ऐसा है
एयरपोर्ट
देवांगनी घाटी
पर एयरपोर्ट बनने की शुरूआत 12 साल पहले हुई थी, जिसके लिये मायावती सरकार ने स्थल
चयन का कार्य पूरा किया था। अखिलेश यादव सरकार में इसके लिए 278 एकड़ भूमि का अधिग्रहण हुआ और योगी आदित्यनाथ सरकार ने
एयरपोर्ट को कार्यशील किया। इस एयरपोर्ट के टर्मिनल भवन का क्षेत्रफल 1542 वर्ग मीटर है। जिसकी सेवा क्षमता 100 यात्रियों की हैं। इस एयपोर्ट से लखनऊ की उड़ान भरने वाले
यात्रियों को 2500 रुपये किराया खर्च करना होगा। टिकट के
लिए एयरपोर्ट परिसर में भी हवाई जहाज कंपनी ने एक काउंटर खोल दिया है।
क्या होता है टेबल टॉप एयरपोर्ट
चारों ओर गहरी खाईं वाली ऊंची पहाड़ी पर बने एयरपोर्ट
को टेबल टॉप एयरपोर्ट कहा जाता है। ऐसी हवाई पट्टी से उड़ान भरने और लैंडिंग में पायलट को अतिरिक्त सावधानी बरतनी
होती है। चित्रकूट का एयरपोर्ट सामान्य तल से 12 हजार फीट की
ऊंचाई पर स्थित है। भारत में लेंगपुई (मिजोरम), शिमला और कुल्लू
(हिमाचल प्रदेश), पाक्योंग (सिक्किम), मंगलुरु (कर्नाटक)
कोझिकोड और कन्नूर (केरल) में भी टेबल टॉप एयरपोर्ट हैं।
कैसे सफल होगा यह एयरपोर्ट
यह एयरपोर्ट तभी सफल हो सकेगा जब वाराणसी, अयोध्या और दिल्ली से इसकी हवाई कनेक्टीविटी
हो और चित्रकूट का जिला प्रशासन कम से कम जिला मुख्यालय से दो टूरिस्ट बसों का संचालन
करे। अगर चित्रकूट प्रशासन दो टूरिस्ट बसों का संचालन शुरू कर दे और हवाई जहाजों के
लैडिंग, उडान के समय से बसे एयरपोर्ट पर मौजूद रहें तो निश्चित रूप से इसकी उपयोगिता
भी बढ़ जाएगी और श्रद्धालुओं, सैलियों की संख्या में भी इजाफा हो जाएगा। वरना आने वाले
दिनों में यह एयरपोर्ट भी सफेद हाथी बनेगा।
टूरिस्ट बसें का रूट क्या हो
टूरिस्ट बसें, राजापुर के तुलसी स्मारक से चलकर
महर्षि बाल्मीकि आश्रम लालापुर से एयरपोर्ट और फिर उधर से ही रामघाट. स्फटकशिला, गुप्त
गोदवारी, कामतानाथ होते हुए रामघाट, रामायण मेला स्थल, भरतकूप तक चलाई जा सकती हैं।
इससे रोडवेज को आर्थिक लाभ भी होगा और चित्रकूट का समग्र विकास भी संभव होगा। यहां
के रहने वाले समाजसेवी हनुमंत कहते हैं कि प्रशासन के अधिकारी सकारात्मक दिशा में कार्य
करने वालो तैयार ही नहीं होते हैं। राम के नाम पर बनी सरकार श्रीराम के उपासना स्थल
की अनदेखी कर रही है।
No comments:
Post a Comment