26 nov 2016
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-पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने नोटबंदी पर प्रधानमंत्री पर किया हमला
-बोले, खुद का धन निकालने से रोकने वालों पर चल सकता है आपराधिक मुकदमा
लखनऊ : पूर्व केंद्रीय मंत्री व राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने नोटबंदी को नासमझी भरा फैसला बताया। कहा कि प्रधानमंत्री मोदी कीझूठी बातों से परेशान जनता भी अब कहने लगी है कि अच्छे नहीं, सच्चे दिन चाहिए।
शनिवार को प्रदेश कार्यालय पर पत्रकारों से बातचीत में कपिल सिब्बल ने नोटबंदी के कारण देश की अर्थव्यवस्था चरमराने का इल्जाम लगाया। कहा कि डालर की तुलना में रुपया न्यूनतम स्तर पर है। कई देशों में नोटबंदी हुई मगर किसी ने बैंकों में रखी नागरिकों की रकम निकालने पर रोक नहीं लगाई। धन निकासी पर रोक आपराधिक षड्यंत्र है। इसके लिए मुकदमा चल सकता है। सिब्बल ने कहा कि नोटबंदी के समय देश में 16.4 लाख करोड़ की कैश इकोनॉमी (नकदी की अर्थव्यवस्था) थी। इसमें से पांच सौ व एक हजार रुपये की शक्ल में 14.66 लाख करोड़ रुपये थे यानी कैश इकोनॉमी के रूप में 86 फीसद राशि बंद हुए नोटों में है। अब इसे काला धन बताया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने ढाई साल की सरकार की नाकामी से ध्यान हटाने व उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों के चुनावों में लाभ लेने के लिए लोगों को मुश्किल में डाल दिया। नोटबंदी से पहले भाजपा ने बिहार में जमीने कैसे खरीदी और पश्चिम बंगाल में भारी रकमें कैसे जमा हुई।
प्रधानमंत्री पर व्यंग्य करते हुए सिब्बल ने कहा कि देश के 'चौकीदारÓ डार्क चश्मा उतार कर देखें, गरीब रातों-रात जग रहा है और काले धन वाले मगरमच्छ सुकून से सो रहे हैं। प्रधानमंत्री को यह पता नहीं कि आर्थिक एक्सीडेंट हो गया है, जिसमें घायल गरीबों को पता नहीं है कि इलाज कहां करायें। कहा कि मुझे शर्म आती है कि देश की कमान ऐसे व्यक्ति के हाथ में है जो फैसला लेता है पर उसे ठीक से बढ़ाना नहीं जानता।
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खर्च ऑनलाइन क्यों नहीं करते?
सिब्बल ने कहा कि प्रधानमंत्री चुनावी राज्यों में दौरे कर रहे हैं। अपनी बेवसाइट पर क्यों नहीं बताते हैं कि जनसभा स्थल पर कितनी कुर्सी थी। कितना बड़ा टेन्ट था। कितनी कालीन बिछी थी। मंच बना था। एसी थे। यात्रा पर कितना खर्च हुआ। धन कहां से लग रहा है। क्या वह इसका भुगतान स्वाइपिंग मशीन से कर रहे हैं।
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मौन थे, वह बोल रहे और बोलने वाले मौन
सिब्बल ने कहा कि मोदी जिस पूर्व प्रधानमंत्री पर मौन का इल्जाम लगाते थे, वह अर्थव्यवस्था पर खूब बोल रहे हैं। जो बोलने का दावा करते थे वह सदन में मौन रहते हैं और बाहर बोलते हैं। कहा कि सदन में बोलने पर सनद हो जाएगा। जनता जवाब मांगेगी, बाहर तो जुमला कहा जाएगा। द्वार चूमकर लोकसभा में प्रवेश करने वाले प्रधानमंत्री सदन में बात सुनने और रखने से भागने लगे हैं। सिब्बल ने प्रधानमंत्री को वादा खिलाफ ठहराते हुए पांच वादे गिनाये और सवाल किया कि क्या एक भी पूरा हुआ।
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यहां तो बैंक ही नहीं
सिब्बल ने कहा कि नार्थ ईस्ट, हिमांचल, उत्तराखंड, आंध्र प्रदेश के दूर दराज इलाकों में बैंक ही नहीं है। इन क्षेत्रों के लोग कहां जाएंगे? यह भी नहीं सोचा गया। सिब्बल ने दावा कि देश की 125 करोड़ जनसंख्या में से सिर्फ 60 करोड़ लोगों के पास ही बैंक खाते हैं। इनमें से 32 करोड़ लोगों के खातों में लगातार लेनदेन नहीं होता है। ऐसे लोगों के पास मौजूद धन क्या काला धन है।
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धन नहीं, ट्रांजेक्शन काला होता है
सिब्बल ने कहा कि धन काला नहीं होता है। उसके ट्रांजेक्शन (लेन-देन) काला होता है। इसे रोका जाना चाहिए था। बताया कि अगर कोई किसी को घूस देता है और वह उससे रेस्टोरेंट में खाना खा लेता है तो दुकानदार ने जो धन लिया वह काला कैसे हो सकता है। मगर दुकानदार ने काम के बदले अगर वही धन किसी दिया तो तब निश्चित वह गलत है। यह समझना जरूरी है कि धन नहीं ट्रांजेक्शन काला होता है।
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एक एटीएम पर 10,425 लोगों का जिम्मा
सिब्बल ने कहा कि उत्तर प्रदेश में एक एटीएम पर 10,425 लोगों को सेवा उपलब्ध कराने का जिम्मा है। बस्तर के एक गांव का उदाहरण देते हुए कहा एक बूढ़ा 22 किलोमीटर चलकर बैंक में पैसा लेने गया। मगर उसको रुपया नहीं मिला।
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दस माह लगेंगे
नोटों छापने वाली प्रेसों और उनकी क्षमता का उल्लेख करते हुए कहा कि हजार और पांच सौ की जितनी मुद्रा चलन में है, उसे छापने में 9.6 माह लगेंगे। युद्धस्तर पर मशीन चलाने का चमत्कार करने पर भी छह माह लगेंगे। फिर 50 दिन स्थिति सामान्य होने का दावा किस आधार पर किया जा रहा है।
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सिब्बल ने कुछ इस तरह दिया डेटा
-सिब्बल ने रिजर्व बैंक के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि इस समय देश में 90.26 बिलियन रुपये चलन में है।
-चलन में पांच सौ के नकली नोटों की संख्या-261,695 जिसकी कीमत 13 करोड़ होती है, जो कुल मुद्रा का 0.00 167 है।
-चलन में एक हजार के नकली नोटों की संख्या-143,009 जिसकी कुल कीमत 14.2 करोड़ है जो कुल मुद्रा का 0.00226 प्रतिशत है।
-देश के 2.63 करोड़ लोगों के पास क्रेडिट कार्ड है, इनमें से ढेरों लोग दो से अधिक कार्ड भी इस्तेमाल करते हैं >
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-पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने नोटबंदी पर प्रधानमंत्री पर किया हमला
-बोले, खुद का धन निकालने से रोकने वालों पर चल सकता है आपराधिक मुकदमा
लखनऊ : पूर्व केंद्रीय मंत्री व राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने नोटबंदी को नासमझी भरा फैसला बताया। कहा कि प्रधानमंत्री मोदी कीझूठी बातों से परेशान जनता भी अब कहने लगी है कि अच्छे नहीं, सच्चे दिन चाहिए।
शनिवार को प्रदेश कार्यालय पर पत्रकारों से बातचीत में कपिल सिब्बल ने नोटबंदी के कारण देश की अर्थव्यवस्था चरमराने का इल्जाम लगाया। कहा कि डालर की तुलना में रुपया न्यूनतम स्तर पर है। कई देशों में नोटबंदी हुई मगर किसी ने बैंकों में रखी नागरिकों की रकम निकालने पर रोक नहीं लगाई। धन निकासी पर रोक आपराधिक षड्यंत्र है। इसके लिए मुकदमा चल सकता है। सिब्बल ने कहा कि नोटबंदी के समय देश में 16.4 लाख करोड़ की कैश इकोनॉमी (नकदी की अर्थव्यवस्था) थी। इसमें से पांच सौ व एक हजार रुपये की शक्ल में 14.66 लाख करोड़ रुपये थे यानी कैश इकोनॉमी के रूप में 86 फीसद राशि बंद हुए नोटों में है। अब इसे काला धन बताया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने ढाई साल की सरकार की नाकामी से ध्यान हटाने व उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों के चुनावों में लाभ लेने के लिए लोगों को मुश्किल में डाल दिया। नोटबंदी से पहले भाजपा ने बिहार में जमीने कैसे खरीदी और पश्चिम बंगाल में भारी रकमें कैसे जमा हुई।
प्रधानमंत्री पर व्यंग्य करते हुए सिब्बल ने कहा कि देश के 'चौकीदारÓ डार्क चश्मा उतार कर देखें, गरीब रातों-रात जग रहा है और काले धन वाले मगरमच्छ सुकून से सो रहे हैं। प्रधानमंत्री को यह पता नहीं कि आर्थिक एक्सीडेंट हो गया है, जिसमें घायल गरीबों को पता नहीं है कि इलाज कहां करायें। कहा कि मुझे शर्म आती है कि देश की कमान ऐसे व्यक्ति के हाथ में है जो फैसला लेता है पर उसे ठीक से बढ़ाना नहीं जानता।
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खर्च ऑनलाइन क्यों नहीं करते?
सिब्बल ने कहा कि प्रधानमंत्री चुनावी राज्यों में दौरे कर रहे हैं। अपनी बेवसाइट पर क्यों नहीं बताते हैं कि जनसभा स्थल पर कितनी कुर्सी थी। कितना बड़ा टेन्ट था। कितनी कालीन बिछी थी। मंच बना था। एसी थे। यात्रा पर कितना खर्च हुआ। धन कहां से लग रहा है। क्या वह इसका भुगतान स्वाइपिंग मशीन से कर रहे हैं।
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मौन थे, वह बोल रहे और बोलने वाले मौन
सिब्बल ने कहा कि मोदी जिस पूर्व प्रधानमंत्री पर मौन का इल्जाम लगाते थे, वह अर्थव्यवस्था पर खूब बोल रहे हैं। जो बोलने का दावा करते थे वह सदन में मौन रहते हैं और बाहर बोलते हैं। कहा कि सदन में बोलने पर सनद हो जाएगा। जनता जवाब मांगेगी, बाहर तो जुमला कहा जाएगा। द्वार चूमकर लोकसभा में प्रवेश करने वाले प्रधानमंत्री सदन में बात सुनने और रखने से भागने लगे हैं। सिब्बल ने प्रधानमंत्री को वादा खिलाफ ठहराते हुए पांच वादे गिनाये और सवाल किया कि क्या एक भी पूरा हुआ।
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यहां तो बैंक ही नहीं
सिब्बल ने कहा कि नार्थ ईस्ट, हिमांचल, उत्तराखंड, आंध्र प्रदेश के दूर दराज इलाकों में बैंक ही नहीं है। इन क्षेत्रों के लोग कहां जाएंगे? यह भी नहीं सोचा गया। सिब्बल ने दावा कि देश की 125 करोड़ जनसंख्या में से सिर्फ 60 करोड़ लोगों के पास ही बैंक खाते हैं। इनमें से 32 करोड़ लोगों के खातों में लगातार लेनदेन नहीं होता है। ऐसे लोगों के पास मौजूद धन क्या काला धन है।
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धन नहीं, ट्रांजेक्शन काला होता है
सिब्बल ने कहा कि धन काला नहीं होता है। उसके ट्रांजेक्शन (लेन-देन) काला होता है। इसे रोका जाना चाहिए था। बताया कि अगर कोई किसी को घूस देता है और वह उससे रेस्टोरेंट में खाना खा लेता है तो दुकानदार ने जो धन लिया वह काला कैसे हो सकता है। मगर दुकानदार ने काम के बदले अगर वही धन किसी दिया तो तब निश्चित वह गलत है। यह समझना जरूरी है कि धन नहीं ट्रांजेक्शन काला होता है।
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एक एटीएम पर 10,425 लोगों का जिम्मा
सिब्बल ने कहा कि उत्तर प्रदेश में एक एटीएम पर 10,425 लोगों को सेवा उपलब्ध कराने का जिम्मा है। बस्तर के एक गांव का उदाहरण देते हुए कहा एक बूढ़ा 22 किलोमीटर चलकर बैंक में पैसा लेने गया। मगर उसको रुपया नहीं मिला।
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दस माह लगेंगे
नोटों छापने वाली प्रेसों और उनकी क्षमता का उल्लेख करते हुए कहा कि हजार और पांच सौ की जितनी मुद्रा चलन में है, उसे छापने में 9.6 माह लगेंगे। युद्धस्तर पर मशीन चलाने का चमत्कार करने पर भी छह माह लगेंगे। फिर 50 दिन स्थिति सामान्य होने का दावा किस आधार पर किया जा रहा है।
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सिब्बल ने कुछ इस तरह दिया डेटा
-सिब्बल ने रिजर्व बैंक के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि इस समय देश में 90.26 बिलियन रुपये चलन में है।
-चलन में पांच सौ के नकली नोटों की संख्या-261,695 जिसकी कीमत 13 करोड़ होती है, जो कुल मुद्रा का 0.00 167 है।
-चलन में एक हजार के नकली नोटों की संख्या-143,009 जिसकी कुल कीमत 14.2 करोड़ है जो कुल मुद्रा का 0.00226 प्रतिशत है।
-देश के 2.63 करोड़ लोगों के पास क्रेडिट कार्ड है, इनमें से ढेरों लोग दो से अधिक कार्ड भी इस्तेमाल करते हैं >
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