17.09.2015
दावेदारों की तादाद से घबराए मंत्री
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-पंचायत चुनाव
-किसी एक समर्थक को समर्थन से दूसरों की नाराजगी की दुविधा
-तटस्थ रहने को अपने क्षेत्र के बजाय दूसरे क्षेत्रों में कर रहे दौरा
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परवेज अहमद, लखनऊ
पंचायत चुनाव के अखाड़े में ताल ठोंकने वाले सपाइयों की बढ़ती संख्या से समाजवादी सरकार के मंत्री खासे बेचैन हैं। किसी एक को समर्थन से दूसरे समर्थकों के नाराज होने का खामियाजा विधानसभा में भुगतने का डर उन्हें अभी से सताने लगा है। पार्टी पहले ही हर किसी को चुनाव लडऩे की इजाजत दे चुकी है। ऐसे में कई मंत्रियों ने क्षेत्र में रहने के बजाय दूसरे इलाकों में दौरे लगा लिये हैं।
पंचायत चुनाव का रंग धीरे-धीरे चटख हो रहा है। सियासी दल विधानसभा-2017 का पूर्वाभ्यास मानकर इस चुनाव में परचम फहराने को प्रयासरत हैं। परोक्ष समर्थन के जरिये पुराने कार्यकर्ताओं की जीत सुनिश्चित कराने की रणनीति तैयार हो रही है लेकिन समाजवादी पार्टी अजब मुश्किलों में हैं। एक वार्ड से कई दावेदारों के चलते 'समर्थक उम्मीदवारÓ का चयन मुश्किल का सबब बना है, क्योंकि 'एम-वाईÓ गठजोड़ वाले दावेदारों की तादाद बहुत अधिक है। नतीजे में पार्टी ने 'तटस्थÓ रहने का फैसला किया। इससे सरकार के अधिकतर मंत्रियों की दुश्वारी बढ़ गयी है क्योंकि उनके समर्पित समर्थकों में से ही कई एक ही वार्ड पर दावा ठोंक रहे हैं। पार्टी किसी को भी चुनाव लडऩे से न रोकने की घोषणा कर चुकी है। ऐसे में किसी एक को समर्थन देने पर अन्य की नाराजगी तय है। ऐसे में नाराज कार्यकर्ताओं ने विधानसभा-2017 में मुंह फेर लिया तो फिर उनकी राह भी दुश्वार हो जाएगी। एक वरिष्ठ मंत्री का कहना है कि हर सियासी व्यक्ति चुनाव लडऩे की ख्वाहिश रखता है। इस बार राज्य में सरकार है, लिहाजा दावेदार भी ज्यादा हैं। चुनाव जीतने वाले कार्यकर्ताओं को जिला पंचायत अध्यक्ष व ब्लाक प्रमुख बनने की उम्मीद भी नजर आ रही है। ऐसे में चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे कार्यकर्ताओं को समझाना टेढ़ी खीर है। एक दूसरे मंत्री का मानना है कि संगठन के नुमाइंदे पहले ही पार्टी मुखिया मुलायम सिंह यादव से मंत्रियों की शिकायतें करते रहते हैं। सपा समर्थकों की लड़ाई में दूसरे दल का समर्थक जीत गया तो सारी गाज मंत्रियों पर गिरेगी। ऐसे में तटस्थ रहने का तरीका खोजना जरूरी हो गया है। प्रदेश महासचिव अरविंद सिंह गोप का कहना है कि चुनाव लडऩे वाले दावेदारों की संख्या में अपूर्व इजाफा होना पार्टी और उसके नेतृत्व की लोकप्रियता की पहचान है। वह कहते हैं कि यह सही है कि एक वार्ड से कई दावेदार हैं, लेकिन उनमें सहमति बनाने का प्रयास किया जा रहा है। वह दावा करते हैं कि जिला पंचायत व क्षेत्र पंचायत के वार्डो में सपा समर्थकों की जीत होगी।
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