Friday 20 May 2016

वादों-इरादों के बाद फिर उम्मीदों की राह


published:  20 may-2016



-'उम्मीदों का उत्तर प्रदेशÓ नारे संग जनता के बीच जाने की तैयारी
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परवेज अहमद, लखनऊ : पांच साल पहले की ही तो बात है, जब समाजवादी पार्टी (सपा) के तत्कालीन युवराज अखिलेश यादव 'उम्मीदों की साइकिलÓ लेकर निकले थे। जनता ने उस पर अपने भरोसे के पंख लगाए और सूबे का राज सौंप दिया। गुजरे एक साल से उनकी सरकार 'पूरे हुए वादे, अब हैं नए इरादेÓ साथ जनता के बीच थी। चुनावी साल में सरकार फिर 'उम्मीदोंÓ के 'ट्रैकÓ पर है, नया नारा गढ़ा है 'उम्मीदों का उत्तर प्रदेशÓ।
राजनीति के योद्धा विरोधियों पर हमले और अपनी बेहतरी के लिए नारे गढ़ते रहे हैं। ढेरों नारे लोगों की जुबान पर चढ़ जाते हैं। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में सपा के युवा प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव ने 'उम्मीद की साइकिलÓ के साथ चुनावी अभियान को परवान चढ़ाया और सत्ता हासिल की। सरकार को तीसरे साल में मुख्यमंत्री ने 'पूरे हुए वादे, अब हैं नए इरादेÓ नारा दिया। नौकरशाही को भी इसी के अनुरूप विकास को रफ्तार देने का संदेश भी दिया गया। कुछ समय के अंदर ही नए इरादों के साथ 'बन रहा आज, संवर रहा है कलÓ स्लोगन दिया गया और सरकार इसी के साथ पांचवें साल में दाखिल हुई। अब चुनावी साल में समाजवादी सरकार की ओर से नया नारा दिया गया है-'उम्मीदों का प्रदेश-उत्तर प्रदेश।Ó सरकार की उपलब्धियां गिनाने वाली किताबों, पर्चे व होर्डिंग्स में भी यह नारा नजर आना शुरू हो गया है। हालांकि यह नारा सरकार की ओर से दिया गया है, मगर माना जा रहा है कि समाजवादी पार्टी इसे मिशन-2017 के अभियान का हिस्सा बनाएगी।
समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी का कहना है कि अखिलेश यादव सरकार ने निवेश का माहौल पैदा किया है। गांव और शहर दोनों के समग्र विकास का न सिर्फ माहौल बनाया है बल्कि उसे अमल में भी उतारा है। उत्तर प्रदेश में फिल्म, अस्पताल, शिक्षा, उद्योग की ढेरों संभावनाएं हैं। चुनावी घोषणा पत्र के सभी वादे पूरे होते जा रहे हैं। अब उम्मीदों की बारी है।
प्रमुख सचिव नवनीत सहगल का कहना है कि प्रदेश में असीमित संभावनाओं को देखते हुए सरकार ने 'उत्तर प्रदेश को उम्मीदों का प्रदेशÓ कहा है। इसके पीछे लोगों को यह बताने की मंशा है कि अगर प्रगति की दिशा में सोंच रहे हैं तो उत्तर प्रदेश में उसकी उम्मीद पूरी हो सकती है।

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