपा की चुनौती बड़ी इसलिए भी है किमुलायम सिंह यादव को इसमें हिस्सा लेना है। यह चुनाव से पहले उनकी रैलियों की शुरुआत होगी।
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युवजन सभा की बैठक हुई
प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव की मौजूदगी में सपा के प्रदेश कार्यालय में युवजनसभा के पदाधिकारियों ने रैली की तैयारियों पर चर्चा की। तय किया गया कि प्रत्येक जिले के पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं को गाजीपुर की रैली में पहुंचने के लिए कहा जाएगा।
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मुलायम की मुख्यमंत्री संग बैठक
सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने मंगलवार को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव के साथ 16 नवंबर से शुरू होने जा रहे संसद के शीतकालीन सत्र में नोटबंदी का मुद्दा उठाने और 23 नवंबर की गाजीपुर की रैली पर चर्चा की। सूत्रों का कहना है कि इस बैठक में प्रो. राम गोपाल यादव के बयान और निष्कासित चल रहे युवा कार्यकर्ताओं की वापसी पर भी बात हुई। हालांकि इस संबंध में अधिकृत रूप से किसी ने कुछ नहीं कहा।
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