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राजनीति और क्रिकेट में कुछ भी असंभव नहीं। आखिरी पल तक नतीजा कुछ भी हो सकता है। लंगोटिया पहलवान और लंगोटिया यारों के बीच बनी पुरानी जुगलबंदी ने फिर यही साबित किया है। विधानसभा चुनाव से पूर्व अमर सिंह व बेनी वर्मा को राज्यसभा टिकट थमाने वाले धरतीपुत्र के फैसले से कई अपनों के पैरों तले से धरती खिसकती नजर आ रही है पर जमीनी हकीकत अब यही है। समाजवादी पार्टी फिर अमर हो गई है।
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अमर, बेनी, संजय सेठ जाएंगे राज्यसभा
-सुखराम, रेवतीरमण, विशंभर व अरविंद सपा प्रत्याशी
-बलराम समेत चार सदस्य दोबारा बनेंगे एमएलसी
-अमर की उम्मीदवारी पर दो फाड़ थे सदस्य
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लखनऊ : समाजवादी पार्टी ने राज्यसभा के सात और विधान परिषद के लिए आठ प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। उम्मीद के मुताबिक अमर सिंह, बेनी वर्मा व बिल्डर संजय सेठ का नाम राज्यसभा के उम्मीदवारों में शामिल है। विधान परिषद के उम्मीदवारों में मंत्री बलराम यादव समेत चार मौजूदा सदस्यों का नाम है।
मुलायम सिंह यादव की अध्यक्षता में मंगलवार को समाजवादी पार्टी की केंद्रीय संसदीय बोर्ड की बैठक हुई, जिसमें पहले मिशन-2017 की तैयारी और फिर प्रत्याशियों के नामों पर चर्चा शुरू हुई। सूत्रों का कहना है कि अमर सिंह के नाम पर महासचिव प्रो.राम गोपाल यादव व मंत्री आजम खां की सहमति नहीं थी। एकाध और सदस्य भी इस नाम पर राजी नहीं थे मगर विरोध आजम व राम गोपाल ने ही जताया। मुस्लिम वर्ग से प्रस्तावित नाम पर भी सदस्यों में एक राय नहीं बन पायी। काफी देर की कवायद के बाद प्रत्याशियों के नाम पर एकराय नहीं बन पायी। देर शाम सपा के प्रदेश प्रभारी शिवपाल यादव ने पत्रकार वार्ता में राज्यसभा व विधान परिषद के उम्मीदवारों की घोषणा की। कहा कि संसदीय बोर्ड की बैठक में नामों पर चर्चा के बाद सदस्यों ने प्रत्याशी चयन का अधिकार मुलायम सिंह को दिया था, जिन्होंने प्रत्याशियों का चयन किया है।
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सपा फंड नहीं जुटाती : शिवपाल
राज्यसभा के उम्मीदवारों में बिल्डर संजय सेठ के नाम को लेकर शिवपाल यादव से पूछा गया कि क्या फंड प्रबंधन के लिए उन्हें राज्यसभा भेजा जा रहा है? जवाब में शिवपाल ने कहा कि समाजवादी पार्टी फंड एकत्रित नहीं करती, उल्टे अपने प्रत्याशियों की मदद करती है। संसदीय बोर्ड ने प्रत्याशी चयन का अधिकार मुलायम सिंह को दिया था, उन्होंने प्रत्याशियों का चयन किया है। इससे समाजवादी पार्टी और आगे बढ़ेगी। अमर सिंह ने क्या समाजवादी पार्टी की सदस्यता ले ली है? इस सवाल को टालते हुए शिवपाल यादव ने कहा है कि वह नेताजी (मुलायम सिंह) के दिल में हैं, पार्टी में शामिल करने को लेकर वही फैसला लेंगे। सपा पहले भी पीएल पुनिया, प्रमोद तिवारी को राज्यसभा भेजने में मदद कर चुकी है। इस श्रंखला में और भी कई लोग हैं। जया प्रदा पर फैसला कब होगा? जवाब में शिवपाल ने कहा कि यह सब राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव को तय करना है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने साफ किया कि पूर्व राज्यपाल अजीज कुरैशी के नाम पर चर्चा नहीं हुई थी।
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'स्कूलों में योग दिवस मुद्दा नहींÓ
स्कूलों में योग दिवस मनाने के केंद्र सरकार के फैसले पर समाजवादी पार्टी के रुख पर शिवपाल यादव ने कहा कि यह अभी मुद्दा नहीं है। इस पर बाद में कोई बात की जाएगी।
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सपा के राज्यसभा के प्रत्याशी
बेनी प्रसाद वर्मा, अमर सिंह, संजय सेठ, सुखराम सिंह यादव, रेवती रमण सिंह, विशंभर निषाद, अरविंद कुमार सिंह।
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सपा के एमएलसी पद के प्रत्याशी
बलराम यादव, यशवंत सिंह, बुक्कल नवाब, राम सुंदर दास निषाद, शतरुद्र प्रकाश, जगजीवन प्रसाद, कमलेश पाठक और रणविजय सिंह।
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- आजम और राम गोपाल ने संसदीय बोर्ड की बैठक बीच में छोड़ी
- अमर सिंह का विरोध, बिल्डर भी लिस्ट में-सुखराम, रेवतीरमण, विशंभर व अरविंद सपा प्रत्याशी
-बलराम समेत चार सदस्य दोबारा बनेंगे एमएलसी
-अमर की उम्मीदवारी पर दो फाड़ थे सदस्य
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लखनऊ : समाजवादी पार्टी ने राज्यसभा के सात और विधान परिषद के लिए आठ प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। उम्मीद के मुताबिक अमर सिंह, बेनी वर्मा व बिल्डर संजय सेठ का नाम राज्यसभा के उम्मीदवारों में शामिल है। विधान परिषद के उम्मीदवारों में मंत्री बलराम यादव समेत चार मौजूदा सदस्यों का नाम है।
मुलायम सिंह यादव की अध्यक्षता में मंगलवार को समाजवादी पार्टी की केंद्रीय संसदीय बोर्ड की बैठक हुई, जिसमें पहले मिशन-2017 की तैयारी और फिर प्रत्याशियों के नामों पर चर्चा शुरू हुई। सूत्रों का कहना है कि अमर सिंह के नाम पर महासचिव प्रो.राम गोपाल यादव व मंत्री आजम खां की सहमति नहीं थी। एकाध और सदस्य भी इस नाम पर राजी नहीं थे मगर विरोध आजम व राम गोपाल ने ही जताया। मुस्लिम वर्ग से प्रस्तावित नाम पर भी सदस्यों में एक राय नहीं बन पायी। काफी देर की कवायद के बाद प्रत्याशियों के नाम पर एकराय नहीं बन पायी। देर शाम सपा के प्रदेश प्रभारी शिवपाल यादव ने पत्रकार वार्ता में राज्यसभा व विधान परिषद के उम्मीदवारों की घोषणा की। कहा कि संसदीय बोर्ड की बैठक में नामों पर चर्चा के बाद सदस्यों ने प्रत्याशी चयन का अधिकार मुलायम सिंह को दिया था, जिन्होंने प्रत्याशियों का चयन किया है।
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सपा फंड नहीं जुटाती : शिवपाल
राज्यसभा के उम्मीदवारों में बिल्डर संजय सेठ के नाम को लेकर शिवपाल यादव से पूछा गया कि क्या फंड प्रबंधन के लिए उन्हें राज्यसभा भेजा जा रहा है? जवाब में शिवपाल ने कहा कि समाजवादी पार्टी फंड एकत्रित नहीं करती, उल्टे अपने प्रत्याशियों की मदद करती है। संसदीय बोर्ड ने प्रत्याशी चयन का अधिकार मुलायम सिंह को दिया था, उन्होंने प्रत्याशियों का चयन किया है। इससे समाजवादी पार्टी और आगे बढ़ेगी। अमर सिंह ने क्या समाजवादी पार्टी की सदस्यता ले ली है? इस सवाल को टालते हुए शिवपाल यादव ने कहा है कि वह नेताजी (मुलायम सिंह) के दिल में हैं, पार्टी में शामिल करने को लेकर वही फैसला लेंगे। सपा पहले भी पीएल पुनिया, प्रमोद तिवारी को राज्यसभा भेजने में मदद कर चुकी है। इस श्रंखला में और भी कई लोग हैं। जया प्रदा पर फैसला कब होगा? जवाब में शिवपाल ने कहा कि यह सब राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव को तय करना है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने साफ किया कि पूर्व राज्यपाल अजीज कुरैशी के नाम पर चर्चा नहीं हुई थी।
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'स्कूलों में योग दिवस मुद्दा नहींÓ
स्कूलों में योग दिवस मनाने के केंद्र सरकार के फैसले पर समाजवादी पार्टी के रुख पर शिवपाल यादव ने कहा कि यह अभी मुद्दा नहीं है। इस पर बाद में कोई बात की जाएगी।
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सपा के राज्यसभा के प्रत्याशी
बेनी प्रसाद वर्मा, अमर सिंह, संजय सेठ, सुखराम सिंह यादव, रेवती रमण सिंह, विशंभर निषाद, अरविंद कुमार सिंह।
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सपा के एमएलसी पद के प्रत्याशी
बलराम यादव, यशवंत सिंह, बुक्कल नवाब, राम सुंदर दास निषाद, शतरुद्र प्रकाश, जगजीवन प्रसाद, कमलेश पाठक और रणविजय सिंह।
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- आजम और राम गोपाल ने संसदीय बोर्ड की बैठक बीच में छोड़ी
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लखनऊ : हुआ वही जिसकी उम्मीद अरसे से की जा रही थी। अमर सिंह को समाजवादी पार्टी में प्रवेश मिला और उधर आजम खां व प्रो रामगोपाल यादव ने नाराजगी जता दी। आजम खां यह कहने से नहीं चूके कि आखिर तो पार्टी मुलायम सिंह की ही है। आजम और रामगोपाल ने संसदीय बोर्ड की बैठक बीच में ही छोड़ दी। राज्यसभा के लिए जारी सपा की लिस्ट में उन बिल्डर संजय सेठ का भी नाम है जिन्हें कई कोशिशों के बाद भी पार्टी एमएलसी नामित नहीं करवा सकी थी।
एमएलसी के लिए चंद ही महीनों पहले संजय सेठ का नाम सरकार ने दो बार राज्यपाल को भेजा पर उन्होंने हर बार आयकर और प्रवर्तन निदेशालय की जांच का हवाला देकर संजय का नाम रोक दिया। वही संजय जो एमएलसी न बन सके, अब राज्यसभा सांसद बनने की राह पर हैं। अलबत्ता बेनी वर्मा को राज्यसभा का प्रत्याशी बनाने के पीछे कुर्मी वोटों को सपा के पाले में करने की रणनीति है। माना जा रहा है बेनी राज्यसभा की शर्त पर ही पिछले सप्ताह 'हाथÓ का साथ छोड़ 'साइकिलÓ पर सवार हुए।
अब सुनिये अमर सिंह का हाल। दो फरवरी 2010 को पार्टी से बाहर हुए अमर सिंह अक्टूबर 2014 में समाजवादी पार्टी के मंच पर नजर आये। फिर तो वह अक्सर ही सपा नेतृत्व के घर भी दिखने लगे, मगर दल में उन्हें शामिल करने की चर्चा होते ही प्रो. राम गोपाल यादव व मंत्री मो. आजम खां का विरोध सामने होता। 29 जनवरी को इटावा में मुलायम सिंह ने यह कह कर कि अमर सिंह दल में नहीं हैं, मगर मेरे दिल में हैं,Ó उनकी वापसी की राह आसान बनाने का प्रयास किया मगर विरोध थमा नहीं। शिवपाल यादव ने 'दिल डिप्लोमेसीÓ का रंग गाढ़ा करने का प्रयास किया मगर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने खामोशी ओढ़ ली जिससे अमर की वापसी पर सवालिया निशान लगा रहा। मंगलवार को संसदीय बोर्ड की बैठक में अमर के नाम का प्रस्ताव आते ही आजम ने विरोध जाहिर किया। सूत्रों का कहना है मुलायम से मुखातिब होकर उन्होंने कहा 'मुझे इस नाम पर एतराज है, मगर पार्टी आपकी है।Ó प्रो.रामगोपाल यादव भी आजम के पक्ष में आ गए। मतभेद बढ़ा तो आजम व राम गोपाल बैठक छोड़कर बाहर निकल गए। रामगोपाल ने फौरन दिल्ली की फ्लाइट पकड़ ली और आजम घर जाकर बैठ गए। कुछ देर बाद आयी राज्यसभा प्रत्याशियों की सूची में अमर के साथ बिल्डर संजय सेठ का नाम भी नजर आया।
राज्यसभा प्रत्याशियों की सूची के साथ एमएलसी उम्मीदवार बनाये गये रणविजय सिंह, कमलेश पाठक को नामित कोटे का एमएलसी बनने के सरकार के प्रस्ताव को भी राजभवन 'नाÓ कह चुका था। सुखराम सिंह यादव व विशंभर निषाद की उम्मीदवारी के पीछे भी सियासी समीकरणों से ज्यादा मुलायम सिंह और उनके पुराने संबंध हैं।
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किसी महिला को नहीं मिला टिकट
राज्यसभा व विधान परिषद के प्रत्याशियों के चयन में महिलाओं को स्थान नहीं मिला है। एक ब्राह्मïण व एक शिया मुसलमान को भी उम्मीदवार बनाया गया है, मगर बड़ी आबादी वाले सुन्नी मुसलमानों टिकट हासिल करने में कामयाबी नहीं पा सके। सूची पर सपा मुखिया मुलायम सिंह की पंसद की छाप नजर आ रही है। चुनावी साल में विधान परिषद व राज्यसभा के चुनाव में जातीय समीकरण साधे जाने की उम्मीद थी, इसी पैमाने को आधार बनाकर पार्टी के अल्पसंख्यक, ब्राह्मïण और महिलाएं टिकट की दावेदारी कर रहे थे, मगर सूची में किसी भी महिला को स्थान नहीं मिला। हालांकि पार्टी ने अति पिछड़े वर्ग के माने जाने वाली निषाद बिरादरी एक-एक नेता को राज्यसभा व विधान परिषद का प्रत्याशी बनाया है। क्षत्रिय समाज को भी पार्टी ने पूरी हिस्सेदारी दी है।
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संजय सेठ पर पड़े थे आयकर छापे
पिछले वर्ष जून में देश भर में संजय सेठ के 15 से अधिक ठिकानों पर आयकर विभाग ने छापे मारे थे। उस समय सेठ ने लगभग सौ करोड़ रुपये की कर चोरी तो स्वीकार ही कर ली थी, छापे के दौरान एक पार्टनर के घर में डेढ़ करोड़ रुपये नकद भी मिले थे। मई 2015 में विधान परिषद में मनोनीत करने से इनकार के पहले राजभवन ने आयकर विभाग से बाकायदा इस बाबत जानकारी भी मांगी थी। राजभवन ने भले ही संजय सेठ को विधान परिषद नहीं भेजा, किन्तु मंगलवार को जारी हुई सपा की राज्यसभा प्रत्याशियों की सूची में सेठ का नाम शामिल था। चर्चा रही कि सपा ने एक तरह से सेठ का प्रमोशन ही कर दिया है।
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जो हो रहा है अच्छा नहीं है : आजम खां
रामपुर : रात को लखनऊ से रामपुर लौटे नगर विकास मंत्री आजम खां ने अमर सिंह को सपा से राज्यसभा प्रत्याशी बनाए जाने पर नाराज जाहिर की। कहा कि, यह दुखद प्रकरण है। जो हो रहा है, अच्छा नहीं हो रहा। उन्होंने कहा कि नेता जी का फैसला है। उन्हें पार्टी के संसदीय बोर्ड ने अधिकृत किया था। वह पार्टी के मालिक हैं। उनके फैसले को चुनौती नहीं दे सकते हैं।
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सपा के राज्यसभा के प्रत्याशियों का प्रोफाइल
-बेनी प्रसाद वर्मा : सिरौली गौसपुर बाराबंकी के मूल निवासी बेनी प्रसाद वर्मा समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्यों में थे वह सपा से तीन बार सांसद बने, वर्ष 2007 में कांग्रेस में चले गये। 2009 में कांग्रेस के टिकट पर सांसद निर्वाचित हुए और इस्पात मंत्री बने। गत दिनों घर वापसी की और अब समाजवादी पार्टी ने उन्हें राज्यसभा का प्रत्याशी बनाया है।
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-अमर सिंह : आजमगढ़ के मूल निवासी 1996 से 2014 तक राज्यसभा में रहे और अब सपा ने फिर प्रत्याशी बनाया है। वर्ष 2010 में निकाले जाने से पूर्व वह समाजवादी पार्टी के सबसे प्रभावशाली नेता थे, उन्हें पार्टी का चेहरा बदलने वाले नेता के रूप में जाना जाता है।
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-सुखराम सिंह यादव : कानपुर के मेहरबान सिंह का पुरवा निवासी व मूलत: समाजवादी हैं। 1990 पहली बार एमएलसी चुने गये। 1993 की मुलायम सरकार में संसदीय कार्य व लोक निर्माण मंत्री रहे। 2002 में दोबारा एमएलसी बने और 2003 में विधान परिषद के सभापति बने। 2008 में तीसरी बार एमएलसी बने।
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-अरविंद कुमार सिंह : गाजीपुर के सबुआ गांव के निवासी अरविंद सिंह ने लखनऊ विश्वविद्यालय से छात्र राजनीति शुरू की और 1994 में छात्रसंघ के उपाध्यक्ष और 1997 में अध्यक्ष निर्वाचित हुए। सपा छात्रसभा के प्रदेश अध्यक्ष रहे और वर्ष 2012 में पहली बार राज्यसभा भेजा था, अब दूसरी बार प्रत्याशी हैं।
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-विशम्भर प्रसाद निषाद : मूल रूप से बांदा के निवासी विशम्भर निषाद ने कांशीराम के साथ दलित मूवमेंट में काम शुरू किया। बसपा से विधायक चुने गए और मंत्री बने। 1992 में बसपा छोड़कर समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए। सपा में महासचिव बनाये गए। जून 2014 में एसपी सिंह बघेल के इस्तीफे से रिक्त सीट पर राज्यसभा भेजे गये और अब पार्टी ने दूसरी बार राज्यसभा का प्रत्याशी बनाया है।
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-रेवती रमण सिंह : इलाहाबाद की करछना तहसील के बरांव गांव के निवासी रेवती रमण सिंह 1974 में पहली बार सोशलिस्ट पार्टी से विधायक चुने गये। अब तक आठ बार विधायक, दो बार सांसद रह चुके हैं। वह एक साल विधानसभा में नेता विरोधी दल भी रहे। मुलायम के करीबी साथियों में शुमार रेवती रमण सिंह अब समाजवादी पार्टी के राज्यसभा के उम्मीदवार हैं।
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-संजय सेठ : लखनऊ के निवासी संजय पेशे से बिल्डर हैं और उत्तर प्रदेश में उनका बड़ा कारोबार है। अब वह राजनीति में दस्तक दे रहे हैं।
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लखनऊ : पार्टी छोडऩे के सवा छह साल बाद सपा से राज्यसभा का टिकट पाए अमर सिंह ने इस दौरान सपा नेतृत्व को लेकर खासे गंभीर बयान दिये हैं। सपा अध्यक्ष को झूठा, जोकर व धृतराष्ट्र तक कहने वाले अमर सिंह ने यह एलान भी किया था कि वह जहर खा लेंगे, किंतु मुलायम की सूरत नहीं देखेंगे।
दो फरवरी 2010 को समाजवादी पार्टी से निकाले जाने के बाद अमर सिंह ने कई साल तक समूचे सपा नेतृत्व को जमकर कोसा था। 15 जनवरी 2011 को आगरा में उन्होंने एलान किया था कि वह मुलायम सिंह यादव की सूरत देखने से पहले पोटेशियम साइनाइड खाकर जान दे देंगे। वह बोले थे, 'मैंने मुलायम सिंह को अपनी दोनों किडनी सप्लाई कीं, बसपा विधायक सप्लाई किये, इसलिए मैं सप्लायर हूंÓ। इसके बाद भी उन्होंने बार-बार मुलायम को कोसा। कभी सार्वजनिक बयान देकर, कभी ब्लॉग में लिखकर उन्होंने चुभने वाली बातें कहीं। ब्लाग में उन्होंने लिखा, 'मुलायम अब आप अपनी अच्छी-बुरी राजनीति के अकेले दर्जी और कूड़ेदान खुद हैं। आपको अपनी भूमिका मुबारक और मेरे राजनीतिक निर्वाण के लिए शुक्रिया।Ó एक बार तो खुद एकलव्य बताकर लिखा, 'मैं मुलायम के लिए एकलव्य बनकर संतुष्ट हूं, पर एकलव्य की तरह अपना अंगूठा उन्हें नहीं दूंगा।
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विवादों भरे अमर के दस बयान
21 मार्च 2010 : मुलायम सिंह या तो लोहियावादी नहीं हैं या फिर अपने स्वार्थी मुलायमवाद का सफेद झूठ लोहिया जी पर मढऩा चाहते हैं। ऐसा लगता है कि सारी नेतृत्व क्षमता, गुणवत्ता सिर्फ एक ही परिवार में है। मेरी गलती थी कि मैंने 14 साल से हो रही इस धांधली को नहीं देखा। (अपने ब्लॉग में)
11 मई 2010 : मैं मुलायम सिंह का दर्जी और कूड़ेदान रहा हूं। उनकी गलत-सलत नीतियों को नैतिकता का कपड़ा सिलकर संवारने का मैं 14 साल का अपराधी हूं, लेकिन दल की गलतियों का श्रेय लेने वाला कूड़ेदान अब मैं नहीं रहा। (अपने ब्लॉग में)
23 अक्टूबर 2010 : मुलायम सिंह यादव ने लोहिया के सिद्धांतों की बलि चढ़ा दी है। लोहिया ने कभी भाई-भतीजावाद को बढ़ावा नहीं दिया। मुलायम इसी को बढ़ावा दे रहे हैं। समाजवादी पार्टी में सिर्फ दो अपवाद थे। एक जनेश्वर मिश्र और दूसरे अमर सिंह। एक को रामजी खा गए तो दूसरे को रामगोपाल। (लखनऊ)
5 दिसंबर 2010: मैं बोल दूंगा तो मुलायम सिंह मुश्किल में पड़ जाएंगे। मेरा मुंह खुला तो सपा के कई नेता जेल पहुंच जाएंगे और मुलायम सिंह को जेल की चक्की पीसनी पड़ेगी। (भदोही)
15 जनवरी 2011: मुलायम सिंह की सूरत देखने से पहले मैं पोटेशियम साइनाइड खाकर जान दे दूंगा। मैंने दलाली करके मुलायम की सरकार बनवाई, फिर भी उन्होंने अपने लोगों से मुझे बेशर्म कहलवाया। (आगरा)
14 अप्रैल 2011: मर जाऊंगा पर समाजवादी पार्टी में वापस नहीं जाऊंगा। सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव अपनी प्रासंगिकता खो चुके हैं। (नागपुर)
25 जनवरी 2012: मैं अब मुलायम सिंह यादव या समाजवादी पार्टी का नौकर नहीं हूं। मुझे उनके तमाम राज मालूम हैं, जिन्हें न तो मैंने उजागर किया है, न कभी करूंगा। (लखनऊ)
21 फरवरी 2012: यूपी के भ्रष्टाचार में मुख्यमंत्री मायावती और मुलायम सिंह यादव दोनों साझीदार हैं। मुलायम सिंह एक पहिए की साइकिल चलाने वाले जोकर हैं। (लखनऊ)
12 अप्रैल 2012: मुलायम सिंह ने बलात्कार पर बयान दिया है कि लड़के हैं, मन मचल जाता है। ऐसा लगता है कि मुलायम सिंह का वश चले तो रेप को भी जायज कर दें। (आगरा)
5 अगस्त 2013: मुलायम सिंह यादव धृतराष्ट्र हो गए हैं। वे भूल जाते हैं कि वे राजा नहीं, जनता के नौकर हैं। (नई दिल्ली)
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