published_ 13th may 2016
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-पूर्व केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा अब जाएंगे राज्यसभा
-पूर्व मंत्री व जाट नेता किरनपाल सिंह भी सपा में वापस लौटे
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कोट
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'बेनी संघर्षों के साथी रहे हैं। उनकी घर वापसी से पार्टी को मजबूती मिलेगी। अब दिल्ली की लड़ाई ज्यादा मजबूती से लड़ी जाएगी। पार्टी का प्रभाव उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं रहेगा।Ó
-मुलायम सिंह यादव, सपा प्रमुख
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'राहुल-सोनिया ने सम्मान दिया मगर कांग्रेसी कल्चर में एडजस्ट नहीं हो पा रहा था। राजनीतिक हूं। दो साल से खाली था। घुटन महसूस कर रहा था। समाजवादी पार्टी नाम मैंने दिया था, निशान व झंडा भी मेरा दिया हुआ है। घर में लड़ाई-सुलह होती रहती है। चुनाव नजदीक हैं। अखिलेश का विरोध करने की स्थिति में नहीं था, इसलिए वापस आ गयाÓ
-बेनी प्रसाद वर्मा, पूर्व केंद्रीय मंत्री
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लखनऊ : अखिल भारतीय कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) सदस्य व पूर्व केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा शुक्रवार को 'हाथÓ का साथ छोड़कर 'साइकिलÓ पर सवार हो गए। वर्मा को राज्यसभा में भेजे जाने की पूरी संभावना है। मुलायम सिंह की सरकार में बेसिक शिक्षा मंत्री रहे और पश्चिमी उप्र में प्रभावशाली जाट नेता किरनपाल सिंह ने भी राष्ट्रीय लोकदल छोड़ सपा में वापसी की। मुलायम ने उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाते हुए कहा कि मंत्री रहते हुए उन्होंने बहुत अच्छा काम किया। इस मौके पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, आजम खां व शिवपाल यादव समेत पार्टी के कई अहम नेता मौजूद रहे।
मुलायम सिंह ने पूर्वांचल के रामकोला कांड की याद दिलायी। कहा कि वहीं पार्टी के गठन की मंशा ने जोर पकड़ा और बेनी प्रसाद ने समाजवादी पार्टी नाम सुझाया था। झंडा और चुनाव चिह्न का सुझाव भी उनका ही था। मुलायम ने बसपा से मिलकर बनायी सरकार का जिक्र किया कि उस समय सभी ने मिलकर रात में राज्यपाल को जगाकर इस्तीफा देने का निर्णय किया था। बेनी के पार्टी छोडऩे की घटना याद करते हुए मुलायम ने बताया कि मैं मुख्यमंत्री था। बेनी आए, लंबी बात हुई, फिर मैं उन्हें छोडऩे गेट तक गया और तीन घंटे बाद उनके सपा छोडऩे की जानकारी हुई तो बहुत दुख हुआ था। आजम ने बीच में चुटकी ली, आप छोडऩे गये थे, इसलिए वह छोड़ गये।
बता दें, सपा की बुनियाद रखने व सियासी ताकत बढ़ाने वालों में शुमार रहे बेनी प्रसाद वर्ष 2006-07 में पार्टी को छोड़ गए थे। उस समय पहले उन्होंने क्रांति दल बनाया फिर कांग्र्रेस में शामिल हो गए। उन्होंने सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव की कार्यशैली पर लगातार हमले किए लेकिन वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में गोंडा संसदीय सीट पर चौथे स्थान पर आने के बाद से खामोशी ओढ़े थे।
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मुसलमानों की समस्या याद आयी
मुलायम ने कहा कि इसमें संदेह नहीं कि मुसलमानों की ढेरों समस्याएं हैं और वे विकास में पीछे हो गए हैं। उनकी उपेक्षा हुई है। हालांकि हर थाने में कम से कम दो-तीन मुसलमान सिपाही तैनात होने की व्यवस्था हुई। इस ओर मुख्यमंत्री को ध्यान देना चाहिए।
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अखिलेश सरकार को सराहा
सपा मुखिया ने एक्सप्रेसवे, मेट्रो, कैंसर हास्पिटल समेत विकास योजनाओं के लिए अखिलेश सरकार को जमकर सराहा। कहा कि लोकसभा में भी जब सरकार के विकास गिनाये तो विपक्षी दल भी प्रतिरोध नहीं कर सके थे। सरकार ने चुनावी घोषणा पत्र पूरा कर दिया है।
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हर राज्य की अलग स्थिति
नीतीश की रैली को लेकर पूछे गये सवाल पर मुलायम ने कहा कि हर राज्य की अपनी स्थिति होती है। हमने उन्हें नहीं छोड़ा। नीतीश के कहने पर संसदीय दल के नेता बने, पार्टी के विलय की भी बात हुई मगर उनके चलते ही साथ छूट गया। सवाल के बीच ही आजम ने कहा कि बिहार की परिस्थिति अलग थी, यहां तो हम ही हम हैं।
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किसने क्या कहा
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'पुरानी किताब, पुराने दोस्त और पुरानी वाइन भुलाई नहीं जा सकती। नेताजी (मुलायम) के पुराने साथी बेनी वर्मा की वापसी से पार्टी को ताकत मिलेगी। सरकार दोबारा सत्ता में आएगीÓ
-अखिलेश यादव, मुख्यमंत्री व सपा प्रदेश अध्यक्ष
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'बेनी प्रसाद से कई बार फोन पर बात होती थी, किरनपाल से मुलाकातें भी होती रहती थीं। बेनी बाबू तो मुझे छोटा भाई मानते रहे। उनके आने से सपा मजबूत होगीÓ
-शिवपाल यादव, मंत्री व सपा महासचिव
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'कुछ कारणों के चलते राष्ट्रीय लोकदल में चला गया था, मगर वहां जनतांत्रिक व जनता के लिए काम करने का आजादी नहीं मिली। क्षेत्र और लोगों की भलाई के काम करने की मंशा से वापस समाजवादी पार्टी में लौटा हूंÓ
-किरनपाल सिंह, पूर्वमंत्री
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पार्टी बनाने वालों में जो जिंदा हैं, उनमें मैं और नेताजी (मुलायम सिंह यादव) हैं। एंबेसडर में तकिया व चादर रखकर भागते दौड़ते पार्टी बनाई। बेनी वर्मा उसी संघर्ष के साथी हैं, मगर इन्होंने बहुत दिल दुखाया। दूसरे दल में रहे मगर मुलायम बड़े दिलवाले हैं, तमाम बातों के बाद कभी भी उनकी शान के खिलाफ कोई बात नहीं की।
-आजम खां, मंत्री व सपा महासचिव
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बेनी का सियासी सफरनामा
-1974 में बाराबंकी के दरियाबाद विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीते
-चौधरी चरण सिंह के संरक्षण में मुलायम सिंह के साथ जुझारू नेता की पहचान बनायी।
-संयुक्त मोर्चा सरकार में मुलायम सिंह रक्षा और बेनी वर्मा संचार मंत्री बने।
-वर्मा 1996, 1998 ,1999 और 2004 में चार बार सपा के टिकट पर सांसद निर्वाचित हुए
-मुलायम के साथ दूरी के बाद 2007 में सपा से अलग होकर समाजवादी क्रांति दल नामक पार्टी बनाई।
-विधानसभा चुनाव में वह खुद हार गए और उनकी पार्टी के सभी उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गयी
-वर्ष 2009 में लोकसभा चुनाव से कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली
-वर्ष 2009 में गोंडा से सांसद निर्वाचित हुए और मनमोहन सिंह के मंत्रिमंडल में पहले राज्यमंत्री और बाद में केंद्रीय इस्पात मंत्री बने
-वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में वह गोंडा संसदीय क्षेत्र में चौथे नंबर पर पहुंच गए।
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-पूर्व केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा अब जाएंगे राज्यसभा
-पूर्व मंत्री व जाट नेता किरनपाल सिंह भी सपा में वापस लौटे
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कोट
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'बेनी संघर्षों के साथी रहे हैं। उनकी घर वापसी से पार्टी को मजबूती मिलेगी। अब दिल्ली की लड़ाई ज्यादा मजबूती से लड़ी जाएगी। पार्टी का प्रभाव उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं रहेगा।Ó
-मुलायम सिंह यादव, सपा प्रमुख
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'राहुल-सोनिया ने सम्मान दिया मगर कांग्रेसी कल्चर में एडजस्ट नहीं हो पा रहा था। राजनीतिक हूं। दो साल से खाली था। घुटन महसूस कर रहा था। समाजवादी पार्टी नाम मैंने दिया था, निशान व झंडा भी मेरा दिया हुआ है। घर में लड़ाई-सुलह होती रहती है। चुनाव नजदीक हैं। अखिलेश का विरोध करने की स्थिति में नहीं था, इसलिए वापस आ गयाÓ
-बेनी प्रसाद वर्मा, पूर्व केंद्रीय मंत्री
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लखनऊ : अखिल भारतीय कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) सदस्य व पूर्व केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा शुक्रवार को 'हाथÓ का साथ छोड़कर 'साइकिलÓ पर सवार हो गए। वर्मा को राज्यसभा में भेजे जाने की पूरी संभावना है। मुलायम सिंह की सरकार में बेसिक शिक्षा मंत्री रहे और पश्चिमी उप्र में प्रभावशाली जाट नेता किरनपाल सिंह ने भी राष्ट्रीय लोकदल छोड़ सपा में वापसी की। मुलायम ने उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाते हुए कहा कि मंत्री रहते हुए उन्होंने बहुत अच्छा काम किया। इस मौके पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, आजम खां व शिवपाल यादव समेत पार्टी के कई अहम नेता मौजूद रहे।
मुलायम सिंह ने पूर्वांचल के रामकोला कांड की याद दिलायी। कहा कि वहीं पार्टी के गठन की मंशा ने जोर पकड़ा और बेनी प्रसाद ने समाजवादी पार्टी नाम सुझाया था। झंडा और चुनाव चिह्न का सुझाव भी उनका ही था। मुलायम ने बसपा से मिलकर बनायी सरकार का जिक्र किया कि उस समय सभी ने मिलकर रात में राज्यपाल को जगाकर इस्तीफा देने का निर्णय किया था। बेनी के पार्टी छोडऩे की घटना याद करते हुए मुलायम ने बताया कि मैं मुख्यमंत्री था। बेनी आए, लंबी बात हुई, फिर मैं उन्हें छोडऩे गेट तक गया और तीन घंटे बाद उनके सपा छोडऩे की जानकारी हुई तो बहुत दुख हुआ था। आजम ने बीच में चुटकी ली, आप छोडऩे गये थे, इसलिए वह छोड़ गये।
बता दें, सपा की बुनियाद रखने व सियासी ताकत बढ़ाने वालों में शुमार रहे बेनी प्रसाद वर्ष 2006-07 में पार्टी को छोड़ गए थे। उस समय पहले उन्होंने क्रांति दल बनाया फिर कांग्र्रेस में शामिल हो गए। उन्होंने सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव की कार्यशैली पर लगातार हमले किए लेकिन वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में गोंडा संसदीय सीट पर चौथे स्थान पर आने के बाद से खामोशी ओढ़े थे।
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मुसलमानों की समस्या याद आयी
मुलायम ने कहा कि इसमें संदेह नहीं कि मुसलमानों की ढेरों समस्याएं हैं और वे विकास में पीछे हो गए हैं। उनकी उपेक्षा हुई है। हालांकि हर थाने में कम से कम दो-तीन मुसलमान सिपाही तैनात होने की व्यवस्था हुई। इस ओर मुख्यमंत्री को ध्यान देना चाहिए।
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अखिलेश सरकार को सराहा
सपा मुखिया ने एक्सप्रेसवे, मेट्रो, कैंसर हास्पिटल समेत विकास योजनाओं के लिए अखिलेश सरकार को जमकर सराहा। कहा कि लोकसभा में भी जब सरकार के विकास गिनाये तो विपक्षी दल भी प्रतिरोध नहीं कर सके थे। सरकार ने चुनावी घोषणा पत्र पूरा कर दिया है।
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हर राज्य की अलग स्थिति
नीतीश की रैली को लेकर पूछे गये सवाल पर मुलायम ने कहा कि हर राज्य की अपनी स्थिति होती है। हमने उन्हें नहीं छोड़ा। नीतीश के कहने पर संसदीय दल के नेता बने, पार्टी के विलय की भी बात हुई मगर उनके चलते ही साथ छूट गया। सवाल के बीच ही आजम ने कहा कि बिहार की परिस्थिति अलग थी, यहां तो हम ही हम हैं।
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किसने क्या कहा
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'पुरानी किताब, पुराने दोस्त और पुरानी वाइन भुलाई नहीं जा सकती। नेताजी (मुलायम) के पुराने साथी बेनी वर्मा की वापसी से पार्टी को ताकत मिलेगी। सरकार दोबारा सत्ता में आएगीÓ
-अखिलेश यादव, मुख्यमंत्री व सपा प्रदेश अध्यक्ष
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'बेनी प्रसाद से कई बार फोन पर बात होती थी, किरनपाल से मुलाकातें भी होती रहती थीं। बेनी बाबू तो मुझे छोटा भाई मानते रहे। उनके आने से सपा मजबूत होगीÓ
-शिवपाल यादव, मंत्री व सपा महासचिव
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'कुछ कारणों के चलते राष्ट्रीय लोकदल में चला गया था, मगर वहां जनतांत्रिक व जनता के लिए काम करने का आजादी नहीं मिली। क्षेत्र और लोगों की भलाई के काम करने की मंशा से वापस समाजवादी पार्टी में लौटा हूंÓ
-किरनपाल सिंह, पूर्वमंत्री
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पार्टी बनाने वालों में जो जिंदा हैं, उनमें मैं और नेताजी (मुलायम सिंह यादव) हैं। एंबेसडर में तकिया व चादर रखकर भागते दौड़ते पार्टी बनाई। बेनी वर्मा उसी संघर्ष के साथी हैं, मगर इन्होंने बहुत दिल दुखाया। दूसरे दल में रहे मगर मुलायम बड़े दिलवाले हैं, तमाम बातों के बाद कभी भी उनकी शान के खिलाफ कोई बात नहीं की।
-आजम खां, मंत्री व सपा महासचिव
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बेनी का सियासी सफरनामा
-1974 में बाराबंकी के दरियाबाद विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीते
-चौधरी चरण सिंह के संरक्षण में मुलायम सिंह के साथ जुझारू नेता की पहचान बनायी।
-संयुक्त मोर्चा सरकार में मुलायम सिंह रक्षा और बेनी वर्मा संचार मंत्री बने।
-वर्मा 1996, 1998 ,1999 और 2004 में चार बार सपा के टिकट पर सांसद निर्वाचित हुए
-मुलायम के साथ दूरी के बाद 2007 में सपा से अलग होकर समाजवादी क्रांति दल नामक पार्टी बनाई।
-विधानसभा चुनाव में वह खुद हार गए और उनकी पार्टी के सभी उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गयी
-वर्ष 2009 में लोकसभा चुनाव से कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली
-वर्ष 2009 में गोंडा से सांसद निर्वाचित हुए और मनमोहन सिंह के मंत्रिमंडल में पहले राज्यमंत्री और बाद में केंद्रीय इस्पात मंत्री बने
-वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में वह गोंडा संसदीय क्षेत्र में चौथे नंबर पर पहुंच गए।
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