बुंदेलों के दर्द का भान और सियासी जवाब
बुंदेलखंड की विशेष योजनाओं का बजट तीन गुना किया
परवेज अहमद, लखनऊ : राज्य की समाजवादी सरकार में बुंदेलखंड की हिस्सेदारी भले न हो, मगर सूखे से बदहाल किसानों व बेरोजगारी के दंश से कराहते नौजवानों का 'दर्दÓ जरूर उसने महसूस किया है। विशेष योजनाओं के बजट में तीन गुनी बढ़ोत्तरी इसका भान करा रही है। वर्ष 2016-17 के बजट में बुंदेलखंड की विशेष योजना के लिए 200 करोड़ का इंतजाम है, जबकि चालू वित्तीय वर्ष में यह राशि सिर्फ 71 करोड़ 50 लाख थी।
बुंदलेखंड की बदहाली देश और दुनिया में सुर्खियां बनने के साथ सियासी दलों के दांव-पेंच का अखाड़ा भी है। इलाके की उपेक्षा होने के कांग्र्रेस, भाजपा के इल्जामों का जवाब देने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने 27 जनवरी को कालपी से हमीरपुर तक का 51 किलोमीटर लंबा रोड शो किया था। हमीरपुर में जैविक खेती को बढ़ावा देने का और हर गरीब को समाजवादी पेंशन का एलान किया था। सौर ऊर्जा संयत्र की शुरूआत की थी, अब वर्ष 2016-17 के बजट में मुख्यमंत्री ने जैविक खेती की घोषणा को मुकाम देने के लिये 10 करोड़ रुपए का इंतजाम किया है। खरीफ के दौरान आच्छादन बढ़ाने की मंशा से तिल के बीजों पर 100 रुपए प्रति किलोग्राम का अनुदान देने की योजना को जारी रखने घोषणा भी की है। झांसी में बेतवा नदी पर एरच के पास सिंचाई की बहुउद्देशीय परियोजना के लिए 150 करोड़ रुपए का इंतजाम किया है, इस योजना पर काम शुरू हो गया है।
19 विधानसभा क्षेत्रों के वाले बुंदेलखंड के बाशिंदों को पीने का साफ पानी उपलब्ध कराने के लिए 200 करोड़ का इंतजाम किया है। बुंदेलखंड व विंध्य क्षेत्र की नदी, नालों व चोहड़ों से बहने वाले पानी को संरक्षित कर ग्रामीण पेयजल योजना चलाने के लिए 500 करोड़ रुपए का इंतजाम किया गया है। बुंदेलखंड के जिन पहाड़ी क्षेत्रों में पाइप लाइन के जरिए पानी पहुंचाना संभव नहीं है, वहां टैंकर द्वारा पेयजल आपूर्ति के लिएदो करोड़ रुपये का भी इंतजाम किया गया है। तिलहन प्लांट के लिये 15 करोड़ रुपए की व्यवस्था की है। दरअसल,इस क्षेत्र में विकास की गाड़ी चलाने के लिये बजट में बड़ी राशि का इंतजाम कर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने विरोधी दलों खासकर कांग्र्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के इल्जामों का जवाब देने का प्रयास किया है। ध्यान रहे, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने महोबा के गांवों का दौरा कर राज्य की समाजवादी सरकार को घेरने का पूरा प्रयास किया था। जबकि वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में जनसंपर्क अभियान में निकले अखिलेश यादव ने ललितपुर में पूरे चुनावी अभियान की सबसे बड़ी रैली की थी, जिसका जिक्र मुख्यमंत्री खुद भी करते हैं। बावजूद इसके इस क्षेत्र से किसी को नुमाइंदगी नहीं देने के इल्जामों को भी विकास योजनाओं के जरिये धोने का प्रयास किया है।
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