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-मुख्यमंत्री को पत्र भेज जताई अनिच्छा
-कहा, विचारार्थ न शामिल किया जाए मेरा नाम
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इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस रवींद्र सिंह ने लोकायुक्त पद के प्रति अपनी अनिच्छा जताई है। शुक्रवार को उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर अपने इस फैसले अवगत कराया है। उन्होंने अनुरोध किया है कि लोकायुक्त के पद पर उनकी नियुक्ति को लेकर उनके नाम को विचारार्थ शामिल न किया जाए। जस्टिस रवींद्र सिंह के इस फैसले से लोकायुक्त पद को लेकर सरकार और राजभवन के बीच का गतिरोध समाप्त होने के आसार हैं।
मुख्यमंत्री ने एक दिन पहले ही लोकायुक्त चयन के लिए नेता प्रतिपक्ष और मुख्य न्यायाधीश की बैठक बुलाई थी। मुख्य न्यायाधीश के न पहुंचने की वजह से यह बैठक टाल दी गई। दूसरे ही दिन शुक्रवार को जस्टिस रवींद्र सिंह ने अप्रत्याशित रूप से यह फैसला ले लिया। माना जा रहा है कि राजभवन द्वारा फाइल रोक लिए जाने की वजह से उन्होंने यह कदम उठाया है। अपने पत्र में उन्होंने इस बात के लिए मुख्यमंत्री को धन्यवाद दिया है कि लोकायुक्त पद के लिए उनके नाम का चयन किया गया। दैनिक जागरण से बातचीत में उन्होंने कहा कि लोकायुक्त जैसे महत्वपूर्ण संवैधानिक पद को लेकर इतना विवाद उचित नहीं था। इस पद की गरिमा है और इससे जनता की आस्था व विश्वास जुड़ा है।
न्यायमूर्ति सिंह के नाम को लेकर जुलाई से ही चर्चा चल रही थी कि वही प्रदेश के नये लोकायुक्त बनेंगे। सरकार ने उनके नाम पर विचार कर नियुक्ति के राजभवन भेजा लेकिन राज्यपाल ने उनके नाम पर असहमति जताते हुए फाइल वापस सरकार को वापस भेज दी। मुख्य न्यायाधीश ने भी उनके नाम पर आपत्तियां जताई थीं।
-मुख्यमंत्री को पत्र भेज जताई अनिच्छा
-कहा, विचारार्थ न शामिल किया जाए मेरा नाम
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इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस रवींद्र सिंह ने लोकायुक्त पद के प्रति अपनी अनिच्छा जताई है। शुक्रवार को उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर अपने इस फैसले अवगत कराया है। उन्होंने अनुरोध किया है कि लोकायुक्त के पद पर उनकी नियुक्ति को लेकर उनके नाम को विचारार्थ शामिल न किया जाए। जस्टिस रवींद्र सिंह के इस फैसले से लोकायुक्त पद को लेकर सरकार और राजभवन के बीच का गतिरोध समाप्त होने के आसार हैं।
मुख्यमंत्री ने एक दिन पहले ही लोकायुक्त चयन के लिए नेता प्रतिपक्ष और मुख्य न्यायाधीश की बैठक बुलाई थी। मुख्य न्यायाधीश के न पहुंचने की वजह से यह बैठक टाल दी गई। दूसरे ही दिन शुक्रवार को जस्टिस रवींद्र सिंह ने अप्रत्याशित रूप से यह फैसला ले लिया। माना जा रहा है कि राजभवन द्वारा फाइल रोक लिए जाने की वजह से उन्होंने यह कदम उठाया है। अपने पत्र में उन्होंने इस बात के लिए मुख्यमंत्री को धन्यवाद दिया है कि लोकायुक्त पद के लिए उनके नाम का चयन किया गया। दैनिक जागरण से बातचीत में उन्होंने कहा कि लोकायुक्त जैसे महत्वपूर्ण संवैधानिक पद को लेकर इतना विवाद उचित नहीं था। इस पद की गरिमा है और इससे जनता की आस्था व विश्वास जुड़ा है।
न्यायमूर्ति सिंह के नाम को लेकर जुलाई से ही चर्चा चल रही थी कि वही प्रदेश के नये लोकायुक्त बनेंगे। सरकार ने उनके नाम पर विचार कर नियुक्ति के राजभवन भेजा लेकिन राज्यपाल ने उनके नाम पर असहमति जताते हुए फाइल वापस सरकार को वापस भेज दी। मुख्य न्यायाधीश ने भी उनके नाम पर आपत्तियां जताई थीं।
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