Thursday 25 March 2021

एक हजार विस्तारक चुनावी ताप लेने में जुटे हैं

 

परवेज़ अहमद

लखनऊ। शोर। प्रदर्शन। जनसभा। आरोप-प्रत्यारोप। सुर्खियां। सब बंगाल-असम में है।  2 मई तक यही दृश्य दिखेगा। यह सामान्य धारणा है। इस घोषित अखाड़े से इतर उत्तर प्रदेश में  एक हजार विस्तारक ( आरएसएस के पूर्ण कालिक सदस्य) चुनावी ताप लेने में जुटे हैं। यह सतही नहीं, गहरी पैठ के साथ है। प्रारम्भिक आकलन के बाद ही भाजपा ने दलीय आधार पर त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में कूदने का निर्णय किया है। ग्राम, क्षेत्र पंचायत के तीन-तीन दावेदारों का ब्योरा तैयार किया है। भाजपा इन्हीं के माध्यम से  विधानसभा-2022 के लिये बूथ प्रबंधन करेगी। गांव-गलियारे तक काम कर रहे विस्तारक मानते हैं कि 2014, 2019 के लोकसभा का चुनाव बूथ प्रबंधन से नहीं, ध्रुवीकरण से जीता गया था। 2017 के विधानसभा चुनाव की जीत में तत्कालीन बसपा सरकार पर भ्रष्टाचार और समाजवादी परिवार की जंग की महत्वपूर्ण भूमिका थी। साथ ही ध्रुवीकरण व नरेन्द्र मोदी मैजिक ने इतिहास रच दिया था। 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव की परिस्थितियां बदली हुयी होंगी। कोविड के चलते आर्थिक ढांचा गड़बड़ाया है, सत्ताजनित नाराजगी भी जनता में है और महत्वाकांक्षा की पूर्ति न होने के चलते कतिपय नेताओं में नाराजगी है। जिसका प्रभाव धरातल पर कार्यरत कार्यकर्ताओं पर पड़ रहा है। इस भाव को समझने के बाद भाजपा ने इस बार बूथ प्रबंधन पर फोकस बढ़ाया है। सूत्रों का कहना है कि पंचायत चुनाव के दौरान यह आकलन भी करेगा कि किस प्रत्याशी में कितनी क्षमता है, उसी के अनुरूप उसे बूथ प्रबंधन का दायित्व सौंपा जाएगा। भाजपा इस बार अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की ऊर्जा का उपयोग विधानसभा चुनावों में कर सकती है। अब तक छात्रों के संगठन को सीधे तौर पर चुनावी प्रबंधन में नहीं लगाया जाता था।

सूत्रों का कहना है कि बदली परिस्थितियों को भांपकर भाजपा प्रबंधन विधानसभा चुनाव की डुगडुगी बजने से पहले ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उत्तर प्रदेश में 60 से अधिक जिला स्तरीय रैली कराने की रणनीति को अंतिम रूप देने में जुटा है। प्रधानमंत्री की रैलियों के जरिये राष्ट्रवाद, विकास पर फोकस कराने की रणनीति के साथ भाजपा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सभी 75 जिलों में रैली कराने की रणनीति है। अब यह सर्वमान्य तथ्य है कि सबका साथ, सबका का विकास की नीति पर उत्तर प्रदेश में सरकार चला रहे योगी आदित्यनाथ भाजपा को सीधा लाभ दिलाने वाले राजनीतिक ध्रुवीकरण के मॉस्टर हो गये हैं। उनकी रैलियां लोगों को गोलबंद करने में कारगर होती रही हैं। उनके अंदाज इतना आक्रामक है कि कभी समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी अथवा कांग्रेस की झंडाबरदारी करने वाले लोग भी ध्रुवीकरण के झन्डे तले आ जा रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि 2 मई को बंगाल, आसाम समेत पांच राज्यों के चुनाव परिणाम घोषित होने के साथ ही भाजपा का राजनीतिक युद्धक साजो-सामान उत्तर प्रदेश में मुस्तैद हो जाएगा। चुनाव के केन्द्र बिन्दु में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ही होंगे।

 

 

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