Thursday 1 December 2016

ममता का इस्तकबाल कर अखिलेश ने फिर खोले रिश्तों के द्वार

28 nov 2016
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-नोटबंदी के खिलाफ लखनऊ में ममता का धरना-प्रदर्शन आज
-यादव ने प्रदर्शन का मंच साझा किया तो खुलेंगे नए सियासी द्वार
-वर्ष 2012 में राष्ट्रपति चुनाव के दौरान टीएमसी और सपा में बढ़ी थी दूरी
लखनऊ : नोटबंदी के विरोध में प्रदर्शनों की श्रंखला शुरू करने लखनऊ पहुंची पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का एयरपोर्ट पर इस्तकबाल कर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने नए सियासी रिश्तों के द्वार खोलना शुरू किया है। यह सवाल उठ गया है। मंगलवार को यादव ने तृणमूल कांग्र्रेस (टीएमसी) के प्रदर्शन का मंच साझा किया तो उसे गैरभाजपा, गैरकांग्रेस के एका की दिशा में पहल के रूप में भी देखा जाएगा।
आठ नवंबर को पांच सौ और एक हजार के नोट अमान्य करने की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की घोषणा के विरोध का पहला मोर्चा ममता बनर्जी ने संभाला था, जिसे वह न सिर्फ बढ़ा रही हैं बल्कि अब राज्यों की राजधानी में धरना-प्रदर्शन का निर्णय लिया है। शुरूआत 29 नवंबर को लखनऊ से होनी है, जिसमें हिस्सा लेने के लिए ममता 28 नवंबर की शाम लखनऊ एयरपोर्ट पर उतरी तो आगवानी के लिए मुख्यमंत्री अखिलेश अपने करीबी मंत्री राजेन्द्र चौधरी के साथ मौजूद थे। यहां पूछे गए सवाल पर अखिलेश यादव ने कहा कि 'वह (ममता) उनसे सीनियर है। यूपी आई है इसलिए इस्तकबाल को गये थे।Ó इस दावे से इतर यादव की इस पहल को रिश्तों के मजबूती का नया प्रयास माना जा रहा है। वर्ष 2012 के राष्ट्रपति चुनाव से पहले सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव व ममता बनर्जी के बीच अच्छे राजनीतिक रिश्ते थे। मगर राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी को लेकर मतभेद हो गये थे। इसके बाद से दोनों दलों के बीच दूरी बढ़ गई थी, मगर जब ममता बनर्जी ने दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली तब अखिलेश यादव वहां मौजूद थे। जिससे रिश्तों की दूरियां कम हुई थी।
नोटबंदी को लेकर तृणमूल कांग्र्रेस व समाजवादी पार्टी का रुख एक जैसा है। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव करीब हैं, ऐसे में ममता के प्रदर्शन की शुरूआत लखनऊ से करने के राजनीतिक मायने हैं। जैसी की संभावना है कि अखिलेश मंगलवार को प्रदर्शन में ममता का मंच साझा कर सकते हैं।  ऐसा हुआ तो यह नोटबंदी के बहाने भविष्य के नये सियासी समीकरणों का संकेत होगा। और यह भी साफ होगा कि सत्ता के पांचवे साल में अखिलेश ने यूपी के बाहर की राजनीति में भी पांव पसारना शुरू किया है। लखनऊ में ममता ने भी स्वीकारा कि नोटबंदी के मुद्दे पर हम साथ-साथ हैं। नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री पद से हटाने तक संघर्ष जारी रहेगा।
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