28 sept 2015
---------------------
-30 सितंबर को पूरा होगा उपलोकायुक्त स्वतंत्र सिंह का कार्यकाल
-लोकायुक्त कार्यालय ने मुख्यमंत्री को भेजी जानकारी
लखनऊ: लोकायुक्त के चयन पर कानूनी पेंच अभी सुलझा नहीं है और उपलोकायुक्त का कार्यकाल 30 सितंबर को पूरा जाएगा। जिस पर काबिज होने के लिए सेवानिवृत नौकरशाहों, न्यायिक अधिकारियों व पत्रकारों ने जुगत शुरू कर दी है। शासन न
प्रदेश के लोकायुक्त के चयन में कानूनी पेंच फंसे हैं, जिन्हें सुलझाने में सरकार के ओहदेदारों के पसीने छूट रहे हैं। और बुधवार यानी 30 सितंबर को उपलोकायुक्त स्वतंत्र सिंह का कार्यकाल भी पूरा हो जायेगा। उपलोकायुक्त पद के लिए विशेष योग्यता की आवश्यकता नहीं है। चयन समिति में मुख्यमंत्री व लोकायुक्त सदस्य हैं। ऐसे में सेवानिवृत, पुर्ननियुक्ति के जरिये कार्यरत नौकरशाह, न्यायिक अधिकारी उपलोकायुक्त का पद हासिल करने का प्रयास में लग गए हैं।
सूत्रों का कहना है कि लोकायुक्त कार्यालय ने राज्यपाल के 10 जून 2015 के पत्र का हवाला देकर 30 सितंबर को उपलोकायुक्त का कार्यकाल पूरा होने की जानकारी मुख्यमंत्री सचिवालय को भेजी है। गौरतलब है कि राज्यपाल ने 10 जून को मुख्यमंत्री, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष व हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को लिखे पत्र में लोकायुक्त व उपलोकायुक्त की नियुक्ति के लिए चयन समिति की बैठक बुलाने का सुझाव दिया था। सूत्रों का कहना है कि शासन ने उपलोकायुक्त के नाम पर मंथन शुरू कर दिया है।
-------
उपलोकायुक्त की नियुक्ति का नियम
उत्तर प्रदेश लोकायुक्त एवं उपलोकायुक्त अधिनियम-1975 (संशोधित-2012) के मुताबिक सतर्कता विभाग के मंत्री (विभाग मुख्यमंत्री के पास है) उपलोकायुक्त पद लिए उपयुक्त व्यक्ति का नाम प्रस्तावित कर उस पर लोकायुक्त से परामर्श करेगा। सहमति से चुने गये व्यक्ति को उपलोकायुक्त नियुक्त करने की पत्रावली राज्यपाल को भेजी जायेगी। राज्यपाल नियुक्ति केवारंट पर हस्ताक्षर कर फाइल मुख्यमंत्री को वापस करेंगे। इसके बाद सतर्कता विभाग उपलोकायुक्त की नियुक्ति का आदेश जारी करेगा।
--------
उपलोकायुक्त पद की अर्हता
उपलोकायुक्त पद के विशेषज्ञ योग्यता नहीं है। दावेदार को भारत का नागरिक होना चाहिए। आपराधिक इतिहास नहीं होना चाहिये। वर्ष 2012 में संशोधित लोकायुक्त अधिनियम-1975 में उपलोकायुक्त पद की योग्यता में कोई बदलाव नहीं किया गया था, लिहाजा मूल अधिनियम के आधार पर ही उपलोकायुक्त की नियुक्ति होगी।
-----
जिनकी दावेदारी पर चर्चा
समाजवादी सरकार में ही डीजीपी पद पर पहुंच कर रिटायर्ड हुये तीन आइपीएस अधिकारी, पुर्ननियुक्ति पाकर सरकार व शासन में अति महत्वपूर्ण पदों का जिम्मा संभाल रहे तीन आइएएस, हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार पद से सेवानिवृत एक अधिकारी समेत तीन न्यायिक अधिकारी, दो पत्रकार और दो समाजसेवियों के नाम चर्चा में है।
-------
नई नियुक्ति तक कार्य करते रहेंगे उपलोकायुक्त
वर्ष 2012 से पहले लोकायुक्त का कार्यकाल छह साल का था। मुख्यमंत्री बनने के बाद अखिलेश यादव ने लोकायुक्त अधिनियम संशोधित कर लोकायुक्त और उप लोकायुक्त का कार्यकाल आठ साल कर दिया था। इसमें कार्यकाल खत्म होने के बाद नई नियुक्ति होने तक लोकायुक्त व उपलोकायुक्त के कार्य करते रहने की व्यवस्था है।सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की पीठ सरकार के इस संशोधन को सही ठहरा चुकी है।
---------------------
-30 सितंबर को पूरा होगा उपलोकायुक्त स्वतंत्र सिंह का कार्यकाल
-लोकायुक्त कार्यालय ने मुख्यमंत्री को भेजी जानकारी
लखनऊ: लोकायुक्त के चयन पर कानूनी पेंच अभी सुलझा नहीं है और उपलोकायुक्त का कार्यकाल 30 सितंबर को पूरा जाएगा। जिस पर काबिज होने के लिए सेवानिवृत नौकरशाहों, न्यायिक अधिकारियों व पत्रकारों ने जुगत शुरू कर दी है। शासन न
प्रदेश के लोकायुक्त के चयन में कानूनी पेंच फंसे हैं, जिन्हें सुलझाने में सरकार के ओहदेदारों के पसीने छूट रहे हैं। और बुधवार यानी 30 सितंबर को उपलोकायुक्त स्वतंत्र सिंह का कार्यकाल भी पूरा हो जायेगा। उपलोकायुक्त पद के लिए विशेष योग्यता की आवश्यकता नहीं है। चयन समिति में मुख्यमंत्री व लोकायुक्त सदस्य हैं। ऐसे में सेवानिवृत, पुर्ननियुक्ति के जरिये कार्यरत नौकरशाह, न्यायिक अधिकारी उपलोकायुक्त का पद हासिल करने का प्रयास में लग गए हैं।
सूत्रों का कहना है कि लोकायुक्त कार्यालय ने राज्यपाल के 10 जून 2015 के पत्र का हवाला देकर 30 सितंबर को उपलोकायुक्त का कार्यकाल पूरा होने की जानकारी मुख्यमंत्री सचिवालय को भेजी है। गौरतलब है कि राज्यपाल ने 10 जून को मुख्यमंत्री, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष व हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को लिखे पत्र में लोकायुक्त व उपलोकायुक्त की नियुक्ति के लिए चयन समिति की बैठक बुलाने का सुझाव दिया था। सूत्रों का कहना है कि शासन ने उपलोकायुक्त के नाम पर मंथन शुरू कर दिया है।
-------
उपलोकायुक्त की नियुक्ति का नियम
उत्तर प्रदेश लोकायुक्त एवं उपलोकायुक्त अधिनियम-1975 (संशोधित-2012) के मुताबिक सतर्कता विभाग के मंत्री (विभाग मुख्यमंत्री के पास है) उपलोकायुक्त पद लिए उपयुक्त व्यक्ति का नाम प्रस्तावित कर उस पर लोकायुक्त से परामर्श करेगा। सहमति से चुने गये व्यक्ति को उपलोकायुक्त नियुक्त करने की पत्रावली राज्यपाल को भेजी जायेगी। राज्यपाल नियुक्ति केवारंट पर हस्ताक्षर कर फाइल मुख्यमंत्री को वापस करेंगे। इसके बाद सतर्कता विभाग उपलोकायुक्त की नियुक्ति का आदेश जारी करेगा।
--------
उपलोकायुक्त पद की अर्हता
उपलोकायुक्त पद के विशेषज्ञ योग्यता नहीं है। दावेदार को भारत का नागरिक होना चाहिए। आपराधिक इतिहास नहीं होना चाहिये। वर्ष 2012 में संशोधित लोकायुक्त अधिनियम-1975 में उपलोकायुक्त पद की योग्यता में कोई बदलाव नहीं किया गया था, लिहाजा मूल अधिनियम के आधार पर ही उपलोकायुक्त की नियुक्ति होगी।
-----
जिनकी दावेदारी पर चर्चा
समाजवादी सरकार में ही डीजीपी पद पर पहुंच कर रिटायर्ड हुये तीन आइपीएस अधिकारी, पुर्ननियुक्ति पाकर सरकार व शासन में अति महत्वपूर्ण पदों का जिम्मा संभाल रहे तीन आइएएस, हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार पद से सेवानिवृत एक अधिकारी समेत तीन न्यायिक अधिकारी, दो पत्रकार और दो समाजसेवियों के नाम चर्चा में है।
-------
नई नियुक्ति तक कार्य करते रहेंगे उपलोकायुक्त
वर्ष 2012 से पहले लोकायुक्त का कार्यकाल छह साल का था। मुख्यमंत्री बनने के बाद अखिलेश यादव ने लोकायुक्त अधिनियम संशोधित कर लोकायुक्त और उप लोकायुक्त का कार्यकाल आठ साल कर दिया था। इसमें कार्यकाल खत्म होने के बाद नई नियुक्ति होने तक लोकायुक्त व उपलोकायुक्त के कार्य करते रहने की व्यवस्था है।सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की पीठ सरकार के इस संशोधन को सही ठहरा चुकी है।