1978 में आजमगढ़ के उपचुनाव में कांग्रेस ने पहली बार महिला प्रत्याशी मोहसिना किदवई को चुनाव मैदान में उतारा, जो 1975-77 में उत्तर प्रदेश शासन में लघु उद्योग कैबिनेट मंत्री थी. एंटी कांग्रेस लहर के बावजूद आमजगढ़ की जनता ने महिला प्रत्याशी मोहसिना किदवई को चुनाव जीता दिया. इसके बाद कांग्रेस ने 1984 में पूर्वाचल की करीब पांच संसदीय क्षेत्रों से महिला प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में उतारा. सिर्फ चंदौली से चंद्रा त्रिपाठी ही जीत सकीं. क्योंकि वह पंडित कमलापति त्रिपाठी की बहू व लोकपति की पत्नी थीं. पूर्वाचल में पंडित जी की अच्छी साख थी. इस जीत के पीछे कहीं-कहीं यही साख कारगर रही. इसके बाद 1996 में सपा ने एक नया प्रयोग करते हुए भदोही-मिर्जापुर से दस्यु सुंदरी फूलन देवी को मैदान में उतारा, जो छोटी जाति से आती थी. फूलन देवी यहां से चुनाव जीत गयी.
जानकारों का मानना था कि इस संसदीय क्षेत्र में छोटी जातियों की संख्या अधिक होने का लाभ उन्हें मिला था. इसके बाद 1999 में वह सपा के बैनर तले फिर चुनाव जीत गयीं. इसके अलावा बांसगांव से सपा की सुभावती पासवान भी संसद में पहुंचने में कामयाब रहीं. इसके बाद 2004 व 2009 में लोकसभा चुनाव सम्पन्न हुआ, लेकिन कोई महिला संसद में नहीं पहुंची. क्योंकि इन दोनों चुनावों में पूर्वाचल की कई सीटों से बाहुबली मैदान में आ गये. आजमगढ़ से रमाकांत यादव, मछलीशहर से उमाकांत यादव, गाजीपुर से मुख्तार के भाई अफजाल अंसारी, जौनपुर से धनंजय सिंह, वाराणसी से मुख्तार अंसारी आदि. अब इन बाहुबलियों के सामने कोई महिला खड़ी होना तो दूर चुनाव कैसे लड़ेगी. यह हम सभी जानते हैं. अभी हाल ही में एक जनसभा में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने महिलाओं से राजनीति में आने व लोस चुनाव लड़ने की अपील की थी.
पूर्वाचल के नक्शे में 17 जिलें वाराणसी, जौनपुर, चंदौली, गाजीपुर, भदोही, सोनभद्र, मिर्जापुर, आजमगढ़, मऊ, बलिया, गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, महाराजगंज, बस्ती, संत कबीर नगर व सिद्धार्थ नगर दिखेंगे. इन जिलों में लगभग 23 लोकसभा क्षेत्र व 117 विधानसभा क्षेत्र आते हैं. अगर इन जिलों से संबंधित संसदीय क्षेत्र के इतिहास को देखेंगे तो आजमगढ़ से 1978 में कांग्रेस से एक बार मोहसिना किदवई, भदोही-मिर्जापुर से 1996 व 1999 में सपा से फूलन देवी, चंदौली से 1984 में कांग्रेस से चंद्रा त्रिपाठी और बांसगांव से 1996 में सपा की सुभावती पासवान ही लोकसभा की सदस्य बन सकीं, जिसमें से फूलन देवी की हत्या कर दी गयी, चंद्रा त्रिपाठी का निधन हो गया. मोहसिना किदवई हज कमेटी की चेयरमैन व राज्यसभा से सांसद हैं. आजादी के बाद 1952 से लेकर 2009 तक 15 बार लोकसभा चुनाव सम्पन्न हुआ, लेकिन इतने लम्बे संसदीय इतिहास में सिर्फ चार महिलाएं ही संसद में पहुंच सकी,ं जो उनकी आबादी के हिसाब से काफी कम है. ऐसा नहीं है कि महिला नेताओं की संख्या पूर्वाचल की धरती पर कम रही हो. देश में एंटी कांग्रेस की लहर 1977 से शुरू हुई.
1977 में 6वीं आम चुनाव में पूर्वाचल की चंदौली सीट से कांग्रेस ने महिला प्रत्याशी चंद्रा त्रिपाठी को मैदान में उतरा था, लेकिन कांग्रेस के खिलाफ माहौल होने के चलते वह बीएलडी के नरसिंह से करीब 2,04,416 वोट से चुनाव हार गयीं. 1977 में जनता पार्टी की केंद्र में सरकार बनी, लेकिन बीच में ही सरकार गिर गयी और 1980 में 7वां आम चुनाव हुआ. इस चुनाव में भी पूर्वाचल से जुड़े संसदीय क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी न के बराबर रही. सिर्फ पडरौना सीट से निर्दल के रूप में एक महिला प्रत्याशी ने चुनाव लड़ा, जिसे हार का सामना करना पड़ा, लेकिन 1978 में आजमगढ़ के उपचुनाव में कांग्रेस ने मोहसिनया किदवई को मैदान में उतारा. उन्होंने जीत दर्ज करते हुए पहली बार संसद में आजमगढ़ के साथ पूर्वाचल की प्रतिनिधि के रूप में संसद में उपस्थिति दर्ज करायी.
1984 में 8वां लोकसभा का चुनाव सम्पन्न हुआ. चंदौली से कांग्रेस ने फिर चंद्रा त्रिपाठी को प्रत्याशी बनाया. इस बार चंद्रा त्रिपाठी ने पार्टी का परचम लहराया. उन्होंने सिटिंग सांसद निहाल सिंह को 51101 वोटों से हराया. निर्दल मुन्नी अलिस चंदन को सिर्फ 1758 वोट ही मिला. इसके अलावा खलिलाबाद से निर्दल उषा को 4411 मत मिले, बलिया से कमलारानी सिंह को 2185 मत ही मिला. 1989 के 9वें आम चुनाव में गाजीपुर से निर्दल सयैदा ने 2596, सलेमपुर से निर्दल राजपति को 3488, महाराजगंज से अंसारी को 4888, खलिलाबाद से निर्दल उषा को 5152 वोट मिले थे. चंदौली से निर्दल चंद्रा देवी पर 1477 व सात्रिती पर 1041 वोटरों ने विश्वास जताया था. देवरिया से कांग्रेस ने शशि शर्मा को प्रत्याशी बनाया, लेकिन वह जद के राजमंगल से हार गयीं. वह दूसरे नम्बर थीं और 145870 मत प्राप्त किये थे. 1991 में सम्पन्न हुए 10वें लोकसभा चुनाव में डुमरियागंज से कांग्रेस ने मोहसिना किदवई को मैदान में उतारा, लेकिन वह भाजपा के रामपाल को शिकस्त नहीं दे सकीं. 139631 वोट पाकर किदवई दूसरे तथा आईसीएस की सीमा मुस्तफा 49553 मत पाकर चौथे स्थान पर रहीं. इसके अलावा कांग्रेस ने पडरौना से कुंवरानी मोहिनी देवी (42436 मत) व देवरिया से फिर शशि शर्मा (59834 मत) को उम्मीदवार बनाया था. खलिलाबाद से निर्दल उषा देवी को 2285 व चंदौली से जेएनपी की सावित्री को सिर्फ 843 मत ही मिल थे.
1996 के 11वें लोकसभा चुनाव में डूमरियागंज से फिर कांग्रेस की ओर से मोहसिना किदवई, निर्दल सीमा मुस्तफा, रफिया खातून व शिवपति देवी ने भाग्य आजमाया, लेकिन सफलता नहीं मिली. खलिलाबाद से निर्दल उषा पांडेय, बांसगांव से सपा की ओर से सुभावति पासवान, गोरखपुर से निर्दल दुर्गावति व त्रिवेनी गांधी, देवरिया से कांग्रेस से शशि शर्मा, चंदौली से निर्दल कमला, वाराणसी से निर्दल मुस्तरी, कृष्णा निगम व मदिना बेगम, रार्बट्सगंज से अपना दल की रीता, मिर्जापुर से सपा की फूलन देवी, निर्दल जयश्री देवी व रमज्ञा देवी ने चुनाव लड़ा. इस बार सिर्फ सपा की दो प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की. बांसगांव से सुभावति पासवान व मिर्जापुर से फूलन देवी ने पार्टी का परचम लहराया. 1998 के 12वें आम चुनाव में बांसगांव से सपा ने सीटिंग सांसद सुभावति पासवास व मिर्जापुर से फूलन देवी को फिर प्रत्याशी बनाया, लेकिन इस बार दो महिला प्रत्याशी हार गयीं. दोनों सीटों पर जहां भाजपा ने परचम लहराया, वहीं अपना दल की महिला प्रत्याशी की जमानत जब्त हो गयी थी. रार्बट्सगंज से अपना दल की रीता व निर्दल सविता ने चुनाव लड़ा.
केंद्र में बनी राजग की सरकार सिर्फ 13 माह के बाद गिर गयी और 1999 में आम चुनाव फिर से हुआ. खलिलाबाद से एजेबीपी से मतता, बांसगांव से सपा की सुभावति पासवास, गोरखपुर से निर्दल पुष्पा देवी, महराजगंज से बसपा से तलत अजीज, घोसी से कांग्रेस से सुधा राय व निर्दल निर्मला राय, लालगंज से कांग्रेस की ओर से लालती देवी, मछलीशहर से निर्दल तारावति पटेल, मिर्जापुर से सपा की ओर से फूलन देवी व एजेबीपी से सुनीता ने चुनाव लड़ा. सिर्फ मिर्जापुर से सपा प्रत्याशी फूलन देवी ने ही चुनाव जीता. 2004 के 14वें लोकसभा चुनाव में 9 महिला प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा था, लेकिन सफलता किसी को नहीं मिली.
केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व में यूपीए की सरकार बनी. इसके बाद 2009 में 15वां लोकसभा चुनाव सम्पन्न हुआ. इस बार पूर्वाचल से जुड़ी संसदीय सीट से करीब 15 महिला प्रत्याशियों ने किस्मत आजमायी, लेकिन सफलता किसी को नहीं मिली. हालांकि लालगंज भाजपा की नीलम सोनकर, जौनपुर से भाजपा प्रत्याशी सीमा व घोसी से कांग्रेस प्रत्याशी सुधा राय ने चुनाव अच्छा लड़ा. बाकी महिला प्रत्याशियों ने सिर्फ उपस्थिति ही दर्ज करायी. हालांकि यह सारी चीजें बीते समय की, लेकिन संभावना व उम्मीद हमेशा रहती है. पांच साल बाद एक बार फिर आम चुनाव होने वाला है. इन पांच वर्षो में बहुत कुछ बदला है. राजनीतिक समीकरण के साथ अपने अधिकारों व महत्व को लेकर महिलाएं काफी जागरूक हुई हैं. आने वाले आम चुनाव का रिजल्ट एक बार फिर महिलाओं की उपस्थिति दर्शायेगा.
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