Thursday 1 December 2016

11 nov-16...और शब्दों की जुगाली पर लगे ठहाके


...और शब्दों की जुगाली पर लगे ठहाके

-राज्यपाल राम नाईक पुस्तक चरैवेति! चरैवेति! के हिन्दी, उर्दू, अंग्र्रेजी संस्करणों का हुआ लोकार्पण
-गृह मंत्री, मुख्यमंत्री, मुलायम सिंह यादव समेत कई हस्तियां पहुंची
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लखनऊ :...यूं तो मंच राजभवन के अंदर था, मगर विराजमान सियासत के योद्धा थे। बात संघर्ष और शब्दों से जीवन को मिले अर्थ की छिड़ी तो योद्धाओं ने प्रदेश के वाकयों को केन्द्रित एक दूसरे पर खूब शब्द वाण छोड़े...जिसने श्रोताओं, दर्शकों को खूब गुदगुदाया।
 राज्यपाल राम नाईक के जीवन व सियासी संस्मरण पर  आधारित पुस्तक चरैवेति! चरैवेति! के ङ्क्षहदी, उर्दू व अंग्रेजी में अनूदित संस्करणों के लोकार्पण के लिए राजभवन में समारोह था, जिसकी शुरूआत में खुद नाईक ने साफ किया पुस्तक के शीर्षक का अर्थ है चलते रहो, चलते रहो। विश्लेषित किया ठहर जाने का मतलब सब कुछ ठहर जाना होता था, यही लाइनें 81 साल की उम्र में भी काम के लिए प्रेरित करती हैं...और बताया कि बचपन से लेकर सियासी उतार-चढ़ाव के संस्मरण पुस्तक के रूप में संजोया है। यहां तक तो बात पुस्तक की थी, शब्दों की इसी श्रंखला बढ़ाते हुए नाईक ने उर्दू में अनूदित पुस्तक की प्रस्तावना लिखने वाले व इन दिनों कांग्र्रेस की मुख्यधारा से दूर दिख रहे अम्मार रिजवी की ओर इशारा करते हुए कहा कि 'यहां आकर पता चला कि प्रदेश में एक्टिंग मुख्यमंत्री भी हुए हैं, वह यही रिजवी थे। ऐसे कहीं और नहीं सुना।Ó अम्मार की राजनीतिक तरीकों को समझने वाले ठहाके फूट पड़े...नाईक ने संसद, विधानसभा में उठाए अपने सवालों, एक निजी विधेयक का विस्तार से जिक्र करते हुए कहा कि ये सारे संस्मरण किताब में हैं।...और बारी रिजवी की आई तो उन्होंने वहां मौजूद मुलायम सिंह, अखिलेश यादव की शान में कसीदे काढ़े। गृहमंत्री राजनाथ सिंह को मुसलमानों का रहनुमा ठहराया मगर विधानसभा अध्यक्ष रहते हुए केशरीनाथ त्रिपाठी के विधायकों के दल पर दिये गये निर्णय के एक शेर के जरिये जिस अंदाज में उभारा, उससे हाल में फिर खिलखिलाहट गूंज उठी...मगर केशरीनाथ त्रिपाठी संयमित रहे और कहा कि संस्मरण बिना उद्देश्य के नहीं होता। यह समाज के लिए दिशा सूचक होगा। मगर मुख्यमंत्री अखिलेशयादव कहां चूकने वाले थे, बारी आई तो किताब खरीदने के लिए डेबिट व क्रेडिट कार्ड का भी उपयोग करने जानकारी पर चुटकी लेते हुए कहा कि 'मैं तो कहता हूं मंच पर बैठे लोग फैसला लें तो फिर पुराने नोटों से किताबें खरीदी जा सकती हैं।Ó चूंकि वह सुबह निजी अस्पतालों में पुराने नोट स्वीकारे जाने की तिथि बढ़ाने का पत्र केन्द्र को लिख चुके थे और मंच पर राजनाथ सिंह थे, जो प्रधानमंत्री के जापान में होने के चलते गृहमंत्री के रूप में प्रभावी थे, लोगों ने इसका मंतव्य समझकर खूब तालियां बजायीं। कहा कि नाईक से सरकार चलाने का बारे में ढेरों बातें सीखी हैं। ...अब बारी गृह मंत्री की थी, हाजिर जवाबी के लिए मशहूर राजनाथ सिंह ने कहा कि राज्यपाल का पद कम चुनौती पूर्ण नहीं होता। राज्य में जिस दल की सरकार होती है, उसी से ताल्लुक रखने वाला राज्यपाल हो तब भी दुश्वारी होती है। और अगर दल अलग हों तो मामला ज्यादा चुनौती पूर्ण होता है, मगर राम नाईक ने दोनों के बीच सामंजस्य बनाया है। फिर मुख्यमंत्री की ओर इशारा कर कहा 'क्यों अखिलेश सहमत होÓ? फिर लोगों की हंसी फूटी। क्योंकि लोग जानते हैं कि राज्यपाल ने सरकार के ढेरों फैसलों पर सांविधानिक सवाल उठाये हैं।
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परिवार को दिया श्रेय
समारोह में  राज्यपाल की पत्नी कुंदा नाईक, बेटी डॉ. निशिगंधा नाईक व विशाखा नाईक कुलकर्णी मौजूद थी। राज्यपाल अपने सामाजिक कार्य की सफलता का श्रेय अपनी पत्नी व बेटियों को देते हुए कहा कि यह पुस्तक उनके सहयोगियों और शुभचिंतकों को समर्पित है। इस मौके पर राज्य सरकार के ढेरों मंत्री, अधिकारी, सांविधानिक पदों पर आसीन लोग मौजूद थे। राज्यपाल ने पुस्तक का अनुवाद करने वालों व प्रकाशकों का सम्मान भी किया।

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