Tuesday 15 March 2016

वादे-वादे क्या होते हैं

अखिलेश सरकार 15 मार्च को चार साल पूरे कर रही है। चार साल पूरे करने पर अखिलेश सरकार ने नया नारे का प्रचार भी शुरू कर दिया है कि ‘पूरे हुए वादे, अब हैं नए इरादे, लेकिन इसके साथ ही अखिलेश सरकार के सामने अपने घोषणापत्र के कुछ जटिल वादे पूरे करने की चुनौती भी है। इन अधूरे वादों में कई ऐसे हैं जिसने 2012 सपा को सत्ता के सिंहासन तक पहुंचाया था। अब, सपा को 2017 के चुनावी समर में या तो इन अधूरे वादों पर सफाई देनी पड़ेगी या बचे हुए समय में इन्हें पूरा करना पड़ेगा।
अधूरे काम 
 लचर कानून-व्यवस्था: यूपी में कानून-व्यवस्था की हालत किसी से छिपी नहीं है। हत्या, बलात्कार, लूट जैसे अपराध तो प्रदेश के दामन पर कालिख पोत ही रहे हैं, थाने के भीतर होने वाले पुलिसिया जुर्म भी खाकी को दागदार किए जा रहे हैं।
 महिलाओं के प्रति बढ़े हिंसा के मामले, थाने के अंदर बलात्कार के बाद उन्हें फांसी पर चढ़ा देने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं।
 सत्ता में आने से पहले समाजवादी पार्टी ने वादा किया था कि मायावती शासन में हुए भ्रष्टाचार की जांच के लिए आयोग गठित करेगी और भ्रष्ट नेताओं और अधिकारियों को सलाखों के पीछे डाला जाएगा। किसानों की दुर्दशा समेत तमाम ऐसे मुद्दे हैं जिनका जवाब सपा को तैयार करना पड़ेगा।
 सपा सरकार ने अपने घोषणा पत्र में महिलाओं को साड़ी देने का वादा किया था।
 �बुजुर्गों को कंबल
 �दसवीं पास छात्रों को टैबलेट देने का वादा किया गया था लेकिन चार साल बीत जाने के बाद भी एक भी छात्र को टैबलेट नहीं दिया जा सका है। किसानों की जमीन लेने पर सर्किल रेट का छह गुना मुआवजा
 दूसरे राज्यों के समान वैट का वादा
 �सपा ने किसान की उपज का लागत मूल्य तय करने के लिए आयोग के गठन का वादा किया था। किसान आयोग का कहीं अता-पता नहीं है।
 �सरकार ने मुसलमानों से किए वादे पूरे नहीं किए।
 �सपा ने अपने घोषणापत्र में सच्चर समिति की सिफारिशों की रोशनी में मुसलमानों को दलितों की तरह जनसंख्या के आधार पर अलग से आरक्षण देने का वादा किया था।
 �आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई की आड़ में जेल में डाले गए प्रदेष के बेकुसूर मुस्लिम नौजवानों को रिहा कराकर उन्हें मुआवजा दिलाने और उन्हें कलंकित करने वाले अफसरों को सजा दिलाने के वादा अधूरा है।
 � सरकार शिक्षा-व्यवस्था सुधारने और रोजगार के अवसर पैदा करने का वादा किया था, लेकिन षिक्षा व्यवस्था में कुछ खास सुधार नहीं हो सका है। यूपी में रोजगार बढ़ाने के अभी केवल वादे ही किए जा रहे हैं।

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