-उत्तर प्रदेश में गठबंधन की संभावना पांचवें दिन खारिज
-दूसरी बार सपा की ओर से खारिज हुआ एका का प्रयास
लखनऊ : 'जनता परिवारÓ में एका का दूसरा प्रयास भी असफल हो गया। समाजवादी पार्टी (सपा) के सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने दो टूक कहा कि वह किसी भी दल से गठबंधन नहीं करेंगे, जो सांप्रदायिकता के खिलाफ मिलकर चुनाव लडऩा चाहते हैं, वह सपा में विलय कर लें। कुछ ने विलय कर लिया है। मुलायम ने गठबंधन के प्रयास शुरू होने के पांचवें दिन ही उसे खारिज कर दिया। इस निर्णय को यादव के परंपरागत चरखा दांव के रूप में देखा जा रहा है।
गुरुवार को सपा के प्रदेश कार्यालय में आयोजित पत्रकारवार्ता में एक सवाल के जवाब में मुलायम सिंह ने जोर देकर कहा कि विधानसभा चुनाव में वह किसी से गठबंधन नहीं करेंगे। यहीं नहीं रुके कहा कि जो मिलकर चुनाव लडऩा चाहते हैं, वे सपा में विलय कर ले। कुछ दलों ने विलय कर लिया है। इशारा कौमी एकता दल की ओर था।
एका का यह प्रयास लोकसभा चुनाव में गैरभाजपा दलों के सफाये के बाद शुरू हुआ था, तब सपा के शिवपाल यादव ने जनता परिवार की एकजुटता किया, जो तेजी आगे बढ़ा। मुलायम को परिवार के अध्यक्ष चुन लिया गया, बिहार चुनाव गर्माते ही तत्कालीन रणनीतिकार प्रो.राम गोपाल यादव के इशारे पर सपा महागठबंधन से अलग हो गई थी, हालांकि उस समय सपा पर भाजपा के इशारे पर गठबंधन से अलग होने के इल्जाम लगे थे।
समाजवादी परिवार में चला रही वर्चस्व की लड़ाई 12 सितंबर से सड़कों पर आ गई और अक्टूबर में उस पर शांति की चादर पडऩे के फौरन बाद श अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने गांधी, चरणसिंह और लोहियावादियों को फिर से एकजुट कर विधानसभा चुनाव में सांप्रदायिक शक्तियों से मुकाबला करने का दावा किया। मुलायम सिंह की सहमति होने की बात कही गई और पांच नवंबर को सपा की रजत जयंती में जनता दल (एस) के मुखिया एचडी देवगौड़ा, राष्ट्रीय लोकदल के अजित सिंह, जनता दल (यूनाइटेड) के शरद यादव, राजद प्रमुख लालू यादव व इंडियन नेशनल लोकदल के अभय चौटाला ने केन्द्र की सत्ता से भाजपा को खदेडऩे की उत्तर प्रदेश से शुरूआत करने के लिए एकजुटता पर जोर दिया। मुलायम ने भी कहा था कि जिस तरह की चुनौतियां है, उसमें सब का साथ लिए बिना सरकार नहीं बनाई जा सकती है। गैर बराबरीवाद को खत्म करने के लिए गठबंधन की जरूरत जतायी थी। इससे लगा की जनता परिवार फिर एका की ओर बढ़ रहा है। इस बीच कई तरह की ना नुकर के बाद भी कांग्रेस के चुनाव प्रबंधक प्रशांत किशोर उर्फ पीके ने दिल्ली में मुलायम से दो चरणों की बात की। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से भी मिले। मुख्यमंत्री ने मुलाकात को सार्थक भी बताया, हालांकि जाहिरा तौर पर वह गठबंधन के प्रति उत्साहित नहीं रहे। बुधवार को भी एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कहा वह बिना किसी गठबंधन से बहुमत की सरकार बनायें और गठबंधन हो गया तो तीन सौ सीटें जीतेंगे। उनके इस बयान को सकारात्मक संकेत माना गया, मगर गुरुवार को मुलायम सिंह यादव ने दो टूक कहा दिया वह किसी से भी गठबंधन नहीं करेंगे और जिस अंदाज में उन्होंने कहा कि अगर कोई मिलकर लडऩा चाहता है तो सपा में विलय करे। राजनीतिक विश्लेषक इसे भी मुलायम के चरखा दांव के रूप में देख रहे हैं और माना जा रहा है कि मुलायम सिंह यादव 'अब वह कोई फैसला नहीं करना चाहते हैं जिसमें मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की खुशी भरी मंशा न हो।Ó
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