Tuesday 3 January 2023

जांच की चुनौती स्वीकारी तो क्या कुलाधिपतियों से पूछताछ कर सकेगी सीबीआई

 -यूपी सरकार के गृह विभाग के प्रोफार्मा पर निर्भर, सीबीआई जांच करेगी या नहीं

--पांच दिन में स्पष्ट होगा कि सीबीआई प्रो. विनय पाठक की जांच करेगी या नहीं

 

परवेज अहमद

लखनऊ। उच्च, तकनीकी शिक्षा की नीतियां निर्धारक बन गये छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.विनय पाठक की किन बिन्दुओं पर जांच की संस्तुति राज्य सरकार  ने की है ? इस सवाल का उत्तर अभी रहस्यमय है। अगर सिर्फ 29 अक्टूबर को इंदिरानगर में दर्ज घूसखोरी की जांच सीबीआई से कराने का केन्द्रीय कार्मिक मंत्रालय से अनुरोध किया गया है। तब केस खुला होने का तर्क देकर जांच से सीबीआई इंकार कर सकती है। यदि, दिल्ली, राजस्थान, उत्तराखंड और यूपी के दो तकनीकी, तीन सामान्य विश्वविद्यालयों के भ्रष्टाचार की जांच संस्तुति है तो विवेचना अस्वीकार करना सीबीआई के लिये कठिन होगा। क्योंकि दस्तावेज कहते हैं प्रो.विनय पाठक कुलपति बनने की अर्हता नहीं रखते थे। उनके शोध पत्र चोरी के हैं। लिहाजा कुलपति सर्च कमेटियों के सदस्य और तीन राज्यों के कुलाधिपति पूछताछ के दायरे में होंगे। अहम बात ये है कि सीबीआई अग जांच का अनुरोध स्वीकारती है तो क्या कुलाधिपतियों से पूछताछ कर सकेगी ? अगर पांच दिन में तस्वीर साफ होगी।

सूत्रों का कहना है कि विवेचना हाथ में लेने के बाद अगर सीबीआई ने साहस जुटाया तो 2015 से अब तक उत्तर प्रदेश के प्राविधिक शिक्षा, उच्च शिक्षा और राजभवन में तैनात रहे आधा दर्जन अधिकारियों से न सिर्फ पूछताछ होगी बल्कि कई अधिकारी यूपी के खनन, एनएचएम घोटाले की तरह सरकारी गवाह बन जाएंगे या अभियुक्त। उत्तराखंड, राजस्थान के पूर्व कुलाधिपति और कई आईएएस अधिकारी भी जांच के घेरे में आयेंगे। य़ोगी आदित्यनाथ सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट कल्याण सिंह कैंसर इंस्टीट्यूट की नियुक्तियां भी जांच की जद में आयेगी। कैंसर इंस्टीट्यूट में प्रो.विनय पाठक के साथ राजस्थान की ओपन यूनिवसिर्टी में आरोपी रहे लोगों को नियमों के विपरीत नियुक्त किया गया है।

एकेटीयू के इंजीनियर आशीष मिश्र, सहायक कुलसचिव आरके सिंह समेत दो दर्जन लोग सीधे जांच के घेरे में होंगे। एकेटीयू को मौजूदा निजाम भी संबद्धता देने, वित्तीय अनियमितता करने की जांच से घिरेगा। डॉ.भीमराम आंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा में तो निर्माण कार्यों से लेकर चिकित्सा विज्ञान यानी मेडिकल छात्रों के दस्तावेजों में हेरफेर, मान्यता, स्क्रूटनी, निर्माण कार्य और नियुक्तियों, दागी संस्था से परीक्षा कार्य कराने का संजाल खुल जाएगा। लखनऊ के ख्वाजा मोईन उद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय में नियुक्तियों, कुलपति आवास, गेस्ट हाउस और 11 करोड़ की वित्तीय स्वीकृतियों का मामला भी खुलेगा।

छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर में प्रतिकुलपति की नियुक्ति, कर्मचारियों की नियुक्ति, संबद्धता का मामला भी सामने आयेगा। एचबीटीयू का कच्चा-चिट्ठा भी खुलेगा। यही नहीं, इंदिरा गांधी मुक्त विश्वविद्यालय में भ्रष्टाचार होने की रिपोर्ट लिखने वाले 41 सांसदों की रिपोर्ट भी खुलेगी। उत्तराखंड की तत्कालीन कुलाधिपति माग्रेट अल्वा, यूपी के तत्कालीन कुलाधिपति राम नाईक भी जांच के घेरे में होंगे। पर, अहम सवाल ये ही है कि उत्तर प्रदेश के गृह विभाग ने सीबीआई जांच के लिए केन्द्रीय कार्मिक मंत्रालय को भेजे प्रोफार्मा में किन बिन्दुओं का उल्लेख किया है। नियमों के मुताबिक सीबीआई सिर्फ उतने बिन्दुओं की ही जांच करती है जितने की अपेक्षा की जाती है। उससे इतर वह विशेष परिस्थितियों में ही जाती है।

 

इंसेट-एक

सीबीआई की एफआईआर बतायेगी किसकी-किसकी जांच

सीबीआई जब तक जांच अपने हाथ में नहीं लेती है, तब तक सिर्फ कयास है लेकिन सीबीआई ने जांच हाथ में ली तो सबसे पहले नई एफआईआर दर्ज करेगी, जिससे साफ होगा कि उसकी जांच का दायरा क्या है ? अगर उसने जांच में प्रो.विनय पाठक जहां भी कुलपति, निदेशक, कार्य परिषद, बोर्ड आफ मैनेजमेन्ट के सदस्य रहे, उन सबकी जांच करने की एफआईआर लिखी तो उसके सामने पहला सवाल ही ये होगा कि 29 अक्टूबर 2022 को एफआईआर दर्ज होने के बाद कुलाधिपति कार्यालय ने उनसे क्या-क्या जवाब तलब किया। नियमों के विपरीत जाकर इतना लंबा अवकाश कैसे स्वीकृत हुआ और अगर प्रो.विनय पाठक गंभीर बीमार हैं तो किस डॉक्टर ने उन्हें गंभीर होने का प्रमाण पत्र दिया।

 

इंसेट-दो

एनएचएम घोटाले का जिन्न भी बाहर निकलेगा

प्रो.विनय पाठक के भ्रष्टाचार की सीबीआई ने जांच शुरू की तो एक बार फिर मायावती सरकार के बहुचर्चित एनएचएम घोटाले की पत्रावलियां खुलेंगी। क्योंकि प्रो.विनय पाठक  ने कुलपति के रूप में जिन चार कंपनियों को परीक्षा, सुरक्षा और ठेके-पट्टे का काम दिया, उनमें से दो एनएचएम घोटाले फंसी थी, दो के खिलाफ दो चार्जशीट भी दाखिल है। एक सरकारी संस्था भी जांच के दायरे में आयेगी।

 

इंसेट-3

लविवि की बीएड परीक्षा जांच घेरे में होगी

सीबीआई ने सिर्फ इंदिरानगर में दर्ज घूसखोरी की एफआईआर ही जांच की तो लखनऊ विश्वविद्यालय प्रबंधन द्वारा कराई गई बीएड प्रवेश परीक्षा स्वतः जांच के घेरे में आ जाएगी। इस परीक्षा से जुड़े करोड़ों रुपये के ठेके उन्ही अजय मिश्र की कंपनी को दिये गये, जो एनएचएम घोटाले में चार्जशीटेड है और विनय पाठक के लिए घूसखोरी की रकम ठिकाने लगाने के आरोप में जेल में हैं। सूत्रों का कहना है कि इस परीक्षा की लागत गुजरे एक साल की लागत से 20 गुना ज्यादा बढ़ गयी थी। दूसरी बार लविवि कुलपति नियुक्त प्रो.आलोक राय भी जांच की आंच में तपेंगे।

 

 

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