Wednesday 2 January 2019

नयी उम्मीदों के साथ 2019 की दस्तक



              

नयी उम्मीदों के साथ 2019 की दस्तक
परवेज अहमद
लखनऊ। नया साल-2019। उम्मीदों का वर्ष है। आम चुनाव होने हैं। लिहाजा राजनीतिक दलों की अपनी तरह की उम्मीदें हैं। केन्द्र की भाजपा सरकार सत्ता में लौटने की उम्मीदों से लबरेज है। वहीं विपक्षी (कांग्रेस, सपा, बसपा व अन्य) भाजपा को सरकार से बेदखल कर खुद सत्ता हासिल करने की उम्मीदे संजोये है। नौकरीपेशा टैक्स में राहत की उम्मीद बांधे है, किसान उपज का बेहतर मूल्य हासिल करने के ख्वाहिशमंद हैं। बेरोजगारों को मुलाजिम बनने की आस है। इससे इतर समाज का एक तबका फिक्रमंद भी है। वजह, इसी साल होने वाला लोकसभा का चुनाव है। वह उम्मीद बांधे है कि चुनाव में सियासीदानों की जुबान से ऐसे शब्द नहीं निकलेंगे, जिससे समाज में खाई पैदा हो। मर्यादा तार-तार होती हों। जातीय, धार्मिक उन्माद नहीं भड़केगा।
दरअसल, नये साल पर हम सभी को उम्मीदें होती है कि ये वर्ष काफी अच्छा साबित होगा। नई उम्मीदों, नई इच्छाओं, नई आशाओं और नई संभावनाओं का मौका है। यह कह सकते हैं कि यह साल उत्तर प्रदेश को मॉब लिंचिंग का जख्म नहीं देगा। सहारनपुर जैसा दलित-सवर्ण संघर्ष नहीं होगा। बुलंदशहर नहीं दोहराया जाएगा। लखनऊ, गोंडा, सीतापुर, उन्नाव जैसी दुष्कर्म की वारदातें नहीं होंगी। विवेक तिवारी जैसा हत्याकांड नहीं होगा। हक मांगने सड़क पर उतरे आंदोलनकारियों पर बर्बर लाठियां नहीं चलेंगी। बहराइच जैसा सांप्रदायिक तनाव नहीं होगा। पुलिस फर्जी इनकाउंटरों से दूर रहेगी। जेलें अपराधियों की ऐशगाह होने के स्थान पर सुधारगृह के असली रूप में रहेंगी। सड़कों पर चलते समय हिचकोले नहीं लगेंगे और हादसों में प्रतिभाओं का अंत नहीं होगा। नौकरशाही-जनता की सेवक बनेगी। दरअसल, लोकतंत्र में यह छोटी सी आशा तो की जा ही सकती है। सरकार, अफसर सब जनता के सेवक हों। उम्मीदें अनंत हैं। मगर यह अपेक्षा है कि मिलावटी खाद्य पदार्थो का गोखरधंधा बंद हो जाएगा। इसकी वजह वे आंकड़े हैं, जिसमें कहा गया है कि प्रदेश का 40 फीसदी नागरिक पेट के रोगों से ग्रसित है। यह मिलावटी खाद्य सामग्री से है। नया साल यह उम्मीद बंधाता है कि योगी आदित्यनाथ सरकार 'सबका साथ, सबका का विकास' के मूलमंत्र को शिद्दत से धरातल पर उतारेगी। ठंड में बच्चों को स्वेटर बंट जाएगा। सरकारी स्कूलों की तालीम का स्तर ऊंचा उठेगा। मिड-डे मील की गुणवत्ता बेहतर हो जाएगी। सरकारी अस्पतालों में चल रही मैल प्रैक्टिस रुकेगी। डॉक्टर बाजार और खास कंपनी की दवा लिखने के स्थान पर जीवन बचाने में उपयोगी दवाएं लिखेंगे। प्राइवेट अस्पतालों की फीस, आपरेशन की फीस नियंत्रित करने के लिए सरकार नीति लायेगी। प्रदेश पोलियो की तरह टीबी व कुष्ठ मुक्त हो जाएगा। चुनाव हिंसा, सांप्रदायिक तनाव से मुक्त होगा। अगर उन उम्मीदों को पर लग गये तो 22 करोड़ जनता गर्व से उड़ान भर सकेगी। यह कह भी सकेगी कि हां-मुबारक था, मुबारक है हमें-2019। गद्दीनशीनों तुम्हें भी मुबारक हो राजनीति में सफलता की नई मंजिलें।

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