परवेज अहमद
लखनऊ। घूसखोरी में नामजदगी के बाद छत्रपति शाहू जी महाराज (सीएसजेएमयू ) कानपुर
विवि से भूमिगत प्रो.विनय पाठक ने एकेटीयू के कुलपति के रूप में परीक्षा नियंत्रक के
चयन में कानून हवा में उड़ा दिया था। उन्होंने प्रो.अनुराग त्रिपाठी को नियम विरुद्ध
प्रमोशन दिया फिर परीक्षा नियंत्रक बना दिया। जिन्होने परीक्षा संचालक फर्म से इंजीनियरिंग
छात्रों के नम्बरों में बदलाव कराया। परीक्षा की शुचिता बाधित की। कापियों के मूल्यांकन
में रुकावट डाली। डिग्री वितरण और 28 हजार छात्रों के कैरीओवर परीक्षा परिणाम रोका।
यह बातें एकेटीयू के प्रतिकुलपति के नेतृत्व वाली पांच प्रोफेसरों की जांच रिपोर्ट
में हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि परीक्षा नियंत्रक ने मौजूदा कुलपति पर अनावश्यक
दबाव डाला। छात्रों में असंतोष फैलाने का प्रयास किया।
अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय (एकेटीयू) में कई सालों से फैली भ्रष्टाचार
बेल की ये कड़ी कुलाधिपति की प्रमुख सचिव कल्पना
अवस्थी की एक नोटिस से सामने आयी। 29 दिसम्बर को पूर्व परीक्षा नियंत्रक प्रो.अनुराग
त्रिपाठी के शिकायती पत्र पर प्रमुख सचिव ने कुलपति प्रो.पदीप मिश्र को कारण बताओ नोटिस
भेजा। जिसमें मेसर्स आरएमएस टेक्नो सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड को परीक्षा कार्यो से
हटाने, भुगतान रोकने का कारण पूछा गया, इस कंपनी को परीक्षा संबंधी कार्य तत्कालीन
कुलपति प्रो.विनय पाठक ने आवंटित किया था।
सूत्रों का कहना है कि कुलपति प्रो.प्रदीप मिश्र ने सवालों के जवाब में 40 पेज
का उत्तर भेजा है। जिसमें प्रति कुलपति प्रो.मनीष गौड अध्यक्षता में गठित प्रो.एचके
पालीवाल, प्रो. राजीव कुमार, प्रो.वाईएन सिंह और प्रो.गिरीश चन्द्र की छह पेज की जांच
रिपोर्ट संलग्न की गयी है। रिपोर्ट में परीक्षा
नियंत्रक रहे प्रो.अनुराग त्रिपाठी को छात्रों के अंकों में फेरबदल करने का दोषी माना
गया है। जिनके नम्बर बदले गये उनके नाम, रोलनम्बर का जिक्र भी है। एक विषय में फेल
28 हजार छात्रों के परीक्षा परिणाम रोकने का विस्तार से उल्लेख है। यह भी कहा गया है
कि इसके पीछे छात्रों में आक्रोश पैदा करना, सत्र को विलंबित करने की मंशा थी। सीधे
नहीं पर, इशारों में यह जरूर कहने का प्रयास किया गया है कि घूसखोरी में नामजद प्रो.विनय
पाठक के इशारे पर उनसे उपकृत लोग विवि में अस्थिरता फैलाने का प्रयास कर रहे हैं। जांच
कमेटी ने नौ बिन्दुओं की संस्तुतियां भी दी हैं, जिसमें परीक्षा कार्य विश्वविद्यालय
के अपने कर्मचारियो से कराये जाने की बात है। निजी संस्था परीक्षा कार्य कराने से शुचिता
बाधित होने का जिक्र है।
सूत्रों का कहना है कि कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल को भेजे गये जवाब में स्पष्ट
कहा गया है कि परीक्षा से हटायी गई कंपनी मेसर्स आरएमएस टेक्नो सॉल्यूशन के विरुद्ध
उत्तराखंड में परीक्षा प्रश्न पत्र लीक करने का मुकदमा दर्ज है। संचालक, कर्मचारी जेल में हैं। जांच चल रही है।
जवाब में ये भी कहा गया है कि ये तथ्य सामने आने पर कंपनी को नोटिस जारी किया गया तो
वह हजारों छात्रों का डेटा लेकर भाग गयी। इसमें तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक अनुराग त्रिपाठी
की भूमिका संदिग्ध है क्योंकि उन्हें इस बिन्दु पर अलर्ट रहने के लिये कहा गया था।
सूत्रों का कहना है कि जवाब में प्रो.अनुराग त्रिपाठी की प्रोन्नति की एसटीएफ द्वारा
जांच किये जाने का उल्लेख करते हुये ढेरों दस्तावेज लगाये गये हैं।
प्रमुख सचिव कुलाधिपति कल्पना अवस्थी के सवालों का बिन्दुवार विधिक जवाब दिया
गया है। निर्णयों का कारण नियमों के साथ बताया गया है। सूत्रों का कहना है कि प्रमुख
सचिव की एक कारण बताओ नोटिस से एकेटीयू के भ्रष्टाचार की सिर्फ एक बेल सामने आयी है।
अभी नियुक्तियों, निर्माण कार्य और इंजीनियरिंग से जुड़े भ्रष्टाचार के बट वृक्ष सामने
आने बाकी हैं।
शिकायत पर कुलाधिपति की प्रमुख सचिव कल्पना अवस्थी
का सवाल
- परीक्षा के डिजिटल मूल्यांकन एवं रिजल्ट प्रासेसिंग
करने वाली एजेंसी का एक साल से भुगतान क्यों नहीं किया गया ?
-भुगतान न होने से रिजल्ट
अपडेशन, मार्कशीट प्रिंटिंग का कार्य 35 दिनों से बंद है, जिससे आगामी परीक्षा के फार्म
भरे जाने में छात्रों को असुविधा हो रही है ?
-परीक्षा ठीक से कराने का
उत्तरदाय़ित्व कुलपति का है। तीन माह के लिए एजेंसी कुलपति नियुक्त कर सकता है, परन्तु
बिना टेंडर नई कंपनी को कार्य क्यों दिया गया, कारण स्पष्ट करें ?
-ऩई फर्म को कितनी दर पर कार्य दिया गया, नई फर्म
बचे हुए 24 दिन में कार्य पूरा नहीं , जिससे छात्रों में असंतोष है ?
-डिजिटल मूल्यांकन एजेंसी का टेंडर 27 दिसम्बर
को पूरा हो गया लेकिन कुलसचिव ने नए टेंडर की कार्रवाई नहीं की-ये सूचना कुलपति को
दी फिर क्यो ऐसा हुआ ?
कुलपति की ओर से भेजा गया जवाब
- मेसर्स आरएमएस टेक्नो सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड
के खिलाफ उत्तराखंड में परीक्षा की शुचिता भंग करने समेत पेपर लीक करने की एफआईआर दर्ज
है, मालिक, कर्मचारी जेल में हैं।
-एफआईआर और परीक्षा की शुचिता भंग करने से संबंधित
प्रकरण पर नोटिस भेजे जाने के बाद कंपनी छात्रों का डेटा और अपना सिस्टम लेकर गायब
हो गयी है। मूल डेटा उपलब्ध कराने पर ही भुगतान किया जाएगा
-परीक्षा कार्यों की शुचिता के लिये नियमों के
मुताबिक डिप्टी रजिस्ट्रार आरके सिंह ने पांच सरकारी कंपनियों से कार्यदायी संस्था
के लिये पत्राचार किया। यूपी इलेक्ट्रानिक्स ने ऑफर स्वीकारा। जिनके थ्रू आईआईएस को
89 दिनों का कार्य दिया गया।
-कंपनी को सात रुपये 12 पैसे प्रति कापी की दर
से काम दिया गया जो पिछली दर से कम है।
-माइंडल़ॉजिक्स इंफ्राटेक लिमिटेड का अनुबंध
27 को खत्म हो गया। टेंडर प्रक्रिया से पहले ही परीक्षा नियंत्रक अनुराग त्रिपाठी ने
खुद पत्र लिखकर इस कंपनी का कार्य संतोषजनक बताया। एक साल का अनुबंध बढ़ाने का अनुरोध
किया, जिसे स्वीकारा नहीं गया है।
एकेटीयू में किसको क्या काम
1-मेसर्स आरएमएस टेक्नो सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड
( निदेशक मंडलः संजीव कुमार, सोनिका सिंह, डेविड मारियो डेनिस, ललित चौहान) :
एकेटीयू के कुलपति के रूप में प्रो.विनय पाठक
ने इस कंपनी को परीक्षा कार्यो का ठेका सौंपा। करोड़ों रुपये का भुगतान किया।
2-माइंडल़ॉजिक्स इंफ्राटेक लिमिटेड बंगलुरूः
( निदेशक मंडल: श्रीजीत सिद्धार्थ पल्लीवाल, सुरेश एलंगोवन, सोमनाथ राव कोनाजे
, इसी कंपनी में यूपी एक आईएएस की पत्नी साइलेंट पार्टनर बतायी जा रही हैं)
प्रो.विनय पाठक ने कुलपति के रूप में इस कंपनी
को उत्तर पुस्तिकाओं का स्कैनिंग और आन लाइन अपलोडिंग का करोड़ों का ठेका दिया।
3-इंटीग्रेटेड सॉफ्टवेयर सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड
( निदेशकः हर्षनारायण, उदयनारायण और दीपनारायण, इस कंपनी में भी एक प्रभावशाली व्यक्ति
की साइलेंट हिस्सेदारी)
एकेटीयू के मौजूदा कुलपति प्रो. प्रदीप मिश्र
ने यूपी इलेक्ट्रानिक्स के जरिये इस कंपनी को 89 दिन का ठेका दिया। प्रति कापी 7 रुपया
12 पैसे की दर से।)
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