लखनऊ. हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राज्य सरकार द्वारा चहेते आईएएस अफसरों को रिटायर होने के बाद भी महत्वपूर्ण पदों पर सेवा में बनाए रखने पर गंभीर रूख अपनाया है। कोर्ट ने शम्भू सिंह यादव, एस के रघुवंशी, अजय अग्रवाल, प्रभात मित्तल और मुकेश मित्तल जैसे चर्चित आईएएस अफसरों के रियाटरमेंट के बाद भी उनको महत्वपूर्ण पदों पर बनाए रखने पर मुख्य सचिव से जवाब तलब किया है। कोर्ट ने मुख्य सचिव से पूछा है कि किस प्रकार के जनहित के आधार पर इन अधिकारियों को सेवा विस्तार दिया है। कोर्ट ने मुख्य सचिव से सूबे में सेवा विस्तार पर चल रहे रिटायर्ड आईएएस अफसरों का ब्यौरा भी तलब किया है।
चीफ जस्टिस की बेंच ने दिया आदेश
यह आदेश चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एसएन शुक्ला की बेंच ने स्थानीय पत्रकार जेएन शुक्ला की ओर से दायर पीआईएल पर दिया है। याचिका में रिटायरमेंट के बाद दिए गए सभी सेवा विस्तारों को चुनौती दी गई है। तर्क दिया गया कि सरकार चहेते आईएएस अफसरों को उपक्रत कर रही है और वही उक्त पदों के योग्य अन्य अफसर अपनी बारी की राह जोह रहे हैं। यह भी तर्क दिया गया कि सरकार के निर्णय से किसी प्रकार के जनहित की पूर्ति नहीं होती।
रिटायरमेंट के बाद जनहित के आधार पर ही आईएएस को सेवा विस्तार दिया जा सकता है
सरकार की ओर से जोर देकर कहा गया कि इन अधिकारियों के रिटायरमेंट के बाद सरकार ने एक्स कैडर पोस्ट बनाकर उन पर उन्हें नियुक्त किया गया है और बाद में उन्हें सेवा विस्तार भी दिया गया है, जिसमें कुछ भी नियम के खिलाफ नहीं है। ब्रेंच ने प्रथम दृष्टया सरकार के तर्क से असहमति जताते हुए कहा कि क्या सरकार का यह कृत्य कानून सम्मत प्रतीत होता है और क्या वित्त विजलेंस और सचिवालय प्रशासन जैसे महत्वपूर्ण पदों पर रिटायर्ड अफसरों को बिठाना उचित है। कोर्ट ने कहा कि सिविल सेवा रेग्युलेशन के पैरा 520 के तहत रिटायरमेंट के बाद केवल जनहित के आधार पर ही आईएएस को सेवा विस्तार दिया जा सकता है। और यदि उसने केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर काम किया हो तो ऐसे मे तो सेवा विस्तार से पहले केंद्र केा संदर्भ भेजना जरूरी है। कोर्ट ने कहा कि सेवा विस्तार देने का सरकार का अधिकार निरंकुश नहीं है।
ये हैं सेवा विस्तार पाए अधिकारी
31 मार्च 2013 को रिटायरमेंट के बाद शम्भू सिहं यादव मौजूदा समय में मुख्य अखिलेश यादव के सेक्रेटी है तो वही 30 नवंबर 2014 को रिटायर होने के बाद रघुवंशी अभी विजिलेंस सेक्रेटी हैं तो अग्रवाल 31 जुलाई 2012 को रिटायर हुए और फाइनेंस सेक्रेटी बना दिए गए। प्रभात 31 मार्च 2015 को रिटायर होने के बाद भी सचिवालय प्रशासन के पद पर मौजूद है। वहीं, मुकेश इसी 31 जनवरी को रिटायर होने के बाद सेवा विस्तार पा गए। कोर्ट ने मुख्य सचिव को जवाब देने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया है। मामले की अगली सुनवाई 26 नवंबर को होगी।
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सपा सरकार में सेवा विस्तार वाले अधिकारी
आलोक रंजन - एक बार सेवा विस्तारः ३१ मार्च २०१६ को होना है रिटायर
एसके रघुवंशी ः दो बार सेवा विस्तार
कृष्ण गोपाल ः एक बार सेवा विस्तार
प्रभात मित्तल ः दो बार सेवा विस्तार
एसपी सिंह ः दो बार सेवा विस्तार
शंभू सिंह यादव ः तीन बार सेवा विस्तार
लहरी यादव ः पांच बार
मुकेश मित्तल ः तीन बार
अजय अग्रवाल ः तीन बार
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डीजीपी ःएक कोई था-एके जैन। तीन माहः
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आइएएस वीक-१७ मार्च से २० मार्च
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होली से पहले उल्लास में डूबेंगे आइएएस
-आज से शुरू होंगे आइएएस वीक के कार्यक्रम
-20 को क्रिकेट मैच के साथ पूरा होगा आयोजन
लखनऊ : कठिन इम्तिहान से गुजर कर अखिल भारतीय प्रशासनिक सेवा (आइएएस) केसदस्य बने अधिकारी गुरुवार को खुद का 'सामान्य ज्ञानÓ परख्रेंगे। बच्चों के साथ क्विज में हिस्सा लेंगे। रंगोली बनाएंगे, फुलवारी सजाएंगे और फोटोग्राफी का हुनर दिखायेंगे। यानी होली के पहले उल्लास के रंग में सराबोर होंगे।
उप्र के कैडर के आइएएस अधिकारियों का 17 से 20 मार्च चलने वाले सालाना जलसे के पहले दिन सीएसआइ क्लब राजभवन में अधिकारियों व उनके बच्चों की 'क्विजÓ प्रतियोगिता होगी। फोटो प्रतियोगिता का जिम्मा नवनीत सहगल व आशुतोष निरंजन संभालेंगे। निवेदिता शुक्ला वर्मा व पुष्पा सिंह फ्लावर अरेंजमेन्ट प्रतियोगिता करायेंगी। कामिनी रतन चौहान और डॉ.काजल पेंटिंग व रंगोली की जिम्मेदारी संभालेंगी।
18 मार्च: आफीसर्स कांफ्रेंस होगी, जिसके संयोजन का जिम्मा प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री अनीता सिंह व सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा संभालेंगे। इसी दिन मुख्यमंत्री अधिकारियों को लंच कराएंगे। सर्विस डिनर की जिम्मेदारी अजय चौहान की होगी। सांस्कृतिक कार्यक्रम व स्पॉउस डिनर की जिम्मेदारी अनीता मेश्राम, अमित घोष और डा.हरिओम उठायेंगे।
19 मार्च : आइएएस अधिकारियों की आमसभा होगी, जिसमें आइएएस अधिकारियों को अपर मुख्य सचिव पद नाम देने, एक और सीएसआइ टावर बनाने, संस्कृति स्कूल जल्द शुरू करने, कार्यस्थल पर तनाव तनाव से राहत के लिए योग के लिए समय की मांग उठेगी। इस सत्र की जिम्मेदारी एसोसिएशन केसचिव भुवनेश कुमार , संयुक्त सचिव आशुतोष निरंजन और सुरेन्द्र सिंह को सौंपी गयी है। परिवारों की एक दूसरे से मुलाकात का जिम्मा प्रभात मित्तल को दिया गया है। शाम को राज्यपाल राम नाईक अधिकारियों को रात्रिभोज देंगे।
20 मार्च: आइएएस एकादश और मुख्यमंत्री एकादश के बीच क्रिकेट मैच होगा, जिसके संयोजन का जिम्मा मनोज कुमार सिंह व अनिल कुमार तृतीय को सौंपा गया है।
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१७.०३.२०१६
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रंगारंग प्रतियोगिताओं के साथ आइएएस वीक शुरू
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- मुख्य सचिव आलोक रंजन ने बांटे विजेताओं के पुरस्कार
- देर शाम तक सजी गीत-संगीत की महफिल
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राज्य ब्यूरो, लखनऊ : रोशनी के मेले और संगीत की झंकार के बीच विजेता प्रतिभागियों को पुरस्कार देते हुए मुख्य सचिव आलोक रंजन ने पत्नी सुरभि रंजन से कुछ कहते हुए चुटकी ली तो मौजूद सभी लोग ठहाका लगा कर हंस पड़े। राजभवन स्थित सीएसआइ क्लब में आयोजित आइएएस वीक की पहली शाम की शुरुआत कुछ ऐसे ही माहौल में हुई। इधर आइएएस अधिकारियों और उनके परिवार के हुनर का कमाल था तो उधर छोटे बच्चों का धमाल था। सुबह से रंगोली, फोटोग्र्राफी, क्विज, पेंटिंग और फ्लावर शो में अपना स्थान बनाने के लिए जुटे अधिकारियों और उनके परिवार के लिए यह खुशी के पल थे। रात तक अधिकारी यहां परिवार के साथ जुटे थे। चार दिवसीय आइएएस वीक के पहले दिन गुरुवार को पूरे उत्साह के साथ अधिकारी और उनके परिवार इसमें शामिल हुए।
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पेंटिंग प्रतियोगिता
वर्ग- आठ वर्ष तक
प्रथम- अनाम्रा प्रियदर्शी पुत्री जिलाधिकारी सोनभद्र गौरीशंकर प्रियदर्शी
द्वितीय- नीलकंठ भारद्वाज पुत्र जिलाधिकारी इलाहाबाद संजय कुमार
तृतीय- अभिलाष सिंह पुत्र विशेष सचिव इंडस्ट्री कंचन वर्मा
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पेंटिंग प्रतियोगिता
वर्ग- नौ से 18 वर्ष
प्रथम- सान्हवी पुत्री चकबंदी आयुक्त डॉ.हरिओम
द्वितीय- राघव सिंह पुत्र विशेष सचिव विशाल चौहान
तृतीय- सौन्दर्या पुत्री विशेष सचिव गृह मिनिस्ती एम
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पेंटिंग
वर्ग- 18 वर्ष से अधिक
प्रथम- नीता सिंह पत्नी विशेष सचिव समाज कल्याण वीरेंद्र सिंह
द्वितीय- वाणिज्य कर आयुक्त मुकेश मेश्राम
तृतीय- विशेष सचिव गृह मिनिस्ती एम
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रंगोली
वर्ग- व्यक्तिगत
प्रथम- वृंदा दयाल पत्नी जिलाधिकारी बरेली गौरव दयाल
द्वितीय- सुरभि पत्नी जवाइंट मजिस्ट्रेट हमीरपुर महेंद्र मीना
तृतीय- शिखा शर्मा पुत्री विशेष सचिव खाद्य एवं रसद श्यामसुंदर शर्मा
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रंगोली
वर्ग- ग्र्रुप ईवेंट
प्रथम- सचिव वित्त कामिनी चौहान रतन, निदेशक पिछड़ा वर्ग कल्याण पुष्पा सिंह व विशेष सचिव इंडस्ट्री कंचन वर्मा
द्वितीय- आरआरडीए के एमडी रंगाराव की पत्नी सुश्मिता राव व विशेष सचिव बेसिक शिक्षा गोविंद राजू की पत्नी चंदना
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फोटोग्राफी
वर्ग-लैंडस्केप
प्रथम-मनीष वर्मा
द्वितीय-वंदना सहगल
तृतीय-विकास गोठलवाल
सांत्वना पुरस्कार-संजय कुमार व आशीष कुमार गोयल
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वर्ग-पीपुल्स एंड पोट्रेट
प्रथम- अनुश्री जैन
द्वितीय-सिमरन लेखी
तृतीय-राधिका अग्र्रवाल
सांत्वना पुरस्कार-रिचा सिंह व विकास गोठलवाल
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वर्ग-हेरिटेज एंड मान्यूमेंट्स
प्रथम-आशु अनीता जैन
द्वितीय- सुरेन्द्र सिंह
तृतीय-मेधा रूपम
सांत्वना पुरस्कार-मनीष बंसल व राधिका अग्र्रवाल
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वर्ग-नेचर एंड वाइल्ड लाइफ
प्रथम-रिचा सिंह
द्वितीय-संजय कुमार
तृतीय-आशीष कुमार गोयल
सांत्वना पुरस्कार-आर्दश सिंह, मनीष बंसल
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वर्ग-एबस्ट्रैक्ट
प्रथम-परिधि
द्वितीय-पुलकित खरे
तृतीय-आशीष कुमार गोयल
सांत्वना पुरस्कार-अरविंद कुमार व रामकेवल
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वर्ग-मूड्स एंड मान्यूमेंट
प्रथम-सुश्री शालमली
द्वितीय-रामकेवल
तृतीय-संजय कुमार
सांत्वना पुरस्कार-अनीता भटनागर व आलोक कुमार
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वर्ग-आट्र्स एंड कल्चर
प्रथम-अर्शिया लेखी
द्वितीय-शीतल वर्मा
तृतीय-सिमरन लेखी
सांत्वना पुरस्कार-बंदना सहगल व मेधा रूपम
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वर्ग-एकल प्रजाति की पुष्प सज्जा
प्रथम-नीता सिंह, विशालखंड गोमतीनगर
द्वितीय-सिमरन लेखी, 6 न्यू गौतमपल्ली
तृतीय-अर्सिया लेखी, 6 न्यू गौतमपल्ली
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वर्ग-मिश्रित प्रजाति पुष्पसज्जा
प्रथम-सिमरन लेखी
द्वितीय-अर्सिया लेखी
तृतीय-नीता सिंह
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वर्ग: सूखे पुष्प व पत्तियों की सज्जा
प्रथम-श्रीमती परिधि, न्यू गौतमपल्ली
द्वितीय-सिमरन लेखी
तृतीय-अर्सिया लेखी
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वर्ग: कलात्मक सज्जा (बच्चा) एकल
प्रथम: काव्या दयाल, डीएम आवास बरेली
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वर्ग: कलात्मक सज्जा (बच्चा) मिश्रित प्रजाति
प्रथम: आरव दयाल, डीएम आवास बरेली
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आइएएस वीक में आज
-वरिष्ठ अधिकारियों का सम्मेलन सुबह दस बजे से
-मुख्यमंत्री द्वारा लंच दोपहर बजे से
-आफीसर्स कांफ्रेंस शाम तीन बजे से
-सर्विस डिनर, एमबी क्लब
-स्पाउस डिनर व सांस्कृतिक संध्या
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क्विज
वर्ग- कक्षा आठ तक
प्रथम- अर्नव
द्वितीय- राघव व लोरिक
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क्विज
वर्ग- कक्षा नौ से 12
प्रथम- नाम्या व सांड्रा
द्वितीय- आर्यक व तरु
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क्विज
कक्षा 12 से ऊपर
प्रथम- मिनिस्ती एम व प्रीति गुप्ता
द्वितीय- भुवनेश कुमार, अमित गुप्ता, के बालाजी, नितीश कुमार, गौरांग राठी व अक्षत त्रिपाठी
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मैं फेल हुआ तो अफसर होंगे जिम्मेदार
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-आइएएस वीक में मुख्यमंत्री की खरी-खरी
-अफसरों पर कार्रवाई से जनता खुश होती है, वोट बढ़ता है
-जनता को मेट्रो व एक्सप्रेसवे नहीं, थाने-तहसील में न्याय से मतलब
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लखनऊ : सत्ता नहीं, जनता का सेवक होने का अक्सर दावा करने वाले आइएएस अफसरों को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शुक्रवार को खरी-खरी सुनाई। बोले, 'जब आप पर कार्रवाई होती है, तब जनता खुश होती है। वोट बढ़ता है। फिर भी हम प्यार से काम ले रहे हैं, जबकि हमारा तो इम्तिहान जनता लेती है। समय भी करीब है। फेल हुआ तो आप जिम्मेदार होंगे।Ó
आइएएस वीक के दूसरे दिन विधानभवन स्थित तिलक हाल में अधिकारियों से मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें पता है कौन क्या कर रहा है? अच्छे, खराब काम के तमाम वीडियो मौजूद हैं। जो ढिलाई कर रहे हैं, वह खुद को बदल लें। अभी एक साल का समय है वरना कार्रवाई भी होगी। गड़बडिय़ों का ठीकरा अक्सर राजनेताओं पर फोडऩे वाले आइएएस अफसरों को आईना दिखाते हुए अखिलेश ने कहा कि जनता को मेट्रो व एक्सप्रेस वे से कुछ लेना देना नहीं है, बस उन्हें थाने व तहसील से न्याय मिलना चाहिए। गोरखपुर, हमीरपुर, आगरा समेत कई जिलों के गांव-गांव से योजना व अधिकारियों की कार्यप्रणाली का ब्यौरा जुटाया गया है, जल्द परिणाम सामने होगा। आइएएस अफसरों के लिए अपने दरवाजे खुले होने का अहसास कराते हुए कहा कि उन्होंने कई वर्षों से बंद आइएएस वीक फिर से बहाल कराया। किसी भी राज्य में आइएएस एकादश व मुख्यमंत्री एकादश के बीच क्रिकेट नहीं होता, यह परंपरा भी शुरू की।
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तीन की सराहना, एक पर कटाक्ष
मुख्यमंत्री ने स्वयंसेवी संस्थाओं व बैंकों के साथ मिलकर चौराहों के सुंदरीकरण व सड़कों के चौड़ीकरण के लिए जौनपुर के डीएम भानुचन्द्र गोस्वामी व आजमगढ़ के डीएम सुहास एलवाई की खूब सराहना की। प्रमुख सचिव (ऊर्जा) संजय अग्र्रवाल की सराहना करते हुए कहा कि उनके प्रयासों से हम सभी को ज्यादा बिजली दे पा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने पास खड़े प्रमुख सचिव (सिंचाई) दीपक सिंघल की ओर इशारा करते हुए कटाक्ष किया कि यह गोमती का काम देख रहे हैं, कई नाले गोमती में गिर रहे हैं, जिसे वह छिपा रहे हैं। डेयरी चल रही है, गंदगी नदी में जा रही, मगर सब ठीक बताया जा रहा है।
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शौचालय होते तो नहीं होती हत्या
मुख्यमंत्री आवास के पास एक छात्रा की हत्या का उल्लेख करते हुए अखिलेश ने कहा कि सिर्फ लघुशंका के लिये नीचे उतरने पर छात्रा के साथ बर्बरता हुई। अगर शौचालय होता तो शायद वारदात नहीं होती। जिलों में तैनात अफसरों को अपने विवेक से ऐसी समस्याएं दूर करने का प्रयास करना चाहिए।
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भाषण के सात सूत्र
1-जितनी स्वतंत्रता से काम का मौका दिया है, उतनी आजादी दिल्ली (केंद्र सरकार) भी नहीं देती
2-इतना इत्मिनान, सम्मान किसी सरकार ने नहीं दिया होगा, चाहे तो पिछली सरकार से तुलना कर लें
3-यह चुनावी साल है और वित्तीय वर्ष के अंत तक चुनाव कार्यक्रम में हम और आप दोनों व्यस्त हो जाएंगे
4-डीएम का काम, व्यवहार सरकार की छवि बनाते-बिगाड़ते हैं, वे संवेदनशीलता से काम करें
5-आइएएस वीक के बाद पूरे उत्साह के साथ प्रतिबद्ध होकर शासन की छवि बेहतर बनाएं
6-कमिश्नर व डीएम शासन की महत्वाकांक्षी योजनाएं जल्द पूरी करायें
7- कुछ महीनों से समाज विरोधी ताकतों ने कानून व्यवस्था से खिलवाड़ का प्रयास किया है, उन पर प्रभावी कार्रवाई हो
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कई दलों के पास 'दूल्हाÓ भी नहीं
राब्यू, लखनऊ: आइएएस अधिकारियों की बैठक से बाहर निकले मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पत्रकारों से कहा कि समाजवादी सरकार फिर लौटेगी, किसी को गलतफहमी नहीं होनी चाहिए। सर्वे में सपा के पीछे होने के सवाल पर कहा कि चुनाव दूसरे राज्यों में हो रहे हैं और सर्वे उत्तर प्रदेश का आ रहा है। भाजपा व कांग्र्रेस के नाम लिए बगैर कटाक्ष किया कि अभी कई दलों के 'दूल्हेÓ सामने आने बाकी हैं। दूल्हे सामने आने दीजिए, सब साफ हो जाएगा। एक अन्य सवाल पर कहा कि आइएएस अधिकारियों को जितनी आजादी हमने दी है, उतनी किसी सरकार ने नहीं दी। कुछ अधिकारी अच्छा काम कर रहे हैं, मगर कुछ ठीक नहीं कर रहे हैं, उन्होंने भी अच्छा काम करने का विश्वास दिलाया है। अधिकारियों से एक साल के अंदर विकास से जुड़ी हर परियोजना पूरी करने की अपेक्षा की है।सरकार की चल रही योजनाओं का प्रचार प्रसार भी करना है।
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साख का संकट है, खुद की ब्रांडिंग न करें
-दायित्व निभाने में शिथिल हुए तो हावी होंगे दूसरे
-इमेज व जनसेवा की प्रतिबद्धता घटने की चिंता
लखनऊ : मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की नसीहत के दूसरे दिन सिविल सर्विस इंस्टीट्यूट में जुटे उत्तर प्रदेश कैडर के आइएएस अधिकारियों ने खुद के अंदर झांका और कार्यशैली पर मंथन किया। स्वीकारा कि बदलती परिस्थितियों में उनके सामने साख बचाने का संकट है। ऐसे में खुद की ब्रांडिंग न करें। 'लोक-सेवकÓ न बने तो दूसरी सेवाएं हावी हो जाएंगी।
आइएएस एसोसिएशन की वार्षिक आम सभा में अधिकारियों के एक तबके ने 'इमेजÓ को लेकर फिक्र जतायी तो दूसरे ने जनसेवा की प्रतिबद्धता कम होने को अच्छा संकेत नहीं माना। कहा गया कि अगर कोई अधिकारी दिल्ली जाते ही रोल मॉडल बना जाता है, तो उत्तर प्रदेश में रहते हुए वही काम क्यों नहीं कर सकता। जनता की बात सुननी पड़ेगी, उनकी जरूरी मदद करनी होगी, तभी लोगों का विश्वास बढ़ेगा। आइएएस अधिकारी इस बात पर एक राय थे कि अगर सेवा की गरिमा व अस्तित्व बचाए रखने है तो पैशन (प्रतिबद्धता) से लोक सेवा करनी होगी। वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि जिलों में तैनात अधिकारियों को अभिनव प्रयोग करें, मगर खुद की ब्रांडिंग करने से गुरेज करें।
सेवा में लंबा समय गुजार चुके अधिकारियों ने नेतृत्व की भावना विकसित करने पर जोर दिया। कहा कि आपकी सेवा खराब होगी तो दूसरी सेवाएं हावी हो जाएंगी। जनता सब जानती है, यह चुनौती पूर्ण समय है। परिस्थितियां बदल रही हैं। खुद को व सेवा के भविष्य को प्रोटेक्ट करने की जरूरत है। आमसभा में किसी अधिकारी का नाम लिये बगैर कहा कि खुद की ब्रांडिंग करने के स्थान पर ऐसे कार्य किये जाने चाहिए, जिससे जनता, गरीबों को खुशी मिले। इससे ब्रांडिंग खुद ब खुद हो जाएगी। जिलों में तैनात अधिकारियों को जनता के विकास पर फोकस करना चाहिए।
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केन्द्र में कार्यरत अधिकारियों की सराहना
केन्द्रीय सेवा में कार्यरत बलविंदर कुमार, अनिल स्वरूप, जे.एस दीपक और राजीव कुमार का उदाहरण देकर कहा गया कि इन अधिकारियों ने अपनी कार्यशैली से अपने-अपने विभागों को उच्च स्तर पर पहुंचा दिया है। ये रोल मॉडल हैं। आमसभा में हिस्सा ले रहे बलविंदर व स्वरूप ने अधिकारियों के साथ अनुभव साझा किये। कहा कि मदद करने की भावना पैदा होगी तो इमेज बनेगी और सराहना भी मिलेगी।
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ये मांगे उठीं
-नगर आयुक्त, प्राधिकरणों के उपाध्यक्ष पद पर युवा आइएएस को तैनाती मिले
-30 साल की सेवा पर अपर मुख्य सचिव पद नाम मिले
-तनाव कम करने के लिए योग कक्षाएं लगायी जाएं
-1985 व 1986 बैच को मुख्य सचिव का वेतनमान दिया जाए
-सेवा के शुरूआती दिनों में अध्ययन को विदेश भेजा जाए
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इन पर हुआ अमल
-चक गंजरिया में नये सीएसआइ टॉवर के लिए धन आवंटित, इसमें चार बेडरूम वाले फ्लैट होंगे
-चक गंजरिया में संस्कृति स्कूल का निर्माण, अगले शैक्षणिक सत्र से पढ़ाई शुरू होगी
-आइएएस अफसरों के बच्चों की शिक्षा के लिए साल में 18 हजार रुपए मिलेगा
-सीएसआइ टावर में आइएएस एसोसिएशन का कार्यालय स्थापित
-एसोसिएशन के वेबसाइट पर सदस्यों के अभिनव प्रयोगों का ब्यौरा दर्ज करने का फैसला
-संवर्ग के मौजूदा, सेवानिवृत अधिकारियों का पता, फोन नंबर वेबसाइट पर अपलोड करने का फैसला
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पुरानी कमेटी फिर पदारूढ़
आइएएस अधिकारियों ने पुरानी कमेटी को बनाये रखने का फैसला लिया। राकेश बहादुर अध्यक्ष, भुवनेश कुमार सचिव होंगे। आशुतोष निरंजन व सुरेन्द्र कुमार संयुक्त सचिव और विवेक वाष्र्णेय कोषाध्यक्ष बने रहेंगे। अलावा विधि कमेटी, साहित्य कमेटी, कला एवं संस्कृति कमेटी के सदस्य भी बने रहेंगे।
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...मैं सिकंदर हूं मगर हारा हुआ हूं
लखनऊ : गीत-संगीत, शेर-गजल की महफिल की यह तीसरी शाम थी, जिसे आइएएस अफसरों व उनकी शरीके हयातों (पत्नियों) ने मिलकर सजाया था। इस बार महफिल का पड़ाव राजभवन था। मेजबान व राज्यपाल राम नाईक, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के गांधी भवन पहुंचते ही डॉ.हरिओम ने शेर पढ़ा-'वह आए बज्म में इतना तो मीर ने देखा, फिर उसके बाद चरागों में रोशनी न रहीÓ। तालियां बजीं और मीतू गोयल एवं नीता साहू ने गणेश वंदना से सांस्कृतिक संध्या का आगाज किया।
सिलसिला बढ़ा को 1983 बैच के आइएएस अधिकारियों व उनकी पत्नियों ने एक नृत्य नाटिका 'नारी तुम केवल श्रद्धा होÓ प्रस्तुत की, जिसकी खूब सराहना हुई। अब बारी थी हास्य नाटिका पेश करने की, अमित मोहन, अनूप पाण्डेय, मुकेश मेश्राम द्वारा तैयार इस नाटिका को इन्हीं अधिकारियों ने प्रस्तुत भी किया है, जिसमें प्रशासनिक समस्याओं, दुश्वारियां का उल्लेख था, तो निवारण के राह भी सुझाये गये थे। गायिका सुरभि रंजन ने गीत सुनाए जिस पर खूब तालियां बजी और फिर हरिओम ने गजल पढ़ी-'मैं तेरे प्यार का मारा हूं, हूं सिकंदर मगर हारा हुआ हूं।Ó फिर दूसरी गजल पढ़ी शबे हयात चिरागे निगाह जलने दे, बहुत करीब है मंजिल जरा संभलने दे, अभी ये रात उजालों से भीग जाएगी, बस एक बार सितारों को आंख मलने दे। मुकेश मेश्राम ने भी एक कविता पढ़ी। इस बीच राज्यपाल राम नाईक एवं उनकी पत्नी कुंदा नाईक ने पूरे समय सभागार में मौजूद रहे और अधिकारियों को आशीर्वाद भी दिया। मुख्यमंत्री भी काफी देर तक कार्यक्रम में शरीक रहे फिर रविवार को होने वाले मैच की टीम फाइनल करने चले गए। हालांकि डीजीपी जावीद अहमद ने भी पत्नी के साथ इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया। राजभवन में आयोजित इस रात्रिभोज में शाकाहारी भोजन भरोसा गया। एसोसिएशन के कई अन्य सदस्यों व उनके परिवार के सदस्यों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं गायन प्रस्तुत किये गए। कार्यक्रम का संचालन लोकगायिका डा.मालविका ने किया।
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'जहां तेरी ये नजर है, मेरी जां मुझे खबर हैÓ
-आइएएस अफसरों के 'टाइटलÓ में छायी मुख्य सचिव की कुर्सी
-सर्विस डिनर में पकवानों के बीच 29 आइएएस अफसर रहे निशाने पर
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लखनऊ : मौका था दिन में मुख्यमंत्री के भाषण, दोपहर में सीनियर्स के व्याख्यानों के बाद मस्ती भरी शाम से ठीक पहले सबको निशाने पर लेने का। आइएएस वीक के अंतर्गत एमबी क्लब में हुए सर्विस डिनर के मेन्यू कार्ड में मिर्च मसाला शीर्षक से नौकरशाहों ने खुद को अलग-अलग 'टाइटलÓ दिये। इस दफा मुख्य सचिव की कुर्सी इनमें छायी रही। कुल 29 आइएएस अफसर निशाने पर आए।
मौजूदा मुख्य सचिव आलोक रंजन को 'बिहाइंड एवरी सक्सेसफुल मैन, सक्सेस लाइज ए वूमेनÓ के साथ उनकी सफलता को पत्नी सुरभि रंजन की सक्रियता से जोड़कर बताया गया। मुख्य सचिव पद की दौड़ भी 'टाइटलÓ में साफ दिख रही थी। इस दौड़ में शामिल माने जाने वाले कृषि उत्पादन आयुक्त प्रवीर कुमार व प्रमुख सचिव (सिंचाई) दीपक सिंघल को 'जहां तेरी ये नजर है, मेरी जां मुझे खबर हैÓ से नवाज कर इस कुर्सी की प्रतिस्पद्र्धा को रेखांकित करने की कोशिश हुई। प्रमुख सचिव (आवास) सदाकांत को 'अगर आपका 'आशीर्वादÓ मिल जाए तो मैं भी चीफ सेक्रेटरी बन जाऊंÓ पंक्तियों के साथ सीधे इस पद की दौड़ से जोडऩे की कोशिश हुई। राजस्व परिषद अध्यक्ष अनिल कुमार गुप्ता के लिए 'हम इंतजार करेंगे कयामत तक, खुदा करे कयामत हो और....Ó पंक्तियां लिखकर इंतजार के पहलुओं की व्याख्या सी की गयी थी।
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खुदा को डर है...
मुख्य निर्वाचन अधिकारी अरुण सिंघल को 'खुदा को डर है कि कहीं वक्त आने पर ये ही खुदा न बन जाएÓ टाइटल के साथ अगले विधानसभा चुनावों की चर्चा सी छेड़ी गयी। इसी तरह प्रमुख सचिव (वन) संजीव सरन के टाइटल 'हमें गिरकर संभलना आता है, अबकी बारी 'शेरÓ की सवारीÓ ने भी विशेष संदेश दिया। प्रमुख सचिव (वित्त) राहुल भटनागर व प्रमुख सचिव (गृह) देबाशीष पंडा को 'देहली विल रिमेन इन अवर एडीशनल रेजीडेंट ब्लड हम रहेंगे दिल्ली के बाबू....Ó टाइटल देकर उनके दिल्ली से जुड़ाव को बताने की कोशिश हुई थी। प्रमुख सचिव (सूचना) नवनीत सहगल का टाइटल 'अ मैन ऑफ ऑल सीजन्स। अ ट्रृली 'न्यूट्रलÓ ब्यूरोक्रेटÓ भी चर्चा में रहा।
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हम बेवफा हरगिज न थे...
'टाइटलÓ देते समय वफा व बेवफाई का जिक्र भी ख्रूब हुआ। राज प्रताप सिंह का टाइटल 'हम बेवफा हरगिज न थे... पर हम वफा कर न सकेÓ था तो डॉ.ललित वर्मा के लिए 'वक्त करता जो वफा, तो आप...Ó टाइटल चुना गया था। प्रमुख सचिव (चिकित्सा शिक्षा) डॉ.अनूप चंद्र पाण्डेय का टाइटल 'जिंदगी जिंदादिली का ही नाम है, हम तो हर हाल में खुश ही रहेंगे...Ó उनके व्यक्तित्व से जोड़ रहा था तो प्रमुख सचिव (आबकारी) किशन सिंह अटोरिया का टाइटल 'हर मर्ज की एक ही दवा-दारू होती है...Ó और खेल व श्रम विभागों की प्रमुख सचिव अनीता भटनागर जैन का टाइटल 'खेल खेलने में भी बहुत श्रम करना पड़ता हैÓ उनके विभागों की कहानी कह रहा था।
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आज पुरानी राहों से...
सूबे में तैनात अफसरों के साथ केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर तैनात अफसरों को भी जोरदार टायटल दिये गए थे। आइएएस एसोसिएशन में सक्रियता के साथ खासे चर्चित रहे विजय शंकर पाण्डेय के लिए 'आज पुरानी राहों से कोई मुझे आवाज न दे...Ó पंक्तियां लिखी थीं, तो राकेश गर्ग के टाइटलं 'कम्युनिकेशन गैप (कॉल ड्राप) कैन बी हेजार्डस ऐट टाइमÓ के जरिये संवादहीनता पर सवाल उठाए गए थे। अनिल स्वरूप का टाइटल 'कोल व्हेन पुट अंडर हाई टेम्परेचर एंड प्रेशन कैन प्रोड्यूस डायमण्ड्सÓ कोयले से हीरा बनने की कहानी कह रहा था, तो बलविंदर कुमार के लिए 'राइज ऑफ्टर द फॉल मेक्स यू अ लाइफ वॉरियरÓ जैसू सूक्ति उनके संघर्ष से जोड़ रही थी। रोहित नंदन का टाइटल 'पंखों से कुछ नहीं होता, 'कुशल कारीगरीÓ से ही उड़ान होती है...Ó तमाम संदेश सहेजे था, वहीं प्रभात कुमार के लिए 'एटलसÓ विद लोटस ऑन हिज सोल्डर्स, रेडी टु टेक एनी मोरÓ टाइटल ने उनकी संभावनाओं की कहानी को उद्धृत किया।
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ये टीवी हमसे है...
युवा आइएएस अफसरों का चर्चित रहने का अंदाज भी 'टाइटलÓ का हिस्सा बना। बुलंदशहर की जिलाधिकारी बी. चंद्रकला का टाइटल 'हम किसी से कम नहीं, ये टीवी हमसे है, हम टीवी से नहीं..Ó पूरी कहानी कह रहा था, वहीं के. धनलक्ष्मी को 'अ लेडी विद मिडास टच, ट्रू टु द नेमÓ टाइटल दिया गया था। लखनऊ के जिलाधिकारी राजशेखर के लिए 'छापो! पेज1 पेज2 पेज3 अगला नवनीत सहगल कौन होगा...Ó टाइटल सहेजा गया था, वहीं वन विभाग के अफसरों से टकराव के बाद चर्चित हुई लखीमपुर की डीएम का टाइटल 'जंगल जंगल बात चली है, पता चला है ये....Ó इस चर्चा से जोड़ रहा था। हाल ही में प्रतिनियुक्ति पर आए अलकनंदा दयाल, आकाशदीप, अजय यादव व अनुंजय कुमार सिंह को 'हम तो छोड़ आए पिया का देस, बाबुल का घर प्यारा लगे....Ó टाइटल देकर उनका स्वागत किया गया।
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लखनऊ : आइएएस वीक के आखिरी दिन रविवार सुबह आठ बजे से लामार्टिनियर स्कूल मैदान में मुख्यमंत्री एकादश और आइएएस एकादश के बीच क्रिकेट मैच खेला जाएगा जिसकी तैयारी पूरी हो गयी है। दोनों ही टीमों के खिलाडिय़ों ने खूब अभ्यास किया है। हालांकि इतिहास पर नजर डालें तो इस मैच में मुख्यमंत्री एकादश का पलड़ा हमेशा भारी रहा है, लेकिन खेल के महारथी आइएएस चुनावी साल में आखिर मुख्यमंत्री एकादश से कैसा मुकाबला करती है यह देखना दिलचस्प होगा। आइएएस एकादश घोषित हो गयी है जबकि मुख्यमंत्री एकादश की घोषणा मैच से पहले की जाएगी।
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मुख्यमंत्री एकादश
अखिलेश यादव (कप्तान), रघुराज प्रताप सिंह, इरफान सोलंकी, तेज प्रताप सिंह यादव, नीरज शेखर, अभिषेक मिश्र, कमाल अख्तर, रेहान खां, पवन पाण्डेय, सन्नी यादव, राकेश सिंह, योगेश प्रताप सिंह।
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आइएएस एकादश
आलोक रंजन (कप्तान), भुवनेश कुमार, नवनीत सहगल, पार्थ सारथी सेन शर्मा, सुधीर बोबड़े, अनिल कुमार तृतीय, अनुराग यादव, पंकज यादव, रविन्द्र मांदर, दीपक मीना, राजकमल, सुभाष शर्मा और किरन एस। हाई लाइट- मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को बोल्ड करने के बाद आइएएएस राजकमल यादव माथे पकड़ कर बैठ गए, गोया उनसे बहुत बड़ा गुनाह हो गया हो। जिसकी तस्वीर भी अखबार में छपी।
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१६.दिसंबर-२०१६ आइएएस वीक
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-इस बार भी मुख्य सचिव की कुर्सी का रहा जलवा
- 21 अधिकारियों को टाइटिल, दिखी रचनात्मकता की कमी
राज्य ब्यूरो, लखनऊ: सिर्फ नौ माह बाद दूसरा मौका आया जब आइएएस अधिकारियों ने एमबी क्लब में सर्विस डिनर की महफिल सजाई। इसमें 'मिर्च मसालाÓ वाला टाइटिल अफसरों की खाने की मेज तक पहुंचा। यूं तो पूर्व की तुलना कम अधिकारियों को टाइटिल दिये गए। रचनात्मकता की कमी खटकी। हां, मुख्य सचिव की कुर्सी की बेदारी इस बार भी टाइटिल में छायी रही। इस बार 21 अधिकारियों को टाइटिल किये गये जबकि मार्च में हुए आइएएस वीक के दौरान 29 अधिकारियों को टाइटिल मिले थे।
...वक्त ने किया सितम
सत्ता के एक ध्रुव की करीबी के चलते मुख्य सचिव की कुर्सी हासिल करने वाले दीपक सिंघल और मुख्यमंत्री की पसंद होने के बाद भी मुख्य सचिव की कुर्सी से वंचित प्रवीर कुमार को 'वक्त ने किया क्या हसीं सितम, हम रहे न हम , तुम रहे न तुमÓ टाइटिल दिया गया। कई अर्थो में विश्लेषित हो सकने वाली ये लाइनें दोनों अधिकारियों के हाल पर मौजू थी। अपने से वरिष्ठ बैच के अधिकारियों को पार कर मुख्य सचिव की कुर्सी पर पहुंचे राहुल भटनागर को मिला टाइटिल-'मुझको पहचान तो, मैं हूं डॉनÓ यह जता रहा था कि अधिकारियों को समझना चाहिए कि वह उनके बॉस हैं। खामोशी से कामयाबी की मंजिल की ओर बढ़ रहे प्रदीप भटनागर को भली-भली सी एक सूरत, भला सा एक नाम टाइटिल देकर नौकरशाही के लिए उनके मानवीय भाव को उभारा गया।
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हमको ऐसा वैसा न समझो
सरकार में आबकारी, सहकारी, नियुक्ति कार्मिक यानी आधी सरकार का जिम्मा संभाल रहे केएस अटोरिया के सरकारों के साथ संतुलन को कुछ यूं रेखांकित किया गया- 'हमको ऐसा वैसा न समझो हम बड़े काम की चीज, ओ बाबू बड़े काम की चीजÓ। हालांकि इसका अर्थ एक दिन पहले आइएएस को अपर मुख्य सचिव पद नाम दिलाने से जोड़कर देखा जा रहा है। 1985 बैच के अधिकारियों की बात को 'इंतेहां हो गई इंतजार की...Ó के जरिये उभारा गया।
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तू कितनी अच्छी ओ मां
बच्चों की बेहतर परवरिस के लिए अवकाश पर गई लीना जौहरी, अनीता मेश्राम और कामिनी चौहान रतन को संयुक्त टाइटिल दिया गया-तू कितनी अच्छी है, तू कितना भोली है, ओ मां और हमरा लिए छुïट्टी ले के घर पे बैठी है, ओ मां...। हालांकि टाइटिल के लाइनों का कंपोजीशन कई और कहानी कहता प्रतीत हो रहा है।
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सदा खुश रहे तू जफा करने
ओहदे के मुताबिक सरकार की इमेज ब्रांडिग करने में खुद को झोंकने वाले और इस बार एक दुघर्टना के चलते स्वास्थ्य लाभ कर रहे नवनीत सहगल को टाइटिल मिला-सदा खुश रहे तू जपा करने वाले दुआ कर रहे हैं दुआ करने वाले।
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अतिथि कब जाओगे?
प्रतिनियुक्ति पर यूपी आने के बाद गाजियाबाद की कलेक्टरी कर रही निधि केसरवानी, केडीए की उपाध्यक्ष जयश्री भोज, एलडीए के उपाध्यक्ष अनूप यादव और विशाल चौहान के महत्वपूर्ण ओहदों पर काबिज करने से मूल कॉडर के अधिकारियों की हक तलफी को कुछ यूं टाइटिल में समेटा गया-ओ अतिथि, तुम कब जाओगे? कोई तिथि तो बताओ। हाल के दिनों में पैराबैडमिंटन जीतने वाले सुहास एलवाई को कुछ यूं कहा गया-ढल गया दिन, हो गई शाम, जाने दो जाना है...
किंजल सिंह को मार्च वाला टाइटिल फिर दोहरा दिया गया- उन्हें कहा गया...जंगल-जंगल बात चली है, पता चला है। अलबत्ता संस्कृति सचिव व अच्छे गीतकार डॉ.हरिओम का टाइटिल है-जाने वो कैसे लोग थे जिनको यश भारती मिला, हम तो बस बार-बार दिलाते ही रहे, पर को ही ना मिला
बसपा सरकार में लखनऊ के डीएम रहे और कुछ दिन ंिसचाई विभाग का जिम्मा भी संभालने वाले अनिल सागर का टाइटिल-'ए दिले, आवार चल, फिर वहीं दोबारा चलÓ। लखनऊ के डीएम सत्येन्द्र सिंह की बहुआयामी क्षमता को टाइटिल में कुछ यूं रेखांकित किया गया-छलिया मेरा नाम, छलना मेरा काम, हिन्दु, मुस्लिम, सिक्ख, इकाई सबको मेरा सलाम (?)। अलबत्ता अनुराग यादव को जरूर कुछ तल्ख टाइटिल मिला- अरे फिरते थे जो बड़े ही सिंकदर बने हुए, बैठें है उनके दर पर कबूतर बने हुए।
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पिछले साल के चर्चित नाम गायब
मार्च-2016 में खूबसूरत टाइटिलों से नवाजे गए युवा
आइएएस अफसर इस बार 'टाइटलÓ की लिस्ट में स्थान तक नहीं बना सके। मार्च में बी. चंद्रकला का टाइटल हम किसी से कम नहीं, ये टीवी हमसे है, हम टीवी से नहीं..Ó के.धनलक्ष्मी को 'अ लेडी विद मिडास टच, ट्रू टु द नेमÓ टाइटल दिया गया था। राजशेखर को छापो! पेज 1 पेज 2 पेज 3 टाइटल दिया गया था, प्रतिनियुक्ति पर आए अलकनंदा दयाल, आकाशदीप, अजय यादव व अनुंजय सिंह को 'हम तो छोड़ आए पिया का देस, बाबुल का घर प्यारा लगे....Ó जैसे टाइटिल से नवाजा गया था, मगर इस बार इन्हें स्थान नहीं मिला।
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मुख्यमंत्री ने दिया दोपहर भोज
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आइएएस वीक के दूसरे दिन अफसरों को दोपहर भोज दिया। इस मौके पर आइएएस अफसरों ने मुख्यमंत्री को बुके देकर स्वागत किया। भोज के दौरान यादव ने अफसरों से खूब बातचीत की। इस मौके पर मुख्य सचिव राहुल भटनागर, प्रमुख सचिव गृह देबाशीष पंडा, राजस्व परिषद के चेयरमैन प्रवीर कुमार समेत कई वरिष्ठ अधिकारी और जिलों के डीएम व अन्य अफसर मौजूद थे। कई अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को जिलों में चल रहे कार्यो का ब्यौरा भी दिया।
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-इस बार भी मुख्य सचिव की कुर्सी का रहा जलवा
- 21 अधिकारियों को टाइटिल, दिखी रचनात्मकता की कमी
राज्य ब्यूरो, लखनऊ: सिर्फ नौ माह बाद दूसरा मौका आया जब आइएएस अधिकारियों ने एमबी क्लब में सर्विस डिनर की महफिल सजाई। इसमें 'मिर्च मसालाÓ वाला टाइटिल अफसरों की खाने की मेज तक पहुंचा। यूं तो पूर्व की तुलना कम अधिकारियों को टाइटिल दिये गए। रचनात्मकता की कमी खटकी। हां, मुख्य सचिव की कुर्सी की बेदारी इस बार भी टाइटिल में छायी रही। इस बार 21 अधिकारियों को टाइटिल किये गये जबकि मार्च में हुए आइएएस वीक के दौरान 29 अधिकारियों को टाइटिल मिले थे।
...वक्त ने किया सितम
सत्ता के एक ध्रुव की करीबी के चलते मुख्य सचिव की कुर्सी हासिल करने वाले दीपक सिंघल और मुख्यमंत्री की पसंद होने के बाद भी मुख्य सचिव की कुर्सी से वंचित प्रवीर कुमार को 'वक्त ने किया क्या हसीं सितम, हम रहे न हम , तुम रहे न तुमÓ टाइटिल दिया गया। कई अर्थो में विश्लेषित हो सकने वाली ये लाइनें दोनों अधिकारियों के हाल पर मौजू थी। अपने से वरिष्ठ बैच के अधिकारियों को पार कर मुख्य सचिव की कुर्सी पर पहुंचे राहुल भटनागर को मिला टाइटिल-'मुझको पहचान तो, मैं हूं डॉनÓ यह जता रहा था कि अधिकारियों को समझना चाहिए कि वह उनके बॉस हैं। खामोशी से कामयाबी की मंजिल की ओर बढ़ रहे प्रदीप भटनागर को भली-भली सी एक सूरत, भला सा एक नाम टाइटिल देकर नौकरशाही के लिए उनके मानवीय भाव को उभारा गया।
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हमको ऐसा वैसा न समझो
सरकार में आबकारी, सहकारी, नियुक्ति कार्मिक यानी आधी सरकार का जिम्मा संभाल रहे केएस अटोरिया के सरकारों के साथ संतुलन को कुछ यूं रेखांकित किया गया- 'हमको ऐसा वैसा न समझो हम बड़े काम की चीज, ओ बाबू बड़े काम की चीजÓ। हालांकि इसका अर्थ एक दिन पहले आइएएस को अपर मुख्य सचिव पद नाम दिलाने से जोड़कर देखा जा रहा है। 1985 बैच के अधिकारियों की बात को 'इंतेहां हो गई इंतजार की...Ó के जरिये उभारा गया।
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तू कितनी अच्छी ओ मां
बच्चों की बेहतर परवरिस के लिए अवकाश पर गई लीना जौहरी, अनीता मेश्राम और कामिनी चौहान रतन को संयुक्त टाइटिल दिया गया-तू कितनी अच्छी है, तू कितना भोली है, ओ मां और हमरा लिए छुïट्टी ले के घर पे बैठी है, ओ मां...। हालांकि टाइटिल के लाइनों का कंपोजीशन कई और कहानी कहता प्रतीत हो रहा है।
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सदा खुश रहे तू जफा करने
ओहदे के मुताबिक सरकार की इमेज ब्रांडिग करने में खुद को झोंकने वाले और इस बार एक दुघर्टना के चलते स्वास्थ्य लाभ कर रहे नवनीत सहगल को टाइटिल मिला-सदा खुश रहे तू जपा करने वाले दुआ कर रहे हैं दुआ करने वाले।
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अतिथि कब जाओगे?
प्रतिनियुक्ति पर यूपी आने के बाद गाजियाबाद की कलेक्टरी कर रही निधि केसरवानी, केडीए की उपाध्यक्ष जयश्री भोज, एलडीए के उपाध्यक्ष अनूप यादव और विशाल चौहान के महत्वपूर्ण ओहदों पर काबिज करने से मूल कॉडर के अधिकारियों की हक तलफी को कुछ यूं टाइटिल में समेटा गया-ओ अतिथि, तुम कब जाओगे? कोई तिथि तो बताओ। हाल के दिनों में पैराबैडमिंटन जीतने वाले सुहास एलवाई को कुछ यूं कहा गया-ढल गया दिन, हो गई शाम, जाने दो जाना है...
किंजल सिंह को मार्च वाला टाइटिल फिर दोहरा दिया गया- उन्हें कहा गया...जंगल-जंगल बात चली है, पता चला है। अलबत्ता संस्कृति सचिव व अच्छे गीतकार डॉ.हरिओम का टाइटिल है-जाने वो कैसे लोग थे जिनको यश भारती मिला, हम तो बस बार-बार दिलाते ही रहे, पर को ही ना मिला
बसपा सरकार में लखनऊ के डीएम रहे और कुछ दिन ंिसचाई विभाग का जिम्मा भी संभालने वाले अनिल सागर का टाइटिल-'ए दिले, आवार चल, फिर वहीं दोबारा चलÓ। लखनऊ के डीएम सत्येन्द्र सिंह की बहुआयामी क्षमता को टाइटिल में कुछ यूं रेखांकित किया गया-छलिया मेरा नाम, छलना मेरा काम, हिन्दु, मुस्लिम, सिक्ख, इकाई सबको मेरा सलाम (?)। अलबत्ता अनुराग यादव को जरूर कुछ तल्ख टाइटिल मिला- अरे फिरते थे जो बड़े ही सिंकदर बने हुए, बैठें है उनके दर पर कबूतर बने हुए।
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पिछले साल के चर्चित नाम गायब
मार्च-2016 में खूबसूरत टाइटिलों से नवाजे गए युवा
आइएएस अफसर इस बार 'टाइटलÓ की लिस्ट में स्थान तक नहीं बना सके। मार्च में बी. चंद्रकला का टाइटल हम किसी से कम नहीं, ये टीवी हमसे है, हम टीवी से नहीं..Ó के.धनलक्ष्मी को 'अ लेडी विद मिडास टच, ट्रू टु द नेमÓ टाइटल दिया गया था। राजशेखर को छापो! पेज 1 पेज 2 पेज 3 टाइटल दिया गया था, प्रतिनियुक्ति पर आए अलकनंदा दयाल, आकाशदीप, अजय यादव व अनुंजय सिंह को 'हम तो छोड़ आए पिया का देस, बाबुल का घर प्यारा लगे....Ó जैसे टाइटिल से नवाजा गया था, मगर इस बार इन्हें स्थान नहीं मिला।
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मुख्यमंत्री ने दिया दोपहर भोज
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आइएएस वीक के दूसरे दिन अफसरों को दोपहर भोज दिया। इस मौके पर आइएएस अफसरों ने मुख्यमंत्री को बुके देकर स्वागत किया। भोज के दौरान यादव ने अफसरों से खूब बातचीत की। इस मौके पर मुख्य सचिव राहुल भटनागर, प्रमुख सचिव गृह देबाशीष पंडा, राजस्व परिषद के चेयरमैन प्रवीर कुमार समेत कई वरिष्ठ अधिकारी और जिलों के डीएम व अन्य अफसर मौजूद थे। कई अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को जिलों में चल रहे कार्यो का ब्यौरा भी दिया।
IAS WEEK _ 15 dec to 18 dec 2016
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आइएएस वीक
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...दुआ कर रहे हैं दुआ करने वाले
- इस बार भी मुख्य सचिव की कुर्सी का रहा जलवा
- 21 अधिकारियों को टाइटिल, दिखी रचनात्मकता की कमी
लखनऊ : सिर्फ नौ माह बाद दूसरा मौका आया जब आइएएस अधिकारियों ने एमबी क्लब में सर्विस डिनर की महफिल सजाई। इसमें 'मिर्च मसालाÓ वाला टाइटिल अफसरों की खाने की मेज तक पहुंचा। यूं तो पूर्व की तुलना कम अधिकारियों को टाइटिल दिये गए। रचनात्मकता की कमी खटकी। हां, मुख्य सचिव की कुर्सी की बेदारी इस बार भी टाइटिल में छायी रही। इस बार 21 अधिकारियों को टाइटिल किये गये जबकि मार्च में हुए आइएएस वीक के दौरान 29 अधिकारियों को टाइटिल मिले थे।
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...वक्त ने किया सितम
सत्ता के एक ध्रुव की करीबी के चलते मुख्य सचिव की कुर्सी हासिल करने वाले दीपक सिंघल और मुख्यमंत्री की पसंद होने के बाद भी मुख्य सचिव की कुर्सी से वंचित प्रवीर कुमार को 'वक्त ने किया क्या हंसी सितम, हम रहे न हम , तुम रहे न तुमÓ टाइटिल दिया गया। कई अर्थो में विश्लेषित हो सकने वाली ये लाइनें दोनों अधिकारियों के हाल पर मौजू थी। अपने से वरिष्ठ बैच के अधिकारियों को पार कर मुख्य सचिव की कुर्सी पर पहुंचे राहुल भटनागर को मिला टाइटिल-'मुझको पहचान तो, मैं हूं डॉनÓ यह जता रहा था कि अधिकारियों को समझना चाहिए कि वह उनके बॉस हैं। खामोशी से कामयाबी की मंजिल की ओर बढ़ रहे प्रदीप भटनागर को भली-भली सी एक सूरत, भला सा एक नाम टाइटिल देकर नौकरशाही के लिए उनके मानवीय भाव को उभारा गया।
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हमको ऐसा वैसा न समझो
सरकार में आबकारी, सहकारी, नियुक्ति कार्मिक यानी आधी सरकार का जिम्मा संभाल रहे केएस अटोरिया के सरकारों के साथ संतुलन को कुछ यूं रेखांकित किया गया- 'हमको ऐसा वैसा न समझो हम बड़े काम की चीज, ओ बाबू बड़े काम की चीजÓ। हालांकि इसका अर्थ एक दिन पहले आइएएस को अपर मुख्य सचिव पद नाम दिलाने से जोड़कर देखा जा रहा है। 1985 बैच के अधिकारियों की बात को 'इंतेहां हो गई इंतजार की...Ó के जरिये उभारा गया।
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तू कितनी अच्छी ओ मां
बच्चों की बेहतर परवरिश के लिए अवकाश पर गई लीना जौहरी, अनीता मेश्राम और कामिनी चौहान रतन को संयुक्त टाइटिल दिया गया-तू कितनी अच्छी है, तू कितना भोली है, ओ मां और हमरा लिए छुïट्टी ले के घर पे बैठी है, ओ मां...। हालांकि टाइटिल के लाइनों का कंपोजीशन कई और कहानी कहता प्रतीत हो रहा है।
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सदा खुश रहे तू जफा करने
ओहदे के मुताबिक सरकार की इमेज ब्रांडिग करने में खुद को झोंकने वाले और इस बार एक दुघर्टना के चलते स्वास्थ्य लाभ कर रहे नवनीत सहगल को टाइटिल मिला-सदा खुश रहे तू जपा करने वाले दुआ कर रहे हैं दुआ करने वाले।
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अतिथि कब जाओगे?
प्रतिनियुक्ति पर यूपी आने के बाद गाजियाबाद की कलेक्टरी कर रही निधि केसरवानी, केडीए की उपाध्यक्ष जयश्री भोज, एलडीए के उपाध्यक्ष अनूप यादव और विशाल चौहान के महत्वपूर्ण ओहदों पर काबिज करने से मूल कॉडर के अधिकारियों की हक तलफी को कुछ यूं टाइटिल में समेटा गया-ओ अतिथि, तुम कब जाओगे? कोई तिथि तो बताओ। हाल के दिनों में पैराबैडमिंटन जीतने वाले सुहास एलवाई को कुछ यूं कहा गया-ढल गया दिन, हो गई शाम, जाने दो जाना है...
किंजल सिंह को मार्च वाला टाइटिल फिर दोहरा दिया गया- उन्हें कहा गया...जंगल-जंगल बात चली है, पता चला है। अलबत्ता संस्कृति सचिव व अच्छे गीतकार डॉ.हरिओम का टाइटिल है-जाने वो कैसे लोग थे जिनको यश भारती मिला, हम तो बस बार-बार दिलाते ही रहे, पर को ही ना मिला
बसपा सरकार में लखनऊ के डीएम रहे और कुछ दिन सिंचाई विभाग का जिम्मा भी संभालने वाले अनिल सागर का टाइटिल-'ए दिले, आवार चल, फिर वहीं दोबारा चलÓ। लखनऊ के डीएम सत्येन्द्र सिंह की बहुआयामी क्षमता को टाइटिल में कुछ यूं रेखांकित किया गया-छलिया मेरा नाम, छलना मेरा काम, हिन्दु, मुस्लिम, सिक्ख, इकाई सबको मेरा सलाम (?)। अलबत्ता अनुराग यादव को जरूर कुछ तल्ख टाइटिल मिला- अरे फिरते थे जो बड़े ही सिंकदर बने हुए, बैठें है उनके दर पर कबूतर बने हुए।
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पिछले साल के चर्चित नाम गायब
मार्च-2016 में खूबसूरत टाइटिलों से नवाजे गए युवा
आइएएस अफसर इस बार 'टाइटलÓ की लिस्ट में स्थान तक नहीं बना सके। मार्च में बी. चंद्रकला का टाइटल हम किसी से कम नहीं, ये टीवी हमसे है, हम टीवी से नहीं..Ó के.धनलक्ष्मी को 'अ लेडी विद मिडास टच, ट्रू टु द नेमÓ टाइटल दिया गया था। राजशेखर को छापो! पेज 1 पेज 2 पेज 3 टाइटल दिया गया था, प्रतिनियुक्ति पर आए अलकनंदा दयाल, आकाशदीप, अजय यादव व अनुंजय सिंह को 'हम तो छोड़ आए पिया का देस, बाबुल का घर प्यारा लगे....Ó जैसे टाइटिल से नवाजा गया था, मगर इस बार इन्हें स्थान नहीं मिला।
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मुख्यमंत्री ने दिया दोपहर भोज
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आइएएस वीक के दूसरे दिन अफसरों को दोपहर भोज दिया। इस मौके पर आइएएस अफसरों ने मुख्यमंत्री को बुके देकर स्वागत किया। भोज के दौरान यादव ने अफसरों से खूब बातचीत की। इस मौके पर मुख्य सचिव राहुल भटनागर, प्रमुख सचिव गृह देबाशीष पंडा, राजस्व परिषद के चेयरमैन प्रवीर कुमार समेत कई वरिष्ठ अधिकारी और जिलों के डीएम व अन्य अफसर मौजूद थे। कई अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को जिलों में चल रहे कार्यो का ब्यौरा भी दिया।
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एजीएम-१५ से १८ दिसंबर-२०१६
बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर
-आइएएस एसोसिएशन की वार्षिक आम सभा में अफसरों ने साझा किये अनुभव और नसीहतें
-कोई वरिष्ठों के रवैये से नाखुश तो किसी ने दी नौकरी में निष्पक्ष रहने की सलाह
राज्य ब्यूरो, लखनऊ : देश का स्टीलफ्रेम कही जाने वाली भारतीय प्रशासनिक सेवा के अफसरों ने शनिवार को आइएएस वीक की वार्षिक आम सभा में संवर्ग की कार्यशैली पर मंथन किया। बैठक में उस समय सन्नाटा छा गया जब आइएएस अधिकारी एल.वेंकटेश्वर लू ने संस्कृत के श्लोकों और चौपाइयों के माध्यम से इस प्रीमियर सेवा के अफसरों को आईना दिखाते हुए कहा कि यदि आप बड़ी सेवा में हैं तो बड़ी सोच रखिये, बड़ा काम करके दिखाइये। यदि किसी का भला नहीं कर सकते तो ऐसी नौकरी में रहने का क्या फायदा। अपने मनोभावों को उन्होंने इन पंक्तियों के जरिये स्वर दिया
'बड़ा हुआ तो क्या हुआ,
जैसे पेड़ खजूर,
पंछी को छाया नहीं,
फल लागे अति दूर।Ó
सिविल सर्विसेज इंस्टीट्यूट में हुई बैठक में बदलती परिस्थितियों में आइएएस अफसरों की साख बचाने की फिक्र भी हावी रही। साख बचाने के संकट से निपटने के लिए खुद की क्षमता बढ़ाने और जनता को लाभ पहुंचाने में तकनीक का इस्तेमाल बढ़ाने पर जोर दिया गया। कैडर की समस्याओं पर फिक्र जतायी गई। विधानसभा चुनाव में निष्पक्ष रहने की बात पर भी सहमति दी थी।
प्रमुख सचिव वित्त डॉ.अनूप चन्द्र पांडेय ने कहा कि आइएएस की ट्रेनिंग के दौरान अकादमी में जो पढ़ाया जाता है, उसका फील्ड की असलियत से कम लेनादेना होता है। उन्होंने अफसरों को केन्द्र में प्रतिनियुक्ति पर जाने की सलाह दी। यह कहते हुए कि वहां एक्सपोजर अधिक होता है मगर टेक्नोक्रेट हावी रहते हैं। केंद्र में प्रतिनियुक्ति का अपना उदाहरण बताते हुए कहा कि जब वह एक मंत्रालय में नियुक्त हुए तो एक वरिष्ठ अधिकारी ने उनसे कंप्यूटर पर कामकाज के बारे में सवाल किये लेकिन उनके उत्तरों से असंतुष्ट होकर कहा कि 'देन यू आर यूजलेस।Ó अपने इस कड़वे अनुभव के आधार पर उन्होंने संवर्ग के अफसरों को काम पर पकड़ बनाये रखने के साथ तकनीकी तौर पर भी अपडेट रहने की सलाह दी।
सरकार के बेहद करीबी मगर इन दिनों उपेक्षित आइएएस अधिकारी अनुराग यादव ने कहा कि संकट आने पर वरिष्ठ अफसर डिफेंड नहीं करते हैं। उनकी इस आपत्ति का जवाब देते हुए एल.वेंकटेश्वर लू ने कहा कि 'बड़े अफसर आपको डिफेंड करें न करें लेकिन यदि आपने सही कार्य किया है तो ऊपर वाला आपकी रक्षा जरूर करता है।Ó नैनीताल में अपनी ट्रेनिंग के संस्मरण साझा करते हुए कहा एक आइएएस अधिकारी ने कहा कि प्रशिक्षण के दौरान एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा था कि नौकरी में जैसा चाहो रास्ता अख्तियार कर सकते हो। चाहो तो न्यूट्रल रह सकते हो, किसी राजनीतिक दल के करीबी बन सकते हो या फिर किसी प्रभावशाली आदमी को पकड़ सकते हो। लेकिन, नौकरी के बाद जब मूल्यांकन करोगे तो पाओगे कि अलग-अलग रास्ते अपनाने वाले सभी लगभग बराबर ही रहते हैं। इसलिए नौकरी में निष्पक्ष रहना बेहतर होता है।
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आइएएस अधिकारियों की मांगे
-1985-86 बैच के अधिकारियों को मुख्य सचिव के बराबर वेतन मान दिया जाए
-सीजी सिटी लखनऊ में सीएसआइ क्लब के लिए जमीन का आवंटित कर क्लब का निर्माण कराया जाए
-आइएएस अधिकारियों की प्रोन्नति एक जनवरी को होती है, इस बार आदर्श आचार संहिता लग जाने की संभावना है। ऐसे में 1992 बैच के अधिकारियों को प्रमुख सचिव, 2001 बैच के अधिकारियों को सचिव व अन्य बैच के अधिकारियों को प्रोन्नत करने के लिए एक दो दिन में विभागीय प्रोन्नति कमेटी की बैठक कराई जाए।
-संस्कृति स्कूल की गुणवत्ता पर और ध्यान दिया जाए
-बटलर पैलेस में बन रहे नए मकान आइएएस अफसरों को एलॉट करने की मांग उठी
-बड़े पदों पर नियुक्त अफसरों के लिए इंडिविजुअल आवास की मांग भी उठाई गई
- फील्ड में तैनात अधिकारियों को लैपटाप दिया जाए
-लखनऊ और नोएडा में अधिकारियों को सरकार प्लॉट उपलब्ध कराई जाए ताकि कभी भी पोस्टिंग होने पर परिवार प्रभावित न हो
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निकाय व प्राधिकरण में तैनाती मांगी
मीटिंग में मांग रखी गयी कि काफी संख्या में युवा आइएएस अधिकारी हैं। जिलों में संख्या कम है। विशेष सचिव के पद सीमित हैं। ऐसे में युवा अधिकारियों को नगर निगम व विकास प्राधिकरणों में तैनात कर उनका बेहतर इस्तेमाल किया जाए। नये अफसरों को गुड प्रैक्टिसेस की जानकारी दी जाए।
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सरकार का शुक्रिया भी!
आइएएस एसोसिएशन की सामान्य सभा की बैठक में मुख्य सचिव के बराबर वेतनमान वाले अधिकारियों को अपर मुख्य सचिव पद नाम दिये जाने, संस्कृति स्कूल अगले शैक्षिक सत्र से शुरू करने, बच्चों की पढ़ाई के लिए धनराशि का इंतजाम करने के लिए सरकार के मुखिया अखिलेश यादव, मुख्य सचिव राहुल भटनागर व अन्य वरिष्ठ अधिकारियों का शुक्रिया भी अदा किया गया।
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नए कमेटी
आइएएस वीक के तीसरे दिन आमसभा में नई कार्यकारिणी का चुनाव भी कराया गया। जिसमें शैलेष कृष्ण को दूसरी बार अध्यक्ष चुना गया। आशीष गोयल फिर महासचिव चुने गए। गौरीशंकर प्रियदर्शी कोषाध्यक्ष चुने गए हैं। पुष्पा सिंह, राजेश कुमार, विजय किरन आनंद को संयुक्त सचिव चुना गया।
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गेंद-बल्ले संग, नोटबंदी ने भरे रंग
- आइएएस वीक
- क्रिकेट के मैदान पर आइपीएस तो बाहर आइएएस अफसरों का दबदबा
- गुनगुनी धूप में खेले गए मैच में मजेदार कमेंट्री ने गुदगुदाया
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लखनऊ : यूं तो यह क्रिकेट के मैदान पर देश के सबसे प्रभावशाली सेवा संवर्गों के बीच जोर-आजमाईश थी लेकिन गेंद और बल्ले के इस संग में भी नोटबंदी के रंग दिखे। आइएएस वीक के तहत रविवार को आइएएस और आइपीएस अफसरों के बीच केडी सिंह 'बाबूÓ स्टेडियम में हुए क्रिकेट मैच में मैदान पर तो पुलिस वालों का पलड़ा भारी रहा लेकिन ग्राउंड के बाहर आइएएस अफसरों ने रोचक कमेंट्री के जरिये दर्शकों का मनोरंजन करते हुए अपना दबदबा कायम रखा।
आइएएस इलेवन के कप्तान अनुराग यादव ने टास जीत कर आइपीएस एकादश के कप्तान सतीश माथुर को पहले बल्लेबाजी का न्योता दिया। आइपीएस इलेवन की ओर से सलामी बल्लेबाज के रूप में उतरे संजीव सुमन ने मैदान पर चौके-छक्के जरूर लगाए लेकिन कमेंट्री के अभाव में माहौल बोझिल रहा। प्रमुख सचिव ऊर्जा संजय अग्रवाल को फोन मिलवाकर स्टेडियम की बिजली चालू करायी गई और इसके साथ ही गुनगुनी धूप में कमेंटेटर के माइक से गुदगुदाती कमेंट्री शुरू हो गई। कमेंट्री के लिए माइक संभालते हुए सचिव ग्राम्य विकास आशीष कुमार गोयल ने कहा कि यह मैच देखने के लिए लोगों ने पुराने नोटों से टिकट खरीदे हैं। इसके लिए भारतीय रिजर्व बैंक से खास मंजूरी ली गई है। कमेंटेटर के रूप में उनका साथ देने आये खादी बोर्ड के सीईओ अखिलेश मिश्रा ने कहा कि यदि आइएएस अफसर मैच जीते तो 500 रुपये के पुराने नोट फिर शुरू किये जाएंगे। फिर अपने कथन में सुधार करते हुए बोले कि '500 रुपये के नये नोट शुरू किये जाएंगे।Ó आइएएस टीम की बल्लेबाजी के दौरान विकेटकीपर की काली पैंट का जिक्र करते हुए सचिव लोक सेवा आयोग अटल राय ने कहा कि नोटबंदी और काले धन का युग है, इसलिए सफेद पैंट काली हो गई है।
आइएएस इलेवन की पारी की शुरुआत में मुख्य सचिव राहुल भटनागर पैड बांधकर बल्ला भांजते हुए जब बैटिंग के लिए पिच की ओर रुख्सत हो रहे थे तो कमेंट्री के लिए माइक संभालते हुए आइएएस टीम के कप्तान अनुराग यादव की पत्नी प्रीति चौधरी ने कहा कि मुझे तो चीफ सेक्रेट्री साहब से एसीआर लिखवानी नहीं है, इसलिए खरी-खरी कहूंगी। इस दौरान कमेंट्री बॉक्स में पहुंची प्रमुख सचिव बाल विकास एवं पुष्टाहार डिंपल वर्मा ने यह कहकर ठहाके लगवाए कि आइपीएस टीम के रन कैसे बढ़ाये गए, इसका पता लगाने के लिए सीबीआइ जांच या एसआइटी जांच बैठानी होगी। आइपीएस टीम के कप्तान एसके माथुर की उन्होंने यह कहते हुए चुटकी ली कि पावर कार्पोरेशन में एडीजी रहते वह अपनी टीम के लिए बिजली का जुगाड़ नहीं कर सके, इसलिए उनकी भूमिका संदिग्ध है। आइपीएस टीम के सदस्य दीपक रतन को उन्होंने आइएएस इलेवन का एजेंट बताया।
बीच-बीच में जब भी आइपीएस खिलाड़ी अंपायर से बात करते तो कहा जाता कि दोनों के बीच कुछ सेटिंग चल रही है। आइपीएस अफसर जब भी बाउंड्री की ओर जाती गेंद को रोकते तो कमेंटेटर कहते कि आइपीएस अफसर आइएएस अधिकारियों के काम में अड़ंगा लगा रहे हैं। वहीं शुरुआती ओवरों में आइएएस अफसरों की धीमी बल्लबाजी पर यह कहते हुए चुटकी ली गई कि पंचम तल (मुख्यमंत्री कार्यालय) से दो टीमें भेजी गई हैं, एक जो प्रदर्शन के आधार पर अगले मैचों के लिए खिलाडिय़ों का सेलेक्शन करेगी और दूसरी छंटनी। उस समय भी हंसी के फव्वारे छूटे जब माइक से एलान हुआ कि यदि आइएएस अफसर हारे तो स्टेडियम के ग्राउंड के रखरखाव के लिए पैसा नहीं मिलेगा। अंपायर ने जब गेंद को वाइड करार दिया तो कमेंट्री बॉक्स से कहा गया कि यदि एलबीडब्लू की अपील पर भी अंपायर यह बड़प्पन दिखाएं तो उन्हें यश भारती दिया जाएगा।
आइएएस टीम को आखिरी दो ओवरों में जीत के लिए 29 रन चाहिए थे, तो कमेंटेटर ने कहा कि इस समय चौकों से ज्यादा छक्कों की जरूरत है लेकिन हम उन छक्कों की बात नहीं कर रहे जो देश की आबादी बढ़ाते हैं। फील्डिंग के दौरान जब एक आइपीएस अफसर ढील पड़े तो कहा गया कि इनके जिले में डायल 100 की गाडिय़ां नहीं पहुंचीं। मैच खत्म होने में एक ओरव बचे रहते घोषणा हुई कि चुनाव आचार संहिता लागू हो गई है, आखिरी ओवर अगली सरकार के गठन के बाद फेंका जाएगा।
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तेरह रन से हारी आइएएस इलेवन
आइपीएस इलेवन ने पहले बल्लबाजी करते हुए छह विकेट खोकर 166 रन बनाए। आइपीएस टीम की ओर से सलामी बल्लेबाज संजीव सुमन ने धुआंधार बल्लेबाजी करते 39 गेंदों पर 70 रन बनाए। वाराणसी के एसएसपी नितिन तिवारी ने 30 रनों का योगदान दिया। आइएएस टीम के कप्तान अनुराग यादव और राजीव रौतेला ने दो-दो और गौरांग राठी ने एक विकेट झटका। वहीं आइएएस अफसरों की टीम इस लक्ष्य का पीछा करते हुए छह विकेट के नुकसान पर 153 रन ही बना सकी। आइएएस टीम की ओर से कप्तान अनुराग यादव ने सबसे ज्यादा 55 जबकि रविंद्र कुमार ने 49 रन रन बनाये। विजेता टीम और उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले खिलाडिय़ों को राजस्व परिषद अध्यक्ष प्रवीर कुमार ने पुरस्कार भेंट किये।
मैच देखने और खिलाडिय़ों की हौसला अफजाई के लिए मुख्यमंत्री के मुख्य सलाहकार आलोक रंजन, केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर तैनात आइएएस अफसर संजय भूसरेड्डी, यूपीएसआइडीसी के प्रबंध निदेशक अमित घोष समेत बड़ी संख्या में आइएएस व आइपीएस अधिकारी
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इन्होंने किया उत्कृष्ट प्रदर्शन
-मैन ऑफ द मैच
संजीव सुमन
-आइएएस इलेवन
बेस्ट बैट्समैन - अनुराग यादव
बेस्ट बॉलर - राजीव रौतेला
बेस्ट फील्डर - अनिल कुमार
-आइपीएस इलेवन
बेस्ट बैट्समैन - संजीव सुमन
बेस्ट बॉलर - अभिषेक यादव
बेस्ट फील्डर - शैलेश पांडेय
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महिला सशक्तीकरण भी
दोनों टीमों में एक-एक महिला खिलाड़ी थीं। आइएएस इलेवन में सचिव औद्योगिक विकास अलकनंदा दयाल और आइपीएस अफसरों की टीम में चारु ने महिलाओं का प्रतिनिधित्व किया। अलकनंदा दयाल तो मुख्य सचिव के साथ बैटिंग करने भी उतरीं और उस समय कमेंटेटर ने एलान किया कि अगली बार महिलाओं को टीम में 33 फीसद आरक्षण दिया जाएगा।
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पीसीएस एसोसिएशन
एसएसपी को निलंबित करें वरना कल से कलमबंद हड़ताल : पीसीएस संघ
- पीसीएस संघ आरपार की लड़ाई को तैयार
- आपात बैठक में आरोपितों की गिरफ्तारी की हुई मांग
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लखनऊ : अपने संवर्ग के तीन अधिकारियों के साथ मारपीट और ऊपर से उनके ही विरुद्ध एफआइआर से प्रांतीय प्रशासनिक सेवा (पीसीएस) संवर्ग आग बबूला है। 19 दिसंबर तक एसएसपी को निलंबित नहीं करने और आरोपित वकीलों के गिरफ्तार नहीं होने पर प्रदेशभर में कलमबंद हड़ताल की चेतावनी दी है।
गोमतीनगर स्थित एक होटल में शनिवार को पीसीएस संघ की आपात बैठक हुई, जिसमें डेढ़ सौ से अधिकारियों ने हिस्सा लिया। कहा गया कि एडीएम ऑन ड्यूटी के साथ उनके दफ्तर में मारपीट, एसीएम के साथ कथित वकीलों द्वारा हाथापाई और कार्यालय में तोडफ़ोड़ की गई। ऊपर से पीसीएस अधिकारियों के खिलाफ ही एफआइआर दर्ज कर ली गई, इससे दुर्भाग्यपूर्ण मामला कोई नहीं हो सकता है। इतिहास में कभी भी ऐसा नहीं हुआ है। अधिकारियों ने कहा कि कोई इंस्पेक्टर, सीओ बिना एसएसपी के निर्देश के ऐसा नहीं कर सकता है। अगर ऑन ड्यूटी एडीएम के साथ मारपीट और ऊपर से एफआइआर लिखी जा सकती है तो फिर कोई प्रशासनिक अधिकारी कैसे जनता को सुरक्षा का वादा कैसे कर सकता है। अगर 19 दिसंबर तक शासन ने लखनऊ की एसएसपी मंजिल सैनी को निलंबित नहीं किया तो फिर पूरे प्रदेश के पीसीएस अधिकारी एक साथ कलमबंद हड़ताल करेंगे। आपात बैठक में बरेली की एसडीएम को निलंबित करने का मामला भी उठाया गया है, कहा गया कि ऐसी कार्रवाई से पहले शासन को विस्तृत जांच करानी चाहिए। पीसीएस के अध्यक्ष उमेश प्रताप सिंह और सचिव पवन गंगवार ने कहा कि इस प्रकरण में संगठन आरपार की लड़ाई लड़ेगा। यह सिर्फ अधिकारी के साथ मारपीट का मामला नहीं है बल्कि व्यवस्था, इकबाल और शासन के दायित्व के निवर्हन का मजाक उड़ाया जाना भी है। ऐसे में आरोपितों के खिलाफ कार्रवाई और एसएसपी के निलंबन से कम पर कोई बात नहीं होगी। पवन गंगवार ने बताया कि बैठक में कर्मचारी शिक्षक संयुक्त मोर्चा, राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद, सचिवालय संघ ने भी इस संघर्ष में साथ रहने का वादा किया है।
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हड़ताल पर नहीं जाएंगे पीसीएस अफसर
- शासन की ओर से गठित उच्च स्तरीय समिति से मिले आश्वासन के बाद लिया फैसला
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लखनऊ : तीन अधिकारियों से मारपीट और ऊपर से एफआइआर से आगबबूला प्रांतीय प्रशासनिक सेवा (पीसीएस) संवर्ग के अधिकारियों का गुस्सा ठंडा हो गया है। उन्होंने 19 दिसंबर से प्रदेशव्यापी हड़ताल का फैसला वापस ले लिया है। बदले में शासन की उच्च स्तरीय समिति ने पीसीएस अधिकारियों को सुरक्षा व शासन के निर्देश के बगैर ऑन ड्यूटी अफसर के खिलाफ एफआइआर नहीं दर्ज करने का आश्वासन दिया है।
लखनऊ के एडीएम (पश्चिम) समेत तीन अधिकारियों के साथ मारपीट और मारपीट के शिकार अफसरों के खिलाफ एफआइआर दर्ज होने से नाराज पीसीएस संवर्ग ने लखनऊ की एसएसपी मंजिल सैनी का निलंबन न होने पर 19 तारीख से हड़ताल की चेतावनी दी थी। रविवार को उनका गुस्सा ठंडा पड़ गया। शासन ने प्रमुख सचिव नियुक्ति व कार्मिक किशन सिंह अटोरिया, सचिव गृह मणि प्रसाद मिश्र, कमिश्नर भुवनेश कुमार, आइजी जोन ए.सतीश गणेश, डीआइजी लखनऊ प्रवीण कुमार को शामिल करते हुए समिति गठित की, जिसने रविवार को पीसीएस एसोसिएशन के अध्यक्ष उमेश प्रताप सिंह, सचिव पवन गंगवार समेत 15 अधिकारियों के प्रतिनिधिमंडल से पूरे मुद्दे पर चर्चा की। थोड़ा तुम झुको, कुछ कार्रवाई हम करते हैं, इस अंदाज में बात बढ़ी। आखिर पीसीएस अधिकारियों ने हड़ताल पर न जाने का निर्णय किया। सचिव पवन गंगवार का कहना है कि एसोसिएशन ने हड़ताल का फैसला वापस ले लिया है।
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समझौते के बिंदु
- संवेदनशील पदों पर तैनात होने वाले पीसीएस अधिकारियों की सुरक्षा संबंधी दिशा-निर्देश जारी होंगे।
- भविष्य में आन ड्यूटी पीसीएस अधिकारियों के खिलाफ शासन की अनुमति के बगैर एफआइआर नहीं होगी।
- पुलिस क्षेत्राधिकारी कैसरबाग व प्रभारी निरीक्षक कैसरबाग को दूसरे जिले में स्थानांतिरत किया जाएगा।
- आरोपियों की गिरफ्तारी की जाएगी।
- बरेली की एसडीएम अर्चना द्विवेदी व सिद्धार्थनगर के एसडीएम अवधेश मिश्र को तत्काल बहाल किया जाएगा।
- पीसीएस अधिकारियों के खिलाफ दर्ज एफआइआर स्पंज (रद) होगी।
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