०१.०८.२०१६
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हाईकोर्ट: क्यों न छह लेन किया जाए इलाहाबाद-वाराणसी राजमार्ग
हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार व राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण से मांगी जानकारी
विधि संवाददाता, इलाहाबाद : हाईकोर्ट ने इलाहाबाद वाराणसी राष्ट्रीय राजमार्ग पर कांवरियों की भीड़ के चलते यातायात की समस्या को देखते हुए राजमार्ग को छह लेन करने के मामले में केंद्र सरकार एवं राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण से एक हफ्ते में जवाब मांगा है। याचिका की अगली सुनवाई आठ अगस्त को होगी।
कांवडिय़ों की भीड़ के चलते इस राजमार्ग पर हो रही यातायात अव्यवस्था को लेकर दाखिल विनोद कालरा की जनहित याचिका पर मुख्य न्यायमूर्ति डीवी भोसले तथा न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खण्डपीठ ने सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि सालों से कांवडिय़ा वाराणसी जाते हैं। राज्य सरकार को इस दौरान आने वाली यातायात की कठिनाइयों का पूरा अनुभव है तो सरकार समस्या को देखते हुए सड़क का चौड़ीकरण क्यों नहीं करती।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि चार लेन सड़क के बीच डिवाइडर है। एक तरफ कांवडिय़ा वाराणसी जाते हैं तो दूसरी तरफ से यातायात चालू रहता है। कांवडिय़ों के कारण दो लेन से यातायात में भारी कठिनाई आ रही है। सड़क 90 फीट चौड़ी होनी चाहिए। प्राधिकरण के अधिवक्ता का कहना था कि सड़क चौड़ीकरण का मसला सरकार का नीतिगत मसला है जिस पर प्राधिकरण कोई कार्यवाही नहीं कर सकता। इस पर कोर्ट ने भारत संघ को भी याचिका में पक्षकार बनाते हुए नोटिस जारी की है तथा भारत सरकार व प्राधिकरण से राजमार्ग के चौड़ीकरण के मामले में जानकारी मांगी है।
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बंगले न छीनने को बनेगा नया कानून !
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- सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर शासन में हुआ मंथन
- विधानमंडल सत्र में कानून में संशोधन संभव
लखनऊ : प्रदेश सरकार विधान मंडल से कानून बनाकर पूर्व मुख्य मंत्रियों, अधिकारियों-कर्मचारियों की एसोसिएशन, स्वयंसेवी संस्था और पत्रकारों को आवास आवंटित करने की गुंजाइश पर मंथन कर रही है। इसी माह संभावित विधानमंडल के मानसून सत्र में उत्तर प्रदेश मिनिस्टर्स (सेलरी, एलाउंसेज एन्ड मिसलेनियस प्रोविजन) एक्ट 1981 में संशोधन कर सकती है।
न्यायमूर्ति एआर दवे, न्यायमूर्ति एनवी रमना व न्यायमूर्ति आर भानुमति की पीठ ने सोमवार को सुनाए फैसले में पूर्व मुख्यमंत्रियों के आवास का आवंटन रद करने के साथ ही उस नियमावली को भी रद कर दिया था, जिसके तहत आवास आवंटन के आदेश होते हैं। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का अध्ययन करने में जुटे कानून विदों का मानना है कि अदालत ने गैर सरकारी व्यक्तियों के आवास का आवंटन रद करने का फैसला भी दिया है। जिससे ट्रस्टों के अलावा, 149 सरकारी-अद्र्धसरकारी कर्मचारी संगठनों के कार्यालय, पत्रकारों, विभिन्न महकमों के सलाहकार, अध्यक्ष, सरकारी अधिवक्ताओं के आवासों का आवंटन भी रद होगा। सूत्रों का कहना है सुप्रीम कोर्ट केफैसले से बड़े वर्ग और सभी राजनीतिक दलों के नेताओं के प्रभावित होने का निष्कर्ष निकलने के बाद राज्य सरकार आवास आवंटन बरकरार रखने की संभावनाओं पर मंथन शुरू कर दिया है।
सूत्रों का कहना है कि सरकार मंत्रियों को आवास आवंटित करने के लिए वर्ष 1981 में बने एक्ट में संशोधन पर विचार कर रही है। मानसून सत्र में एक्ट में संशोधन संबंधी प्रस्ताव रखा जा सकता है।
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व्यवस्थाधिकारियों से मांगा ब्यौरा
राज्य संपत्ति अधिकारी ने सरकारी कालोनियों, विधायक निवासों में कर्मचारी संगठन, राजनीतिक दलों, स्वयंसेवी संस्थाओं, पत्रकारों को आवंटित आवासों का ब्यौरा मांगा है। उनसे बकाया किराये का ब्यौरा मांगा गया है। राज्य संपत्ति अधिकारी बृजराज यादव ने बताया कि विद्युत विभाग के अधिकारियों से बिजली के बिल का बकाया भी पूछा गया है। यादव का कहना है कि अगले तीन दिनों के अंदर ब्योरा तैयार कर लिया जाएगा। फिर अदालत के फैसले के अनुरुप कार्यवाही शुरू की जाएगी।
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आवास खाली करने का नोटिस
अदालत के फैसले पर विधि विशेषज्ञों की राय आने के बाद आवंटियों को आवास खाली करने का नोटिस जारी किया जाएगा। ब्यौरा तैयार हो रहा है। जल्द ही इस दिशा में कार्यवाही शुरू हो जाएगी।
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किसका कितना किराया बाकी
पूर्व मुख्यमंत्री मायावती-3 लाख 49 हजार लगभग
पूर्व मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह-15249 रुपए लगभग
पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह-एक लाख 28 हजार लगभग
पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी- 16027 रुपए लगभग
पूर्व मुख्यमंत्री (दिवंगत)-राम प्रकाश गुप्ता-3.28 लाख लगभग
पूर्व मुख्यमंत्री राम नरेश यादव-15 हजार रुपए लगभग
पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव-कोई किराया नहीं बाकी -------------------
रास्ता अभी बाकी
कोर्ट ने भले पूर्व मुख्य मंत्रियों को आवास आवंटित करने का आदेश गैर कानूनी ठहरा दिया हो मगर विधानसभा से कानून पारित कराने का रास्ता बरकरार है। इतना ही नहीं कानून को पूर्व से ही लागू किया जा सकता है।-उमेश वर्मा, वरिष्ठ अधिवक्ता हाईकोर्ट
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तलाश रहे ब्योरा
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का अध्ययन किया जा रहा है। अदालत ने जिस नियम को रद किया है, उसके जरिये आवंटित आवासों का ब्यौरा तलाशा जा रहा है। विशेषज्ञों की राय मिलने के बाद कार्रवाई होगी-बृजराज यादव, राज्य संपत्ति अधिकारी, उत्तर प्रदेश
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सपा 'सुरोंÓ का भी संग्राम छेड़ेगी
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-शिवपाल का नाम गीतों में पिरोया गया, गीतों से अभी परे हैं प्रो. रामगोपाल
परवेज अहमद,लखनऊ: 'क्रांति रथ यात्राÓ के सारथी अखिलेश यादव के व्यक्तित्व को गीतों में पिरोकर वर्ष 2012 का समर फतह करने वाली समाजवादी पार्टी अब शिवपाल यादव की 'कार्यशैलीÓ को सुर-संगीत में लयबद्ध करा रही है। जिसका इस्तेमाल विधानसभा चुनाव होने की संभावना है।
यूं तो सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के संघर्षो को गीत के रूप में स्वरबद्ध करने का इतिहास पुराना है, मगर तब सारे गीत मुलायम-लोहिया पर ही केन्द्रित होते रहे हैं। वर्ष 2012 के चुनाव में प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव के युवा चेहरे को केन्द्रित कर गीत की श्रंखला बनी, जिसने चुनावी मिशन की कामयाबी में कारगर भूमिका निभायी। लोकसभा चुनाव के समय एक पूर्व सांसद का गढ़ा मुहावरा रूपांतरित होकर 'मन से हैं मुलायम, इरादे लोहा हैंÓ गीत के रूप में सामने आया जो सपाइयों की जुबान पर चढ़ा। अब फिर चुनावी मौसम दरपेश हुआ तो अब तक अछूते शिवपाल को केन्द्रित कर गीतों की श्रंखला तैयार होना शुरू हो गई। इटावा के नरेन्द्र यादव द्वारा लिखित व गजल गायक कमाल खान के स्वर वाले गीतों में से एक केबोल हैं-'मिट रहे चेहरों से देखो मलाल है-शिवपाल हैं, यूपी के सच्चे लाल हैं!Ó दूसरा गीत है-'जनता से किए वादे जो, सब पूरे करवाये शिवपालजी...नेताजी का साथ वैसे ही निभा रहे शिवपाल जी। Ó मशहूर गायक जावेद अली ने मुख्यमंत्री अखिलेश की शान और उन्हें सपा का चेहरा बताने वाला गीत गाया है, जिसके बोल हैं-यूपी को प्रगति पथ पर, है यकीं तुम लाओगे, हर इच्छा और हर इक सपना पूरा कर दिखलाओगे...तरक्की का शुभारंभ, प्रगति का श्री गणेश ...अखिलेश... अखिलेश। अब मुलायम परिवार की बात की जाए तो सिर्फ प्रो.रामगोपाल यादव संगीतबद्ध होने से अछूते हैं। गीतों की यह सियासत कैसी है...कितना सटीक है? इस पर समाजवादी चिंतन सभा के अध्यक्ष दीपक मिश्र करते हैं कि गाने हमेशा से संवाद का बेहतर माध्यम रहे हैं।
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१०.०८.२०१६
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सैफई कैफेÓ में मिलेगी गाय के दूध की चाय
-नौजवानों को रोजदार देना मकसद, कैफे की स्थापना उसी दिशा में प्रयास- अखिलेश यादव
-राज्य के दूसरे पयर्टन स्थलों में भी सैफई कैफे की चेन खुलेगी
परवेज अहमद, लखनऊ : हरी मटर का समोसा...और कड़कड़ाती चटनी के साथ आलू-भुना। गाय के शुद्ध दूध की चाय...भैंस के दूध की फिल्टर कॉफी। दिल-दिमाग को सुकून देता वातावरण और शानदार लाउंज। जी हां, कौशल विकास मिशन से प्रशिक्षत युवकों की टोली जल्द ही सरकार की मदद से ऐसी खूबियों वाली फूड चेन स्थापित करेगी और नाम होगा 'सैफई कैफे!Ó, पहला कैफे भी सैफई में ही खुलेगा।
प्रदेश में खान-पान का बड़ा बाजार है। हाल के महीनों में राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय सैलानियों का रुझान भी यहां के पयर्टन स्थलों की ओर बढ़ रहा है। ऐसे में सरकार ने दूसरे राज्यों व विदेशी सैलानियों को लुभाने की लिए अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की सुविधा वाले कैफे खोलने की दिशा में कदम बढ़ाया है। 'सैफई कैफेÓ नाम से शुरू होने वाली इस चेन में कौशल विकास मिशन से प्रशिक्षित युवकों को प्राथमिकता मिलेगी। चार युवकों का चयन हो गया है। ड्रीम प्रोजेक्ट की शुरुआत पैतृक गांव सैफई से करने की जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव कहते हैं कि खान-पान का बाजार बड़ा है। हर सूबे की खास रेसेपी है। कहीं का समोसा खास है तो कहीं की जलेबी। कहीं का डोसा लाजबाव है तो कहीं का नानवेज। और नाश्ता-खाना सबको चाहिए। सैफई में गांव के लोगों की जमीन है। उनके मदद लेकर कैफे शुरू करायेंगे। चंबल सफारी, बर्ड
सेंचुरी तैयार है। सैलानी बढेंग़े तो कैफे की जरूरत होगी। कही पर निगाहें और कहीं पर निशाना के अंदाज में मुख्यमंत्री कहते है कि 'गाय के शुद्ध दूध की चाय पीनी होगी तो कई लोगों को सैफई, चंबल सफारी का रुख
करना होगा। गाय तो गांव वाले ही पालते हैं।Ó अखिलेश यादव पयर्टन की दृष्टि से महत्वपूर्ण शहरों में सैफई कैफे स्थापित कराने का संकेत देते हैं। कहते हैं कि समाजवादी
सरकार नौजवानों को उनके पैरों पर खड़ा करना चाहती है। यह उसी दिशा में एक प्रयास है। प्रमुख सचिव पयर्टन नवनीत सहगल का कहना है कि सैफई कैफे को विस्तार देने की दिशा कदम बढ़ाया जाएगा।
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लाउंज अन्तराष्ट्रीय स्तर के होंगे
'सैफई कैफेÓ का इंटीरियर बहुराष्ट्रीय कंपनियों के कैफे जैसा होगा। शानदार लाउंज होंगे। देशी-विदेशी संगीत सुनने की सुविधा होगी। एक इनफरमेशन कार्नर होगा, जहां प्रदेश के पयर्टन स्थलों का इतिहास और खूबियां जानी जा सकेंगी। आन कॉल टैक्सी की सुविधा होगी।
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सैफई कैफे में क्या खास
इडली-सांभर, इडली फ्राई, दही बड़ा, कई तरह के डोसा, उत्पम, टमाटर उत्पम, फिल्टर कॉफी, लस्सी, गगरी का म_ा, शुद्ध दूध की चाय और सरसों के तेल में बने समोसे भी इस कैफे में होंगे। भुने, भाप में तैयार व्यंजनों की सिरीज की भी योजना है।
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१२.०८.२०१६
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'शक्तिÓ भरोसे दौड़ेगा सपा का चुनावी रथ
-अखिलेश यादव की रथयात्रा शारदीय नवरात्र से
-मुलायम 18 सभाएं करेंगे, डिंपल भी करेंगी प्रचार
-सबका आशीष लेकर चलाएंगे विकास रथ: अखिलेश
परवेज अहमद, लखनऊ : सफलता के'हाथ सौ होते हैं और हारे दुश्मन के हजार हाथ होते हैंÓ। समाजवादी पार्टी इसी कहावत सी सियासी दुश्मनों से मुकाबिल है। संभवत: यही कारण है कि मुख्यमंत्री व सपा के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव का 'विकास रथÓ चुनाव की पथरीली जमीन पर दौड़ाने से पहले ज्योतिषाचार्यों से बेहतर 'मुहूर्तÓ खंगलवाया जा रहा है। शारदीय नवरात्र से यात्रा शुभ बतायी गयी है।
सत्तारूढ़ रहते चुनावी समर में कूदने के अपने नफा-नुकसान है। संसाधनों की उपलब्धता जहां जनता तक पहुंचाने में फायदेमंद होती है, वहीं जनता के मस्तिष्क में विपक्ष के आरोपों की ओर झुकाव होता है। सपा यह मानकर चल भी रही है मुख्य प्रतिद्वंदी भाजपा होगी। और मुददे और सवाल नए होंगे। शायद इसीलिए अखिलेश के विकास रथ की शुरूआत का समय नवरात्र निर्धारित किया गया है। मिशन-2017 में मुलायम सिंह यादव सिर्फ 18 रैलियां करेंगे, जिसकी रूपरेखा भी तैयार हो गयी है, मगर पहली बार कन्नौज की सांसद डिंपल यादव भी कुछ चुनिंदा क्षेत्रों में प्रचार का जिम्मा संभालेंगी। सूत्रों का कहना है कि इस बार का अखिलेश का विकास रथ 'बुलट प्रूफÓ है। वह क्रांति रथ से बड़ा है। इंटरनेट, टीवी की सुविधा के साथ हाईड्रोलिक लिफ्ट और दूर तक सुनाई देने वाले स्पीकरों की सुविधा भी है। इसमें सरकारी काम निपटने का एक कोना भी है। सूत्रों का कहना है कि विकास रथ जिस ओर कूच करने वाला होगा, उस ओर दो दिन पहले युवा ब्रिगेड की टोली पहुंचेगी। जो उत्तेजक राग और ढोल नगाड़ों की धुन पर तैयार गीत बजायेगी। नुक्कड़ नाटक करेगी। युवजन सभा, लोहिया वाहिनी, छात्रसभा, मुलायम सिंह यूथ ब्रिगेड रथ पहुंचने से पहले क्षेत्र में न सिर्फ सकारात्मक वातावरण बनाएगी बल्कि क्षेत्रीय समस्याएं चिन्हित कर उसकी जानकारी अखिलेश को उपलब्ध करायेगी, भाषणों में उसका उपयोग होगा। अखिलेश यादव ने 2012 के चुनाव में नौजवानों पर पर भरोसा जताया था, इस बार भी युवा जोश ही मुख्य भूमिका में होगा। मगर फर्क यह होगा कि इस बार पांच साल का हिसाब भी देना होगा। अखिलेश इस परिस्थिति को समझ भी रहे हैं, इसीलिए भाजपा व समर्थक दलों के 73 सांसदों को पत्र लिखकर विकास में सहयोग न करने की उलाहना दी है तो अपने दल के सांसदों को भी विकास कार्यों में दिलचस्पी लेने का संदेश दिया है।
नवरात्र यानी अक्टूबर में चुनावी अभियान शुरूआत का एक कारण अभियान को लगातार अक्षुण्य रखना भी है और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने दैनिक जागरण से कहा भी कि 'एक बार रथ पर सवार हुआ तो फिर जनता तक अपनी बात पहुंचाकर लौटूंगा। हम विकास को मुद्दा बनायेंगे, जनता को केन्द्र और राज्य सरकार के विकास की तुलना का मौका मिलेगा। तय उन्हें करना है।Ó वह जोड़ते हैं कि समाजवादी सभी धर्म जाति को सम्मान देने में यकीन करते हैं। रथ पर सवार होने से पहले सभी धर्म गुरुओं और आस्थावानों का आशीष लिया जाएगा।
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१४.०८.२०१६
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- दिसंबर में चुनाव की तैयारी में जुटी सपा
-प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव ने जिलाध्यक्षों, विधायकों, प्रत्याशियों को भेजा निर्देश
-एक से सात सितंबर तक बूथ प्रशिक्षण शिविर में प्रत्याशियों, विधायकों की मौजूदगी अनिवार्य
परवेज अहमद, लखनऊ : प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी दिसंबर माह में चुनावी डुगडुगी की संभावना के आधार पर लाव-लश्कर दुरुस्त कर रही है। एक से सात सितंबर तक विधानसभा क्षेत्रों में प्रस्तावित प्रशिक्षण शिविरों में प्रत्याशियों, विधायकों और क्षेत्रीय मंत्रियों को मौजूद रहने की हिदायत दी गयी है। शिविरों की निगरानी प्रेक्षक भी तैनात किये गए हैं।
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की ओर से संगठन व विभिन्न पदों पर आसीन ओहदेदारों को भेजे गये निर्देश में कहा गया है कि दिसंबर में विधानसभा चुनाव की संभावना है। ऐसे में बूथ कमेटियों के गठन के साथ विधानसभा क्षेत्रों में कार्यकर्ता सम्मेलन, प्रशिक्षण शिविर लगाये जाएं। जिन जिलों में पांच से कम विधानसभा क्षेत्र हैं, वहां एक दिन छोड़कर शिविर लगाये जाएं, अन्य क्षेत्रों में एक दिन में एक ही विधानसभा क्षेत्र में प्रशिक्षण शिविर लगाया जाए। इसमें कम से कम तीन हजार कार्यकर्ताओं की भागीदारी सुनिश्चित की जाए। यादव ने कहा है कि 'एक बूथ-बीस यूथÓ की बूथ कमेटियां गठित की जानी है, मगर अब तक 315 विधानसभा क्षेत्रों में ही कमेटियां बनी हैं। बचे हुए क्षेत्रों में 20 अगस्त कमेटियां गठित कर लेने की हिदायत दी गई है।
प्रदेश सचिव व विधान परिषद सदस्य एसआरएस की ओर से जिलाध्यक्षों को भेजे गये मुख्यमंत्री अख्रिलेश यादव के पत्र में कहा गया है कि समाजवादी सरकार ने साढ़े चार साल के कार्यकाल में जो भी विकास कार्य कराए हैं, उनके होर्डिंग, बैनर प्रभावी ढंग से लगाये जाएं। कार्यकर्ता घर-घर जाकर लोगों से संपर्क करें।
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बूथ कार्यकर्ता को जिम्मेदारी बतायें
विधायकों, प्रत्याशियों और जिलाध्यक्षों से कहा गया है कि वह बूथ कमेटियों के सदस्यों को साफ शब्दों में यह बतायें कि मतदान के दिन और उससे पहले उन्हें क्या-क्या कार्य करने हैं, उनका उत्तरदायित्व क्या है? बूथ कमेटी के सदस्यों की दिक्कतों को भी सुनकर उसे अतिशीघ्र सुलझाया जाए।
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विधायक भी लगाएं होर्डिंग
सपा के प्रदेश अध्यक्ष ने विधायकों को भी निर्देशित किया है कि उनके क्षेत्र में जो भी विकास कार्य हुए हैं और कराये गये हैं, उसकी जानकारी देने वाले बोर्ड क्षेत्र में लगाये जायें। सरकार की समाजवादी पेंशन, किसानों की आर्थिक मदद और केन्द्र सरकार के सौतेलेपन का प्रचार करने को कहा गया है।
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घोषणा पत्र योग्य समस्या जानें
विधायकों व प्रत्याशियों से कहा गया है कि वह इन्ही प्रशिक्षण शिविरों में यह भी जानने का प्रयास करेंगे कि अब मुख्य समस्या क्या है ताकि उसे पार्टी चुनावी घोषणा पत्र का हिस्सा बनाकर विपक्षी दलों को उसका जवाब दे सके। सपा के प्रदेश सचिव एसआरएस यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री के निर्देश जिलाध्यक्षों व पार्टी के अन्य पदाधिकारियों को भेज दिये गये हैं। बूथ प्रशिक्षण शिविर एक से सात सितम्बर तक पूरा करा लिया जाएगा।
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२२.०८.२०१६
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दावेदारों का दम फिर से टटोल रही सपा
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-गुपचुप तैयार हो रहे सर्वे के आधार पर होगा प्रत्याशियों का चयन
-विधायकों की करवट से पार्टी चौकन्नी, नए सिरे से दमखम तौलकर टिकट बांटने की तैयारी
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परवेज अहमद, लखनऊ : कुछ महीनों के अंदर होने वाले विधानसभा चुनाव में फिर जादुई आंकड़े तक पहुंचने की आस बांधे समाजवादी पार्टी (सपा) टिकट बंटवारे में गफलत नहीं चाहती। इसीलिए पार्टी सरकारी खुफिया, निजी एजेंसी और 'अपने लोगोंÓ से विधायकों, दावेदारों का दम-खम टटोलने के प्रयास में लगी है।
पार्टी की इस रणनीति से वाकिफ हो गए कई विधायक अब एक आंख से विकल्प और दूसरी से दल का रुख भांपने का प्रयास कर रहे हैं। यह चर्चा भी खुलकर हो रही है कि मंडलीय प्रेक्षक रहे युवा विधान परिषद सदस्यों ने नेतृत्व को जो रिपोर्ट सौंपी है, उसमें तमाम किन्तु-परन्तु हैं ही, ढेरों विधायकों की जमीनी पकड़ कमजोर होने के संकेत भी हैं। लखनऊ व बाराबंकी, इलाहाबाद, मेरठ मंडल के प्रेक्षकों ने ऐसे विधायकों पर सवाल खड़े कर दिये हैं, जिन्हें आमतौर पर जनाधार वाला कहा जाता है।पहली बार चुनकर विधानसभा पहुंचे विधायकों में से कुछ पर प्रतिष्ठा और जनता की भावना संभालने में कामयाब न हो पाने की बात भी है।
ऐसी रिपोर्ट से बेचैन सपा के रणनीतिकारों ने नए सिरे विधायकों, टिकट के दावेदारों का दम-खम पता करने का अभियान शुरू किया है। सरकारी, खुफिया और 'अपने लोगोंÓ से पार्टी जहां विधायकों, टिकट के दावेदारों के हाल ले रही है, वहीं निजी एजेंसी से जातीय प्रभाव और धार्मिक भावनाओं के प्रभाव का आकलन करा रही है। यह भी हकीकत है कि टिकट बंटवारे की कसौटी की अपने मानकों पर कसने के अलावा सपा के पास ज्यादा विकल्प नहीं है।
इसे अतीत से जोड़कर देखें तो सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव खुद कई बार विधायकों, मंत्रियों को आईना दिखा चुके हैं, यदि उनके कहे को समीक्षा का प्राथमिक चरण मान लिया जाए तो आधे से ज्यादा मंत्री 2017 के टिकट के मानकों पर फेल कहे जा सकते हैं। माना जा रहा है कि जिन क्षेत्रों में प्रत्याशी का ज्यादा विरोध उभरने की संभावना है वहां अंतिम समय में टिकट घोषित होंगे। जबकि हाशिए पर चल रहे विधायक जल्द उम्मीदवारी तय कराना चाहते हैं ताकि वह अपना फैसला ले सकें। ब्राह्मïण चेहरा व पूर्व राष्ट्रीय सचिव राजेश दीक्षित कहते हैं कि दोबारा सरकार बनाने के लिए सब को एकजुट करना होगा। सपा समाज के किसी भी वर्ग को उपेक्षित नहीं करने की नीति पर चल रही है। प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी का कहना है कि चुनाव से पहले सभी दल हालात का जायजा लेते हैं, सपा भी इसी दिशा में काम कर रही है।
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०१.०८.२०१६
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क्यों न छह लेन किया जाए इलाहाबाद-वाराणसी राजमार्ग
हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार व राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण से मांगी जानकारी
इलाहाबाद : हाईकोर्ट ने इलाहाबाद वाराणसी राष्ट्रीय राजमार्ग पर कांवरियों की भीड़ के चलते यातायात की समस्या को देखते हुए राजमार्ग को छह लेन करने के मामले में केंद्र सरकार एवं राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण से एक हफ्ते में जवाब मांगा है। याचिका की अगली सुनवाई आठ अगस्त को होगी।
कांवडिय़ों की भीड़ के चलते इस राजमार्ग पर हो रही यातायात अव्यवस्था को लेकर दाखिल विनोद कालरा की जनहित याचिका पर मुख्य न्यायमूर्ति डीवी भोसले तथा न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खण्डपीठ ने सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि सालों से कांवडिय़ा वाराणसी जाते हैं। राज्य सरकार को इस दौरान आने वाली यातायात की कठिनाइयों का पूरा अनुभव है तो सरकार समस्या को देखते हुए सड़क का चौड़ीकरण क्यों नहीं करती।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि चार लेन सड़क के बीच डिवाइडर है। एक तरफ कांवडिय़ा वाराणसी जाते हैं तो दूसरी तरफ से यातायात चालू रहता है। कांवडिय़ों के कारण दो लेन से यातायात में भारी कठिनाई आ रही है। सड़क 90 फीट चौड़ी होनी चाहिए। प्राधिकरण के अधिवक्ता का कहना था कि सड़क चौड़ीकरण का मसला सरकार का नीतिगत मसला है जिस पर प्राधिकरण कोई कार्यवाही नहीं कर सकता। इस पर कोर्ट ने भारत संघ को भी याचिका में पक्षकार बनाते हुए नोटिस जारी की है तथा भारत सरकार व प्राधिकरण से राजमार्ग के चौड़ीकरण के मामले में जानकारी मांगी है।
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बंगले न छीनने को बनेगा नया कानून !
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- सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर शासन में हुआ मंथन
- विधानमंडल सत्र में कानून में संशोधन संभव
लखनऊ : प्रदेश सरकार विधान मंडल से कानून बनाकर पूर्व मुख्य मंत्रियों, अधिकारियों-कर्मचारियों की एसोसिएशन, स्वयंसेवी संस्था और पत्रकारों को आवास आवंटित करने की गुंजाइश पर मंथन कर रही है। इसी माह संभावित विधानमंडल के मानसून सत्र में उत्तर प्रदेश मिनिस्टर्स (सेलरी, एलाउंसेज एन्ड मिसलेनियस प्रोविजन) एक्ट 1981 में संशोधन कर सकती है।
न्यायमूर्ति एआर दवे, न्यायमूर्ति एनवी रमना व न्यायमूर्ति आर भानुमति की पीठ ने सोमवार को सुनाए फैसले में पूर्व मुख्यमंत्रियों के आवास का आवंटन रद करने के साथ ही उस नियमावली को भी रद कर दिया था, जिसके तहत आवास आवंटन के आदेश होते हैं। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का अध्ययन करने में जुटे कानून विदों का मानना है कि अदालत ने गैर सरकारी व्यक्तियों के आवास का आवंटन रद करने का फैसला भी दिया है। जिससे ट्रस्टों के अलावा, 149 सरकारी-अद्र्धसरकारी कर्मचारी संगठनों के कार्यालय, पत्रकारों, विभिन्न महकमों के सलाहकार, अध्यक्ष, सरकारी अधिवक्ताओं के आवासों का आवंटन भी रद होगा। सूत्रों का कहना है सुप्रीम कोर्ट केफैसले से बड़े वर्ग और सभी राजनीतिक दलों के नेताओं के प्रभावित होने का निष्कर्ष निकलने के बाद राज्य सरकार आवास आवंटन बरकरार रखने की संभावनाओं पर मंथन शुरू कर दिया है।
सूत्रों का कहना है कि सरकार मंत्रियों को आवास आवंटित करने के लिए वर्ष 1981 में बने एक्ट में संशोधन पर विचार कर रही है। मानसून सत्र में एक्ट में संशोधन संबंधी प्रस्ताव रखा जा सकता है।
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व्यवस्थाधिकारियों से मांगा ब्यौरा
राज्य संपत्ति अधिकारी ने सरकारी कालोनियों, विधायक निवासों में कर्मचारी संगठन, राजनीतिक दलों, स्वयंसेवी संस्थाओं, पत्रकारों को आवंटित आवासों का ब्यौरा मांगा है। उनसे बकाया किराये का ब्यौरा मांगा गया है। राज्य संपत्ति अधिकारी बृजराज यादव ने बताया कि विद्युत विभाग के अधिकारियों से बिजली के बिल का बकाया भी पूछा गया है। यादव का कहना है कि अगले तीन दिनों के अंदर ब्योरा तैयार कर लिया जाएगा। फिर अदालत के फैसले के अनुरुप कार्यवाही शुरू की जाएगी।
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आवास खाली करने का नोटिस
अदालत के फैसले पर विधि विशेषज्ञों की राय आने के बाद आवंटियों को आवास खाली करने का नोटिस जारी किया जाएगा। ब्यौरा तैयार हो रहा है। जल्द ही इस दिशा में कार्यवाही शुरू हो जाएगी।
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किसका कितना किराया बाकी
पूर्व मुख्यमंत्री मायावती-3 लाख 49 हजार लगभग
पूर्व मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह-15249 रुपए लगभग
पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह-एक लाख 28 हजार लगभग
पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी- 16027 रुपए लगभग
पूर्व मुख्यमंत्री (दिवंगत)-राम प्रकाश गुप्ता-3.28 लाख लगभग
पूर्व मुख्यमंत्री राम नरेश यादव-15 हजार रुपए लगभग
पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव-कोई किराया नहीं बाकी -------------------
रास्ता अभी बाकी
कोर्ट ने भले पूर्व मुख्य मंत्रियों को आवास आवंटित करने का आदेश गैर कानूनी ठहरा दिया हो मगर विधानसभा से कानून पारित कराने का रास्ता बरकरार है। इतना ही नहीं कानून को पूर्व से ही लागू किया जा सकता है।-उमेश वर्मा, वरिष्ठ अधिवक्ता हाईकोर्ट
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तलाश रहे ब्योरा
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का अध्ययन किया जा रहा है। अदालत ने जिस नियम को रद किया है, उसके जरिये आवंटित आवासों का ब्यौरा तलाशा जा रहा है। विशेषज्ञों की राय मिलने के बाद कार्रवाई होगी-बृजराज यादव, राज्य संपत्ति अधिकारी, उत्तर प्रदेश
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सपा 'सुरों का भी संग्राम छेड़ेगी
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-शिवपाल का नाम गीतों में पिरोया गया, गीतों से अभी परे हैं प्रो. रामगोपाल
परवेज अहमद,लखनऊ: 'क्रांति रथ यात्राÓ के सारथी अखिलेश यादव के व्यक्तित्व को गीतों में पिरोकर वर्ष 2012 का समर फतह करने वाली समाजवादी पार्टी अब शिवपाल यादव की 'कार्यशैलीÓ को सुर-संगीत में लयबद्ध करा रही है। जिसका इस्तेमाल विधानसभा चुनाव होने की संभावना है।
यूं तो सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के संघर्षो को गीत के रूप में स्वरबद्ध करने का इतिहास पुराना है, मगर तब सारे गीत मुलायम-लोहिया पर ही केन्द्रित होते रहे हैं। वर्ष 2012 के चुनाव में प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव के युवा चेहरे को केन्द्रित कर गीत की श्रंखला बनी, जिसने चुनावी मिशन की कामयाबी में कारगर भूमिका निभायी। लोकसभा चुनाव के समय एक पूर्व सांसद का गढ़ा मुहावरा रूपांतरित होकर 'मन से हैं मुलायम, इरादे लोहा हैंÓ गीत के रूप में सामने आया जो सपाइयों की जुबान पर चढ़ा। अब फिर चुनावी मौसम दरपेश हुआ तो अब तक अछूते शिवपाल को केन्द्रित कर गीतों की श्रंखला तैयार होना शुरू हो गई। इटावा के नरेन्द्र यादव द्वारा लिखित व गजल गायक कमाल खान के स्वर वाले गीतों में से एक केबोल हैं-'मिट रहे चेहरों से देखो मलाल है-शिवपाल हैं, यूपी के सच्चे लाल हैं!Ó दूसरा गीत है-'जनता से किए वादे जो, सब पूरे करवाये शिवपालजी...नेताजी का साथ वैसे ही निभा रहे शिवपाल जी। Ó मशहूर गायक जावेद अली ने मुख्यमंत्री अखिलेश की शान और उन्हें सपा का चेहरा बताने वाला गीत गाया है, जिसके बोल हैं-यूपी को प्रगति पथ पर, है यकीं तुम लाओगे, हर इच्छा और हर इक सपना पूरा कर दिखलाओगे...तरक्की का शुभारंभ, प्रगति का श्री गणेश ...अखिलेश... अखिलेश। अब मुलायम परिवार की बात की जाए तो सिर्फ प्रो.रामगोपाल यादव संगीतबद्ध होने से अछूते हैं। गीतों की यह सियासत कैसी है...कितना सटीक है? इस पर समाजवादी चिंतन सभा के अध्यक्ष दीपक मिश्र करते हैं कि गाने हमेशा से संवाद का बेहतर माध्यम रहे हैं।
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१०.०८.२०१६
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सैफई कैफेÓ में मिलेगी गाय के दूध की चाय
-नौजवानों को रोजदार देना मकसद, कैफे की स्थापना उसी दिशा में प्रयास- अखिलेश यादव
-राज्य के दूसरे पयर्टन स्थलों में भी सैफई कैफे की चेन खुलेगी
परवेज अहमद, लखनऊ : हरी मटर का समोसा...और कड़कड़ाती चटनी के साथ आलू-भुना। गाय के शुद्ध दूध की चाय...भैंस के दूध की फिल्टर कॉफी। दिल-दिमाग को सुकून देता वातावरण और शानदार लाउंज। जी हां, कौशल विकास मिशन से प्रशिक्षत युवकों की टोली जल्द ही सरकार की मदद से ऐसी खूबियों वाली फूड चेन स्थापित करेगी और नाम होगा 'सैफई कैफे!Ó, पहला कैफे भी सैफई में ही खुलेगा।
प्रदेश में खान-पान का बड़ा बाजार है। हाल के महीनों में राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय सैलानियों का रुझान भी यहां के पयर्टन स्थलों की ओर बढ़ रहा है। ऐसे में सरकार ने दूसरे राज्यों व विदेशी सैलानियों को लुभाने की लिए अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की सुविधा वाले कैफे खोलने की दिशा में कदम बढ़ाया है। 'सैफई कैफेÓ नाम से शुरू होने वाली इस चेन में कौशल विकास मिशन से प्रशिक्षित युवकों को प्राथमिकता मिलेगी। चार युवकों का चयन हो गया है। ड्रीम प्रोजेक्ट की शुरुआत पैतृक गांव सैफई से करने की जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव कहते हैं कि खान-पान का बाजार बड़ा है। हर सूबे की खास रेसेपी है। कहीं का समोसा खास है तो कहीं की जलेबी। कहीं का डोसा लाजबाव है तो कहीं का नानवेज। और नाश्ता-खाना सबको चाहिए। सैफई में गांव के लोगों की जमीन है। उनके मदद लेकर कैफे शुरू करायेंगे। चंबल सफारी, बर्ड
सेंचुरी तैयार है। सैलानी बढेंग़े तो कैफे की जरूरत होगी। कही पर निगाहें और कहीं पर निशाना के अंदाज में मुख्यमंत्री कहते है कि 'गाय के शुद्ध दूध की चाय पीनी होगी तो कई लोगों को सैफई, चंबल सफारी का रुख
करना होगा। गाय तो गांव वाले ही पालते हैं।Ó अखिलेश यादव पयर्टन की दृष्टि से महत्वपूर्ण शहरों में सैफई कैफे स्थापित कराने का संकेत देते हैं। कहते हैं कि समाजवादी
सरकार नौजवानों को उनके पैरों पर खड़ा करना चाहती है। यह उसी दिशा में एक प्रयास है। प्रमुख सचिव पयर्टन नवनीत सहगल का कहना है कि सैफई कैफे को विस्तार देने की दिशा कदम बढ़ाया जाएगा।
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लाउंज अन्तराष्ट्रीय स्तर के होंगे
'सैफई कैफेÓ का इंटीरियर बहुराष्ट्रीय कंपनियों के कैफे जैसा होगा। शानदार लाउंज होंगे। देशी-विदेशी संगीत सुनने की सुविधा होगी। एक इनफरमेशन कार्नर होगा, जहां प्रदेश के पयर्टन स्थलों का इतिहास और खूबियां जानी जा सकेंगी। आन कॉल टैक्सी की सुविधा होगी।
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सैफई कैफे में क्या खास
इडली-सांभर, इडली फ्राई, दही बड़ा, कई तरह के डोसा, उत्पम, टमाटर उत्पम, फिल्टर कॉफी, लस्सी, गगरी का म_ा, शुद्ध दूध की चाय और सरसों के तेल में बने समोसे भी इस कैफे में होंगे। भुने, भाप में तैयार व्यंजनों की सिरीज की भी योजना है।
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१२.०८.२०१६
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'शक्तिÓ भरोसे दौड़ेगा सपा का चुनावी रथ
-अखिलेश यादव की रथयात्रा शारदीय नवरात्र से
-मुलायम 18 सभाएं करेंगे, डिंपल भी करेंगी प्रचार
-सबका आशीष लेकर चलाएंगे विकास रथ: अखिलेश
परवेज अहमद, लखनऊ : सफलता के'हाथ सौ होते हैं और हारे दुश्मन के हजार हाथ होते हैंÓ। समाजवादी पार्टी इसी कहावत सी सियासी दुश्मनों से मुकाबिल है। संभवत: यही कारण है कि मुख्यमंत्री व सपा के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव का 'विकास रथÓ चुनाव की पथरीली जमीन पर दौड़ाने से पहले ज्योतिषाचार्यों से बेहतर 'मुहूर्तÓ खंगलवाया जा रहा है। शारदीय नवरात्र से यात्रा शुभ बतायी गयी है।
सत्तारूढ़ रहते चुनावी समर में कूदने के अपने नफा-नुकसान है। संसाधनों की उपलब्धता जहां जनता तक पहुंचाने में फायदेमंद होती है, वहीं जनता के मस्तिष्क में विपक्ष के आरोपों की ओर झुकाव होता है। सपा यह मानकर चल भी रही है मुख्य प्रतिद्वंदी भाजपा होगी। और मुददे और सवाल नए होंगे। शायद इसीलिए अखिलेश के विकास रथ की शुरूआत का समय नवरात्र निर्धारित किया गया है। मिशन-2017 में मुलायम सिंह यादव सिर्फ 18 रैलियां करेंगे, जिसकी रूपरेखा भी तैयार हो गयी है, मगर पहली बार कन्नौज की सांसद डिंपल यादव भी कुछ चुनिंदा क्षेत्रों में प्रचार का जिम्मा संभालेंगी। सूत्रों का कहना है कि इस बार का अखिलेश का विकास रथ 'बुलट प्रूफÓ है। वह क्रांति रथ से बड़ा है। इंटरनेट, टीवी की सुविधा के साथ हाईड्रोलिक लिफ्ट और दूर तक सुनाई देने वाले स्पीकरों की सुविधा भी है। इसमें सरकारी काम निपटने का एक कोना भी है। सूत्रों का कहना है कि विकास रथ जिस ओर कूच करने वाला होगा, उस ओर दो दिन पहले युवा ब्रिगेड की टोली पहुंचेगी। जो उत्तेजक राग और ढोल नगाड़ों की धुन पर तैयार गीत बजायेगी। नुक्कड़ नाटक करेगी। युवजन सभा, लोहिया वाहिनी, छात्रसभा, मुलायम सिंह यूथ ब्रिगेड रथ पहुंचने से पहले क्षेत्र में न सिर्फ सकारात्मक वातावरण बनाएगी बल्कि क्षेत्रीय समस्याएं चिन्हित कर उसकी जानकारी अखिलेश को उपलब्ध करायेगी, भाषणों में उसका उपयोग होगा। अखिलेश यादव ने 2012 के चुनाव में नौजवानों पर पर भरोसा जताया था, इस बार भी युवा जोश ही मुख्य भूमिका में होगा। मगर फर्क यह होगा कि इस बार पांच साल का हिसाब भी देना होगा। अखिलेश इस परिस्थिति को समझ भी रहे हैं, इसीलिए भाजपा व समर्थक दलों के 73 सांसदों को पत्र लिखकर विकास में सहयोग न करने की उलाहना दी है तो अपने दल के सांसदों को भी विकास कार्यों में दिलचस्पी लेने का संदेश दिया है।
नवरात्र यानी अक्टूबर में चुनावी अभियान शुरूआत का एक कारण अभियान को लगातार अक्षुण्य रखना भी है और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने दैनिक जागरण से कहा भी कि 'एक बार रथ पर सवार हुआ तो फिर जनता तक अपनी बात पहुंचाकर लौटूंगा। हम विकास को मुद्दा बनायेंगे, जनता को केन्द्र और राज्य सरकार के विकास की तुलना का मौका मिलेगा। तय उन्हें करना है।Ó वह जोड़ते हैं कि समाजवादी सभी धर्म जाति को सम्मान देने में यकीन करते हैं। रथ पर सवार होने से पहले सभी धर्म गुरुओं और आस्थावानों का आशीष लिया जाएगा।
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१४.०८.२०१६
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-दिसंबर में चुनाव की तैयारी में जुटी सपा
-प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव ने जिलाध्यक्षों, विधायकों, प्रत्याशियों को भेजा निर्देश
-एक से सात सितंबर तक बूथ प्रशिक्षण शिविर में प्रत्याशियों, विधायकों की मौजूदगी अनिवार्य
परवेज अहमद, लखनऊ : प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी दिसंबर माह में चुनावी डुगडुगी की संभावना के आधार पर लाव-लश्कर दुरुस्त कर रही है। एक से सात सितंबर तक विधानसभा क्षेत्रों में प्रस्तावित प्रशिक्षण शिविरों में प्रत्याशियों, विधायकों और क्षेत्रीय मंत्रियों को मौजूद रहने की हिदायत दी गयी है। शिविरों की निगरानी प्रेक्षक भी तैनात किये गए हैं।
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की ओर से संगठन व विभिन्न पदों पर आसीन ओहदेदारों को भेजे गये निर्देश में कहा गया है कि दिसंबर में विधानसभा चुनाव की संभावना है। ऐसे में बूथ कमेटियों के गठन के साथ विधानसभा क्षेत्रों में कार्यकर्ता सम्मेलन, प्रशिक्षण शिविर लगाये जाएं। जिन जिलों में पांच से कम विधानसभा क्षेत्र हैं, वहां एक दिन छोड़कर शिविर लगाये जाएं, अन्य क्षेत्रों में एक दिन में एक ही विधानसभा क्षेत्र में प्रशिक्षण शिविर लगाया जाए। इसमें कम से कम तीन हजार कार्यकर्ताओं की भागीदारी सुनिश्चित की जाए। यादव ने कहा है कि 'एक बूथ-बीस यूथÓ की बूथ कमेटियां गठित की जानी है, मगर अब तक 315 विधानसभा क्षेत्रों में ही कमेटियां बनी हैं। बचे हुए क्षेत्रों में 20 अगस्त कमेटियां गठित कर लेने की हिदायत दी गई है।
प्रदेश सचिव व विधान परिषद सदस्य एसआरएस की ओर से जिलाध्यक्षों को भेजे गये मुख्यमंत्री अख्रिलेश यादव के पत्र में कहा गया है कि समाजवादी सरकार ने साढ़े चार साल के कार्यकाल में जो भी विकास कार्य कराए हैं, उनके होर्डिंग, बैनर प्रभावी ढंग से लगाये जाएं। कार्यकर्ता घर-घर जाकर लोगों से संपर्क करें।
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बूथ कार्यकर्ता को जिम्मेदारी बतायें
विधायकों, प्रत्याशियों और जिलाध्यक्षों से कहा गया है कि वह बूथ कमेटियों के सदस्यों को साफ शब्दों में यह बतायें कि मतदान के दिन और उससे पहले उन्हें क्या-क्या कार्य करने हैं, उनका उत्तरदायित्व क्या है? बूथ कमेटी के सदस्यों की दिक्कतों को भी सुनकर उसे अतिशीघ्र सुलझाया जाए।
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विधायक भी लगाएं होर्डिंग
सपा के प्रदेश अध्यक्ष ने विधायकों को भी निर्देशित किया है कि उनके क्षेत्र में जो भी विकास कार्य हुए हैं और कराये गये हैं, उसकी जानकारी देने वाले बोर्ड क्षेत्र में लगाये जायें। सरकार की समाजवादी पेंशन, किसानों की आर्थिक मदद और केन्द्र सरकार के सौतेलेपन का प्रचार करने को कहा गया है।
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घोषणा पत्र योग्य समस्या जानें
विधायकों व प्रत्याशियों से कहा गया है कि वह इन्ही प्रशिक्षण शिविरों में यह भी जानने का प्रयास करेंगे कि अब मुख्य समस्या क्या है ताकि उसे पार्टी चुनावी घोषणा पत्र का हिस्सा बनाकर विपक्षी दलों को उसका जवाब दे सके। सपा के प्रदेश सचिव एसआरएस यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री के निर्देश जिलाध्यक्षों व पार्टी के अन्य पदाधिकारियों को भेज दिये गये हैं। बूथ प्रशिक्षण शिविर एक से सात सितम्बर तक पूरा करा लिया जाएगा।
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२२.०८.२०१६
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दावेदारों का दम फिर से टटोल रही सपा
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-गुपचुप तैयार हो रहे सर्वे के आधार पर होगा प्रत्याशियों का चयन
-विधायकों की करवट से पार्टी चौकन्नी, नए सिरे से दमखम तौलकर टिकट बांटने की तैयारी
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परवेज अहमद, लखनऊ : कुछ महीनों के अंदर होने वाले विधानसभा चुनाव में फिर जादुई आंकड़े तक पहुंचने की आस बांधे समाजवादी पार्टी (सपा) टिकट बंटवारे में गफलत नहीं चाहती। इसीलिए पार्टी सरकारी खुफिया, निजी एजेंसी और 'अपने लोगोंÓ से विधायकों, दावेदारों का दम-खम टटोलने के प्रयास में लगी है।
पार्टी की इस रणनीति से वाकिफ हो गए कई विधायक अब एक आंख से विकल्प और दूसरी से दल का रुख भांपने का प्रयास कर रहे हैं। यह चर्चा भी खुलकर हो रही है कि मंडलीय प्रेक्षक रहे युवा विधान परिषद सदस्यों ने नेतृत्व को जो रिपोर्ट सौंपी है, उसमें तमाम किन्तु-परन्तु हैं ही, ढेरों विधायकों की जमीनी पकड़ कमजोर होने के संकेत भी हैं। लखनऊ व बाराबंकी, इलाहाबाद, मेरठ मंडल के प्रेक्षकों ने ऐसे विधायकों पर सवाल खड़े कर दिये हैं, जिन्हें आमतौर पर जनाधार वाला कहा जाता है।पहली बार चुनकर विधानसभा पहुंचे विधायकों में से कुछ पर प्रतिष्ठा और जनता की भावना संभालने में कामयाब न हो पाने की बात भी है।
ऐसी रिपोर्ट से बेचैन सपा के रणनीतिकारों ने नए सिरे विधायकों, टिकट के दावेदारों का दम-खम पता करने का अभियान शुरू किया है। सरकारी, खुफिया और 'अपने लोगोंÓ से पार्टी जहां विधायकों, टिकट के दावेदारों के हाल ले रही है, वहीं निजी एजेंसी से जातीय प्रभाव और धार्मिक भावनाओं के प्रभाव का आकलन करा रही है। यह भी हकीकत है कि टिकट बंटवारे की कसौटी की अपने मानकों पर कसने के अलावा सपा के पास ज्यादा विकल्प नहीं है।
इसे अतीत से जोड़कर देखें तो सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव खुद कई बार विधायकों, मंत्रियों को आईना दिखा चुके हैं, यदि उनके कहे को समीक्षा का प्राथमिक चरण मान लिया जाए तो आधे से ज्यादा मंत्री 2017 के टिकट के मानकों पर फेल कहे जा सकते हैं। माना जा रहा है कि जिन क्षेत्रों में प्रत्याशी का ज्यादा विरोध उभरने की संभावना है वहां अंतिम समय में टिकट घोषित होंगे। जबकि हाशिए पर चल रहे विधायक जल्द उम्मीदवारी तय कराना चाहते हैं ताकि वह अपना फैसला ले सकें। ब्राह्मïण चेहरा व पूर्व राष्ट्रीय सचिव राजेश दीक्षित कहते हैं कि दोबारा सरकार बनाने के लिए सब को एकजुट करना होगा। सपा समाज के किसी भी वर्ग को उपेक्षित नहीं करने की नीति पर चल रही है। प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी का कहना है कि चुनाव से पहले सभी दल हालात का जायजा लेते हैं, सपा भी इसी दिशा में काम कर रही है।
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हाईकोर्ट: क्यों न छह लेन किया जाए इलाहाबाद-वाराणसी राजमार्ग
हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार व राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण से मांगी जानकारी
विधि संवाददाता, इलाहाबाद : हाईकोर्ट ने इलाहाबाद वाराणसी राष्ट्रीय राजमार्ग पर कांवरियों की भीड़ के चलते यातायात की समस्या को देखते हुए राजमार्ग को छह लेन करने के मामले में केंद्र सरकार एवं राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण से एक हफ्ते में जवाब मांगा है। याचिका की अगली सुनवाई आठ अगस्त को होगी।
कांवडिय़ों की भीड़ के चलते इस राजमार्ग पर हो रही यातायात अव्यवस्था को लेकर दाखिल विनोद कालरा की जनहित याचिका पर मुख्य न्यायमूर्ति डीवी भोसले तथा न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खण्डपीठ ने सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि सालों से कांवडिय़ा वाराणसी जाते हैं। राज्य सरकार को इस दौरान आने वाली यातायात की कठिनाइयों का पूरा अनुभव है तो सरकार समस्या को देखते हुए सड़क का चौड़ीकरण क्यों नहीं करती।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि चार लेन सड़क के बीच डिवाइडर है। एक तरफ कांवडिय़ा वाराणसी जाते हैं तो दूसरी तरफ से यातायात चालू रहता है। कांवडिय़ों के कारण दो लेन से यातायात में भारी कठिनाई आ रही है। सड़क 90 फीट चौड़ी होनी चाहिए। प्राधिकरण के अधिवक्ता का कहना था कि सड़क चौड़ीकरण का मसला सरकार का नीतिगत मसला है जिस पर प्राधिकरण कोई कार्यवाही नहीं कर सकता। इस पर कोर्ट ने भारत संघ को भी याचिका में पक्षकार बनाते हुए नोटिस जारी की है तथा भारत सरकार व प्राधिकरण से राजमार्ग के चौड़ीकरण के मामले में जानकारी मांगी है।
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बंगले न छीनने को बनेगा नया कानून !
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- सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर शासन में हुआ मंथन
- विधानमंडल सत्र में कानून में संशोधन संभव
लखनऊ : प्रदेश सरकार विधान मंडल से कानून बनाकर पूर्व मुख्य मंत्रियों, अधिकारियों-कर्मचारियों की एसोसिएशन, स्वयंसेवी संस्था और पत्रकारों को आवास आवंटित करने की गुंजाइश पर मंथन कर रही है। इसी माह संभावित विधानमंडल के मानसून सत्र में उत्तर प्रदेश मिनिस्टर्स (सेलरी, एलाउंसेज एन्ड मिसलेनियस प्रोविजन) एक्ट 1981 में संशोधन कर सकती है।
न्यायमूर्ति एआर दवे, न्यायमूर्ति एनवी रमना व न्यायमूर्ति आर भानुमति की पीठ ने सोमवार को सुनाए फैसले में पूर्व मुख्यमंत्रियों के आवास का आवंटन रद करने के साथ ही उस नियमावली को भी रद कर दिया था, जिसके तहत आवास आवंटन के आदेश होते हैं। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का अध्ययन करने में जुटे कानून विदों का मानना है कि अदालत ने गैर सरकारी व्यक्तियों के आवास का आवंटन रद करने का फैसला भी दिया है। जिससे ट्रस्टों के अलावा, 149 सरकारी-अद्र्धसरकारी कर्मचारी संगठनों के कार्यालय, पत्रकारों, विभिन्न महकमों के सलाहकार, अध्यक्ष, सरकारी अधिवक्ताओं के आवासों का आवंटन भी रद होगा। सूत्रों का कहना है सुप्रीम कोर्ट केफैसले से बड़े वर्ग और सभी राजनीतिक दलों के नेताओं के प्रभावित होने का निष्कर्ष निकलने के बाद राज्य सरकार आवास आवंटन बरकरार रखने की संभावनाओं पर मंथन शुरू कर दिया है।
सूत्रों का कहना है कि सरकार मंत्रियों को आवास आवंटित करने के लिए वर्ष 1981 में बने एक्ट में संशोधन पर विचार कर रही है। मानसून सत्र में एक्ट में संशोधन संबंधी प्रस्ताव रखा जा सकता है।
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व्यवस्थाधिकारियों से मांगा ब्यौरा
राज्य संपत्ति अधिकारी ने सरकारी कालोनियों, विधायक निवासों में कर्मचारी संगठन, राजनीतिक दलों, स्वयंसेवी संस्थाओं, पत्रकारों को आवंटित आवासों का ब्यौरा मांगा है। उनसे बकाया किराये का ब्यौरा मांगा गया है। राज्य संपत्ति अधिकारी बृजराज यादव ने बताया कि विद्युत विभाग के अधिकारियों से बिजली के बिल का बकाया भी पूछा गया है। यादव का कहना है कि अगले तीन दिनों के अंदर ब्योरा तैयार कर लिया जाएगा। फिर अदालत के फैसले के अनुरुप कार्यवाही शुरू की जाएगी।
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आवास खाली करने का नोटिस
अदालत के फैसले पर विधि विशेषज्ञों की राय आने के बाद आवंटियों को आवास खाली करने का नोटिस जारी किया जाएगा। ब्यौरा तैयार हो रहा है। जल्द ही इस दिशा में कार्यवाही शुरू हो जाएगी।
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किसका कितना किराया बाकी
पूर्व मुख्यमंत्री मायावती-3 लाख 49 हजार लगभग
पूर्व मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह-15249 रुपए लगभग
पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह-एक लाख 28 हजार लगभग
पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी- 16027 रुपए लगभग
पूर्व मुख्यमंत्री (दिवंगत)-राम प्रकाश गुप्ता-3.28 लाख लगभग
पूर्व मुख्यमंत्री राम नरेश यादव-15 हजार रुपए लगभग
पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव-कोई किराया नहीं बाकी -------------------
रास्ता अभी बाकी
कोर्ट ने भले पूर्व मुख्य मंत्रियों को आवास आवंटित करने का आदेश गैर कानूनी ठहरा दिया हो मगर विधानसभा से कानून पारित कराने का रास्ता बरकरार है। इतना ही नहीं कानून को पूर्व से ही लागू किया जा सकता है।-उमेश वर्मा, वरिष्ठ अधिवक्ता हाईकोर्ट
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तलाश रहे ब्योरा
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का अध्ययन किया जा रहा है। अदालत ने जिस नियम को रद किया है, उसके जरिये आवंटित आवासों का ब्यौरा तलाशा जा रहा है। विशेषज्ञों की राय मिलने के बाद कार्रवाई होगी-बृजराज यादव, राज्य संपत्ति अधिकारी, उत्तर प्रदेश
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सपा 'सुरोंÓ का भी संग्राम छेड़ेगी
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-शिवपाल का नाम गीतों में पिरोया गया, गीतों से अभी परे हैं प्रो. रामगोपाल
परवेज अहमद,लखनऊ: 'क्रांति रथ यात्राÓ के सारथी अखिलेश यादव के व्यक्तित्व को गीतों में पिरोकर वर्ष 2012 का समर फतह करने वाली समाजवादी पार्टी अब शिवपाल यादव की 'कार्यशैलीÓ को सुर-संगीत में लयबद्ध करा रही है। जिसका इस्तेमाल विधानसभा चुनाव होने की संभावना है।
यूं तो सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के संघर्षो को गीत के रूप में स्वरबद्ध करने का इतिहास पुराना है, मगर तब सारे गीत मुलायम-लोहिया पर ही केन्द्रित होते रहे हैं। वर्ष 2012 के चुनाव में प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव के युवा चेहरे को केन्द्रित कर गीत की श्रंखला बनी, जिसने चुनावी मिशन की कामयाबी में कारगर भूमिका निभायी। लोकसभा चुनाव के समय एक पूर्व सांसद का गढ़ा मुहावरा रूपांतरित होकर 'मन से हैं मुलायम, इरादे लोहा हैंÓ गीत के रूप में सामने आया जो सपाइयों की जुबान पर चढ़ा। अब फिर चुनावी मौसम दरपेश हुआ तो अब तक अछूते शिवपाल को केन्द्रित कर गीतों की श्रंखला तैयार होना शुरू हो गई। इटावा के नरेन्द्र यादव द्वारा लिखित व गजल गायक कमाल खान के स्वर वाले गीतों में से एक केबोल हैं-'मिट रहे चेहरों से देखो मलाल है-शिवपाल हैं, यूपी के सच्चे लाल हैं!Ó दूसरा गीत है-'जनता से किए वादे जो, सब पूरे करवाये शिवपालजी...नेताजी का साथ वैसे ही निभा रहे शिवपाल जी। Ó मशहूर गायक जावेद अली ने मुख्यमंत्री अखिलेश की शान और उन्हें सपा का चेहरा बताने वाला गीत गाया है, जिसके बोल हैं-यूपी को प्रगति पथ पर, है यकीं तुम लाओगे, हर इच्छा और हर इक सपना पूरा कर दिखलाओगे...तरक्की का शुभारंभ, प्रगति का श्री गणेश ...अखिलेश... अखिलेश। अब मुलायम परिवार की बात की जाए तो सिर्फ प्रो.रामगोपाल यादव संगीतबद्ध होने से अछूते हैं। गीतों की यह सियासत कैसी है...कितना सटीक है? इस पर समाजवादी चिंतन सभा के अध्यक्ष दीपक मिश्र करते हैं कि गाने हमेशा से संवाद का बेहतर माध्यम रहे हैं।
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सैफई कैफेÓ में मिलेगी गाय के दूध की चाय
-नौजवानों को रोजदार देना मकसद, कैफे की स्थापना उसी दिशा में प्रयास- अखिलेश यादव
-राज्य के दूसरे पयर्टन स्थलों में भी सैफई कैफे की चेन खुलेगी
परवेज अहमद, लखनऊ : हरी मटर का समोसा...और कड़कड़ाती चटनी के साथ आलू-भुना। गाय के शुद्ध दूध की चाय...भैंस के दूध की फिल्टर कॉफी। दिल-दिमाग को सुकून देता वातावरण और शानदार लाउंज। जी हां, कौशल विकास मिशन से प्रशिक्षत युवकों की टोली जल्द ही सरकार की मदद से ऐसी खूबियों वाली फूड चेन स्थापित करेगी और नाम होगा 'सैफई कैफे!Ó, पहला कैफे भी सैफई में ही खुलेगा।
प्रदेश में खान-पान का बड़ा बाजार है। हाल के महीनों में राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय सैलानियों का रुझान भी यहां के पयर्टन स्थलों की ओर बढ़ रहा है। ऐसे में सरकार ने दूसरे राज्यों व विदेशी सैलानियों को लुभाने की लिए अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की सुविधा वाले कैफे खोलने की दिशा में कदम बढ़ाया है। 'सैफई कैफेÓ नाम से शुरू होने वाली इस चेन में कौशल विकास मिशन से प्रशिक्षित युवकों को प्राथमिकता मिलेगी। चार युवकों का चयन हो गया है। ड्रीम प्रोजेक्ट की शुरुआत पैतृक गांव सैफई से करने की जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव कहते हैं कि खान-पान का बाजार बड़ा है। हर सूबे की खास रेसेपी है। कहीं का समोसा खास है तो कहीं की जलेबी। कहीं का डोसा लाजबाव है तो कहीं का नानवेज। और नाश्ता-खाना सबको चाहिए। सैफई में गांव के लोगों की जमीन है। उनके मदद लेकर कैफे शुरू करायेंगे। चंबल सफारी, बर्ड
सेंचुरी तैयार है। सैलानी बढेंग़े तो कैफे की जरूरत होगी। कही पर निगाहें और कहीं पर निशाना के अंदाज में मुख्यमंत्री कहते है कि 'गाय के शुद्ध दूध की चाय पीनी होगी तो कई लोगों को सैफई, चंबल सफारी का रुख
करना होगा। गाय तो गांव वाले ही पालते हैं।Ó अखिलेश यादव पयर्टन की दृष्टि से महत्वपूर्ण शहरों में सैफई कैफे स्थापित कराने का संकेत देते हैं। कहते हैं कि समाजवादी
सरकार नौजवानों को उनके पैरों पर खड़ा करना चाहती है। यह उसी दिशा में एक प्रयास है। प्रमुख सचिव पयर्टन नवनीत सहगल का कहना है कि सैफई कैफे को विस्तार देने की दिशा कदम बढ़ाया जाएगा।
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लाउंज अन्तराष्ट्रीय स्तर के होंगे
'सैफई कैफेÓ का इंटीरियर बहुराष्ट्रीय कंपनियों के कैफे जैसा होगा। शानदार लाउंज होंगे। देशी-विदेशी संगीत सुनने की सुविधा होगी। एक इनफरमेशन कार्नर होगा, जहां प्रदेश के पयर्टन स्थलों का इतिहास और खूबियां जानी जा सकेंगी। आन कॉल टैक्सी की सुविधा होगी।
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सैफई कैफे में क्या खास
इडली-सांभर, इडली फ्राई, दही बड़ा, कई तरह के डोसा, उत्पम, टमाटर उत्पम, फिल्टर कॉफी, लस्सी, गगरी का म_ा, शुद्ध दूध की चाय और सरसों के तेल में बने समोसे भी इस कैफे में होंगे। भुने, भाप में तैयार व्यंजनों की सिरीज की भी योजना है।
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१२.०८.२०१६
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'शक्तिÓ भरोसे दौड़ेगा सपा का चुनावी रथ
-अखिलेश यादव की रथयात्रा शारदीय नवरात्र से
-मुलायम 18 सभाएं करेंगे, डिंपल भी करेंगी प्रचार
-सबका आशीष लेकर चलाएंगे विकास रथ: अखिलेश
परवेज अहमद, लखनऊ : सफलता के'हाथ सौ होते हैं और हारे दुश्मन के हजार हाथ होते हैंÓ। समाजवादी पार्टी इसी कहावत सी सियासी दुश्मनों से मुकाबिल है। संभवत: यही कारण है कि मुख्यमंत्री व सपा के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव का 'विकास रथÓ चुनाव की पथरीली जमीन पर दौड़ाने से पहले ज्योतिषाचार्यों से बेहतर 'मुहूर्तÓ खंगलवाया जा रहा है। शारदीय नवरात्र से यात्रा शुभ बतायी गयी है।
सत्तारूढ़ रहते चुनावी समर में कूदने के अपने नफा-नुकसान है। संसाधनों की उपलब्धता जहां जनता तक पहुंचाने में फायदेमंद होती है, वहीं जनता के मस्तिष्क में विपक्ष के आरोपों की ओर झुकाव होता है। सपा यह मानकर चल भी रही है मुख्य प्रतिद्वंदी भाजपा होगी। और मुददे और सवाल नए होंगे। शायद इसीलिए अखिलेश के विकास रथ की शुरूआत का समय नवरात्र निर्धारित किया गया है। मिशन-2017 में मुलायम सिंह यादव सिर्फ 18 रैलियां करेंगे, जिसकी रूपरेखा भी तैयार हो गयी है, मगर पहली बार कन्नौज की सांसद डिंपल यादव भी कुछ चुनिंदा क्षेत्रों में प्रचार का जिम्मा संभालेंगी। सूत्रों का कहना है कि इस बार का अखिलेश का विकास रथ 'बुलट प्रूफÓ है। वह क्रांति रथ से बड़ा है। इंटरनेट, टीवी की सुविधा के साथ हाईड्रोलिक लिफ्ट और दूर तक सुनाई देने वाले स्पीकरों की सुविधा भी है। इसमें सरकारी काम निपटने का एक कोना भी है। सूत्रों का कहना है कि विकास रथ जिस ओर कूच करने वाला होगा, उस ओर दो दिन पहले युवा ब्रिगेड की टोली पहुंचेगी। जो उत्तेजक राग और ढोल नगाड़ों की धुन पर तैयार गीत बजायेगी। नुक्कड़ नाटक करेगी। युवजन सभा, लोहिया वाहिनी, छात्रसभा, मुलायम सिंह यूथ ब्रिगेड रथ पहुंचने से पहले क्षेत्र में न सिर्फ सकारात्मक वातावरण बनाएगी बल्कि क्षेत्रीय समस्याएं चिन्हित कर उसकी जानकारी अखिलेश को उपलब्ध करायेगी, भाषणों में उसका उपयोग होगा। अखिलेश यादव ने 2012 के चुनाव में नौजवानों पर पर भरोसा जताया था, इस बार भी युवा जोश ही मुख्य भूमिका में होगा। मगर फर्क यह होगा कि इस बार पांच साल का हिसाब भी देना होगा। अखिलेश इस परिस्थिति को समझ भी रहे हैं, इसीलिए भाजपा व समर्थक दलों के 73 सांसदों को पत्र लिखकर विकास में सहयोग न करने की उलाहना दी है तो अपने दल के सांसदों को भी विकास कार्यों में दिलचस्पी लेने का संदेश दिया है।
नवरात्र यानी अक्टूबर में चुनावी अभियान शुरूआत का एक कारण अभियान को लगातार अक्षुण्य रखना भी है और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने दैनिक जागरण से कहा भी कि 'एक बार रथ पर सवार हुआ तो फिर जनता तक अपनी बात पहुंचाकर लौटूंगा। हम विकास को मुद्दा बनायेंगे, जनता को केन्द्र और राज्य सरकार के विकास की तुलना का मौका मिलेगा। तय उन्हें करना है।Ó वह जोड़ते हैं कि समाजवादी सभी धर्म जाति को सम्मान देने में यकीन करते हैं। रथ पर सवार होने से पहले सभी धर्म गुरुओं और आस्थावानों का आशीष लिया जाएगा।
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१४.०८.२०१६
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- दिसंबर में चुनाव की तैयारी में जुटी सपा
-प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव ने जिलाध्यक्षों, विधायकों, प्रत्याशियों को भेजा निर्देश
-एक से सात सितंबर तक बूथ प्रशिक्षण शिविर में प्रत्याशियों, विधायकों की मौजूदगी अनिवार्य
परवेज अहमद, लखनऊ : प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी दिसंबर माह में चुनावी डुगडुगी की संभावना के आधार पर लाव-लश्कर दुरुस्त कर रही है। एक से सात सितंबर तक विधानसभा क्षेत्रों में प्रस्तावित प्रशिक्षण शिविरों में प्रत्याशियों, विधायकों और क्षेत्रीय मंत्रियों को मौजूद रहने की हिदायत दी गयी है। शिविरों की निगरानी प्रेक्षक भी तैनात किये गए हैं।
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की ओर से संगठन व विभिन्न पदों पर आसीन ओहदेदारों को भेजे गये निर्देश में कहा गया है कि दिसंबर में विधानसभा चुनाव की संभावना है। ऐसे में बूथ कमेटियों के गठन के साथ विधानसभा क्षेत्रों में कार्यकर्ता सम्मेलन, प्रशिक्षण शिविर लगाये जाएं। जिन जिलों में पांच से कम विधानसभा क्षेत्र हैं, वहां एक दिन छोड़कर शिविर लगाये जाएं, अन्य क्षेत्रों में एक दिन में एक ही विधानसभा क्षेत्र में प्रशिक्षण शिविर लगाया जाए। इसमें कम से कम तीन हजार कार्यकर्ताओं की भागीदारी सुनिश्चित की जाए। यादव ने कहा है कि 'एक बूथ-बीस यूथÓ की बूथ कमेटियां गठित की जानी है, मगर अब तक 315 विधानसभा क्षेत्रों में ही कमेटियां बनी हैं। बचे हुए क्षेत्रों में 20 अगस्त कमेटियां गठित कर लेने की हिदायत दी गई है।
प्रदेश सचिव व विधान परिषद सदस्य एसआरएस की ओर से जिलाध्यक्षों को भेजे गये मुख्यमंत्री अख्रिलेश यादव के पत्र में कहा गया है कि समाजवादी सरकार ने साढ़े चार साल के कार्यकाल में जो भी विकास कार्य कराए हैं, उनके होर्डिंग, बैनर प्रभावी ढंग से लगाये जाएं। कार्यकर्ता घर-घर जाकर लोगों से संपर्क करें।
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बूथ कार्यकर्ता को जिम्मेदारी बतायें
विधायकों, प्रत्याशियों और जिलाध्यक्षों से कहा गया है कि वह बूथ कमेटियों के सदस्यों को साफ शब्दों में यह बतायें कि मतदान के दिन और उससे पहले उन्हें क्या-क्या कार्य करने हैं, उनका उत्तरदायित्व क्या है? बूथ कमेटी के सदस्यों की दिक्कतों को भी सुनकर उसे अतिशीघ्र सुलझाया जाए।
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विधायक भी लगाएं होर्डिंग
सपा के प्रदेश अध्यक्ष ने विधायकों को भी निर्देशित किया है कि उनके क्षेत्र में जो भी विकास कार्य हुए हैं और कराये गये हैं, उसकी जानकारी देने वाले बोर्ड क्षेत्र में लगाये जायें। सरकार की समाजवादी पेंशन, किसानों की आर्थिक मदद और केन्द्र सरकार के सौतेलेपन का प्रचार करने को कहा गया है।
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घोषणा पत्र योग्य समस्या जानें
विधायकों व प्रत्याशियों से कहा गया है कि वह इन्ही प्रशिक्षण शिविरों में यह भी जानने का प्रयास करेंगे कि अब मुख्य समस्या क्या है ताकि उसे पार्टी चुनावी घोषणा पत्र का हिस्सा बनाकर विपक्षी दलों को उसका जवाब दे सके। सपा के प्रदेश सचिव एसआरएस यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री के निर्देश जिलाध्यक्षों व पार्टी के अन्य पदाधिकारियों को भेज दिये गये हैं। बूथ प्रशिक्षण शिविर एक से सात सितम्बर तक पूरा करा लिया जाएगा।
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२२.०८.२०१६
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दावेदारों का दम फिर से टटोल रही सपा
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-गुपचुप तैयार हो रहे सर्वे के आधार पर होगा प्रत्याशियों का चयन
-विधायकों की करवट से पार्टी चौकन्नी, नए सिरे से दमखम तौलकर टिकट बांटने की तैयारी
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परवेज अहमद, लखनऊ : कुछ महीनों के अंदर होने वाले विधानसभा चुनाव में फिर जादुई आंकड़े तक पहुंचने की आस बांधे समाजवादी पार्टी (सपा) टिकट बंटवारे में गफलत नहीं चाहती। इसीलिए पार्टी सरकारी खुफिया, निजी एजेंसी और 'अपने लोगोंÓ से विधायकों, दावेदारों का दम-खम टटोलने के प्रयास में लगी है।
पार्टी की इस रणनीति से वाकिफ हो गए कई विधायक अब एक आंख से विकल्प और दूसरी से दल का रुख भांपने का प्रयास कर रहे हैं। यह चर्चा भी खुलकर हो रही है कि मंडलीय प्रेक्षक रहे युवा विधान परिषद सदस्यों ने नेतृत्व को जो रिपोर्ट सौंपी है, उसमें तमाम किन्तु-परन्तु हैं ही, ढेरों विधायकों की जमीनी पकड़ कमजोर होने के संकेत भी हैं। लखनऊ व बाराबंकी, इलाहाबाद, मेरठ मंडल के प्रेक्षकों ने ऐसे विधायकों पर सवाल खड़े कर दिये हैं, जिन्हें आमतौर पर जनाधार वाला कहा जाता है।पहली बार चुनकर विधानसभा पहुंचे विधायकों में से कुछ पर प्रतिष्ठा और जनता की भावना संभालने में कामयाब न हो पाने की बात भी है।
ऐसी रिपोर्ट से बेचैन सपा के रणनीतिकारों ने नए सिरे विधायकों, टिकट के दावेदारों का दम-खम पता करने का अभियान शुरू किया है। सरकारी, खुफिया और 'अपने लोगोंÓ से पार्टी जहां विधायकों, टिकट के दावेदारों के हाल ले रही है, वहीं निजी एजेंसी से जातीय प्रभाव और धार्मिक भावनाओं के प्रभाव का आकलन करा रही है। यह भी हकीकत है कि टिकट बंटवारे की कसौटी की अपने मानकों पर कसने के अलावा सपा के पास ज्यादा विकल्प नहीं है।
इसे अतीत से जोड़कर देखें तो सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव खुद कई बार विधायकों, मंत्रियों को आईना दिखा चुके हैं, यदि उनके कहे को समीक्षा का प्राथमिक चरण मान लिया जाए तो आधे से ज्यादा मंत्री 2017 के टिकट के मानकों पर फेल कहे जा सकते हैं। माना जा रहा है कि जिन क्षेत्रों में प्रत्याशी का ज्यादा विरोध उभरने की संभावना है वहां अंतिम समय में टिकट घोषित होंगे। जबकि हाशिए पर चल रहे विधायक जल्द उम्मीदवारी तय कराना चाहते हैं ताकि वह अपना फैसला ले सकें। ब्राह्मïण चेहरा व पूर्व राष्ट्रीय सचिव राजेश दीक्षित कहते हैं कि दोबारा सरकार बनाने के लिए सब को एकजुट करना होगा। सपा समाज के किसी भी वर्ग को उपेक्षित नहीं करने की नीति पर चल रही है। प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी का कहना है कि चुनाव से पहले सभी दल हालात का जायजा लेते हैं, सपा भी इसी दिशा में काम कर रही है।
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०१.०८.२०१६
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क्यों न छह लेन किया जाए इलाहाबाद-वाराणसी राजमार्ग
हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार व राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण से मांगी जानकारी
इलाहाबाद : हाईकोर्ट ने इलाहाबाद वाराणसी राष्ट्रीय राजमार्ग पर कांवरियों की भीड़ के चलते यातायात की समस्या को देखते हुए राजमार्ग को छह लेन करने के मामले में केंद्र सरकार एवं राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण से एक हफ्ते में जवाब मांगा है। याचिका की अगली सुनवाई आठ अगस्त को होगी।
कांवडिय़ों की भीड़ के चलते इस राजमार्ग पर हो रही यातायात अव्यवस्था को लेकर दाखिल विनोद कालरा की जनहित याचिका पर मुख्य न्यायमूर्ति डीवी भोसले तथा न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खण्डपीठ ने सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि सालों से कांवडिय़ा वाराणसी जाते हैं। राज्य सरकार को इस दौरान आने वाली यातायात की कठिनाइयों का पूरा अनुभव है तो सरकार समस्या को देखते हुए सड़क का चौड़ीकरण क्यों नहीं करती।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि चार लेन सड़क के बीच डिवाइडर है। एक तरफ कांवडिय़ा वाराणसी जाते हैं तो दूसरी तरफ से यातायात चालू रहता है। कांवडिय़ों के कारण दो लेन से यातायात में भारी कठिनाई आ रही है। सड़क 90 फीट चौड़ी होनी चाहिए। प्राधिकरण के अधिवक्ता का कहना था कि सड़क चौड़ीकरण का मसला सरकार का नीतिगत मसला है जिस पर प्राधिकरण कोई कार्यवाही नहीं कर सकता। इस पर कोर्ट ने भारत संघ को भी याचिका में पक्षकार बनाते हुए नोटिस जारी की है तथा भारत सरकार व प्राधिकरण से राजमार्ग के चौड़ीकरण के मामले में जानकारी मांगी है।
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बंगले न छीनने को बनेगा नया कानून !
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- सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर शासन में हुआ मंथन
- विधानमंडल सत्र में कानून में संशोधन संभव
लखनऊ : प्रदेश सरकार विधान मंडल से कानून बनाकर पूर्व मुख्य मंत्रियों, अधिकारियों-कर्मचारियों की एसोसिएशन, स्वयंसेवी संस्था और पत्रकारों को आवास आवंटित करने की गुंजाइश पर मंथन कर रही है। इसी माह संभावित विधानमंडल के मानसून सत्र में उत्तर प्रदेश मिनिस्टर्स (सेलरी, एलाउंसेज एन्ड मिसलेनियस प्रोविजन) एक्ट 1981 में संशोधन कर सकती है।
न्यायमूर्ति एआर दवे, न्यायमूर्ति एनवी रमना व न्यायमूर्ति आर भानुमति की पीठ ने सोमवार को सुनाए फैसले में पूर्व मुख्यमंत्रियों के आवास का आवंटन रद करने के साथ ही उस नियमावली को भी रद कर दिया था, जिसके तहत आवास आवंटन के आदेश होते हैं। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का अध्ययन करने में जुटे कानून विदों का मानना है कि अदालत ने गैर सरकारी व्यक्तियों के आवास का आवंटन रद करने का फैसला भी दिया है। जिससे ट्रस्टों के अलावा, 149 सरकारी-अद्र्धसरकारी कर्मचारी संगठनों के कार्यालय, पत्रकारों, विभिन्न महकमों के सलाहकार, अध्यक्ष, सरकारी अधिवक्ताओं के आवासों का आवंटन भी रद होगा। सूत्रों का कहना है सुप्रीम कोर्ट केफैसले से बड़े वर्ग और सभी राजनीतिक दलों के नेताओं के प्रभावित होने का निष्कर्ष निकलने के बाद राज्य सरकार आवास आवंटन बरकरार रखने की संभावनाओं पर मंथन शुरू कर दिया है।
सूत्रों का कहना है कि सरकार मंत्रियों को आवास आवंटित करने के लिए वर्ष 1981 में बने एक्ट में संशोधन पर विचार कर रही है। मानसून सत्र में एक्ट में संशोधन संबंधी प्रस्ताव रखा जा सकता है।
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व्यवस्थाधिकारियों से मांगा ब्यौरा
राज्य संपत्ति अधिकारी ने सरकारी कालोनियों, विधायक निवासों में कर्मचारी संगठन, राजनीतिक दलों, स्वयंसेवी संस्थाओं, पत्रकारों को आवंटित आवासों का ब्यौरा मांगा है। उनसे बकाया किराये का ब्यौरा मांगा गया है। राज्य संपत्ति अधिकारी बृजराज यादव ने बताया कि विद्युत विभाग के अधिकारियों से बिजली के बिल का बकाया भी पूछा गया है। यादव का कहना है कि अगले तीन दिनों के अंदर ब्योरा तैयार कर लिया जाएगा। फिर अदालत के फैसले के अनुरुप कार्यवाही शुरू की जाएगी।
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आवास खाली करने का नोटिस
अदालत के फैसले पर विधि विशेषज्ञों की राय आने के बाद आवंटियों को आवास खाली करने का नोटिस जारी किया जाएगा। ब्यौरा तैयार हो रहा है। जल्द ही इस दिशा में कार्यवाही शुरू हो जाएगी।
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किसका कितना किराया बाकी
पूर्व मुख्यमंत्री मायावती-3 लाख 49 हजार लगभग
पूर्व मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह-15249 रुपए लगभग
पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह-एक लाख 28 हजार लगभग
पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी- 16027 रुपए लगभग
पूर्व मुख्यमंत्री (दिवंगत)-राम प्रकाश गुप्ता-3.28 लाख लगभग
पूर्व मुख्यमंत्री राम नरेश यादव-15 हजार रुपए लगभग
पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव-कोई किराया नहीं बाकी -------------------
रास्ता अभी बाकी
कोर्ट ने भले पूर्व मुख्य मंत्रियों को आवास आवंटित करने का आदेश गैर कानूनी ठहरा दिया हो मगर विधानसभा से कानून पारित कराने का रास्ता बरकरार है। इतना ही नहीं कानून को पूर्व से ही लागू किया जा सकता है।-उमेश वर्मा, वरिष्ठ अधिवक्ता हाईकोर्ट
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तलाश रहे ब्योरा
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का अध्ययन किया जा रहा है। अदालत ने जिस नियम को रद किया है, उसके जरिये आवंटित आवासों का ब्यौरा तलाशा जा रहा है। विशेषज्ञों की राय मिलने के बाद कार्रवाई होगी-बृजराज यादव, राज्य संपत्ति अधिकारी, उत्तर प्रदेश
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सपा 'सुरों का भी संग्राम छेड़ेगी
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-शिवपाल का नाम गीतों में पिरोया गया, गीतों से अभी परे हैं प्रो. रामगोपाल
परवेज अहमद,लखनऊ: 'क्रांति रथ यात्राÓ के सारथी अखिलेश यादव के व्यक्तित्व को गीतों में पिरोकर वर्ष 2012 का समर फतह करने वाली समाजवादी पार्टी अब शिवपाल यादव की 'कार्यशैलीÓ को सुर-संगीत में लयबद्ध करा रही है। जिसका इस्तेमाल विधानसभा चुनाव होने की संभावना है।
यूं तो सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के संघर्षो को गीत के रूप में स्वरबद्ध करने का इतिहास पुराना है, मगर तब सारे गीत मुलायम-लोहिया पर ही केन्द्रित होते रहे हैं। वर्ष 2012 के चुनाव में प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव के युवा चेहरे को केन्द्रित कर गीत की श्रंखला बनी, जिसने चुनावी मिशन की कामयाबी में कारगर भूमिका निभायी। लोकसभा चुनाव के समय एक पूर्व सांसद का गढ़ा मुहावरा रूपांतरित होकर 'मन से हैं मुलायम, इरादे लोहा हैंÓ गीत के रूप में सामने आया जो सपाइयों की जुबान पर चढ़ा। अब फिर चुनावी मौसम दरपेश हुआ तो अब तक अछूते शिवपाल को केन्द्रित कर गीतों की श्रंखला तैयार होना शुरू हो गई। इटावा के नरेन्द्र यादव द्वारा लिखित व गजल गायक कमाल खान के स्वर वाले गीतों में से एक केबोल हैं-'मिट रहे चेहरों से देखो मलाल है-शिवपाल हैं, यूपी के सच्चे लाल हैं!Ó दूसरा गीत है-'जनता से किए वादे जो, सब पूरे करवाये शिवपालजी...नेताजी का साथ वैसे ही निभा रहे शिवपाल जी। Ó मशहूर गायक जावेद अली ने मुख्यमंत्री अखिलेश की शान और उन्हें सपा का चेहरा बताने वाला गीत गाया है, जिसके बोल हैं-यूपी को प्रगति पथ पर, है यकीं तुम लाओगे, हर इच्छा और हर इक सपना पूरा कर दिखलाओगे...तरक्की का शुभारंभ, प्रगति का श्री गणेश ...अखिलेश... अखिलेश। अब मुलायम परिवार की बात की जाए तो सिर्फ प्रो.रामगोपाल यादव संगीतबद्ध होने से अछूते हैं। गीतों की यह सियासत कैसी है...कितना सटीक है? इस पर समाजवादी चिंतन सभा के अध्यक्ष दीपक मिश्र करते हैं कि गाने हमेशा से संवाद का बेहतर माध्यम रहे हैं।
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१०.०८.२०१६
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सैफई कैफेÓ में मिलेगी गाय के दूध की चाय
-नौजवानों को रोजदार देना मकसद, कैफे की स्थापना उसी दिशा में प्रयास- अखिलेश यादव
-राज्य के दूसरे पयर्टन स्थलों में भी सैफई कैफे की चेन खुलेगी
परवेज अहमद, लखनऊ : हरी मटर का समोसा...और कड़कड़ाती चटनी के साथ आलू-भुना। गाय के शुद्ध दूध की चाय...भैंस के दूध की फिल्टर कॉफी। दिल-दिमाग को सुकून देता वातावरण और शानदार लाउंज। जी हां, कौशल विकास मिशन से प्रशिक्षत युवकों की टोली जल्द ही सरकार की मदद से ऐसी खूबियों वाली फूड चेन स्थापित करेगी और नाम होगा 'सैफई कैफे!Ó, पहला कैफे भी सैफई में ही खुलेगा।
प्रदेश में खान-पान का बड़ा बाजार है। हाल के महीनों में राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय सैलानियों का रुझान भी यहां के पयर्टन स्थलों की ओर बढ़ रहा है। ऐसे में सरकार ने दूसरे राज्यों व विदेशी सैलानियों को लुभाने की लिए अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की सुविधा वाले कैफे खोलने की दिशा में कदम बढ़ाया है। 'सैफई कैफेÓ नाम से शुरू होने वाली इस चेन में कौशल विकास मिशन से प्रशिक्षित युवकों को प्राथमिकता मिलेगी। चार युवकों का चयन हो गया है। ड्रीम प्रोजेक्ट की शुरुआत पैतृक गांव सैफई से करने की जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव कहते हैं कि खान-पान का बाजार बड़ा है। हर सूबे की खास रेसेपी है। कहीं का समोसा खास है तो कहीं की जलेबी। कहीं का डोसा लाजबाव है तो कहीं का नानवेज। और नाश्ता-खाना सबको चाहिए। सैफई में गांव के लोगों की जमीन है। उनके मदद लेकर कैफे शुरू करायेंगे। चंबल सफारी, बर्ड
सेंचुरी तैयार है। सैलानी बढेंग़े तो कैफे की जरूरत होगी। कही पर निगाहें और कहीं पर निशाना के अंदाज में मुख्यमंत्री कहते है कि 'गाय के शुद्ध दूध की चाय पीनी होगी तो कई लोगों को सैफई, चंबल सफारी का रुख
करना होगा। गाय तो गांव वाले ही पालते हैं।Ó अखिलेश यादव पयर्टन की दृष्टि से महत्वपूर्ण शहरों में सैफई कैफे स्थापित कराने का संकेत देते हैं। कहते हैं कि समाजवादी
सरकार नौजवानों को उनके पैरों पर खड़ा करना चाहती है। यह उसी दिशा में एक प्रयास है। प्रमुख सचिव पयर्टन नवनीत सहगल का कहना है कि सैफई कैफे को विस्तार देने की दिशा कदम बढ़ाया जाएगा।
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लाउंज अन्तराष्ट्रीय स्तर के होंगे
'सैफई कैफेÓ का इंटीरियर बहुराष्ट्रीय कंपनियों के कैफे जैसा होगा। शानदार लाउंज होंगे। देशी-विदेशी संगीत सुनने की सुविधा होगी। एक इनफरमेशन कार्नर होगा, जहां प्रदेश के पयर्टन स्थलों का इतिहास और खूबियां जानी जा सकेंगी। आन कॉल टैक्सी की सुविधा होगी।
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सैफई कैफे में क्या खास
इडली-सांभर, इडली फ्राई, दही बड़ा, कई तरह के डोसा, उत्पम, टमाटर उत्पम, फिल्टर कॉफी, लस्सी, गगरी का म_ा, शुद्ध दूध की चाय और सरसों के तेल में बने समोसे भी इस कैफे में होंगे। भुने, भाप में तैयार व्यंजनों की सिरीज की भी योजना है।
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१२.०८.२०१६
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'शक्तिÓ भरोसे दौड़ेगा सपा का चुनावी रथ
-अखिलेश यादव की रथयात्रा शारदीय नवरात्र से
-मुलायम 18 सभाएं करेंगे, डिंपल भी करेंगी प्रचार
-सबका आशीष लेकर चलाएंगे विकास रथ: अखिलेश
परवेज अहमद, लखनऊ : सफलता के'हाथ सौ होते हैं और हारे दुश्मन के हजार हाथ होते हैंÓ। समाजवादी पार्टी इसी कहावत सी सियासी दुश्मनों से मुकाबिल है। संभवत: यही कारण है कि मुख्यमंत्री व सपा के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव का 'विकास रथÓ चुनाव की पथरीली जमीन पर दौड़ाने से पहले ज्योतिषाचार्यों से बेहतर 'मुहूर्तÓ खंगलवाया जा रहा है। शारदीय नवरात्र से यात्रा शुभ बतायी गयी है।
सत्तारूढ़ रहते चुनावी समर में कूदने के अपने नफा-नुकसान है। संसाधनों की उपलब्धता जहां जनता तक पहुंचाने में फायदेमंद होती है, वहीं जनता के मस्तिष्क में विपक्ष के आरोपों की ओर झुकाव होता है। सपा यह मानकर चल भी रही है मुख्य प्रतिद्वंदी भाजपा होगी। और मुददे और सवाल नए होंगे। शायद इसीलिए अखिलेश के विकास रथ की शुरूआत का समय नवरात्र निर्धारित किया गया है। मिशन-2017 में मुलायम सिंह यादव सिर्फ 18 रैलियां करेंगे, जिसकी रूपरेखा भी तैयार हो गयी है, मगर पहली बार कन्नौज की सांसद डिंपल यादव भी कुछ चुनिंदा क्षेत्रों में प्रचार का जिम्मा संभालेंगी। सूत्रों का कहना है कि इस बार का अखिलेश का विकास रथ 'बुलट प्रूफÓ है। वह क्रांति रथ से बड़ा है। इंटरनेट, टीवी की सुविधा के साथ हाईड्रोलिक लिफ्ट और दूर तक सुनाई देने वाले स्पीकरों की सुविधा भी है। इसमें सरकारी काम निपटने का एक कोना भी है। सूत्रों का कहना है कि विकास रथ जिस ओर कूच करने वाला होगा, उस ओर दो दिन पहले युवा ब्रिगेड की टोली पहुंचेगी। जो उत्तेजक राग और ढोल नगाड़ों की धुन पर तैयार गीत बजायेगी। नुक्कड़ नाटक करेगी। युवजन सभा, लोहिया वाहिनी, छात्रसभा, मुलायम सिंह यूथ ब्रिगेड रथ पहुंचने से पहले क्षेत्र में न सिर्फ सकारात्मक वातावरण बनाएगी बल्कि क्षेत्रीय समस्याएं चिन्हित कर उसकी जानकारी अखिलेश को उपलब्ध करायेगी, भाषणों में उसका उपयोग होगा। अखिलेश यादव ने 2012 के चुनाव में नौजवानों पर पर भरोसा जताया था, इस बार भी युवा जोश ही मुख्य भूमिका में होगा। मगर फर्क यह होगा कि इस बार पांच साल का हिसाब भी देना होगा। अखिलेश इस परिस्थिति को समझ भी रहे हैं, इसीलिए भाजपा व समर्थक दलों के 73 सांसदों को पत्र लिखकर विकास में सहयोग न करने की उलाहना दी है तो अपने दल के सांसदों को भी विकास कार्यों में दिलचस्पी लेने का संदेश दिया है।
नवरात्र यानी अक्टूबर में चुनावी अभियान शुरूआत का एक कारण अभियान को लगातार अक्षुण्य रखना भी है और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने दैनिक जागरण से कहा भी कि 'एक बार रथ पर सवार हुआ तो फिर जनता तक अपनी बात पहुंचाकर लौटूंगा। हम विकास को मुद्दा बनायेंगे, जनता को केन्द्र और राज्य सरकार के विकास की तुलना का मौका मिलेगा। तय उन्हें करना है।Ó वह जोड़ते हैं कि समाजवादी सभी धर्म जाति को सम्मान देने में यकीन करते हैं। रथ पर सवार होने से पहले सभी धर्म गुरुओं और आस्थावानों का आशीष लिया जाएगा।
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१४.०८.२०१६
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-दिसंबर में चुनाव की तैयारी में जुटी सपा
-प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव ने जिलाध्यक्षों, विधायकों, प्रत्याशियों को भेजा निर्देश
-एक से सात सितंबर तक बूथ प्रशिक्षण शिविर में प्रत्याशियों, विधायकों की मौजूदगी अनिवार्य
परवेज अहमद, लखनऊ : प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी दिसंबर माह में चुनावी डुगडुगी की संभावना के आधार पर लाव-लश्कर दुरुस्त कर रही है। एक से सात सितंबर तक विधानसभा क्षेत्रों में प्रस्तावित प्रशिक्षण शिविरों में प्रत्याशियों, विधायकों और क्षेत्रीय मंत्रियों को मौजूद रहने की हिदायत दी गयी है। शिविरों की निगरानी प्रेक्षक भी तैनात किये गए हैं।
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की ओर से संगठन व विभिन्न पदों पर आसीन ओहदेदारों को भेजे गये निर्देश में कहा गया है कि दिसंबर में विधानसभा चुनाव की संभावना है। ऐसे में बूथ कमेटियों के गठन के साथ विधानसभा क्षेत्रों में कार्यकर्ता सम्मेलन, प्रशिक्षण शिविर लगाये जाएं। जिन जिलों में पांच से कम विधानसभा क्षेत्र हैं, वहां एक दिन छोड़कर शिविर लगाये जाएं, अन्य क्षेत्रों में एक दिन में एक ही विधानसभा क्षेत्र में प्रशिक्षण शिविर लगाया जाए। इसमें कम से कम तीन हजार कार्यकर्ताओं की भागीदारी सुनिश्चित की जाए। यादव ने कहा है कि 'एक बूथ-बीस यूथÓ की बूथ कमेटियां गठित की जानी है, मगर अब तक 315 विधानसभा क्षेत्रों में ही कमेटियां बनी हैं। बचे हुए क्षेत्रों में 20 अगस्त कमेटियां गठित कर लेने की हिदायत दी गई है।
प्रदेश सचिव व विधान परिषद सदस्य एसआरएस की ओर से जिलाध्यक्षों को भेजे गये मुख्यमंत्री अख्रिलेश यादव के पत्र में कहा गया है कि समाजवादी सरकार ने साढ़े चार साल के कार्यकाल में जो भी विकास कार्य कराए हैं, उनके होर्डिंग, बैनर प्रभावी ढंग से लगाये जाएं। कार्यकर्ता घर-घर जाकर लोगों से संपर्क करें।
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बूथ कार्यकर्ता को जिम्मेदारी बतायें
विधायकों, प्रत्याशियों और जिलाध्यक्षों से कहा गया है कि वह बूथ कमेटियों के सदस्यों को साफ शब्दों में यह बतायें कि मतदान के दिन और उससे पहले उन्हें क्या-क्या कार्य करने हैं, उनका उत्तरदायित्व क्या है? बूथ कमेटी के सदस्यों की दिक्कतों को भी सुनकर उसे अतिशीघ्र सुलझाया जाए।
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विधायक भी लगाएं होर्डिंग
सपा के प्रदेश अध्यक्ष ने विधायकों को भी निर्देशित किया है कि उनके क्षेत्र में जो भी विकास कार्य हुए हैं और कराये गये हैं, उसकी जानकारी देने वाले बोर्ड क्षेत्र में लगाये जायें। सरकार की समाजवादी पेंशन, किसानों की आर्थिक मदद और केन्द्र सरकार के सौतेलेपन का प्रचार करने को कहा गया है।
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घोषणा पत्र योग्य समस्या जानें
विधायकों व प्रत्याशियों से कहा गया है कि वह इन्ही प्रशिक्षण शिविरों में यह भी जानने का प्रयास करेंगे कि अब मुख्य समस्या क्या है ताकि उसे पार्टी चुनावी घोषणा पत्र का हिस्सा बनाकर विपक्षी दलों को उसका जवाब दे सके। सपा के प्रदेश सचिव एसआरएस यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री के निर्देश जिलाध्यक्षों व पार्टी के अन्य पदाधिकारियों को भेज दिये गये हैं। बूथ प्रशिक्षण शिविर एक से सात सितम्बर तक पूरा करा लिया जाएगा।
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२२.०८.२०१६
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दावेदारों का दम फिर से टटोल रही सपा
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-गुपचुप तैयार हो रहे सर्वे के आधार पर होगा प्रत्याशियों का चयन
-विधायकों की करवट से पार्टी चौकन्नी, नए सिरे से दमखम तौलकर टिकट बांटने की तैयारी
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परवेज अहमद, लखनऊ : कुछ महीनों के अंदर होने वाले विधानसभा चुनाव में फिर जादुई आंकड़े तक पहुंचने की आस बांधे समाजवादी पार्टी (सपा) टिकट बंटवारे में गफलत नहीं चाहती। इसीलिए पार्टी सरकारी खुफिया, निजी एजेंसी और 'अपने लोगोंÓ से विधायकों, दावेदारों का दम-खम टटोलने के प्रयास में लगी है।
पार्टी की इस रणनीति से वाकिफ हो गए कई विधायक अब एक आंख से विकल्प और दूसरी से दल का रुख भांपने का प्रयास कर रहे हैं। यह चर्चा भी खुलकर हो रही है कि मंडलीय प्रेक्षक रहे युवा विधान परिषद सदस्यों ने नेतृत्व को जो रिपोर्ट सौंपी है, उसमें तमाम किन्तु-परन्तु हैं ही, ढेरों विधायकों की जमीनी पकड़ कमजोर होने के संकेत भी हैं। लखनऊ व बाराबंकी, इलाहाबाद, मेरठ मंडल के प्रेक्षकों ने ऐसे विधायकों पर सवाल खड़े कर दिये हैं, जिन्हें आमतौर पर जनाधार वाला कहा जाता है।पहली बार चुनकर विधानसभा पहुंचे विधायकों में से कुछ पर प्रतिष्ठा और जनता की भावना संभालने में कामयाब न हो पाने की बात भी है।
ऐसी रिपोर्ट से बेचैन सपा के रणनीतिकारों ने नए सिरे विधायकों, टिकट के दावेदारों का दम-खम पता करने का अभियान शुरू किया है। सरकारी, खुफिया और 'अपने लोगोंÓ से पार्टी जहां विधायकों, टिकट के दावेदारों के हाल ले रही है, वहीं निजी एजेंसी से जातीय प्रभाव और धार्मिक भावनाओं के प्रभाव का आकलन करा रही है। यह भी हकीकत है कि टिकट बंटवारे की कसौटी की अपने मानकों पर कसने के अलावा सपा के पास ज्यादा विकल्प नहीं है।
इसे अतीत से जोड़कर देखें तो सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव खुद कई बार विधायकों, मंत्रियों को आईना दिखा चुके हैं, यदि उनके कहे को समीक्षा का प्राथमिक चरण मान लिया जाए तो आधे से ज्यादा मंत्री 2017 के टिकट के मानकों पर फेल कहे जा सकते हैं। माना जा रहा है कि जिन क्षेत्रों में प्रत्याशी का ज्यादा विरोध उभरने की संभावना है वहां अंतिम समय में टिकट घोषित होंगे। जबकि हाशिए पर चल रहे विधायक जल्द उम्मीदवारी तय कराना चाहते हैं ताकि वह अपना फैसला ले सकें। ब्राह्मïण चेहरा व पूर्व राष्ट्रीय सचिव राजेश दीक्षित कहते हैं कि दोबारा सरकार बनाने के लिए सब को एकजुट करना होगा। सपा समाज के किसी भी वर्ग को उपेक्षित नहीं करने की नीति पर चल रही है। प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी का कहना है कि चुनाव से पहले सभी दल हालात का जायजा लेते हैं, सपा भी इसी दिशा में काम कर रही है।
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