Wednesday 1 May 2024

कोआपरेटिव बैंकों से सपा का सफाया, भाजपा के 49 चेयरमैन

( दो साल, पुरानी खबर)

-यूपी में कोआपरेटिव बैंकों की संख्या-50 और ब्रांचों की संख्या 1266

-रिजर्व बैंक के नियमों से चलते हैं बैंक, यूपी सरकार भी देती है धन

परवेज़ अहमद

लखनऊ। गांव-गिरांव की राजनीति से केन्द्रीय सत्ता की हिस्सेदारी तक पहुंची समाजवादी पार्टी अब सहकारी पॉलिटिक्स में हाशिये पर चली गयी जबकि भाजपा ने इस क्षेत्र पर पूर्ण आधिपत्य हासिल कर लिया। प्रदेश के 50 जिला कोआपरेटिव बैंकों में से 49 के चेयरमैन पद भाजपा ने बिना मुकाबले जीत लिया। भारतीय रिजर्व बैंक के नियमों से संचालित इन बैंकों की पॉलिसी अब भाजपानीत होंगी। इटावा जरूर अपवाद रहा जहां सहकारी पॉलिटिक्स के दिग्गज व जसवंतनगर के विधायक शिवपाल यादव समर्थकों का आधिपत्य है।

उत्तर प्रदेश में 50 जिला कोआपरेटिव बैंक हैं, जिनकी 1266 ब्रांच हैं। किसान समितियों से चयनित डायरेक्टरों और फिर डायरेक्टरों के जरिये चुने गये चेयरमैनों के जरिये बैंक प्रशासन संचालित होता है। इन बैंकों पर राजनीति के प्रभाव हमेशा से रहा है लेकिन 1977 में सहकारिता मंत्री बनने पर यूपी में मुलायम सिंह यादव ने सबसे पहले सहकारिता की ताकत को पहचाना और मंत्री रहते हुए ही अपने करीबियों को इससे जोड़ा। 1992 में मुलायम ने सपा नाम से अपनी पार्टी बनाई और अपने भाई शिवपाल यादव को न सिर्फ राजनीति में लाये बल्कि सहकारिता का विशेषज्ञ बना दिया। उसके बाद से सपाईयों का सहकारी समितियों, बैंकों, पीसीएफ समेत अन्य ब्रांचों में कब्जा रहा। बसपा, भाजपा की पूर्व की सरकारों में सपा का दबदबा घटा जरूर लेकिन प्रभाव बना रहा। 2012 से 2017 की सरकार में फिर सपाईयों ने सहकारिता क्षेत्र में कब्जा कर लिया। लेकिन इसके बाद से सपा ने सहकारिता क्षेत्र में अपनी जो पकड़ खोनी शुरू की, वह शून्य तक पहुंच गयी।

सूत्रों का कहना है कि प्रदेश कोआपरेटिव बैंकों के पिछले तीन महीने से चल रहे चुनावों में सपा के लिए स्थितियां इतनी विकट हुईं, कापरेटिव क्षेत्र के उसके दिग्गजों ने डेलीगेट्स पद के लिए नामांकन तक नहीं किया। नतीजा कमोवेश सभी बैंकों में भाजपा के डेलीगेट्स जीतकर आ गये। सूत्रों का कहना है कि चुनाव के दौरान सहकारिता क्षेत्र के कुछ प्रभावी नेतों ने नेतृत्व से कोआपरेटिव बैंकों के चुनाव लड़ने के लिए सरकुलर जारी करने की मांग की लेकिन प्रदेश नेतृत्व ने चुप्पी साधे रखी।

नतीजे में आज संम्पन्न हुए जिला कोआपरेटिव बैंक के चुनाव में भाजपा प्रत्याशियों ने बिना मुकाबले ही जीत हासिल कर ली। अब प्रदेश के 50 से 49 बैंकों पर भाजपा का कब्जा है। उपाध्यक्ष पदों पर तो भाजपा बनाम भाजपा की स्थिति रही। किसी दूसरे दल ने इस पद के लिए दावेदारी तक नहीं की। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता नवीन श्रीवास्तव का कहना है कि बैंकों में भाजपा प्रत्याशियों की जीत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केन्द्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता, किसानों के लिए उनके द्वारा किये जा रहे कार्यो का परिणाम है। उनका कहना है कि सपा किसानों, गरीबों का सिर्फ वोट लेती है। उसके गुमराह करती है। जिसका परिणाम सहकारी चुनावों में भी दिखाई दिया है। जनता ने पहले लोकसभा, विधान सभा, निकाय और सहकारी समितियों के चुनाव और अब बैंकों के चुनाव में समाजवादी पार्टी को धूल चटा दी है। अब बैंकों के जरिये किसानों को आसानी से लाभ मिल सकेगा और 2024 में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में फिर पूर्ण बहुमत की सरकार बनेगी, यूपी की जता को भाजपा का मिशन-80 पूरा करायेगी।


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