Wednesday 27 July 2016

विवेचना का हिस्सा बनेंगे सरताज के आरोप

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- दादरी की घटना के समय बरामद मांस की जांच रिपोर्ट पर सवाल
- एडीजी (कानून व्यवस्था) ने आरोपों को विवेचना का हिस्सा बनाने का दिया निर्देश
लखनऊ : दादरी में इकलाख की हत्या के बाद मौका-ए-वारदात से बरामद मांस के वजन और जांच रिपोर्ट में दर्ज वजन पर उठे सवालों की भी विवेचना होगी। एडीजी (कानून व्यवस्था) दलजीत चौधरी ने इकलाख के बेटे सरताज के प्रार्थना पत्र को भी विवेचना का हिस्सा बनाने का निर्देश दिया है। दूसरी ओर सरताज के अधिवक्ता का कहना है कि वह पूरे प्रकरण को हाईकोर्ट में चुनौती देंगे और प्रशासन की धोखाधड़ी का पर्दाफाश करेंगे।
दादरी में इकलाख की हत्या के बाद सियासी उबाल और फिर मथुरा की पशु प्रयोगशाला की रिपोर्ट में जांच के लिए भेजा गया मांस गौवंशीय होने का जिक्र किया गया, जिसके बाद एक क्षेत्रीय नागरिक ने इकलाख परिवार के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के लिये अदालत में प्रार्थना पत्र दिया। अदालत ने मुकदमा दर्ज करने का आदेश किया और पुलिस ने इकलाख के परिवारीजन के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया। इकलाख के बेटे सरताज को इस पूरे प्रकरण में साजिश नजर आ रही है। इकलाख के परिवार को न्याय देने की मांग को लेकर उलमा कौंसिल के आमिर रशादी, अधिवक्ता असद हयात और इकलाख के बेटे सरताज ने बुधवार की शाम डीजीपी जावीद अहमद से मुलाकात की थी, डीजीपी ने पीडि़तों को एडीजी कानून व्यवस्था दलजीत चौधरी के पास भेजा। जिन्होंने प्रतिनिधि मंडल की बात सुनने के बाद उनके प्रार्थना में लगाये गये इल्जामों को भी विवेचना का हिस्सा बनाने का नोएडा पुलिस को निर्देश दिया है।
चौधरी से मुलाकात बाद सरताज ने कहा कि लैब की रिपोर्ट तक फर्जीवाड़ा हुआ है। जब प्लास्टिक के कनटेनर में दो किलो मांस भरा गया तो लैब पहुंचते ही उसका वजन तीन किलो कैसे गया? इसके अलावा प्लास्टिक के कनटेनर में नहीं बल्कि जार में लैब पहुंचा। कहा कि रिपोर्ट पर यकीन नहीं किया जा सकता है। इसलिए अब हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। अधिवक्ता असद का कहना है कि मौका-ए-वारदात से बरामद मांस को सील बंद किये बगैर हटाया गया और क्षेत्रीय थाने के माल खाने में रखा गया। इस पर मौके के किसी भी निर्लिप्त गवाह के हस्ताक्षर नहीं थे। बाद में बिना लिखा पढ़ी के बरामद मांस दादरी स्थित पशु चिकित्सालय लैब भेजा गया।
असद ने कहा कि जांच रिपोर्ट मे भिन्नता है। दादरी की रिपोर्ट में मांस का रंग लाल और चर्बी सफेद बताई गई जबकि बाद में मथुरा लैब की रिपोर्ट में मास व चर्बी का रंग नहीं बताया गया। सच्चाई यह है कि गोवंशी पशु की चर्बी का रंग पीला होता है। घटनास्थल से लिये गये नमूनों में जानवर के घुटनों से नीचे के चार पैर, मुंह व सीने की खाल दादरी लैब से गायब हो गई क्योंकि मथुरा लैब में भेजे गये नमूने में इसका उल्लेख नहीं था। कहा कि अब हम लोग न्याय के लिए हाई कोर्ट का सहारा लेकर सच्चाई को सामने लाएंगे। उलमा कौसिंल के आमिर रशादी का कहना है कि समाजवादी सरकार और उसके अधिकारी दोहरी नीति चल रहे हैं। इतनी बड़ी चूक करने वालों को अब तक दंडित नहीं किया जाना और पीडि़त को ही मुल्जिम बना दिया जाना इसकी नजीर है।
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